Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011784 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Translated Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Section : | 13. उत्तम त्याग | Translated Section : | 13. उत्तम त्याग |
Sutra Number : | 281 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | बारस अणुवेक्खा । ७८; तुलना: देखो गा.। २८२ | ||
Mool Sutra : | निर्वेगत्रिकं भावयति, मोहं त्यक्त्वा सर्वद्रव्येषु। यः तस्य भवेत् त्यागः, इति कथितं जिनवरेन्द्रैः ।। | ||
Sutra Meaning : | जो जीव पर-द्रव्यों के प्रति ममत्व छोड़कर संसार देह और भोगों से उदासीन हो जाता है, उसको त्यागधर्म होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Nirvegatrikam bhavayati, moham tyaktva sarvadravyeshu. Yah tasya bhavet tyagah, iti kathitam jinavarendraih\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo jiva para-dravyom ke prati mamatva chhorakara samsara deha aura bhogom se udasina ho jata hai, usako tyagadharma hota hai. |