Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1024318 | ||
Scripture Name( English ): | Anuyogdwar | Translated Scripture Name : | अनुयोगद्वारासूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Translated Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 318 | Category : | Chulika-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं वत्तव्वया? वत्तव्वया तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–ससमयवत्तव्वया परसमयवत्तव्वया ससमय-परसमयवत्तव्वया। से किं तं ससमयवत्तव्वया? ससमयवत्तव्वया–जत्थ णं ससमए आघविज्जइ पन्नविज्जइ परूविज्जइ दंसिज्जइ निदंसिज्जइ उवदंसिज्जइ। से तं ससमयवत्तव्वया। से किं तं परसमयवत्तव्वया? परसमयवत्तव्वया–जत्थ णं परसमए आघविज्जइ पन्नविज्जइ परूविज्जइ दंसिज्जइ निदंसिज्जइ उवदंसिज्जइ। से तं परसमयवत्तव्वया। से किं तं ससमय-परसमयवत्तव्वया? ससमय-परसमयवत्तव्वया–जत्थ ससमए परसमए आघविज्जइ पन्नवि-ज्जइ परूविज्जइ दंसिज्जइ निदंसिज्जइ० उवदंसिज्जइ। से तं ससमय-परसमयवत्तव्वया। इयाणि को नओ कं वत्तव्वयं इच्छइ? तत्थ नेगम-ववहारा तिविहं वत्तव्वयं इच्छंति, तं जहा–ससमयवत्तव्वयं परसमयवत्तव्वयं ससमय-परसमयवत्तव्वयं। उज्जुसुओ दुविहं वत्तव्वयं इच्छइ, तं जहा–ससमयवत्तव्वयं परसमयवत्तव्वयं। तत्थ णं जासा ससमयवत्तव्वया सा ससमयं पविट्ठा। जासा परसमयवत्तव्वया सा परसमयं पविट्ठा। तम्हा दुविहा वत्तव्वया, नत्थि तिविहा वत्तव्वया। तिन्नि सद्दनया एगं ससमयवत्तव्वयं इच्छंति, नत्थि परसमयवत्तव्वया। कम्हा? जम्हा परसमए अणट्ठे अहेऊ असब्भावे अकिरिया उम्मग्गे अनुवएसे मिच्छादंसणमिति कट्टु, तम्हा सव्वा ससमयवत्तव्वया, नत्थि परसमयवत्तव्वया, नत्थि ससमय-परसमयवत्तव्वया। से तं वत्तव्वया। | ||
Sutra Meaning : | वक्तव्यता क्या है ? तीन प्रकार की है, यथा – स्वसमयवक्तव्यता, परसमयवक्तव्यता और स्वसमय – परसमयवक्तव्यता। अविरोधी रूप से स्वसिद्धान्त के कथन, प्रज्ञापन, प्ररूपण, दर्शन, निदर्शन और उपदर्शन करने को स्वसमयवक्तव्यता कहते हैं। जिस वक्तव्यता में परसमय – का कथन यावत् उपदर्शन किया जाता है, उसे परसमयवक्तव्यता कहते हैं। – जिस वक्तव्यता में स्वसिद्धान्त और परसिद्धान्त दोनों का कथन यावत् उपदर्शन किया जाता है, उसे स्वसमय – परसमयवक्तव्यता कहते हैं। (इन तीनों वक्तव्यताओं में से) कौन नय किस वक्तव्यता को स्वीकार करता है ? नैगम, संग्रह और व्यवहार नय तीनों प्रकार की वक्तव्यता को स्वीकार करते हैं। ऋजुसूत्रनय स्वसमय और परसमय को ही मान्य करता है। क्योंकि स्वसमय – वक्तव्यता प्रथम भेद स्वसमयवक्तव्यता में और परसमय की वक्तव्यता द्वितीय भेद परसमय – वक्तव्यता में अन्तर्भूत हो जाती है। इसलिए वक्तव्यता के दो ही प्रकार हैं। तीनों शब्दनय एक स्वसमयवक्तव्यता को ही मान्य करते हैं। उनके मतानुसार परसमय – वक्तव्यता नहीं है। क्योंकि परसमय अनर्थ, अहेतु, असद्भाव, अक्रिय, उन्मार्ग, अनुपदेश और मिथ्यादर्शन रूप है। इसलिए स्वसमय की वक्तव्यता ही है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam vattavvaya? Vattavvaya tiviha pannatta, tam jaha–sasamayavattavvaya