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Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 147 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं एगनामे? एगनामे–

Translated Sutra: एकनाम क्या है ? द्रव्यों, गुणों एवं पर्यायों के जो नाम लोक में रूढ़ हैं, उन सबकी ‘नाम’ ऐसी एक संज्ञा आगम रूप निकष में कही गई है। यह एकनाम है। सूत्र – १४७–१४९
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 148 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नामानि जानि कानि वि, दव्वाण गुणाण पज्जवाणं च । तेसिं आगम-निहसे, नामंति परूविया सन्ना ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १४७
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 149 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं एगनामे।

Translated Sutra: देखो सूत्र १४७
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 150 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दुनामे? दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–एगक्खरिए य अनेगक्खरिए य। से किं तं एगक्खरिए? एगक्खरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–ह्रोः श्रीः धीः स्त्री। से तं एगक्खरिए। से किं तं अनेगक्खरिए? अनेगक्खरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–कन्ना वीणा लता माला। से तं अनेगक्खरिए। अहवा दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–जीवनामे य अजीवनामे य। से किं तं जीवनामे? जीवनामे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा-देवदत्तो जन्नदत्तो विण्हुदत्तो सोमदत्तो।से तं जीवनामे से किं तं अजीवनामे? अजीवनामे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–घडो पडो कडो रहो। से तं अजीवनामे। अहवा दुनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–विसेसिए

Translated Sutra: द्विनाम क्या है ? द्विनाम के दो प्रकार हैं – एकाक्षरिक और अनेकाक्षरिक। एकाक्षरिक द्विनाम क्या है ? उसके अनेक प्रकार हैं। जैसे कि ह्री, श्री, धी, स्त्री आदि एकाक्षरिक नाम हैं। अनेकाक्षरिक द्विनाम का क्या स्वरूप है ? उसके अनेक प्रकार हैं। यथा – कन्या, वीणा, लता, माला आदि अनेकाक्षरिक द्विनाम हैं। अथवा द्विनाम के
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 151 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं तिनामे? तिनामे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–दव्वनामे गुणनामे पज्जवनामे। से किं तं दव्वनामे? दव्वनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थि-काए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए। से तं दव्वनामे। से किं तं गुणनामे? गुणनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–वण्णनामे गंधनामे रसनामे फासनामे संठाणनामे। से किं तं वण्णनामे? वण्णनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–कालवण्णनामे नीलवण्णनामे लोहिय-वण्णनामे हालिद्दवण्णनामे सुक्किल्लवण्णनामे। से तं वण्णनामे। से किं तं गंधनामे? गंधनामे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुब्भिगंधनामे य दुब्भिगंधनामे य। से तं गंधनामे। से

Translated Sutra: त्रिनाम क्या है ? त्रिनाम के तीन भेद हैं। वे इस प्रकार – द्रव्यनाम, गुणनाम और पर्यायनाम। द्रव्यनाम क्या है ? द्रव्यनाम छह प्रकार का है। धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्‌गलास्तिकाय, अद्धासमय। गुणनाम क्या है ? पाँच प्रकार से हैं। वर्णनाम, गंधनाम, रसनाम, स्पर्शनाम, संस्थाननाम। वर्णनाम
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 152 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं पुण नामं तिविहं, इत्थी पुरिसं नपुंसगं चेव । एएसिं तिण्हंपि य, अंतम्मि परूवणं वोच्छं ॥

Translated Sutra: उस त्रिनाम के पुनः तीन प्रकार हैं। स्त्रीनाम, पुरुषनाम और नपुंसकनाम। इन तीनों प्रकार के नामों का बोध उनके अंत्याक्षरो द्वारा होता है। पुरुषनामों के अंत में ‘आ, ई, ऊ, ओ’ इन चार में से कोई एक वर्ण होता है तथा स्त्रीनामों के अंत में ‘ओ’ को छोड़कर शेष तीन वर्ण होते हैं। जिन शब्दों के अन्त में अं, इं या उं वर्ण हो, उनको
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 153 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तत्थ पुरिसस्स अंता, आ ई ऊ ओ हवंति चत्तारि । ते चेव इत्थियाए, हवंति ओकारपरिहीणा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 154 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अं तिय इं तिय उं तिय, अंता उ नपुंसगस्स बोद्धव्वा । एएसिं तिण्हंपि य, वोच्छामि निदंसणे एत्तो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 155 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आकारंतो राया, ईकारंतो गिरी य सिहरी य । ऊकारंतो विण्हू, दुमो ओअंतो उ पुरिसाणं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 156 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आकारंता माला, ईकारंता सिरी य लच्छी य । ऊकारंता जंबू, वहू य अंता उ इत्थीणं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 157 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अंकारंतं धन्नं, इंकारंतं नपुंसगं अच्छिं । उंकारंतं पीलुं, महुं च अंता नपुंसाणं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 158 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं तिनामे।

