Sutra Navigation: Chandrapragnapati ( चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007335
Scripture Name( English ): Chandrapragnapati Translated Scripture Name : चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

प्राभृत-१

Translated Chapter :

प्राभृत-१

Section : प्राभृत-प्राभृत-१ Translated Section : प्राभृत-प्राभृत-१
Sutra Number : 35 Category : Upang-06
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] ता कहं ते तिरिच्छगती आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ अट्ठ पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थ एगे एवमाहंसु–ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पादो मिरीची आगासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं मिरीयं आगासंसि विद्धंसइ– एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आगासंसि विद्धंसइ– एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु–ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता, पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आगासं अनुपविसइ, अनुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ, पडियागच्छित्ता पुनरवि अवरभूपुरत्थिमाओ लोयं- ताओ पादो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ–एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु–ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमिल्लंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि विद्धंसइ–एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु–ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढविकायंसि अनुपविसइ, अनुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ, पडियागच्छित्ता पुनरवि अवरभू-पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिट्ठइ–एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु–ता पुरत्थिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि पाओ सूरिए आउकायंसि विद्धंसइ– एगे एवमाहंसु ६ एगे पुण एवमाहंसु–ता पुरत्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आउकायंसि अनुपविसइ, अनुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ, पडियागच्छित्ता पुनरवि अवरभूपुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्ठइ– एगे एवमाहंसु ७ एगे पुण एवमाहंसु– ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ बहूइं जोयणाइं बहूइं जोयणसयाइं बहूइं जोयणसहस्साइं उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं दाहिणड्ढं लोयं तिरियं करेइ, करेत्ता उत्तरड्ढलोयं तमेव राओ, से णं इमं उत्तरड्ढलोयं तिरियं करेइ, करेत्ता दाहि-णड्ढलोयं तमेव राओ, से णं इमाइं दाहिणुत्तरड्ढलोयाइं तिरियं करेइ, करेत्ता पुरत्थिमाओ लोयंताओ बहूइं जोयणाइं बहूइं जोयणस-याइं बहूइं जोयणसहस्साइं उड्ढं दूरं उप्पइत्ता, एत्थ णं पाओ सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठइ–एगे एवमाहंसु ८। वयं पुण एवं वयामो– ता जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरत्थिमंसि उत्तरपच्चत्थिमंसि य चउब्भागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ अट्ठ जोयणसयाइं उड्ढं उप्पइत्ता, एत्थ णं पाओ दुवे सूरिया उत्तिट्ठंति। ते णं इमाइं दाहिणुत्तराइं जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति, करेत्ता पुरत्थिमपच्चत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तामेव राओ, ते णं इमाइं पुरत्थिमपच्चत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति, करेत्ता दाहिणुत्तराइं जंबुद्दीवभागाइं तामेव राओ, ते णं इमाइं दाहिणुत्तराइं पुरत्थिमपच्चत्थिमाणि य जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति, करेत्ता जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता दाहिणपुरत्थिमिल्लंसि उत्तरपच्चत्थिमिल्लंसि य चउभाग-मंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ अट्ठ जोयणसयाइं उड्ढं उप्पइत्ता, एत्थ णं पाओ दुवे सूरिया आगासंसि उत्तिट्ठंति।
