Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000546 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) | Translated Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) |
Sutra Number : | 546 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | गोम्मटसार जीवकाण्ड 8 | ||
Mool Sutra : | जेहिं दु लक्खिज्जंते, उदयादिसु संभवेहिं भावेहिं। जीवा ते गुणसण्णा, णिद्दिट्ठा सव्वदरिसीहिं।।१।। | ||
Sutra Meaning : | मोहनीय आदि कर्मों के उदय आदि (उपशम, क्षय, क्षयोपशम आदि) से होनेवाले जिन परिणामों से युक्त जीव पहचाने जाते हैं, उनको सर्वदर्शी जिनेन्द्रदेव ने `गुण' या `गुणस्थान' संज्ञा दी है। अर्थात् सम्यक्त्व आदि की अपेक्षा जीवों की अवस्थाएँ श्रेणियाँ-भूमिकाएँ गुणस्थान कहलाती हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jehim du lakkhijjamte, udayadisu sambhavehim bhavehim. Jiva te gunasanna, niddittha savvadarisihim..1.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Mohaniya adi karmom ke udaya adi (upashama, kshaya, kshayopashama adi) se honevale jina parinamom se yukta jiva pahachane jate haim, unako sarvadarshi jinendradeva ne `guna ya `gunasthana samjnya di hai. Arthat samyaktva adi ki apeksha jivom ki avasthaem shreniyam-bhumikaem gunasthana kahalati haim. |