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Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४० संज्ञीपञ्चेन्द्रिय

शतक-शतक-१ थी २१ उद्देशको सहित

Hindi 1065 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिंदिया णं भंते! कओ उववज्जंति? उववाओ, परिमाणं आहारो जहा एएसिं चेव पढमोद्देसए। ओगाहणा बंधो वेदो वेदना उदयी उदीरगा य जहा बेंदियाणं पढमसमइयाणं, तहेव कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा। सेसं जहा बेंदियाणं पढमसमइयाणं जाव अनंतखुत्तो, नवरं–इत्थिवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा, सण्णिणो नो असण्णिणो, सेसं तहेव। एवं सोलससु वि जुम्मेसु परिमाणं तहेव सव्वं। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। एवं एत्थ वि एक्कारस उद्देसगा तहेव, पढमो तइओ पंचमो य सरिसगमा, सेसा अट्ठ वि सरिसगमा। चउत्थ-अट्ठम-दसमेसु नत्थि विसेसो कायव्वो। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! प्रथम समय के कृतयुग्म – कृतयुग्मराशियुक्त संज्ञीपंचेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! इनका उपपात, परिमाण, अपहार प्रथम उद्देशक के अनुसार जानना। अवगाहना, बन्ध, वेद, वेदना, उदयी और उदीरक द्वीन्द्रिय जीवों के समान समझना। कृष्णलेश्यी यावत्‌ शुक्ललेश्यी होते हैं। शेष प्रथमसमयोत्पन्न द्वीन्द्रिय
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४० संज्ञीपञ्चेन्द्रिय

शतक-शतक-१ थी २१ उद्देशको सहित

Hindi 1066 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिंदिया णं भंते! कओ उववज्जंति? तहेव पढमुद्देसओ सण्णीणं नवरं–बंध-वेद-उदइ-उदीरण-लेस्स-बंधग-सण्ण-कसाय-वेदबंधगा य एयाणि जहा बेंदियाणं। कण्ह-लेस्साणं वेदो तिविहो, अवेदगा नत्थि। संचिट्ठणा जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरो-वमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं। एवं ठिती वि, नवरं–ठितीए अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं न भण्णंति। सेसं जहा एएसिं चेव पढमे उद्देसए जाव अनंतखुत्तो। एवं सोलससु वि जुम्मेसु। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिंदिया णं भंते! कओ उववज्जंति? जहा सण्णिपंचिंदियपढमसमयउद्देसए तहेव

Translated Sutra: भगवन्‌ ! कृष्णलेश्यी कृतयुग्म – कृतयुग्मराशियुक्त संज्ञीपंचेन्द्रिय कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! संज्ञी के प्रथम उद्देशक अनुसार जानना। विशेष यह है कि बन्ध, वेद, उदय, उदीरणा, लेश्या, बन्धक, संज्ञा, कषाय और वेदबंधक, इन सभी का कथन द्वीन्द्रियजीव – सम्बन्धी कथन समान है। कृष्णलेश्यी संज्ञी
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४० संज्ञीपञ्चेन्द्रिय

शतक-शतक-१ थी २१ उद्देशको सहित

Hindi 1067 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एवं नीललेस्सेसु वि सतं, नवरं–संचिट्ठणा जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं पलिओवमस्स असं-खेज्जइभागमब्भहियाइं। एवं ठिती वि। एवं तिसु उद्देसएसु, सेसं तं चेव। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। एवं काउलेस्ससतं पि, नवरं–संचिट्ठणा जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाइं। एवं ठितीवि। एवं तिसु वि उद्देसएसु, सेसं तं चेव। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। एवं तेउलेस्सेसु वि सतं, नवरं–संचिट्ठणा जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाइं। एवं ठितीवि, नवरं– नोसण्णोवउत्ता वा। एवं तिसु वि

Translated Sutra: नीललेश्या वाले संज्ञी की वक्तव्यता भी इसी प्रकार समझना। विशेष यह कि संचिट्ठणाकाल जघन्य एक समय और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दस सागरोपम है। स्थिति भी इसी प्रकार है। पहले, तीसरे, पाँचवे इन तीन उद्देशकों के विषय में जानना चाहिए। शेष पूर्ववत्‌। ‘हे भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है।’ इसी प्रकार कापोतलेश्या
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1068 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कति णं भंते! रासीजुम्मा पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता, तं जहा–कडजुम्मे जाव कलियोगे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता, तं जहा–कडजुम्मे जाव कलियोगे? गोयमा! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, सेत्तं रासीजुम्मकडजुम्मे। एवं जाव जे णं रासी चउ-क्कएणं अवहारेणं एगपज्जवसिए, सेत्तं रासीजुम्मकलियोगे। से तेणट्ठेणं जाव कलियोगे। रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? उववाओ जहा वक्कंतीए। ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति? गोयमा! चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति। ते

Translated Sutra: भगवन्‌ ! राशियुग्म कितने कहे गए हैं ? गौतम ! चार, यथा – कृतयुग्म, यावत्‌ कल्योज। भगवन्‌ ! राशि – युग्म चार कहे हैं, ऐसा किस कारण से कहते हैं ? गौतम ! जिस राशि में चार – चार का अपहार करते हुए अन्त में ४ शेष रहें, उस राशियुग्म को कृतयुग्म कहते हैं, यावत्‌ जिस राशि में से चार – चार अपहार करते हुए अन्त में एक शेष रहे, उस राशियुग्म
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1069 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] रासीजुम्मतेओयनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं चेव उद्देसओ भाणियव्वो, नवरं–परिमाणं तिन्नि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति। संतरं तहेव। ते णं भंते! जीवा जं समयं तेयोगा तं समयं कडजुम्मा? जं समयं कडजुम्मा तं समयं तेयोगा? नो इणट्ठे समट्ठे। जं समयं तेयोया तं समयं दावरजुम्मा? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं तेयोया? नो इणट्ठे समट्ठे। एवं कलियोगेण वि समं, सेसं तं चेव जाव वेमाणिया नवरं–उववाओ सव्वेसिं जहा वक्कंतीए। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! राशियुग्म – त्र्योजराशि – परिमित नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत्‌ – ये तीन, सात, ग्यारह, पन्द्रह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। सान्तर पूर्ववत्। भगवन्‌ ! वे जीव जिस समय त्र्योज – राशि होते हैं, क्या उस समय कृतयुग्मराशि होते हैं, तथा जिस समय कृतयुग्मराशि होते हैं, क्या उस समय
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1070 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] रासीजुम्मदावरजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं चेव उद्देसओ, नवरं–परिमाणं दो वा छ वा दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति, संवेहो। ते णं भंते! जीवा जं समयं दावरजुम्मा तं समयं कडजुम्मा? जं समयं कडजुम्मा तं समयं दावरजुम्मा? णो इणट्ठे समट्ठे। एवं तेयोएण वि समं, एवं कलियोगेण वि समं, सेसं जहा पढमुद्देसए जाव वेमाणिया। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! राशियुग्म – द्वापरयुग्मराशि वाले नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत्‌ जानना। किन्तु इनका परिमाण – ये दो, छह, दस, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। भगवन्‌ ! वे जीव जिस समय द्वापर युग्म होते हैं, क्या उस समय कृतयुग्म होते हैं, अथवा जिस समय कृतयुग्म होते हैं, क्या उस समय द्वापरयुग्म
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1071 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] रासीजुम्मकलिओगनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं चेव, नवरं–परिमाणं एक्को वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा उववज्जंति, संवेहो। ते णं भंते! जीवा जं समयं कलियोगा तं समयं कडजुम्मा? जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलियोगा? नो इणट्ठे समट्ठे। एवं तेयोएण वि समं, एवं दावरजुम्मेण वि समं, सेसं जहा पढमुद्देसए जाव वेमाणिया। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! राशियुग्म – कल्योजराशि नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत्‌। विशेष – ये एक, पाँच, नौ, तेरह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। भगवन्‌ ! वे जीव जिस समय कल्योज होते हैं, क्या उस समय कृतयुग्म होते हैं अथवा जिस समय कृतयुग्म होते हैं, क्या उस समय कल्योज होते हैं ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1072 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कण्हलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? उववाओ जहा धूमप्पभाए, सेसं जहा पढमुद्देसए। असुरकुमाराणं तहेव, एवं जाव वाणमंतराणं। मनुस्साण वि जहेव नेरइयाणं आयअजसं उवजीवंति। अलेस्स, अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झंति एवं न भाणियव्वं, सेसं जहा पढमुद्देसए। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। कण्हलेस्सतेयोएहि वि एवं चेव उद्देसओ। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। कण्हलेस्सदावरजुम्मेहिं एवं चेव उद्देसओ। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। कण्हलेस्सकलिओएहि वि एवं चेव उद्देसओ। परिमाणं संवेहो य जहा ओहिएसु उद्देसएसु। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। जहा कण्हलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहि

