Sutra Navigation: Dashashrutskandha ( दशाश्रुतस्कंध सूत्र )

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Sr No : 1014249
Scripture Name( English ): Dashashrutskandha Translated Scripture Name : दशाश्रुतस्कंध सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

दशा ७ भिक्षु प्रतिमा

Translated Chapter :

दशा ७ भिक्षु प्रतिमा

Section : Translated Section :
Sutra Number : 49 Category : Chheda-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स निच्चं वोसट्ठकाए चत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उववज्जंति, तं जहा– दिव्वा वा मानुस्सा वा तिरिक्खजोणिया वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहति खमति तितिक्खति अहियासेति। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पति एगा दत्ती भोयणस्स पडिगाहेत्तए एगा पाणगस्स अण्णाउंछं सुद्धोवहडं, निज्जूहित्ता बहवे दुपय-चउप्पय-समण-माहण-अतिहि-किवण-वनीमए, कप्पति से एगस्स भुंजमाणस्स पडिग्गाहेत्तए, नो दोण्हं नो तिण्हं नो चउण्हं नो पंचण्हं, नो गुव्विणीए, नो बालवच्छाए, नो दारगं पज्जेमाणीए, नो अंतो एलुयस्स दोवि पाए साहट्टु दलमाणीए, नो बाहिं एलुयस्स दोवि पाए साहट्टु दलमाणीए, एगं पादं अंतो किच्चा एगं पादं बाहिं किच्चा एलुयं विक्खंभइत्ता एवं दलयति एवं से कप्पति पडिग्गाहेत्तए, एवं नो दयलति एवं नो से, कप्पति पडिग्गाहेत्तए। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स तओ गोयरकाला पन्नत्ता, तं जहा–आदि मज्झे चरिमे। आदिं चरति, नो मज्झे चरति नो चरिमे चरति। मज्झे चरति, नो आदिं चरति नो चरिमं चरति। चरिमं चरति, नो आदिं चरति नो मज्झे चरति। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स छव्विधा गोयरचरिया पन्नत्ता, तं जहा–पेला, अद्धपेला, गोमुत्तिया पयंगवीहिया, संवुक्कावट्टा, गंतुंपच्चागता। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स जत्थ णं केइ जाणइ गामंसि वा जाव मडंबंसि वा कप्पति से तत्थ एगरायं वत्थए, जत्थ णं केइ न जाणइ कप्पति से तत्थ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पति एगरायातो वा दुरायातो वा परं वत्थए, जे तत्थ एगरायातो वा दुरायातो वा परं वसति से संतरा छेदे वा परिहारे वा। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पंति चत्तारि भासाओ भासित्तए, तं जहा–जायणी पुच्छणी अणुन्नमणी पुट्ठस्स वागरणी। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पंति तओ उवस्सया पडिलेहित्तए, तं जहा–अहेआरामगिहंसि वा, अहेवियडगिहंसि वा अहेरुक्खमूलगिहंसि वा। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स कप्पंति तओ उवस्सया अणुन्नवेत्तए, तं जहा–अहेआरामगिहंसि वा अहेवियडगिहंसि वा अहेरुक्खमूलगिहंसि वा। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पंति तओ उवस्सया उवाइणित्तए, तं जहा–अहेआरामगिहंसि वा अहेवियडगिहंसि वा अहेरुक्खमूलगिहंसि वा। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पंति तओ संथारगा पडिलेहित्तए, तं जहा–पुढविसिलं वा अहासंथडमेव। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पंति तओ संथारगा अणुन्नवेत्तए, तं जहा–पुढविसिलं वा कट्ठसिलं वा अहासंथडमेव। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पंति तओ संथारगा उवाइणित्तए, तं जहा–पुढविसिलं वा कट्ठसिलं वा अहासंथडमेव। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स इत्थी उवस्सयं हव्वमागच्छेज्जा, सइत्थिए व पुरिसे, नो से कप्पति तं पडुच्च निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स केइ उवस्सयं अगनिकाएण ज्झामेज्जा नो से कप्पति तं पडुच्च निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा। तत्थ णं केइ बाहाए गहाय आगसेज्जा नो से कप्पति तं अवलंबित्तए वा, पच्चवलंबित्तए वा, कप्पति से अहारियं रीइत्तए। