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Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 115 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सिया य समणट्ठाए गुव्विणी कालमासिणी । उट्ठिया वा निसीएज्जा निसन्ना वा पुणट्ठए ॥

Translated Sutra: कदाचित्‌ कालमासवती गर्भवती महिला खड़ी हो और श्रमण के लिए बैठे; अथवा बैठी हो और खड़ी हो जाए तो, स्तनपान कराती हुई महिला यदि बालक को रोता छोड़ कर भक्त – पान लाए तो वह भक्त – पान संयमियों के लिए अकल्पनीय होता है। अतः उसे निषेध करे कि इस प्रकार का आहार मेरे लिए ग्रहण करने योग्य नहीं है। सूत्र – ११५–११८
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 116 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ११५
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 117 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] थणगं पिज्जेमाणी दारगं वा कुमारियं । तं निक्खिवित्तु रोयंतं आहरे पानभोयणं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ११५
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 118 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ११५
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 119 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जं भवे भत्तपानं तु कप्पाकप्पम्मि संकियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: जिस भक्त – पान के कल्पनीय या अकल्पनीय होने में शंका हो, उसे देती हुई महिला को मुनि निषेध कर दे कि मेरे लिए यह आहार कल्पनीय नहीं है।
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 120 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दगवारएण पिहियं नीसाए पीढएण वा । लोढेण वा वि लेवेण सिलेसेण व केणई ॥

Translated Sutra: पानी के घड़े, पत्थर की चक्की, पीठ, शिलापुर, मिट्टी आदि के लेप, लाख आदि श्लेषद्रव्यों या किसी अन्य द्रव्य से – पिहित बर्तन का श्रमण के लिए मुंह खोल कर आहार देती हुई महिला को मुनि निषेध कर दे कि मेरे लिए यह आहार ग्रहण करने योग्य नहीं है। सूत्र – १२०, १२१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 121 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं च उब्भिंदिया देज्जा समणट्ठाए व दावए । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२०
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 122 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असनं पानगं वा वि खाइमं साइमं तहा । जं जाणेज्ज सुणेज्जा वा दाणट्ठा पगडं इमं ॥

Translated Sutra: यदि मुनि यह जान जाए या सुन ले कि यह अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य दानार्थ, पुण्यार्थ, वनीपकों के लिए या श्रमणों के निमित्त बनाया गया है तो वह भक्त – पान संयमियों के लिए अकल्पनीय होता है। (इसलिए) भिक्षु उस को निषेध कर दे कि इस प्रकार का आहार मेरे लिए ग्राह्य नहीं है। सूत्र – १२२–१२९
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 123 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 124 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असनं पानगं वा वि खाइमं साइमं तहा । जं जाणेज्ज सुणेज्जा वा पुण्णट्ठा पगडं इमं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 125 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 126 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असनं पानगं वा वि खाइमं साइमं तहा । जं जाणेज्ज सुणेज्जा वा वणिमट्ठा पगडं इमं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 127 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 128 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असनं पानगं वा वि खाइमं साइमं तहा । जं जाणेज्ज सुणेज्जा वा समणट्ठा पगडं इमं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 129 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 130 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उद्देसियं कीयगडं पूईकम्मं च आहडं । अज्झोयर पामिच्चं मीसजायं च वज्जए ॥

Translated Sutra: साधु या साध्वी औद्देशिक, क्रीतकृत, पूतिकर्म, आहृत, अध्यवतर, प्रामित्य और मिश्रजात, आहार न ले। पूर्वोक्त आहारादि के विषय में शंका होने पर उस का उद्‌गम पूछे कि यह किसके लिए किसने बनाया है ? फिर निःशंकित और शुद्ध जान कर आहार ग्रहण करे। सूत्र – १३०, १३१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 131 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उग्गमं से पुच्छेज्जा कस्सट्ठा केण वा कडं? । सोच्चा निस्संकियं सुद्धं पडिगाहेज्ज संजए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३०
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 132 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असनं पानगं वा वि खाइमं साइमं तहा । पुप्फेसु होज्ज उम्मीसं बीएसु हरिएसु वा ॥

Translated Sutra:
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 133 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 134 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असनं पानगं वा वि खाइमं साइमं तहा । उदगम्मि होज्ज निक्खित्तं उत्तिंगपणगेसु वा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 135 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 136 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असनं पानगं वा वि खाइमं साइमं तहा । तेउम्मि होज्ज निक्खित्तं तं च संघट्टिया दए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 137 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 138 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं उस्सक्किया ओसक्किया उज्जालिया पज्जालिया निव्वाविया । उस्सिंचिया निस्सिंचिया ओवत्तिया ओयारिया दए ॥

