Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007646
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार २ काळ

Translated Chapter :

वक्षस्कार २ काळ

Section : Translated Section :
Sutra Number : 46 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] उसभे णं अरहा कोसलिए वज्जरिसहनारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिए पंच धनुसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था। उसभे णं अरहा कोसलिए वीसं पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमज्झावसित्ता, तेवट्ठिं पुव्वसय-सहस्साइं रज्जवासमज्झा वसित्ता, तेसीइं पुव्वसयसहस्साइं अगारवासमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइए। उसभे णं अरहा कोसलिए एगं वाससहस्सं छउमत्थपरियायं पाउणित्ता, एगं पुव्वसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरियायं पाउणित्ता, एगं पुव्वसयसहस्सं बहुपडिपुण्णं सामण्णपरियायं पाउणित्ता, चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जेसे हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे माहबहुले, तस्स णं माहबहुलस्स तेरसीपक्खेणं दसहिं अनगारसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे अट्ठा वयसेलसिहरंसि चोद्दसमेणं भत्तेणं अपाणएणं संपलियंकणिसन्ने पुव्वण्हकालसमयंसि अभीइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं सुसमदूसमाए समाए एगूनणउतीहिं पक्खेहिं सेसेहिं कालगए वीइक्कंते समुज्जाए छिन्नजाइ-जरा-मरण-बंधने सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतकडे परिनिव्वुडे सव्वदुक्खप्पहीणे। जं समयं च णं उसभे अरहा कोसलिए कालगए वीइक्कंते समुज्जाए छिन्नजाइ-जरा-मरण-बंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतकडे परिनिव्वुडे सव्वदुक्खप्पहीणे, तं समयं च णं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो आसने चलिए। तए णं से सक्के देविंदे देवराया आसनंचलियं पासइ, पासित्ता ओहिं पउंजइ, पउंजित्ता भयवं तित्थयरं ओहिणा आभोएइ, आभोएत्ता एवं वयासी– परिनिव्वुए खलु जंबुद्दीवे दीवे भरहे वासे उसभे अरहा कोसलिए, तं जीयमेयं तीयपच्चुप्पन्नमनागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवराईणं तित्थगराणं परिनिव्वाणमहिमं करेत्तए, तं गच्छामि णं अहंपि भगवतो तित्थगरस्स परिनिव्वाण- महिमं करेमिति कट्टु एवं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता चउरासीईए सामानियसाहस्सीहिं, तायत्तीसाए तावत्तीसएहिं, चउहिं लोगपालेहिं अट्ठहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अनिएहिं सत्तहिं अनियाहिवईहिं चउहिं चउरासीईहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं, अन्नेहि य बहूहिं सोहम्मकप्पवासीहिं वेमानिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे, ... ...ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए सिग्घाए उद्धुयाए जइणाए छेयाए दिव्वाए देवगतीए तिरियमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झंमज्झेणं वीई-वयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव अट्ठावय-पव्वए, जेणेव भगवओ तित्थगरस्स सरीरए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता विमने निरानंदे अंसुपुण्णनयने तित्थयरसरीरयं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता नच्चासन्ने नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलियडे पज्जुवासइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे देविंदे देवराया उत्तरद्धलोगाहिवई अट्ठावीसविमान-सयसहस्साहिवई सूलपाणी वसहवाहणे सुरिंदे अरयंबरवत्थधरे जाव विउलाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ। तए णं तस्स ईसानस्स देविंदस्स देवरन्नो आसनं चलइ। तए णं से ईसाणे देविंदे देवराया आसनं चलियं पासइ, पासित्ता ओहिं पउंजइ, पउंजित्ता भगवं तित्थगरं ओहिणा आभोएइ, आभोएत्ता जहा सक्के नियगपरिवारेणं आनेयव्वो जाव पज्जुवासइ। एवं सव्वे देविंदा जाव अच्चुए नियगपरिवारेणं आनेयव्वा। एवं जाव भवनवासीणं इंदा, वाणमंतराणं सोलस, जोइसियाणं दोन्नि नियगपरिवारा नेयव्वा। तए णं सक्के देविंदे देवराया बहवे भवनवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमानिए देवे एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! नंदनवनाओ सरसाइं गोसीसवरचंदनकट्ठाइं साहरह, साहरित्ता तओ चियगाओ रएहएगं भगवओ तित्थगरस्स, एगं गणहराणं, एगं अवसेसाणं अनगाराणं। तए णं ते भवनवइ-वाणमंतर-जोइस-वेमानिया देवा नंदनवनाओ सरसाइं गोसीसवर-चंदनकट्ठाइं साहरंति, साहरित्ता तओ चियगाओ रएंति– एगं भगवओ तित्थगरस्स, एगं गणहराणं, एगं अवसेसाणं अनगाराणं। तए णं से सक्के देविंदे देवराया आभिओगे देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! खीरोदसमुद्दाओ खीरोदगं साहरह। तए णं ते आभिओगा देवा खीरोदसमुद्दाओ खीरोदगं साहरंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया तित्थगरसरीरगं खीरोदगेणं ण्हाणेति, ण्हाणेत्ता सरसेणं गोसीसवरचंदनेणं अनुलिंपइ अनुलिंपित्ता हंसलक्खणं पडसाडयं नियंसेइ, नियंसेत्ता सव्वा-लंकारविभूसियं करेति। तए णं ते भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा गणहरसरीरगाइं अनगारसरीरगाणि य खीरोदगेणं ण्हावेंति ण्हावेत्ता सरसेणं गोसीसवरचंदणेणं अनुलिंपंति, अनुलिंपित्ता अहताइं दिव्वाइं देवदूसजुयलाइं नियंसंति, नियंसित्ता सव्वालंकारविभूसियाइं करेंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया ते बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिए देवे एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! ईहामिग उसभ तुरग णर मगर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर वनलय पउमलय भत्तिचित्ताओ तओ सिबियाओ विउव्वह– एगं भगवओ तित्थगरस्स, एगं गणहराणं, एगं अवसेसाणं अनगाराणं। तए णं ते बहवे भवनवइ वाणमंतर वेमानिया देवा तओ सिबियाओ विउव्वंति–एगं भगवओ तित्थगरस्स, एगं गणहराणं, एगं अवसेसाणं अनगाराणं। तए णं से सक्के देविंदे देवराया विमणे निराणंदे अंसुपुण्णनयने भगवओ तित्थगरस्स विनट्ठजम्मजरामरणस्स सरीरगं सीयं आरुहेति, आरुहेत्ता चियगाए ठवेइ। तए णं बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा गणहराणं अनगाराण य विनट्ठजम्मजरामरणाणं सरीरगाइं सीयाओ आरुहेंति, आरुहेत्ता चियगाए ठवेंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया अग्गिकुमारे देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! तित्थगरचियगाए गणहरचियगाए अनगारचियगाए अगनिकायं विउव्वह, विउ-व्वित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ते अग्गिकुमारा देवा विमना निरानंदा अंसुपुण्णनयना तित्थगरचियगाए गणहर-चियगाए अनगारचियगाए य अगनिकायं विउव्वंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया वाउकुमारे देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! तित्थगरचियगाए गणहरचियगाएव अनगारचियगाए य वाउक्कायं विउव्वह, विउ-व्वित्ता अगनिकायं उज्जालेह, तित्थगरसरीरग गणहरसरीरगाइं अनगारसरीरगाइं च झामेह। तए णं ते वाउकुमारा देवा विमना निरानंदा अंसुपुण्णनयना तित्थगरचियगाए गणहरचियगाए अनगारचियगाए य वाउक्कायं विउव्वंति, अगनिकायं उज्जालेंति, तित्थगरसरीरगं गणहरसरीरगाइं अनगारसरीरगाणि य झामेंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया ते बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिए देवे एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! तित्थगरचियगाए गणहरचियगाए अनगारचियगाए य अगुरु तुरुक्क घय मधुं च कुंभग्गसो य भारग्गसो य साहरह। तए णं ते भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा तित्थगरचियगाए गणहरचियगाए अनगारचियगाए य अगुरु तुरुक्क घय मधुं च कुंभग्गसो य भारग्गसो य साहरंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया मेहकुमारे देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! तित्थ-गरचियगं गणहरचियगं अनगारचियगं च खीरोदगेणं निव्वावेह। तए णं ते मेहकुमारा देवा तित्थगरचियगं गणहरचियगं अनगारचियगं च खीरोदगेणं निव्वावेंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया भगवओ तित्थगरस्स उवरिल्लं दाहिणं सकहं गेण्हइ, ईसाणे देविंदे देवराया उवरिल्लं वामं सकहं गेण्हइ, चमरे असुरिंदे असुरराया हेट्ठिल्लं दाहिणं सकहं गेण्हइ, बली वइरोयणिंदे वइरोयणराया हेट्ठिल्लं वामं सकहं गेण्हइ, अवसेसा भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा जहारिहं अवसेसाइं अंगमंगाइं– केइ जिनभत्तीए, केइ जीयमेयंतिकट्टु, केइ धम्मोत्तिकट्टु– गेण्हंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिए देवे एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! सव्वरयणामए महइमहालए तओ चेइयथूभे करेह– एगं भगवओ तित्थगगरस्स चियगाए, एगं गणहरचियगाए, एगं अवसेसाणं अनगाराणं चियगाए। तए णं ते बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा खिप्पामेव सव्वरयणामए महइमहालए तओ चेइयथूभे करेंति। तए णं ते बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा तित्थगरस्स परिनिव्वाणमहिमं करेंति, करेत्ता जेणेव नंदीसरवरे दीवे तेणेव उवागच्छंति। तए णं से सक्के देविंदे देवराया पुरत्थिमिल्ले अंजनगपव्वए अट्ठाहियं महामहिमं करेति। तए णं सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो चत्तारि लोगपाला चउसु दहिमुहपव्वएसु अट्ठाहियं महामहिमं करेंति। ईसाने देविंदे देवराया उत्तरिल्ले अंजनगे अट्ठाहियं, तस्स लोगपाला चउसु दहिमुहेसु अट्ठाहियं। चमरो य दाहिणिल्ले अंजनगे, तस्स लोगपाला दहिमुहपव्वएसु। बली पच्चत्थिमिल्ले अंजनगे, तस्स लोगपाला दहिमुहेसु। तए णं बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा अट्ठाहियाओ महामहिमाओ करेंति, करेत्ता जेणेव साइं-साइं विमाणाइं जेणेव साइं-साइं भवनाइं जेणेव साओ-साओ सभाओ सुहम्माओ जेणेग सगा-सगा मानवगा चेइयखंभा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता वइरामएसु गोलवट्ट-समुग्गएसु जिण-सकहाओ पक्खिवंति, पक्खिवित्ता अग्गेहिं वरेहिं मल्लेहि य गंधेहि य अच्चेंति, अच्चेत्ता विउलाइं भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरंति।
