Welcome to the Jain Elibrary: Worlds largest Free Library of JAIN Books, Manuscript, Scriptures, Aagam, Literature, Seminar, Memorabilia, Dictionary, Magazines & Articles

Global Search for JAIN Aagam & Scriptures

Search Results (28178)

Show Export Result
Note: For quick details Click on Scripture Name
Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 70 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उवभोगपरिभोगवए दुविहे पन्नत्ते तं जहा–भोअणओ कम्मओ अ, भोअणओ समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा– सचित्ताहारे सचित्तपडिबद्धाहारे अप्पउलिओसहिभक्खणया तुच्छोसहिभक्खणया दुप्पउलि- ओसहिभक्खणया।

Translated Sutra: उपभोग – परिभोग व्रत दो प्रकार से – भोजनविषयक परिमाण और कर्मादानविषयक परिमाण, भोजन सम्बन्धी परिमाण करनेवाले श्रमणोपासक को यह पाँच अतिचार जानने चाहिए। अचित्त आहार करे, सचित्त प्रतिबद्ध आहार करे, अपक्व दुष्पक्व आहार करे, तुच्छ वनस्पति का भक्षण करे। कर्मादान सम्बन्धी नियम करनेवाले को यह पंद्रह कर्मादान जानने
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 72 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अनत्थदंडे चउव्विहे पन्नत्ते तं जहा– अवज्झाणारिए पमत्तायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे अनत्थदंडवेरमणस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा– कंदप्पे कुक्कुइए मोहरिए संजुत्ताहिगरणे उवभोगपरिभोगाइरेगे।

Translated Sutra: अनर्थदंड़ चार प्रकार से बताया है वो इस प्रकार – अपध्यान – प्रमादाचरण – हत्याप्रदान और पापकर्मोपदेश। अनर्थदंड़ विरमण व्रत धारक श्रमणोपासक को यह पाँच अतिचार जानने चाहिए वो इस प्रकार – काम विकार सम्बन्ध से हुआ अतिचार, कुत्सित चेष्टा, मौखर्य, वाचालता, हत्या अधिकरण का इस्तमाल, भोग का अतिरेक।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 73 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सामाइयं नामं सावज्जजोगपरिवज्जणं निरवज्जजोगपडिसेवणं च।

Translated Sutra: सामायिक यानि सावद्य योग का वर्जन और निरवद्य योग का सेवन ऐसे शिक्षा अध्ययन दो तरीके से बताया है। उपपातस्थिति, उपपात, गति, कषायसेवन, कर्मबंध और कर्मवेदन इन पाँच अतिक्रमण का वर्जन करना चाहिए – सभी जगह विरति की बात बताई गई है। वाकई सर्वत्र विरति नहीं होती। इसलिए सर्व विरति कहनेवाले ने सर्व से और देश से (सामायिक)
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 78 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] दिसिव्वयगहियस्स दिसापरिमाणस्स पइदिनं परिमाणकरणं देसावगासियं देसावगासियस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा– आणवणप्पओगे पेसवणप्पओगे सद्दाणुवाए रूवाणुवाए बहिया पुग्गलपक्खेवे।

Translated Sutra: दिक्‌व्रत ग्रहणकर्ता के, प्रतिदिन दिशा का परिमाण करना वो देशावकासिक व्रत। देशावकासिक व्रतधारी श्रमणोपासक को यह पाँच अतिचार जानने चाहिए। वो इस प्रकार – बाहर से किसी चीज लाना, बाहर किसी चीज भेजना, शब्द करके मोजूदगी बताना, रूप से मोजूदगी बताना और बाहर कंकर आदि फेंकना।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 79 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पोसहोववासे चउव्विहे पन्नत्ते तं जहा– आहारपोसहे सरीरसक्कारपोसहे बंभचेरपोसहे अव्वावारपोसहे, पोसहोववासस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा– अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय-सिज्जासंथारए, अप्पमज्जिय-दुप्पमज्जिय-सिज्जासंथारए, अप्पडि-लेहिय-दुप्पडिलेहिय-उच्चारपासवणभूमीओ, अप्पमज्जिय-दुप्पमज्जिय-उच्चारपासवणभूमीओ, पोसहोववासस्स सम्मं अननुपालणया।

Translated Sutra: पौषधोपवास चार तरह से बताया है वो इस प्रकार – आहार पौषध, देह सत्कार पौषध, ब्रह्मचर्य पौषध और अव्यापार पौषध। पौषधोपवास, व्रतधारी श्रमणोपासक को यह पाँच अतिचार जानने चाहिए, वो इस प्रकार – अप्रतिलेखित दुष्प्रतिलेखित, शय्या संथारो, अप्रमार्जित, दुष्प्रमार्जित मल – मूत्र त्याग भूमि, पौषधोपवास की सम्यक्‌ परिपालना
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 80 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अतिहिसंविभागो नाम नायागयाणं कप्पणिज्जाणं अन्नपाणाईणं दव्वाणं देसकालसद्धा-सक्कारकमजुअं पराए भत्तीए आयाणुग्गहबुद्धीए संजयाणं दानं, अतिहिंसविभागस्स समणोवसएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा– सच्चित्तनिक्खेवणया सचित्तपिहणया कालाइक्कमे परवएसे मच्छरिया य।

