Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )

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Sr No : 1024161
Scripture Name( English ): Anuyogdwar Translated Scripture Name : अनुयोगद्वारासूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अनुयोगद्वारासूत्र

Translated Chapter :

अनुयोगद्वारासूत्र

Section : Translated Section :
Sutra Number : 161 Category : Chulika-02
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से किं तं छनामे? छनामे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. उदइए २. उवसमिए ३. खइए ४. खओवसमिए ५. पारिणामिए ६. सन्निवाइए। से किं तं उदइए? उदइए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–उदए य उदयनिप्फन्ने य। से किं तं उदए? उदए–अट्ठण्हं कम्मपयडीणं उदए णं। से तं उदए। से किं तं उदयनिप्फन्ने? उदयनिप्फन्ने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा– जीवोदयनिप्फन्ने य अजीवो-दयनिप्फन्ने य। से किं तं जीवोदयनिप्फन्ने? जीवोदयनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–नेरइए तिरिक्ख-जोणिए मनुस्से देवे पुढविकाइए आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए तसकाइए, कोहकसाई मानकसाई मायाकसाई लोभकसाई, इत्थिवेए पुरिसवेए नपुंसगवेए, कण्हलेसे नीललेसे काउलेसे तेउलेसे पम्हलेसे सुक्कलेसे, मिच्छदिट्ठी अविरए असण्णी अन्नाणी आहारए छउमत्थे सजोगी संसारत्थे असिद्धे अकेवली। से तं जीवोदयनिप्फन्ने। से किं तं अजीवोदयनिप्फन्ने? अजीवोदयनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं– ओरालियं वा सरीरं ओरालियसरीरपओगपरिणामियं वा दव्वं, वेउव्वियं वा सरीरं वेउव्वियसरीरपओगपरिणामियं वा दव्वं एवं आहारयं सरीरं तेयगं सरीरं कम्मयं सरीरं च भाणियव्वं, पओगपरिणामिए वन्ने गंधे रसे फासे। से तं अजीवोदयनिप्फन्ने। से तं उदयनिप्फन्ने। से तं उदइए। से किं तं उवसमिए? उवसमिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–उवसमे य उवसमनिप्फन्ने य। से किं तं उवसमे? उवसमे–मोहणिज्जस्स कम्मस्स उवसमे णं। से तं उवसमे। से किं तं उवसमनिप्फन्ने? उवसमनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–उवसंतकोहे उवसंतमाने उवसंतमाए उवसंतलोहे उवसंतपेज्जे उवसंतदोसे उवसंतदंसणमोहणिज्जे उवसंतचरित्तमोहणिज्जे उवसमिया सम्मत्तलद्धी उवसमिया चरि-त्तलद्धी उवसंतकसायछउमत्थवीयरागे। से तं उवसमनिप्फन्ने। से तं उवसमिए। से किं तं खइए? खइए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–खए य खयनिप्फन्ने य। से किं तं खए? खए–अट्ठण्हं कम्मपयडीणं खए णं। से तं खए। से किं तं खयनिप्फन्ने? खयनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिने केवली, खीणआभिनिबोहियनाणावरणे खीणसुयनाणावरणे खीणओहिनाणावरणे खीणमन-पज्जवनाणावरणे खीणकेवलनाणावरणे अनावरणे निरावरणे खीणावरणे नाणावरणिज्जकम्म-विप्पमुक्के, केवलदंसी सव्वदंसी खीणनिद्दे खीणनिद्दानिद्दे खीणपयले खीणपयलापयले खीण-थीणगिद्धी खीणचक्खुदंसणावरणे खीणअचक्खुदंसणावरणे खीणओहिदंसणावरणे खीणकेवल-दंसणावरणे