Translated Sutra: भगवन्‌ ! कृष्णलेश्या वाले राशियुग्म – कृतयुग्मराशिरूप नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इनका उपपात धूमप्रभापृथ्वी समान है। शेष कथन प्रथम उद्देशक अनुसार जानना। असुरकुमारों के विषय में भी इसी प्रकार वाणव्यन्तर पर्यन्त कहना चाहिए। मनुष्यों के विषय में भी नैरयिकों के समान कथन करना। वे आत्मअयश पूर्वक
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1073 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? जहा ओहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव निरवसेसं, एए चत्तारि उद्देसगा। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। कण्हलेस्सभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमे वि भवसिद्धियकण्हलेस्सेहिं वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा। एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहिं वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा। एवं काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। तेउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ओहियसरिसा। पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। सुक्कलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ओहियसरिसा। एवं एए वि भवसिद्धिएहि

Translated Sutra: भगवन्‌ ! भवसिद्धिक राशियुग्म – कृतयुग्मराशि नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! पहले के चार औघिक उद्देशकों अनुसार सम्पूर्ण चारों उद्देशक जानना। ‘हे भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है०।’ भगवन्‌ ! कृष्ण – लेश्यी भवसिद्धिक राशियुग्म – कृतयुग्मराशियुक्त नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1074 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? जहा पढमो उद्देसगो, नवरं–मनुस्सा नेरइया य सरिसा भाणियव्वा, सेसं तहेव। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति। एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा। कण्हलेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा। एवं नीललेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाणं चत्तारि उद्देसगा। काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। तेउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। सुक्कलेस्सअभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा। एवं एएसु अट्ठावीसाए वि अभवसिद्धियउद्देसएसु मनुस्सा

Translated Sutra: भगवन्‌ ! अभवसिद्धिक – राशियुग्म – कृतयुग्मराशियुक्त नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! प्रथम उद्देशक के समान कथन करना। विशेष यह है कि मनुष्यों और नैरयिकों की वक्तव्यता समान जाननी चाहिए। शेष पूर्ववत्‌। ‘हे भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है०।’ इसी प्रकार चार युग्मों के चार उद्देशक कहना। भगवन्‌ ! कृष्णलेश्यी
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1077 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कण्हपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाणं भंते! कओ उववज्जंति? एवं एत्थ वि अभवसिद्धिय-सरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! कृष्णपाक्षिक – राशियुग्म – कृतयुग्मराशिविशिष्ट नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! अभवसिद्धिक – उद्देशकों के समान अट्ठाईस उद्देशक कहना।
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1078 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं एत्थ वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति। एवं एए सव्वे वि छन्नउयं उद्देसगसयं भवति रासीजुम्मसयं जाव सुक्कलेस्ससुक्कपक्खियरासीजुम्मकलियोगवेमाणिया जाव– जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति? नो इणट्ठे समट्ठे। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! शुक्लपाक्षिक – राशियुग्म – कृतयुग्मराशि – विशिष्ट नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! भवसिद्धिक उद्देशकों के समान अट्ठाईस उद्देशक होते हैं। इस प्रकार यह (४१ वाँ) राशियुग्म शतक इन सबको मिलाकर १९६ उद्देशकों का है यावत्‌ – भगवन्‌ ! शुक्ललेश्या वाले शुक्लपाक्षिक राशियुग्म – कृतयुग्म – कल्योजराशि
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-४१ राशियुग्मं, त्र्योजराशि, द्वापर युग्मं राशि

उद्देशक-१ थी १९६ Hindi 1079 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदति नमंसति, वंदित्ता-नमंसित्ता एवं वयासी–एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! सच्चे णं एसमट्ठे, जे णं तुब्भे वदह त्ति कट्टु अपुव्ववयणा खलु अरहंता भगवंतो, समणं भगवं महावीरं वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ।

Translated Sutra: भगवान्‌ गौतमस्वामी, श्रमण भगवान महावीर की तीन बार आदक्षिण – दाहिनी ओर से प्रदक्षिणा करते हैं, यों तीन बार आदक्षिण – प्रदक्षिणा करके वे उन्हें वन्दन – नमस्कार करते हैं। तत्पश्चात्‌ इस प्रकार बोलते हैं – ‘भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है, भगवन्‌ ! यह इसी प्रकार है, भगवन्‌ ! यह अवितथ – सत्य है, भगवन्‌ ! यह असंदिग्ध है, भन्ते
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

उपसंहार

Hindi 1082 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नमो गोयमादीण गणहराणं। नमो भगवतीए विवाहपन्नत्तीए। नमो दुवालसंगस्स गणिपिडगस्स।

Translated Sutra: गौतम आदि गणधरों को नमस्कार हो। भगवती व्याख्याप्रज्ञप्ति को नमस्कार हो तथा द्वादशांग – गणिपिटक को नमस्कार हो।
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Gujarati 63 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि समयाहियाए जहन्नट्ठितीए वट्ठमाणा नेरइया किं– कोहोवउत्ता? मानोवउत्ता? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा! कोहोवउत्ते य, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य। कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। अहवा कोहोवउत्ते य, मानोवउत्ते य। अहवा कोहोवउत्ते य, मानोवउत्ता य। एवं असीतिभंगा नेयव्वा। एवं जाव संखेज्जसमयाहियाए ठितीए, असंखेज्जसमयाहियाए ठितीए तप्पाउग्गुक्को-सियाए ठितीए सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીમાં ૩૦ લાખ નરકાવાસોમાં એક – એક નરકાવાસમાં નૈરયિકોના અવગાહના સ્થાન કેટલા છે ? ગૌતમ ! અસંખ્યાત અવગાહના સ્થાનો છે. તે આ – જઘન્ય અવગાહના, પ્રદેશાધિક જઘન્ય અવગાહના, દ્વિપ્રદેશાધિક જઘન્ય અવગાહના યાવત્‌ અસંખ્યાત પ્રદેશાધિક જઘન્યાવગાહના, તેને પ્રાયોગ્ય ઉત્કૃષ્ટ અવગાહના. ભગવન્‌ ! આ રત્નપ્રભા
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Gujarati 64 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव नेरइया किं सम्मदिट्ठी? मिच्छदिट्ठी? सम्मामिच्छदिट्ठी? तिन्नि वि। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव सम्मदंसणे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता? सत्तावीसं भंगा। एवं मिच्छदंसणे वि। सम्मामिच्छदंसणे असीतिभंगा। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव नेरइया किं नाणी, अन्नाणी? गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। तिन्नि नाणाइं नियमा। तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव आभिनिबोहियनाणे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता? सत्तावीसं भंगा। एवं तिन्नि नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं भाणियव्वाइं। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव नेरइया किं मणजोगी? वइजोगी? कायजोगी? तिन्नि