Translated Sutra: देखो सूत्र १५२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 159 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं चउनामे? चउनामे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमेणं लोवेणं पयईए विगारेणं। से किं तं आगमेणं? आगमेणं–पद्मानि पयांसि कुंडानि। से तं आगमेणं। से किं तं लोवेणं? लोवेणं–ते अत्र = तेत्र, पटो अत्र = पटोत्र, घटो अत्र = घटोत्र, रथो अत्र = रथोत्र। से तं लोवेणं। से किं तं पयईए? पयईए–अग्नी एतौ, पटू इमौ, शाले एते, माले इमे। से तं पयईए। से किं तं विगारेणं? विगारेणं–दण्डस्य अग्रं = दण्डाग्रम्‌, सो आगता = सागता, दधि इदं = दधीदम्‌, नदी ईहते = नदीहते, मधु उदकं = मधूदकम्‌, वधू ऊहते = वधूहते। से तं विगारेणं। से तं चउनामे।

Translated Sutra: चतुर्नाम क्या है ? चार प्रकार हैं। आगमनिष्पन्ननाम, लोपनिष्पन्ननाम, प्रकृतिनिष्पन्ननाम, विकारनिष्पन्ननाम। आगम – निष्पन्ननाम क्या है ? पद्मानि, पयांसि, कुण्डानि आदि ये सब आगमनिष्पन्ननाम हैं। लोपनिष्पन्ननाम क्या है ? ते + अत्र – तेऽत्र, पटो + अत्र – पटोऽत्र, घटो + अत्र – घटोऽत्र, रथो + अत्र रथोऽत्र, ये लोपनिष्पन्ननाम
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 160 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पंचनामे? पंचनामे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–१. नामिकं २. नैपातिकं ३. आख्यातिकं ४. औपसर्गिकं ५. मिश्रम्‌। अश्व इति नामिकम्‌। खल्विति नैपातिकम्‌। धावतीत्याख्यातिकम्‌। परीत्यौपसर्गिकम्‌। संयत इति मिश्रम्‌। से तं पंचनामे।

Translated Sutra: पंचनाम क्या है ? पाँच प्रकार का है। नामिक, नैपातिक, आख्यातिक, औपसर्गिक और मिश्र। जैसे ‘अश्व’ यह नामिकनाम का, ‘खलु’ नैपातिकनाम का, ‘धावति’ आख्यातिकनाम का, ‘परि’ औपसर्गिक और ‘संयत’ यह मिश्रनाम का उदाहरण है।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 161 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं छनामे? छनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. उदइए २. उवसमिए ३. खइए ४. खओवसमिए ५. पारिणामिए ६. सन्निवाइए। से किं तं उदइए? उदइए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–उदए य उदयनिप्फन्ने य। से किं तं उदए? उदए–अट्ठण्हं कम्मपयडीणं उदए णं। से तं उदए। से किं तं उदयनिप्फन्ने? उदयनिप्फन्ने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा– जीवोदयनिप्फन्ने य अजीवो-दयनिप्फन्ने य। से किं तं जीवोदयनिप्फन्ने? जीवोदयनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–नेरइए तिरिक्ख-जोणिए मनुस्से देवे पुढविकाइए आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए तसकाइए, कोहकसाई मानकसाई मायाकसाई लोभकसाई, इत्थिवेए पुरिसवेए नपुंसगवेए, कण्हलेसे

Translated Sutra: छहनाम क्या है ? छह प्रकार हैं। औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक और सान्निपातिक। औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार का है। औदयिक और उदयनिष्पन्न। औदयिक क्या है ? ज्ञानावरणादिक आठ कर्मप्रकृतियों के उदय से होने वाला औदयिकभाव है। उदयनिष्पन्न औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार हैं – जीवोदयनिष्पन्न, अजीवोदयनिष्पन्न। जीवोदयनिष्पन्न
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 163 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उक्कावाया दिसादाहा गज्जियं विज्जू निग्घाया जूवया जक्खालित्ता धूमिया महिया रयुग्घाओ चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इंदधणू उदगमच्छा कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा नगरा घरा पव्वता पायाला भवणा निरया रयणप्पभा सक्करप्पभा वालुयप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा सोहम्मे ईसाणे सणंकुमारे माहिंदे बंभलोए लंतए महासुक्के सहस्सारे आणए पाणए आरणे अच्चुए गेवेज्जे अनुत्तरे ईसिप्पब्भारा परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अनंतपएसिए। से तं साइपारिणामिए। से किं तं अनाइ-पारिणामिए? अनाइ-पारिणामिए–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगास-त्थिकाए जीवत्थिकाए

