Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1024015 | ||
Scripture Name( English ): | Anuyogdwar | Translated Scripture Name : | अनुयोगद्वारासूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Translated Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 15 | Category : | Chulika-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नेगमस्स एगो अनुवउत्तो आगमओ एगं दव्वावस्सयं, दोन्नि अनुवउत्ता आगमओ दोन्नि दव्वा-वस्सयाइं, तिन्नि अनुवउत्ता आगमओ तिन्नि दव्वावस्सयाइं, एवं जावइया अनुवउत्ता तावइयाइं ताइं नेगमस्स आगमओ दव्वावस्सयाइं। एवमेव ववहारस्स वि। संगहस्स एगो वा अनेगा वा अनुवउत्तो वा अनुवउत्ता वा आगमओ दव्वावस्सयं वा दव्वा-वस्सयाणि वा, से एगे दव्वावस्सए। उज्जुसुयस्स एगो अनुवउत्तो आगमओ एगं दव्वावस्सयं, पुहत्तं नेच्छइ। तिण्हं सद्दनयाणं जाणए अनुवउत्ते अवत्थू। कम्हा? जइ जाणए अनुवउत्ते न भवइ। से तं आगमओ दव्वावस्सयं। | ||
Sutra Meaning : | नैगमनय की अपेक्षा एक अनुपयुक्त आत्मा एक आगमद्रव्य – आवश्यक है। दो अनुपयुक्त आत्माऍं दो आगमद्रव्य – आवश्यक हैं। इसी प्रकार जितनी भी अनुपयुक्त आत्माऍं हैं, वे सभी उतनी ही नैगमनय की अपेक्षा आगमद्रव्य – आवश्यक हैं। इसी प्रकार व्यवहारनय भी जानना। संग्रहनय एक अनुपयुक्त आत्मा एक द्रव्य – आवश्यक और अनेक अनुपयुक्त आत्माऍं अनेक द्रव्य – आवश्यक हैं, ऐसा स्वीकार नहीं करता है। वही सभी आत्माओं को एक द्रव्य – आवश्यक ही मानता है। ऋजुसूत्रनय भी भेदों को स्वीकार नहीं करता। तीनों शब्दनय ज्ञायक यदि अनुपयुक्त हो तो उसे अवस्तु मानते हैं। क्योंकि जो ज्ञायक है वह उपयोगशून्य नहीं होता है और जो उपयोगरहित है उसे ज्ञायक नहीं कहा जा सकता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] negamassa ego anuvautto agamao egam davvavassayam, donni anuvautta agamao donni davva-vassayaim, tinni anuvautta agamao tinni davvavassayaim, evam javaiya anuvautta tavaiyaim taim negamassa agamao davvavassayaim. Evameva vavaharassa vi. Samgahassa ego va anega va anuvautto va anuvautta va agamao davvavassayam va davva-vassayani va, se ege davvavassae. Ujjusuyassa ego anuvautto agamao egam davvavassayam, puhattam nechchhai. Tinham saddanayanam janae anuvautte avatthu. Kamha? Jai janae anuvautte na bhavai. Se tam agamao davvavassayam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Naigamanaya ki apeksha eka anupayukta atma eka agamadravya – avashyaka hai. Do anupayukta atmaam do agamadravya – avashyaka haim. Isi prakara jitani bhi anupayukta atmaam haim, ve sabhi utani hi naigamanaya ki apeksha agamadravya – avashyaka haim. Isi prakara vyavaharanaya bhi janana. Samgrahanaya eka anupayukta atma eka dravya – avashyaka aura aneka anupayukta atmaam aneka dravya – avashyaka haim, aisa svikara nahim karata hai. Vahi sabhi atmaom ko eka dravya – avashyaka hi manata hai. Rijusutranaya bhi bhedom ko svikara nahim karata. Tinom shabdanaya jnyayaka yadi anupayukta ho to use avastu manate haim. Kyomki jo jnyayaka hai vaha upayogashunya nahim hota hai aura jo upayogarahita hai use jnyayaka nahim kaha ja sakata. |