Translated Sutra: સૂત્ર– ૬૪. રત્નપ્રભાના આ નૈરયિકો યાવત્‌ શું સમ્યગ્‌દૃષ્ટિ મિથ્યાદૃષ્ટિ કે મિશ્રદૃષ્ટિ છે ? તે ત્રણે છે. તેમાં સમ્યગ્‌દૃષ્ટિમાં વર્તતા નૈરયિકના પૂર્વોક્ત રીતે. ૨૭ ભંગ અને મિથ્યાદૃષ્ટિ તથા મિશ્રદૃષ્ટિમાં ૮૦ – ૮૦ ભાંગા કહેવા. ભગવન્‌ ! આ જીવો શું જ્ઞાની છે કે અજ્ઞાની ? ગૌતમ ! બંને છે. જ્ઞાનીને નિયમા ત્રણ જ્ઞાન
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Gujarati 66 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चउसट्ठीए णं भंते! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एवमेगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं केवइया ठिति-ट्ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पन्नत्ता। जहन्निया ठिई जहा नेरइया तहा, नवरं–पडिलोमा भंगा भाणियव्वा। सव्वे वि ताव होज्ज लोभोवउत्ता। अहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ते य। अहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। एएणं गमेणं नेयव्वं जाव थणियकुमारा, नवरं–नाणत्तं जाणियव्वं।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! ૬૪ લાખ અસુરકુમારાવાસોમાંના એક એક અસુરકુમારાવાસમાં વસતા અસુરકુમારોના કેટલા સ્થિતિ સ્થાન કહ્યા છે ? ગૌતમ ! અસંખ્ય. જઘન્યસ્થિતિ આદિ સર્વ વર્ણન નૈરયિક મુજબ જાણવું. વિશેષ એ – ભાંગા ઊલટા ક્રમે કહેવા. દેવોમાં લોભનું બાહુલ્ય હોવાથી લોભ પહેલા કહેવો. જેમ કે – તેઓ બધા લોભોપયુક્ત હોય અથવા ઘણા લોભી, એક માયી હોય
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Gujarati 67 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: असंखेज्जेसु णं भंते! पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइयावासंसि पुढविक्का-इयाणं केवइया ठितिट्ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा–जहन्निया ठिई जाव तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिई असंखेज्जेसु णं भंते! पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइयावासंसि जह-न्नियाए ठितीए वट्टमाणा पुढविक्काइया किं कोहोवउत्ता? मानोवउत्ता? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा! कोहोवउत्ता वि, मानोवउत्ता वि, मायोवउत्ता वि, लोभोवउत्ता वि। एवं पुढविक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं, नवरं–तेउलेस्साए असीतिभंगा। एवं आउक्काइया वि। तेउक्काइय-वाउक्काइयाणं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! પૃથ્વીકાયિક જીવોના અસંખ્ય લાખ આવાસોમાં એક – એક આવાસમાં પૃથ્વીકાયિકોના સ્થિતિ સ્થાનો કેટલા છે ? હે ગૌતમ ! અસંખ્ય. તે આ રીતે – જઘન્યસ્થિતિ યાવત્‌ તત્પ્રાયોગ્ય ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ. ભગવન્‌ ! પૃથ્વીકાયિકોના અસંખ્ય લાખ આવાસોમાં એક – એક આવાસમાં વર્તતા પૃથ્વીકાયિકો શું ક્રોધોપયુક્ત યાવત્‌ લોભોપયુક્ત છે ? ગૌતમ
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शतक-१

उद्देशक-६ यावंत Gujarati 69 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जावइयाओ णं भंते! ओवासंतराओ उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, अत्थमंते वि य णं सूरिए तावतियाओ चेव ओवासंतराओ चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति? हंता गोयमा! जावइयाओ णं ओवासंतराओ उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, अत्थमंते वि य णं सूरिए तावतियाओ चेव ओवासंतराओ चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति। जावइय णं भंते! खेत्तं उदयंते सूरिए आयवेणं सव्वओ समंता ओभासेइ उज्जोएइ तवेइ पभासेइ, अत्थमंते वि य णं सूरिए तावइयं चेव खेत्तं आयवेणं सव्वओ समंता ओभासेइ? उज्जोएइ? तवेइ? पभासेइ? हंता गोयमा! जावतिय णं खेत्तं उदयंते सूरिए आयवेणं सव्वओ समंता ओभासेइ उज्जोइए तवेइ पभासेइ, अत्थमंते वि य

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! જેટલા અવકાશાંતરથી ઊગતો સૂર્ય શીઘ્ર નજરે જોવાય છે, તેટલા જ અવકાશાંતરથી આથમતો સૂર્ય શીઘ્ર નજરે જોવાય છે ? હા, ગૌતમ ! જેટલે દૂરથી ઉદય થતો સૂર્ય જોવાય છે તેટલા દૂરથી અસ્ત થતો સૂર્ય દેખાય છે ભગવન્‌ ! ઊગતો સૂર્ય પોતાના તાપથી જેટલા ક્ષેત્રને ચારે બાજુથી પ્રકાશિત – ઉદ્યોતિત – તાપિત – પ્રભાસિત કરે છે, તેટલા જ
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शतक-१

उद्देशक-९ गुरुत्त्व Gujarati 94 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कहन्नं भंते! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति? गोयमा! पाणाइवाएणं मुसावाएणं अदिन्नादानेणं मेहुणेणं परिग्गहेणं कोह-मान-माया-लोभ-पेज्ज -दोस-कलह-अब्भक्खाण-पेसुन्न-परपरिवाय-अरति-रति-मायामोस-मिच्छादंसणसल्लेणं एवं खलु गोयमा! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति। कहन्नं भंते! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति? गोयमा! पाणाइवाय-वेरमणेणं मुसावाय-वेरमणेणं अदिन्नादान-वेरमणेणं मेहुण-वेरमणेणं परिग्गह-वेरमणेणं कोह-मान-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलह-अब्भक्खाण-पेसुन्न-परपरिवाय-अरति रति-मायामोस-मिच्छादंसणसल्ल वेरमणेणं–एवं खलु गोयमा! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति। कहन्नं भंते! जीवा संसारं आउलीकरेंति? गोयमा!

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! જીવો ગુરુ – (ભારે)પણુ કઈ રીતે શીઘ્ર પામે છે ? ગૌતમ ! પ્રાણાતિપાત યાવત્‌ પરિગ્રહ, ક્રોધ યાવત્‌ મિથ્યાદર્શન શલ્યથી. એ રીતે ગૌતમ ! જીવો ગુરુત્વને – (ભારેપણાને) શીઘ્ર પામે છે. ભગવન્‌ ! જીવો લઘુ – (હળવા)પણુ કેવીરીતે શીઘ્ર પામે છે ? ગૌતમ ! પ્રાણાતિપાતથી વિરમવાથી યાવત્‌ મિથ્યાદર્શનશલ્યથી અટકવાથી, એ રીતે ગૌતમ ! લઘુપણુ
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शतक-१

उद्देशक-९ गुरुत्त्व Gujarati 95 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तमे णं भंते! ओवासंतरे किं गरुए? लहुए? गरुयलहुए? अगरुयलहुए? गोयमा! नो गरुए, नो लहुए, नो गरुयलहुए, अगरुयलहुए। सत्तमे णं भंते! तनुवाए किं गरुए? लहुए? गरुयलहुए? अगरुयलहुए? गोयमा! नो गरुए, नो लहुए, गरुयलहुए, नो अगरुयलहुए। एवं सत्तमे घनवाए, सत्तमे घनोदही, सत्तमा पुढवी। ओवासंतराइं सव्वाइं जहा सत्तमे ओवासंतरे। जहा तनुवाए एवं–ओवास-वाय-घनउदही, पुढवी दीवा य सागरा वासा। नेरइया णं भंते! किं गरुया? लहुया? गरुयलहुया? अगरुयलहुया? गोयमा! नो गरुया, नो लहुया, गरुयलहुया वि, अगरुयलहुया वि। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–नेरइया नो गरुया? नो लहुया? गरुयलहुया वि? अगरुयलहुया वि? गोयमा! विउव्विय-तेयाइं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! શું સાતમો અવકાશાંતર ગુરુ(ભારે) છે, લઘુ(હલકો) છે, (ગુરુ – લઘુ)ભારે – હલકો છે કે અગુરુલઘુ છે ? ગૌતમ ! તે ભારે, હલકો કે ભારે – હલકો નથી, પણ અગુરુલઘુ છે. ભગવન્‌ ! સાતમો તનુવાત શું ભારે છે, હલકો છે, ભારે – હલકો છે કે અગુરુલઘુ છે ? ગૌતમ ! ભારે, હલકો કે અગુરુલઘુ નથી, પણ ભારે હલકો છે. એ પ્રમાણે સાતમો ઘનવાત, સાતમો ઘનોદધિ, સાતમી
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शतक-१

