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Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

नैरयिक उद्देशक-१ Hindi 93 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लातो चरिमंताओ हेट्ठिल्ले चरिमंते, एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते? गोयमा! एक्कं जोयणसहस्सं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लातो चरिमंताओ वइरस्स कंडस्स उवरिल्ले चरिमते, एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते? गोयमा! एक्कं जोयणसहस्सं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लाओ चरिमंताओ वइरस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते? गोयमा! दो जोयणसहस्साइं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते। एवं कंडेकंडे दो दो आलावगा

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमांत से नीचे के चरमान्त के बीच कितना अन्तर कहा गया है ? गौतम ! एक लाख अस्सी हजार योजन। रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमान्त से खरकांड के नीचे के चरमान्त के बीच सोलह हजार योजन का अन्तर है। रत्नप्रभापृथ्वी के ऊपर के चरमान्त से रत्नकांड के नीचे के चरमान्त के बीच एक हजार योजन
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Hindi 225 Gatha Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चउवीसं ससिरविणो, नक्खत्तसता य तिन्नि छत्तीसा । एगं च गहसहस्सं, छप्पन्नं धायईसंडे ॥

Translated Sutra: गौतम ! धातकीखण्डद्वीप में बारह चन्द्र उद्योत करते थे, करते हैं और करेंगे। बारह सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे। १३६ नक्षत्र योग करते थे, करते हैं, करेंगे। १०५६ महाग्रह चलते थे, चलते हैं और चलेंगे। ८०३७०० कोड़ाकोड़ी तारागण शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होंगे। सूत्र – २२५–२२७
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Hindi 247 Gatha Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिन्नि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । नक्खत्ताणं तु भवे सोलाइ दुवे सहस्साइं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २४५
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Hindi 287 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मानुसुत्तरे णं भंते! पव्वते केवतियं उड्ढं उच्चत्तेणं? केवतियं उव्वेहेणं? केवतियं मूले विक्खंभेणं? केवतियं मज्झे विक्खंभेणं? केवतियं उवरिं विक्खंभेणं? केवतियं अंतो गिरिपरिरएणं? केवतियं बाहिं गिरिपरिरएणं? केवतियं मज्झे गिरि परिरएणं? केवतियं उवरिं गिरिपरिरएणं? गोयमा! मानुसुत्तरे णं पव्वते सत्तरस एक्कवीसाइं जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, चत्तारि तीसे जोयणसए कोसं च उव्वेहेणं, मूले दसबावीसे जोयणसते विक्खंभेणं, मज्झे सत्ततेवीसे जोयणसते विक्खंभेणं, उवरि चत्तारिचउवीसे जोयणसते विक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साइं दोन्नि य अउणापण्णे

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! मानुषोत्तरपर्वत की ऊंचाई कितनी है ? उसकी जमीन में गहराई कितनी है ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! मानुषोत्तरपर्वत १७२१ योजन पृथ्वी से ऊंचा है। ४३० योजन और एक कोस पृथ्वी में गहरा है। यह मूल में १०२२ योजन चौड़ा है, मध्य में ७२३ योजन चौड़ा और ऊपर ४२४ योजन चौड़ा है। पृथ्वी के भीतर की इसकी परिधि १,४२,३०,२४९ योजन है।
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

नैरयिक उद्देशक-१ Gujarati 93 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लातो चरिमंताओ हेट्ठिल्ले चरिमंते, एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते? गोयमा! एक्कं जोयणसहस्सं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लातो चरिमंताओ वइरस्स कंडस्स उवरिल्ले चरिमते, एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते? गोयमा! एक्कं जोयणसहस्सं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लाओ चरिमंताओ वइरस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते? गोयमा! दो जोयणसहस्साइं अबाधाए अंतरे पन्नत्ते। एवं कंडेकंडे दो दो आलावगा