Translated Sutra: चूले में से इंधन निकालकर अग्नि प्रज्वलित करके या तेज करके या अग्नि को ठंडा करके, अन्न का उभार देखकर उसमें से कुछ कम करके या जल डालके या अग्नि से नीचे उतारकर देवें तो वह भोजनपान संयमी के लिए अकलप्य है। तब भिक्षु कहता है कि यह भिक्षा मुझे कल्प्य नहीं है। सूत्र – १३८, १३९
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 139 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं भवे भत्तपानं तु संजयाण अकप्पियं । देंतिय पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३८
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 140 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] होज्ज कट्ठं मिलं वा वि इट्टालं वा वि एगया । ठवियं संकमट्ठाए तं च होज्ज चलाचलं ॥

Translated Sutra: कभी काठ, शिला या ईंट संक्रमण के लिए रखे हों और वे चलाचल हों, तो सर्वेन्द्रिय – समाहित भिक्षु उन पर से होकर न जाए। इसी प्रकार प्रकाशरहित और पोले मार्ग से भी न जाए। भगवान्‌ ने उसमें असंयम देखा है। सूत्र – १४०, १४१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 141 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] न तेण भिक्खू गच्छेज्जा दिट्ठो तत्थ असंजमो । गंभीरं ज्झुसिरं चेव सव्विंदियसमाहिए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४०
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 142 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निस्सेणिं फलगं पीढं उस्सवित्ताणमारुहे । मंचं कीलं च पासायं समणट्ठाए व दावए ॥

Translated Sutra: यदि आहारदात्री श्रमण के लिए निसैनी, फलक, या पीठ को ऊंचा करके मंच, कीलक अथवा प्रासाद पर चढ़े और वहाँ से भक्त – पान लाए तो उसे ग्रहण न करे; क्योंकि निसैनी आदि द्वारा चढ़ती हुई वह गिर सकती है, उसके हाथ – पैर टूट सकते हैं। पृथ्वी के तथा पृथ्वी के आश्रित त्रस जीवों की हिंसा हो सकती है। अतः ऐसे महादोषों को जान कर संयमी महर्षि
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 143 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दुरूहमाणी पवडेज्जा हत्थं पायं व लूसए ॥ पुढविजीवे वि हिंसेज्जा जे य तन्निस्सिया जगा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 144 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एयारिसे महादोसे जाणिऊण महेसिणो । तम्हा मालोहडं भिक्खं न पडिगेण्हंति संजया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 145 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कंदं मूलं पलंबं वा आमं छिन्नं व सन्निरं । तुंबागं सिंगबेरं च आमगं परिवज्जए ॥

Translated Sutra: (साधु – साध्वी) अपक्व कन्द, मूल, प्रलम्ब, छिला हुआ पत्ती का शाक, घीया आदि अदरक ग्रहण न करे।
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 146 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तहेव सत्तुचुण्णाइं कोलचुण्णाइं आवणे । सक्कुलिं फाणियं पूयं अन्नं वा वि तहाविहं ॥

Translated Sutra: इसी प्रकार जौ आदि सत्तु का चूर्ण, बेर का चूर्ण, तिलपपड़ी, गीला गुड़, पूआ तथा इसी प्रकार की अन्य वस्तुऍं, जो बहुत समय से खुली हुई हों और रज से चारों ओर स्पृष्ट हों, तो साधु निषेध कर दे कि मैं इस प्रकार का आहार ग्रहण नहीं करता। सूत्र – १४६, १४७
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 147 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] विक्कायमाणं पसढं रएण परिफासियं । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४६
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 148 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बहु-अट्ठियं पुग्गलं अनिमिसं वा बहु-कंटयं । अत्थियं तिंदुयं बिल्लं उच्छुखंडं व सिंबलिं ॥

Translated Sutra: बहुत अस्थियों वाला फल, बहुत – से कांटों वाला फल, आस्थिक, तेन्दु, बेल, गन्ने के टुकड़े और सेमली की फली, जिनमें खाद्य अंश कम हो और त्याज्य अंश बहुत अधिक हो, उन सब को निषेध कर दे कि इस प्रकार मेरे लिए ग्रहण करना योग्य नहीं है। सूत्र – १४८, १४९
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 149 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अप्पे सिया भोयणजाए बहु-उज्झिय-धम्मिए । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४८
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 150 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तहेवुच्चावयं पानं अदुवा वारधोयणं । संसेइमं चाउलोदगं अहुणाधोयं विवज्जए ॥