Sutra Meaning : कौशलिक भगवान्‌ ऋषभ वज्रऋषभनाराचसंहनन युक्त, समचौरससंस्थानसंस्थित तथा ५०० धनुष दैहिक ऊंचाई युक्त थे। वे २० लाख पूर्व तक कुमारावस्था में तथा ६३ लाख पूर्व महाराजावस्था में रहे। यों ८३ लाख पूर्व गृहवास में रहे। तत्पश्चात्‌ मुंडित होकर अगारवास से अनगार – धर्म में प्रव्रजित हुए। १००० वर्ष छद्मस्थ – पर्याय में रहे। १००० वर्ष कम एक लाख पूर्व वे केवली – पर्याय में रहे। इस प्रकार एक लाख पूर्व तक श्रामण्य – पर्याय का पालन कर – चौरासी लाख पूर्व का परिपूर्ण आयुष्य भोगकर हेमन्त के तीसरे मास में, पाँचवे पक्ष में – माघ मास कृष्ण पक्ष में तेरस के दिन १०००० साधुओं से संपरिवृत्त अष्टापद पर्वत के शिखर पर छह दिनों के निर्जल उपवासमें पूर्वाह्न – काल में पर्यंकासन में अवस्थित, चन्द्र योग युक्त अभिजित्‌ नक्षत्र में, जब सुषम – दुःषमा आरक में नवासी पक्ष बाकी थे, वे जन्म, जरा, मृत्यु के बन्धन छिन्नकर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त, अंतकृत्‌, परिनिर्वृत्त सर्व – दुःख रहित हुए। जिस समय कौशलिक, अर्हत्‌ ऋषभ कालगत हुए, जन्म, वृद्धावस्था तथा मृत्यु के बन्धन तोड़कर सिद्ध, वृद्ध तथा सर्व दुःख – विरहित हुए, उस समय देवेन्द्र, देवराज शक्र का आसन चलित हुआ। अवधिज्ञान का प्रयोग किया, भगवान्‌ तीर्थंकर को देखकर वह यों बोला – जम्बूद्वीप के अन्तर्गत्‌ भरतक्षेत्र में कौशलिक, अर्हत्‌ ऋषभ ने परिनिर्वाण प्राप्त कर लिया है, अतः अतीत, वर्तमान, अनागत देवराजों, देवेन्द्रों, शक्रों का यह जीत है कि वे तीर्थंकरों के परिनिर्वाण महोत्सव मनाएं। इसलिए मैं भी तीर्थंकर भगवान्‌ का परिनिर्वाण – महोत्सव आयोजित करने हेतु जाऊं। यों सोचकर देवेन्द्र वन्दन – नमस्कार कर अपने ८४००० सामानिक देवों, ३३००० त्रायस्त्रिंशक देवों, परिवारोपेत अपनी आठ पट्टरानियों, तीन परिषदों, सात सेनाओं, चारों दिशाओं के ८४ – ८४ हजार आत्मरक्षक देवों और भी अन्य बहुत से सौधर्मकल्पवासी देवों एवं देवियों से संपरिवृत्त, उत्कृष्ट, त्वरित, चपल, चंड, जवन, उद्धत, शीघ्र तथा दिव्य गति से तिर्यक्‌ – लोकवर्ती असंख्य द्वीपों एवं समुद्रों के बीच से होता हुआ जहाँ अष्टापद पर्वत और जहाँ भगवान्‌ तीर्थंकर का शरीर था, वहाँ आया। उसने उदास, आनन्द रहित, आँखों में आँसू भरे, तीर्थंकर के शरीर को तीन बार आदक्षिण – प्रदक्षिणा की। वैसा कर, न अधिक निकट न अधिक दूर स्थित होकर पर्युपासना की। उस समय उत्तरार्ध लोकाधिपति, २८ लाख विमानों के स्वामी, शूलपाणि, वृषभवाहन, निर्मल आकाश के रंग जैसा वस्त्र पहने हुए, यावत्‌ यथोचित रूप में माला एवं मुकुट धारण किए हुए, नव – स्वर्ण – निर्मित मनोहर कुंडल पहने हुए, जो कानों से गालों तक लटक रहे थे, अत्यधिक समृद्धि, द्युति, बल, यश, प्रभाव तथा सुखसौभाग्य युक्त, देदीप्यमान शरीर युक्त, सब ऋतुओं के फूल से बनी माला, जो गले से घुटनों तक लटकती थी, धारण किए हुए, ईशानकल्प में ईशानावतंसक विमान की सुधर्मा सभा में ईशान – सिंहासन पर स्थित, अठ्ठाईस लाख वैमानिक देवों, अस्सी हजार सामानिक देवों, तेतीस त्रायस्त्रिंश – गुरुस्थानीय देवों, चार लोकपालों, परिवार सहित आठ पट्टरानियों, तीन परिषदों, सात सेनाओं, सात सेनापतियों, अस्सी – अस्सी हजार चारों दिशाओं के आत्मरक्षक देवों तथा अन्य बहुत से ईशानकल्पवासी देवों और देवियों का आधिपत्य, पुरापतित्व, स्वामित्व, भर्तृत्व, महत्तरकत्व, आज्ञेश्वरत्व, सेनापतित्व करता हुआ देवराज ईशानेन्द्र निरवच्छिन्न नाट्य, गीत, निपुण वादकों के वाद्य, विपुल भोग भोगता हुआ विहरणशील था। ईशान देवेन्द्र ने अपना आसन चलित देखा। वैसा देखकर अवधि – ज्ञान का प्रयोग किया। भगवान्‌ तीर्थंकर को अवधिज्ञान द्वारा देखा। देखकर शक्रेन्द्र की ज्यों पर्युपासना की। ऐसे सभी देवेन्द्र अपने – अपने परिवार के साथ वहाँ आये। उसी प्रकार भवनवासियों के बीस इन्द्र, वाणव्यन्तरों के सोलह इन्द्र, ज्योतिष्कों के दो इन्द्र, अपने – अपने देव – परिवारों के साथ वहाँ – अष्टापद पर्वत पर आये तथा देवराज, देवेन्द्र शक्र ने बहुत से भवनपति, वाणव्यन्तर तथा ज्योतिष्क देवों से कहा – देवानुप्रियों ! नन्दनवन से शीघ्र स्निग्ध, उत्तम गोशीर्ष चन्दन – काष्ठ लाओ। लाकर तीन चिताओं की रचना करो – एक भगवान्‌ तीर्थंकर के लिए, एक गणधरों के लिए तथा एक बाकी के अनगारों के लिए। तब वे भवनपति आदि देव नन्दनवन से स्निग्ध, उत्तम गोशीर्ष चन्दन – काष्ठ लाये। चिताएं बनाई। तत्पश्चात्‌ देवराज शक्रेन्द्र ने आभियोगिक देवों को कहा – देवानुप्रियों ! क्षीरोदक समुद्र से शीघ्र क्षीरोदक लाओ। वे आभियोगिक देव क्षीरोदक समुद्र से क्षीरोदक लाये। तदनन्तर देवराज शक्रेन्द्र ने तीर्थंकर के शरीर को