Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1007743 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 143 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! उत्तरकुराए जमगा नामं दुवे पव्वया पन्नत्ता? गोयमा! निलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणि-ल्लाओ चरिमंताओ अट्ठजोयणसए चोत्तीसे चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए, सीयाए महानईए पुरत्थिम-पच्चत्थिमेणं उभओ कूले, एत्थ णं जमगा नामं दुवे पव्वया पन्नत्ता– जोयणसहस्सं उड्ढं उच्चत्तेणं अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं उव्वेहेणं मूले एगं जोयणसहस्सं आयामविक्खंभेणं, मज्झे अद्धट्ठमाणि जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं, उवरिं पंच जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं मूले तिन्नि जोयणसहस्साइं एगं च बावट्ठं जोयणसयं किंचिविसेसाहियं परि-क्खेवेणं, मज्झे दो जोयणसहस्साइं, तिन्नि य बावत्तरे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, उवरि एगं जोयणसहस्सं पंच य एकासीए जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तनुया गोपुच्छसंठाणसंठिया सव्वकनगामया अच्छा सण्हा, पत्तेयं-पत्तेयं पउमवर-वेइयापरिक्खित्ता पत्तेयं-पत्तेयं वनसंडपरिक्खित्ता। ताओ णं पउमवरवेइयाओ दो गाउयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, पंच धनुसयाइं विक्खंभेणं, वेइयावनसंड-वण्णओ भाणियव्वो। तेसि णं जमगपव्वयाणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव– तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं दुवे पासायवडेंसगा पन्नत्ता। ते णं पासायवडेंसगा बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च आयामविक्खंभेणं, पासायवण्णओ भाणियव्वो, सीहासना सपरिवारा जाव एत्थ णं जमगाणं देवाणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस भद्दासणसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–जमगा पव्वया? जमगा पव्वया? गोयमा! जमगपव्वएसु णं तत्थ-तत्थ देसे तहिं -तहिं खुड्डाखुड्डियासु वावीसु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पलाइं जाव जमगवण्णाभाइं। जमगा य एत्थ दुवे देवा महिड्ढीया। ते णं तत्थ चउण्हं सामानियसाहस्सीणं जाव भुंजमाणा विहरंति। से तेणट्ठेणं गोयमा! वं वुच्चइ–जमगपव्वया-जमगपव्वया। अदुत्तरं च णं सासए नामधेज्जे जाव जमगपव्वया-जमगपव्वया। कहि णं भंते! जमगाणं देवाणं जमगाओ रायहानीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं अन्नंमि जंबुद्दीवे दीवे बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं जमगाणं देवाणं जमगाओ रायहानीओ पन्नत्ताओ–बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, सत्तत्तीसं जोयणसहस्साइं नव य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, पत्तेयं-पत्तेयं पागार-परिक्खित्ता। ते णं पागारा सत्तत्तीसं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, मूले अद्धतेरस जोयणाइं विक्खंभेणं, मज्झे छस्सकोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, उवरिं तिन्नि सअद्धकोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, मूले विच्छिण्णा, मज्झे संखित्ता, उप्पिं तनुया, बाहिं वट्टा, अंतो चउरंसा, सव्वरयणामया अच्छा। ते णं पागारा नानामणिपंचवण्णेहिं कविसीसएहिं उवसोहिया, तं जहा –किण्हेहिं जाव सुक्किलेहिं। ते णं कविसीसगा अद्धकोसं आयामेणं, देसूणं अद्धोसं उड्ढं उच्चत्तेणं, पंच धनुसयाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमया अच्छा। जमगाणं रायहानीणं एगमेगाए बाहाए पणवीसं-पणवीसं दारसयं पण्णत्तं। ते णं दारा बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं, सेया वरकनगथूभियागा एवं रायप्पसेणइज्ज-विमानवत्तव्वयाए दारवण्णओ जाव अट्ठट्ठ-मंगलगाइं। जमयाणं रायहानीणं चउद्दिसिं पंच-पंच जोयणसए अबाहाए चत्तारि वनसंडा पन्नत्ता, तं जहा–असोगवने सत्तिवण्णवने चंपगवने चूयवणे। ते णं वनसंडा साइरेगाइं बारसजोयणसहस्साइं आयामेणं, पंच जोयणसयाइं विक्खंभेणं, पत्तेयं-पत्तेयं पागारपरिक्खित्ता किण्हा वनसंडवण्णओ, भूमीओ पासायवडेंसगा य भाणियव्वा। जमगाणं रायहानीणं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते, वण्णगो। तेसि णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं दुवे उवयारियालयणा पन्नत्ता–बारस जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसहस्साइं सत्त य पंचणउए जोयणसए परिक्खेवेणं, अद्धकोसं च बाहल्लेणं, सव्वजंबूनयामया अच्छा, पत्तेयं-पत्तेयं पउमवरवेइया-परिक्खित्ता, पत्तेयं-पत्तेयं वनसंडवण्णओ भाणियव्वो, तिसोवानपडिरूवगा तोरणा चउद्दिसिं भूमिभागो य भाणियव्वो। तस्स णं बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं एगे पासायवडेंसए पन्नत्ते- बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढं उच्चत्तेणं, एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च आयामविक्खंभेणं, वण्णओ, उल्लोया भूमिभागा सीहासना सपरिवारा। एवं पासायपंतीओ–एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च उड्ढं उच्चत्तेणं, साइरेगाइं अद्धसोलस-जोयणाइं आयामविक्खंभेणं। बिइयपासायपंती– ते णं पासायवडेंसया साइरेगाइं अद्धसोलस-जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, साइरेगाइं अद्धट्ठमाइं जोयणाइं आयामविक्खंभेणं। तइयपासायपंती–ते णं पासायवडेंसया साइरेगाइं अद्धट्ठमाइं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, साइरेगाइं अद्धट्ठजोयणाइं आयामविक्खंभेणं, वण्णओ, सीहासना सपरिवारा। तेसि णं मूलपासायवडेंसयाणं उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए, एत्थ णं जमगाणं देवाणं सभाओ सुहम्माओ पन्नत्ताओ–अद्धतेरस जोयणाइं आयामेणं, छस्सकोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, नव जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसयसन्निविट्ठा, सभावण्णओ। तासि णं सभाणं सुहम्माणं तिदिसिं तओ दारा पन्नत्ता। ते णं दारा दो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, जोयणं विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं, सेया, वण्णओ जाव वणमाला। तेसि णं दाराणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तओ मुहमंडवा पन्नत्ता। ते णं मुहमंडवा अद्धतेरसजोयणाइं आयामेणं, छस्स कोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, साइरेगाइं दो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं जाव दारा भूमिभागा य। पेच्छाघरमंडवाणं तं चेव पमाणं भूमिभागो मणिपेढियाओ। ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ सीहासना भाणियव्वा। तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियाओ दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, जोयणं बाहल्लेणं, सव्वमणिमईओ। तासि णं उप्पिं पत्तेयं-पत्तेयं थूभा पन्नत्ता। ते णं थूभा दो जोयणाइ उड्ढं उच्चत्तेणं, दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, सेया संखतलविमल णिम्मल दधिघण गोखीर फेण रययणिगरप्पगासा जाव अट्ठट्ठमंगलया। तेसि णं थूभाणं चउद्दिसिं चत्तारि मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, जिनपडिमाओ वत्तव्वाओ। चेइयरुक्खाणं मणिपेढियाओ दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, जोयणं बाहल्लेणं, चेइयरुक्खवण्णओ। तेसि णं चेइयरुक्खाणं पुरओ तओ मणिपेढियाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं। तासि णं उप्पिं पत्तेयं-पत्तेयं महिंदज्झया पन्नत्ता। ते णं अद्धट्ठमाइं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धकोसं उव्वेहेणं, अद्धकोसं बाहल्लेणं, वइरामय वट्टलट्ठसंठिय सुसिलिट्ठ परिघट्ठमट्ठसुपतिट्ठा वण्णओ। वेइगा वनसंड तिसोवान तोरणा य भाणियव्वा। तासि णं सभाणं सुहम्माणं छच्च मणोगुलियासाहस्सीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–पुरत्थिमेणं दो साहस्सीओ पन्नत्ताओ, पच्चत्थिमेणं दो साहस्सीओ दाहिणेणं एगा साहस्सी, उत्तरेणं एगा जाव दामा चिट्ठंति। एवं गोमानसियाओ, नवरं–धवघडियाओ। तासि णं सुधम्माणं सभाणं अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते। मणिपेढिया दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, जोयणं बाहल्लेणं। तासि णं मणिपेढियाणं उप्पिं माणवए चेइयखंभे महिंदज्झयप्पमाणे। उवरिं छक्कोसे ओगाहित्ता हेट्ठा छक्कोसे वज्जित्ता जिणसकहाओ पन्नत्ताओ। मानवगस्स पुव्वेणं सीहासना सपरिवारा, पच्चत्थिमेणं सयणिज्जा, वण्णओ। सयणिज्जाणं उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए खुड्डगमहिंदज्झया मणिपेढियाविहूणा महिंदज्झय-प्पमाणा। तेसिं अवरेणं चोप्पाला पहरणकोसा। तत्थ णं बहवे फलिहरयणपामोक्खा जाव चिट्ठंति। सुहम्माणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा। तासि णं उत्तरपुरत्थिमेणं सिद्धायतणा। एसेव जिनघरा नवि गमो, नवरं–इमं नाणत्तं–एतेसि णं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं-पत्तेयं मणिपेढियाओ दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, जोयणं बाहल्लेणं। तासिं उप्पिं पत्तेयं-पत्तेयं देवच्छंदया पन्नत्ता–दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं दो जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, सव्वरयणामया। जिनपडिमा, वण्णओ जाव धूवकडुच्छुगा। एवं चेव अवसेसानवि सभाणं जाव उववायसभाए सयणिज्जं हरओ य अभिसेयसभाए बहू आभिसेक्के भंडे, अलंकारियसभाए बहू अलंकारियभंडे चिट्ठइ, ववसायसभासु पोत्थयरयणा, नंदा पुक्खरिणीओ, बलिपेढा दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं जाव– | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! उत्तरकुरु में यमक पर्वत कहाँ है ? गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण दिशा के अन्तिम कोने से ८३४ – ४/७ योजन के अन्तराल पर शीतोदा नदी के दोनों – पूर्वी, पश्चिमी तट पर यमक संज्ञक दो पर्वत हैं। वे १००० योजन ऊंचे, २५० योजन जमीन में गहरे, मूल में १००० योजन, मध्य में ७५० योजन तथा ऊपर ५०० योजन लम्बे – चौड़े हैं। उनकी परिधि मूल में कुछ अधिक ३१६२ योजन, मध्य में कुछ अधिक २३७२ योजन एवं ऊपर कुछ अधिक १५८१ योजन है। वे मूल में विस्तीर्ण – मध्य में संक्षिप्त और ऊपर – पतले हैं। वे यमकसंस्थान – संस्थित हैं – वे सर्वथा स्वर्णमय, स्वच्छ एवं सुकोमल हैं। उनमें से प्रत्येक पद्मवरवेदिका द्वारा तथा वन – खण्ड द्वारा घिरा हुआ है। वे पद्मवरवेदिकाएं दो – दो कोश ऊंची हैं। पाँच – पाँच सौ धनुष चोड़ी हैं। उन यमक पर्वतों पर बहुत समतल एवं रमणीय भूमिभाग है। उस के बीचोंबीच दो उत्तम प्रासाद हैं। वे प्रासाद ६२॥ योजन ऊंचे हैं। ३१। योजन लम्बे – चौड़े हैं। इन यमक देवों के १६००० आत्मरक्षक देव हैं। उनके १६००० उत्तम आसन – हैं। भगवन् ! उन्हें यमक पर्वत क्यों कहा जाता है ? गौतम ! उन पर्वतों पर जहाँ तहाँ बहुत सी छोटी – छोटी वावड़ियों, पुष्करिणियों आदि में जो अनेक उत्पल, कमल आदि खिलते हैं, उनका आकार एवं आभा यमक के सदृश हैं। वहाँ यमक नामक दो परम ऋद्धिशाली देव हैं। उनके ४००० सामानिक देव हैं, गौतम ! इस कारण वे यमक पर्वत कहलाते हैं। अथवा यह नाम शाश्वत है। यमक देवों की यमिका राजधानियाँ कहाँ है ? गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत मन्दर पर्वत के उत्तर में अन्य जम्बूद्वीप में १२००० योजन जाने पर हैं। वे १२००० योजन लम्बी – चौड़ी हैं। उनकी परिधि कुछ अधिक ३७९४८ योजन है। प्रत्येक राजधानी आकार – से परिवेष्टित है – । वे प्राकार ३७॥ योजन ऊंचे हैं। वे मूल में १२॥ योजन, मध्य में ६। योजन तथा ऊपर तीन योजन आधा कोश चौड़े हैं। वे मूल में विस्तीर्ण – बीच में संक्षिप्त तथा ऊपर पतले हैं। वे बाहर वृत्त तथा भीतर से चौकोर प्रतीत होते हैं। वे सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं। नाना प्रकार के पंचरंगे रत्नों से निर्मित कपिशीर्षकों द्वारा सुशोभित हैं। वे कंगूरे आधा कोश ऊंचे तथा पाँच सौ धनुष मोटे हैं, सर्वरत्नमय हैं, उज्ज्वल हैं। यमिका राजधानियों के प्रत्येक पार्श्व में १२५ – १२५ द्वार हैं। वे द्वार ६२॥ योजन ऊंचे हैं। ३१। योजन चौड़े हैं। प्रवेश – मार्ग भी उतने ही प्रमाण के हैं। यमिका राजधानियों की चारों दिशाओं में पाँच – पाँच सौ योजन के व्यवधान से अशोकवन, सप्तवर्णवन, चम्पकवन तथा आम्रवन हैं। ये वन – खण्ड कुछ अधिक १२००० योजन लम्बे तथा ५०० योजन चौड़े हैं। प्रत्येक वन – खण्ड प्राकार द्वारा परिवेष्टित है। यमिका राजधानियों में से प्रत्येक में बहुत समतल सुन्दर भूमिभाग हैं। उन के बीचोंबीच दो प्रासाद – पीठिकाएं हैं। वे १२०० योजन लम्बी – चौड़ी हैं। उनकी परिधि ३७९५ योजन है। वे आधा कोश मोटी हैं। वे सम्पूर्णतः उत्तम जम्बूनद जातीय स्वर्णमय हैं, उज्ज्वल हैं। उनमें से प्रत्येक पद्मवरवेदिका तथा वनखण्ड द्वारा परिवेष्टित है। उसके बीचोंबीच एक उत्तम प्रासाद है। वह ६२॥ योजन ऊंचा है। ३१। योजन लम्बा – चौड़ा है। प्रासाद – पंक्तियों में से प्रथम पंक्ति के प्रासाद ३१। योजन ऊंचे हैं। वे कुछ अधिक १५॥ योजन लम्बे – चौड़े हैं। द्वितीय पंक्ति के प्रासाद कुछ अधिक १५॥ योजन ऊंचे हैं। वे कुछ अधिक ७। योजन लम्बे – चौड़े हैं। तृतीय पंक्ति के प्रासाद कुछ अधिक ७॥ योजन ऊंचे हैं, कुछ अधिक ३॥ योजन लम्बे – चौड़े हैं। मूल प्रासाद के ईशान कोण में यमक देवों की सुधर्मा सभाएं हैं। वे सभाएं १२॥ योजन लम्बी, ६। योजन चौड़ी तथा ९ योजन ऊंची हैं। सैकड़ों खंभों पर अवस्थित हैं। उन सुधर्मसभाओं की तीन दिशाओं में तीन द्वार हैं। वे दो योजन ऊंचे हैं, एक योजन चौड़े हैं। उनके प्रवेश – मार्गों का प्रमाण – भी उतना ही है। उन द्वारोंमें से प्रत्येक के आगे मुखमण्डप – हैं। वे १२॥ योजन लम्बे, ६। योजन चौड़े तथा साधिक दो योजन ऊंचे हैं। प्रेक्षागृहों – का प्रमाण मुखमण्डप सदृश हैं। मुखमण्डपमें अवस्थित मणिपीठिकाएं १ योजन लम्बी – चौड़ी तथा आधा योजन मोटी हैं। वे सर्वथा मणिमय हैं। प्रेक्षागृह – मण्डपों के आगे जो मणिपीठिकाएं हैं, वे दो योजन लम्बी – चौड़ी तथा एक योजन मोटी हैं। वे सम्पूर्णतः मणिमय हैं। उनमें से प्रत्येक पर तीन – तीन स्तूप – हैं। वे स्तूप दो योजन ऊंचे, दो योजन लम्बे – चौड़े हैं वे शंख ज्यों श्वेत हैं। उन स्तूपोंकी चारों दिशामें चार मणिपीठिकाएं हैं। वे मणिपीठिका १ योजन लम्बी – चौड़ी तथा आधा योजन मोटी हैं। वहाँ स्थित जिनप्रतिमाका वर्णन पूर्वानुरूप है वहाँ के चैत्यवृक्षों की मणिपीठिकाएं दो योजन लम्बी – चौड़ी और एक योजन मोटी हैं। उन चैत्यवृक्षों के आगे तीन मणिपीठिकाएं हैं। वे एक योजन लम्बी – चौड़ी तथा आधा योजन मोटी हैं। उनमें से प्रत्येक पर एक – एक महेन्द्रध्वजा है। वे ध्वजाएं साढ़े सात योजन ऊंची हैं और आधा कोश जमीन में गहरी गड़ी हैं। वे वज्ररत्नमय हैं, वर्तुलाकार हैं। उन सुधर्मा सभाओं में ६००० पीठिकाएं हैं। पूर्व में २००० पीठिकाएं, पश्चिम में २००० पीठिकाएं, दक्षिण में १००० पीठिकाएं तथा उत्तर में १००० पीठिकाएं हैं। उन सुधर्मासभाओं के भीतर बहुत समतल, सुन्दर भूमिभाग हैं। मणिपीठिकाएं हैं। वे दो योजन लम्बी – चौड़ी हैं तथा एक योजन मोटी है। उन मणिपीठिकाओं के ऊपर महेन्द्रध्वज के समान प्रमाणयुक्त – माणवक चैत्य – स्तंभ हैं। उसमें ऊपर के छह कोश तथा नीचे के छह कोश वर्जित कर बीच में – साढ़े चार योजन के अन्तराल में जिनदंष्ट्राएं निक्षिप्त हैं। शयनीयों के – ईशान कोण में दो छोटे महेन्द्रध्वज हैं। उनका प्रमाण महेन्द्रध्वज जितना है। वे मणिपीठिका रहित हैं। उनके पश्चिम में चोप्फाल नामक प्रहरण – कोश – हैं। वहाँ परिघरत्न – आदि शस्त्र रखे हुए हैं। उन सुधर्मा सभाओं के ऊपर आठ – आठ मांगलिक पदार्थ प्रस्थापित हैं। उनके ईशान कोण में दो सिद्धायतन हैं। जिनगृह सम्बन्धी वर्णन पूर्ववत् है, केवल इतना अन्तर है – इन जिन – गृहों में बीचों – बीच प्रत्येक में मणिपीठिका है। वे दो योजन लम्बी – चौड़ी तथा एक योजन मोटी है। उन मणिपीठिकाओं में से प्रत्येक पर जिनदेव के आसन हैं। वे आसन दो योजन लम्बे – चौड़े हैं, कुछ अधिक दो योजन ऊंचे हैं। वे सम्पूर्णतः रत्नमय हैं। धूपदान पर्यन्त जिन – प्रतिमा वर्णन पूर्वानुरूप है। अभिषेक सभा में तथा आलंकारिक सभा में बहुत से अलंकार – पात्र हैं, व्यवसाय – सभा में पुस्तक – रत्न हैं। वहाँ नन्दा पुष्करिणियाँ हैं, पूजा – पीठ हैं। वे पीठ दो योजन लम्बे – चौड़े तथा एक योजन मोटे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Uttarakurae jamaga namam duve pavvaya pannatta? Goyama! Nilavamtassa vasaharapavvayassa dakkhini-llao charimamtao atthajoyanasae chottise chattari ya sattabhae joyanassa abahae, siyae mahanaie puratthima-pachchatthimenam ubhao kule, ettha nam jamaga namam duve pavvaya pannatta– Joyanasahassam uddham uchchattenam addhaijjaim joyanasayaim uvvehenam mule egam joyanasahassam ayamavikkhambhenam, majjhe addhatthamani joyanasayaim ayamavikkhambhenam, uvarim pamcha joyanasayaim ayamavikkhambhenam mule tinni joyanasahassaim egam cha bavattham joyanasayam kimchivisesahiyam pari-kkhevenam, majjhe do joyanasahassaim, tinni ya