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स पायंसि खाणू वा कंटए वा हीरए वा सक्करए वा अनुपविसेज्जा नो से कप्पति नीहरित्तए वा विसोहेत्तए वा, कप्पति से अहारियं रीइत्तए। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स अच्छिंसि पाणाणि वा बीयाणि वा रए वा परियावज्जेज्जा नो से कप्पति नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा, कप्पति से अहारियं रीइत्तए। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स जत्थेव सूरिए अत्थमेज्जा तत्थेव जलंसि वा थलंसि वा दुग्गंसि वा निण्णंसि वा पव्वतंसि वा विसमंसि वा गड्ढाए वा दरीए वा कप्पति से तं रयणिं तत्थेव उवातिणावेत्तए नो से कप्पति पदमपि गमित्तए, कप्पति से कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पल-कमल-कोमलुम्मिलियम्मि अहपंडुरे पहाए रत्तासोगप्पगास-किंसुय-सुयमुह-गुंजद्ध-राग-सरिसे कमलागरसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिंमि दिनयरे तेयसा जलंते पाईणा-भिमुहस्स वा पडीणाभिमुहस्स वा दाहिणाभिमुहस्स वा उत्तराभिमुहस्स वा अहारियं रीइत्तए। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स णो कप्पति अनंतरहिताए पुढवीए निद्दा-इत्तए वा पयलाइत्तए वा। केवली बूया–आदानमेयं, से तत्थ निद्दायमाणे वा पयलायमाणे वा हत्थेहिं भूमिं परामुसेज्जा। अहाविहिमेव ठाणं ठाइत्तए निक्खमित्तए वा। उच्चारपासवणेणं उव्वाहेज्जा नो से कप्पति ओगिण्हित्तए वा, कप्पति से पुव्वपडिलेहिए थंडिले उच्चारपासवणं परिट्ठवित्तए, तमेव उवस्सयं आगम्म ठाणं ठावित्तए। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स नो कप्पति ससरक्खेणं काएणं गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा। अह पुणेवं जाणेज्जा–ससरक्खे सेअत्ताए वा जल्लत्ताए वा मलत्ताए वा पंकत्ताए वा विद्धत्थे से कप्पति गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स नो कप्पति सीओदगवियडेण वा उसिणो-दगवियडेण वा हत्थाणि वा पादाणि वा दंताणि वा अच्छीणि वा मुहं वा उच्छोलित्तए वा पधोइत्तए वा। नन्नत्थ लेवालेवेण वा भत्तामासेण वा। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स नो कप्पति आसस्स वा हत्थिस्स वा गोणस्स वा महिसस्स वा वग्घ स्स वा वगस्स वा दीवियस्स वा अच्छस्स वा तरच्छस्स वा परासरस्स वा सीयालस्स वा विरालस्स वा कोकंतियस्स वा ससगस्स वा चिल्ललस्स वा सुणगस्स वा कोलसुणगस्स वा दुट्ठस्स आवदमाणस्स पदमवि पच्चोसक्कित्तए, अदुट्ठस्स आवदमाणस्स कप्पति जुगमित्तं पच्चोसक्कित्तए। मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स नो कप्पति छायातो सीयंति नो उण्हं एत्तए, उण्हाओ उण्हंति नो छायं एत्तए, जं जत्थ जया सिया तं तत्थ अहियासए। एवं खलु एसा मासियभिक्खुपडिमा अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आराहिया आणाए अनुपालिया यावि भवति।
Sutra Meaning : मासिकी भिक्षु प्रतिमा को धारण करनेवाले साधु काया को वोसिरा के तथा शरीर के ममत्व भाव के त्यागी होते हैं। देव – मानव या तिर्यंच सम्बन्धी जो कोई उपसर्ग आता है उसे वो सम्यक्‌ प्रकार से सहता है। उपसर्ग करनेवाले को क्षमा करते हैं, अदीन भाव से सहते हैं, शारीरिक क्षमतापूर्वक उसका सामना करता है। मासिक भिक्षु प्रतिमाधारी साधु को एक दत्ति भोजन या पानी को दाता दे तो लेना कल्पे। यह दत्ति भी अज्ञात कुल से, अल्पमात्रा में दूसरों के लिए बनाए हुए अनेक द्विपद, चतुष्पद, श्रमण, ब्राह्मण, अतिथि, कृपण