क्षीरोदक से स्नान कराया। सरस, उत्तम गोशीर्ष चन्दन से उसे अनुलिप्त किया। हंस – सदृश श्वेत वस्त्र पहनाये। सब प्रकार के आभूषणों से विभूषित किया। फिर उन भवनपति, वैमानिक आदि देवों ने गणधरों के शरीरों को तथा साधुओं के शरीरों को क्षीरोदक से स्नान कराया। स्निग्ध, उत्तम गोशीर्ष चन्दन से अनुलिप्त किया। दो दिव्य देवदूष्य – धारण कराये। सब प्रकार के अलंकारों से विभूषित किया। तत्पश्चात्‌ देवराज शक्रेन्द्र ने उन अनेक भवनपति, वैमानिक आदि देवों से कहा – देवानुप्रियों ! ईहामृग, वृषभ, तुरंग यावत्‌ वनलता – के चित्रों से अंकित तीन शिबिकाओं की विकुर्वणा करो – एक भगवान्‌ तीर्थंकर के लिए, एक गणधरों के लिए तथा एक अवशेष साधुओं के लिए। इस पर उन बहुत से भवनपति, वैमानिकों आदि देवों ने तीन शिबिकाओं की विकुर्वणा की। तब उदास, खिन्न एवं आँसू भरे देवराज देवेन्द्र शक्र ने भगवान्‌ तीर्थंकर के, जिन्होंने जन्म, जरा तथा मृत्यु को विनष्ट कर दिया था – शरीर को शिबिका पर आरूढ किया। चिता पर रखा। भवनपति तथा वैमानिक आदि देवों ने गणधरों एवं साधुओं के शरीर शिबिका पर आरूढ कर उन्हें चिता पर रखा। देवराज शक्रेन्द्र ने तब अग्निकुमार देवों को कहा – देवानुप्रियों ! तीर्थंकर आदि को चिता में, शीघ्र अग्निकाय की विकुर्वणा करो। इस पर उदास, दुःखित तथा अश्रुपूरित नेत्रवाले अग्निकुमार देवों ने तीर्थंकर की चिता, गणधरों की चिता तथा अनगारों की चिता में अग्निकाय की विकुर्वणा की। देवराज शक्र ने फिर वायुकुमार देवों को कहा – वायुकाय की विकुर्वणा करो, अग्नि प्रज्वलित करो, तीर्थंकर के देह को, गणधरों तथा अनगारों के देह को ध्मापित करो। विमनस्क, शोकान्वित तथा अश्रुपूरित नेत्रवाले वायुकुमार देवों ने चिताओं में वायुकाय की विकुर्वणा की, तीर्थंकर आदि के शरीर ध्मापित किये। देवराज शक्रेन्द्र ने बहुत से भवनपति तथा वैमानिक आदि देवों से कहा – देवानुप्रियों ! तीर्थंकर – चिता, गणधर – चिता तथा अनगार – चिता में विपुल परिमाणमय अगर, तुरुष्क तथा अनेक घट परिमित घृत एवं मधु ड़ालो। तब उन भवनपति आदि देवों ने घृत एवं मधु ड़ाला। देवराज शक्रेन्द्र ने मेघकुमार देवों को कहा – देवानुप्रियों ! तीर्थंकर – चिता, गणधर – चिता तथा अनगार – चिता को क्षीरोदक से निर्वापित करो। मेघकुमार देवों ने निर्वापित किया। तदनन्तर देवराज शक्रेन्द्र ने भगवान्‌ तीर्थंकर के ऊपर की दाहिनी डाढ़ ली। असुराधिपति चमरेन्द्र ने नीचे की दाहिनी डाढ़ ली। वैरोचनराज वैरोचनेन्द्र बली ने नीचे की बाई डाढ़ ली। बाकी के भवनपति, वैमानिक आदि देवों ने यथायोग्य अंगों की हड्डियाँ लीं। कईंयों ने जिनेन्द्र भगवान्‌ की भक्ति से, कईंयों ने यह समुचित पुरातन परंपरानुगत व्यवहार है, यह सोचकर तथा कईंयों ने इसे अपना धर्म मानकर ऐसा किया। तदनन्तर देवराज, देवेन्द्र शक्र ने भवनपति एवं वैमानिक आदि देवों को यथायोग्य यों कहा – देवानुप्रियों ! तीन सर्व रत्नमय विशाल स्तूपों का निर्माण करो – एक भगवान्‌ तीर्थंकर के, एक गणधरों के, तथा एक अवशेष अनगारों के चिता – स्थान पर। उन बहुत से देवों ने वैसा ही किया। फिर उन अनेक भवनपति, वैमानिक आदि देवों ने तीर्थंकर भगवान्‌ का परिनिर्वाण महोत्सव मनाया। वे नन्दीश्वर द्वीप में आ गये। देवराज, देवेन्द्र शक्र ने पूर्व दिशा में स्थित अंजनक पर्वत पर अष्टदिवसीय परिनिर्वाण – महोत्सव मनाया। देवराज, देवेन्द्र शक्र के चार लोकपालों ने चारों दधिमुख पर्वतों पर, देवराज ईशानेन्द्र ने उत्तरदिशावर्ती अंजनक पर्वत पर, उसके लोकपालों ने चारों दधिमुख पर्वतों पर, चमरेन्द्र ने दक्षिण दिशावर्ती अंजनक पर्वत पर, उसके लोकपालों ने पर्वतों पर, बलि ने पश्चिम दिशावर्ती अंजनक पर्वत पर और उसके लोकपालों ने दधिमुख पर्वतों पर परिनिर्वाण – महोत्सव मनाया। इस प्रकार बहुत से भवनपति, वाणव्यन्तर आदि ने अष्टदिवसीय महोत्सव मनाये। ऐसा कर वे जहाँ – तहाँ अपने विमान, भवन, सुधर्मासभाएं तथा अपने माणवक नामक चैत्यस्तंभ थे, वहाँ आये। आकर जिनेश्वर देव की डाढ़ आदि अस्थियों को वज्रमय समुद्‌गक में रखा। अभिनव, उत्तम मालाओं तथा सुगन्धित द्रव्यों से अर्चना की। अपने विपुल सुखोपभोगमय जीवन में धुलमिल गये।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] usabhe nam araha kosalie vajjarisahanarayasamghayane samachauramsasamthanasamthie pamcha dhanusayaim uddham uchchattenam hottha. Usabhe nam araha kosalie visam puvvasayasahassaim kumaravasamajjhavasitta, tevatthim puvvasaya-sahassaim rajjavasamajjha vasitta, tesiim puvvasayasahassaim agaravasamajjhavasitta mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaie. Usabhe nam araha kosalie egam vasasahassam chhaumatthapariyayam paunitta, egam puvvasayasahassam vasasahassunam kevalipariyayam paunitta, egam puvvasayasahassam bahupadipunnam samannapariyayam paunitta, chaurasiim puvvasayasahassaim savvauyam palaitta jese