bavattare joyanasae kimchivisesahie parikkhevenam, uvari egam joyanasahassam pamcha ya ekasie joyanasae kimchivisesahie parikkhevenam, mule vichchhinna majjhe samkhitta uppim tanuya gopuchchhasamthanasamthiya savvakanagamaya achchha sanha, patteyam-patteyam paumavara-veiyaparikkhitta patteyam-patteyam vanasamdaparikkhitta. Tao nam paumavaraveiyao do gauyaim uddham uchchattenam, pamcha dhanusayaim vikkhambhenam, veiyavanasamda-vannao bhaniyavvo. Tesi nam jamagapavvayanam uppim bahusamaramanijje bhumibhage pannatte java– Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam duve pasayavademsaga pannatta. Te nam pasayavademsaga bavatthim joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, ekkatisam joyanaim kosam cha ayamavikkhambhenam, pasayavannao bhaniyavvo, sihasana saparivara java ettha nam jamaganam devanam solasanham ayarakkhadevasahassinam solasa bhaddasanasahassio pannattao. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–jamaga pavvaya? Jamaga pavvaya? Goyama! Jamagapavvaesu nam tattha-tattha dese tahim -tahim khuddakhuddiyasu vavisu java bilapamtiyasu bahave uppalaim java jamagavannabhaim. Jamaga ya ettha duve deva mahiddhiya. Te nam tattha chaunham samaniyasahassinam java bhumjamana viharamti. Se tenatthenam goyama! Vam vuchchai–jamagapavvaya-jamagapavvaya. Aduttaram cha nam sasae namadhejje java jamagapavvaya-jamagapavvaya. Kahi nam bhamte! Jamaganam devanam jamagao rayahanio pannattao? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa uttarenam annammi jambuddive dive barasa joyanasahassaim ogahitta, ettha nam jamaganam devanam jamagao rayahanio pannattao–barasa joyanasahassaim ayamavikkhambhenam, sattattisam joyanasahassaim nava ya adayale joyanasae kimchivisesahie parikkhevenam, patteyam-patteyam pagara-parikkhitta. Te nam pagara sattattisam joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, mule addhaterasa joyanaim vikkhambhenam, majjhe chhassakosaim joyanaim vikkhambhenam, uvarim tinni saaddhakosaim joyanaim vikkhambhenam, mule vichchhinna, majjhe samkhitta, uppim tanuya, bahim vatta, amto chauramsa, savvarayanamaya achchha. Te nam pagara nanamanipamchavannehim kavisisaehim uvasohiya, tam jaha –kinhehim java sukkilehim. Te nam kavisisaga addhakosam ayamenam, desunam addhosam uddham uchchattenam, pamcha dhanusayaim bahallenam, savvamanimaya achchha. Jamaganam rayahaninam egamegae bahae panavisam-panavisam darasayam pannattam. Te nam dara bavatthim joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, ekkatisam joyanaim kosam cha vikkhambhenam, tavaiyam cheva pavesenam, seya varakanagathubhiyaga evam rayappasenaijja-vimanavattavvayae daravannao java atthattha-mamgalagaim. Jamayanam rayahaninam chauddisim pamcha-pamcha joyanasae abahae chattari vanasamda pannatta, tam jaha–asogavane sattivannavane champagavane chuyavane. Te nam vanasamda sairegaim barasajoyanasahassaim ayamenam, pamcha joyanasayaim vikkhambhenam, patteyam-patteyam pagaraparikkhitta kinha vanasamdavannao, bhumio pasayavademsaga ya bhaniyavva. Jamaganam rayahaninam amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte, vannago. Tesi nam bahusamaramanijjanam bhumibhaganam bahumajjhadesabhae, ettha nam duve uvayariyalayana pannatta–barasa joyanasayaim ayamavikkhambhenam, tinni joyanasahassaim satta ya pamchanaue joyanasae parikkhevenam, addhakosam cha bahallenam, savvajambunayamaya achchha, patteyam-patteyam paumavaraveiya-parikkhitta, patteyam-patteyam vanasamdavannao bhaniyavvo, tisovanapadiruvaga torana chauddisim bhumibhago ya bhaniyavvo. Tassa nam bahumajjhadesabhae, ettha nam ege pasayavademsae pannatte- bavatthim