Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007730
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत

Translated Chapter :

वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत

Section : Translated Section :
Sutra Number : 130 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] चुल्लहिमवंते णं भंते! वासहरपव्वए कइ कूडा पन्नत्ता? गोयमा! एक्कारस कूडा पन्नत्ता, तं जहा–सिद्धायतनकूडे चुल्लहिमवंतकूडे भरहकूडे इलादेवीकूडे गंगाकूडे सिरिकूडे रोहियंसकूडे सिंधुकूडे सूरादेवीकूडे हेमवयकूडे वेसमणकूडे। कहि णं भंते! चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए सिद्धायतनकूडे नामं कूडे पन्नत्ते? गोयमा! पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, चुल्लहिमवंतकूडस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सिद्धायतनकूडे नामं कूडे पन्नत्ते–पंच जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, मूले पंचजोयणसयाइं विक्खंभेणं, मज्झे तिन्नि य पण्णत्तरे जोयणसए विक्खंभेणं, उप्पिं अड्ढाइज्जे जोयणसए विक्खंभेणं, मूले एगं जोयणसहस्सं पंच य एगासीए जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं, मज्झे एगं जोयणसहस्सं एगं च छलसीयं जोयणसयं किंचिविसेसूने परिक्खेवेणं, उप्पिं सत्तएक्काणउए जोयणसए किंचिविसेसूने परि-क्खेवेणं, मूले विच्छिण्णे, मज्झे संखित्ते, उप्पिं तणुए, गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते। सिद्धायतनस्स कूडस्स णं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव– तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे सिद्धायतने पन्नत्ते–पन्नासं जोयणाइं आयामेणं, पणवीसं जोयणाइं विक्खंभेणं, छत्तीसं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं जाव जिनपडिमावण्णओ नेयव्वो। कहि णं भंते! चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए चुल्लहिमवंतकूडे नामं कूडे पन्नत्ते? गोयमा! भरहस्स कूडस्स पुरत्थिमेणं, सिद्धायतनकूडस्स पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए चुल्लहिमवंतकूडे नामं कूडे पन्नत्ते। एवं जो चेव सिद्धायतनकूडस्स उच्चत्तविक्खंभपरिक्खेवो जाव– बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पन्नत्ते–बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च उच्चत्तेणं, एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय पहसिए विव विविहमणिरयणभत्तिचित्ते वाउद्धुयविजयवेजयंतीपडागच्छत्ताइच्छत्तकलिए तुंगे गगन-तलमभिलंघमाणसिहरे जालंतररयण पंजरुम्मिलिएव्व मणिरयणथूभियाए विय सियसयवत्तपुंडरीय-तिलयरयणद्धचंदचित्ते नानामणिमयदामालंकिए अंतो बाहिं च सण्हे वइरतवणिज्जरुइलवालुगा- पत्थडे सुहफासे सस्सिरीयरूवे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तस्स णं पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव सीहासणं सपरिवारं। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–चुल्लहिमवंतकूडे? चुल्लहिमवंतकूडे? गोयमा! चुल्लहिमवंते नामं देवे महिड्ढीए जाव परिवसइ। कहिं णं भंते! चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स चुल्लहिमवंता नामं रायहानी पन्नत्ता? गोयमा! चुल्लहिमवं-तकूडस्स दक्खिणेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अन्नं जंबुद्दीवं दीवं दक्खिणेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं चुल्लहिमवंतगिरिकुमारस्स