Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007751 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 151 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! उत्तरकुराए कुराए जंबूपेढे नामं पेढे पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं, मंदरस्स उत्तरेणं, मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, सीयाए महानईए पुरत्थि-मिल्ले कूले, एत्थ णं उत्तरकुराए कुराए जंबूपेढे नामं पेढे पन्नत्ते–पंच जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं, पन्नरस एक्कासीयाइं जोयणसयाइं किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं, बहुमज्झदेसभाए बारस जोयणाइं बाहल्लेणं, तयनंतरं च णं मायाए-मायाए पदेसपरिहाणीए परिहायमाणे-परिहायमाणे सव्वेसु णं चरिमपेरंतेसु दो-दो गाउयाइं बाहल्लेणं, सव्वजंबूणयामए अच्छे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते। दुण्हंपि वण्णओ। तस्स णं जंबूपेढस्स चउद्दिसिं एए चत्तारि तिसोवानपडिरूवगा पन्नत्ता, वण्णओ जाव तोरणाइं। तस्स णं जंबूपेढस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं मणिपेढिया पन्नत्ता–अट्ठजोयणाइं आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं। तीसे णं मणिपेढिया उप्पिं, एत्थ णं जंबू सुदंसणा पन्नत्ता–अट्ठ जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धजोयणं उव्वेहेणं। तीसे णं खंधो दो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं। तीसे णं साला छ जोयणाइं उड्डं उच्चत्तेणं, बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं अट्ठ जोयणाइं सव्वग्गेणं। तीसे णं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते–वइरामयमूल-रययसु-पइट्ठियविडिमा जाव अहियमणणिव्वुइकरी पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। जंबूए णं सुदंसणाए चउद्दिसिं चत्तारि साला पन्नत्ता। तेसि णं सालाणं बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं सिद्धाययणे पन्नत्ते–कोसं आयामेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, देसूणगं कोसं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसयसन्निविट्ठे जाव दारा पंचधनुसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं जाव वणमालाओ, मणिपेढिया पंचधनुसयाइं आयामविक्खंभेणं, अड्ढाइज्जाइं धनुसयाइं बाहल्लेणं। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं देवच्छंदए पंचधनुसयाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं पंचधनुसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, जिनपडिमा, वण्णओ सव्वो नेयव्वो। तत्थ णं जेसे पुरत्थिमिल्ले साले, एत्थ णं भवने पन्नत्ते–कोसं आयामेणं एमेव, णवरमित्थ सयणिज्जं, सेसेसु पासायवडें-सया सीहासना य सपरिवारा। जंबू णं बारसहिं पउमवरवेइयाहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता, वेइयाणं वण्णओ। जंबू णं अन्नेणं अट्ठसएणं जंबूणं तदद्धुच्चत्ताणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता, तासि णं वण्णओ। ताओ णं जंबू छहिं पउमवरवेइयाहिं संपरिक्खित्ता। जंबूए णं सुदंसणाए उत्तरपुरत्थिमेणं उत्तरेणं उत्तरपच्चत्थिमेणं एत्थ णं अणाढियस्स देवस्स चउण्हं सामानिय-साहस्सीणं चत्तारि जंबूसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। तीसे णं पुरत्थिमेणं चउण्हं अग्गमहिसीणं चत्तारि जंबूओ पन्नत्ताओ– | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! उत्तरकुरु में जम्बूपीठ कहाँ है ? गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, मन्दर पर्वत के उत्तर में माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में एवं शीता महानदी के पूर्वी तट पर है। वह ५०० योजन लम्बा – चौड़ा है। उसकी परिधि कुछ अधिक १५८१ योजन है। वह पीठ बीच में बारह योजन मोटा है। फिर क्रमशः मोटाई में कम होता हुआ आखिरी छोरों पर दो दो कोश मोटा है। वह सम्पूर्णतः जम्बूनदजातीय स्वर्णमय है, उज्ज्वल है। एक पद्मवरवेदिका से तथा एक वन – खण्ड से सब ओर से घिरा है। जम्बूपीठ की चारों दिशाओं में तीन – तीन सोपान पंक्तियाँ हैं। जम्बूपीठ के बीचोंबीच एक मणि – पीठिका है। वह