hemamtanam tachche mase pamchame pakkhe mahabahule, tassa nam mahabahulassa terasipakkhenam dasahim anagarasahassehim saddhim samparivude attha vayaselasiharamsi choddasamenam bhattenam apanaenam sampaliyamkanisanne puvvanhakalasamayamsi abhiina nakkhattenam jogamuvagaenam susamadusamae samae egunanautihim pakkhehim sesehim kalagae viikkamte samujjae chhinnajai-jara-marana-bamdhane siddhe buddhe mutte amtakade parinivvude savvadukkhappahine. Jam samayam cha nam usabhe araha kosalie kalagae viikkamte samujjae chhinnajai-jara-marana-bamdhane siddhe buddhe mutte amtakade parinivvude savvadukkhappahine, tam samayam cha nam sakkassa devimdassa devaranno asane chalie. Tae nam se sakke devimde devaraya asanamchaliyam pasai, pasitta ohim paumjai, paumjitta bhayavam titthayaram ohina abhoei, abhoetta evam vayasi– parinivvue khalu jambuddive dive bharahe vase usabhe araha kosalie, tam jiyameyam tiyapachchuppannamanagayanam sakkanam devimdanam devarainam titthagaranam parinivvanamahimam karettae, tam gachchhami nam ahampi bhagavato titthagarassa parinivvana- mahimam karemiti kattu evam vamdai namamsai, vamditta namamsitta chaurasiie samaniyasahassihim, tayattisae tavattisaehim, chauhim logapalehim atthahim aggamahisihim saparivarahim tihim parisahim sattahim aniehim sattahim aniyahivaihim chauhim chaurasiihim ayarakkhadevasahassihim, annehi ya bahuhim sohammakappavasihim vemaniehim devehim devihi ya saddhim samparivude,.. ..Tae ukkitthae turiyae chavalae chamdae sigghae uddhuyae jainae chheyae divvae devagatie tiriyamasamkhejjanam divasamuddanam majjhammajjhenam vii-vayamane-viivayamane jeneva atthavaya-pavvae, jeneva bhagavao titthagarassa sarirae, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta vimane niranamde amsupunnanayane titthayarasarirayam tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta nachchasanne naidure sussusamane namamsamane abhimuhe vinaenam pamjaliyade pajjuvasai. Tenam kalenam tenam samaenam isane devimde devaraya uttaraddhalogahivai atthavisavimana-sayasahassahivai sulapani vasahavahane surimde arayambaravatthadhare java viulaim bhogabhogaim bhumjamane viharai. Tae nam tassa isanassa devimdassa devaranno asanam chalai. Tae nam se isane devimde devaraya asanam chaliyam pasai, pasitta ohim paumjai, paumjitta bhagavam titthagaram ohina abhoei, abhoetta jaha sakke niyagaparivarenam aneyavvo java pajjuvasai. Evam savve devimda java achchue niyagaparivarenam aneyavva. Evam java bhavanavasinam imda, vanamamtaranam solasa, joisiyanam donni niyagaparivara neyavva. Tae nam sakke devimde devaraya bahave bhavanavai-vanamamtara-joisa-vemanie deve evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Namdanavanao sarasaim gosisavarachamdanakatthaim saharaha, saharitta tao chiyagao raehaegam bhagavao titthagarassa, egam ganaharanam, egam avasesanam anagaranam. Tae nam te bhavanavai-vanamamtara-joisa-vemaniya deva namdanavanao sarasaim gosisavara-chamdanakatthaim saharamti, saharitta tao chiyagao raemti– egam bhagavao titthagarassa, egam ganaharanam, egam avasesanam anagaranam. Tae nam se sakke devimde devaraya abhioge deve saddavei, saddavetta evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Khirodasamuddao khirodagam saharaha. Tae nam te abhioga deva khirodasamuddao khirodagam saharamti. Tae nam se sakke devimde devaraya titthagarasariragam khirodagenam nhaneti, nhanetta sarasenam gosisavarachamdanenam anulimpai anulimpitta hamsalakkhanam padasadayam niyamsei, niyamsetta savva-lamkaravibhusiyam kareti. Tae nam te bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva ganaharasariragaim anagarasariragani ya khirodagenam nhavemti nhavetta sarasenam gosisavarachamdanenam anulimpamti, anulimpitta ahataim divvaim devadusajuyalaim niyamsamti, niyamsitta savvalamkaravibhusiyaim karemti. Tae nam se sakke devimde devaraya te bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemanie deve evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Ihamiga usabha turaga nara magara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara vanalaya paumalaya bhattichittao tao sibiyao viuvvaha– egam bhagavao titthagarassa, egam ganaharanam, egam avasesanam anagaranam. Tae