Sutra Navigation: Dashvaikalik ( दशवैकालिक सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1021038 | ||
Scripture Name( English ): | Dashvaikalik | Translated Scripture Name : | दशवैकालिक सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-४ छ जीवनिकाय |
Translated Chapter : |
अध्ययन-४ छ जीवनिकाय |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 38 | Category : | Mool-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अहावरे पंचमे भंते! महव्वए परिग्गहाओ वेरमणं सव्वं भंते! परिग्गहं पच्चक्खामि– से गामे वा नगरे वा रण्णे वा अप्पं वा बहुं वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं वा, नेव सयं परिग्गहं परिगेण्हेज्जा नेवन्नेहिं परिग्गहं परिगेण्हावेज्जा परिग्गहं परिगेण्हंते वि अन्ने न समनुजाणेज्जा जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करंतं पि अन्नं न समनुजाणामि। तस्स भंते! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। पंचमे भंते! महव्वए उवट्ठिओमि सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं। | ||
Sutra Meaning : | पंचम महाव्रत में परिग्रह से विरत होना होता है। ‘‘भंते ! मैं सब प्रकार के परिग्रह का प्रत्याख्यान करता हूँ, जैसे कि – गॉंव में, नगर में या अरण्य में, अल्प या बहुत, सूक्ष्म या स्थूल, सचित्त या अचित्त परिग्रह का परिग्रहण स्वयं न करे, दूसरों से नहीं कराए और न ही करनेवाले का अनुमोदन करे; यावज्जीवन के लिए, तीन करण, तीन योग से मैं मन से, वचन से, काया से परिग्रह – ग्रहण नहीं करूंगा, न कराऊंगा और न करने वाले का अनुमोदन करूंगा। भंते ! मैं उससे से निवृत्त होता हूँ, गर्हा करता हूँ और परिग्रह – युक्त आत्मा का व्युत्सर्ग करता हूँ। भंते ! मैं पंचम – महाव्रत के लिए उपस्थित हूँ, (जिसमें) सब प्रकार के परिग्रह से विरत होना होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ahavare pamchame bhamte! Mahavvae pariggahao veramanam Savvam bhamte! Pariggaham pachchakkhami– Se game va nagare va ranne va appam va bahum va anum va thulam va chittamamtam va achittamamtam va, Neva sayam pariggaham parigenhejja nevannehim pariggaham parigenhavejja pariggaham parigenhamte vi anne na samanujanejja Javajjivae tiviham tivihenam manenam vayae kaenam na karemi na karavemi karamtam pi annam na samanujanami. Tassa bhamte! Padikkamami nimdami garihami appanam vosirami. Pamchame bhamte! Mahavvae uvatthiomi savvao pariggahao veramanam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Pamchama mahavrata mem parigraha se virata hona hota hai. ‘‘bhamte ! Maim saba prakara ke parigraha ka pratyakhyana karata hum, jaise ki – gomva mem, nagara mem ya aranya mem, alpa ya bahuta, sukshma ya sthula, sachitta ya achitta parigraha ka parigrahana svayam na kare, dusarom se nahim karae aura na hi karanevale ka anumodana kare; yavajjivana ke lie, tina karana, tina yoga se maim mana se, vachana se, kaya se parigraha – grahana nahim karumga, na karaumga aura na karane vale ka anumodana karumga. Bhamte ! Maim usase se nivritta hota hum, garha karata hum aura parigraha – yukta atma ka vyutsarga karata hum. Bhamte ! Maim pamchama – mahavrata ke lie upasthita hum, (jisamem) saba prakara ke parigraha se virata hona hota hai. |