Translated Sutra: उल्कापात, दिग्दाह, मेघगर्जना, विद्युत, निर्घात्‌, यूपक, यक्षादिप्त, धूमिका, महिका, रजोद्‌घात, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, चन्द्रपरिवेष, सूर्यपरिवेष, प्रतिचन्द्र, प्रतिसूर्य, इन्द्रधनुष, उदकमत्स्य, कपिहसित, अमोघ, वर्ष, वर्षधर पर्वत, ग्राम, नगर, घर, पर्वत, पातालकलश, भवन, नरक, रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा,
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 164 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सत्तनामे? सत्तनामे–सत्त सरा पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: सप्तनाम क्या है ? सात प्रकार के स्वर रूप है। – षड्‌ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद, ये सात स्वर जानना। सूत्र – १६४, १६५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 165 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जे रिसभे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे । धेवए चेव नेसाए, सरा सत्त वियाहिया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६४
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 166 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: इन सात स्वरों के सात स्वर स्थान हैं। जिह्वा के अग्रभाग से षड्‌जस्वर का, वक्षस्थल से ऋषभस्वर, कंठ से गांधार – स्वर, जिह्वा के मध्यभाग से मध्यमस्वर, नासिका से पंचमस्वर का, दंतोष्ठ – संयोग से धैवतस्वर का और मूर्धा से निषाद स्वर का उच्चारण करना चाहिए। सूत्र – १६६–१६८
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 167 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जं च अग्गजीहाए, उरेण रिसभं सरं । कंठुग्गएण गंधारं, मज्झजीहाए मज्झिमं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६६
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 168 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नासाए पंचमं बूया, दंतोट्ठेण य धेवतं । भमुहक्खेवेण नेसायं सरट्ठाणा वियाहिया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६६
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 169 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तसरा जीवनिस्सिया पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: जीवनिश्रित – सप्तस्वरों का स्वरूप इस प्रकार है – मयूर षड्‌जस्वर में, कुक्कुट ऋषभस्वर, हंस गांधारस्वर में, गवेलक मध्यमस्वर में, कोयल पुष्पोत्पत्तिकाल में पंचमस्वर में, सारस और क्रौंच पक्षी धैवतस्वर में तथा – हाथी निषाद स्वर में बोलता है। सूत्र – १६९–१७१
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 170 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जं रवइ मयूरो, कुक्कुडो रिसभं सरं । हंसो रवइ गंधारं, मज्झिमं तु गवेलगा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 171 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं । छट्ठं च सारसा कुंचा, नेसायं सत्तमं गओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 172 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सत्त सरा अजीवनिस्सिया पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: अजीवनिश्रित – मृदंग से षड्‌जस्वर, गोमुखी से ऋषभस्वर, शंख से गांधारस्वर, झालर से मध्यमस्वर, चार चरणों पर स्थित गोधिका से पंचमस्वर, आडंबर से धैवतस्वर तथा महाभेरी से निषादस्वर निकलता है। सूत्र – १७२–१७४
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 173 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जं रवइ मुयंगो, गोमुही रिसभं सरं । संखो रवइ गंधारं, मज्झिमं पुण ज्झल्लरी ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 174 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चउचलणपइट्ठाणा, गोहिया पंचमं सरं । आडंबरो धेवइयं, महाभेरी य सत्तमं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७२
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 175 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: इन सात स्वरों के सात स्वरलक्षण हैं। षड्‌जस्वर वाला मनुष्य वृत्ति – आजीविका प्राप्त करता है। उसका प्रयत्न व्यर्थ नहीं जाता है। उसे गोधन, पुत्र – पौत्रादि और सन्मित्रों का संयोग मिलता है। वह स्त्रियों का प्रिय होता है। ऋषभस्वरवाला मनुष्य ऐश्वर्यशाली होता है। सेनापतित्व, धन – धान्य, वस्त्र, गंध – सुगंधित
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 176 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सज्जेण लहइ वित्तिं, कयं च न विणस्सइ । गावो पुत्ता य मित्ता य, नारीणं होई वल्लहो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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Hindi 177 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रिसभेण उ एसज्जं, सेनावच्चं धनानि य । वत्थगंधमलंकारं, इत्थीओ सयनानि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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Hindi 178 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गंधारे गीतजुत्तिन्ना, विज्जवित्ती कलाहिया । हवंति कइणो पन्ना, जे अन्ने सत्थपारगा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 179 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मज्झिमसरमंता उ, हवंति सुहजीविणो । खायई पियई देई, मज्झिमसरमस्सिओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 180 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पंचमसरमंता उ, हवंति पुहवीपती । सूरा संगहकत्तारो अनेगगणनायगा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 181 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] धेवयसरमंता उ, हवंति दुहजीविणो । साउणिया वाउरिया, सोयरिया य मुट्ठिया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 182 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नेसायसरमंता उ, हवंति हिंसगा नरा । जंघाचरा लेहवाहा, हिंडगा भारवाहगा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 183 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसिं णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पन्नत्ता, तं जहा–सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे। सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–