और भिखारि आदि के भिक्षा लेकर चले जाने के बाद ग्रहण करना कल्पे। और फिर यह दत्ति जहाँ एक व्यक्ति भोजन कर रहा हो वहाँ से लेना कल्पे। लेकिन दो, तीन, चार, पाँच व्यक्ति साथ बैठकर भोजन कर रहे हो तो वहाँ से लेना नहीं कल्पता। गर्भिणी, छोटे बच्चेवाली या बालक को दूध पीला रही हो, उसके पास से आहार – पानी की दत्ति लेना कल्पता नहीं, जिसके दोनों पाँव ऊंबरे के बाहर या अंदर हो तो उस स्त्री के पास से दत्ति लेना न कल्पे परंतु एक पाँव अंदर और एक पाँव बाहर हो तो उसके हाथ से लेना कल्पता है। मगर यदि वो देना न चाहे तो उसके हाथ से लेना न कल्पे। मासिकी भिक्षु प्रतिमा धारण किए हुए साधु को आहार लाने के तीन समय बताये हैं – आदि, मध्य और अन्त, जो भिक्षु आदि में गोचरी जावे, वह मध्य या अन्त में न जावे, जो मध्य में गोचरी जावे वह आदि या अन्त में न जावे, जो अन्त में गोचरी जावे वो आदि या मध्य में न जावे। मासिक भिक्षु प्रतिमाधारी साधु को छह प्रकार से गोचरी बताई है। पेटा, अर्धपेटा, गौमूत्रिका, पतंग वीथिका, शम्बूकावर्ती, गत्वाप्रत्यागता। इन छह प्रकार की गोचरी में से कोई एक प्रकार की गोचरी का अभिग्रह लेकर प्रतिमाधारी साधु को भिक्षा लेना कल्पता है। जिस ग्राम यावत्‌ मडंब में एकमासिकी भिक्षुप्रतिमा धारक साधु को यदि कोई जानता हो तो उसको वहाँ एक रात्रि रहना कल्पे, यदि कोई न जानता हो तो एक या दो रात्रि रहना कल्पे, परंतु यदि वह उससे ज्यादा निवास करे तो वह भिक्षु उतने दिनों के दीक्षापर्याय का छेद या परिहार तप का भागी होता है। मासिकी भिक्षु प्रतिमाधारक साधु को चार प्रकार की भाषा बोलना कल्पता है – याचनी, पृच्छनी, अनुज्ञापनी तथा पृष्ठव्याकरणी। मासिकी भिक्षुप्रतिमा प्रतिपन्न साधु को तीन प्रकार के उपाश्रयों की प्रतिलेखना करना, आज्ञा लेना अथवा वहाँ निवास करना कल्पे – उद्यानगृह, चारों ओर से ढ़का हुआ न हो ऐसा गृह, वृक्ष के नीचे रहा हुआ गृह। भिक्षु प्रतिमाधारक साधु को तीन प्रकार के संस्तारक की प्रतिलेखना, आज्ञा लेना एवं ग्रहण करना कल्पता है – पृथ्वी – शिला, काष्ठपाट, पूर्व से बिछा हुआ तृण। मासिकी भिक्षुप्रतिमा धारक साधु को उपाश्रय में कोई स्त्री – पुरुष आकर अनाचार का आचरण करता दिखाई दे तो उस उपाश्रय में आना या जाना न कल्पे, वहाँ कोई अग्नि प्रज्वलित हो जाए या अन्य कोई प्रज्वलित करे तो वहाँ आना या जाना न कल्पे, कदाचित्‌ कोई हाथ पकड़ के बाहर नीकालना चाहे तो भी उसका सहारा न नीकले, किन्तु यतनापूर्वक चलते हुए बाहर नीकले। मासिकी भिक्षुप्रतिमा धारक साधु के पाँव में काँटा, कंकर या काँच घूस जाए, आँख में मच्छर आदि सूक्ष्म जंतु, बीज, रज आदि गिरे तो उसको नीकालना अथवा शुद्धि करना न कल्पे, किन्तु यतनापूर्वक चलते रहना कल्पे। मासिकी भिक्षुप्रतिमा धारी साधु को विचरण करते हुए जहाँ सूर्यास्त हो जाए वहीं ही रहना चाहिए। वहाँ जल हो या स्थल, दुर्गम मार्ग हो या निम्न मार्ग, पर्वत हो या विषम मार्ग, खड्डा हो या गुफा हो, रातभर वहीं ही रहना चाहिए, एक कदम भी आगे नहीं जा सकता। सुबह में प्रभात होने से सूर्य जाज्वल्यमान होने के बाद किसी भी दिशा में यतनापूर्वक गमन करना कल्पता है। मासिकी भिक्षुप्रतिमा धारक साधु को सचित्त पृथ्वी पर निद्रा लेना या लैटना न कल्पे, केवली भगवंत ने उसे कर्मबन्ध का कारण बताया है। वह साधु उस प्रकार निद्रा लेवे या लैटे तब अपने हाथ से भूमि का स्पर्श करता है तब जीवहिंसा होती है इसलिए उसे सूत्रोक्त विधि से निर्दोष स्थान में रहना या विचरण करना चाहिए। यदि वह साधु को मल – मूत्र की शंका होवे तब उसे रोकना नहीं चाहिए, किन्तु पहले प्रतिलेखित भूमि पर त्याग करना चाहिए, वापस उसी उपाश्रय