अनावरणे निरावरणे खीणावरणे दरिसणावरणिज्जकम्मविप्पमुक्के, खीणसाय-वेयणिज्जे खीणअसायवेयणिज्जे अवेयणे निव्वेयणे खीणवेयणे सुभा सुभवेयणिज्जकम्म-विप्पमुक्के, खीणकोहे खीणमाने खीणमाए खीणलोहे खीणपेज्जे खीणदोसे खीणदंसणमोहणिज्जे खीणचरित्तमोहणिज्जे अमोहे निम्मोहे खीणमोहे मोहणिज्जकम्मविप्पमुक्के, खीणनेरइयाउए खीणतिरिक्खजोणियाउए खीणमणुस्साउए खीणदेवाउए अनाउए निराउए खीणाउए आउकम्म-विप्पमुक्के, गइ-जाइ-सरीरंगोवंग-बंधण-संघाय-संघयण-संठाण-अनेगबोंदिवंद-संघायविप्पमुक्के खीणसुभनामे खीणअसुभनामे अणामे निन्नामे खीणनामे सुभासुभनामकम्मविप्पमुक्के, खीण-उच्चागोए खीणनीयागोए अगोए निगोए खीणगोए सुभासुभगोत्तकम्मविप्पमुक्के, खीणदानंतराए खीणलाभंतराए खीणभोगंतराए खीणउवभोगंतराए खीणवीरियंतराए अनंतराए निरंतराए खीणंतराए अंतरायकम्मविप्पमुक्के, सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिनिव्वुडे अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे। से तं खयनिप्फन्ने। से तं खइए। से किं तं खओवसमिए? खओवसमिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–खओवसमे य खओवसम-निप्फन्ने य। से किं तं खओवसमे? खओवसमे–चउण्हं घाइकम्माणं खओवसमे णं– नाणावरणिज्जस्स दंसणावरणिज्जस्स मोहणिज्जस्स अंतरायस्स खओवसमे णं। से तं खओवसमे। से किं तं खओवसमनिप्फन्ने? खओवसमनिप्फन्ने अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–खओवसमिया आभिनिबोहियनाणलद्धी, खओवसमिया सुयनाणलद्धी, खओवसमिया ओहिनाणलद्धी, खओव-समिया मनपज्जवनाणलद्धी; खओवसमिया मइ-अन्नाणलद्धी, खओवसमिया सुयअन्नाणलद्धी, खओवसमिया विभंगनाणलद्धी; खओवसमिया चक्खुदंसणलद्धी, खओवसमिया अचक्खुदंसण-लद्धी, खओवसमिया ओहिदंसणलद्धी; खओवसमिया सम्मदंसणलद्धी, खओवसमिया मिच्छा-दंसणलद्धी, खओवसमिया सम्ममिच्छादंसणलद्धी; खओवसमिया सामाइयचरित्तलद्धी, खओव-समिया छेदोवट्ठावणचरित्तलद्धी, खओवसमिया परिहारविसुद्धियचरित्तलद्धी, खओवसमिया सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी, खओवसमिया चरित्ताचरित्तलद्धी; खओवसमिया दानलद्धी, खओवस-मिया लाभलद्धी, खओवसमिया भोगलद्धी, खओवसमिया उवभोगलद्धी, खओवसमिया वीरिय-लद्धी; खओवसमिया बालवीरियलद्धी, खओवसमिया पंडियवीरियलद्धी, खओवसमिया बाल-पंडियवीरियलद्धी, खओवसमिया सोइंदियलद्धी, खओवसमिया चक्खिंदियलद्धी, खओवसमिया घाणिंदियलद्धी, खओवसमिया जिब्भिंदियलद्धी, खओवसमिया फासिंदियलद्धी; ... ... खओवसमिए आयारधरे, खओवसमिए सूयगडधरे, खओवसमिए ठाणधरे, खओवसमिए समवायधरे, खओवसमिए वियाहपन्नत्तिधरे, खओवसमिए नायाधम्मकहाधरे, खओवसमिए उवासग दसाधरे, खओवसमिए अंतगडदसाधरे, खओवसमिए अनुत्तरोववाइयदसाधरे, खओवसमिए पण्हावागरणधरे, खओवसमिए विवागसुयधरे, खओवसमिए दिट्ठिवायधरे, खओवसमिए नवपुव्वी, खओवसमिए दसपुव्वी, खओवसमिए चउद्दसपुव्वी, खओवसमिए गणी, खओवसमिए वायए। से तं खओवसमनिप्फन्ने। से तं खओवसमिए। से किं तं पारिणामिए? पारिणामिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा– साइ-पारिणामिए य अनाइ-पारिणामिए य। से किं तं साइपारिणामिए? साइपारिणामिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–
