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Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 654 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जहा दुक्खं भरेउं जे होइ वायस्स कोत्थलो । तहा दुक्खं करेउं जे कीवेणं समणत्तणं ॥

Translated Sutra: जैसे वस्त्र के थैला हवा से भरना कठिन है, वैसे ही कायरों के द्वारा श्रमणधर्म का पालन भी कठिन होता है
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 655 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जहा तुलाए तोलेउं दुक्करं मंदरो गिरी । तहा निहुयं नीसंकं दुक्करं समणत्तणं ॥

Translated Sutra: जैसे मेरुपर्वत को तराजू से तोलना दुष्कर है, वैसे ही निश्चल और निःशंक भाव से श्रमण धर्म का पालन करना दुष्कर है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 656 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जहा भुयाहिं तरिउं दुक्करं रयणागरो । तहा अणवसंतेणं दुक्करं दमसागरो ॥

Translated Sutra: जैसे भुजाओं से समुद्र को तैरना कठिन है, वैसे ही अनुपशान्त व्यक्ति के द्वारा संयम के सागर को पार करना दुष्कर है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 657 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] भुंज मानुस्सए भोगे पंचलक्खणए तुमं । भुत्तभोगी तओ जाया! पच्छा धम्मं चरिस्ससि ॥

Translated Sutra: पुत्र ! पहले तू मनुष्य – सम्बन्धी शब्द, रूप आदि पाँच प्रकार के भोगों का भोग कर। पश्चात्‌ भुक्तभोगी होकर धर्म का आचरण करना।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 658 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं बिंतम्मापियरो एवमेयं जहा फुडं । इह लोए निप्पिवासस्स नत्थि किंचि वि दुक्करं ॥

Translated Sutra: मृगापुत्र ने माता – पिता को कहा – आपने जो कहा है, वह ठीक है। किन्तु इस संसार में जिसकी प्यास बुझ चुकी है, उसके लिए कुछ भी दुष्कर नहीं है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 659 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सारीरमानसा चेव वेयणाओ अनंतसो । मए सोढाओ भीमाओ असइं दुक्खभयाणि य ॥

Translated Sutra: मैंने शारीरिक और मानसिक भयंकर वेदनाओं को अनन्त बार सहन किया है। और अनेक बार भयंकर दुःख और भय भी अनुभव किए हैं। मैंने नरक आदि चार गतिरूप अन्त वाले जरा – मरण रूपी भय के आकर कान्तार में भयंकर जन्म – मरणों को सहा है। सूत्र – ६५९, ६६०
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 660 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जरामरणकंतारे चाउरंते भयागरे । मए सोढाणि भीमाणि जम्माणि मरणाणि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६५९
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 661 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जहा इहं अगनी उण्हो एत्तोनंतगुणे तहिं । नरएसु वेयणा उण्हा अस्साया वेइया मए ॥

Translated Sutra: जैसे यहाँ अग्नि उष्ण है, उससे अनन्तगुण अधिक दुःखरूप उष्ण वेदना और जैसे यहाँ शीत है, उससे अनन्तगुण अधिक दुःखरूप शीतवेदना मैंने नरक में अनुभव की है। सूत्र – ६६१, ६६२
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 662 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जहा इमं इहं सीयं एत्तोनंतगुणं तहिं । नरएसु वेयणा सीया अस्साया वेइया मए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 663 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कंदंतो कंदुकुंभीसु उड्ढपाओ अहोसिरो । हुयासणे जलंतम्मि पक्कपुव्वो अनंतसो ॥