उद्देशक-९ गुरुत्त्व Gujarati 96 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से नूनं भंते! लाघवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं? हंता गोयमा! लाघवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं। से नूनं भंते! अकोहत्तं अमानत्तं अमायत्तं अलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं? हंता गोयमा! अकोहत्तं अमानत्तं अमायत्तं अलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं। से नूनं भंते! कंखापदोसे खीणे समणे निग्गंथे अंतकरे भवति, अंतिमसरीरिए वा? बहुमोहे वि य णं पुव्विं विहरित्ता अह पच्छा संवुडे कालं करेइ ततो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? हंता गोयमा! कंखापदोसे खीणे समणे निग्गंथे

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! લાઘવ, અલ્પ ઈચ્છા, અમૂર્છા, અગૃદ્ધિ – (અનાસક્તિ), અપ્રતિબદ્ધતા, એ બધું શ્રમણ નિર્ગ્રન્થો માટે પ્રશસ્ત છે ? હા, ગૌતમ ! છે. ભગવન્‌ ! અક્રોધત્વ, અમાનત્વ, અમાયાત્વ, અલોભત્વ શ્રમણ નિર્ગ્રન્થો માટે પ્રશસ્ત છે? હા, ગૌતમ ! છે. ભગવન્‌ ! કાંક્ષાપ્રદોષ ક્ષીણ થતાં શ્રમણ નિર્ગ્રન્થ અંતઃકર અને અંતિમ શરીરી થાય ? અથવા પૂર્વઅવસ્થામાં
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शतक-१

उद्देशक-९ गुरुत्त्व Gujarati 97 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति, एवं भासंति, एवं पन्नवेंति, एवं परूवेंति–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तं जहा–इहभवियाउयं च, परभवियाउयं च। जं समयं इहभवियाउयं पकरेति, तं समयं परभवियाउयं पकरेति। जं समयं परभवियाउयं पकरेति, तं समयं इहभवियाउयं पकरेति। इहभवियाउयस्स पकरणयाए परभवियाउयं पकरेति, परभवियाउयस्स पकरणयाए इहभवियाउयं पकरेति। एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तं जहा–इहभवियाउयं च, परभवियाउयं च। से कहमेयं भंते! एवं? गोयमा! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तं जहा–इहभ-वियाउयं च, परभवियाउयं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! અન્યતીર્થિકો આ પ્રમાણે કહે છે – ભાષે છે – જણાવે છે – પ્રરૂપે છે કે – એક જીવ એક સમયે બે આયુને વેદે છે, તે આ – આ ભવનું આયુ અને, પરભવનુ આયુ. જે સમયે જીવ આ ભવનુ આયુ વેદે છે, તે સમયે પરભવનુ આયુ પણ વેદે છે, જે સમયે પરભવનુ આયુ વેદે છે તે સમયે આ ભવનુ આયુ પણ વેદે છે. આ ભવનુ આયુ વેદન કરતા પરભવના આયુનું વેદન કરે છે, પરભવનુ
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शतक-१

उद्देशक-९ गुरुत्त्व Gujarati 99 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भंते ति! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी–से नूनं भंते! सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ? हंता गोयमा! सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ? गोयमा! अविरतिं पडुच्च। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! એમ કહી ગૌતમ, શ્રમણ ભગવન્‌ મહાવીરને વંદન, નમસ્કાર કરે છે. કરીને આમ કહ્યું – ભગવન્‌ ! શું શેઠ, દરિદ્ર, લોભી, ક્ષત્રિય એ બધા એક સાથે અપ્રત્યાખ્યાન ક્રિયા કરે – (અપ્રત્યાખ્યાન જન્ય કર્મબંધ સમાન હોય) ? હા, ગૌતમ ! શેઠ યાવત્ ક્ષત્રિયને અપ્રત્યાખ્યાન જન્ય કર્મબંધ સમાન હોય. ભગવન્‌ ! એમ કેમ કહ્યું ? ગૌતમ ! અવિરતિ ભાવની
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शतक-१

उद्देशक-९ गुरुत्त्व Gujarati 100 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] आहाकम्मं णं भुंजमाणे समणे निग्गंथे किं बंधइ? किं पकरेइ? किं चिणाइ? किं उवचिणाइ? गोयमा! आहाकम्मं णं भुंजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ सिढिलबंधनबद्धाओ धनियबंधनबद्धाओ पकरेइ, हस्स कालठिइयाओ दीहकालठिइयाओ पकरेइ, मंदानुभावाओ तिव्वा-नुभावाओ पकरेइ, अप्पपएसग्गाओ बहुप्पएसग्गाओ पकरेइ, आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अनाइयं च णं अनवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं अनुपरियट्टइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–आहाकम्मं णं भुंजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ सिढिलबंधनबद्धाओ धनियबंधनबद्धाओ पकरेइ जाव चाउरंतं

Translated Sutra: આધાકર્મી દોષયુક્ત આહાર કરતો શ્રમણ નિર્ગ્રન્થ શું બાંધે ? શું કરે છે ? શું ચય કરે છે ? શું ઉપચય કરે છે ? ગૌતમ ! આધાકર્મી દોષયુક્ત આહાર કરતો શ્રમણ આયુકર્મ સિવાયની શિથિલબંધન બદ્ધ સાતે કર્મપ્રકૃતિને દૃઢ બંધન બદ્ધ કરે છે યાવત્‌ સંસારમાં ભમે છે. ભગવન્‌ ! એમ કેમ કહ્યું ? ગૌતમ ! આધાકર્મી દોષયુક્ત આહાર કરતો શ્રમણ આત્મધર્મને
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शतक-१

उद्देशक-६ यावंत Gujarati 78 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अत्थि णं भंते! सदा समितं सुहुमे सिनेहकाए पवडइ? हंता अत्थि। से भंते! किं उड्ढे पवडइ? अहे पवडइ? तिरिए पवडइ? गोयमा! उड्ढे वि पवडइ, अहे वि पवडइ, तिरिए वि पवडइ। जहा से बायरे आउयाए अन्नमन्नसमाउत्ते चिरं पि दीहकालं चिट्ठइ तहा णं से वि? नो इणट्ठे समट्ठे। से णं खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! સદા સૂક્ષ્મ સ્નેહકાય પાણી. સદા પરિમિત પડે છે ? હા, પડે છે. ભગવન્‌ ! તે ઊર્ધ્વ પડે, નીચે પડે કે તિર્છુ પડે ? ગૌતમ ! ઉર્ધ્વ – અધો – તિર્છુ ત્રણે પડે. ભગવન્‌ ! તે સૂક્ષ્મ અપ્‌કાય આ સ્થૂળ અપ્‌કાય માફક પરસ્પર સમાયુક્ત થઈને લાંબો કાળ રહે ? ગૌતમ ! આ અર્થ સમર્થ નથી. તે સૂક્ષ્મ અપ્‌કાય શીઘ્ર જ નાશ પામે. હે ભગવન્‌ ! તે એમ
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शतक-१

उद्देशक-७ नैरयिक Gujarati 79 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं–१. देसेणं देसं उववज्जइ? २. देसेणं सव्वं उववज्जइ? ३. सव्वेणं देसं उववज्जइ? ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं उववज्जइ। २. नो देसेणं सव्वं उववज्जइ। ३. नो सव्वेणं देसं उववज्जइ। ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ। जहा नेरइए, एवं जाव वेमाणिए।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! નૈરયિકોમાં ઉત્પદ્યમાન શું એક ભાગથી એક ભાગને આશ્રીને ઉત્પન્ન થાય, એક ભાગથી સર્વ ભાગને આશ્રીને ઉત્પન્ન થાય, કે સર્વથી દેશ ભાગે ઉપજે કે સર્વથી સર્વ ભાગે ઉપજે ? ગૌતમ ! દેશથી દેશ, દેશથી સર્વ કે સર્વથી દેશ ભાગે ઉત્પન્ન ન થાય, પણ સર્વથી સર્વ ભાગે ઉપજે. આ પ્રમાણે નૈરયિકવત્‌ વૈમાનિક સુધી જાણવું.
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शतक-१