Sutra Meaning : छहनाम क्या है ? छह प्रकार हैं। औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक और सान्निपातिक। औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार का है। औदयिक और उदयनिष्पन्न। औदयिक क्या है ? ज्ञानावरणादिक आठ कर्मप्रकृतियों के उदय से होने वाला औदयिकभाव है। उदयनिष्पन्न औदयिकभाव क्या है ? दो प्रकार हैं – जीवोदयनिष्पन्न, अजीवोदयनिष्पन्न। जीवोदयनिष्पन्न औदयिकभाव क्या है ? अनेक प्रकार का है। यथा – नैरयिक, तिर्यंचयोनिक, मनुष्य, देव, पृथ्वी – कायिक, यावत्‌ वनस्पतिकायिक, त्रसकायिक, क्रोधकषायी यावत्‌ लोभकषायी, स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी, नपुंसकवेदी, कृष्णलेश्यी, नील – कापोत – तेज – पद्म – शुक्ललेश्यी, मिथ्यादृष्टि, अविरत, अज्ञानी, आहारक, छद्मस्थ, सयोगी, संसारस्थ, असिद्ध। अजीवोदयनिष्पन्न औदयिकभाव क्या है ? चौदह प्रकार का है। औदारिकशरीर, औदारिकशरीर के व्यापार से परिणामित गृहीत द्रव्य, वैक्रियशरीर, वैक्रियशरीर के प्रयोग से परिणामित द्रव्य, इसी प्रकार, आहारकशरीर और आहारकशरीर के व्यापार से परिणामित द्रव्य, तैजसशरीर और तैजसशरीर के व्यापार से परिणामित द्रव्य, कार्मणशरीर और कार्मणशरीर के व्यापार से परिणामित द्रव्य तथा पाँचों शरीरों के व्यापार से परिणामित वर्ण, गंध, रस, स्पर्श द्रव्य। औपशमिकभाव क्या है ? दो प्रकार का है। उपशम और उपशमनिष्पन्न। उपशम क्या है ? मोहनीयकर्म के उपशम से होने वाले भाव उपशम भाव हैं। उपशमनिष्पन्न औपशमिकभाव क्या है ? अनेक प्रकार हैं। उपशांतक्रोध यावत्‌ उपशांतलोभ, उपशांतराग, उपशांतद्वेष, उपशांतदर्शनमोहनीय, उपशांतचारित्रमोहनीय, उपशांतमोहनीय, औपशमिक सम्यक्त्वलब्धि, औपशमिक चारित्रलब्धि, उपशांतकषायछद्मस्थवीतराग आदि उपशमनिष्पन्न औपशमिकभाव हैं। क्षायिकभाव क्या है ? दो प्रकार का कहा गया है। क्षय और क्षयनिष्पन्न। क्षय – क्षायिकभाव किसे कहते हैं? आठ कर्मप्रकृतियों के क्षय से होने वाला भाव क्षायिक है। क्षयनिष्पन्न क्षायिकभाव क्या है ? अनेक प्रकार का है। यथा – उत्पन्नज्ञान – दर्शनधारी, अर्हत्‌, जिन, केवली, क्षीणआभिनिबोधिकज्ञानावरणवाला, क्षीणश्रुतज्ञानावरण – वाला, क्षीणअवधिज्ञानावरणवाला, क्षीणनःपर्यवज्ञानावरण वाला, क्षीणकेवलज्ञानावरण वाला, अविद्यमान आवरण वाला, निरावरण वाला, क्षीणवरण वाला, ज्ञानावरणीयकर्मविप्रमुक्त केवलदर्शी, सर्वदर्शी, क्षीणनिद्र, क्षीणनिद्रानिद्र, क्षीणप्रचल, क्षीणप्रचलाप्रचल, क्षीणस्त्यानगृद्धि, क्षीणचक्षुदर्शनावरणवाला, क्षीणअचक्षुदर्शनावरणवाला, क्षीण – अवधिदर्शनावरणवाला, क्षीणकेवलदर्शनावरणवाला, अनावरण, निरावरण, क्षीणावरण, दर्शनावरणीय कर्मविप्रमुक्त, क्षीणसातावेदनीय, क्षीणअसातावेदनीय, अवेदन, निर्वेदन, क्षीणवेदन, शुभाशुभ वेदनीयकर्मविप्रमुक्त, क्षीणक्रोध यावत्‌ क्षीणलोभ, क्षीणराग, क्षीणद्वेष क्षीणदर्शनमोहनीय, क्षीणचारित्रमोहनीय, अमोह, निर्मोह, क्षीणमोह, मोहनीयकर्मविप्रमुक्त, क्षीणनरकायुष्क, क्षीणतिर्यंचायुष्क, क्षीणमनुष्यायुष्क, क्षीणदेवायुष्क, अनायुष्क, निरायुष्क, क्षीणायुष्क, आयुकर्मविप्रमुक्त, गति – जाति – शरीर – अंगोपांग – बंधन – संघातक – संहनन – अनेक – शरीरवृन्दसंघातविप्रमुक्त, क्षीण – शुभनाम, क्षीण – सुभगनाम, अनाम, निर्नाम, क्षीणनाम, शुभाशुभ नामकर्मविप्रमुक्त, क्षीण – उच्चगोत्र, क्षीण – नीचगोत्र, अगोत्र, निर्गोत्र, क्षीणगोत्र, शुभाशुभगोत्रकर्मविप्रमुक्त, क्षीण – दानान्तराय, क्षीण – लाभान्तराय, क्षीण – भोगान्तराय, क्षीण – उपभोगान्तराय, क्षीण – वीर्यान्तराय, अनन्तराय, निरंतराय, क्षीणान्तराय, अंतरायकर्मविप्रमुक्त, सिद्ध, बुद्ध, मुक्त, परिनिर्वृत्त, अंतकृत, सर्वदुःख प्रहीण। यह क्षयनिष्पन्न क्षायिकभाव का स्वरूप है। इस प्रकार से क्षायिकभाव की वक्तव्यता जानना। क्षायोपशमिकभाव क्या है ? दो प्रकार का है। क्षयोपशम और क्षयोपशमनिष्पन्न। क्षयोपशम क्या है ? ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय, इन चार घातिकर्मों के क्षयोपशम को क्षयोपशमभाव कहते हैं। क्षयोपशमनिष्पन्न क्षायोप – शमिकभाव क्या है ? अनेक प्रकार का है। क्षायोपशमिकी आभिनिबोधिकज्ञानलब्धि यावत्‌ क्षायोपशमिकी मनःपर्यायज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी मति – अज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी श्रुत – अज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी विभंगज्ञानलब्धि, क्षायोपशमिकी चक्षुदर्शनलब्धि, इसी प्रकार अचक्षुदर्शनलब्धि, अवधिदर्शनलब्धि, सम्यग्‌दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि, सम्यग्‌मिथ्यादर्शनलब्धि, क्षायोपशमिकी सामायिकचारित्रलब्धि, छेदोपस्थापनालब्धि, परिहारविशुद्धिलब्धि, सूक्ष्मसंपरायिकलब्धि, चारित्राचारित्रलब्धि, क्षायोपशमिकी दान – लाभ – भोग – उपभोग – लब्धि, क्षायोपशमिकी वीर्यलब्धि, पंडितवीर्यलब्धि, बालवीर्यलब्धि, बालपंडितवीर्य – लब्धि, क्षायोपशमिकी श्रोत्रेन्द्रियलब्धि यावत्‌ क्षायोपशमिकी स्पर्शनेन्द्रियलब्धि, क्षायोपशमिक आचारांगधारी, सूत्रकृतांगधारी, स्थानांगधारी, समवायांगधारी, व्याख्याप्रज्ञप्तिधारी, ज्ञाताधर्मकथांगधारी, उपासकदशांगधारी, अन्तकृद्दशांगधारी, अनुत्तरोपपा – तिकदशांगधारी, प्रश्नव्याकरणधारी, क्षायोपशमिक विपाकश्रुतधारी, क्षायोपशमिक दृष्टिवादधारी, क्षायोपशमिक नवपूर्वधारी यावत्‌ चौदहपूर्वधारी, क्षायोपशमिक गणी, क्षायोपशमिक वाचक। ये सब क्षयोपशमनिष्पन्नभाव हैं। पारिणामिक भाव किसे कहते हैं ? दो प्रकार हैं। सादिपारिणामिक, अनादिपारिणामिक। सादिपारिणामिकभाव क्या है? अनेक प्रकार हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se kim tam chhaname? Chhaname chhavvihe pannatte, tam jaha–1. Udaie 2. Uvasamie 3. Khaie 4. Khaovasamie 5. Parinamie 6. Sannivaie. Se kim tam udaie? Udaie duvihe pannatte, tam jaha–udae ya udayanipphanne ya. Se kim tam udae? Udae–atthanham kammapayadinam udae nam. Se tam udae. Se kim tam udayanipphanne? Udayanipphanne duvihe pannatte, tam jaha– jivodayanipphanne ya ajivo-dayanipphanne ya. Se kim tam jivodayanipphanne? Jivodayanipphanne