joyanaim addhajoyanam cha uddham uchchattenam, ekkatisam joyanaim kosam cha ayamavikkhambhenam, vannao, ulloya bhumibhaga sihasana saparivara. Evam pasayapamtio–ekkatisam joyanaim kosam cha uddham uchchattenam, sairegaim addhasolasa-joyanaim ayamavikkhambhenam. Biiyapasayapamti– te nam pasayavademsaya sairegaim addhasolasa-joyanaim uddham uchchattenam, sairegaim addhatthamaim joyanaim ayamavikkhambhenam. Taiyapasayapamti–te nam pasayavademsaya sairegaim addhatthamaim joyanaim uddham uchchattenam, sairegaim addhatthajoyanaim ayamavikkhambhenam, vannao, sihasana saparivara. Tesi nam mulapasayavademsayanam uttarapuratthime disibhae, ettha nam jamaganam devanam sabhao suhammao pannattao–addhaterasa joyanaim ayamenam, chhassakosaim joyanaim vikkhambhenam, nava joyanaim uddham uchchattenam, anegakhambhasayasannivittha, sabhavannao. Tasi nam sabhanam suhammanam tidisim tao dara pannatta. Te nam dara do joyanaim uddham uchchattenam, joyanam vikkhambhenam, tavaiyam cheva pavesenam, seya, vannao java vanamala. Tesi nam daranam purao patteyam-patteyam tao muhamamdava pannatta. Te nam muhamamdava addhaterasajoyanaim ayamenam, chhassa kosaim joyanaim vikkhambhenam, sairegaim do joyanaim uddham uchchattenam java dara bhumibhaga ya. Pechchhagharamamdavanam tam cheva pamanam bhumibhago manipedhiyao. Tao nam manipedhiyao joyanam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, savvamanimaio sihasana bhaniyavva. Tesi nam pechchhagharamamdavanam purao manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyao do joyanaim ayamavikkhambhenam, joyanam bahallenam, savvamanimaio. Tasi nam uppim patteyam-patteyam thubha pannatta. Te nam thubha do joyanai uddham uchchattenam, do joyanaim ayamavikkhambhenam, seya samkhatalavimala nimmala dadhighana gokhira phena rayayanigarappagasa java atthatthamamgalaya. Tesi nam thubhanam chauddisim chattari manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyao joyanam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, jinapadimao vattavvao. Cheiyarukkhanam manipedhiyao do joyanaim ayamavikkhambhenam, joyanam bahallenam, cheiyarukkhavannao. Tesi nam cheiyarukkhanam purao tao manipedhiyao pannattao. Tao nam manipedhiyao joyanam ayamavikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam. Tasi nam uppim patteyam-patteyam mahimdajjhaya pannatta. Te nam addhatthamaim joyanaim uddham uchchattenam, addhakosam uvvehenam, addhakosam bahallenam, vairamaya vattalatthasamthiya susilittha parighatthamatthasupatittha vannao. Veiga vanasamda tisovana torana ya bhaniyavva. Tasi nam sabhanam suhammanam chhachcha manoguliyasahassio pannattao, tam jaha–puratthimenam do sahassio pannattao, pachchatthimenam do sahassio dahinenam ega sahassi, uttarenam ega java dama chitthamti. Evam gomanasiyao, navaram–dhavaghadiyao. Tasi nam sudhammanam sabhanam amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte. Manipedhiya do joyanaim ayamavikkhambhenam, joyanam bahallenam. Tasi nam manipedhiyanam uppim manavae cheiyakhambhe mahimdajjhayappamane. Uvarim chhakkose ogahitta hettha chhakkose vajjitta jinasakahao pannattao. Manavagassa puvvenam sihasana saparivara, pachchatthimenam sayanijja, vannao. Sayanijjanam uttarapuratthime disibhae khuddagamahimdajjhaya manipedhiyavihuna mahimdajjhaya-ppamana. Tesim avarenam choppala paharanakosa. Tattha nam bahave phaliharayanapamokkha java chitthamti. Suhammanam uppim atthatthamamgalaga. Tasi nam uttarapuratthimenam siddhayatana. Eseva jinaghara navi gamo, navaram–imam nanattam–etesi nam bahumajjhadesabhae patteyam-patteyam manipedhiyao do joyanaim ayamavikkhambhenam, joyanam