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ રત્નપ્રભાના ઉપરના ચરમાંતથી નીચેના ચરમાંતનું કેટલું અબાધા અંતર કહ્યું છે ? ગૌતમ ! ૧,૮૦,૦૦૦ યોજન. ભગવન્‌ ! આ રત્નપ્રભાના ઉપરના ચરમાંતથી ખરકાંડના નીચેના ચરમાંત સુધી અબાધા અંતર કેટલું છે ? ગૌતમ ! ૧૬,૦૦૦ યોજન. ભગવન્‌! આ રત્નપ્રભાના ઉપરના ચરમાંતથી રત્નકાંડના નીચેના ચરમાંત સુધી કેટલું અબાધા અંતર છે? ગૌતમ!
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Gujarati 225 Gatha Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चउवीसं ससिरविणो, नक्खत्तसता य तिन्नि छत्तीसा । एगं च गहसहस्सं, छप्पन्नं धायईसंडे ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૨૪
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Gujarati 247 Gatha Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिन्नि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । नक्खत्ताणं तु भवे सोलाइ दुवे सहस्साइं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૫
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Gujarati 287 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मानुसुत्तरे णं भंते! पव्वते केवतियं उड्ढं उच्चत्तेणं? केवतियं उव्वेहेणं? केवतियं मूले विक्खंभेणं? केवतियं मज्झे विक्खंभेणं? केवतियं उवरिं विक्खंभेणं? केवतियं अंतो गिरिपरिरएणं? केवतियं बाहिं गिरिपरिरएणं? केवतियं मज्झे गिरि परिरएणं? केवतियं उवरिं गिरिपरिरएणं? गोयमा! मानुसुत्तरे णं पव्वते सत्तरस एक्कवीसाइं जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, चत्तारि तीसे जोयणसए कोसं च उव्वेहेणं, मूले दसबावीसे जोयणसते विक्खंभेणं, मज्झे सत्ततेवीसे जोयणसते विक्खंभेणं, उवरि चत्तारिचउवीसे जोयणसते विक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साइं दोन्नि य अउणापण्णे

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! માનુષોત્તર પર્વતની ઊંચાઈ કેટલી છે ? જમીનમાં ઊંડાઈ કેટલી છે ? મૂળમાં કેટલો પહોળો છે ? મધ્યે કેટલો પહોળો છે ? શિખરે કેટલો પહોળો છે ? તેની અંદરની પરિધિ કેટલી છે ? બહારની પરિધિ કેટલી છે ? મધ્યમાં પરિધિ કેટલી છે ? ઉપરની પરિધિ કેટલી છે ? ગૌતમ ! ગૌતમ ! માનુષોત્તર પર્વત ૧૭૨૧ યોજન ઊંચો છે. ૪૩૦ યોજન અને એક કોશ પૃથ્વીમાં
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति

चंद्र सूर्य अने तेना द्वीप Gujarati 300 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] हारद्दीवे हारभद्द हारमहाभद्दा एत्थ हारसमुद्दे हारवरहारवरमहावरा एत्थ दो देवा महिड्ढीया हारवरे दीवे हारवरभद्दहारवरमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्ढीया हारवरोए समुद्दे हारवरहारवर महावरा एत्थ हारवराभासे दीवे हारवरावभासभद्द हारवरावभासमहाभद्दा एत्थ हारवरावभासोए समुद्दे हारवराव-भासवर-हारवरावभासमहावरा एत्थ एवं सव्वेवि तिपडोयारा नेतव्वा जाव सूरवरोभासोए समुद्दे दीवेसु भद्दनामा वरणामा होंति उद्दहीसु जाव पच्छिमभावं च खोत्तवरादीसु सयंभूरमणपज्जंतेसु वावीओ खोओदगपडिहत्थाओ पव्वयका य सव्ववइरामया देवदीवे दीवे दो देवा महिड्ढीया देवभद्द देवमहाभद्दा एत्थ देवोदे

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૯૬
Mahanishith महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ कुशील लक्षण

Hindi 494 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] (१) से भयवं किमेयस्स अचिंत-चिंतामणि-कप्प-भूयस्स णं पंचमंगल-महासुयक्खंधस्स सुत्तत्थं पन्नत्तं गोयमा (२) इयं एयस्स अचिंत-चिंतामणी-कप्प-भूयस्स णं पंचमंगल-महासुयक्खंधस्स णं सुत्तत्थं-पन्नत्तं (३) तं जहा–जे णं एस पंचमं-गल-महासुयक्खंधे से णं सयलागमंतरो ववत्ती तिल-तेल-कमल-मयरंदव्व सव्वलोए पंचत्थिकायमिव, (४) जहत्थ किरियाणुगय-सब्भूय-गुणुक्कित्तणे, जहिच्छिय-फल-पसाहगे चेव परम-थुइवाए (५) से य परमथुई केसिं कायव्वा सव्व-जगुत्तमाणं। (६) सव्व-जगुत्तमुत्तमे य जे केई भूए, जे केई भविंसु, जे केई भविस्संति, ते सव्वे चेव अरहंतादओ चेव नो नमन्ने ति। (७) ते य पंचहा १ अरहंते, २ सिद्धे, ३ आयरिए,

Translated Sutra: हे भगवंत ! क्या यह चिन्तामणी कल्पवृक्ष समान पंच मंगल महाश्रुतस्कंध के सूत्र और अर्थ को प्ररूपे हैं ? हे गौतम ! यह अचिंत्य चिंतामणी कल्पवृक्ष समान मनोवांछित पूर्ण करनेवाला पंचमंगल महा श्रुतस्कंध के सूत्र और अर्थ प्ररूपेल हैं। वो इस प्रकार – जिस कारण के लिए तल में तैल, कमल में मकरन्द, सर्वलोक में पंचास्तिकाय
Mahanishith महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ कुशील संसर्ग