anegavihe pannatte, tam jaha–neraie tirikkha-jonie manusse deve pudhavikaie aukaie teukaie vaukaie vanassaikaie tasakaie, kohakasai manakasai mayakasai lobhakasai, itthivee purisavee napumsagavee, kanhalese nilalese kaulese teulese pamhalese sukkalese, michchhaditthi avirae asanni annani aharae chhaumatthe sajogi samsaratthe asiddhe akevali. Se tam jivodayanipphanne. Se kim tam ajivodayanipphanne? Ajivodayanipphanne anegavihe pannatte, tam– oraliyam va sariram oraliyasarirapaogaparinamiyam va davvam, veuvviyam va sariram veuvviyasarirapaogaparinamiyam va davvam evam aharayam sariram teyagam sariram kammayam sariram cha bhaniyavvam, paogaparinamie vanne gamdhe rase phase. Se tam ajivodayanipphanne. Se tam udayanipphanne. Se tam udaie. Se kim tam uvasamie? Uvasamie duvihe pannatte, tam jaha–uvasame ya uvasamanipphanne ya. Se kim tam uvasame? Uvasame–mohanijjassa kammassa uvasame nam. Se tam uvasame. Se kim tam uvasamanipphanne? Uvasamanipphanne anegavihe pannatte, tam jaha–uvasamtakohe uvasamtamane uvasamtamae uvasamtalohe uvasamtapejje uvasamtadose uvasamtadamsanamohanijje uvasamtacharittamohanijje uvasamiya sammattaladdhi uvasamiya chari-ttaladdhi uvasamtakasayachhaumatthaviyarage. Se tam uvasamanipphanne. Se tam uvasamie. Se kim tam khaie? Khaie duvihe pannatte, tam jaha–khae ya khayanipphanne ya. Se kim tam khae? Khae–atthanham kammapayadinam khae nam. Se tam khae. Se kim tam khayanipphanne? Khayanipphanne anegavihe pannatte, tam jaha–uppannananadamsanadhare araha jine kevali, khinaabhinibohiyananavarane khinasuyananavarane khinaohinanavarane khinamana-pajjavananavarane khinakevalananavarane anavarane niravarane khinavarane nanavaranijjakamma-vippamukke, kevaladamsi savvadamsi khinanidde khinaniddanidde khinapayale khinapayalapayale khina-thinagiddhi khinachakkhudamsanavarane khinaachakkhudamsanavarane khinaohidamsanavarane khinakevala-damsanavarane anavarane niravarane khinavarane darisanavaranijjakammavippamukke, khinasaya-veyanijje khinaasayaveyanijje aveyane nivveyane khinaveyane subha subhaveyanijjakamma-vippamukke, khinakohe khinamane khinamae khinalohe khinapejje khinadose khinadamsanamohanijje khinacharittamohanijje amohe nimmohe khinamohe mohanijjakammavippamukke, khinaneraiyaue khinatirikkhajoniyaue khinamanussaue khinadevaue anaue niraue khinaue aukamma-vippamukke, gai-jai-sariramgovamga-bamdhana-samghaya-samghayana-samthana-anegabomdivamda-samghayavippamukke khinasubhaname khinaasubhaname aname ninname khinaname subhasubhanamakammavippamukke, khina-uchchagoe khinaniyagoe agoe nigoe khinagoe subhasubhagottakammavippamukke, khinadanamtarae