bahallenam. Tasim uppim patteyam-patteyam devachchhamdaya pannatta–do joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim do joyanaim uddham uchchattenam, savvarayanamaya. Jinapadima, vannao java dhuvakaduchchhuga. Evam cheva avasesanavi sabhanam java uvavayasabhae sayanijjam harao ya abhiseyasabhae bahu abhisekke bhamde, alamkariyasabhae bahu alamkariyabhamde chitthai, vavasayasabhasu potthayarayana, namda pukkharinio, balipedha do joyanaim ayamavikkhambhenam joyanam bahallenam java– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Uttarakuru mem yamaka parvata kaham hai\? Gautama ! Nilavan varshadhara parvata ke dakshina disha ke antima kone se 834 – 4/7 yojana ke antarala para shitoda nadi ke donom – purvi, pashchimi tata para yamaka samjnyaka do parvata haim. Ve 1000 yojana umche, 250 yojana jamina mem gahare, mula mem 1000 yojana, madhya mem 750 yojana tatha upara 500 yojana lambe – chaure haim. Unaki paridhi mula mem kuchha adhika 3162 yojana, madhya mem kuchha adhika 2372 yojana evam upara kuchha adhika 1581 yojana hai. Ve mula mem vistirna – madhya mem samkshipta aura upara – patale haim. Ve yamakasamsthana – samsthita haim – ve sarvatha svarnamaya, svachchha evam sukomala haim. Unamem se pratyeka padmavaravedika dvara tatha vana – khanda dvara ghira hua hai. Ve padmavaravedikaem do – do kosha umchi haim. Pamcha – pamcha sau dhanusha chori haim. Una yamaka parvatom para bahuta samatala evam ramaniya bhumibhaga hai. Usa ke bichombicha do uttama prasada haim. Ve prasada 62.. Yojana umche haim. 31. Yojana lambe – chaure haim. Ina yamaka devom ke 16000 atmarakshaka deva haim. Unake 16000 uttama asana – haim. Bhagavan ! Unhem yamaka parvata kyom kaha jata hai\? Gautama ! Una parvatom para jaham taham bahuta si chhoti – chhoti vavariyom, pushkariniyom adi mem jo aneka utpala, kamala adi khilate haim, unaka akara evam abha yamaka ke sadrisha haim. Vaham yamaka namaka do parama riddhishali deva haim. Unake 4000 samanika deva haim, gautama ! Isa karana ve yamaka parvata kahalate haim. Athava yaha nama shashvata hai. Yamaka devom ki yamika rajadhaniyam kaham hai\? Gautama ! Jambudvipa ke antargata mandara parvata ke uttara mem anya jambudvipa mem 12000 yojana jane para haim. Ve 12000 yojana lambi – chauri haim. Unaki paridhi kuchha adhika 37948 yojana hai. Pratyeka rajadhani akara – se pariveshtita hai –\. Ve prakara 37.. Yojana umche haim. Ve mula mem 12.. Yojana, madhya mem 6. Yojana tatha upara tina yojana adha kosha chaure haim. Ve mula mem vistirna – bicha mem samkshipta tatha upara patale haim. Ve bahara vritta tatha bhitara se chaukora pratita hote haim. Ve sarvaratnamaya haim, svachchha haim. Nana prakara ke pamcharamge ratnom se nirmita kapishirshakom dvara sushobhita haim. Ve kamgure adha kosha umche tatha pamcha sau dhanusha mote haim, sarvaratnamaya haim, ujjvala haim. Yamika rajadhaniyom ke pratyeka parshva mem 125 – 125 dvara haim. Ve dvara 62.. Yojana umche haim. 31. Yojana chaure haim. Pravesha – marga bhi utane hi pramana ke haim. Yamika rajadhaniyom ki charom dishaom mem pamcha – pamcha sau yojana ke vyavadhana se ashokavana, saptavarnavana, champakavana tatha amravana haim. Ye vana – khanda kuchha adhika 12000 yojana lambe tatha 500 yojana chaure haim. Pratyeka vana – khanda prakara dvara pariveshtita hai. Yamika rajadhaniyom mem se pratyeka mem bahuta samatala sundara bhumibhaga haim. Una ke bichombicha do prasada – pithikaem haim. Ve 1200 yojana lambi – chauri haim. Unaki paridhi 3795 yojana hai. Ve adha kosha moti haim. Ve sampurnatah uttama jambunada jatiya svarnamaya haim, ujjvala haim. Unamem se