Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

Search Details

Mool File Details

Anuvad File Details

Sr No : 1007794
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत

Translated Chapter :

वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत

Section : Translated Section :
Sutra Number : 194 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कहि णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे मंदरे नामं पव्वए पन्नत्ते? गोयमा! उत्तरकुराए दक्खिणेणं, देवकुराए उत्तरेणं, पुव्वविदेहस्स वासस्स पच्चत्थिमेणं, अवरविदेहस्स वासस्स पुरत्थिमेणं, जंबुद्दीवस्स दीवस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरे नामं पव्वए पन्नत्ते– नवनउतिजोयणसहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं, एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं, मूले दसजोयण-सहस्साइं नवइं च जोयणाइं दस य एगारसभाए जोयणस्स विक्खंभेणं, धरणितले दस जोयण-सहस्साइं विक्खंभेणं, तयनंतरं च णं मायाए-मायाए परिहायमाणे-परिहायमाणे उवरितले एगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं, मूले एकत्तीसं जोयणसहस्साइं नव य दसुत्तरे जोयणसए तिन्नि य एगारसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, धरणितले एकत्तीसं जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसए परिक्खेवेणं, उवरितले तिन्नि जोयणसहस्साइं एगं च बावट्ठं जोयणसयं किंचिविसेसाहियं परिक्खे-वेणं, मूले विच्छिन्नेमज्झे संखित्ते उवरिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सण्हे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, वण्णओ। मंदरे णं भंते! पव्वए कइ वणा पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि वणा पन्नत्ता, तं जहा–भद्दसालवणे नंदनवने सोमनसवणे पंडगवणे। कहि णं भंते! मंदरे पव्वए भद्दसालवणे नामं वने पन्नत्ते? गोयमा! धरणितले, एत्थ णं मंदरे पव्वए भद्दसालवणे नामं वने पन्नत्ते–पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिन्नेसोमनस विज्जुप्पह गंधमायन मालवंतेहिं वक्खारपव्वएहिं सीयासीतोदाहि य महानईहिं अट्ठभागपविभत्ते, मंदरस्स पव्व-यस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं बावीसं-बावीसं जोयणसहस्साइं आयामेणं, उत्तरदाहिणेणं अड्ढाइज्जाइं-अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं विक्खंभेणं, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, दुण्हवि वण्णओ भाणियव्वो–किण्हे किण्होभासे जाव देवा आसयंति सयंति। मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरत्थिमेणं भद्दसालवणं पन्नासं जोयणाइं ओगाहित्ता, एत्थ णं महं एगे सिद्धाययणे पन्नत्ते–पन्नासं जोयणाइं आयामेण, पणवीसं जोयणाइं विक्खंभेणं, छत्तीसं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसयसन्निविट्ठे वण्णओ। तस्स णं सिद्धाययनस्स तिदिसिं तओ दारा पन्नत्ता। ते णं दारा अट्ठ जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, चत्तारि जोयणाइं विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं, सेया वरकनगथूभियागा जाव वनमालाओ भूमिभागो य भाणियव्वो। तस्स णं बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता–अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वरयणामई अच्छा। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं देवच्छंदए–अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं अट्ठ जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं जाव जिणपडिमावण्णओ देवच्छंदगस्स जाव धूवकडुच्छुयाणं। मंदरस्स णं पव्वयस्स दाहिणेणं भद्दसालवणं पन्नासं, एवं चउद्दिसिंपि मंदरस्स भद्दसालवणे चत्तारि सिद्धाययणा भाणियव्वा। मंदरस्स णं पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं भद्दसालवणं पन्नासं जोयणाइं ओगाहित्ता, एत्थ णं चत्तारि नंदापुक्खरिणीओ पन्नत्ताओ, तं जहा– पउमा पउमप्पभा चेव, कुमुदा कुमुदप्पभा। ताओ णं पुक्खरिणीओ पन्नासं जोयणाइं आयामेणं, पणवीसं जोयणाइं विक्खंभेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, वण्णओ वेइया-वनसंडाणं भाणियव्वो। चउद्दिसिं तोरणा जाव तासि णं पुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे ईसानस्स देविंदस्स देवरन्नो पासायवडेंसए पन्नत्ते–पंचजोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं विक्खंभेणं, अब्भुग्गयमूसियपहसिय विव एवं सपरिवारो पासायवडेंसओ भाणियव्वो। मंदरस्स णं एवं दाहिणपुरत्थिमेणं पुक्खरिणीओ–उप्पलगुम्मा नलिना, उप्पला उप्पलुज्जला। तं चेव पमाणं मज्झे पासायवडेंसओ सक्करस्स सपरिवारो तेणं चेव पमाणेणं। दाहिणपच्चत्थिमेण वि पुक्खरिणीओ– भिंगा भिंगनिभा चेव, अंजना कज्जलप्पभा। पासायवडेंसओ सक्करस्स सीहासणं सपरिवारं। उत्तरपच्चत्थिमेणं पुक्खरिणीओ– सिरिकंता सिरिचंदा, सिरिमहिया चेव सिरिनिलया। पासायवडेंसओ ईसानस्स सीहासणं सपरिवारं। मंदरे णं भंते! पव्वए भद्दसालवणे कइ दिसाहत्थिकूडा पन्नत्ता? गोयमा! अट्ठ दिसाहत्थिकूडा पन्नत्ता, तं जहा–
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में मन्दर पर्वत कहाँ है ? गौतम ! उत्तरकुरु के दक्षिण में, देवकुरु के उत्तर में, पूर्व विदेह के पश्चिम में और पश्चिम विदेह के पूर्व में है। वह ९९००० योजन ऊंचा है, १००० जमीन में गहरा है। वह मूल में १००९० – १०/१९ योजन तथा भूमितल पर १०००० योजन चौड़ा है। उसके बाद वह चौड़ाई की मात्रा में क्रमशः घटता – घटता ऊपर के तल पर १००० योजन चौड़ा रह जाता है। उसकी परिधि मूल में ३१९१० – ३/१९ योजन, भूमितल पर ३१६२३ योजन तथा ऊपरी तल पर कुछ अधिक ३१६२ योजन है। वह मूल में विस्तीर्ण – मध्य में संक्षिप्त – तथा ऊपर पतला है। उसका आकार गाय की पूँछ के आकार जैसा है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ है, सुकोमल है। वह एक पद्मवरवेदिका द्वारा तथा एक वनखण्ड द्वारा चारों ओर से घिरा हुआ है। भगवन्‌ ! मन्दर पर्वत पर कितने वन हैं ? गौतम ! चार – भद्रशालवन, नन्दनवन, सौमनसवन तथा पंडक वन। भद्रशालवन कहाँ है ? गौतम ! मन्दर पर्वत पर उसके भूमिभाग पर है। वह पूर्व – पश्चिम लम्बा एवं उत्तर – दक्षिण चौड़ा है। वह सौमनस, विद्युत्प्रभ, गन्धमादन तथा माल्यवान नामक वक्षस्कार पर्वतों द्वारा शीता तथा शीतोदा नामक महानदियों द्वारा आठ भागों में विभक्त है। वह मन्दर पर्वत के पूर्व – पश्चिम बाईस – बाईस हजार योजन लम्बा है, उत्तर – दक्षिण अढ़ाई सौ – अढ़ाई सौ योजन चौड़ा है। वह एक पद्मवरवेदिका द्वारा तथा एक वन – खण्ड द्वारा चारों ओर से घिरा हुआ है। वह काले, नीले पत्तों से आच्छन्न है, वैसी आभा से युक्त है। देव – देवियाँ वहाँ आश्रय लेते हैं, विश्राम लेते हैं – मन्दर पर्वत के पूर्व में भद्रशालवन में पचास योजन जाने पर एक विशाल सिद्धायतन आता है। वह पचास योजन लम्बा है, पच्चीस योजन चौड़ा है तथा छत्तीस योजन ऊंचा है। वह सैकड़ों खंभों पर टिका है। उस सिद्धायतन की तीन दिशाओं में तीन द्वार हैं। वे द्वार आठ योजन ऊंचे तथा चार योजन चौड़े हैं। उनके प्रवेश मार्ग भी उतने ही हैं। उनके शिखर श्वेत हैं, उत्तम स्वर्ण निर्मित हैं। उसके