Translated Sutra: मैं नरक की कंदु कुम्भियों में – ऊपर पैर और नीचा सिर करके प्रज्वलित अग्नि में आक्रन्द करता हुआ अनन्त बार पकाया गया हूँ। महाभयंकर दावाग्नि के तुल्य मरु प्रदेश में तथा वज्रवालुका में और कदम्ब वालुका में मैं अनन्त बार जलाया गया हूँ। बन्धु – बान्धवों से रहित असहाय रोता हुआ मैं कन्दुकुम्भी में ऊंचा बाँधा गया तथा
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 664 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] महादवग्गिसंकासे मरुम्मि वइरवालुए । कलंबवालुयाए य दड्ढपुव्वो अनंतसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 665 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रसंतो कंदुकुंभीसु उड्ढं बद्धो अबंधवो । करवत्तकरकयाईहिं छिन्नपुव्वो अनंतसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 666 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अइतिक्खकंटगाइन्ने तुंगे सिंबलिपायवे । खेवियं पासबद्धेणं कड्ढोकड्ढाहिं दुक्करं ॥

Translated Sutra: अत्यन्त तीखे काँटों से व्याप्त ऊंचे शाल्मलि वृक्ष पर पाश से बाँधकर, इधर – उधर खींचकर मुझे असह्य कष्ट दिया गया। अति भयानक आक्रन्दन करता हुआ, मैं पापकर्मा अपने कर्मों के कारण, गन्ने की तरह बड़े – बड़े यन्त्रों में अनन्त बार पीला गया हूँ।मैं इधर – उधर भागता और आक्रन्दन करता हुआ, काले तथा चितकबरे सूअर और कुत्तों से
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 667 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] महाजंतेसु उच्छू वा आरसंतो सुभेरवं । पीलिओ मि सकम्मेहिं पावकम्मो अनंतसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 668 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कूवंतो कोलसुणएहिं सामेहिं सबलेहि य । पाडिओ फालिओ छिन्नो विप्फुरंतो अनेगसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 669 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असीहिं अयसिवण्णाहिं भल्लीहिं पट्टिसेहि य । छिन्नो भिन्नो विभिन्नो य ओइण्णो पावकम्मुणा ॥

Translated Sutra:
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 670 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अवसो लोहरहे जुत्तो जलंते समिलाजुए । चोइओ तोतजुत्तेहिं रोज्झो वा जह पाडिओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६९
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 671 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हुयासणे जलंतम्मि चियासु महिसो विव । दड्ढो पक्को य अवसो पावकम्मेहि पाविओ ॥

Translated Sutra: पापकर्मों से घिरा हुआ पराधीन मैं अग्नि की चिताओं में भैंसे की भाँति जलाया और पकाया गया हूँ। लोहे समान कठोर संडासी जैसी चोंचवाले ढंक एवं गीध पक्षियों द्वारा, मैं रोता – बिलखता हठात्‌ अनन्त बार नोचा गया हूँ सूत्र – ६७१, ६७२
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 672 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बला संडासतुंडेहिं लोहतुंडेहिं पक्खिहिं । विलुत्तो विलवंतो हं ढंकगिद्धेहिणंतसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६७१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 673 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तण्हाकिलंतो धावंतो पत्तो वेयरणिं नदिं । जलं पाहि त्ति चिंतंतो खुरधाराहिं विवाइओ ॥

Translated Sutra: प्यास से व्याकुल होकर, दौड़ता हुआ मैं वैतरणी नदी पर पहुँचा। ‘जल पीऊंगा’ – यह सोच ही रहा था कि छुरे की धार जैसी तीक्ष्ण जलधारा से मैं चीरा गया। गर्मी से संतप्त होकर मैं छाया के लिए असि – पत्र महावन में गया। किन्तु वहाँ ऊपर से गिरते हुए असि – पत्रों से – तलवार के समान तीक्ष्ण पत्तों से अनेक बार छेदा गया। सूत्र – ६७३,
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 674 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उण्हाभितत्तो संपत्तो असिपत्तं महावणं । असिपत्तेहिं पडंतेहिं छिन्नपुव्वो अनेगसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६७३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 675 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मुग्गरेहिं मुसंढीहिं सूलेहिं मुसलेहि य । गयासं भग्गगत्तेहिं पत्तं दुक्खं अनंतसो ॥