देवस्स चुल्ल-हिमवंता नामं रायहानी पन्नत्ता– बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, एवं विजय रायहानी- सरिसा भाणियव्वा। एवं अवसेसानवि कूडाणं वत्तव्वया नेयव्वा, आयाम विक्खंभ परिक्खेवपासायदेवयाओ सीहासन परिवारो अट्ठो य देवाण य देवीण य रायहानीओ नेयव्वाओ, चउसु देवा–चुल्लहिमवंत भरह हेमवय वेसमणकूडेसु, सेसेसु देवयाओ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए? चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए? गोयमा! महाहिमवंत-वासहरपव्वयं पणिहाय आयामुच्चत्त-उव्वेह विक्खंभ परिक्खेवं पडुच्च ईसिं खुड्डतराए चेव ह्रस्सतराए चेव णीयतराए चेव। चुल्ल हिमवंते यत्थ देवे महिड्ढीए जाव पलिओवमट्ठिईए परिवसइ। से एएणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए-चुल्ल-हिमवंते वासहरपव्वए। अदुत्तरं च णं गोयमा! चुल्लहिमवंतस्स सासए नामधेज्जे पन्नत्ते–जं न कयाइ नासिन कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ, भुविं च भवइ य भविस्सइ य धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! चुल्ल हिमवान्‌ वर्षधर पर्वत के कितने कूट हैं ? गौतम ! ग्यारह, सिद्धायतन, चुल्लहिमवान्‌, भरत, इलादेवी, गंगादेवी, श्री, रोहितांशा, सिन्धुदेवी, सुरादेवी, हैमवत तथा वैश्रवणकूट। भगवन्‌ ! चुल्ल हिमवान्‌ वर्षधर पर्वत पर सिद्धायतनकूट कहाँ है ? गौतम ! पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में, चुल्ल हिमवानकूट के पूर्व में है। वह पाँच सौ योजन ऊंचा है। मूल में पाँच सौ योजन, मध्य में ३७५ योजन तथा ऊपर २५० योजन विस्तीर्ण है। मूल में उसकी परिधि कुछ अधिक १५८१ योजन, मध्य में कुछ कम ११८६ योजन तथा ऊपर कुछ कम ७९१ योजन है। मूल में विस्तीर्ण, मध्य में संक्षिप्त एवं ऊपर तनुक है। उसका आकार गाय की ऊर्ध्वीकृत पूँछ के आकार जैसा है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ है। वह एक पद्मवरवेदिका तथा एक वनखण्ड द्वारा सब ओर से घिरा हुआ है। सिद्धायतनकूट के ऊपर एक बहुत समतल तथा रमणीय भूमिभाग है। उस भूमिभाग के ठीक बीच में एक विशाल सिद्धायतन है। वह पचास योजन लम्बा, पच्चीस योजन चौड़ा और छत्तीस योजन ऊंचा है। उससे सम्बद्ध जिनप्रतिमा पर्यन्त का वर्णन पूर्ववत्‌ है। भगवन्‌ ! चुल्लहिमवान्‌ वर्षधर पर्वत पर चुल्लहिमवान्‌ नामक कूट कहाँ है ? गौतम ! भरतकूट के पूर्व में, सिद्धायतनकूट के पश्चिम में चुल्लहिमवान्‌ वर्षधर पर्वत पर चुल्लहिमवान्‌ नामक कूट है। सिद्धायतनकूट की ऊंचाई, विस्तार तथा घेरा जितना है, उतना ही उसका है। उस कूट पर एक बहुत ही समतल एवं रमणीय भूमिभाग है। उसके ठीक बीच में एक बहुत बड़ा उत्तम प्रासाद है। वह ६२११ योजन ऊंचा है। ३१ योजन १ कोस चौड़ा है। वह बहुत ऊंचा उठा हुआ है। अत्यन्त धवल प्रभापुंज लिये रहने से वह हँसता हुआ – सा प्रतीत होता है। उस पर अनेक प्रकार की मणियाँ तथा रत्न जड़े हुए हैं। अपने पर लगी, पवन से हिलती, फहराती विजयसूचक ध्वजाओं, पताकाओं, छत्रों तथा अतिछत्रों से वह बड़ा सुहावना लगता है। उसके शिखर बहुत ऊंचे हैं, जालियों में जड़े रत्न – समूह हैं, स्तूपिकाएं, मणियों एवं रत्नों से निर्मित हैं। उस पर विकसित शतपत्र, पुण्डरीक, तिलक, रत्न तथा अर्धचन्द्र के चित्र अंकित हैं। अनेक मणिनिर्मित मालाओं से वह अलंकृत है। भीतर – बाहर वज्ररत्नमय, तपनीय – स्वर्णमय, चिकनी, रुचिर बालुका से आच्छादित है। उसका स्पर्श सुखप्रद है, रूप सश्रीक है। वह आनन्दप्रद, यावत्‌ प्रतिरूप