उद्देशक-७ नैरयिक Gujarati 80 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं–१. देसेणं देसं आहारेइ? २. देसेणं सव्वं आहारेइ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ? ४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं आहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ। ३. सव्वेणं वा देसं आहारेइ। ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उव्वट्टमाणे, किं–१. देसेणं देसं उव्वट्टइ? २. देसेणं सव्वं उव्वट्टइ? ३. सव्वेणं देसं उव्वट्टइ? ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं उव्वट्टइ। २. नो देसेणं सव्वं उव्वट्टइ। ३. नो सव्वेणं देसं उव्वट्टइ। ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ। एवं जाव वेमाणिए। नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! નૈરયિકોમાં ઉત્પદ્યમાન નૈરયિક શું દેશથી દેશનો આહાર કરે ? દેશથી સર્વનો આહાર કરે ? સર્વથી દેશનો આહાર કરે ? કે સર્વથી સર્વનો આહાર કરે ? ગૌતમ ! દેશથી દેશનો કે દેશથી સર્વનો આહાર ન કરે. સર્વથી દેશનો કે સર્વથી સર્વનો આહાર કરે. એ પ્રમાણે વૈમાનિક પર્યન્ત જાણવું. ભગવન્‌ ! નૈરયિકોથી ઉદ્વર્તતો નૈરયિક શું દેશથી દેશે
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शतक-१

उद्देशक-७ नैरयिक Gujarati 81 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! किं विग्गहगइसमावण्णए? अविग्गहगइसमावण्णए? गोयमा! सिय विग्गहगइसमावण्णए, सिय अविग्गहगइसमावण्णए। एवं जाव वेमाणिए। जीवा णं भंते! किं विग्गहगइसमावण्णया? अविग्गहगइसमावण्णया? गोयमा! विग्गहगइसमावन्नगा वि, अविग्गहगइसमावन्नगा वि। नेरइया णं भंते! किं विग्गहगइसमावन्नगा? अविग्गहगइसमावन्नगा? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्ज अविग्गहगइसमावन्नगा। अहवा अविग्गहगइसमावन्नगा, विग्गहगइ-समावन्नगे य। अहवा अविग्गहगइसमावन्नगा य, विग्गहगइसमावन्नगा य। एवं जीव–एगिंदिय-वज्जो तियभंगो।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! શું જીવ વિગ્રહગતિને પ્રાપ્ત છે કે અવિગ્રહ ગતિને ? ગૌતમ ! થોડો વિગ્રહ ગતિને અને થોડો અવિગ્રહ ગતિને પ્રાપ્ત છે. એ પ્રમાણે વૈમાનિક સુધી જાણવું. ભગવન્‌ ! જીવો વિગ્રહ ગતિને પ્રાપ્ત છે કે અવિગ્રહ ગતિને? ગૌતમ ! બંને. ભગવન્‌ ! નૈરયિકો વિગ્રહગતિને પ્રાપ્ત છે કે અવિગ્રહ ગતિને ? ગૌતમ ! તે બધા અવિગ્રહ ગતિને પ્રાપ્ત
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शतक-१

उद्देशक-७ नैरयिक Gujarati 82 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] देवे णं भंते! महिड्ढिए महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्खे महानुभावे अविउक्कंतियं चयमाणे किंचिकालं हिरिवत्तियं दुगंछावत्तियं परीसहवत्तियं आहारं नो आहारेइ। अहे णं आहारेइ आहारि-ज्जमाणे आहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीने य आउए भवइ। जत्थ उववज्जइ तं आउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा–तिरिक्खजोणियाउयं वा, मनुस्साउयं वा? हंता गोयमा! देवेणं महिड्ढिए महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्खे महानुभावे अविउक्कंतियं चयमाणे किंचिकालं हिरिवत्तियं दुगंछावत्तियं परीसहवत्तियं आहारं नो आहारेइ। अहे णं आहारेइ आहारिज्जमाणे आहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीने य आउए भवइ। जत्थ उववज्जइ

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! મહાઋદ્ધિવાન, મહાદ્યુતિવાન, મહાબલવાન, મહાયશવાન, મહા સુખસંપન્ન, મહાનુભાવ(અચિંત્ય શક્તિવાળા), મરણકાળે ચ્યવતો દેવ લજ્જા – દુગંછા – પરીષહને કારણે થોડો સમય આહાર કરતો નથી, પછી આહાર કરે છે અને ગ્રહણ કરાતો આહાર પરિણમે પણ છે, છેવટે તેનું આયુ સર્વથા નષ્ટ થાય છે, તેથી તે દેવ જ્યાં ઉત્પન્ન થાય ત્યાંનું આયુ અનુભવે.
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शतक-१

उद्देशक-७ नैरयिक Gujarati 83 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! गब्भं वक्कममाणे किं सइंदिए वक्कमइ? अनिंदिए वक्कमइ? गोयमा! सिय सइंदिए वक्कमइ। सिय अनिंदिए वक्कमइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सिय सइंदिए वक्कमइ? सिय अनिंदिए वक्कमइ? गोयमा! दव्विंदियाइं पडुच्च अनिंदिए वक्कमइ। भाविंदियाइं पडुच्च सइंदिए वक्कमइ। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–सिय सइंदिए वक्कमइ। सिय अनिंदिए वक्कमइ। जीवे णं भंते! गब्भं वक्कममाणे किं ससरीरी वक्कमइ, असरीरी वक्कमइ? गोयमा! सिय ससरीरी वक्कमइ। सिय असरीरी वक्कमइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सिय ससरीरी वक्कमइ? सिय असरीरी वक्कमइ? गोयमा! ओरालिय-वेउव्विय-आहारयाइं पडुच्च असरीरी वक्कमइ। तेया-कम्माइं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! ગર્ભમાં ઉત્પન્ન થતો જીવ સેન્દ્રિય ઉત્પન્ન થાય કે અનિન્દ્રિય ? ગૌતમ ! ઇન્દ્રિયવાળો પણ ઉત્પન્ન થાય, ઇન્દ્રિય વિનાનો પણ. ભગવન્‌ ! એમ કેમ કહ્યું ? ગૌતમ ! દ્રવ્યેન્દ્રિયોની અપેક્ષાએ અનિન્દ્રિય અને ભાવેન્દ્રિય અપેક્ષાએ ઇન્દ્રિય વાળો ઉત્પન્ન થાય, તેથી એ પ્રમાણે કહ્યું. ભગવન્‌ ! ગર્ભમાં ઉપજતો જીવ સશરીરી ઉત્પન્ન
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-७ नैरयिक Gujarati 84 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! गब्भगए समाणे किं आहारमाहारेइ? गोयमा! जं से माया नाणाविहाओ रसविगतीओ आहारमाहारेइ, तदेकदेसेणं ओयमाहारेइ। जीवस्स णं भंते! गब्भगयस्स समाणस्स अत्थि उच्चारे इ वा पासवने इ वा खेले इ वा सिंघाणे इ वा वंते इ वा पित्ते इ वा? नो इणट्ठे समट्ठे। से केणट्ठेणं? गोयमा! जीवे णं गब्भगए समाणे जमाहारेइ तं चिणाइ, तं जहा–सोइंदियत्ताए, चक्खिंदियत्ताए, घाणिंदियत्ताए, रसिंदियत्ताए फासिंदियत्ताए, अट्ठि-अट्ठिमिंज-केस-मंसु-रोम-नहत्ताए। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–जीवस्स णं गब्भगयस्स समाणस्स नत्थि उच्चारे इ वा पासवने इ वा खेले इ वा सिंघाणे इ वा वंते इ वा पित्ते इ वा। जीवे णं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! ગર્ભગત જીવ નૈરયિકમાં ઉત્પન્ન થાય ? ગૌતમ ! કોઈ ઉપજે, કોઈ ન ઉપજે. ભગવન્‌ ! એમ કેમ કહો છો ? ગૌતમ ! તે સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિય સર્વ પર્યાપ્તિથી પર્યાપ્ત, વીર્યલબ્ધિ અને વૈક્રિય લબ્ધિ વડે શત્રુસૈન્ય આવેલ સાંભળીને, અવધારીને આત્મ – પ્રદેશોને બહાર ફેંકે છે, ફેંકીને વૈક્રિય સમુદ્‌ઘાત વડે ચાતુરંગિણી સેના વિકુર્વે,
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-८ बाल Gujarati 85 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगंतबाले णं भंते! मनुस्से किं नेरइयाउयं पकरेति? तिरिक्खाउयं पकरेति? मनुस्साउयं पकरेति? देवाउयं पकरेति? नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति? तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति? मनुस्साउयं किच्चा मनुस्सेसु उववज्जति? देवाउयं किच्चा देवलोगेसु उववज्जति? गोयमा! एगंतबाले णं मनुस्से नेरइयाउयं पि पकरेति, तिरियाउयं वि पकरेति, मनुस्साउयं पि पकरेति, देवाउयं पि पकरेति, नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति, तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति, मनुस्साउयं किच्चा मनुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवलोगेसु उववज्जति।

