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BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 68 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारियपिंडं बहिया नीहडं असंसट्ठं संसट्ठं करेत्तए जे खलु निग्गंथे वा निग्गंथी वा सागारियपिंडं बहिया नीहडं असंसट्ठं संसट्ठं करेइ करेंतं वा साइज्जइ, से दुहओ वि अइक्कममाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्घाइयं।

Translated Sutra: देखो सूत्र ६४
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 69 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स आहडिया सागारिएण पडिग्गाहिया, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: यदि दूसरे घर से आए हुए आहार को सागारिकने अपने घर में ग्रहण किया हो और उसे दे तो साधु – साध्वी को लेना न कल्पे, उसका स्वीकार न किया हो और फिर दे तो कल्पे। सूत्र – ६९, ७०
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 70 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स आहडिया सागारिएण अपडिग्गाहिया, तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ६९
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 71 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नीहडिया परेण अपडिग्गाहिया, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: सागारिक के घर से दूसरे घर में ले गए आहार का यदि गृहस्वामी ने स्वीकार न किया हो और कोई दे तो साधु को लेना न कल्पे, यदि गृहस्वामी ने स्वीकार कर लिया हो और फिर कोई दे तो लेना कल्पे। सूत्र – ७१, ७२
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 72 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नीहडिया परेण पडिग्गाहिया, तम्हा दावए एवं, से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ७१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 73 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स अंसियाओ अविभत्ताओ अव्वोच्छिन्नाओ अव्वोगडाओ अनिज्जूढाओ, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: (सागारिक एवं अन्य लोगों के लिए संयुक्त निष्पन्न भोजन में से) सागारिक का हिस्सा निश्चित्‌ – पृथक्‌ निर्धारित अलग न नीकाला हो और उसमें से कोई दे तो साधु – साध्वी को लेना न कल्पे, लेकिन यदि सागारिक का हिस्सा अलग किया गया हो और कोई दे तब लेना कल्पे। सूत्र – ७३, ७४
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 74 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स अंसियाओ विभत्ताओ वोच्छिन्नाओ वोगडाओ निज्जूढाओ, तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ७३
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 75 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए, सागारियस्स उवगरणजाए निट्ठिए निसट्ठे पाडि-हारिए, तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजणो देइ, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: सागारिक को अपने पूज्य पुरुष या महेमान को आश्रित करके जो आहार – वस्त्र – कम्बल आदि उपकरण बनाए हो या देने के लिए रखे हो वो पूज्यजन या अतिथि को देने के बाद जो कुछ बचा हो वो सागारिक को परत करने के लायक हो या न हो, बचे हुए हिस्से में से सागारिक या उसके परिवारजन कुछ दे तो साधु – साध्वी को लेना न कल्पे, वो पूज्य पुरुष या अतिथि
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 76 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए, सागारियस्स उवगरणजाए निट्ठिए निसट्ठे पाडि-हारिए, तं नो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजणो देइ सागारियस्स पूया देइ, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ७५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 77 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए जाव निसट्ठे अपाडिहारिए, तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजणो देइ, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ७५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 78 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए, सागारियस्स उवगरणजाए निट्ठिए निसट्ठे अपाडि-हारिए, तं नो सागारिओ देइ, नो सागारियस्स परिजनो देइ, सागारियस्स पूया देइ तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ७५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 79 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाइं पंच वत्थाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा, तं जहा–जंगिए, भंगिए, साणए पोत्तए तिरीडपट्टे नाम पंचमे।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को पाँच तरह के वस्त्र रखना या इस्तमाल करना कल्पे। जांगमिक – गमनागमन करते भेड़ – बकरी आदि के बाल में से बने, भांगिक अलसी आदि के छिलके से बने, सानक शण के बने, पीतक – कपास के बने, तिरिड़पट्ट – तिरिड़वृक्ष के वल्कल से बने वस्त्र।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-२ Hindi 80 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाइं पंच रयहरणाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा, तं जहा–उण्णिए उट्टिए साणए वच्चापिच्चिए मुंजापिच्चिए नाम पंचमे।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को पाँच तरह के रजोहरण रखना या इस्तमाल करना कल्पे। ऊनी, ऊंट के बाल का, शण का, वच्चक नाम के घास का, मुँज घास फूटकर उसका कर्कश हिस्सा दूर करके बनाया हुआ।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 81 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाणं निग्गंथीणं उवस्सयंसि चिट्ठित्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा निद्दाइत्तए वा पयलाइत्तए वा, असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा आहारमाहारेत्तए, उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंघाणं वा परिट्ठवेत्तए, सज्झायं वा करेत्तए, ज्झाणं वा ज्झाइत्तए, काउस्सग्गं वा ठाणं ठाइत्तए।