है। उस उत्तम प्रासाद के भीतर बहुत समतल एवं रमणीय भूमिभाग है। भगवन्‌ ! वह चुल्ल हिमवान्‌ कूट क्यों कहलाता है ? गौतम ! परम ऋद्धिशाली चुल्ल हिमवान्‌ नामक देव वहाँ निवास करता है, इसलिए। भगवन्‌ ! चुल्ल हिमवान्‌ गिरिकुमार देव की चुल्लहिमवन्ता नामक राजधानी कहाँ है ? गौतम ! चुल्लहिमवानकूट के दक्षिण में तिर्यक लोक में असंख्य द्वीपों, समुद्रों को पार कर अन्य जम्बूद्वीप में दक्षिण में १२००० योजन पार करने पर है। उनका आयाम – विस्तार १२००० योजन है। वर्णन विजय – राजधानी सदृश जानना। बाकी के कूटों का आयाम – विस्तार, परिधि, प्रासाद, देव, सिंहासन, तत्सम्बद्ध सामग्री, देवों एवं देवियों की राजधानियों आदि का वर्णन पूर्वानुरूप है। इन कूटों में से चुल्लहिमवान्‌, भरत, हैमवत तथा वैश्रवण कूटों में देव निवास करते हैं और उनके अतिरिक्त अन्य कूटों में देवियाँ निवास करती हैं। भगवन्‌ ! वह पर्वत चुल्लहिमवर्षाधर क्यों कहलाता है ? गौतम ! महाहिमवान्‌ वर्षधर पर्वत की अपेक्षा चुल्लहिमवान्‌ वर्षधर पर्वत आयाम – आदि में कम है। इसके अतिरिक्त वहाँ परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्ययुक्त चुल्लहिमवान्‌ नामक देव निवास करता है, अथवा चुल्लहिमवान्‌ वर्षधर पर्वत – नाम शाश्वत है, जो न कभी नष्ट हुआ, न कभी नष्ट होगा।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] chullahimavamte nam bhamte! Vasaharapavvae kai kuda pannatta? Goyama! Ekkarasa kuda pannatta, tam jaha–siddhayatanakude chullahimavamtakude bharahakude iladevikude gamgakude sirikude rohiyamsakude simdhukude suradevikude hemavayakude vesamanakude. Kahi nam bhamte! Chullahimavamte vasaharapavvae siddhayatanakude namam kude pannatte? Goyama! Puratthimalavanasamuddassa pachchatthimenam, chullahimavamtakudassa puratthimenam, ettha nam siddhayatanakude namam kude pannatte–pamcha joyanasayaim uddham uchchattenam, mule pamchajoyanasayaim vikkhambhenam, majjhe tinni ya pannattare joyanasae vikkhambhenam, uppim addhaijje joyanasae vikkhambhenam, mule egam joyanasahassam pamcha ya egasie joyanasae kimchivisesahie parikkhevenam, majjhe egam joyanasahassam egam cha chhalasiyam joyanasayam kimchivisesune parikkhevenam, uppim sattaekkanaue joyanasae kimchivisesune pari-kkhevenam, mule vichchhinne, majjhe samkhitte, uppim tanue, gopuchchhasamthanasamthie savvarayanamae achchhe. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte. Siddhayatanassa kudassa nam uppim bahusamaramanijje bhumibhage java– Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege siddhayatane pannatte–pannasam joyanaim ayamenam, panavisam joyanaim vikkhambhenam, chhattisam joyanaim uddham uchchattenam java jinapadimavannao neyavvo. Kahi nam bhamte! Chullahimavamte vasaharapavvae chullahimavamtakude namam kude pannatte? Goyama! Bharahassa kudassa puratthimenam, siddhayatanakudassa pachchatthimenam, ettha nam chullahimavamte vasaharapavvae chullahimavamtakude namam kude pannatte. Evam jo cheva siddhayatanakudassa uchchattavikkhambhaparikkhevo java– Bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege pasayavademsae pannatte–bavatthim joyanaim