Hindi 682 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से भयवं किं ते साहुणो तस्स णं णाइल सड्ढगस्स छंदेणं कुसीले उयाहु आगम जुत्तीए गोयमा कहं सड्ढगस्स वरायस्सेरिसो सामत्थो जे णं तु सच्छंदत्ताए महानुभावाणं सुसाहूणं अवन्नवायं भासे तेणं सड्ढगेणं हरिवंस तिलय मरगयच्छ-विणो बावीसइम धम्म तित्थयर अरिट्ठनेमि नामस्स सयासे वंदन वत्तियाए गएणं आयारंगं अनंत गमपज्जवेहिं पन्नविज्जमाणं सम-वधारियं। तत्थ य छत्तीसं आयारे पन्नविज्जंति। तेसिं च णं जे केइ साहू वा साहुणी वा अन्नयरमायारमइक्कमेज्जा, से णं गारत्थीहिं उवमेयं। अहन्नहा समनुट्ठे वाऽऽयरेज्जा वा पन्नवेज्जा वा तओ णं अनंत संसारी भवेज्जा। ता गोयमा जे णं तु मुहनंतगं अहिगं

Translated Sutra: हे भगवंत ! क्या वो पाँच साधु को कुशील रूप में नागिल श्रावक ने बताया वो अपनी स्वेच्छा से या आगम शास्त्र के उपाय से ? हे गौतम ! बेचारे श्रावक को वैसा कहने का कौन – सा सामर्थ्य होगा ? जो किसी अपनी स्वच्छन्द मति से महानुभाव सुसाधु के अवर्णवाद बोले वो श्रावक जब हरिवंश के कुलतिलक मरकत रत्न समान श्याम कान्तिवाले बाईसवें
Mahanishith महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ नवनीतसार

Hindi 724 Gatha Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अपुव्व-नाण-गहणे थिर-परिचिय-धारणेक्कमुज्जुत्ते। सुत्तं अत्थं उभयं जाणंति अणुट्ठयंति सया॥

Translated Sutra: अपूर्व ज्ञान ग्रहण करने के लिए, धारणा करने में अति उद्यम करनेवाले शिष्य जिसमें हो, सूत्र, अर्थ और उभय को जो जानते हैं और वो हंमेशा उद्यम करते हैं, ज्ञानाचार के आँठ, दर्शनाचार के आँठ, चारित्राचार के आँठ (तपाचार के बारह) और वीर्याचार के छत्तीस आचार, उसमें बल और वीर्य छिपाए बिना अग्लानि से काफी एकाग्र मन, वचन, काया
Mahanishith महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ नवनीतसार

Hindi 818 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अन्नं च–जइ एते तव संजम किरियं अनुपालेहिंति, तओ एतेसिं चेव सेयं होहिइ, जइ न करेहिंति, तओ एएसिं चेव दुग्गइ-गमणमनुत्तरं हवेज्जा। नवरं तहा वि मम गच्छो समप्पिओ, गच्छाहिवई अहयं भणामि। अन्नं च– जे तित्थयरेहिं भगवंतेहिं छत्तीसं आयरियगुणे समाइट्ठे तेसिं तु अहयं एक्कमवि नाइक्कमामि, जइ वि पाणोवरमं भवेज्जा। जं च आगमे इह परलोग विरुद्धं तं णायरामि, न कारयामि न कज्जमाणं समनुजाणामि। तामेरिसगुण जुत्तस्सावि जइ भणियं न करेंति ताहमिमेसिं वेसग्गहणा उद्दालेमि। एवं च समए पन्नत्ती जहा–जे केई साहू वा साहूणी वा वायामेत्तेणा वि असंजममनुचिट्ठेज्जा से णं सारेज्जा से णं वारेज्जा, से

Translated Sutra: दूसरा यह शिष्य शायद तप और संयम की क्रिया का आचरण करेंगे तो उससे उनका ही श्रेय होगा और यदि नहीं करेंगे तो उन्हें ही अनुत्तर दुर्गति गमन करना पड़ेगा। फिर भी मुझे गच्छ समर्पण हुआ है, मैं गच्छाधिपति हूँ, मुझे उनको सही रास्ता दिखाना चाहिए। और फिर दूसरी बात यह ध्यान में रखनी है कि – तीर्थंकर भगवंत ने आचार्य के छत्तीस
Mahanishith महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ नवनीतसार