khinalabhamtarae khinabhogamtarae khinauvabhogamtarae khinaviriyamtarae anamtarae niramtarae khinamtarae amtarayakammavippamukke, siddhe buddhe mutte parinivvude amtagade savvadukkhappahine. Se tam khayanipphanne. Se tam khaie. Se kim tam khaovasamie? Khaovasamie duvihe pannatte, tam jaha–khaovasame ya khaovasama-nipphanne ya. Se kim tam khaovasame? Khaovasame–chaunham ghaikammanam khaovasame nam– nanavaranijjassa damsanavaranijjassa mohanijjassa amtarayassa khaovasame nam. Se tam khaovasame. Se kim tam khaovasamanipphanne? Khaovasamanipphanne anegavihe pannatte, tam jaha–khaovasamiya abhinibohiyananaladdhi, khaovasamiya suyananaladdhi, khaovasamiya ohinanaladdhi, khaova-samiya manapajjavananaladdhi; khaovasamiya mai-annanaladdhi, khaovasamiya suyaannanaladdhi, khaovasamiya vibhamgananaladdhi; khaovasamiya chakkhudamsanaladdhi, khaovasamiya achakkhudamsana-laddhi, khaovasamiya ohidamsanaladdhi; khaovasamiya sammadamsanaladdhi, khaovasamiya michchha-damsanaladdhi, khaovasamiya sammamichchhadamsanaladdhi; khaovasamiya samaiyacharittaladdhi, khaova-samiya chhedovatthavanacharittaladdhi, khaovasamiya pariharavisuddhiyacharittaladdhi, khaovasamiya suhumasamparayacharittaladdhi, khaovasamiya charittacharittaladdhi; khaovasamiya danaladdhi, khaovasa-miya labhaladdhi, khaovasamiya bhogaladdhi, khaovasamiya uvabhogaladdhi, khaovasamiya viriya-laddhi; khaovasamiya balaviriyaladdhi, khaovasamiya pamdiyaviriyaladdhi, khaovasamiya bala-pamdiyaviriyaladdhi, khaovasamiya soimdiyaladdhi, khaovasamiya chakkhimdiyaladdhi, khaovasamiya ghanimdiyaladdhi, khaovasamiya jibbhimdiyaladdhi, khaovasamiya phasimdiyaladdhi;.. .. Khaovasamie ayaradhare, khaovasamie suyagadadhare, khaovasamie thanadhare, khaovasamie samavayadhare, khaovasamie viyahapannattidhare, khaovasamie nayadhammakahadhare, khaovasamie uvasaga dasadhare, khaovasamie amtagadadasadhare, khaovasamie anuttarovavaiyadasadhare, khaovasamie panhavagaranadhare, khaovasamie vivagasuyadhare, khaovasamie ditthivayadhare, khaovasamie navapuvvi, khaovasamie dasapuvvi, khaovasamie chauddasapuvvi, khaovasamie gani, khaovasamie vayae. Se tam khaovasamanipphanne. Se tam khaovasamie. Se kim tam parinamie? Parinamie duvihe pannatte, tam jaha– sai-parinamie ya anai-parinamie ya. Se kim tam saiparinamie? Saiparinamie anegavihe pannatte, tam jaha–