Translated Sutra: अतिथि संविभाग यानि साधु – साध्वी को कल्पनीय अन्न – पानी देना, देश, काल, श्रद्धा, सत्कार युक्त श्रेष्ठ भक्तिपूर्वक अनुग्रह बुद्धि से संयतो को दान देना। वो अतिथि संविभाग व्रतयुक्त श्रमणोपासक को यह पाँच अतिचार जानने चाहिए। वो इस प्रकार – अचित्त निक्षेप, सचित्त के द्वारा ढूँढ़ना, भोजनकाल बीतने के बाद दान देना,
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 81 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इत्थं पुण समणोवासगधम्मे पंचाणुव्वयाइं तिन्नि गुणव्वयाइं आवकहियाइं चत्तारि सिक्खा-वयाइं इत्तरियाइं एयस्स पुणो समणोवासगधम्मस्स मूलवत्थु सम्मत्तं तं जहा– तं निसग्गेण वा अभिगमेणं वा पंच अइयारविसुद्धं अणुव्वय-गुणव्वयाइं च अभिग्गा अन्नेवि पडिमादओ विसेसकरणजोगा। अपच्छिमा मारणंतिया संलेहणाझूसणाराहणया इमीसे समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा तं जहा– इहलोगासंसप्पओगे, परलोगासंसप्पओगे, जीवियासंसप्पओगे, मरणासंसप्पओगे, काम-भोगासंसप्पओगे।

Translated Sutra: इस प्रकार श्रमणोपासक धर्म में पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और यावत्कथिक या इत्वरकथिक यानि चिरकाल या अल्पकाल के चार शिक्षाव्रत बताए हैं। इन सबसे पहले श्रमणोपासक धर्म में मूल वस्तु सम्यक्त्व है। वो निसर्ग से और अभिमान से दो प्रकार से है। पाँच अतिचार रहित विशुद्ध अणुव्रत और गुणव्रत की प्रतिज्ञा के सिवा दूसरी
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 82 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उग्गए सूरे नमुक्कारसहियं पच्चक्खाइ चउव्विहं पि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणा-भोगेणं सहसागारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: सूर्य नीकलने से आरम्भ होकर नमस्कार सहित अशन, पान, खादिम, स्वादिम से पच्चक्खाण करते हैं। सिवा कि अनाभोग, सहसाकार से (नियम का) त्याग करे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 83 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उग्गए सूरे पोरिसिं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं-असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं सव्वसमाहिवत्ति-आगारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: सूर्योदय से पोरिसी (यानि एक प्रहर पर्यन्त) चार तरह का – अशन, पान, खादिम, स्वादिम का पच्चक्खाण करते हैं। सिवा कि अनाभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल से, दिशा – मोह से, साधु वचन से, सर्व समाधि के हेतुरूप आगार से (पच्चक्खाण) छोड़े।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 84 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सूरे उग्गए पुरिमड्ढं पच्चक्खाइं चउव्विहंपि आहारं-असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्ति-आगारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: सूर्य ऊपर आए तब तक पुरिमड्ढ (सूर्य मध्याह्न में आए तब तक) अशन आदि चार आहार का पच्चक्खाण ( – नियम) करता है। सिवाय कि अनाभोग, सहसाकार, काल की प्रच्छन्नता, दिशामोह, साधुवचन, महत्तरवजह या सर्व समाधि के हेतुरूप आगार से नियम छोड़ दे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 85 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगासणं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं, आउंटणपसारणेणं गुरुअब्भुट्ठाणेणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि वत्ति-आगारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: एकासणा का पच्चक्खाण करता है। (एक बार के अलावा) अशन आदि चार आहार का त्याग करता है। सिवा कि अनाभोग, सहसाकार, सागारिक कारण से, आकुंचन प्रसारण से, गुरु अभ्युत्थान पारिष्ठापनिका कारण से, महत्‌ कारण से या सर्व समाधि के हेतु रूप आगार से (पच्चक्खाण) छोड़ दे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 87 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] आयंबिलं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं-असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं उक्खित्तविवेगेणं गिहत्थसंसट्ठेणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्ति-आगारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: आयंबिल का पच्चक्खाण करता है। (उसमें आयंबिल के लिए एकबार बैठने के अलावा) अशन आदि चार आहार का त्याग करता है। सिवा कि अनाभोग से, सहसाकार से, लेपालेप से, उत्क्षिप्त विवेक से, गृहस्थ संसृष्ट से, पारिष्ठापन कारण से, महत्तर कारण से या सर्व समाधि के लिए (पच्चक्खाण) छोड़ दे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 88 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सूरे उग्गए अभत्तट्ठं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं- असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्ति-आगारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: सूर्य उगने तक भोजन न करने का पच्चक्खाण करता है (अशन आदि चार आहार का त्याग करता है।) सिवा कि अनाभोग सहसाकार, पारिष्ठापनिका और महत्तर कारण से, सर्व समाधि के लिए (पच्चक्खाण) छोड़ दे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 89 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] दिवसचरिमं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं- असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसा-गारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्ति-आगारेणं वोसिरइं।

Translated Sutra: दिन के अन्त में अशन आदि चार प्रकार के आहार का पच्चक्खाण करता है। सिवा कि अनाभोग सहसाकार, महत्तर कारण, सर्व समाधि के हेतु से छोड़ दे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 90 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भवचरिमं पच्चक्खाइ, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्ति- आगारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: भवचरिम यानि जीवन का अन्त दिखते ही (अशन आदि चार आहार का पच्चक्खाण करता है।) (शेष पूर्व सूत्र ८९ अनुसार जानना।)
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-६ पच्चक्खाण

Hindi 92 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निव्विगइयं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं- असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसट्ठेणं उक्खित्तविवेगेणं पडुच्चमक्खिएणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्ति-आगारेणं वोसिरइ।

Translated Sutra: विगई का पच्चक्खाण करता है। सिवा कि अनाभोग सहसाकार, लेपालेप, गृहस्थ संसृष्ट, उत्क्षिप्त विवेक, प्रतीत्यम्रक्षित, परिष्ठापन, महत्तर, सर्व समाधि हेतु। इतने कारण से पच्चक्खाण छोड़ दे।
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-१ सामायिक