Translated Sutra: साधु को साध्वी के और साध्वी को साधु के उपाश्रय में रहना, बैठना, सोना, निद्रा लेना, सो जाना, अशन आदि आहार करना, मल – मूत्र, कफ – नाक के मैल का त्याग करना, स्वाध्याय, ध्यान या कायोत्सर्ग करना न कल्पे। सूत्र – ८१, ८२
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 82 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं निग्गंथाणं उवस्सयंसि चिट्ठित्तए वा जाव काउस्सगं वा ठाणं ठाइत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ८१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 83 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं सलोमाइं चम्माइं अहिट्ठित्तए।

Translated Sutra: साध्वी को (शयन – आसन के लिए) रोमवाला चमड़ा लेना न कल्पे, साधु को कल्पे, लेकिन वो इस्तमाल किया गया या नया न हो, वापस करने का हो, केवल एक रात के लिए लाया गया हो लेकिन कईं रात के लिए उपयोग न करना हो तो कल्पे। सूत्र – ८३, ८४
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 84 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाणं सलोमाइं चम्माइं अहिट्ठित्तए से वि य परिभुत्ते नो चेव णं अपरिभुत्ते, पाडिहारिए नो चेव णं अपाडिहारिए, से वि य एगराइए नो चेव णं अनेगराइए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ८३
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 85 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा कसिणाइं चम्माइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को अखंड़ चमड़ा, वस्त्र या पूरा कपड़ा पास रखना या उपयोग करना न कल्पे, लेकिन चर्मखंड़, टुकड़े किए गए कपड़े में से नाप के अनुसार फाड़कर रखे हुए वस्त्र रखना और उपभोग करना कल्पे। सूत्र – ८५–८८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 86 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अकसिणाइं चम्माइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र ८५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 87 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा कसिणाइं वत्थाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा। कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अकसिणाइं वत्थाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र ८५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 88 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अभिन्नाइं वत्थाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा। कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा भिन्नाइं वत्थाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र ८५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 89 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाणं उग्गहणंतगं वा उग्गहपट्टगं वा धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: साधु को अवग्रहानंतक (गुप्तांग आवरक वस्त्र और अवग्रह पट्टक) अवग्रहानंतक आवरण वस्त्र रखना या इस्तमाल करना न कल्पे, साध्वी को कल्पे। सूत्र – ८९, ९०
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 90 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथीणं उग्गहणंतगं वा उग्गहपट्टगं वा धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र ८९
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 91 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निग्गंथीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अनुप्पविट्ठाए चेलट्ठे समुप्पज्जेज्जा, नो से कप्पइ अप्पणो नीसाए चेलं पडिग्गाहित्तए, कप्पइ से पवत्तिणीनीसाए चेलं पडिग्गाहित्तए। नो तत्थ पवत्तिणी सामाणा सिया, जे तत्थ सामाणे आयरिए वा उवज्झाए वा पवत्ती वा थेरे वा गणी वा गणहरे वा गणावच्छेइए वा, जं चण्णं पुरओ कट्टु विहरइ कप्पइ से तन्नीसाए चेलं पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: गृहस्थ के घर आहार लेने गए हुए साध्वी को यदि वस्त्र की आवश्यकता हो तो यह वस्त्र मैं अपने लिए लेती हूँ ऐसा स्वनिश्रा से वस्त्र लेना न कल्पे। लेकिन प्रवर्तिनी की निश्रा में लेना कल्पे (यानि प्रवर्तिनी आज्ञा न दे तो वस्त्र परत करना।) यदि प्रवर्तिनी विद्यमान न हो तो वहाँ विद्यमान ऐसे आचार्य, उपाध्याय, प्रवर्तक,
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 92 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निग्गंथस्स तप्पढमयाए संपव्वयमाणस्स कप्पइ रयहरण गोच्छग पडिग्गहमायाए तिहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए। से य पुव्वोवट्ठविए सिया, एवं से नो कप्पइ रयहरण गोच्छग पडिग्गहमायाए तिहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, कप्पइ से अहापरिग्गहियाइं वत्थाइं गहाय आयाए संपव्वइत्तए।