nam te bahave bhavanavai vanamamtara vemaniya deva tao sibiyao viuvvamti–egam bhagavao titthagarassa, egam ganaharanam, egam avasesanam anagaranam. Tae nam se sakke devimde devaraya vimane niranamde amsupunnanayane bhagavao titthagarassa vinatthajammajaramaranassa sariragam siyam aruheti, aruhetta chiyagae thavei. Tae nam bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva ganaharanam anagarana ya vinatthajammajaramarananam sariragaim siyao aruhemti, aruhetta chiyagae thavemti. Tae nam se sakke devimde devaraya aggikumare deve saddavei, saddavetta evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Titthagarachiyagae ganaharachiyagae anagarachiyagae aganikayam viuvvaha, viu-vvitta eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam te aggikumara deva vimana niranamda amsupunnanayana titthagarachiyagae ganahara-chiyagae anagarachiyagae ya aganikayam viuvvamti. Tae nam se sakke devimde devaraya vaukumare deve saddavei, saddavetta evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Titthagarachiyagae ganaharachiyagaeva anagarachiyagae ya vaukkayam viuvvaha, viu-vvitta aganikayam ujjaleha, titthagarasariraga ganaharasariragaim anagarasariragaim cha jhameha. Tae nam te vaukumara deva vimana niranamda amsupunnanayana titthagarachiyagae ganaharachiyagae anagarachiyagae ya vaukkayam viuvvamti, aganikayam ujjalemti, titthagarasariragam ganaharasariragaim anagarasariragani ya jhamemti. Tae nam se sakke devimde devaraya te bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemanie deve evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Titthagarachiyagae ganaharachiyagae anagarachiyagae ya aguru turukka ghaya madhum cha kumbhaggaso ya bharaggaso ya saharaha. Tae nam te bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva titthagarachiyagae ganaharachiyagae anagarachiyagae ya aguru turukka ghaya madhum cha kumbhaggaso ya bharaggaso ya saharamti. Tae nam se sakke devimde devaraya mehakumare deve saddavei, saddavetta evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Tittha-garachiyagam ganaharachiyagam anagarachiyagam cha khirodagenam nivvaveha. Tae nam te mehakumara deva titthagarachiyagam ganaharachiyagam anagarachiyagam cha khirodagenam nivvavemti. Tae nam se sakke devimde devaraya bhagavao titthagarassa uvarillam dahinam sakaham genhai, isane devimde devaraya uvarillam vamam sakaham genhai, chamare asurimde asuraraya hetthillam dahinam sakaham genhai, bali vairoyanimde vairoyanaraya hetthillam vamam sakaham genhai, avasesa bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva jahariham avasesaim amgamamgaim– kei jinabhattie, kei jiyameyamtikattu, kei dhammottikattu– genhamti. Tae nam se sakke devimde devaraya bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemanie deve evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Savvarayanamae mahaimahalae tao cheiyathubhe kareha– egam bhagavao titthagagarassa chiyagae, egam ganaharachiyagae, egam avasesanam anagaranam chiyagae. Tae nam te bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva khippameva savvarayanamae mahaimahalae tao cheiyathubhe karemti. Tae nam te bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva titthagarassa parinivvanamahimam karemti, karetta jeneva namdisaravare dive teneva uvagachchhamti. Tae nam se sakke devimde devaraya puratthimille amjanagapavvae atthahiyam mahamahimam kareti. Tae nam sakkassa devimdassa devaranno chattari logapala chausu dahimuhapavvaesu atthahiyam mahamahimam karemti. Isane devimde devaraya uttarille amjanage atthahiyam, tassa logapala chausu dahimuhesu atthahiyam. Chamaro ya dahinille amjanage, tassa logapala dahimuhapavvaesu. Bali pachchatthimille amjanage, tassa logapala dahimuhesu. Tae nam bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva atthahiyao mahamahimao karemti, karetta jeneva saim-saim vimanaim jeneva saim-saim bhavanaim jeneva sao-sao sabhao suhammao jenega saga-saga manavaga cheiyakhambha teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta vairamaesu golavatta-samuggaesu jina-sakahao pakkhivamti, pakkhivitta aggehim varehim mallehi ya gamdhehi ya achchemti, achchetta viulaim bhogabhogaim bhumjamana viharamti.