में आकर सूत्रोक्त विधि से निर्दोष स्थान में रहना चाहिए। मासिकी भिक्षु प्रतिमाधारक साधु को सचित्त रजवाले शरीर के साथ गृहस्थ या गृहसमुदाय में भोजन – पान के लिए जाना या वहाँ से नीकलना न कल्पे। यदि उसे ज्ञात हो जाए कि शरीर पर सचित्त रज पसीने से अचित्त हो गई है, तब उसे वहाँ प्रवेश या निर्गमन करना कल्पे। उसको अचित्त ऐसे ठंड़े या गर्म पानी से हाथ, पाँव, दाँत, आँख या मुख एक बार या बारबार धोना न कल्पे, सीर्फ मल – मूत्रादि से लिप्त शरीर या भोजन – पान से लिप्त हाथ या मुख धोना कल्पता है। मासिकी भिक्षुप्रतिमा धारी साधु के सामने अश्व, बैल, हाथी, भैंस, सिंह, वाघ, भेड़ीया, रींछ, चित्ता, तेंदुक, पराशर, कुत्ता, बिल्ली, साप, ससला, शियाल, भूंड़ आदि हिंसक प्राणी आ जाए तब भयभीत होकर एक कदम भी पीछे खीसकना न कल्पे। इसी प्रकार ठंड़ लगे तब धूप में या गर्मी लगे तब छाँव में जाना न कल्पे, किन्तु जहाँ जैसी ठंड़ या गर्मी हो वह उसे सहन करना चाहिए। मासिकी भिक्षुप्रतिमा को वह साधु सूत्र, आचार या मार्ग में जिस प्रकार कही हो उसी प्रकार से सम्यक्‌तया स्पर्श करना, पालन करना, शुद्धिपूर्वक कीर्तन और आराधना करना चाहिए, तभी वह साधु जिनाज्ञापालक होता है
Mool Sutra Transliteration : [sutra] masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa nichcham vosatthakae chattadehe je kei uvasagga uvavajjamti, tam jaha– divva va manussa va tirikkhajoniya va, te uppanne sammam sahati khamati titikkhati ahiyaseti. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kappati ega datti bhoyanassa padigahettae ega panagassa annaumchham suddhovahadam, nijjuhitta bahave dupaya-chauppaya-samana-mahana-atihi-kivana-vanimae, kappati se egassa bhumjamanassa padiggahettae, no donham no tinham no chaunham no pamchanham, no guvvinie, no balavachchhae, no daragam pajjemanie, no amto eluyassa dovi pae sahattu dalamanie, no bahim eluyassa dovi pae sahattu dalamanie, egam padam amto kichcha egam padam bahim kichcha eluyam vikkhambhaitta evam dalayati evam se kappati padiggahettae, evam no dayalati evam no se, kappati padiggahettae. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa tao goyarakala pannatta, tam jaha–adi majjhe charime. Adim charati, no majjhe charati no charime charati. Majjhe charati, no adim charati no charimam charati. Charimam charati, no adim charati no majjhe charati. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa chhavvidha goyarachariya pannatta, tam jaha–pela, addhapela, gomuttiya payamgavihiya, samvukkavatta, gamtumpachchagata. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa jattha nam kei janai gamamsi va java madambamsi va kappati se tattha egarayam vatthae, jattha nam kei na janai kappati se tattha egarayam va durayam va vatthae, no se kappati egarayato va durayato va param vatthae, je tattha egarayato va durayato va param vasati se samtara chhede va parihare va. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kappamti chattari bhasao bhasittae, tam jaha–jayani puchchhani anunnamani putthassa vagarani. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kappamti tao uvassaya padilehittae, tam jaha–ahearamagihamsi va, aheviyadagihamsi va aherukkhamulagihamsi va. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa kappamti tao uvassaya anunnavettae, tam jaha–ahearamagihamsi va aheviyadagihamsi va aherukkhamulagihamsi va. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kappamti tao uvassaya uvainittae, tam jaha–ahearamagihamsi va aheviyadagihamsi va aherukkhamulagihamsi va. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kappamti tao samtharaga padilehittae, tam jaha–pudhavisilam va ahasamthadameva. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kappamti tao samtharaga anunnavettae, tam jaha–pudhavisilam va katthasilam va ahasamthadameva. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kappamti tao samtharaga uvainittae, tam jaha–pudhavisilam va katthasilam va ahasamthadameva. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa itthi uvassayam havvamagachchhejja, saitthie va purise, no se kappati tam paduchcha nikkhamittae va pavisittae va. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa kei uvassayam aganikaena jjhamejja no se kappati tam paduchcha nikkhamittae va pavisittae va. Tattha nam kei bahae gahaya agasejja no se kappati tam avalambittae va, pachchavalambittae va, kappati se ahariyam riittae. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa payamsi khanu va kamtae va hirae va sakkarae va anupavisejja no se kappati niharittae va visohettae va, kappati se ahariyam riittae. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa achchhimsi panani va biyani va rae va pariyavajjejja no se kappati niharittae va visohittae va, kappati se ahariyam riittae. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa jattheva surie atthamejja tattheva jalamsi va thalamsi va duggamsi va ninnamsi va pavvatamsi va visamamsi va gaddhae va darie va kappati se tam rayanim tattheva uvatinavettae no se kappati padamapi gamittae, kappati se kallam pauppabhayae rayanie phulluppala-kamala-komalummiliyammi ahapamdure pahae rattasogappagasa-kimsuya-suyamuha-gumjaddha-raga-sarise kamalagarasamdabohae utthiyammi sure sahassarassimmi dinayare teyasa jalamte paina-bhimuhassa va padinabhimuhassa va dahinabhimuhassa va uttarabhimuhassa va ahariyam riittae. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa no kappati anamtarahitae pudhavie nidda-ittae va payalaittae va. Kevali buya–adanameyam, se tattha niddayamane va payalayamane va hatthehim bhumim paramusejja. Ahavihimeva thanam thaittae nikkhamittae va. Uchcharapasavanenam uvvahejja no se kappati oginhittae va, kappati se puvvapadilehie thamdile uchcharapasavanam paritthavittae, tameva uvassayam agamma thanam thavittae. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa no kappati sasarakkhenam kaenam gahavaikulam bhattae va panae va nikkhamittae va pavisittae va. Aha punevam janejja–sasarakkhe seattae va jallattae va malattae va pamkattae va viddhatthe se kappati gahavaikulam bhattae va panae va nikkhamittae va pavisittae va. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa no kappati siodagaviyadena va usino-dagaviyadena va hatthani va padani va damtani va achchhini va muham va uchchholittae va padhoittae va. Nannattha levalevena va bhattamasena va. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa no kappati asassa va hatthissa va gonassa va mahisassa va vaggha ssa va vagassa va diviyassa va achchhassa va tarachchhassa va parasarassa va siyalassa va viralassa va kokamtiyassa va sasagassa va chillalassa va sunagassa va kolasunagassa va dutthassa avadamanassa padamavi pachchosakkittae, adutthassa avadamanassa kappati jugamittam pachchosakkittae. Masiyannam bhikkhupadimam padivannassa anagarassa no kappati chhayato siyamti no unham ettae, unhao unhamti no chhayam ettae, jam jattha jaya siya tam tattha ahiyasae. Evam khalu esa masiyabhikkhupadima ahasuttam ahakappam ahamaggam ahatachcham sammam kaena phasiya paliya sohiya tiriya kittiya arahiya anae anupaliya yavi bhavati.
Sutra Meaning Transliteration : Masiki bhikshu pratima ko dharana karanevale sadhu kaya ko vosira ke tatha sharira ke mamatva bhava ke tyagi hote haim. Deva – manava ya tiryamcha sambandhi jo koi upasarga ata hai use vo samyak prakara se sahata hai. Upasarga karanevale ko kshama karate haim, adina bhava se sahate haim, sharirika kshamatapurvaka usaka samana karata hai. Masika bhikshu pratimadhari sadhu ko eka datti bhojana ya pani ko data de to lena kalpe. Yaha datti bhi ajnyata kula se, alpamatra mem dusarom ke lie banae hue aneka dvipada, chatushpada, shramana, brahmana, atithi, kripana aura bhikhari adi ke bhiksha lekara chale jane ke bada grahana karana kalpe. Aura phira yaha datti jaham eka vyakti bhojana kara raha ho vaham se lena kalpe. Lekina do, tina, chara, pamcha vyakti satha baithakara bhojana kara rahe ho to vaham se lena nahim kalpata. Garbhini, chhote bachchevali ya balaka ko dudha pila rahi ho, usake pasa se ahara – pani ki datti lena kalpata nahim, jisake donom pamva umbare ke bahara ya amdara ho to usa stri ke pasa se datti lena na kalpe paramtu eka pamva amdara aura eka pamva bahara ho to usake hatha se lena kalpata hai. Magara yadi vo dena na chahe to usake hatha se lena na kalpe. Masiki bhikshu pratima dharana kie hue sadhu ko ahara lane ke tina samaya bataye haim – adi, madhya aura anta, jo bhikshu adi mem gochari jave, vaha madhya ya anta mem na jave, jo madhya mem gochari jave vaha adi ya anta mem na jave, jo anta mem gochari jave vo adi ya madhya mem na jave. Masika bhikshu pratimadhari sadhu ko chhaha prakara se gochari batai hai. Peta, ardhapeta, gaumutrika, patamga vithika, shambukavarti, gatvapratyagata. Ina chhaha prakara ki gochari mem se koi eka prakara ki gochari ka abhigraha lekara pratimadhari sadhu ko bhiksha lena kalpata hai. Jisa grama yavat madamba mem ekamasiki bhikshupratima dharaka sadhu ko yadi koi janata ho to usako vaham eka ratri rahana kalpe, yadi koi na janata ho to eka ya do ratri rahana kalpe, paramtu yadi vaha usase jyada nivasa kare to vaha bhikshu utane dinom ke dikshaparyaya ka chheda ya parihara tapa ka bhagi hota hai. Masiki bhikshu pratimadharaka sadhu ko chara prakara ki bhasha bolana kalpata hai – yachani, prichchhani, anujnyapani tatha prishthavyakarani. Masiki bhikshupratima pratipanna sadhu ko tina prakara ke upashrayom ki pratilekhana karana, ajnya