Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011161 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Translated Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Section : | 6. शल्योद्धार | Translated Section : | 6. शल्योद्धार |
Sutra Number : | 159 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | भगवती आराधना । १२१४; तुलना: महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक । २४ | ||
Mool Sutra : | णिसल्लस्सेव पुणो, महव्वदाइं हवंति सव्वाइं। वदमुवहम्मदि तीहिंदु, णिदाणमिच्छत्तमायाहिं ।। | ||
Sutra Meaning : | शल्योंके अभाव में ही `व्रत' व्रत संज्ञा को प्राप्त होते हैं, क्योंकि शल्यों से रहित यति के सम्पूर्ण महाव्रतों का संरक्षण होता है। जिन्होंने शल्यों का आश्रय लिया, उन दम्भाचारियों के व्रत माया मिथ्या व निदान से नष्ट हो जाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Nisallasseva puno, mahavvadaim havamti savvaim. Vadamuvahammadi tihimdu, nidanamichchhattamayahim\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Shalyomke abhava mem hi `vrata vrata samjnya ko prapta hote haim, kyomki shalyom se rahita yati ke sampurna mahavratom ka samrakshana hota hai. Jinhomne shalyom ka ashraya liya, una dambhachariyom ke vrata maya mithya va nidana se nashta ho jate haim. |