आठ योजन लम्बी – चौड़ी है, चार योजन मोटी है। उस के ऊपर जम्बू सुदर्शना नामक वृक्ष है। वह आठ योजन ऊंचा तथा आधा योजन जमीन में गहरा है उसका स्कन्ध – दो योजन ऊंचा और आधा योजन मोटा है। शाखा ६ योजन ऊंची है। बीच में उसका आयाम – विस्तार आठ योजन है। यों सर्वांगतः उसका आयाम – विस्तार कुछ अधिक आठ योजन है। वह जम्बू वृक्ष के मूल वज्ररत्नमय हैं, विडिमा से ऊर्ध्व विनिर्गत – हुई शाखा रजत – घटित है। यावत् वह वृक्ष दर्शनीय है। जम्बू सुदर्शना की चारों दिशाओं में चार शाखाएं हैं। उन शाखाओं के बीचोंबीच एक सिद्धायतन है। वह एक कोश लम्बा, आधा कोश चौड़ा तथा कुछ कम एक कोश ऊंचा है। वह सैकड़ों खंभों पर टिका है। उसके द्वार पाँच सौ धनुष ऊंचे हैं। उपर्युक्त मणिपीठिका ५०० धनुष लम्बी – चौड़ी है, २५० धनुष मोटी है। उस मणि – पीठिका पर देवच्छन्दक – है। वह पाँच सौ धनुष लम्बा – चौड़ा है, कुछ अधिक पाँच सौ धनुष ऊंचा है। आगे जिन – प्रतिमाओं तक का वर्णन पूर्ववत् है। उपर्युक्त शाखाओं में जो पूर्वी शाखा है, वहाँ एक भवन है। वह एक कोश लम्बा है। बाकी की दिशाओं में जो शाखाएं हैं, वहाँ प्रासादवतंसक – हैं। वह जम्बू बारह पद्मवरवेदिकाओं द्वारा सब ओर से घिरा हुआ है। पुनः वह अन्य १०८ जम्बू वृक्षों से घिरा हुआ है, जो उससे आधे ऊंचे हैं। वे जम्बू वृक्ष छह पद्मवरवेदिकाओं से घिरे हुए हैं। जम्बू के ईशान कोण में, उत्तर में तथा वायव्य कोण में अनादृत नामक देव, जो अपने को वैभव, ऐश्वर्य तथा ऋद्धि में अनुपम, अप्रतिम मानता हुआ जम्बूद्वीप के अन्य देवों को आदर नहीं देता रहता है। ४००० सामानिक देवों के ४००० जम्बू वृक्ष हैं। पूर्व में चार अग्रमहिषियों – के चार जम्बू हैं। आग्नेय कोण में, दक्षिण में तथा नैर्ऋत्य कोण में क्रमशः ८०००, १०,००० और १२,००० जम्बू हैं। पश्चिम में सात अनीकाधियों – के सात जम्बू हैं। चारों दिशाओं में १६,००० आत्मरक्षक देवों के १६००० जम्बू हैं। सूत्र – १५१–१५३ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Uttarakurae kurae jambupedhe namam pedhe pannatte? Goyama! Nilavamtassa vasaharapavvayassa dakkhinenam, mamdarassa uttarenam, malavamtassa vakkharapavvayassa pachchatthimenam, siyae mahanaie puratthi-mille kule, ettha nam uttarakurae kurae jambupedhe namam pedhe pannatte–pamcha joyanasayaim ayamavikkhambhenam, pannarasa ekkasiyaim joyanasayaim kimchivisesahiyaim parikkhevenam, bahumajjhadesabhae barasa joyanaim bahallenam, tayanamtaram cha nam mayae-mayae padesaparihanie parihayamane-parihayamane savvesu nam charimaperamtesu do-do gauyaim bahallenam, savvajambunayamae achchhe. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte. Dunhampi vannao. Tassa nam jambupedhassa chauddisim ee chattari tisovanapadiruvaga pannatta, vannao java toranaim. Tassa nam jambupedhassa bahumajjhadesabhae, ettha nam manipedhiya pannatta–atthajoyanaim ayamavikkhambhenam chattari joyanaim bahallenam. Tise nam manipedhiya uppim, ettha nam jambu sudamsana pannatta–attha joyanaim uddham uchchattenam, addhajoyanam uvvehenam. Tise nam khamdho do joyanaim uddham uchchattenam, addhajoyanam bahallenam. Tise nam sala chha joyanaim uddam uchchattenam, bahumajjhadesabhae attha joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim attha joyanaim savvaggenam. Tise nam ayameyaruve vannavase pannatte–vairamayamula-rayayasu-paitthiyavidima java ahiyamananivvuikari pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Jambue nam sudamsanae chauddisim chattari sala pannatta. Tesi nam salanam bahumajjhadesabhae, ettha nam siddhayayane pannatte–kosam ayamenam, addhakosam vikkhambhenam, desunagam kosam uddham uchchattenam, anegakhambhasayasannivitthe java dara pamchadhanusayaim uddham uchchattenam java vanamalao, manipedhiya pamchadhanusayaim ayamavikkhambhenam, addhaijjaim dhanusayaim bahallenam. Tise nam manipedhiyae uppim