Gujarati 1 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र]

Translated Sutra: નમો અરિહંતાણં, નમો સિદ્ધાણં, નમો આયરિયાણં, નમો ઉવજ્‌ઝાયાણં, નમો લોએ સવ્વસાહૂણં, એસો પંચ નમુક્કારો, સવ્વપાવપ્પણાસણો, મંગલાણં ચ સવ્વેસિં, પઢમં હવઈ મંગલં.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-१ सामायिक

Gujarati 2 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करंतं पि अन्नं न समणुजाणामि तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: હે ભદંત ! હું સામાયિક સ્વીકાર કરું છું. જાવજ્જીવને માટે સર્વે સાવદ્ય યોગના પચ્ચક્‌ખાણ કરું છું. (કેવી રીતે?) ત્રિવિધ, ત્રિવિધ વડે (અર્થાત્‌) મન, વચન, કાયા વડે હું (તે) કરું નહીં, કરાવું નહીં, કરનારને અનુમોદું નહીં. હે ભદંત ! હું તેને પ્રતિક્રમું છું, નિંદું છું, ગર્હુ છું. (મારા તે ભૂતકાલીન પર્યાયરૂપ) આત્માને વોસિરાવું
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Gujarati 3 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] लोगस्स उज्जोयगरे धम्मतित्थयरे जिणे । अरिहंते कित्तइस्सं चउवीसंपि केवली ॥

Translated Sutra: લોકમાં ઉદ્યોત કરનાર, ધર્મતીર્થ કરનાર, જિન(રાગ – દ્વેષને જિતનાર), કેવલી એવા ચોવીશે અરિહંતની (અને અન્ય અરિહંતોની) હું સ્તવના કરીશ.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Gujarati 4 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उसभमजियं च वंदे संभवमभिणंदणं च सुमइं च । पउमप्पहं सुपासं जिणं च चंदप्पहं वंदे ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૪. ઋષભ અને અજિતને, સંભવ અભિનંદન અને સુમતિને, પદ્મપ્રભુ સુપાર્શ્વ તથા ચંદ્રપ્રભુ એ સર્વે જિનને હું વંદન કરું છું. સૂત્ર– ૫. સુવિધિ (અથવા)પુષ્પદંતને, શીતલ શ્રેયાંસ અને વાસુપૂજ્યને, વિમલ અને અનંતને, તથા ધર્મ અને શાંતિ જિનને હું વંદન કરું છું. સૂત્ર– ૬. કુંથુ અર અને મલ્લિને, મુનિસુવ્રત અને નમિને, અરિષ્ટનેમિ
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Gujarati 7 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं मए अभिथुआ विहुय-रयमला पहीण-जरमरणा । चउवीसंपि जिणवरा तित्थयरा मे पसीयंतु ॥

Translated Sutra: એ પ્રમાણે મારા વડે સ્તુતિ કરાયેલા, જેના (કર્મ રૂપી) રજમલ ધોવાઈ ગયા છે, જરા અને મરણ જેના પ્રકૃષ્ટપણે ક્ષીણ થયા છે, એવા ચોવીશે પણ જિનવરો – તીર્થંકરો મારા ઉપર પ્રસાદ(કૃપા) કરનારા થાઓ.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Gujarati 8 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कित्तिय वंदिय महिया जेए लोगस्स उत्तमा सिद्धा । आरुग्ग-बोहिलाभं समाहिवरमुत्तमं दिंतु ॥

Translated Sutra: કીર્તિત(લોકો વડે સ્તવના કરાયેલ), વંદિત(લોકો વડે વંદના કરાયેલ), પૂજિત(લોકો વડે પૂજાયેલ), એવા જે લોકમધ્યે ઉત્તમ સિદ્ધો છે, તેઓ મને આરોગ્ય, બોધિલાભ અને ઉત્તમસમાધિ આપો.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Gujarati 9 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चंदेसु निम्मलयरा आइच्चेसु अहियं पयासयरा । सागरवरगंभीरा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु ॥

Translated Sutra: ચંદ્ર કરતા વધુ નિર્મળ, સૂર્યથી વધુ પ્રકાશ કરનારા, શ્રેષ્ઠ સાગર(સ્વયંભૂરમણ સમુદ્ર) જેવા ગંભીર, એવા હે સિદ્ધો(ભગવંતો) મને સિદ્ધિ(મોક્ષ) આપો.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ वंदन

Gujarati 10 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि खमासमणो वंदिउं जावणिज्जाए निसीहियाए, अणुजाणह मे मिउग्गहं निसीहि अहोकायं काय-संफासं खमणिज्जो मे किलामो, अप्पकिलंताणं बहुसुभेण भे दिवसो वइक्कंतो जत्ता भे जवणिज्जं च भे, खामेमि खमासमणो देवसियं वइक्कमं आवस्सियाए पडिक्कमामि खमासमणाणं देवसियाए आसायणाए तित्तीसन्नयराए जं किंचि मिच्छाए मणदुक्कडाए वयदुक्कडाए कायदुक्कडाए कोहाए माणाए मायाए लोभाए सव्वकालियाए सव्वमिच्छोवयाराए सव्वधम्माइक्कमणाए आसायणाए जो मे अइयारो कओ तस्स खमासमणो पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: શિષ્ય કહે છે – હે ક્ષમા (આદિ દશવિધ ધર્મથી યુક્ત) શ્રમણ ! આપને હું ઇન્દ્રિયો તથા મનની વિષયવિકારના ઉપઘાત રહિત, નિર્વિકારી અને નિષ્પાપ કાયા વડે વંદન કરવાને ઇચ્છું છું. મને આપની મર્યાદિત ભૂમિમાં પ્રવેશવાની અનુજ્ઞા આપો. નિસીહી (એમ કહી શિષ્ય અવગ્રહમાં પ્રવેશે.) અધોકાય એટલે આપના ચરણને હું મારી કાયા વડે સ્પર્શુ છું.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 12 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि मंगलं अरहंता मंगलं सिद्धा मंगलं साहू मंगलं केवलिपन्नत्तो धम्मो मंगलं।