Sutra Meaning Transliteration : Kaushalika bhagavan rishabha vajrarishabhanarachasamhanana yukta, samachaurasasamsthanasamsthita tatha 500 dhanusha daihika umchai yukta the. Ve 20 lakha purva taka kumaravastha mem tatha 63 lakha purva maharajavastha mem rahe. Yom 83 lakha purva grihavasa mem rahe. Tatpashchat mumdita hokara agaravasa se anagara – dharma mem pravrajita hue. 1000 varsha chhadmastha – paryaya mem rahe. 1000 varsha kama eka lakha purva ve kevali – paryaya mem rahe. Isa prakara eka lakha purva taka shramanya – paryaya ka palana kara – chaurasi lakha purva ka paripurna ayushya bhogakara hemanta ke tisare masa mem, pamchave paksha mem – magha masa krishna paksha mem terasa ke dina 10000 sadhuom se samparivritta ashtapada parvata ke shikhara para chhaha dinom ke nirjala upavasamem purvahna – kala mem paryamkasana mem avasthita, chandra yoga yukta abhijit nakshatra mem, jaba sushama – duhshama araka mem navasi paksha baki the, ve janma, jara, mrityu ke bandhana chhinnakara siddha, buddha, mukta, amtakrit, parinirvritta sarva – duhkha rahita hue. Jisa samaya kaushalika, arhat rishabha kalagata hue, janma, vriddhavastha tatha mrityu ke bandhana torakara siddha, vriddha tatha sarva duhkha – virahita hue, usa samaya devendra, devaraja shakra ka asana chalita hua. Avadhijnyana ka prayoga kiya, bhagavan tirthamkara ko dekhakara vaha yom bola – jambudvipa ke antargat bharatakshetra mem kaushalika, arhat rishabha ne parinirvana prapta kara liya hai, atah atita, vartamana, anagata devarajom, devendrom, shakrom ka yaha jita hai ki ve tirthamkarom ke parinirvana mahotsava manaem. Isalie maim bhi tirthamkara bhagavan ka parinirvana – mahotsava ayojita karane hetu jaum. Yom sochakara devendra vandana – namaskara kara apane 84000 samanika devom, 33000 trayastrimshaka devom, parivaropeta apani atha pattaraniyom, tina parishadom, sata senaom, charom dishaom ke 84 – 84 hajara atmarakshaka devom aura bhi anya bahuta se saudharmakalpavasi devom evam deviyom se samparivritta, utkrishta, tvarita, chapala, chamda, javana, uddhata, shighra tatha divya gati se tiryak – lokavarti asamkhya dvipom evam samudrom ke bicha se hota hua jaham ashtapada parvata aura jaham bhagavan tirthamkara ka sharira tha, vaham aya. Usane udasa, ananda rahita, amkhom mem amsu bhare, tirthamkara ke sharira ko tina bara adakshina – pradakshina ki. Vaisa kara, na adhika nikata na adhika dura sthita hokara paryupasana ki. Usa samaya uttarardha lokadhipati, 28 lakha vimanom ke svami, shulapani, vrishabhavahana, nirmala akasha ke ramga jaisa vastra pahane hue, yavat yathochita rupa mem mala evam mukuta dharana kie hue, nava – svarna – nirmita manohara kumdala pahane hue, jo kanom se galom taka lataka rahe the, atyadhika samriddhi, dyuti, bala, yasha, prabhava tatha sukhasaubhagya yukta, dedipyamana sharira yukta, saba rituom ke phula se bani mala, jo gale se ghutanom taka latakati thi, dharana kie hue, ishanakalpa mem ishanavatamsaka vimana ki sudharma sabha mem ishana – simhasana para sthita, aththaisa lakha vaimanika devom, assi hajara samanika devom, tetisa trayastrimsha – gurusthaniya devom, chara lokapalom, parivara sahita atha pattaraniyom, tina parishadom, sata senaom, sata senapatiyom, assi – assi hajara charom dishaom ke atmarakshaka devom tatha anya bahuta se ishanakalpavasi devom aura deviyom ka adhipatya, purapatitva, svamitva, bhartritva, mahattarakatva, ajnyeshvaratva, senapatitva karata hua devaraja ishanendra niravachchhinna natya, gita, nipuna vadakom ke vadya, vipula bhoga bhogata hua viharanashila tha. Ishana devendra ne apana asana chalita dekha. Vaisa dekhakara avadhi – jnyana ka prayoga kiya. Bhagavan tirthamkara ko avadhijnyana dvara dekha. Dekhakara shakrendra ki jyom paryupasana ki. Aise sabhi devendra apane – apane parivara ke satha vaham aye. Usi prakara bhavanavasiyom ke bisa indra, vanavyantarom ke solaha indra, jyotishkom ke do indra, apane – apane deva – parivarom ke satha vaham – ashtapada parvata para aye Tatha devaraja, devendra shakra ne bahuta se bhavanapati, vanavyantara tatha jyotishka devom se kaha – devanupriyom ! Nandanavana se shighra snigdha, uttama goshirsha chandana – kashtha lao. Lakara tina chitaom ki rachana karo – eka bhagavan tirthamkara ke lie, eka ganadharom ke lie tatha eka baki ke anagarom ke lie. Taba ve bhavanapati adi deva nandanavana se snigdha, uttama goshirsha chandana – kashtha laye. Chitaem