Translated Sutra: सब ओर से निराश हुए मेरे शरीर को मुद्‌गरों, मुसुण्डियों, शूलों और मुसलों से चूर – चूर किया गया। इस प्रकार मैंने अनन्त बार दुःख पाया है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 676 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] खुरेहिं तिक्खधारेहिं छुरियाहिं कप्पणीहि य । कप्पिओ फालिओ छिन्नो उक्कत्तो य अनेगसो ॥

Translated Sutra: पाशों और कूट जालों से विवश बने मृग की भाँति मैं भी अनेक बार छलपूर्वक पकड़ा गया हूँ, बाँधा गया हूँ, रोका गया हूँ और विनष्ट किया गया हूँ।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 677 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पासेहिं कूडजालेहिं मिओ वा अवसो अहं । वाहिओ बद्धरुद्धो अ बहुसो चेव विवाइओ ॥

Translated Sutra: गलों से तथा मगरों को पकड़ने के जालों से मत्स्य की तरह विवश मैं अनन्त बार खींचा गया, फाड़ा गया, पकड़ा गया और मारा गया। बाज पक्षियों, जालों तथा वज्रलेपों के द्वारा पक्षी की भाँति मैं अनन्त बार पकड़ा गया, चिपकाया गया, बाँधा गया और मारा गया। सूत्र – ६७७–६७९
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 678 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गलेहिं मगरजालेहिं मच्छो वा अवसो अहं । उल्लिओ फालिओ गहिओ मारिओ य अनंतसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६७७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 679 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वीदंसएहि जालेहिं लेप्पाहिं सउणो विव । गहिओ लग्गो बद्धो य मारिओ य अनंतसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६७७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 680 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कुहाडफरसुमाईहिं वड्ढईहिं दुमो विव । कुट्टिओ फालिओ छिन्नो तच्छिओ य अनंतसो ॥

Translated Sutra: बढ़ई के द्वारा वृक्ष की तरह कुल्हाडी और फरसा आदि से मैं अनन्त बार कूटा गया हूँ, फाड़ा गया हूँ, छेदा गया हूँ, और छीला गया हूँ। लुहारों के द्वारा लोहे की भाँति मैं परमाधर्मी असुर कुमारों के द्वारा चपत और मुक्का आदि से अनन्त बार पीटा गया, कूटा गया, खण्ड – खण्ड किया गया और चूर्ण बना दिया गया। सूत्र – ६८०, ६८१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 681 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चवेडमुट्ठिमाईहिं कुमारेहिं अयं पिव । ताडिओ कुट्टिओ भिन्नो चुण्णिओ य अनंतसो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६८०
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 682 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तत्ताइं तंबलोहाइं तउयाइं सीसयाणि य । पाइओ कलकलंताइं आरसंतो सुभेरवं ॥

Translated Sutra: भयंकर आक्रन्द करते हुए भी मुझे कलकलाता गर्म ताँबा, लोहा, रांगा और सीसा पिलाया गया।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 683 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तुहं पियाइं मंसाइं खंडाइं सोल्लगाणि य । खाविओ मि समंसाइं अग्गिवण्णाइं नेगसो ॥

Translated Sutra: तुझे टुकड़े – टुकड़े किया हुआ और शूल में पिरो कर पकाया गया मांस प्रिय था – यह याद दिलाकर मुझे मेरे ही शरीर का मांस काटकर और उसे तपा कर अनेक बार खिलाया गया। तुझे सुरा, सीधू, मैरेय और मधु आदि मदिराऍं प्रिय थी – यह याद दिलाकर मुझे जलती हुई चर्बी और खून पिलाया गया। सूत्र – ६८३, ६८४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 684 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तुहं पिया सुरा सीहू मेरओ य महूणि य । पाइओ मि जलंतीओ वसाओ रुहिराणि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६८३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 685 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निच्चं भीएण तत्थेण दुहिएण वहिएण य । परमा दुहसंबद्धा वेयणा वेइया मए ॥