Translated Sutra: ચાર પદાર્થો મંગલરૂપ છે – અરિહંત મંગલ છે, સિદ્ધો મંગલ છે, સાધુ મંગલ છે, કેવલિ પ્રજ્ઞપ્ત ધર્મ મંગલ છે.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 13 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि लोगुत्तमा अरहंता लोगुत्तमा सिद्धा लोगुत्तमा साहू लोगुत्तमा केवलिपन्नत्तो धम्मो लोगुत्तमो।

Translated Sutra: લોકમાં ચાર ઉત્તમ છે – અરિહંત લોકોત્તમ છે, સિદ્ધો લોકોત્તમ છે, સાધુ લોકોત્તમ છે, કેવલિ પ્રજ્ઞપ્ત ધર્મ લોકોત્તમ છે.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 15 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि पडिक्कमिउं जो मे देवसिओ अइयारो कओ काइओ वाइओ माणसिओ उस्सुत्तो उम्मग्गो अकप्पो अकरणिज्जो दुज्झाओ दुव्विचिंतिओ अणायारो अणिच्छियव्वो असमणपाउग्गो नाणे दंसणे चरित्ते सुए सामाइए तिण्हं गुत्तीणं चउण्हं कसायाणं पंचण्हं महव्वयाणं छण्हं जीवनिकायाणं सत्तण्हं पिंडेसणाणं अट्ठण्हं पवयणमाऊणं नवण्हं बंभचेरगुत्तीणं दसविहे समणधम्मे समणाणं जोगाणं जं खंडियं जं विराहियं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: હું દિવસ સંબંધી અતિચારોનું પ્રતિક્રમણ કરવાને ઇચ્છું છું. (આ અતિચાર સેવન) – કાયાથી, વચનથી, મનથી કરેલ હોય. ઉત્સૂત્રભાષણ કે ઉન્માર્ગ સેવનથી (હોય). અકલ્પ્ય કે અકરણીયથી (થયેલ હોય). દુર્ધ્યાન કે દુષ્ટ ચિંતવનથી (થયેલ હોય). અનાચારથી, અનિચ્છનીયથી, અશ્રમણપ્રાયોગ્યથી હોય. જ્ઞાન, દર્શન કે ચારિત્ર – શ્રુત અને સામાયિકમાં હોય. ત્રણ
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 16 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए विराहणाए गमणागमणे पाणक्कमणे बीयक्कमणे हरियक्कमणे ओसा-उत्तिंग-पणग-दगमट्टी-मक्कडा-संताणासंकमणे जे मे जीवा विराहिया एगिंदिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया पंचिंदिया अभिहया वत्तिया लेसिया संघाइया संघट्टिया परियाविया किलामिया उद्दविया ठाणाओ ठाणं संकामिया जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: હું ઐર્યાપથિકી પ્રતિક્રમવાને ઇચ્છું છું. ગમનાગમન ક્રિયા દરમિયાન થયેલ વિરાધનામાં (વિરાધના કઈ રીતે થઈ તે કહે છે – ) જતા – આવતા, મારા વડે કોઈ પણ (ત્રસજીવ), બીજ, હરિત (લીલી વનસ્પતિ), ઓસ (ઝાકળ), કીડીના દર, સેવાળ, કીચડ કે કરોળિયાના જાળા વગેરે ચંપાયા હોય. જે કોઈ એકેન્દ્રિય, બેઇન્દ્રિય, તેઇન્દ્રિય, ચતુરિન્દ્રિય કે પંચેન્દ્રિય
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 17 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि पडिक्कमिउं पगामसिज्जाए निगामसिज्जाए संथारा उव्वट्टणाए परियट्टणाए आउंटण-पसारणाए छप्पइयसंघट्टणाए कूइए कक्कराइए छीए जंभाइए आमोसे ससरक्खामोसे आउल-माउलाए सोअणवत्तियाए इत्थीविप्परिआसियाए दिट्ठिविप्परिआसिआए मणविप्परिआ-सिआए पाणभोयणविप्परिआसिआए जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: હું પ્રતિક્રમણ કરવાને ઇચ્છું છું. (શેનું?) પ્રકામ શય્યાથી, નિકામ શય્યાથી, સંથારામાં પડખા ફેરવવાથી, પુનઃ તે જ પડખે ફરવાથી, આકુંચન – પ્રસારણ કરવાથી, જૂ વગેરે જીવોના સંઘટ્ટનથી, ખાંસતા – કચકચ કરતા – છીંક કે બગાસું ખાતા (મુહપત્તિ ન રાખવાથી), આમર્ષથી, સરજસ્ક વસ્તુને સ્પર્શવાથી, આકુળ – વ્યાકુળતાથી, સ્વપ્ન નિમિત્તે,
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 18 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि गोचरचरिआए भिक्खायरिआए उग्घाडकवाडउग्घाडणाए साणा-वच्छा-दारसंघट्टणाए मंडी-पाहुडियाए बलि-पाहुडियाए ठवणा-पाहुडियाए संकिए सहसागारे अणेसणाए [पाणेसणाए] पाणभोयणाए बीयभोयणाए हरियभोयणाए पच्छाकम्मियाए पुरेकम्मियाए अदिट्ठहडाए दगसंसट्ठहडाए रयसंसट्ठहडाए परिसाडणियाए पारिट्ठावणियाए ओहासणभिक्खाए जं उग्गमेणं उप्पायणेसणाए अपरिसुद्धं परिग्गहियं परिभुत्तं वा जं न परिट्ठवियं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: હું પ્રતિક્રમણ કરું છું. (શેનું?) ભિક્ષા માટે ગૌચરી ફરવામાં લાગેલા અતિચારોનું (કઈ રીતે?) બંધ કરેલા બારણા – જાળી વગેરે ઉઘાડવાથી, કૂતરા – વાછરડાં કે નાના બાળકનો સંઘટ્ટો થવાથી, મંડી પ્રાભૃતિક, બલિ પ્રાભૃતિક કે સ્થાપના પ્રાભૃતિક લેવાથી, શંકિત – સહસાકારિત (આહાર લેવાથી), અનેષણાથી, જીવોવાળી વસ્તુનું – બીજનું કે હરિતનું
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 19 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि चाउक्कालं सज्झायस्स अकरणयाए उभओकालं भंडोवगरणस्स अप्पडिलेहणाए दुप्पडिलेहणाए अप्पमज्जणाए दुप्पमज्जणाए अइक्कमे वइक्कमे अइयारे अणायारे जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: હું પ્રતિક્રમણ કરું છું. (શેનું?) ચાર કાળ સ્વાધ્યાય ન કરવા. રૂપ અતિચારોનું, ઉભયકાળ ભાંડ અને ઉપકરણની પડિલેહણા ન કરી કે દુષ્ટ પડિલેહણા કરી, પ્રમાર્જના ન કરી કે દુષ્પ્રમાર્જના કરી, અતિક્રમ – વ્યતિક્રમ – અતિચાર કે અનાચારના સેવનરૂપ મેં જે કોઈ દૈવસિક અતિચાર કર્યો હોય, તેનું મિચ્છામિ દુક્કડમ્‌ – મારું દુષ્કૃત મિથ્યા
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 20 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि एगविहे असंजमे, पडिक्कमामि दोहिं बंधणेहिं-रागबंधणेणं दोसबंधणेणं, पडिक्कमामि तिहिं दंडेहिं-मणदंडेणं वयदंडेणं कायदंडेणं, पडिक्कमामि तिहिं गुत्तीहिं-मणगुत्तीए वइगुत्तीए कायगुत्तीए।