banai. Tatpashchat devaraja shakrendra ne abhiyogika devom ko kaha – devanupriyom ! Kshirodaka samudra se shighra kshirodaka lao. Ve abhiyogika deva kshirodaka samudra se kshirodaka laye. Tadanantara devaraja shakrendra ne tirthamkara ke sharira ko kshirodaka se snana karaya. Sarasa, uttama goshirsha chandana se use anulipta kiya. Hamsa – sadrisha shveta vastra pahanaye. Saba prakara ke abhushanom se vibhushita kiya. Phira una bhavanapati, vaimanika adi devom ne ganadharom ke sharirom ko tatha sadhuom ke sharirom ko kshirodaka se snana karaya. Snigdha, uttama goshirsha chandana se anulipta kiya. Do divya devadushya – dharana karaye. Saba prakara ke alamkarom se vibhushita kiya. Tatpashchat devaraja shakrendra ne una aneka bhavanapati, vaimanika adi devom se kaha – devanupriyom ! Ihamriga, vrishabha, turamga yavat vanalata – ke chitrom se amkita tina shibikaom ki vikurvana karo – eka bhagavan tirthamkara ke lie, eka ganadharom ke lie tatha eka avashesha sadhuom ke lie. Isa para una bahuta se bhavanapati, vaimanikom adi devom ne tina shibikaom ki vikurvana ki. Taba udasa, khinna evam amsu bhare devaraja devendra shakra ne bhagavan tirthamkara ke, jinhomne janma, jara tatha mrityu ko vinashta kara diya tha – sharira ko shibika para arudha kiya. Chita para rakha. Bhavanapati tatha vaimanika adi devom ne ganadharom evam sadhuom ke sharira shibika para arudha kara unhem chita para rakha. Devaraja shakrendra ne taba agnikumara devom ko kaha – devanupriyom ! Tirthamkara adi ko chita mem, shighra agnikaya ki vikurvana karo. Isa para udasa, duhkhita tatha ashrupurita netravale agnikumara devom ne tirthamkara ki chita, ganadharom ki chita tatha anagarom ki chita mem agnikaya ki vikurvana ki. Devaraja shakra ne phira vayukumara devom ko kaha – vayukaya ki vikurvana karo, agni prajvalita karo, tirthamkara ke deha ko, ganadharom tatha anagarom ke deha ko dhmapita karo. Vimanaska, shokanvita tatha ashrupurita netravale vayukumara devom ne chitaom mem vayukaya ki vikurvana ki, tirthamkara adi ke sharira dhmapita kiye. Devaraja shakrendra ne bahuta se bhavanapati tatha vaimanika adi devom se kaha – devanupriyom ! Tirthamkara – chita, ganadhara – chita tatha anagara – chita mem vipula parimanamaya agara, turushka tatha aneka ghata parimita ghrita evam madhu ralo. Taba una bhavanapati adi devom ne ghrita evam madhu rala. Devaraja shakrendra ne meghakumara devom ko kaha – devanupriyom ! Tirthamkara – chita, ganadhara – chita tatha anagara – chita ko kshirodaka se nirvapita karo. Meghakumara devom ne nirvapita kiya. Tadanantara devaraja shakrendra ne bhagavan tirthamkara ke upara ki dahini darha li. Asuradhipati chamarendra ne niche ki dahini darha li. Vairochanaraja vairochanendra bali ne niche ki bai darha li. Baki ke bhavanapati, vaimanika adi devom ne yathayogya amgom ki haddiyam lim. Kaimyom ne jinendra bhagavan ki bhakti se, kaimyom ne yaha samuchita puratana paramparanugata vyavahara hai, yaha sochakara tatha kaimyom ne ise apana dharma manakara aisa kiya. Tadanantara devaraja, devendra shakra ne bhavanapati evam vaimanika adi devom ko yathayogya yom kaha – devanupriyom ! Tina sarva ratnamaya vishala stupom ka nirmana karo – eka bhagavan tirthamkara ke, eka ganadharom ke, tatha eka avashesha anagarom ke chita – sthana para. Una bahuta se devom ne vaisa hi kiya. Phira una aneka bhavanapati, vaimanika adi devom ne tirthamkara bhagavan ka parinirvana mahotsava manaya. Ve nandishvara dvipa mem a gaye. Devaraja, devendra shakra ne purva disha mem sthita amjanaka parvata para ashtadivasiya parinirvana – mahotsava manaya. Devaraja, devendra shakra ke chara lokapalom ne charom dadhimukha parvatom para, devaraja ishanendra ne uttaradishavarti amjanaka parvata para, usake lokapalom ne charom dadhimukha parvatom para, chamarendra ne dakshina dishavarti amjanaka parvata para, usake lokapalom ne parvatom para, bali ne pashchima dishavarti amjanaka parvata para aura usake lokapalom ne dadhimukha parvatom para parinirvana – mahotsava manaya. Isa prakara bahuta se bhavanapati, vanavyantara adi ne ashtadivasiya mahotsava manaye. Aisa kara ve jaham – taham apane vimana, bhavana, sudharmasabhaem tatha apane manavaka namaka chaityastambha the, vaham aye. Akara jineshvara deva ki darha adi asthiyom ko vajramaya samudgaka mem rakha. Abhinava, uttama malaom tatha sugandhita dravyom se archana ki. Apane vipula sukhopabhogamaya jivana mem dhulamila gaye.