Translated Sutra: રાજગૃહમાં સમોસરણ થયું યાવત્‌ એ પ્રમાણે બોલ્યા કે – ભગવન્‌ ! એકાંતબાલ – મનુષ્ય શું નૈરયિકનું આયુ બાંધે કે તિર્યંચનું બાંધે,, મનુષ્યાયુ બાંધે અથવા દેવાયુ બાંધે ? નૈરયિકાયુ બાંધી નૈરયિકમાં ઉપજે, તિર્યંચઆયુ બાંધી તિર્યંચમાં ઉપજે, મનુષ્યાયુ બાંધી મનુષ્યમાં ઉપજે કે દેવાયુ બાંધી દેવલોકમાં ઉપજે ? ગૌતમ ! એકાંતબાલ
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-८ बाल Gujarati 86 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगंतपंडिए णं भंते! मनुस्से किं नेरइयाउयं पकरेति? तिरिक्खाउयं पकरेति? मनुस्साउयं पकरेति? देवाउयं पकरेति? नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति? तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति? मनुस्साउयं किच्चा मनुस्सेसु उववज्जति? देवाउयं किच्चा देवलोएसु उववज्जति? गोयमा! एगंतपंडिए णं मनुस्से आउयं सिय पकरेति, सिय नो पकरेति, जइ पकरेति नो नेरइयाउयं पकरेति, नो तिरियाउयं पकरेति, नो मनुस्साउयं पकरेति, देवाउयं पकरेति, नो नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति, नो तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति, नो मनुस्साउयं किच्चा मनुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति। से केणट्ठेणं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! એકાંત પંડિત મનુષ્ય શું નૈરયિકાયુ બાંધે યાવત્‌ દેવાયુ બાંધી દેવલોકમાં ઉપજે ? ગૌતમ ! એકાંત પંડિત મનુષ્યઆયુ બાંધે અથવા ન બાંધે. જો બાંધે તો નૈરયિક – તિર્યંચ – મનુષ્યાયુ ન બાંધે, દેવાયુ જ બાંધે. નૈરયિક – તિર્યંચ કે મનુષ્યમાં ન ઉપજે, દેવાયુ બાંધીને દેવોમાં જ ઉપજે. ભગવન્‌ ! એમ કેમ કહ્યું કે દેવાયુનો બંધ કરી
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-८ बाल Gujarati 87 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा वलयंसि वा नमंसि वा गहणंसि वा गहणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा वणंसि वा वणविदुग्गंसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एते मिय त्ति काउं अन्नयरस्स मियस्स वहाए कूडपासं उद्दाति, ततो णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सिय तिकिरिए? सिय चउकिरिए? सिय पंचकिरिए? गोयमा! जे भविए उद्दवणयाए–नो बंधनयाए, नो मारणयाए–तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाओसियाए –तिहिं किरियाहिं पुट्ठे। जे भविए उद्दवणताए वि, बंधनताए

Translated Sutra: સૂત્ર– ૮૭. ભગવન્‌ ! મૃગવૃત્તિક – (મૃગ વડે આજીવિકા ચલાવનાર), મૃગોનો શિકારી, મૃગોના શિકારમાં તલ્લીન એવો કોઈ પુરુષ મૃગ – (હરણ)ને મારવા માટે કચ્છ(નદીથી ઘેરાયેલા ઝાડીવાળા સ્થાન)માં, દ્રહ(જળાશય)માં, ઉદકમાં, ઘાસાદિના સમૂહમાં, વલય(ગોળાકાર નદીના જળથી યુક્ત સ્થાન)માં, અંધકારયુક્ત પ્રદેશમાં, ગહન વનમાં, ગહન – વિદુર્ગમાં,
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

Gujarati 8 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूती नामं अनगारे गोयम सगोत्ते णं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसभनारायसंघयणे कनगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे ओराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेस्से चोद्दसपुव्वी चउनाणोवगए सव्वक्खरसन्निवाती समणस्स भगवओ महा-वीरस्स अदूरसामंते उड्ढंजाणू अहोसिरे ज्झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ।

Translated Sutra: તે કાળે, તે સમયે શ્રમણ ભગવંત મહાવીરની પાસે ઉભડક પગે રહેલા, નીચે નમેલ મુખવાળા, ધ્યાનરૂપ કોષ્ઠમાં પ્રવિષ્ટ, તેમના મોટા શિષ્ય ઇન્દ્રભૂતિ અણગાર, ગૌતમગોત્રીય, સાત હાથ ઊંચા, સમચોરસ સંસ્થાનવાળા, વજ્રઋષભનારાચ સંઘયણી, તેના શરીરનો વર્ણ સુવર્ણની રેખા સમાન અને પદ્મ પરાગ સમાન ગૌર હતો, તેઓ ઉગ્ર તપસ્વી, દીપ્તતપસ્વી, તપ્તતપસ્વી,
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 9 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तते णं से भगवं गोयमे जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्नसड्ढे उप्पन्नसंसए उप्पन्नकोउहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोउहल्ले समुप्पन्नसड्ढे समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उट्ठाए उट्ठेति, उट्ठेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलियडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी– से नूनं भंते! चलमाणे चलिए? उदीरिज्जमाणे उदोरिए? वेदिज्जमाणे वेदिए? पहिज्जमाणे पहीने? छिज्जमाणे छिन्ने? भिज्जमाणे भिन्ने?

Translated Sutra: ત્યારપછી ગૌતમસ્વામી જાત શ્રદ્ધ(અર્થતત્વ જાણવાની ઈચ્છા), જાત સંશય(જાણવાની જિજ્ઞાસા), જાત કુતૂહલ, ઉત્પન્ન શ્રદ્ધ, ઉત્પન્ન સંશય, ઉત્પન્ન કુતૂહલ, સંજાત શ્રદ્ધ, સંજાત સંશય, સંજાત કુતૂહલ, સમુત્પન્ન શ્રદ્ધ, સમુત્પન્ન સંશય, સમુત્પન્ન કુતૂહલ (જેમને શ્રદ્ધા – સંશય – કુતૂહલ જન્મ્યા છે – ઉત્પન્ન થયા છે – પ્રબળ બન્યા છે
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 10 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एए णं भंते! नव पदा किं एगट्ठा नानाघोसा नानावंजणा? उदाहु नाणट्ठा नानाघोसा नानावंजणा? गोयमा! चलमाणे चलिए, उदीरिज्जमाणे उदीरिए, वेदिज्जमाणे वेदिए, पहिज्जमाणे पहीने– एए णं चत्तारि पदा एगट्ठा नानाघोसा नानावंजणा उप्पन्नपक्खस्स। छिज्जमाणे छिन्ने, भिज्जमाणे भिन्ने, दज्झमाणे दड्ढे, भिज्जमाणे मए, निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे– एए णं पंच पदा नाणट्ठा नानाघोसा नानावंजणा विगयपक्खस्स।

