Sr No : |
1011802
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Scripture Name( English ): |
Virastava
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Translated Scripture Name : |
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Mool Language : |
Ardha-Magadhi
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Translated Language : |
Hindi
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Chapter : |
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Translated Chapter : |
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Section : |
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Translated Section : |
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Sutra Number : |
2
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Category : |
Painna-10B
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Gatha or Sutra : |
Gatha
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Sutra Anuyog : |
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Author : |
Deepratnasagar
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Original Author : |
Gandhar
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Century : |
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Sect : |
Svetambara1
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Source : |
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Mool Sutra : |
[गाथा] अरुह! १ अरिहंत! २ अरहंत! ३ देव! ४ जिन! ५ वीर! ६ परमकारुणिय! ७ ।
सव्वण्णु! ८ सव्वदरिसी! ९ पारय! १० तिक्कालविउ! ११ नाह! १२ ॥
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Sutra Meaning : |
अरुह, अरिहंत, अरहंत, देव, जिन, वीर, परम करुणालु, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी, समर्थ, त्रिलोक के नाथ वीतराग केवली, त्रिभुवनगुरु, सर्व त्रिभुवन वरिष्ठ भगवन् तीर्थंकर, शक्र द्वारा नमस्कार किए गए, जिनेन्द्र तुम जय पाओ।
सूत्र – २, ३
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Mool Sutra Transliteration : |
[gatha] aruha! 1 arihamta! 2 arahamta! 3 deva! 4 jina! 5 vira! 6 paramakaruniya! 7.
Savvannu! 8 savvadarisi! 9 paraya! 10 tikkalaviu! 11 naha! 12.
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Sutra Meaning Transliteration : |
Aruha, arihamta, arahamta, deva, jina, vira, parama karunalu, sarvajnya, sarvadarshi, samartha, triloka ke natha vitaraga kevali, tribhuvanaguru, sarva tribhuvana varishtha bhagavan tirthamkara, shakra dvara namaskara kie gae, jinendra tuma jaya pao.
Sutra – 2, 3
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