Hindi 833 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से भयवं जे णं केइ अमुणिय समय सब्भावे होत्था विहिए, इ वा अविहिए, इ वा कस्स य गच्छायारस्स य मंडलिधम्मस्स वा छत्तीसइविहस्स णं सप्पभेय नाण दंसण चरित्त तव वीरियायारस्स वा, मनसा वा, वायाए वा, कहिं चि अन्नयरे ठाणे केई गच्छाहिवई आयरिए, इ वा अंतो विसुद्ध, परिणामे वि होत्था णं असई चुक्केज्ज वा, खलेज्ज वा, परूवेमाणे वा अणुट्ठे-माणे वा, से णं आराहगे उयाहु अनाराहगे गोयमा अनाराहगे। से भयवं केणं अट्ठेणं एवं वुच्चइ जहा णं गोयमा अनाराहगे गोयमा णं इमे दुवालसंगे सुयनाणे अणप्पवसिए अनाइ निहणे सब्भूयत्थ पसाहगे अनाइ संसिद्धे से णं देविंद वंद वंदाणं अतुल बल वीरिएसरिय सत्त परक्कम महापुरिसायार

Translated Sutra: हे भगवंत ! जो कोई न जाने हुए शास्त्र के सद्‌भाववाले हो, वह विधि से या अविधि से किसी गच्छ के आचार या मंड़ली धर्म के मूल या छत्तीस तरह के भेदवाले ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप और वीर्य के आचार को मन से वचन से या काया से किसी भी तरह कोई भी आचार स्थान में किसी गच्छाधिपति या आचार्य के जितने अंतःकरण में विशुद्ध परिणाम होने के
Mahanishith महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-७ प्रायश्चित् सूत्रं

चूलिका-१ एकांत निर्जरा

Hindi 1369 Gatha Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं चिर-चिंतियाभिमुह-मणोरहोरु संपत्ति-हरिस-समुल्लसिओ। भत्ति-भर-निब्भरोणय-रोमंच-उक्कंच-पुलय-अंगो॥

Translated Sutra: इस अनुसार बड़े अरसे से चिन्तवे हुए मनोरथ के सन्मुख होनेवाला उस रूप महासंपत्ति के हर्ष से उल्लासित होनेवाले, भक्ति के अनुग्रह से निर्भर होकर नमस्कार करके, रोमांच खड़ा होने से रोम – रोम व्याप्त आनन्द अंगवाला, १८ हजार शिलांग धारण करने के लिए उत्साहपूर्वक ऊंचे किए गए खंभेवाला, छत्तीस तरह के आचार पालन करने के लिए
Mahanishith महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-७ प्रायश्चित् सूत्रं

चूलिका-१ एकांत निर्जरा

Hindi 1370 Gatha Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सीलंग-सहस्स अट्ठारसण्ह धरणे समोत्थय-क्खंधो। छत्तीसायारुक्कंठ-निट्ठियासेस-मिच्छत्तो॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १३६९
Mahanishith મહાનિશીય શ્રુતસ્કંધ સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ कुशील लक्षण

Gujarati 494 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] (१) से भयवं किमेयस्स अचिंत-चिंतामणि-कप्प-भूयस्स णं पंचमंगल-महासुयक्खंधस्स सुत्तत्थं पन्नत्तं गोयमा (२) इयं एयस्स अचिंत-चिंतामणी-कप्प-भूयस्स णं पंचमंगल-महासुयक्खंधस्स णं सुत्तत्थं-पन्नत्तं (३) तं जहा–जे णं एस पंचमं-गल-महासुयक्खंधे से णं सयलागमंतरो ववत्ती तिल-तेल-कमल-मयरंदव्व सव्वलोए पंचत्थिकायमिव, (४) जहत्थ किरियाणुगय-सब्भूय-गुणुक्कित्तणे, जहिच्छिय-फल-पसाहगे चेव परम-थुइवाए (५) से य परमथुई केसिं कायव्वा सव्व-जगुत्तमाणं। (६) सव्व-जगुत्तमुत्तमे य जे केई भूए, जे केई भविंसु, जे केई भविस्संति, ते सव्वे चेव अरहंतादओ चेव नो नमन्ने ति। (७) ते य पंचहा १ अरहंते, २ सिद्धे, ३ आयरिए,

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! શું આ ચિંતામણી કલ્પવૃક્ષ સમાન પંચમંગલ મહાશ્રુતસ્કંધના સૂત્ર અને અર્થ પ્રરૂપેલા છે ? હે ગૌતમ ! આ અચિંત્ય ચિંતામણી કલ્પવૃક્ષ સમ મનોવાંછિત પૂર્ણ કરનાર શ્રુતસ્કંધના સૂત્ર અને અર્થ પ્રરૂપેલ છે. તે આ રીતે – જેમ તલમાં તેલ, કમલમાં મકરંદ, સર્વલોકમાં પંચાસ્તિકાય વ્યાપીને રહેલા છે, તેમ આ પંચમંગલ મહાશ્રુતસ્કંધ
Mahanishith મહાનિશીય શ્રુતસ્કંધ સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ कुशील संसर्ग