devachchhamdae pamchadhanusayaim ayamavikkhambhenam, sairegaim pamchadhanusayaim uddham uchchattenam, jinapadima, vannao savvo neyavvo. Tattha nam jese puratthimille sale, ettha nam bhavane pannatte–kosam ayamenam emeva, navaramittha sayanijjam, sesesu pasayavadem-saya sihasana ya saparivara. Jambu nam barasahim paumavaraveiyahim savvao samamta samparikkhitta, veiyanam vannao. Jambu nam annenam atthasaenam jambunam tadaddhuchchattanam savvao samamta samparikkhitta, tasi nam vannao. Tao nam jambu chhahim paumavaraveiyahim samparikkhitta. Jambue nam sudamsanae uttarapuratthimenam uttarenam uttarapachchatthimenam ettha nam anadhiyassa devassa chaunham samaniya-sahassinam chattari jambusahassio pannattao. Tise nam puratthimenam chaunham aggamahisinam chattari jambuo pannattao– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Uttarakuru mem jambupitha kaham hai\? Gautama ! Nilavan varshadhara parvata ke dakshina mem, mandara parvata ke uttara mem malyavan vakshaskara parvata ke pashchima mem evam shita mahanadi ke purvi tata para hai. Vaha 500 yojana lamba – chaura hai. Usaki paridhi kuchha adhika 1581 yojana hai. Vaha pitha bicha mem baraha yojana mota hai. Phira kramashah motai mem kama hota hua akhiri chhorom para do do kosha mota hai. Vaha sampurnatah jambunadajatiya svarnamaya hai, ujjvala hai. Eka padmavaravedika se tatha eka vana – khanda se saba ora se ghira hai. Jambupitha ki charom dishaom mem tina – tina sopana pamktiyam haim. Jambupitha ke bichombicha eka mani – pithika hai. Vaha atha yojana lambi – chauri hai, chara yojana moti hai. Usa ke upara jambu sudarshana namaka vriksha hai. Vaha atha yojana umcha tatha adha yojana jamina mem gahara hai usaka skandha – do yojana umcha aura adha yojana mota hai. Shakha 6 yojana umchi hai. Bicha mem usaka ayama – vistara atha yojana hai. Yom sarvamgatah usaka ayama – vistara kuchha adhika atha yojana hai. Vaha jambu vriksha ke mula vajraratnamaya haim, vidima se urdhva vinirgata – hui shakha rajata – ghatita hai. Yavat vaha vriksha darshaniya hai. Jambu sudarshana ki charom dishaom mem chara shakhaem haim. Una shakhaom ke bichombicha eka siddhayatana hai. Vaha eka kosha lamba, adha kosha chaura tatha kuchha kama eka kosha umcha hai. Vaha saikarom khambhom para tika hai. Usake dvara pamcha sau dhanusha umche haim. Uparyukta manipithika 500 dhanusha lambi – chauri hai, 250 dhanusha moti hai. Usa mani – pithika para devachchhandaka – hai. Vaha pamcha sau dhanusha lamba – chaura hai, kuchha adhika pamcha sau dhanusha umcha hai. Age jina – pratimaom taka ka varnana purvavat hai. Uparyukta shakhaom mem jo purvi shakha hai, vaham eka bhavana hai. Vaha eka kosha lamba hai. Baki ki dishaom mem jo shakhaem haim, vaham prasadavatamsaka – haim. Vaha jambu baraha padmavaravedikaom dvara saba ora se ghira hua hai. Punah vaha anya 108 jambu vrikshom se ghira hua hai, jo usase adhe umche haim. Ve jambu vriksha chhaha padmavaravedikaom se ghire hue haim. Jambu ke ishana kona mem, uttara mem tatha vayavya kona mem anadrita namaka deva, jo apane ko vaibhava, aishvarya tatha riddhi mem anupama, apratima manata hua jambudvipa ke anya devom ko adara nahim deta rahata hai. 4000 samanika devom ke 4000 jambu vriksha haim. Purva mem chara agramahishiyom – ke chara jambu haim. Agneya kona mem, dakshina mem tatha nairritya kona mem kramashah 8000, 10,000 aura 12,000 jambu haim. Pashchima mem sata anikadhiyom – ke sata jambu haim. Charom dishaom mem 16,000 atmarakshaka devom ke 16000 jambu haim. Sutra – 151–153 |