Sutra Meaning : हे भगवन्‌ ! सूर्य की तिर्छी गति कैसी है ? इस विषय में आठ प्रतिपत्तियाँ हैं। (१) पूर्वदिशा के लोकान्त से प्रभातकाल का सूर्य आकाश में उदित होता है वह इस समग्र जगत्‌ को तिर्छा करता है और पश्चिम लोकान्त में संध्या समय में आकाश में अस्त होता है। (२) पूर्वदिशा के लोकान्त से प्रातःकाल में सूर्य आकाश में उदित होता है, तिर्यक्‌लोक को तिर्छा या प्रकाशीत करके पश्चिमलोकान्त में शाम को अस्त हो जाता है। (३) पूर्वदिशा के लोकान्त से प्रभात समय आकाश में जाकर तिर्यक्‌लोक को तिर्यक्‌ करता है फिर पश्चिम लोकान्त में शाम को नीचे की ओर परावर्तीत करता है, नीचे आकर पृथ्वी के दूसरे भाग में पूर्व दिशा के लोकान्त से प्रातःकाल में फिर उदित होता है। (४) पूर्वदिशा के लोकान्त से प्रातःकाल में सूर्य पृथ्वीकाय में उदित होता है, इस तिर्यक्‌लोक को तिर्यक्‌ करके पश्चिम लोकान्त में शाम को पृथ्वीकाय में अस्त होता है। (५) पूर्व भाग के लोकान्त से प्रातःकाल में सूर्य पृथ्वीकाय में उदित होता है, वह सूर्य इस मनुष्यलोक को तिर्यक्‌ करके पश्चिम दिशा के लोकान्त में शाम को अस्ताचल में प्रवेश करके अधोलोकमें जाता है, फिर वहाँ से आकर पूर्वलोकान्त में प्रातःकालमें सूर्य पृथ्वीकायमें उदित होता है। (६) पूर्व दिशावर्ती लोकान्त से सूर्य अप्काय में उदित होता है, वह सूर्य इस मनुष्यलोक को तिर्यक्‌ करके पश्चिम लोकान्त में अप्काय में अदृश्य हो जाता है। (७) पूर्वदिग्‌ लोकान्त से सूर्य प्रातःकाल में समुद्र में उदित होता है, वह सूर्य इस तिर्यक्‌लोक को तिर्यक्‌ करके पश्चिम लोकान्त में शाम को अप्काय में प्रवेश करता है, वहाँ से अधोलोक में जाकर पृथ्वी के दूसरे भाग में पूर्वदिग्‌ लोकान्त में प्रभातकाल में अप्काय में उदित होता है। (८) पूर्व दिशा के लोकान्त से बहुत योजन – सेंकड़ो – हजारों योजन अत्यन्त दूर तक ऊंचे जाकर प्रभात का सूर्य आकाश में उदित होता है, वह सूर्य इस दक्षिणार्द्ध को प्रकाशित करता है, फिर दक्षिणार्ध में रात्रि होती है, पूर्वदिग्‌ लोकान्त से बहुत योजन – सेंकड़ों – हजारों योजन ऊंचे जाकर प्रातःकाल में आकाश में उदित होता है। भगवंत कहते हैं कि इस जंबूद्वीप में पूर्व – पश्चिम और उत्तरदक्षिण लम्बी जीवा से १२४ मंडल के विभाग करके दक्षिणपूर्व तथा उत्तरपश्चिम दिशा में मंडल के चतुर्थ भाग में रत्नप्रभा पृथ्वी के बहुसमरमणीय भूभाग से ८०० योजन ऊपर जाकर इस अवकाश प्रदेश में दो सूर्य उदित होते हैं। तब दक्षिणोत्तर में जम्बूद्वीप के भाग को तिर्यक्‌ – प्रकाशित करके पूर्वपश्चिम जंबूद्वीप के दो भागों में रात्रि करता है, और जब पूर्वपश्चिम के भागों को तिर्यक्‌ करते हैं तब दक्षिण – उत्तर में रात्रि होती है। इस तरह इस जम्बूद्वीप के दक्षिण – उत्तर एवं पूर्व – पश्चिम दोनों भागों को प्रकाशित करता है, जंबूद्वीप में पूर्व – पश्चिम तथा उत्तर – दक्षिण में १२४ विभाग करके दक्षिण – पूर्व और उत्तर – पश्चिम के चतुर्थ भाग मंडल में इस रत्नप्रभा पृथ्वी के बहुसमरमणीय भूभाग से ८०० योजन ऊपर जाकर प्रभातकाल में दो सूर्य उदित होते हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] ta kaham te tirichchhagati ahitati vaejja? Tattha khalu imao attha padivattio pannattao. Tattha ege evamahamsu–ta puratthimao loyamtao pado mirichi agasamsi uttitthai, se nam imam tiriyam loyam tiriyam karei, karetta pachchatthimamsi loyamtamsi sayam miriyam agasamsi viddhamsai– ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta puratthimao loyamtao pado surie agasamsi uttitthai, se nam imam tiriyam loyam tiriyam karei, karetta pachchatthimamsi loyamtamsi sayam surie agasamsi viddhamsai– ege evamahamsu 2 Ege puna evamahamsu–ta puratthimao loyamtao pado surie agasamsi uttitthai, se nam imam tiriyam loyam tiriyam karei, karetta, pachchatthimamsi loyamtamsi sayam surie agasam anupavisai, anupavisitta ahe padiyagachchhai, padiyagachchhitta punaravi avarabhupuratthimao loyam- tao pado surie agasamsi uttitthai–ege evamahamsu 3 Ege puna evamahamsu–ta puratthimao loyamtao pao surie pudhavikayamsi uttitthai, se nam imam tiriyam loyam tiriyam karei, karetta pachchatthimillamsi loyamtamsi sayam surie pudhavikayamsi viddhamsai–ege evamahamsu 4 Ege puna evamahamsu–ta puratthimao loyamtao pao surie pudhavikayamsi uttitthai, se nam imam tiriyam loyam