Gujarati 682 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से भयवं किं ते साहुणो तस्स णं णाइल सड्ढगस्स छंदेणं कुसीले उयाहु आगम जुत्तीए गोयमा कहं सड्ढगस्स वरायस्सेरिसो सामत्थो जे णं तु सच्छंदत्ताए महानुभावाणं सुसाहूणं अवन्नवायं भासे तेणं सड्ढगेणं हरिवंस तिलय मरगयच्छ-विणो बावीसइम धम्म तित्थयर अरिट्ठनेमि नामस्स सयासे वंदन वत्तियाए गएणं आयारंगं अनंत गमपज्जवेहिं पन्नविज्जमाणं सम-वधारियं। तत्थ य छत्तीसं आयारे पन्नविज्जंति। तेसिं च णं जे केइ साहू वा साहुणी वा अन्नयरमायारमइक्कमेज्जा, से णं गारत्थीहिं उवमेयं। अहन्नहा समनुट्ठे वाऽऽयरेज्जा वा पन्नवेज्जा वा तओ णं अनंत संसारी भवेज्जा। ता गोयमा जे णं तु मुहनंतगं अहिगं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! શું તે પાંચે સાધુઓને કુશીલરૂપે નાગીલ શ્રાવકે ગણાવ્યા તે પોતાની સ્વેચ્છાથી કે આગમ – શાસ્ત્રની યુક્તિથી ? ગૌતમ ! બિચારા શ્રાવકને તેમ કહેવાનું સામર્થ્ય શું હોય ? જે કોઈ પોતાની સ્વચ્છંદ મતિથી મહાનુભવ સુસાધુના અવર્ણવાદ બોલે તે, શ્રાવક જ્યારે હરિવંશના કુલતિલક મરકત રત્ન સમાન શ્યામ કાંતિવાળા બાવીશમાં
Mahanishith મહાનિશીય શ્રુતસ્કંધ સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ नवनीतसार

Gujarati 818 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अन्नं च–जइ एते तव संजम किरियं अनुपालेहिंति, तओ एतेसिं चेव सेयं होहिइ, जइ न करेहिंति, तओ एएसिं चेव दुग्गइ-गमणमनुत्तरं हवेज्जा। नवरं तहा वि मम गच्छो समप्पिओ, गच्छाहिवई अहयं भणामि। अन्नं च– जे तित्थयरेहिं भगवंतेहिं छत्तीसं आयरियगुणे समाइट्ठे तेसिं तु अहयं एक्कमवि नाइक्कमामि, जइ वि पाणोवरमं भवेज्जा। जं च आगमे इह परलोग विरुद्धं तं णायरामि, न कारयामि न कज्जमाणं समनुजाणामि। तामेरिसगुण जुत्तस्सावि जइ भणियं न करेंति ताहमिमेसिं वेसग्गहणा उद्दालेमि। एवं च समए पन्नत्ती जहा–जे केई साहू वा साहूणी वा वायामेत्तेणा वि असंजममनुचिट्ठेज्जा से णं सारेज्जा से णं वारेज्जा, से

Translated Sutra: બીજું, આ શિષ્યો કદાચ તપ અને સંયમની ક્રિયાઓ આચરશે તો તેનાથી તેમનું જ શ્રેય કરશે અને જો નહીં આચરશે તો તેમને જ અનુત્તર દુર્ગતિમાં ગમન કરવું પડશે. છતાં પણ મને ગચ્છ સમર્પણ થયેલો છે તો મારે તેમને સાચો માર્ગ જ કહેવો જોઈએ. વળી, તીર્થંકર ભગવંતે આચાર્યના ૩૬ ગુણો નિરૂપેલા છે. તેમાંથી હું એકેનું અતિક્રમણ કરીશ નહીં. મારા
Mahanishith મહાનિશીય શ્રુતસ્કંધ સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ नवनीतसार

Gujarati 833 Sutra Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से भयवं जे णं केइ अमुणिय समय सब्भावे होत्था विहिए, इ वा अविहिए, इ वा कस्स य गच्छायारस्स य मंडलिधम्मस्स वा छत्तीसइविहस्स णं सप्पभेय नाण दंसण चरित्त तव वीरियायारस्स वा, मनसा वा, वायाए वा, कहिं चि अन्नयरे ठाणे केई गच्छाहिवई आयरिए, इ वा अंतो विसुद्ध, परिणामे वि होत्था णं असई चुक्केज्ज वा, खलेज्ज वा, परूवेमाणे वा अणुट्ठे-माणे वा, से णं आराहगे उयाहु अनाराहगे गोयमा अनाराहगे। से भयवं केणं अट्ठेणं एवं वुच्चइ जहा णं गोयमा अनाराहगे गोयमा णं इमे दुवालसंगे सुयनाणे अणप्पवसिए अनाइ निहणे सब्भूयत्थ पसाहगे अनाइ संसिद्धे से णं देविंद वंद वंदाणं अतुल बल वीरिएसरिय सत्त परक्कम महापुरिसायार