बीचोंबीच एक विशाल मणिपीठिका है। वह आठ योजन लम्बी – चौड़ी है, चार योजन मोटी है, सर्वरत्नमय है, स्वच्छ है, उज्ज्वल है। उस मणिपीठिका के ऊपर देवच्छन्दक है। वह आठ योजन लम्बा – चौड़ा है। वह कुछ अधिक आठ योजन ऊंचा है। जिनप्रतिमा, देवच्छन्दक, धूपदान आदि का वर्णन पूर्ववत्‌ है। मन्दर पर्वत के दक्षिण में भद्रशाल वन में पचास योजन जाने पर वहाँ उसकी चारों दिशाओं में चार सिद्धायतन हैं। मन्दर पर्वत के – ईशान कोण में भद्रशाल वन में पचास योजन जाने पर पद्मा, पद्मप्रभा, कुमुदा तथा कुमुदप्रभा नामक चार पुष्करिणियाँ आती हैं। वे पचास योजन लम्बी, पच्चीस योजन चौड़ी तथा दश योजन जमीन में गहरी है। उन पुष्करिणियों के बीच में देवराज ईशानेन्द्र का उत्तम प्रासाद है। वह पाँच सौ योजन ऊंचा और अढ़ाई सौ योजन चौड़ा है। मन्दर पर्वत के – आग्नेय कोण में उत्पलगुल्मा, नलिना, उत्पला तथा उत्पलो – ज्ज्वला नामक पुष्करिणियाँ हैं। उनके बीच में उत्तम प्रासाद हैं। देवराज शक्रेन्द्र वहाँ सपरिवार रहता है। मन्दर पर्वत के – नैर्ऋत्य कोण में भृंगा, भृंगनिभा, अंजना एवं अंजनप्रभा नामक पुष्करिणियाँ हैं। शक्रेन्द्र वहाँ का अधिष्ठातृ देव है। मन्दर पर्वत के – ईशान कोण में श्रीकान्ता, श्रीचन्द्रा, श्रीमहिता तथा श्रीनिलया नामक पुष्करिणियाँ हैं। बीच में उत्तम प्रासाद हैं। वहाँ ईशानेन्द्र देव निवास करता है। भगवन्‌ ! मन्दर पर्वत पर भद्रशाल वन में दिशाहस्तिकूट – कितने हैं ? गौतम ! आठ –
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kahi nam bhamte! Jambuddive dive mahavidehe vase mamdare namam pavvae pannatte? Goyama! Uttarakurae dakkhinenam, devakurae uttarenam, puvvavidehassa vasassa pachchatthimenam, avaravidehassa vasassa puratthimenam, jambuddivassa divassa bahumajjhadesabhae, ettha nam jambuddive dive mamdare namam pavvae pannatte– Navanautijoyanasahassaim uddham uchchattenam, egam joyanasahassam uvvehenam, mule dasajoyana-sahassaim navaim cha joyanaim dasa ya egarasabhae joyanassa vikkhambhenam, dharanitale dasa joyana-sahassaim vikkhambhenam, tayanamtaram cha nam mayae-mayae parihayamane-parihayamane uvaritale egam joyanasahassam vikkhambhenam, mule ekattisam joyanasahassaim nava ya dasuttare joyanasae tinni ya egarasabhae joyanassa parikkhevenam, dharanitale ekattisam joyanasahassaim chhachcha tevise joyanasae parikkhevenam, uvaritale tinni joyanasahassaim egam cha bavattham joyanasayam kimchivisesahiyam parikkhe-venam, mule vichchhinnemajjhe samkhitte uvarim tanue gopuchchhasamthanasamthie savvarayanamae achchhe sanhe. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte, vannao. Mamdare nam bhamte! Pavvae kai vana pannatta? Goyama! Chattari vana pannatta, tam jaha–bhaddasalavane namdanavane somanasavane pamdagavane. Kahi nam bhamte! Mamdare pavvae bhaddasalavane namam vane pannatte? Goyama! Dharanitale, ettha nam mamdare pavvae bhaddasalavane namam vane pannatte–painapadinayae udinadahinavichchhinnesomanasa vijjuppaha gamdhamayana malavamtehim vakkharapavvaehim siyasitodahi ya mahanaihim atthabhagapavibhatte, mamdarassa pavva-yassa puratthimapachchatthimenam bavisam-bavisam joyanasahassaim ayamenam, uttaradahinenam addhaijjaim-addhaijjaim joyanasayaim