addhajoyanam cha uchchattenam, ekkatisam joyanaim kosam cha vikkhambhenam abbhuggayamusiya pahasie viva vivihamanirayanabhattichitte vauddhuyavijayavejayamtipadagachchhattaichchhattakalie tumge gagana-talamabhilamghamanasihare jalamtararayana pamjarummilievva manirayanathubhiyae viya siyasayavattapumdariya-tilayarayanaddhachamdachitte nanamanimayadamalamkie amto bahim cha sanhe vairatavanijjaruilavaluga- patthade suhaphase sassiriyaruve pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Tassa nam pasayavademsagassa amto bahusamaramanijje bhumibhage java sihasanam saparivaram. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–chullahimavamtakude? Chullahimavamtakude? Goyama! Chullahimavamte namam deve mahiddhie java parivasai. Kahim nam bhamte! Chullahimavamtagirikumarassa devassa chullahimavamta namam rayahani pannatta? Goyama! Chullahimavam-takudassa dakkhinenam tiriyamasamkhejje divasamudde viivaitta annam jambuddivam divam dakkhinenam barasa joyanasahassaim ogahitta, ettha nam chullahimavamtagirikumarassa devassa chulla-himavamta namam rayahani pannatta– barasa joyanasahassaim ayamavikkhambhenam, evam vijaya rayahani- sarisa bhaniyavva. Evam avasesanavi kudanam vattavvaya neyavva, ayama vikkhambha parikkhevapasayadevayao sihasana parivaro attho ya devana ya devina ya rayahanio neyavvao, chausu deva–chullahimavamta bharaha hemavaya vesamanakudesu, sesesu devayao. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–chullahimavamte vasaharapavvae? Chullahimavamte vasaharapavvae? Goyama! Mahahimavamta-vasaharapavvayam panihaya ayamuchchatta-uvveha vikkhambha parikkhevam paduchcha isim khuddatarae cheva hrassatarae cheva niyatarae cheva. Chulla himavamte yattha deve mahiddhie java paliovamatthiie parivasai. Se eenatthenam goyama! Evam vuchchai–chullahimavamte vasaharapavvae-chulla-himavamte vasaharapavvae. Aduttaram cha nam goyama! Chullahimavamtassa sasae namadhejje pannatte–jam na kayai nasina kayai natthi na kayai na bhavissai, bhuvim cha bhavai ya bhavissai ya dhuve niyae sasae akkhae avvae avatthie nichche.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Chulla himavan varshadhara parvata ke kitane kuta haim\? Gautama ! Gyaraha, siddhayatana, chullahimavan, bharata, iladevi, gamgadevi, shri, rohitamsha, sindhudevi, suradevi, haimavata tatha vaishravanakuta. Bhagavan ! Chulla himavan varshadhara parvata para siddhayatanakuta kaham hai\? Gautama ! Purvi lavanasamudra ke pashchima mem, chulla himavanakuta ke purva mem hai. Vaha pamcha sau yojana umcha hai. Mula mem pamcha sau yojana, madhya mem 375 yojana tatha upara 250 yojana vistirna hai. Mula mem usaki paridhi kuchha adhika 1581 yojana, madhya mem kuchha kama 1186 yojana tatha upara kuchha kama 791 yojana hai. Mula mem vistirna, madhya mem samkshipta evam upara tanuka hai. Usaka akara gaya ki urdhvikrita pumchha ke akara jaisa hai. Vaha sarvaratnamaya hai, svachchha hai. Vaha eka