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! જે કોઈ ન જાણેલા શાસ્ત્રના સદ્‌ભાવવાળા હોય તે વિધિથી કે અવિધિથી કોઈ ગચ્છના આચારો કે માંડલી ધર્મના મૂળ કે છત્રીશ પ્રકારના ભેદવાળા જ્ઞાન – દર્શન – ચારિત્ર – તપ – વીર્યના આચારોને મનથી, વચનથી કે કાયાથી કોઈપણ પ્રકારે કોઈપણ આચાર સ્થાનમાં કોઈ ગચ્છાધિપતિ કે આચાર્ય કે જેમના અંતઃકરણમાં વિશુદ્ધ પરિણામ હોવા
Mahanishith મહાનિશીય શ્રુતસ્કંધ સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-७ प्रायश्चित् सूत्रं

चूलिका-१ एकांत निर्जरा

Gujarati 1370 Gatha Chheda-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सीलंग-सहस्स अट्ठारसण्ह धरणे समोत्थय-क्खंधो। छत्तीसायारुक्कंठ-निट्ठियासेस-मिच्छत्तो॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૩૬૯
Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Hindi 84 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसाठाणेसु य जे पवयणसारझरियपरमत्था । तेसिं पासे सोही पन्नत्ता धीरपुरिसेहिं ॥

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Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Hindi 92 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एएसु विहिविहण्णू छत्तीसाठाणएसु जे सूरी । ते पवयण-सुयकेऊ छत्तीसगुण त्ति नायव्वा ॥

Translated Sutra: Not Available
Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Hindi 310 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसमट्टियाहि य कडजोगी जोगसंगहबलेणं । उज्जमिऊणं बारसविहेण तवनियमठाणेणं ॥

Translated Sutra: Not Available
Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Hindi 333 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कप्पाऽकप्पविहन्नू दुवालसंगसुयसारही सव्वं । छत्तीसगुणोवेया पच्छित्तविसारया धीरा ॥

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Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Gujarati 84 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसाठाणेसु य जे पवयणसारझरियपरमत्था । तेसिं पासे सोही पन्नत्ता धीरपुरिसेहिं ॥

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Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Gujarati 92 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एएसु विहिविहण्णू छत्तीसाठाणएसु जे सूरी । ते पवयण-सुयकेऊ छत्तीसगुण त्ति नायव्वा ॥

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Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Gujarati 310 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसमट्टियाहि य कडजोगी जोगसंगहबलेणं । उज्जमिऊणं बारसविहेण तवनियमठाणेणं ॥

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Maransamahim Ardha-Magadhi

मरणसमाहि

Gujarati 333 Gatha Painna-10A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कप्पाऽकप्पविहन्नू दुवालसंगसुयसारही सव्वं । छत्तीसगुणोवेया पच्छित्तविसारया धीरा ॥

Translated Sutra: Not Available
Nandisutra नन्दीसूत्र Ardha-Magadhi

नन्दीसूत्र

Hindi 140 Sutra Chulika-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सूयगडे? सूयगडे णं लोए सूइज्जइ, अलोए सूइज्जइ, लोयालोए सूइज्जइ। जीवा सूइज्जंति, अजीवा सूइज्जंति, जीवाजीवा सूइज्जंति। ससमए सूइज्जइ, परसमए सूइज्जइ, ससमय-परसमए सूइज्जइ सूयगडे णं आसीयस्स किरियावाइ-सयस्स, चउरासीइए अकिरियावाईणं, सत्तट्ठीए अन्नाणियवाईणं, बत्तीसाए वेणइयवाईणं– तिण्हं तेसट्ठाणं पावादुय-सयाणं वूहं किच्चा ससमए ठाविज्जइ। सूयगडे णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अनुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्ठयाए बिइए अंगे, दो सुयक्खंधा, तेवीसं अज्झयणा, तेत्तीसं उद्देसनकाला, तेत्तीसं समुद्देसनकाला,

Translated Sutra: – सूत्रकृत में किस विषय का वर्णन है ? सूत्रकृत में षड्‌द्रव्यात्मक लोक, केवल आकाश द्रव्यमल अलोक, लोकालोक दोनों सूचित किये जाते हैं। इसी प्रकार जीव, अजीव और जीवाजीव की सूचना है। स्वमत, परमत और स्व – परमत की है। सूत्रकृत में १८० कियावादियों के, ८४ अक्रियावादियों के, ६७ अज्ञानवादियों और ३२ विनयवादियों के, इस प्रकार
Nandisutra नन्दीसूत्र Ardha-Magadhi