Translated Sutra: હું પ્રતિક્રમણ કરું છું. (શેનું ?) એકવિધ અસંયમનું. હું પ્રતિક્રમણ કરું છું (શેનું ?) બે પ્રકારના બંધનો – રાગરૂપ બંધનનું અને દ્વેષરૂપ બંધનનું. હું પ્રતિક્રમણ કરું છું (શેનું ?) ત્રણ દંડ – મન દંડ વડે, વચન દંડ વડે, કાય દંડ વડે (થયેલા અતિચારોનું) હું પ્રતિક્રમણ કરું છું – ત્રણ ગુપ્તિ – મનોગુપ્તિ વડે, વચનગુપ્તિ વડે, કાયગુપ્તિ
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 21 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि तिहिं सल्लेहिं- मायासल्लेणं निआणसल्लेणं मिच्छादंसणसल्लेणं, पडिक्कमामि तिहिं गारवेहिं इड्ढीगारवेणं रसगारवेणं सायागारवेणं, पडिक्कमामि तिहिं विराहणाहिं- नाणाविराहणाए दंसणविराहणाए चरित्तविराहणाए, पडिक्कमामि चउहिं कसाएहिं-कोहकसाएणं माणकसाएणं मायाकसाएणं लोभकसाएणं, पडिक्कमामि चउहिं सण्णाहिं-आहारसण्णाए भयसण्णाए मेहुणसण्णाए परिग्गहसण्णाए, पडिक्कमामि चउहिं विकहाहिं- इत्थिकहाए भत्तकहाए देसकहाए रायकहाए, पडिक्कमामि चउहिं झाणेहिं-अट्टेणं झाणेणं रुद्देणं झाणेणं धम्मेणं झाणेणं सुक्केणं झाणेणं।

Translated Sutra: હું પ્રતિક્રમું છું (કોને ?) ત્રણ શલ્ય – માયા, નિદાન અને મિથ્યાદર્શન શલ્યથી થયેલા અતિચારોને. હું પ્રતિક્રમું છું, ત્રણ ગારવો – ઋદ્ધિ ગારવ, રસ ગારવ અને શાતા ગારવ વડે થયેલા અતિચારોને. હું પ્રતિક્રમું છું, ત્રણ વિરાધના – જ્ઞાનવિરાધના, દર્શનવિરાધના, ચારિત્રવિરાધના વડે થયેલા અતિચારોને. હું પ્રતિક્રમું છું, ચાર
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 22 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि पंचहिं किरियाहिं काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए पारितावणियाए पाणाइवायकिरियाए।

Translated Sutra: કાયિકી, અધિકરણિકી, પ્રાદ્વેષિકી, પારિતાપનિકી, પ્રાણાતિપાતિકી એ પાંચ ક્રિયાઓનું હું પ્રતિક્રમણ કરું છું.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 23 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि पंचहिं कामगुणेहिं- सद्देणं रूवेणं गंधेणं रसेणं फासेणं, पडिक्कमामि पंचहिं महव्वएहिं-पाणाइवायाओ वेरमणं मुसावायाओ वेरमणं अदिन्नादाणाओ वेरमणं मेहुणाओ वेरमणं परिग्गहाओ वेरमणं, पडिक्कमामि पंचहिं समईहिं- इरियासमिईए भासासमिईए एसणासमिईए आयाणभंड-मत्तनिक्खेवणासमिईए उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमिईए।