padmavaravedika tatha eka vanakhanda dvara saba ora se ghira hua hai. Siddhayatanakuta ke upara eka bahuta samatala tatha ramaniya bhumibhaga hai. Usa bhumibhaga ke thika bicha mem eka vishala siddhayatana hai. Vaha pachasa yojana lamba, pachchisa yojana chaura aura chhattisa yojana umcha hai. Usase sambaddha jinapratima paryanta ka varnana purvavat hai. Bhagavan ! Chullahimavan varshadhara parvata para chullahimavan namaka kuta kaham hai\? Gautama ! Bharatakuta ke purva mem, siddhayatanakuta ke pashchima mem chullahimavan varshadhara parvata para chullahimavan namaka kuta hai. Siddhayatanakuta ki umchai, vistara tatha ghera jitana hai, utana hi usaka hai. Usa kuta para eka bahuta hi samatala evam ramaniya bhumibhaga hai. Usake thika bicha mem eka bahuta bara uttama prasada hai. Vaha 6211 yojana umcha hai. 31 yojana 1 kosa chaura hai. Vaha bahuta umcha utha hua hai. Atyanta dhavala prabhapumja liye rahane se vaha hamsata hua – sa pratita hota hai. Usa para aneka prakara ki maniyam tatha ratna jare hue haim. Apane para lagi, pavana se hilati, phaharati vijayasuchaka dhvajaom, patakaom, chhatrom tatha atichhatrom se vaha bara suhavana lagata hai. Usake shikhara bahuta umche haim, jaliyom mem jare ratna – samuha haim, stupikaem, maniyom evam ratnom se nirmita haim. Usa para vikasita shatapatra, pundarika, tilaka, ratna tatha ardhachandra ke chitra amkita haim. Aneka maninirmita malaom se vaha alamkrita hai. Bhitara – bahara vajraratnamaya, tapaniya – svarnamaya, chikani, ruchira baluka se achchhadita hai. Usaka sparsha sukhaprada hai, rupa sashrika hai. Vaha anandaprada, yavat pratirupa hai. Usa uttama prasada ke bhitara bahuta samatala evam ramaniya bhumibhaga hai. Bhagavan ! Vaha chulla himavan kuta kyom kahalata hai\? Gautama ! Parama riddhishali chulla himavan namaka deva vaham nivasa karata hai, isalie. Bhagavan ! Chulla himavan girikumara deva ki chullahimavanta namaka rajadhani kaham hai\? Gautama ! Chullahimavanakuta ke dakshina mem tiryaka loka mem asamkhya dvipom, samudrom ko para kara anya jambudvipa mem dakshina mem 12000 yojana para karane para hai. Unaka ayama – vistara 12000 yojana hai. Varnana vijaya – rajadhani sadrisha janana. Baki ke kutom ka ayama – vistara, paridhi, prasada, deva, simhasana, tatsambaddha samagri, devom evam deviyom ki rajadhaniyom adi ka varnana purvanurupa hai. Ina kutom mem se chullahimavan, bharata, haimavata tatha vaishravana kutom mem deva nivasa karate haim aura unake atirikta anya kutom mem deviyam nivasa karati haim. Bhagavan ! Vaha parvata chullahimavarshadhara kyom kahalata hai\? Gautama ! Mahahimavan varshadhara parvata ki apeksha chullahimavan varshadhara parvata ayama – adi mem kama hai. Isake atirikta vaham parama riddhishali, eka palyopama ayushyayukta chullahimavan namaka deva nivasa karata hai, athava chullahimavan varshadhara parvata – nama shashvata hai, jo na kabhi nashta hua, na kabhi nashta hoga.