vikkhambhenam, se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte, dunhavi vannao bhaniyavvo–kinhe kinhobhase java deva asayamti sayamti. Mamdarassa nam pavvayassa puratthimenam bhaddasalavanam pannasam joyanaim ogahitta, ettha nam maham ege siddhayayane pannatte–pannasam joyanaim ayamena, panavisam joyanaim vikkhambhenam, chhattisam joyanaim uddham uchchattenam, anegakhambhasayasannivitthe vannao. Tassa nam siddhayayanassa tidisim tao dara pannatta. Te nam dara attha joyanaim uddham uchchattenam, chattari joyanaim vikkhambhenam, tavaiyam cheva pavesenam, seya varakanagathubhiyaga java vanamalao bhumibhago ya bhaniyavvo. Tassa nam bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta–attha joyanaim ayamavikkhambhenam, chattari joyanaim bahallenam, savvarayanamai achchha. Tise nam manipedhiyae uvarim devachchhamdae–attha joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim attha joyanaim uddham uchchattenam java jinapadimavannao devachchhamdagassa java dhuvakaduchchhuyanam. Mamdarassa nam pavvayassa dahinenam bhaddasalavanam pannasam, evam chauddisimpi mamdarassa bhaddasalavane chattari siddhayayana bhaniyavva. Mamdarassa nam pavvayassa uttarapuratthimenam bhaddasalavanam pannasam joyanaim ogahitta, ettha nam chattari namdapukkharinio pannattao, tam jaha– pauma paumappabha cheva, kumuda kumudappabha. Tao nam pukkharinio pannasam joyanaim ayamenam, panavisam joyanaim vikkhambhenam, dasa joyanaim uvvehenam, vannao veiya-vanasamdanam bhaniyavvo. Chauddisim torana java tasi nam pukkharininam bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege isanassa devimdassa devaranno pasayavademsae pannatte–pamchajoyanasayaim uddham uchchattenam, addhaijjaim joyanasayaim vikkhambhenam, abbhuggayamusiyapahasiya viva evam saparivaro pasayavademsao bhaniyavvo. Mamdarassa nam evam dahinapuratthimenam pukkharinio–uppalagumma nalina, uppala uppalujjala. Tam cheva pamanam majjhe pasayavademsao sakkarassa saparivaro tenam cheva pamanenam. Dahinapachchatthimena vi pukkharinio– bhimga bhimganibha cheva, amjana kajjalappabha. Pasayavademsao sakkarassa sihasanam saparivaram. Uttarapachchatthimenam pukkharinio– sirikamta sirichamda, sirimahiya cheva sirinilaya. Pasayavademsao isanassa sihasanam saparivaram. Mamdare nam bhamte! Pavvae bhaddasalavane kai disahatthikuda pannatta? Goyama! Attha disahatthikuda pannatta, tam jaha–
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Jambudvipa ke mahavideha kshetra mem mandara parvata kaham hai\? Gautama ! Uttarakuru ke dakshina mem, devakuru ke uttara mem, purva videha ke pashchima mem aura pashchima videha ke purva mem hai. Vaha 99000 yojana umcha hai, 1000 jamina mem gahara hai. Vaha mula mem 10090 – 10/19 yojana tatha bhumitala para 10000 yojana chaura hai. Usake bada vaha chaurai ki matra mem kramashah ghatata – ghatata upara ke tala para 1000 yojana chaura raha jata hai. Usaki paridhi mula mem 31910 – 3/19 yojana, bhumitala para 31623 yojana tatha upari tala para kuchha adhika 3162 yojana hai. Vaha mula mem vistirna – madhya mem samkshipta – tatha upara patala hai. Usaka akara gaya ki pumchha ke akara jaisa hai. Vaha sarvaratnamaya hai, svachchha hai, sukomala hai. Vaha eka padmavaravedika dvara tatha eka vanakhanda dvara charom ora se ghira hua hai. Bhagavan ! Mandara parvata para kitane vana haim\? Gautama ! Chara – bhadrashalavana, nandanavana, saumanasavana tatha pamdaka vana. Bhadrashalavana kaham hai\? Gautama ! Mandara parvata para usake bhumibhaga para hai. Vaha purva – pashchima lamba evam uttara – dakshina chaura hai. Vaha saumanasa, vidyutprabha, gandhamadana tatha malyavana namaka vakshaskara parvatom dvara shita tatha shitoda namaka mahanadiyom dvara atha bhagom mem vibhakta hai. Vaha mandara parvata ke purva – pashchima baisa – baisa hajara yojana lamba hai, uttara – dakshina arhai sau – arhai sau yojana chaura hai. Vaha eka padmavaravedika dvara tatha eka vana – khanda dvara charom ora se ghira hua hai. Vaha kale, nile pattom se achchhanna hai, vaisi abha se yukta hai. Deva – deviyam vaham ashraya lete haim, vishrama lete haim – mandara parvata ke purva mem bhadrashalavana mem pachasa yojana jane para eka vishala siddhayatana ata hai. Vaha pachasa yojana lamba hai, pachchisa yojana chaura hai tatha chhattisa yojana umcha hai. Vaha saikarom khambhom para tika hai. Usa siddhayatana ki tina dishaom mem tina dvara haim. Ve dvara atha yojana umche tatha chara yojana chaure haim. Unake pravesha marga bhi utane hi haim. Unake shikhara shveta haim, uttama svarna nirmita haim. Usake bichombicha eka vishala manipithika hai. Vaha atha yojana lambi – chauri hai, chara yojana moti hai, sarvaratnamaya hai, svachchha hai, ujjvala hai. Usa manipithika ke upara devachchhandaka hai. Vaha atha yojana lamba – chaura hai. Vaha kuchha adhika atha yojana umcha hai. Jinapratima, devachchhandaka, dhupadana adi ka varnana purvavat hai. Mandara parvata ke dakshina mem bhadrashala vana mem pachasa yojana jane para vaham usaki charom dishaom mem chara siddhayatana haim. Mandara parvata ke – ishana kona mem bhadrashala vana mem pachasa yojana jane para padma, padmaprabha, kumuda tatha kumudaprabha namaka chara pushkariniyam ati haim. Ve pachasa yojana lambi, pachchisa yojana chauri tatha dasha yojana jamina mem gahari hai. Una pushkariniyom ke bicha mem devaraja ishanendra ka uttama prasada hai. Vaha pamcha sau yojana umcha aura arhai sau yojana chaura hai. Mandara parvata ke – agneya kona mem utpalagulma, nalina, utpala tatha utpalo – jjvala namaka pushkariniyam haim. Unake bicha mem uttama prasada haim. Devaraja shakrendra vaham saparivara rahata hai. Mandara parvata ke – nairritya kona mem bhrimga, bhrimganibha, amjana evam amjanaprabha namaka pushkariniyam haim. Shakrendra vaham ka adhishthatri deva hai. Mandara parvata ke – ishana kona mem shrikanta, shrichandra, shrimahita tatha shrinilaya namaka pushkariniyam haim. Bicha mem uttama prasada haim. Vaham ishanendra deva nivasa karata hai. Bhagavan ! Mandara parvata para bhadrashala vana mem dishahastikuta – kitane haim\? Gautama ! Atha –