lena athava vaham nivasa karana kalpe – udyanagriha, charom ora se rhaka hua na ho aisa griha, vriksha ke niche raha hua griha. Bhikshu pratimadharaka sadhu ko tina prakara ke samstaraka ki pratilekhana, ajnya lena evam grahana karana kalpata hai – prithvi – shila, kashthapata, purva se bichha hua trina. Masiki bhikshupratima dharaka sadhu ko upashraya mem koi stri – purusha akara anachara ka acharana karata dikhai de to usa upashraya mem ana ya jana na kalpe, vaham koi agni prajvalita ho jae ya anya koi prajvalita kare to vaham ana ya jana na kalpe, kadachit koi hatha pakara ke bahara nikalana chahe to bhi usaka sahara na nikale, kintu yatanapurvaka chalate hue bahara nikale. Masiki bhikshupratima dharaka sadhu ke pamva mem kamta, kamkara ya kamcha ghusa jae, amkha mem machchhara adi sukshma jamtu, bija, raja adi gire to usako nikalana athava shuddhi karana na kalpe, kintu yatanapurvaka chalate rahana kalpe. Masiki bhikshupratima dhari sadhu ko vicharana karate hue jaham suryasta ho jae vahim hi rahana chahie. Vaham jala ho ya sthala, durgama marga ho ya nimna marga, parvata ho ya vishama marga, khadda ho ya gupha ho, ratabhara vahim hi rahana chahie, eka kadama bhi age nahim ja sakata. Subaha mem prabhata hone se surya jajvalyamana hone ke bada kisi bhi disha mem yatanapurvaka gamana karana kalpata hai. Masiki bhikshupratima dharaka sadhu ko sachitta prithvi para nidra lena ya laitana na kalpe, kevali bhagavamta ne use karmabandha ka karana bataya hai. Vaha sadhu usa prakara nidra leve ya laite taba apane hatha se bhumi ka sparsha karata hai taba jivahimsa hoti hai isalie use sutrokta vidhi se nirdosha sthana mem rahana ya vicharana karana chahie. Yadi vaha sadhu ko mala – mutra ki shamka hove taba use rokana nahim chahie, kintu pahale pratilekhita bhumi para tyaga karana chahie, vapasa usi upashraya mem akara sutrokta vidhi se nirdosha sthana mem rahana chahie. Masiki bhikshu pratimadharaka sadhu ko sachitta rajavale sharira ke satha grihastha ya grihasamudaya mem bhojana – pana ke lie jana ya vaham se nikalana na kalpe. Yadi use jnyata ho jae ki sharira para sachitta raja pasine se achitta ho gai hai, taba use vaham pravesha ya nirgamana karana kalpe. Usako achitta aise thamre ya garma pani se hatha, pamva, damta, amkha ya mukha eka bara ya barabara dhona na kalpe, sirpha mala – mutradi se lipta sharira ya bhojana – pana se lipta hatha ya mukha dhona kalpata hai. Masiki bhikshupratima dhari sadhu ke samane ashva, baila, hathi, bhaimsa, simha, vagha, bheriya, rimchha, chitta, temduka, parashara, kutta, billi, sapa, sasala, shiyala, bhumra adi himsaka prani a jae taba bhayabhita hokara eka kadama bhi pichhe khisakana na kalpe. Isi prakara thamra lage taba dhupa mem ya garmi lage taba chhamva mem jana na kalpe, kintu jaham jaisi thamra ya garmi ho vaha use sahana karana chahie. Masiki bhikshupratima ko vaha sadhu sutra, achara ya marga mem jisa prakara kahi ho usi prakara se samyaktaya sparsha karana, palana karana, shuddhipurvaka kirtana aura aradhana karana chahie, tabhi vaha sadhu jinajnyapalaka hota hai