Translated Sutra: इसी प्रकार उच्चावच पानी अथवा गुड़ के घड़े का, आटे का, चावल का धोवन, इनमें से यदि कोई तत्काल का धोया हुआ हो, तो मुनि उसे ग्रहण न करे।
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 151 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जं जाणेज्ज चिराधोयं मईए दंसणेण वा । पडिपुच्छिऊण सोच्चा वा जं च निस्संकियं भवे ॥

Translated Sutra: यदि अपनी मति और दृष्टि से, पूछ कर अथवा सुन कर जान ले कि यह बहुत देर का धोया हुआ है तथा निःशंकित हो जाए तो जीवरहित और परिणत जान कर संयमी मुनि उसे ग्रहण करे। यदि यह जल मेरे लिए उपयोगी होगा या नहीं ? इस प्रकार की शंका हो जाए, तो फिर उसे चख कर निश्चय करे। ‘चखने के लिए थोड़ा – सा यह पानी मेरे हाथ में दो।’ यह पानी बहुत ही खट्टा,
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 152 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अजीवं परिणयं नच्चा पडिगाहेज्ज संजए । अह संकियं भवेज्जा आसाइत्ताण रोयए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 153 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] थोवमासायणट्ठाए हत्थगम्मि दलाहि मे । मा मे अच्चंबिलं पूइं नालं तण्हं विणित्तए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 154 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं च अच्चंबिलं पूइं नालं तण्हं विणित्तए । देंतियं पडियाइक्खे न मे कप्पइ तारिसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 155 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं च होज्ज अकामेणं विमणेण पडिच्छियं । तं अप्पणा न पिबे नो वि अन्नस्स दावए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 156 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगंतमवक्कमित्ता अचित्तं पडिलेहिया । जयं परिट्ठवेज्जा परिट्ठप्प पडिक्कमे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५१
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 157 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सिया य गोयरग्गगओ इच्छेज्जा परिभोत्तुयं । कोट्ठगं भित्तिमूलं वा पडिलेहित्ताण फासुयं ॥

Translated Sutra: गोचराग्र के लिए गया हुआ भिक्षु कदाचित्‌ आहार करना चाहे तो वह मेघावी मुनि प्रासुक कोष्ठक या भित्तिमूल का अवलोकन कर, अनुज्ञा लेकर किसी आच्छादित एवं चारों ओर से संवृत स्थल में अपने हाथ को भलीभाँति साफ करके वहाँ भोजन करे। उस स्थान में भोजन करते हुए आहार में गुठली, कांटा, तिनका, लकड़ी का टुकड़ा, कंकड़ या अन्य कोई वैसी
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 158 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अणुन्नवेत्तु मेहावी पडिच्छन्नम्मि संवुडे । हत्थगं संपमज्जित्ता तत्थ भुंजेज्ज संजए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 159 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तत्थ से भुंजमाणस्स अट्ठियं कंटओ सिया । तण-कट्ठ-सक्करं वा वि अन्नं वा वि तहाविहं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 160 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं उक्खिवित्तु न निक्खिवे आसएण न छड्डए । हत्थेण तं गहेऊणं एगंतमवक्कमे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 161 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगंतमवक्कमित्ता अचित्तं पडिलेहिया । जयं परिट्ठवेज्जा परिट्ठप्प पडिक्कमे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 162 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सिया य भिक्खू इच्छेज्जा सेज्जमागम्म भोत्तुयं । सपिंडपायमागम्म उंडुयं पडिलेहिया ॥

Translated Sutra: कदाचित्‌ भिक्षु बसति में आकर भोजन करना चाहे तो पिण्डपात सहित आकर भोजन भूमि प्रतिलेखन कर ले। विनयपूर्वक गुरुदेव के समीप आए और ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करे। जाने – आने में और भक्तपान लेने में (लगे) समस्त अतिचारों का क्रमशः उपयोगपूर्वक चिन्तन कर ऋजुप्रज्ञ और अनुद्विग्न संयमी अव्याक्षिप्त चित्त से गुरु के पास
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 163 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] विणएण पविसित्ता सगासे गुरुणो मुनी । इरियावहियमायाय आगओ य पडिक्कमे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६२
Dashvaikalik दशवैकालिक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ पिंडैषणा

उद्देशक-१ Hindi 164 Gatha Mool-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आभोएत्ताण नीसेसं अइयारं जहक्कमं । गमणागमणे चेव भत्तपाणे व संजए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६२
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