Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011802 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Translated Chapter : |
12. द्रव्याधिकार - (विश्व-दर्शन योग) |
Section : | 3. पुद्गल द्रव्य (तन्मात्रा महाभूत) | Translated Section : | 3. पुद्गल द्रव्य (तन्मात्रा महाभूत) |
Sutra Number : | 299 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | समयसार । ५१+५५; तुलना: अध्यात्म उपनिषद् । २.२८-३० | ||
Mool Sutra : | जीवस्य नास्ति रागो, नापि द्वेषो नैव विद्यते मोहः। येन ऐत सर्वे, पुद्गलद्रव्यस्य परिणामाः ।। | ||
Sutra Meaning : | परमार्थतः न तो राग जीव का परिणाम है और न द्वेष और मोह, क्योंकि ये सब पुद्गल-द्रव्य के परिणाम हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jivasya nasti rago, napi dvesho naiva vidyate mohah. Yena aita sarve, pudgaladravyasya parinamah\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Paramarthatah na to raga jiva ka parinama hai aura na dvesha aura moha, kyomki ye saba pudgala-dravya ke parinama haim. |