नन्दीसूत्र

Hindi 143 Sutra Chulika-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं वियाहे? वियाहे णं जीवा विआहिज्जंति, अजीवा विआहिज्जंति, जीवाजीवा विआहिज्जंति। ससमए विआहिज्जति, परसमए विआहिज्जति, ससमय-परसमए विआहिज्जति। लोए विआहिज्जति, अलोए विआहिज्जति, लोयालोए विआहिज्जति। वियाहस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अनुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्ठयाए पंचमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे साइरेगे अज्झयणसए, दस उद्देसगसहस्साइं, दस समुद्देसगसहस्साइं, छत्तीसं वागरणसहस्साइं, दो लक्खा अट्ठासीइं पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अनंता गमा, अनंता पज्जवा, परित्ता

Translated Sutra: व्याख्याप्रज्ञप्ति में क्या वर्णन है? व्याख्याप्रज्ञप्ति में जीवों की, अजीवों की तथा जीवाजीवों की व्याख्या है। स्वसमय, परसमय और स्व – पर – उभय सिद्धान्तों की तथा लोक, अलोक और लोकालोक के स्वरूप का व्याख्यान है। परिमित वाचनाऍं, संख्यात अनुयोगद्वार, संख्यात वेढ – श्लोक विशेष, संख्यात निर्युक्तियाँ, संख्यात
Nandisutra નન્દીસૂત્ર Ardha-Magadhi

नन्दीसूत्र

Gujarati 140 Sutra Chulika-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सूयगडे? सूयगडे णं लोए सूइज्जइ, अलोए सूइज्जइ, लोयालोए सूइज्जइ। जीवा सूइज्जंति, अजीवा सूइज्जंति, जीवाजीवा सूइज्जंति। ससमए सूइज्जइ, परसमए सूइज्जइ, ससमय-परसमए सूइज्जइ सूयगडे णं आसीयस्स किरियावाइ-सयस्स, चउरासीइए अकिरियावाईणं, सत्तट्ठीए अन्नाणियवाईणं, बत्तीसाए वेणइयवाईणं– तिण्हं तेसट्ठाणं पावादुय-सयाणं वूहं किच्चा ससमए ठाविज्जइ। सूयगडे णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अनुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्ठयाए बिइए अंगे, दो सुयक्खंधा, तेवीसं अज्झयणा, तेत्तीसं उद्देसनकाला, तेत्तीसं समुद्देसनकाला,

Translated Sutra: સૂત્રકૃતાંગમાં કયા વિષયનું વર્ણન છે ? સૂત્રકૃતાંગમાં ષડ્‌દ્રવ્યાત્મક લોક સૂચિત કરવામાં આવેલ છે, કેવળ આકાશ દ્રવ્યમય અલોક સૂચિત કરવામાં આવેલ છે અને લોકાલોક પણ સૂચિત કરેલ છે. આ પ્રમાણે જીવ, અજીવ અને જીવાજીવની સૂચના આપેલી છે, સ્વમત, પરમત અને સ્વ – પરમતની સૂચના આપેલી છે. સૂત્રકૃતાંગમાં એકસો એંસી ક્રિયાવાદીઓના,
Nandisutra નન્દીસૂત્ર Ardha-Magadhi

नन्दीसूत्र

Gujarati 143 Sutra Chulika-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं वियाहे? वियाहे णं जीवा विआहिज्जंति, अजीवा विआहिज्जंति, जीवाजीवा विआहिज्जंति। ससमए विआहिज्जति, परसमए विआहिज्जति, ससमय-परसमए विआहिज्जति। लोए विआहिज्जति, अलोए विआहिज्जति, लोयालोए विआहिज्जति। वियाहस्स णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अनुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्ठयाए पंचमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे साइरेगे अज्झयणसए, दस उद्देसगसहस्साइं, दस समुद्देसगसहस्साइं, छत्तीसं वागरणसहस्साइं, दो लक्खा अट्ठासीइं पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अनंता गमा, अनंता पज्जवा, परित्ता

Translated Sutra: વ્યાખ્યા પ્રજ્ઞપ્તિમાં કોનું વર્ણન છે ? વ્યાખ્યા પ્રજ્ઞપ્તિમાં જીવોની, અજીવોની અને જીવાજીવોની વ્યાખ્યા કરી છે. સ્વસમય, પરસમય અને સ્વ – પર, ઉભય સિદ્ધાંતોની વ્યાખ્યા તથા લોક, અલોક અને લોકાલોકના સ્વરૂપનું વ્યાખ્યાન કરેલ છે. વ્યાખ્યા પ્રજ્ઞપ્તિમાં પરિમિત વાચનાઓ, સંખ્યાત અનુયોગદ્વાર, સંખ્યાત વેષ્ટિક – આલાપક,
Ogha Nijjutti Ardha-Magadhi

ओहनिज्जुत्ति

Hindi 1054 Gatha Mool-02A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अड्ढाइज्जा हत्था दीहा छत्तीस अंगुले रुद्धा । बितियं पडिग्गहाओ ससरीराओ य निप्फन्नं ॥

