Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004369 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २५. व्रतसूत्र | Translated Section : | २५. व्रतसूत्र |
Sutra Number : | 369 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | दशवैकालिक 6/10 | ||
Mool Sutra : | आत्मार्थं परार्थं वा, क्रोधाद्वा यदि वा भयात्। हिंसकं न मृषा ब्रूयात्, नाप्यन्यं वदापयेत्।।६।। | ||
Sutra Meaning : | स्वयं अपने लिए या दूसरों के लिए क्रोधादि या भय आदि के वश होकर हिंसात्मक असत्यवचन न तो स्वयं बोलना चाहिए और न दूसरों से बुलवाना चाहिए। यह दूसरा सत्यव्रत है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Atmartham parartham va, krodhadva yadi va bhayat. Himsakam na mrisha bruyat, napyanyam vadapayet..6.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Svayam apane lie ya dusarom ke lie krodhadi ya bhaya adi ke vasha hokara himsatmaka asatyavachana na to svayam bolana chahie aura na dusarom se bulavana chahie. Yaha dusara satyavrata hai. |