Translated Sutra: હું શબ્દ, રૂપ, રસ, ગંધ, સ્પર્શ એ પાંચ વડે લાગતા અતિચારોને પ્રતિક્રમું છું. હું પાંચ મહાવ્રતો – પ્રાણાતિપાત વિરમણ, મૃષાવાદ વિરમણ, અદત્તાદાન વિરમણ, મૈથુન વિરમણ અને પરિગ્રહ વિરમણને આચરતા લાગેલા અતિચારોને પ્રતિક્રમું છું. હું પાંચ સમિતિ – ઇર્યાસમિતિ, ભાષાસમિતિ, એષણાસમિતિ, આદાનભાંડ માત્ર નિક્ષેપણા સમિતિ અને ઉચ્ચાર
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 24 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि छहिं जीवनिकाएहिं- पुढविकाएणं आउकाएणं तेउकाएणं वाउकाएणं वणस्सइकाएणं तसकाएणं, पडिक्कमामि छहिं लेसाहिं किण्हलेसाए नीललेसाए काउलेसाए तेउलेसाए पम्हलेसाए सुक्कलेसाए, पडिक्कमामि सत्तहिं भयट्ठाणेहिं, अट्ठहिं मयट्ठाणेहिं, नवहिं बंभचेरगुत्तीहिं, दसविहे समण-धम्मे, एक्कारसहिं उवासगपडिमाहिं, बारसहिं भिक्खुपडिमाहिं, तेरसहिं किरियाट्ठाणेहिं।

Translated Sutra: હું છ જીવનિકાય – પૃથ્વીકાય, અપ્‌કાય, તેઉકાય, વાયુકાય, વનસ્પતિકાય અને ત્રસકાયની વિરાધનાથી થયેલ અતિચારો પ્રતિક્રમું છું. હું છ લેશ્યા – કૃષ્ણ લેશ્યા, નીલ લેશ્યા, કાપોત લેશ્યા, તેજોલેશ્યા, પદ્મલેશ્યા અને શુક્લ લેશ્યા નિમિત્તે થયેલ અતિચારોને પ્રતિક્રમું છું. હું પ્રતિક્રમું છું – સાત ભયસ્થાનોથી૦, આઠ મદસ્થાનોથી૦,
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 25 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चउद्दसहिं भूयगामेहिं, पन्नरसहिं परमाहम्मिएहिं, सोलसहिं गाहासोलसएहिं, सत्तरसविहे असंजमे, अट्ठारसविहे अबंभे, एगूणवीसाए नायज्झयणेहिं, वीसाए असमाहिट्ठाणेहिं।

Translated Sutra: હું પ્રતિક્રમણ કરું છું. (શેનું?) ચૌદ ભૂતગ્રામોથી, પંદર પરમાધામીથી, સોળ ગાથા ષોડશકથી, સત્તર ભેદે સંયમથી, અઢાર ભેદે અબ્રહ્મથી, ઓગણીસ જ્ઞાત અધ્યયનોથી, વીસ અસમાધિ સ્થાનોથી (લાગેલ અતિચારોનું.)
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 26 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगवीसाए-सबलेहिं, बावीसाए-परीसहेहिं, तेवीसाए-सुयगडज्झयणेहिं, चउवीसाए-देवेहिं, पंचवीसाए-भावणाहिं, छव्वीसाए-दसाकप्पववहाराणं उद्देसणकालेहिं, सत्तावीसाए-अणगारगुणेहिं अट्ठावीसइविहे-आयारपकप्पेहिं, एगुणतीसाए-पावसुयपसंगेहिं तीसाए-मोहणीयट्ठाणेहिं एगतीसाए -सिद्धाइगुणेहिं, बत्तीसाए-जोगसंगहेहिं।

Translated Sutra: એકવીસ શબલદોષ, બાવીશ પરીષહો, તેવીશ સૂત્રકૃત્‌ આગમના કુલ અધ્યયનો, ચોવીશ દેવો, પચીશ ભાવના, છવીશ – દશાશ્રુતસ્કંધ બૃહત્‌ કલ્પ અને વ્યવહાર એ ત્રણેના મળીને ઉદ્દેશનકાળ, સત્તાવીશ પ્રકારે અણગારનું ચારિત્ર, અટ્ઠાવીશ ભેદે આચાર પ્રકલ્પ, ઓગણત્રીશ ભેદે પાપશ્રુતના પ્રસંગો વડે, ત્રીશ મોહનીય સ્થાનો વડે, એકત્રીશ સિદ્ધોના
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 28 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अरिहंताणं आसायणाए सिद्धाणं आसायणाए आयरियाणं आसायणाए उवज्झायाणं आसायणाए साहूणं आसायणाए साहुणीणं आसायणाए सावयाणं आसायणाए सावियाणं आसायणाए देवाणं आसायणाए देवीणं आसायणाए इहलोगस्स आसायणाए परलोगस्स आसायणाए केवलिपन्नत्तस्सधम्मस्स आसायणाए सदेवमणुयासुरस्सलोगस्स आसायणाए सव्वपाणभूयजीव-सत्ताणं आसायणाए कालस्स आसायणाए सुयस्स आसायणाए सुयदेवयाए आसायणाए वायणायरियस्स आसायणाए।