Sutra Meaning Transliteration : Chhahanama kya hai\? Chhaha prakara haim. Audayika, aupashamika, kshayika, kshayopashamika, parinamika aura sannipatika. Audayikabhava kya hai\? Do prakara ka hai. Audayika aura udayanishpanna. Audayika kya hai\? Jnyanavaranadika atha karmaprakritiyom ke udaya se hone vala audayikabhava hai. Udayanishpanna audayikabhava kya hai\? Do prakara haim – jivodayanishpanna, ajivodayanishpanna. Jivodayanishpanna audayikabhava kya hai\? Aneka prakara ka hai. Yatha – nairayika, tiryamchayonika, manushya, deva, prithvi – kayika, yavat vanaspatikayika, trasakayika, krodhakashayi yavat lobhakashayi, strivedi, purushavedi, napumsakavedi, krishnaleshyi, nila – kapota – teja – padma – shuklaleshyi, mithyadrishti, avirata, ajnyani, aharaka, chhadmastha, sayogi, samsarastha, asiddha. Ajivodayanishpanna audayikabhava kya hai\? Chaudaha prakara ka hai. Audarikasharira, audarikasharira ke vyapara se parinamita grihita dravya, vaikriyasharira, vaikriyasharira ke prayoga se parinamita dravya, isi prakara, aharakasharira aura aharakasharira ke vyapara se parinamita dravya, taijasasharira aura taijasasharira ke vyapara se parinamita dravya, karmanasharira aura karmanasharira ke vyapara se parinamita dravya tatha pamchom sharirom ke vyapara se parinamita varna, gamdha, rasa, sparsha dravya. Aupashamikabhava kya hai\? Do prakara ka hai. Upashama aura upashamanishpanna. Upashama kya hai\? Mohaniyakarma ke upashama se hone vale bhava upashama bhava haim. Upashamanishpanna aupashamikabhava kya hai\? Aneka prakara haim. Upashamtakrodha yavat upashamtalobha, upashamtaraga, upashamtadvesha, upashamtadarshanamohaniya, upashamtacharitramohaniya, upashamtamohaniya, aupashamika samyaktvalabdhi, aupashamika charitralabdhi, upashamtakashayachhadmasthavitaraga adi upashamanishpanna aupashamikabhava haim. Kshayikabhava kya hai\? Do prakara ka kaha gaya hai. Kshaya aura kshayanishpanna. Kshaya – kshayikabhava kise kahate haim? Atha karmaprakritiyom ke kshaya se hone vala bhava kshayika hai. Kshayanishpanna kshayikabhava kya hai\? Aneka prakara ka hai. Yatha – utpannajnyana – darshanadhari, arhat, jina, kevali, kshinaabhinibodhikajnyanavaranavala, kshinashrutajnyanavarana – vala, kshinaavadhijnyanavaranavala, kshinanahparyavajnyanavarana vala, kshinakevalajnyanavarana vala, avidyamana avarana vala, niravarana vala, kshinavarana vala, jnyanavaraniyakarmavipramukta kevaladarshi, sarvadarshi, kshinanidra, kshinanidranidra, kshinaprachala, kshinaprachalaprachala, kshinastyanagriddhi, kshinachakshudarshanavaranavala, kshinaachakshudarshanavaranavala, kshina – avadhidarshanavaranavala, kshinakevaladarshanavaranavala, anavarana, niravarana, kshinavarana, darshanavaraniya karmavipramukta, kshinasatavedaniya, kshinaasatavedaniya, avedana, nirvedana, kshinavedana, shubhashubha vedaniyakarmavipramukta, kshinakrodha yavat kshinalobha, kshinaraga, kshinadvesha