Sr No : |
1013905
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Scripture Name( English ): |
Vyavaharsutra
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Translated Scripture Name : |
व्यवहारसूत्र
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Mool Language : |
Ardha-Magadhi
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Translated Language : |
Hindi
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Chapter : |
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Translated Chapter : |
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Section : |
उद्देशक-४
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Translated Section : |
उद्देशक-४
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Sutra Number : |
105
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Category : |
Chheda-03
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Gatha or Sutra : |
Sutra
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Sutra Anuyog : |
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Author : |
Deepratnasagar
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Original Author : |
Gandhar
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Century : |
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Sect : |
Svetambara1
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Source : |
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Mool Sutra : |
[सूत्र] गामानुगामं दूइज्जमाणो भिक्खू य जं पुरओ कट्टु विहरइ से य आहच्च वीसंभेज्जा, अत्थियाइं त्थ अन्ने केइ उवसंपज्जणारिहे, से उवसंपज्जियव्वे।
नत्थियाइं त्थ अन्ने केइ उवसंपज्जणारिहे, अप्पणो य से कप्पाए असमत्ते एवं से कप्पइ एगराइयाए पडिमाए जण्णं-जण्णं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं-तण्णं दिसं उवलित्तए।
नो से कप्पइ तत्थ विहारवत्तियं वत्थए, कप्पइ से तत्थ कारणवत्तियं वत्थए।
तंसि च णं कारणंसि निट्ठियंसि परो वएज्जा–वसाहि अज्जो! एगरायं वा दुरायं वा। एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए,
नो से कप्पइ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए।
जं तत्थ परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वसइ, से संतरा छेए वा परिहारे वा।
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Sutra Meaning : |
एक गाँव से दूसरे गाँव विचरते, या चातुर्मास रहे साधु जो आचार्य आदि को आगे करके विचरते हो वो आचार्य आदि शायद काल करे तो अन्य किसी को अंगीकार करके उस पदवी पर स्थापित करके विचरना कल्पे।
यदि किसी को कल्पाक – वडील रूप से स्थापन करने के उचित न हो और खुद आचार प्रकल्प – निसीह पढ़े हुए न हो तो उसको एक रात्रि की प्रतिज्ञा अंगीकार करना, जिन दिशा में दूसरे साधर्मिक – एक मांड़लीवाले साधु विचरते हो वो दिशा ग्रहण करना, जो कि उसे विहार निमित्त से वहाँ रहना न कल्पे लेकिन बीमारी आदि की कारण से वहाँ बसना कल्पे, उसके बाद कोई साधु ऐसा कहे कि हे आर्य ! एक या दो रात यहाँ रहो, तो एक, दो रात वहाँ रहे यदि उससे ज्यादा रहे तो उसे उतनी रात का छेद या तप प्रायश्चित्त आता है।
सूत्र – १०५, १०६
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Mool Sutra Transliteration : |
[sutra] gamanugamam duijjamano bhikkhu ya jam purao kattu viharai se ya ahachcha visambhejja, atthiyaim ttha anne kei uvasampajjanarihe, se uvasampajjiyavve.
Natthiyaim ttha anne kei uvasampajjanarihe, appano ya se kappae asamatte evam se kappai egaraiyae padimae jannam-jannam disam anne sahammiya viharamti tannam-tannam disam uvalittae.
No se kappai tattha viharavattiyam vatthae, kappai se tattha karanavattiyam vatthae.
Tamsi cha nam karanamsi nitthiyamsi paro vaejja–vasahi ajjo! Egarayam va durayam va. Evam se kappai egarayam va durayam va vatthae,
No se kappai param egarayao va durayao va vatthae.
Jam tattha param egarayao va durayao va vasai, se samtara chhee va parihare va.
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Sutra Meaning Transliteration : |
Eka gamva se dusare gamva vicharate, ya chaturmasa rahe sadhu jo acharya adi ko age karake vicharate ho vo acharya adi shayada kala kare to anya kisi ko amgikara karake usa padavi para sthapita karake vicharana kalpe.
Yadi kisi ko kalpaka – vadila rupa se sthapana karane ke uchita na ho aura khuda achara prakalpa – nisiha parhe hue na ho to usako eka ratri ki pratijnya amgikara karana, jina disha mem dusare sadharmika – eka mamralivale sadhu vicharate ho vo disha grahana karana, jo ki use vihara nimitta se vaham rahana na kalpe lekina bimari adi ki karana se vaham basana kalpe, usake bada koi sadhu aisa kahe ki he arya ! Eka ya do rata yaham raho, to eka, do rata vaham rahe yadi usase jyada rahe to use utani rata ka chheda ya tapa prayashchitta ata hai.
Sutra – 105, 106
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