Translated Sutra:
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 93 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निग्गंथीए णं तप्पढमयाए संपव्वयमाणीए कप्पइ रयहरण गोच्छग पडिग्गहमायाए चउहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए। सा य पुव्वोवट्ठविया सिया, एवं से नो कप्पइ रयहरण गोच्छग पडिग्गहमायाए चउहिं कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, कप्पइ से अहापरिग्गहियाइं वत्थाइं गहाय आयाए संपव्वइत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ९२
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 94 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पढमसमोसरणुद्देसपत्ताइं चेलाइं पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को प्रथम समवसरण यानि वर्षावास में वस्त्र ग्रहण करना न कल्पे, लेकिन दूसरे समवसरण यानि वर्षावास – चातुर्मास के बाद कल्पे।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 95 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहाराइणियाए चेलाइं पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को चारित्र – पर्याय के क्रम में वस्त्र शय्या – संथारा ग्रहण करना और वंदन करना कल्पे। सूत्र – ९५–९७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 96 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहाराइणियाए सेज्जा-संथारए पडिग्गाहित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ९५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 97 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहाराइणियाए किइकम्मं करेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ९५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 98 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अंतरगिहंसि चिट्ठित्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा निद्दाइत्तए वा पयलाइत्तए वा, असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा आहारमाहारेत्तए, उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंघाणं वा परिट्ठवेत्तए, सज्झायं वा करेत्तए, ज्झाणं वा ज्झाइत्तए, काउस्सग्गं वा ठाणं ठाइत्तए। अह पुण एवं जाणेज्जा–वाहिए जराजुण्णे तवस्सी दुब्बले किलंते मुच्छेज्ज वा पवडेज्ज वा, एवं से कप्पइ अंतरगिहंसि चिट्ठित्तए वा जाव काउस्सग्गं वा ठाणं ठाइत्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को गृहस्थ के घर में या दो घर के बीच खड़ा रहना, बैठना, खड़े – खड़े कायोत्सर्ग करना, चार – पाँच गाथा का उच्चारण, पदच्छेद, सूत्रार्थकथन, फलकथन करना, पाँच महाव्रत के उच्चारण आदि करना न कल्पे। (शायद किसी उत्कट जिज्ञासावाले हो तो) केवल एक दृष्टांत, एक प्रश्नोत्तर, एक गाथा या एक श्लोक का एक स्थान पर स्थिर रहकर
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 99 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अंतरगिहंसि जाव चउगाहं वा पंचगाहं वा आइक्खित्तए वा विभावेत्तए वा किट्टित्तए वा पवेइत्तए वा। नन्नत्थ एगणाएण वा एगवागरणेण वा एगगाहाए वा एगसिलोएण वा। से वि य ठिच्चा, नो चेव णं अट्ठिच्चा।

Translated Sutra: देखो सूत्र ९८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 100 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अंतरगिहंसि इमाइं पंच महव्वयाइं सभावणाइं आइक्खित्तए वा विभावेत्तए वा किट्टित्तए वा पवेइत्तए वा। नन्नत्थ एगणाएण वा एगवागरणेण वा एगगाहाए वा एगसिलोएण वा। से वि य ठिच्चा, नो चेव णं अठिच्चा।