kshinadarshanamohaniya, kshinacharitramohaniya, amoha, nirmoha, kshinamoha, mohaniyakarmavipramukta, kshinanarakayushka, kshinatiryamchayushka, kshinamanushyayushka, kshinadevayushka, anayushka, nirayushka, kshinayushka, ayukarmavipramukta, gati – jati – sharira – amgopamga – bamdhana – samghataka – samhanana – aneka – shariravrindasamghatavipramukta, kshina – shubhanama, kshina – subhaganama, anama, nirnama, kshinanama, shubhashubha namakarmavipramukta, kshina – uchchagotra, kshina – nichagotra, agotra, nirgotra, kshinagotra, shubhashubhagotrakarmavipramukta, kshina – danantaraya, kshina – labhantaraya, kshina – bhogantaraya, kshina – upabhogantaraya, kshina – viryantaraya, anantaraya, niramtaraya, kshinantaraya, amtarayakarmavipramukta, siddha, buddha, mukta, parinirvritta, amtakrita, sarvaduhkha prahina. Yaha kshayanishpanna kshayikabhava ka svarupa hai. Isa prakara se kshayikabhava ki vaktavyata janana. Kshayopashamikabhava kya hai\? Do prakara ka hai. Kshayopashama aura kshayopashamanishpanna. Kshayopashama kya hai\? Jnyanavaraniya, darshanavaraniya, mohaniya aura antaraya, ina chara ghatikarmom ke kshayopashama ko kshayopashamabhava kahate haim. Kshayopashamanishpanna kshayopa – shamikabhava kya hai\? Aneka prakara ka hai. Kshayopashamiki abhinibodhikajnyanalabdhi yavat kshayopashamiki manahparyayajnyanalabdhi, kshayopashamiki mati – ajnyanalabdhi, kshayopashamiki shruta – ajnyanalabdhi, kshayopashamiki vibhamgajnyanalabdhi, kshayopashamiki chakshudarshanalabdhi, isi prakara achakshudarshanalabdhi, avadhidarshanalabdhi, samyagdarshanalabdhi, mithyadarshanalabdhi, samyagmithyadarshanalabdhi, kshayopashamiki samayikacharitralabdhi, chhedopasthapanalabdhi, pariharavishuddhilabdhi, sukshmasamparayikalabdhi, charitracharitralabdhi, kshayopashamiki dana – labha – bhoga – upabhoga – labdhi, kshayopashamiki viryalabdhi, pamditaviryalabdhi, balaviryalabdhi, balapamditavirya – labdhi, kshayopashamiki shrotrendriyalabdhi yavat kshayopashamiki sparshanendriyalabdhi, kshayopashamika acharamgadhari, sutrakritamgadhari, sthanamgadhari, samavayamgadhari, vyakhyaprajnyaptidhari, jnyatadharmakathamgadhari, upasakadashamgadhari, antakriddashamgadhari, anuttaropapa – tikadashamgadhari, prashnavyakaranadhari, kshayopashamika vipakashrutadhari, kshayopashamika drishtivadadhari, kshayopashamika navapurvadhari yavat chaudahapurvadhari, kshayopashamika gani, kshayopashamika vachaka. Ye saba kshayopashamanishpannabhava haim. Parinamika bhava kise kahate haim\? Do prakara haim. Sadiparinamika, anadiparinamika. Sadiparinamikabhava kya hai? Aneka prakara haim.