Translated Sutra: આ નવ પદો, હે ભગવન્‌ ! શું એકાર્થક, વિવિધ ઘોષ અને વિવિધ વ્યંજનવાળા છે ? કે વિવિધ અર્થ, વિવિધ ઘોષ અને વિવિધ વ્યંજનવાળા છે ? હે ગૌતમ ! ચાલતું ચાલ્યુ, ઉદીરાતુ ઉદીરાયુ, વેદાતુ વેદાયુ, પડતુ પડ્યુ આ ચારે પદો ઉત્પન્ન પક્ષની અપેક્ષાએ એકાર્થક, વિવિધ ઘોષ, વિવિધ વ્યંજનવાળા છે. આ ચારે પદો છદ્મસ્થ આવરક કર્મોનો નાશ કરી કેવળજ્ઞાન
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 11 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: नेरइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता। नेरइया णं भंते! केवइकालस्स आणमंति वा? पाणमंति वा? ऊससंति वा? नीससंति वा? जहा उस्सासपदे। नेरइया णं भंते! आहारट्ठी? हंता गोयमा! आहारट्ठी। जहा पन्नवणाए पढमए आहारुद्देसए तहा भाणियव्वं–

Translated Sutra:
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 13 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइयाणं भंते! पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया? आहारिया आहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया? अनाहारिया आहारिज्जिस्समाणा पोग्गला परिणया? अनाहारिया अनाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला परिणया? गोयमा! नेरइयाणं पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया। आहारिया आहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया, परिणमंति य। अनाहारिया आहारिज्जिस्समाणा पोग्गला नो परिणया, परिणमिस्संति। अनाहारिया अनाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला नो परिणया, नो परिणमिस्संति।

Translated Sutra: હે ભગવન્‌ ! નૈરયિકોને ૧. પહેલા આહાર કરેલા પુદ્‌ગલો પરિણામ પામ્યા છે ? ૨. આહારેલ તથા આહારાતા પુદ્‌ગલો પરિણામ પામ્યા છે ? ૩. અનાહારિત તથા જે આહારાશે તે પુદ્‌ગલો પરિણામ પામ્યા છે ? ૪. અનાહારિત તથા આહારાશે નહીં તે પુદ્‌ગલો પરિણામ પામ્યા છે ? હે ગૌતમ ! નૈરયિકોને ૧. પહેલા આહાર કરેલા પુદ્‌ગલો પરિણામને પામ્યા છે. ૨. આહારેલા
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 14 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइयाणं भंते! पुव्वाहारिया पोग्गला चिया? पुच्छा– जहा परिणया तहा चियावि। एवं–उवचिया, उदीरिया, वेइया, निज्जिण्णा।

Translated Sutra: હે ભગવન્‌ ! નૈરયિકોને પૂર્વે આહારિત પુદ્‌ગલો ચય પામ્યા છે ? વગેરે પ્રશ્નો કરવા હે ગૌતમ ! જે રીતે પરિણામ પામ્યામાં કહ્યું, તે રીતે ચયને પામ્યામાં ચારે વિકલ્પો કહેવા. એ રીતે ઉપચય, ઉદીરણા, વેદના અને નિર્જરાના ચાર ચાર વિકલ્પો જાણવા.
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 16 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइया णं भंते! कइविहा पोग्गला भिज्जंति? गोयमा! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला भिज्जंति, तं जहा–अणू चेव, बादरा चेव। नेरइया णं भंते! कइविहा पोग्गला चिज्जंति? गोयमा! आहारदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला चिज्जंति, तं० अणू चेव, बादरा चेव। एवं उवचिज्जंति। नेरइया णं भंते! कइविहे पोग्गले उदीरेंति? गोयमा! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहे पोग्गले उदीरेंति, तं जहा–अणू चेव, बादरा चेव। सेसावि एवं चेव भाणियव्वा–वेदेंति, निज्जरेंति। एवं–ओयट्टेंसु, ओयट्टेंति, ओयट्टिस्संति। संकामिंसु, संकामेंति, संकामिस्संति। निहत्तिंसु निहत्तेतिं, निहत्तिस्संति। निकाएंसु, निकायंति,

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! નૈરયિકો કેટલા પુદ્‌ગલો ભેદે છે ? ગૌતમ ! કર્મદ્રવ્ય વર્ગણાને આશ્રીને બે પ્રકારે પુદ્‌ગલો ભેદે છે – સૂક્ષ્મ, બાદર. ભગવન્‌ ! નૈરયિકો કેટલા પુદ્‌ગલોનો ચય કરે છે ? ગૌતમ ! આહાર દ્રવ્ય વર્ગણા અપેક્ષાએ બે પ્રકારના પુદ્‌ગલો નો ચય કરે છે, તે આ – સૂક્ષ્મ અને બાદર. એ પ્રમાણે ઉપચયમાં જાણવું. કેટલા પુદ્‌ગલો ઉદીરે છે
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 18 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइया णं भंते! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेण्हंति, ते किं तीतकालसमए गेण्हंति? पडुप्पन्नकालसमए गेण्हंति? अनागयकालसमए गेण्हंति? गोयमा! नो तीयकालसमए गेण्हंति, पडुप्पन्नकालसमए गेण्हंति, तो अनागयकालसमए गेण्हंति। नेरइया णं भंते! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गहिए उदीरेंति, ते किं तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति? पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति? गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति? गोयमा! तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति, नो पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति, नो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति। एवं–वेदेंति, निज्जरेंति।

Translated Sutra: હે ભગવન્‌ ! જે પુદ્‌ગલોને તૈજસ – કાર્મણપણે ગ્રહણ કરે છે તેને અતીતકાલે કે વર્તમાનકાળે કે ભાવિકાલે ગ્રહણ કરે છે ? ગૌતમ ! અતીત કે ભાવિ કાળે ગ્રહણ કરતા નથી, વર્તમાનકાળે ગ્રહણ કરે છે. નૈરયિકો તૈજસ – કાર્મણપણાથી ગૃહીત પુદ્‌ગલો ઉદીરે તે શું અતીતકાળના કે વર્તમાનના કે આગામી કાળના પુદ્‌ગલોની ઉદીરણા કરે? ગૌતમ ! અતીતકાળમાં
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शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 19 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेरइया णं भंते! जीवाओ किं चलियं कम्मं बंधंति? अचलियं कम्मं बंधंति? गोयमा! नो चलियं कम्मं बंधंति, अचलियं कम्मं बंधंति। नेरइयाणं भंते! जीवाओ किं चलियं कम्मं उदीरेंति? अचलियं कम्मं उदीरेंति? गोयमा! नो चलियं कम्मं उदीरेंति, अचलियं कम्मं उदीरेंति। एवं–वेदेंति, ओयट्टेंति, संकामेंति, निहत्तेंति, निकाएंति। नेरइया णं भंते! जीवाओ किं चलियं कम्मं निज्जरेंति? अचलियं कम्मं निज्जरेंति? गोयमा! चलियं कम्मं निज्जरेंति, नो अचलियं कम्मं निज्जरेंति।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! ૧. નૈરયિકો જીવપ્રદેશથી ચલિત કર્મ બાંધે કે અચલિત કર્મને બાંધે ? ગૌતમ ! અચલિત કર્મ બાંધે, ચલિત કર્મ નહીં. (જે આકાશ પ્રદેશમાં જીવ પ્રદેશ સ્થિત છે, એ જ આકાશ પ્રદેશમાં કર્મ દલિકો સ્થિત ન હોય તેવા કર્મોને ચલિત અને તેથી વિપરીત કર્મને અચલિત કહે છે.) ૨. ભગવન્‌ ! નૈરયિકો જીવ પ્રદેશથી ચલિત કર્મને ઉદીરે કે અચલિત કર્મને
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 21 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एवं ठिई आहारो य भाणियव्वो। ठिती जहा– ठितिपदे तहा भाणियव्वा सव्वजीवाणं। आहारो वि जहा पन्नवणाए पढमे आहारुद्देसए तहा भाणियव्वो, एत्तो आढत्तो–नेरइया णं भंते! आहारट्ठी? जाव दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति। असुरकुमारा णं भंते! केवइकालस्स आणमंति वा ४? गोयमा! जहन्नेणं सत्तण्हं थोवाणं, उक्कोसेणं साइरेगस्स पक्खस्स आणमंति वा ४ | असुरकुमारा णं भंते! आहारट्ठी? हंता, आहारट्ठी । [असुरकुमारा णं भंते! केवइकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ? गोयमा! असुरकुमाराणं दुविहे आहारे पन्नत्ते। तंजहा-आभोगनिव्वत्तिए य, अनाभोगनिव्वत्तिए य। तत्थ णं जे से अनाभोग निव्वत्तिए