Translated Sutra: इन सात स्वरों के तीन ग्राम हैं। षड्‌जग्राम, मध्यमग्राम, गांधारग्राम। षड्‌जग्राम की सात मूर्च्छनाऍं हैं। मंगी, कौरवीया, हरित, रजनी, सारकान्ता, सारसी और शुद्धषड्ज। मध्यमग्राम की सात मूर्च्छनाऍं हैं। उतरमंदा, रजनी, उत्तरा, उत्तरायता, अश्वक्रान्ता, सौवीरा, अभिरुद्‌गता। गांधारग्राम की सात मूर्च्छनाऍं हैं।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 184 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मंगी कोरव्वीया हरी य, रयणी य सारकंता य । छट्ठी य सारसी नाम, सुद्धसज्जा य सत्तमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 185 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 186 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरायता । आसकंता य सोवीरा, अभिरुहवति सत्तमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 187 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 188 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नंदी य खुड्डिया पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा । उत्तरगंधारा वि य, पंचमिया हवइ मुच्छा उ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 189 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सुट्ठुत्तरमायामा, सा छट्ठी नियमसो उ नायव्वा । अह उत्तरायता, कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १८३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 190 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त सरा कओ हवंति? गीयस्स का हवइ जोणी? । कइसमया ऊसासा? कइ वा गीयस्स आगारा? ॥

Translated Sutra: – सप्तस्वर कहाँ से – उत्पन्न होते हैं ? गीत की योनि क्या है ? इसके उच्छ्‌वासकाल का समयप्रमाण कितना है ? गीत के कितने आकार होते हैं ? सातों स्वर नाभि से उत्पन्न होते हैं। रुदन गीत की योनि है। पादसम – उतना उसका उच्छ्‌वास – काल होता है। गीत के तीन आकार होते हैं – आदि में मृदु, मध्य में तीव्र और अंत मे मंद। इस प्रकार
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 191 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त सरा नाभीओ, हवंति गीयं च रुन्नजोणीयं । पायसमा ऊसासा, तिन्नि य गीयस्स आगारा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १९०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 192 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आइमिउ आरभंता, समुव्वहंता य मज्झयारंमि । अवसाणे य ज्झवेंता, तिन्नि वि गीयस्स आगारा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १९०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 201 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] केसी गायइ महुरं? केसी गायइ खरं च रुक्खं च? । केसी गायइ चउरं? केसी य विलंबियं दुतं केसी? विस्सरं पुण केरिसी? ॥

Translated Sutra: कौन स्त्री मधुर स्वर में गीत गाती है ? पुरुष और रूक्ष स्वर में कौन गाती है ? चतुराई से कौन गाती है ? विलंबित स्वर में कौन गाती है ? द्रुत स्वर में कौन गाती है ? तथा विकृत स्वर में कौन गाती है ? श्यामा स्त्री मधुर स्वर में गीत गाती है, कृष्णवर्णा स्त्री खर और रूक्ष स्वर में, गौरवर्णा स्त्री चतुराई से, कानी स्त्री विलंबित
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 202 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सामा गायइ महुरं, काली गायइ खरं च रुक्खं च । गोरी गायइ चउरं, काणा य विलंबियं, दुतं अंधा ॥ विस्सरं पुण पिंगला ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २०१
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 203 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त सरा तओ गामा, मुच्छणा एगवीसई । ताणा एगूणपन्नासं, समत्तं सरमंडलं ॥

Translated Sutra: इस प्रकार सात स्वर, तीन ग्राम और इक्कीस मूर्च्छनायें होती हैं। प्रत्येक स्वर सात तानों से गाया जाता है, इसलिये उनके उनपचास भेद हो जाते हैं। इस प्रकार स्वरमंडल का वर्णन समाप्त हुआ। सूत्र – २०३, २०४
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 204 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं सत्तनामे।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 205 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अट्ठनामे? अट्ठनामे–अट्ठविहा वयणविभत्ती पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: अष्टनाम क्या है ? आठ प्रकार की वचनविभक्तियों अष्टनाम हैं। वचनविभक्ति के वे आठ प्रकार यह हैं – निर्देश अर्थ में प्रथमा, उपदेशक्रिया के प्रतिपादन में द्वितीया, क्रिया के प्रति साधकतम कारण में तृतीया, संप्रदान में चतुर्थी, अपादान में पंचमी, स्व – स्वामित्वप्रतिपादन में षष्ठी, सन्निधान में सप्तमी और संबोधित
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