pratyeka padmavaravedika tatha vanakhanda dvara pariveshtita hai. Usake bichombicha eka uttama prasada hai. Vaha 62.. Yojana umcha hai. 31. Yojana lamba – chaura hai. Prasada – pamktiyom mem se prathama pamkti ke prasada 31. Yojana umche haim. Ve kuchha adhika 15.. Yojana lambe – chaure haim. Dvitiya pamkti ke prasada kuchha adhika 15.. Yojana umche haim. Ve kuchha adhika 7. Yojana lambe – chaure haim. Tritiya pamkti ke prasada kuchha adhika 7.. Yojana umche haim, kuchha adhika 3.. Yojana lambe – chaure haim. Mula prasada ke ishana kona mem yamaka devom ki sudharma sabhaem haim. Ve sabhaem 12.. Yojana lambi, 6. Yojana chauri tatha 9 yojana umchi haim. Saikarom khambhom para avasthita haim. Una sudharmasabhaom ki tina dishaom mem tina dvara haim. Ve do yojana umche haim, eka yojana chaure haim. Unake pravesha – margom ka pramana – bhi utana hi hai. Una dvarommem se pratyeka ke age mukhamandapa – haim. Ve 12.. Yojana lambe, 6. Yojana chaure tatha sadhika do yojana umche haim. Prekshagrihom – ka pramana mukhamandapa sadrisha haim. Mukhamandapamem avasthita manipithikaem 1 yojana lambi – chauri tatha adha yojana moti haim. Ve sarvatha manimaya haim. Prekshagriha – mandapom ke age jo manipithikaem haim, ve do yojana lambi – chauri tatha eka yojana moti haim. Ve sampurnatah manimaya haim. Unamem se pratyeka para tina – tina stupa – haim. Ve stupa do yojana umche, do yojana lambe – chaure haim ve shamkha jyom shveta haim. Una stupomki charom dishamem chara manipithikaem haim. Ve manipithika 1 yojana lambi – chauri tatha adha yojana moti haim. Vaham sthita jinapratimaka varnana purvanurupa hai Vaham ke chaityavrikshom ki manipithikaem do yojana lambi – chauri aura eka yojana moti haim. Una chaityavrikshom ke age tina manipithikaem haim. Ve eka yojana lambi – chauri tatha adha yojana moti haim. Unamem se pratyeka para eka – eka mahendradhvaja hai. Ve dhvajaem sarhe sata yojana umchi haim aura adha kosha jamina mem gahari gari haim. Ve vajraratnamaya haim, vartulakara haim. Una sudharma sabhaom mem 6000 pithikaem haim. Purva mem 2000 pithikaem, pashchima mem 2000 pithikaem, dakshina mem 1000 pithikaem tatha uttara mem 1000 pithikaem haim. Una sudharmasabhaom ke bhitara bahuta samatala, sundara bhumibhaga haim. Manipithikaem haim. Ve do yojana lambi – chauri haim tatha eka yojana moti hai. Una manipithikaom ke upara mahendradhvaja ke samana pramanayukta – manavaka chaitya – stambha haim. Usamem upara ke chhaha kosha tatha niche ke chhaha kosha varjita kara bicha mem – sarhe chara yojana ke antarala mem jinadamshtraem nikshipta haim. Shayaniyom ke – ishana kona mem do chhote mahendradhvaja haim. Unaka pramana mahendradhvaja jitana hai. Ve manipithika rahita haim. Unake pashchima mem chopphala namaka praharana – kosha – haim. Vaham parigharatna – adi shastra rakhe hue haim. Una sudharma sabhaom ke upara atha – atha mamgalika padartha prasthapita haim. Unake ishana kona mem do siddhayatana haim. Jinagriha sambandhi varnana purvavat hai, kevala itana antara hai – ina jina – grihom mem bichom – bicha pratyeka mem manipithika hai. Ve do yojana lambi – chauri tatha eka yojana moti hai. Una manipithikaom mem se pratyeka para jinadeva ke asana haim. Ve asana do yojana lambe – chaure haim, kuchha adhika do yojana umche haim. Ve sampurnatah ratnamaya haim. Dhupadana paryanta jina – pratima varnana purvanurupa hai. Abhisheka sabha mem tatha alamkarika sabha mem bahuta se alamkara – patra haim, vyavasaya – sabha mem pustaka – ratna haim. Vaham nanda pushkariniyam haim, puja – pitha haim. Ve pitha do yojana lambe – chaure tatha eka yojana mote haim. |