parasamayavattavvaya sasamaya-parasamayavattavvaya. Se kim tam sasamayavattavvaya? Sasamayavattavvaya–jattha nam sasamae aghavijjai pannavijjai paruvijjai damsijjai nidamsijjai uvadamsijjai. Se tam sasamayavattavvaya. Se kim tam parasamayavattavvaya? Parasamayavattavvaya–jattha nam parasamae aghavijjai pannavijjai paruvijjai damsijjai nidamsijjai uvadamsijjai. Se tam parasamayavattavvaya. Se kim tam sasamaya-parasamayavattavvaya? Sasamaya-parasamayavattavvaya–jattha sasamae parasamae aghavijjai pannavi-jjai paruvijjai damsijjai nidamsijjai0 uvadamsijjai. Se tam sasamaya-parasamayavattavvaya. Iyani ko nao kam vattavvayam ichchhai? Tattha negama-vavahara tiviham vattavvayam ichchhamti, tam jaha–sasamayavattavvayam parasamayavattavvayam sasamaya-parasamayavattavvayam. Ujjusuo duviham vattavvayam ichchhai, tam jaha–sasamayavattavvayam parasamayavattavvayam. Tattha nam jasa sasamayavattavvaya sa sasamayam pavittha. Jasa parasamayavattavvaya sa parasamayam pavittha. Tamha duviha vattavvaya, natthi tiviha vattavvaya. Tinni saddanaya egam sasamayavattavvayam ichchhamti, natthi parasamayavattavvaya. Kamha? Jamha parasamae anatthe aheu asabbhave akiriya ummagge anuvaese michchhadamsanamiti kattu, tamha savva sasamayavattavvaya, natthi parasamayavattavvaya, natthi sasamaya-parasamayavattavvaya. Se tam vattavvaya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Vaktavyata kya hai\? Tina prakara ki hai, yatha – svasamayavaktavyata, parasamayavaktavyata aura svasamaya – parasamayavaktavyata. Avirodhi rupa se svasiddhanta ke kathana, prajnyapana, prarupana, darshana, nidarshana aura upadarshana karane ko svasamayavaktavyata kahate haim. Jisa vaktavyata mem parasamaya – ka kathana yavat upadarshana kiya jata hai, use parasamayavaktavyata kahate haim. – jisa vaktavyata mem svasiddhanta aura parasiddhanta donom ka kathana yavat upadarshana kiya jata hai, use svasamaya – parasamayavaktavyata kahate haim. (ina tinom vaktavyataom mem se) kauna naya kisa vaktavyata ko svikara karata hai\? Naigama, samgraha aura vyavahara naya tinom prakara ki vaktavyata ko svikara karate haim. Rijusutranaya svasamaya aura parasamaya ko hi manya karata hai. Kyomki svasamaya – vaktavyata prathama bheda svasamayavaktavyata mem aura parasamaya ki vaktavyata dvitiya bheda parasamaya – vaktavyata mem antarbhuta ho jati hai. Isalie vaktavyata ke do hi prakara haim. Tinom shabdanaya eka svasamayavaktavyata ko hi manya karate haim. Unake matanusara parasamaya – vaktavyata nahim hai. Kyomki parasamaya anartha, ahetu, asadbhava, akriya, unmarga, anupadesha aura mithyadarshana rupa hai. Isalie svasamaya ki vaktavyata hi hai. |