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Ogha Nijjutti Ardha-Magadhi

ओहनिज्जुत्ति

Hindi 1148 Gatha Mool-02A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसगुणसमन्नागएण तेणवि अवस्स कायव्वा । परसक्खिया विसोही सुट्ठुवि ववहारकुसलेणं ॥

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Ogha Nijjutti Ardha-Magadhi

ओहनिज्जुत्ति

Gujarati 1054 Gatha Mool-02A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अड्ढाइज्जा हत्था दीहा छत्तीस अंगुले रुद्धा । बितियं पडिग्गहाओ ससरीराओ य निप्फन्नं ॥

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Ogha Nijjutti Ardha-Magadhi

ओहनिज्जुत्ति

Gujarati 1148 Gatha Mool-02A View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसगुणसमन्नागएण तेणवि अवस्स कायव्वा । परसक्खिया विसोही सुट्ठुवि ववहारकुसलेणं ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Hindi 937 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीस सहस्साइं दो चेव सताइं अट्ठ सहियाइं । अडयालं च सहस्सा अडयाला होंति सत्तमए ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Hindi 946 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीस सहस्साइं चउरो य सता हवंति नायव्वा । सत्तासीइ सहस्सा तिन्नि सता चेव सट्ठहिता ॥

Translated Sutra: Not Available
Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Hindi 1505 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अविरयस्स बावत्तरिविहो एसा बावत्तरी दोहिं गुणिया रागदोसेहिं । चोयालं सयं अन्नानातीहिं कोहादीहिं आसवदारेहिं ॥ राइभोयण छट्ठेहिं बारस य छउव्वीसा छत्तीसा अडयालमेव । सट्ठीय बात्तरी उ एसो संजोगविही मुनेयव्वो ॥

Translated Sutra: Not Available
Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Hindi 1506 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बारस य चउव्वीसा छत्तीसऽडयालमेव सट्ठी य । बावत्तरी बिगुणिता चोयालसतं तु संजोगा ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Hindi 1507 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बारस य चउव्वीसा छत्तीसऽडयाल चेव सट्ठी य । बावत्तरी छग्गुणिया चत्तारि सता उ बत्तीसा ॥

Translated Sutra: Not Available
Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Hindi 2612 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसातिक्कंते पंचविहुवसंपदाए तो पच्छा । पत्तं उवसंपादे पव्वज्ज तु एगपक्खंमि ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Gujarati 937 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीस सहस्साइं दो चेव सताइं अट्ठ सहियाइं । अडयालं च सहस्सा अडयाला होंति सत्तमए ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Gujarati 946 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीस सहस्साइं चउरो य सता हवंति नायव्वा । सत्तासीइ सहस्सा तिन्नि सता चेव सट्ठहिता ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Gujarati 1505 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अविरयस्स बावत्तरिविहो एसा बावत्तरी दोहिं गुणिया रागदोसेहिं । चोयालं सयं अन्नानातीहिं कोहादीहिं आसवदारेहिं ॥ राइभोयण छट्ठेहिं बारस य छउव्वीसा छत्तीसा अडयालमेव । सट्ठीय बात्तरी उ एसो संजोगविही मुनेयव्वो ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Gujarati 1506 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बारस य चउव्वीसा छत्तीसऽडयालमेव सट्ठी य । बावत्तरी बिगुणिता चोयालसतं तु संजोगा ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Gujarati 1507 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बारस य चउव्वीसा छत्तीसऽडयाल चेव सट्ठी य । बावत्तरी छग्गुणिया चत्तारि सता उ बत्तीसा ॥

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Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Gujarati 2612 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छत्तीसातिक्कंते पंचविहुवसंपदाए तो पच्छा । पत्तं उवसंपादे पव्वज्ज तु एगपक्खंमि ॥

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Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Hindi 6 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. पन्नवणा २. ठाणाइं ३. बहुवत्तव्वं ४. ठिई ५. विसेसा य । ६. वक्कंती ७. उस्सासो ८. सण्णा ९. जोणी य १०. चरिमाइं ॥

Translated Sutra: (प्रज्ञापनासूत्र में छत्तीस पद हैं।) १. प्रज्ञापना, २. स्थान, ३. बहुवक्तव्य, ४. स्थिति, ५. विशेष, ६. व्युत्क्रान्ति, ७. उच्छ्‌वास, ८. संज्ञा, ९. योनि, १०. चरम। ११. भाषा, १२. शरीर, १३. परिणाम, १४. कषाय, १५. इन्द्रिय, १६. प्रयोग, १७. लेश्या, १८. कायस्थिति, १९. सम्यक्त्व और २०. अन्तक्रिया। २१. अवगाहना – संस्थान, २२. क्रिया, २३. कर्म,
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