Sr No : |
1013384
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Scripture Name( English ): |
Nishithasutra
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Translated Scripture Name : |
निशीथसूत्र
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Mool Language : |
Ardha-Magadhi
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Translated Language : |
Hindi
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Chapter : |
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Translated Chapter : |
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Section : |
उद्देशक-२०
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Translated Section : |
उद्देशक-२०
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Sutra Number : |
1384
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Category : |
Chheda-01
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Gatha or Sutra : |
Sutra
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Sutra Anuyog : |
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Author : |
Deepratnasagar
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Original Author : |
Gandhar
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Century : |
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Sect : |
Svetambara1
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Source : |
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Mool Sutra : |
[सूत्र] जे भिक्खू चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा एएसिं परिहारट्ठाणाणं अन्नयरं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा, अपलिउंचियं आलोएमाणे ठवणिज्जं ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं। ठविए वि पडिसेवित्ता, से वि कसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया।
पुव्विं पडिसेवियं पुव्विं आलोइयं, पुव्विं पडिसेवियं पच्छा आलोइयं। पच्छा पडिसेवियं पुव्विं आलोइयं, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं।
अपलिउंचिए अपलिउंचियं, अपलिउंचिए पलिउंचियं। पलिउंचिए अपलिउंचियं, पलिउंचिए पलिउंचियं। अपलिउंचिए अपलिउंचियं आलोएमाणस्स सव्वमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्ठवणाए पट्ठविए निव्विसमाणे पडिसेवेइ, से वि कसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया।
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Sutra Meaning : |
जो साधु – साध्वी एक बार या कईं बार चौमासी या साधिक चौमासी, पंचमासी या साधिक पंचमासी इस परिहार यानि पापस्थान में से अन्य किसी भी पाप स्थान का सेवन करके निष्कपट भाव से या कपट भाव से आलोचना करे तो क्या ? उसकी विधि बताते हैं – जैसे कि परिहारस्थान पाप का प्रायश्चित्त तप कर रहे साधु की सहाय आदि के लिए पारिहारिक को अनुकूलवर्ती किसी साधु नियत किया जाए, उसे इस परिहार तपसी की वैयावच्च करने के लिए स्थापना करने के बाद भी किसी पाप – स्थान का सेवन करे और फिर कहे कि मैंने कुछ पाप किया है तब तमाम पहले सेवन किया गया प्रायश्चित्त फिर से सेवन करना चाहिए।
(यहाँ पापस्थानक को पूर्व – पश्चात् सेवन के विषय में चतुर्भंगी है।) १. पहले सेवन किए गए पाप की पहले आलोचना की, २. पहले सेवन किए गए पाप की बाद में आलोचना कर, ३. बाद में सेवन किए पाप की पहले आलोचना करे, ४. बाद में सेवन किए गए पाप की बाद में आलोचना करे। (पाप आलोचना क्रम कहने के बाद परिहार सेवन, करनेवाले के भाव को आश्रित करके चतुर्भंगी बताता है।) १. संकल्प काल और आलोचना के वक्त निष्कपट भाव, ३. संकल्पकाल में कपटभाव परंतु आलोचना लेते वक्त निष्कपट भाव, ४. संकल्पकाल और आलोचना दोनों वक्त कपट भाव हो।
यहाँ संकल्प काल और आलोचना दोनों वक्त बिना छल से और जिसे क्रम में पाप का सेवन किया हो उस क्रम में आलोचना करनेवाले को अपने सारे अपराध इकट्ठे होकर उन्हें फिर से उसी प्रायश्चित्त में स्थापन करना जिसमें पहले स्थापन किए गए हो यानि उस परिहार तपसी उन्हें दिए गए प्रायश्चित्त को फिर से उसी क्रम में करने को कहे।
सूत्र – १३८४–१३८७
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Mool Sutra Transliteration : |
[sutra] je bhikkhu chaummasiyam va sairegachaummasiyam va pamchamasiyam va sairegapamchamasiyam va eesim pariharatthananam annayaram pariharatthanam padisevitta aloejja, apaliumchiyam aloemane thavanijjam thavaitta karanijjam veyavadiyam. Thavie vi padisevitta, se vi kasine tattheva aruheyavve siya.
Puvvim padiseviyam puvvim aloiyam, puvvim padiseviyam pachchha aloiyam. Pachchha padiseviyam puvvim aloiyam, pachchha padiseviyam pachchha aloiyam.
Apaliumchie apaliumchiyam, apaliumchie paliumchiyam. Paliumchie apaliumchiyam, paliumchie paliumchiyam. Apaliumchie apaliumchiyam aloemanassa savvameyam sakayam sahaniya je eyae patthavanae patthavie nivvisamane padisevei, se vi kasine tattheva aruheyavve siya.
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Sutra Meaning Transliteration : |
Jo sadhu – sadhvi eka bara ya kaim bara chaumasi ya sadhika chaumasi, pamchamasi ya sadhika pamchamasi isa parihara yani papasthana mem se anya kisi bhi papa sthana ka sevana karake nishkapata bhava se ya kapata bhava se alochana kare to kya\? Usaki vidhi batate haim – jaise ki pariharasthana papa ka prayashchitta tapa kara rahe sadhu ki sahaya adi ke lie pariharika ko anukulavarti kisi sadhu niyata kiya jae, use isa parihara tapasi ki vaiyavachcha karane ke lie sthapana karane ke bada bhi kisi papa – sthana ka sevana kare aura phira kahe ki maimne kuchha papa kiya hai taba tamama pahale sevana kiya gaya prayashchitta phira se sevana karana chahie.
(yaham papasthanaka ko purva – pashchat sevana ke vishaya mem chaturbhamgi hai.) 1. Pahale sevana kie gae papa ki pahale alochana ki, 2. Pahale sevana kie gae papa ki bada mem alochana kara, 3. Bada mem sevana kie papa ki pahale alochana kare, 4. Bada mem sevana kie gae papa ki bada mem alochana kare. (papa alochana krama kahane ke bada parihara sevana, karanevale ke bhava ko ashrita karake chaturbhamgi batata hai.) 1. Samkalpa kala aura alochana ke vakta nishkapata bhava, 3. Samkalpakala mem kapatabhava paramtu alochana lete vakta nishkapata bhava, 4. Samkalpakala aura alochana donom vakta kapata bhava ho.
Yaham samkalpa kala aura alochana donom vakta bina chhala se aura jise krama mem papa ka sevana kiya ho usa krama mem alochana karanevale ko apane sare aparadha ikatthe hokara unhem phira se usi prayashchitta mem sthapana karana jisamem pahale sthapana kie gae ho yani usa parihara tapasi unhem die gae prayashchitta ko phira se usi krama mem karane ko kahe.
Sutra – 1384–1387
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