Translated Sutra: देखो सूत्र ९८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 101 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पाडिहारियं सेज्जा-संथारयं आयाए अप्पडिहट्टु संपव्वइत्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को सागारिक के शय्या – संस्तारक जो ग्रहण किए हो वो काम पूरा होने पर ‘‘अविकरण’’ (जिस तरह से लिया हो उसी तरह परत न करना) रखकर गमन करना न कल्पे, ‘‘विकरण’’ (उसी रूप में परत) करके गमन करना कल्पे। सूत्र – १०१, १०२
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 102 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारियसंतियं सेज्जा-संथारयं आयाए अविकरणं कट्टु संपव्वइत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १०१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 103 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पाडिहारिए वा सागारियसंतिए वा सेज्जा-संथारए विप्पणसेज्जा, से य अनुगवेसियव्वे सिया। से य अनुगवेस्समाणे लभेज्जा, तस्सेव पडिदायव्वे सिया। से य अनुगवेस्समाणे नो लभेज्जा, एवं से कप्पइ दोच्चं पि ओग्गहं अणुन्नवित्ता परिहारं परिहरित्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को प्रातिहारिक (परत करने को योग्य) या सागारिक (शय्यातर) के शय्यासंथारा यदि गुम हो जाए तो उसे ढूँढ़ना चाहिए, यदि मिल जाए तो जिसका हो उसे परत करना चाहिए, यदि न मिले तो फिर से आज्ञा लेकर दूसरा शय्या – संथारा ग्रहण करके इस्तमाल करना चाहिए।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 109 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से गामंसि वा जाव रायहाणीए वा बहिया सेनं सन्निविट्ठं पेहाए कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तद्दिवसं भिक्खायरियाए गंतूणं पडिएत्तए नो से कप्पइ तं रयणिं तत्थेव उवाइणावेत्तए। जे खलु निग्गंथे वा निग्गंथी वा तं रयणिं तत्थेव उवाइणावेइ, उवाइणावेंतं वा साइज्जइ, से दुहओ वि अइक्कममाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्घाइयं।

Translated Sutra: गाँव यावत्‌ पाटनगर के बाहर शत्रुसेना दल देखकर साधु – साध्वी को उसी दिन से वापस आना कल्पे लेकिन बाहर रहना न कल्पे, जो साधु – साध्वी बाहर रात्रि रहे, रहने का कहे, कहनेवाले की अनुमोदना करे तो जिनाज्ञा और राजाज्ञा का उल्लंघन करते हुए अनुद्‌घातिक चातुर्मासिक परिहारस्थान प्रायश्चित्त को प्राप्त करते हैं।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-३ Hindi 110 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से गामंसि वा जाव सन्निवेसंसि वा कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सकोसं जोयणं ओग्गहं ओगिण्हित्ताणं चिट्ठित्तए परिहरित्तए।

Translated Sutra: गाँव यावत्‌ संनिवेश में पाँच कोश का अवग्रह ग्रहण करना कल्पे। भिक्षा आदि के लिए ढ़ाई कोश जाने के – ढ़ाई कोश आने का कल्पे।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 114 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तओ नो कप्पंति पव्वावेत्तए, तं जहा–पंडए वाइए कीवे।

Translated Sutra:
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 115 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तओ नो कप्पंति मुंडावेत्तए सिक्खावेत्तए उवट्ठावेत्तए संभुंजित्तए संवासित्तए, तं जहा–पंडए वाइए कीवे।

Translated Sutra: देखो सूत्र ११४
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 116 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तओ नो कप्पंति वाइत्तए, तं जहा–अविनीए विगईपडिबद्धे अविओसवियपाहुडे। तओ कप्पंति वाइत्तए, तं जहा–विनीए नो विगईपडिबद्धे विओसवियपाहुडे।

Translated Sutra: अविनीत, घी आदि विगई में आसक्त, अनुपशान्त क्रोधी, इन तीन को वाचना देना न कल्पे, विनित विगई में अनासक्त, उपशान्त क्रोधवाले को कल्पे।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 126 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] गणावच्छेइए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं

Translated Sutra: यदि गणावच्छेदक स्वगण में से नीकलकर अन्य गण का स्वीकार करना चाहे तो पहले अपना पद छोड़कर अन्य गण का स्वीकार करना कल्पे, आचार्य यावत्‌ गणावच्छेदक को पूछे बिना अन्य गण का स्वीकार करना न कल्पे, लेकिन यदि पूछकर आज्ञा दे तो कल्पे और आज्ञा न दे तो न कल्पे।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 127 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] आयरिय-उवज्झाए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स आयरिय-उवज्झायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जि-त्ताणं विहरित्तए। नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ

Translated Sutra:
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 128 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंप-ज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। जत्थुत्तरियं धम्मविनयं लभेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; जत्थुत्तरियं

Translated Sutra: यदि कोई साधु – गणावच्छेदक, आचार्य या उपाध्याय अपने गण से नीकलकर दूसरे गण के साथ मांड़ली व्यवहार करना चाहे तो यदि पद पर हो तो अपने पद का त्याग करना और सभी आचार्य यावत्‌ गणावच्छेदक की आज्ञा लिए बिना न कल्पे। यदि आज्ञा माँगे और आचार्य आदि से उन्हें आज्ञा मिले तो अन्य गण के साथ मांड़ली व्यवहार कल्पे, यदि आज्ञा न मिले
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 129 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] गणावच्छेइए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंप-ज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंप-ज्जित्ताणं विहरित्तए। नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणा-वच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उव-संपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए

Translated Sutra: देखो सूत्र १२८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 130 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] आयरिय-उवज्झाए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोग-पडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स आयरिय-उवज्झायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं

Translated Sutra: देखो सूत्र १२८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 131 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य इच्छेज्जा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए, नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसा-वेत्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए; ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। नो से कप्पइ तेसिं कारणं अदीवेत्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से तेसिं कारणं दीवेत्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए।

Translated Sutra: यदि कोई साधु, गणावच्छेदक, आचार्य या उपाध्याय दूसरे गण के आचार्य या उपाध्याय का गुरुभाव से स्वीकार करना चाहे तो जो पदस्थ हैं उन्हें अपने पद का त्याग करना और भिक्षु आदि सबको आचार्य यावत्‌ गणावच्छेदक की आज्ञा लेनी चाहिए। यदि आज्ञा माँगे लेकिन आज्ञा न मिले तो अन्य आचार्य, उपाध्याय का गुरु भाव से स्वीकार न कल्पे।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 132 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] गणावच्छेइए य इच्छेज्जा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए, नो से कप्पइ गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए, ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। नो से कप्पइ तेसिं कारणं

Translated Sutra: देखो सूत्र १३१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 133 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] आयरिय-उवज्झाए य इच्छेज्जा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए, नो से कप्पइ आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से आयरिय-उवज्झायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसा-वेत्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए, ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं आयरिय-उवज्झायं उद्दिसावेत्तए। नो से कप्पइ तेसिं

Translated Sutra: देखो सूत्र १३१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 134 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य राओ वा वियाले वा आहच्च वीसुंभेज्जा, तं च सरीरगं केइ वेयावच्चकरे इच्छेज्जा एगंते बहुफासुए पएसे परिट्ठवेत्तए, अत्थि या इत्थ केइ सागारियसंतिए उवगरणजाए अचित्ते परिहरणारिहे, कप्पइ से सागारियकडं गहाय तं सरीरगं एगंते बहुफासुए पएसे परिट्ठवेत्ता तत्थेव उवनिक्खिवियव्वे सिया।

Translated Sutra: यदि कोई साधु रात को या विकाल संध्या के वक्त मर जाए तो उस मृत भिक्षु के शरीर को किसी वैयावच्च करनेवाले साधु एकान्त में सर्वथा अचित्त प्रदेश से परठने के लिए चाहे तब यदि वहाँ उपयोग में आ सके वैसा गृहस्थ का अचत्त उपकरण हो तो वो उपकरण गृहस्थ का ही है ऐसा मानकर ग्रहण करे। उससे उस मृत भिक्षु के शरीर को एकान्त में सर्वथा
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