Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011584 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
5. सम्यग्ज्ञान अधिकार - (सांख्य योग) |
Translated Chapter : |
5. सम्यग्ज्ञान अधिकार - (सांख्य योग) |
Section : | 2. निश्चय ज्ञान (अध्यात्म शासन) | Translated Section : | 2. निश्चय ज्ञान (अध्यात्म शासन) |
Sutra Number : | 83 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नय चक्र गद्य। ३-६८ में उद्धृत; तुलना: देखो पिछली गाथा ८२। | ||
Mool Sutra : | एको भावः सर्वभावस्वभावः, सर्वे भावाः एक भावस्वभावाः। एकोभावस्तत्त्वतो येन बुद्धः, सर्वे भावास्तत्त्वतस्तेन बुद्धाः ।। | ||
Sutra Meaning : | (द्रव्य के परिवर्तनशील कार्य `पर्याय' कहलाते हैं।) जिस प्रकार `मृत्तिका' घट, शराब व रामपात्रादि अपनी विविध पर्यायों या कार्यों के रूप ही है, उससे भिन्न कुछ नहीं, इसी प्रकार जीव, पुद्गल आदि प्रत्येक द्रव्य अपनी-अपनी त्रिकालगत पर्यायों का पिण्ड ही है, उससे भिन्न कुछ नहीं। जिस प्रकार घट, शराब आदि उत्पन्न ध्वंसी विविध कार्य तत्त्वतः उनमें अनुगत एक मृत्तिकारूप ही है, अन्य कुछ नहीं, उसी प्रकार उत्पन्न ध्वंसी समस्त दृष्ट पर्याय या कार्य भूत पदार्थ तत्त्वतः उनमें अनुगत कोई एक मूल द्रव्यरूप ही है, अन्य कुछ नहीं। जिस प्रकार एक मृत्तिका को तत्त्वतः जान लेने पर उसकी समस्त पर्याय या घट, शराब आदि कार्य भी जान लिये जाते हैं, उसी प्रकार किसी भी एक मूलभूत द्रव्य को तत्त्वतः जान लेने पर उसकी त्रिकालवर्ती समस्त पर्याय या कार्य भी जान लिये जाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Eko bhavah sarvabhavasvabhavah, sarve bhavah eka bhavasvabhavah. Ekobhavastattvato yena buddhah, sarve bhavastattvatastena buddhah\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (dravya ke parivartanashila karya `paryaya kahalate haim.) jisa prakara `mrittika ghata, sharaba va ramapatradi apani vividha paryayom ya karyom ke rupa hi hai, usase bhinna kuchha nahim, isi prakara jiva, pudgala adi pratyeka dravya apani-apani trikalagata paryayom ka pinda hi hai, usase bhinna kuchha nahim. Jisa prakara ghata, sharaba adi utpanna dhvamsi vividha karya tattvatah unamem anugata eka mrittikarupa hi hai, anya kuchha nahim, usi prakara utpanna dhvamsi samasta drishta paryaya ya karya bhuta padartha tattvatah unamem anugata koi eka mula dravyarupa hi hai, anya kuchha nahim. Jisa prakara eka mrittika ko tattvatah jana lene para usaki samasta paryaya ya ghata, sharaba adi karya bhi jana liye jate haim, usi prakara kisi bhi eka mulabhuta dravya ko tattvatah jana lene para usaki trikalavarti samasta paryaya ya karya bhi jana liye jate haim. |