Translated Sutra: मैंने नित्य ही भयभीत, संत्रस्त, दुःखित और व्यथित रहते हुए अत्यन्त दुःखपूर्ण वेदना का अनुभव किया। तीव्र, प्रचण्ड, प्रगाढ, घोर, अत्यन्त दुःसह, महाभयंकर और भीष्म वेदनाओं का मैंने नरक में अनुभव किया है। सूत्र – ६८५, ६८६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 686 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिव्वचंडप्पगाढाओ घोराओ अइदुस्सहा । महब्भयाओ भीमाओ नरएसु वेइया मए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 687 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जारिसा मानुसे लोए ताया! दोसंति वेयणा । एत्तो अनंतगुणिया नरएसु दुक्खवेयणा ॥

Translated Sutra: हे पिता ! मनुष्य – लोक में जैसी वेदनाऍं देखी जाती हैं, उनसे अनन्त गुण अधिक दुःख – वेदनाऍं नरक में हैं
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 688 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वभवेसु अस्साया वेयणा वेइया मए । निमेसंतरमित्तं पि जं साया नत्थि वेयणा ॥

Translated Sutra: मैंने सभी जन्मों में दुःखरूप वेदना का अनुभव किया है। एक क्षण के अन्तर जितनी भी सुखरूप वेदना (अनुभूति) वहाँ नहीं है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 689 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तं बिंतम्मापियरो छंदेणं पुत्त! पव्वया । नवरं पुन सामन्ने दुक्खं निप्पडिकम्मया ॥

Translated Sutra: माता – पिता ने उससे कहा – पुत्र ! अपनी इच्छानुसार तुम भले ही संयम स्वीकार करो। किन्तु विशेष बात यह है कि – श्रामण्य – जीवन में निष्प्रतिकर्मता कष्ट है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 690 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सो बिंतम्मापियरो! एवमेयं जहाफुडं । पडिकम्मं को कुणई अरन्ने मियपक्खिणं? ॥

Translated Sutra: माता – पिता ! आपने जो कहा वह सत्य है। किन्तु जंगलों में रहनेवाले निरीह पशु – पक्षियों की चिकित्सा कौन करता है ?
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 691 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगभूओ अरन्ने वा जहा उ चरई मिगो । एवं धम्मं चरिस्सामि संजमेण तवेण य ॥

Translated Sutra: जैसे जंगल में मृग अकेला विचरता है, वैसे ही मैं भी संयम और तप के साथ एकाकी होकर धर्म का आचरण करूँगा। जब महावन में मृग के शरीर में आतंक उत्पन्न हो जाता है, तब वृक्ष के नीचे बैठे हुए उस मृग की कौन चिकित्सा करता है ? कौन उसे औषधि देता है ? कौन उसे सुख की बात पूछता है ? कौन उसे भक्तपान लाकर देता है ? सूत्र – ६९१–६९३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 692 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जया मिगस्स आयंको महारण्णंमि जायई । अच्छंतं रुक्खमूलम्मि को णं ताहे तिगिच्छई? ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६९१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 693 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] को वा से ओसहं देई? को वा से पुच्छई सुहं? । को से भत्तं च पानं च आहरित्तु पणामए? ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६९१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 694 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जया य से सुही होइ तया गच्छइ गोयरं । भत्तपानस्स अट्ठाए वल्लराणि सराणि य ॥