Translated Sutra: (૧) અરિહંતોની આશાતના, (૨) સિદ્ધોની આશાતના, (૩) આચાર્યની આશાતના, (૪) ઉપાધ્યાયની આશાતના, (૫) સાધુની આશાતના, (૬) સાધ્વીની આશાતના, (૭) શ્રાવકની આશાતના, (૮) શ્રાવિકાની આશાતના, (૯) દેવોની આશાતના, (૧૦) દેવીની આશાતના, (૧૧) આલોક સંબંધી આશાતના, (૧૨) પરલોક સંબંધી આશાતના, (૧૩) કેવલિ પ્રજ્ઞપ્ત ધર્મની આશાતના, (૧૪) દેવ – મનુષ્ય – અસુર લોક સંબંધી
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 29 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जं वाइद्धं वच्चामेलियं हीणक्खरं अच्चक्खरं पयहीणं विणयहीणं घोसहीणं जोगहीणं सुट्ठुदिन्नं दुट्ठंपडिच्छियं अकाले कओसज्झाओ काले न कओ सज्झाओ असज्झाइए-सज्झाइयं सज्झाइए-न-सज्झाइयं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: (૧) જે વ્યાવિદ્ધ, (૨) વ્યત્યમેલિત, (૩) હીનાક્ષરિક, (૪) અતિ અક્ષરિક, (૫) પદહીન, (૬) વિનયહીન, (૭) ઘોષ હીન, (૮) યોગહીન, (૯, ૧૦) સુષ્ઠુદત્ત દુષ્ઠુ પ્રતિચ્છિત, (૧૧) અકાલે સ્વાધ્યાય કરવો, (૧૨) કાળે ન કરવો, (૧૩) અસ્વાધ્યાયમાં સ્વાધ્યાય, (૧૪) સ્વાધ્યાયમાં અસ્વાધ્યાય કરવો. તે બધાનું મિચ્છામિ દુક્કડમ્‌.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 31 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इणमेव निग्गंथं पावयणं सच्चं अनुत्तरं केवलियं पडिपुन्नं नेआउयं संसुद्धं सल्लगत्तणं सिद्धिमग्गं मुत्तिमग्गं निज्जाणमग्गं निव्वाणमग्गं अवितहमविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गं इत्थं ठिया जीवा सिज्झंति बुज्झंति मुच्चंति परिनिव्वायंति सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति।

Translated Sutra: આ નિર્ગ્રન્થ પ્રવચન સત્ય, અનુત્તર, કૈવલિક, પ્રતિપૂર્ણ, નૈયાયિક, સંશુદ્ધ, શલ્યકર્ત્તક, સિદ્ધિનો માર્ગ, મુક્તિનો માર્ગ, નિર્વાણનો માર્ગ, નિર્યાણનો માર્ગ, અવિતથ, અવિસંધિ, સર્વ દુઃખનો પ્રક્ષીણ માર્ગ છે. આમાં સ્થિત જીવો સિદ્ધ થાય છે, બોધ પામે છે, મુક્ત થાય છે, પરિનિર્વાણ પામે છે અને સર્વે દુઃખોનો અંત કરે છે.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 32 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तं धम्मं सद्दहामि पत्तियामि रोएमि फासेमि पालेमि अनुपालेमि तं धम्मं सद्दहंतो पत्तियंतो रोएंतो फासेंतो पालंतो अनुपालंतो तस्स धम्मस्स केवलि पन्नत्तस्स अब्भुट्ठिओमि आराहणाए विरओमि विराहणाए– असंजमं परियाणामि संजमं उवसंपज्जामि अबंभं परियाणामि बंभ उवसंपज्जामि अकप्पं परियाणामि कप्पं उवसंपज्जामि अन्नाणं परियाणामि नाणं उवसंपज्जामि अकिरियं परियाणामि किरियं उवसंपज्जामि मिच्छत्तं परियाणामि सम्मत्तं उवसंपज्जामि अबोहिं परियाणामि बोहिं उवसंपज्जामि अमग्गं परियाणामि मग्गं उवसंपज्जामि

Translated Sutra: તે ધર્મની હું શ્રદ્ધા કરું છું. પ્રીતિ કરું છું. રૂચિ કરું છું. પાલન – સ્પર્શના કરું છું. અનુપાલન કરું છું. તે ધર્મની શ્રદ્ધા કરતો, પ્રીતિ કરતો, રૂચિ કરતો, સ્પર્શના કરતો, અનુપાલન કરતો હું – તે ધર્મની આરાધનામાં ઉદ્યત થયો છું, વિરાધનાથી અટકેલો છું (તેના જ માટે) અસંયમને જાણીને તજુ છું અને સંયમનો સ્વીકારું છું. અબ્રહ્મને
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 33 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जं संभरामि जं च न संभरामि, जं पडिक्कमामि जं च न पडिक्कमामि, तस्स सव्वस्स देवसियस्स अइयारस्स पडिक्कमामि समणोहं संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खाय-पावकम्मो अनियाणो दिट्ठिसंपन्नो मायामोस-विवज्जओ।

Translated Sutra: જે કંઈ મને સ્મરણમાં છે, જે કંઈ સ્મરણમાં નથી. જેનું મેં પ્રતિક્રમણ કર્યુ અને જે (અજાણ)નું પ્રતિક્રમણ ન કર્યું. તે (સર્વે)ના દિવસ સંબંધી અતિચારોને હું પ્રતિક્રમું છું. હું શ્રમણ છું, સંયત – વિરત – પ્રતિહત અને પ્રત્યાખ્યાત પાપકર્મ વાળો છું, નિયાણા રહિત છું, દૃષ્ટિ સંપન્ન અને માયામૃષા રહિત છું.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 34 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अड्ढाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पन्नरससु कम्मभूमीसु जावंत केई साहू रयहरण-गुच्छ-पडिग्गहधरा पंचमहव्वयधरा अट्ठारस सहस्स सीलंगधरा अक्खयायारचरित्ता ते सव्वे सिरसा मणसा मत्थएण वंदामि।

