Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000557 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) | Translated Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) |
Sutra Number : | 557 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | गोम्मटसार जीवकाण्ड 54 | ||
Mool Sutra : | तारिसपरिणामट्ठियजीवा, हु जिणेहिं गलियतिमिरेहिं। मोहस्सऽपुव्वकरणा, खवणुवसमणुज्जया भणिया।।१२।। | ||
Sutra Meaning : | अज्ञानान्धकार को दूर करनेवाले (ज्ञानसूर्य) जिनेन्द्रदेव ने उन अपूर्व-परिणामी जीवों को मोहनीय कर्म का क्षय या उपशम करने में तत्पर कहा है। (मोहनीय कर्म का क्षय या उपशम तो नौवें और दसवें गुण-स्थानों में होता है, किन्तु उसकी तैयारी इस अष्टम गुणस्थान में ही शुरू हो जाती है।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | Tarisaparinamatthiyajiva, hu jinehim galiyatimirehim. Mohassapuvvakarana, khavanuvasamanujjaya bhaniya..12.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ajnyanandhakara ko dura karanevale (jnyanasurya) jinendradeva ne una apurva-parinami jivom ko mohaniya karma ka kshaya ya upashama karane mem tatpara kaha hai. (mohaniya karma ka kshaya ya upashama to nauvem aura dasavem guna-sthanom mem hota hai, kintu usaki taiyari isa ashtama gunasthana mem hi shuru ho jati hai.) |