Translated Sutra: जब वह स्वस्थ हो जाता है, तब स्वयं गोचरभूमि में जाता है। और खाने – पीने के लिए बल्लरों – व गहन तथा जलाशयों को खोजता है। उसमें खाकर – पानी पीकर मृगचर्या करता हुआ वह मृग अपनी मृगचर्या चला जाता है। सूत्र – ६९४, ६९५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 695 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] खाइत्ता पाणियं पाउं वल्लरेहिं सरेहि वा । मिगचारियं चरित्ताणं गच्छई मिगचारियं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६९४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 696 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं समुट्ठिओ भिक्खू एवमेव अनेगओ । मिगचारियं चरित्ताणं उड्ढं पक्कमई दिसं ॥

Translated Sutra: रूपादि में अप्रतिबद्ध, संयम के लिए उद्यत भिक्षु स्वतंत्र विहा करता हुआ, मृगचर्या की तरह आचरण कर मोक्ष को गमन करता है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 697 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जहा मिगे एग अनेगचारी अनेगवासे धुवगोयरे य । एवं मुनी गोयरियं पविट्ठे नो हीलए नो वि य खिंसएज्जा ॥

Translated Sutra: जैसे मृग अकेला अनेक स्थानों में विचरता है, रहता है, सदैव गोचर – चर्या से ही जीवनयापन करता है, वैसे ही गौचरी के लिए गया हुआ मुनि भी किसी की निन्दा और अवज्ञा नहीं करता है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 698 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मियचारियं चरिस्सामि एवं पुत्ता! जहासुहं । अम्मापिऊहिंणुण्णाओ जहाइ उवहिं तओ ॥

Translated Sutra: मैं मृगचर्या का आचरण करूँगा। पुत्र ! जैसे तुम्हें सुख हो, वैसे करो – इस प्रकार माता – पिता की अनुमति पाकर वह उपधि को छोड़ता है।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 699 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मियचारियं चरिस्सामि सव्वदुक्खविमोक्खणिं । तुब्भेहिं अम्मणुन्नाओ गच्छ पुत्त! जहासुहं ॥

Translated Sutra: हे माता ! मैं तुम्हारी अनुमति प्राप्त कर सभी दुःखों का क्षय करनेवाली मृगचर्या का आचरण करूँगा। पुत्र ! जैसे तुम्हें सुख हो, वैसे चलो।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 700 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं सो अम्मापियरो अनुमाणित्ताण बहुविहं । ममत्तं छिंदई ताहे महानागो व्व कंचुयं ॥

Translated Sutra: इस प्रकार वह अनेक तरह से माता – पिता को अनुमति के लिए समझा कर ममत्त्व का त्याग करता है, जैसे कि महानाग कैंचुल को छोड़ता है। कपड़े पर लगी हुई धूल की तरह ऋद्धि, धन, मित्र, पुत्र, कलत्र और ज्ञातिजनों को झटककर वह संयमयात्रा के लिए निकल पड़ा। सूत्र – ७००, ७०१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 701 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] इड्ढिं वित्तं च मित्ते य पुत्तदारं च नायओ । रेणुयं व पडे लग्गं निद्धूणित्ताण निग्गओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ७००
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 702 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पंचमहव्वयजुत्तो पंचसमिओ तिगुत्तिगुत्तो य । सब्भिंतरबाहिरओ तवोकम्मंसि उज्जुओ ॥

Translated Sutra: पंच महाव्रतों से युक्त, पाँच समितियों से समित तीन गुप्तियों से गुप्त, आभ्यन्तर और बाह्य तप में उद्यत – ममत्त्वरहित, अहंकाररहित, संगरहित, गौरव का त्यागी, त्रस तथा स्थावर सभी जीवों में समदृष्टि – लाभ, अलाभ, सुख, दुःख, जीवन, मरण, निन्दा, प्रशंसा और मान – अपमान में समत्त्व का साधक – गौरव, कषाय, दण्ड, शल्य, भय, हास्य और
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१९ मृगापुत्रीय

Hindi 703 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निम्ममो निरहंकारो निस्संगो चत्तगारवो । समो य सव्वभूएसु तसेसु थावरेसु य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ७०२
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