Translated Sutra: એ રીતે સ્થિતિ અને આહાર કહેવા. સ્થિતિ, સ્થિતિ પદ મુજબ કહેવી. સર્વે જીવોનો આહાર, પન્નવણાના આહારોદ્દેશક મુજબ કહેવો. ભગવન્‌ ! નૈરયિક આહારાર્થી છે ? યાવત્‌ વારંવાર દુઃખપણે પરિણમે છે ? ગૌતમ ! ત્યાં સુધી આ સૂત્ર કહેવા. ભગવન્‌ ! અસુરકુમારોની સ્થિતિ કેટલો કાળ છે ? જઘન્યથી ૧૦,૦૦૦ વર્ષ અને ઉત્કૃષ્ટથી સાતિરેક સાગરોપમ કાળ. ભગવન્‌
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 22 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जीवा णं भंते! किं आयारंभा? परारंभा? तदुभयारंभा? अनारंभा? गोयमा! अत्थेगइया जीवा आयारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अनारंभा।अत्थे-गइया जीवा नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा, अनारंभा। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ– अत्थेगइया जीवा आयारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अनारंभा? अत्थे गइया जीवा नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा, अनारंभा? गोयमा! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–संसारसमावन्नगा य, असंसारसमावन्नगा य। तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा, ते णं सिद्धा। सिद्धा णं नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयरंभा, अनारंभा। तत्थ णं जे ते संसारसमावन्नगा, ते दुविहा पन्नत्ता,

Translated Sutra: હે ભગવન્‌ ! જીવો શું આત્મારંભી છે, પરારંભી છે કે તદુભયારંભી છે કે અનારંભી છે ? ગૌતમ ! કેટલાક જીવો આત્મારંભી છે, પરારંભી છે કે તદુભયારંભી છે, પણ અનારંભી નથી. કેટલાક જીવો આત્મારંભી છે, પરારંભી છે કે તદુભયારંભી નથી, પણ અનારંભી છે. હે ભગવન્‌ ! એમ કેમ કહો છો કે કેટલાક જીવો આત્મારંભી છે ઇત્યાદિ – ગૌતમ ! જીવો બે ભેદે કહ્યા
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 23 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इहभविए भंते! नाणे? परभविए नाणे? तदुभयभविए नाणे? गोयमा! इहभविए वि नाणे, परभविए वि नाणे, तदुभयभविए वि नाणे। इहभविए भंते! दंसणे? परभविए दंसणे? तदुभयभविए दंसणे? गोयमा! इहभविए वि दंसणे, परभविए वि दंसणे, तदुभयभविए वि दंसणे। इहभविए भंते! चरित्ते? परभविए चरित्ते? तदुभयभविए चरित्ते? गोयमा! इहभविए चरित्ते, नो परभविए चरित्ते, नो तदुभयभविए चरित्ते। इहभविए भंते! तवे? परभविए तवे? तदुभयभविए तवे? गोयमा! इहभविए तवे, नो परभविए तवे, नो तदुभयभविए तवे। इहभविए भंते! संजमे? परभविए संजमे? तदुभयभविए संजमे? गोयमा! इहभविए संजमे, नो परभविए संजमे, नो भदुभयभविए संजमे।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! જ્ઞાન ઇહભવિક છે, પરભવિક છે, કે તદુભયભવિક છે ? ગૌતમ ! ઇહભવિક પણ છે, પરભવિક પણ છે, તદુભયભવિક પણ છે. દર્શન પણ એમ જ જાણવું. ભગવન્‌ ! ચારિત્ર ઇહભવિક છે, પરભવિક છે કે તદુભયભવિક ? હે ગૌતમ ! તે ઇહભવિક છે. પરભવિક કે તદુભયભવિક નહીં. એ રીતે તપ, સંયમ જાણવા.
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 24 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] असंवुडे णं भंते! अनगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–असंवुडे णं अनगारे नो सिज्झइ, नो बुज्झइ, नो मुच्चइ, नो परिनिव्वाइ, नो सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ? गोयमा! असंवुडे अनगारे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ सिढिलबंधनबद्धाओ धनिय-बंधनबद्धाओ पकरेइ, हस्सकालठिइयाओ दीहकालठिइयाओ पकरेइ, मंदानुभावाओ तिव्वानुभावाओ पकरेइ, अप्पपएसग्गाओ बहुप्पएसग्गाओ पकरेइ, आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अनाइयं च णं अनवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! શું અસંવૃત્ત(અર્થાત હિંસા આદિ આશ્રવદ્વારોને પૂર્ણ રીતે રોકેલ નથી તે) અણગાર સિદ્ધ, બુદ્ધ, મુક્ત, નિર્વાણપ્રાપ્ત અને સર્વ દુઃખનો અંતકર થાય છે ? ગૌતમ ! આ અર્થ યોગ્ય નથી. ભગવન્‌ ! કયા કારણથી આમ કહ્યું ? ગૌતમ ! અસંવૃત્ત અનગાર આયુને છોડીને શિથિલબંધનવાળી સાત કર્મ – પ્રકૃતિઓને ઘન બંધનવાળી કરે છે. હ્રસ્વકાલની
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-१ चलन Gujarati 25 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! अस्संजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इओ चुए पेच्चा देवे सिया? गोयमा! अत्थेगइए देवे सिया, अत्थेगइए नो देवे सिया। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अस्संजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मेव इओ चुए पेच्चा अत्थेगइए देवे सिया, अत्थेगइए नो देवे सिया? गोयमा! जे इमे जीवा गामागर-नगर-निगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा- सम-सन्निवेसेसु अकामतण्हाए, अकामछुहाए, अकामबंभचेरवासेनं, अकामसीता-तव-दंसमसग अण्हागय-सेय-जल्ल-मल-पंक-परिदाहेणं अप्पतरं वा भुज्जतरं वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति, परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु सु वाणमंतरेसु देवलोगेसु

Translated Sutra: હે ભગવન્‌ ! અસંયત, અવિરત, જેણે પાપકર્મનું હનન અને પચ્ચક્‌ખાણ કર્યા નથી એવો જીવ અહીંથી ચ્યવીને પરલોકમાં દેવ થાય છે ? ગૌતમ ! કેટલાક દેવ થાય છે અને કેટલાક દેવ થતા નથી. ભગવન્‌ ! એવું કેમ કહ્યું કે – કેટલાક દેવ થાય અને કેટલાક દેવ ન થાય? ગૌતમ ! જે આ જીવો ગામ, આકર(ખાણ), નગર, નિગમ(વ્યાપાર કેન્દ્ર), રાજધાની, ખેડ(જેની ચારે બાજુ ધૂળથી
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-२ दुःख Gujarati 26 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] रायगिहे नगरे समोसरणं। परिसा निग्गया जाव एवं वयासी– जीवे णं भंते! सयंकडं दुक्खं वेदेइ? गोयमा! अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अत्थेगइयं वेदेइ? अत्थेगइयं नो वेदेइ? गोयमा! उदिण्णं वेदेइ, नो अनुदिण्णं वेदेइ। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ। एवं–जाव वेमाणिए। जीवा णं भंते! सयंकडं दुक्खं वेदेंति? गोयमा! अत्थेगइयं वेदेंति, अत्थेगइयं नो वेदेंति। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अत्थेगइयं वेदेंति? अत्थेगइयं नो वेदेंति? गोयमा! उदिण्णं वेदेंति, नो अनुदिण्णं वेदेंति। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– अत्थेगइयं

Translated Sutra: રાજગૃહ નગરમાં સમોસરણ થયું, દર્શન વંદનાદિ માટેપર્ષદા નીકળી યાવત્‌ આ રીતે બોલ્યા – એક જીવ સ્વયંકૃત દુઃખને વેદે છે ? ગૌતમ ! કેટલુંક વેદે છે, કેટલુંક નથી વેદતા. ભગવન્‌ ! આ પ્રમાણે કેમ કહો છો ? કેટલુંક વેદે છે, કેટલુંક નથી વેદતા. ગૌતમ ! ઉદીર્ણ – (ઉદયમાં આવેલા)ને વેદે છે, અનુદીર્ણ – (ઉદયમાં ન આવેલા)ને વેદતા નથી. માટે એ પ્રમાણે
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