Translated Sutra: અઢીદ્વીપ અને બે સમુદ્રમાંની પંદર કર્મભૂમિમાં જે કોઈ સાધુઓ રજોહરણ, ગુચ્છા તથા પાત્રાને ધારણ કરનારા, પંચ મહાવ્રતના ધારક, ૧૮,૦૦૦ શીલાંગના ધારક, અક્ષત આચાર ચારિત્રવાળા, તે બધાને શિર વડે, અંતઃકરણથી મસ્તક નમાવીને હું વાંદુ છું.
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Gujarati 35 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] खामेमि सव्वजीवे सव्वे जीवा खमंतु मे । भित्ती मे सव्वभूएसु वेरं मज्झ न केणई ॥

Translated Sutra: હું સર્વે જીવોને ખમાવું છું, બધા જીવો મને ક્ષમા કરો. મારે સર્વ જીવો સાથે મૈત્રી છે, મારે કોઈ સાથે વૈર નથી એ પ્રમાણે મેં આલોચના કરી છે, સમ્યક્‌ નિંદા કરી છે, ગર્હા કરી છે, દુગંછા કરી છે. હું તે અતિચારોને ત્રિવિધે પ્રતિક્રમતો ચોવીશે જિનને વંદુ છું. સૂત્ર સંદર્ભ– ૩૫, ૩૬
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Gujarati 39 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स उत्तरीकरणेणं पायच्छित्तकरणेणं विसोहीकरणेणं विसल्लीकरणेणं पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए ठामि काउसग्गं। ------------------------------------------------ अन्नत्थ ऊससिएणं नीससिएणं खासिएणं छीएणं जंभाइएणं उड्डएणं वायनिसग्गेणं भमलीए पित्तमुच्छाए सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं सुहुमेहिं दिट्ठिसंचालेहिं एवमाइएहिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ हुज्ज मे काउस्सग्गो जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि तावकायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: તેનું ઉત્તરીકરણ કરવા માટે, પ્રાયશ્ચિત્ત કરવા વડે, વિશુદ્ધિ કરવા વડે, શલ્ય રહિત કરવા વડે પાપકર્મોના નિર્ઘાતનને માટે હું કાયોત્સર્ગમાં સ્થિર થાઉં છું. અન્નત્થ (સિવાય કે, નીચેના કારણો સિવાય) શ્વાસ લેવાથી, શ્વાસ મૂકવાથી, ઉધરસથી, છીંકથી, બગાસાથી, ઓડકારથી, વાતનિસર્ગથી, ભ્રમરીથી, પિત્ત મૂર્છાથી. સૂક્ષ્મ અંગ સંચાલનથી,
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Gujarati 40 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] लोगस्स उज्जोयगरे धम्मतित्थयरे जिणे । अरिहंते कित्तइस्सं चउवीसंपि केवली ॥

Translated Sutra: ‘લોગસ્સ ઉજ્જોઅગરે૦ સાત ગાથાનું એવું આ સૂત્ર પૂર્વે બીજા અધ્યયનમાં સૂત્ર – ૩ થી ૯ ના ક્રમમાં કહેવાયેલ છે, તે જોઈ લેવું. સૂત્ર સંદર્ભ– ૪૦–૪૬
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Gujarati 47 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सव्वलोए अरहंत चेइयाणं करेमि काउस्सग्गं वंदणवत्तियाए पूअणवत्तियाए सक्कारवत्तियाए सम्माणवत्तियाए बोहिलाभवत्तियाए निरुवसग्गवत्तियाए सद्धाए मेहाए धिईए धारणाए अणुप्पेहाए वड्ढमाणीए ठामि काउस्सग्गं।

Translated Sutra: લોકમાં રહેલા સર્વે અરહંતચૈત્ય – અરહંત પ્રતિમાને આશ્રીને – તેમનું આલંબન લઈને હું કાયોત્સર્ગ કરું છુ. (કેવી રીતે ?) વંદન નિમિત્તે, પૂજન નિમિત્તે, સત્કાર નિમિત્તે, સન્માન નિમિત્તે, બોધિલાભ નિમિત્તે, નિરૂપસર્ગ (મોક્ષ) નિમિત્તે. વધતી જતી – શ્રદ્ધા વડે, મેધા વડે, ધૃતિ વડે, ધારણા વડે અને અનુપ્રેક્ષાથી હું કાયોત્સર્ગમાં
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Gujarati 48 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुक्खरवरदीवड्ढे धायइसंडे य जंबुद्दीवे य । भरहेरवय विदेहे धम्माइगरे नमंसामि ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૪૮. અર્દ્ધ પુષ્કરવરદ્વીપ, ધાતકીખંડ અને જંબૂદ્વીપ (એ અઢીદ્વીપ)માં આવેલ ભરત, ઐરવત અને વિદેહ ક્ષેત્રમાં રહેલા શ્રુત ધર્મના આદિ કરોને હું નમસ્કાર કરું છું. સૂત્ર– ૪૯. અજ્ઞાનરૂપી અંધકારના સમૂહનો નાશ કરનાર, દેવ અને નરેન્દ્રોના સમૂહથી પૂજાયેલ, મોહની જાળને તોડી નાંખનારા, મર્યાદાધરને વંદુ છું. સૂત્ર– ૫૦. જન્મ
Aavashyakasutra આવશ્યક સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Gujarati 50 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जाईजरामरण सोग पणासणस्स, कल्लाणपुक्खल विसालसुहावहस्स । को देवदानवनरिंदगणच्चिअस्स, धम्मस्ससारमुवलब्भकरे पमायं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૪૮
Showing 51 to 100 of 28178 Results