tiriyam karei, karetta pachchatthimamsi loyamtamsi sayam surie pudhavikayamsi anupavisai, anupavisitta ahe padiyagachchhai, padiyagachchhitta punaravi avarabhu-puratthimao loyamtao pao surie pudhavikayamsi uttitthai–ege evamahamsu 5 Ege puna evamahamsu–ta puratthimillao loyamtao pao surie aukayamsi uttitthai, se nam imam tiriyam loyam tiriyam karei, karetta pachchatthimamsi loyamtamsi pao surie aukayamsi viddhamsai– ege evamahamsu 6 Ege puna evamahamsu–ta puratthimao logamtao pao surie aukayamsi uttitthai, se nam imam tiriyam loyam tiriyam karei, karetta pachchatthimamsi loyamtamsi sayam surie aukayamsi anupavisai, anupavisitta ahe padiyagachchhai, padiyagachchhitta punaravi avarabhupuratthimao loyamtao pao surie aukayamsi uttitthai– ege evamahamsu 7 Ege puna evamahamsu– ta puratthimao loyamtao bahuim joyanaim bahuim joyanasayaim bahuim joyanasahassaim uddham duram uppaitta, ettha nam pao surie agasamsi uttitthai, se nam imam dahinaddham loyam tiriyam karei, karetta uttaraddhaloyam tameva rao, se nam imam uttaraddhaloyam tiriyam karei, karetta dahi-naddhaloyam tameva rao, se nam imaim dahinuttaraddhaloyaim tiriyam karei, karetta puratthimao loyamtao bahuim joyanaim bahuim joyanasa-yaim bahuim joyanasahassaim uddham duram uppaitta, ettha nam pao surie agasamsi uttitthai–ege evamahamsu 8. Vayam puna evam vayamo– ta jambuddivassa divassa painapadinayatae udinadahinayatae jivae mamdalam chauvvisenam saenam chhetta dahinapuratthimamsi uttarapachchatthimamsi ya chaubbhagamamdalamsi imise rayanappabhae pudhavie bahusamaramanijjao bhumibhagao attha joyanasayaim uddham uppaitta, ettha nam pao duve suriya uttitthamti. Te nam imaim dahinuttaraim jambuddivabhagaim tiriyam karemti, karetta puratthimapachchatthimaim jambuddivabhagaim tameva rao, te nam imaim puratthimapachchatthimaim jambuddivabhagaim tiriyam karemti, karetta dahinuttaraim jambuddivabhagaim tameva rao, te nam imaim dahinuttaraim puratthimapachchatthimani ya jambuddivabhagaim tiriyam karemti, karetta jambuddivassa divassa painapadinayatae udinadahinayatae jivae mamdalam chauvvisenam saenam chhetta dahinapuratthimillamsi uttarapachchatthimillamsi ya chaubhaga-mamdalamsi imise rayanappabhae pudhavie bahusamaramanijjao bhumibhagao attha joyanasayaim uddham uppaitta, ettha nam pao duve suriya agasamsi uttitthamti.
Sutra Meaning Transliteration : He bhagavan ! Surya ki tirchhi gati kaisi hai\? Isa vishaya mem atha pratipattiyam haim. (1) purvadisha ke lokanta se prabhatakala ka surya akasha mem udita hota hai vaha isa samagra jagat ko tirchha karata hai aura pashchima lokanta mem samdhya samaya mem akasha mem asta hota hai. (2) purvadisha ke lokanta se pratahkala mem surya akasha mem udita hota hai, tiryakloka ko tirchha ya prakashita karake pashchimalokanta mem shama ko asta ho jata hai. (3) purvadisha ke lokanta se prabhata samaya akasha mem jakara tiryakloka ko tiryak karata hai phira pashchima lokanta mem shama ko niche ki ora paravartita karata hai, niche akara prithvi ke dusare bhaga mem purva disha ke lokanta se pratahkala mem phira udita hota hai. (4) purvadisha ke lokanta se pratahkala mem surya prithvikaya mem udita hota hai, isa tiryakloka ko tiryak karake pashchima lokanta mem shama ko prithvikaya mem asta hota hai. (5) purva bhaga ke lokanta se pratahkala mem surya prithvikaya mem udita hota hai, vaha surya isa manushyaloka ko tiryak karake pashchima disha ke lokanta mem shama ko astachala mem pravesha karake adholokamem jata hai, phira vaham se akara purvalokanta mem pratahkalamem surya prithvikayamem udita hota hai. (6) purva dishavarti lokanta se surya apkaya mem udita hota hai, vaha surya isa manushyaloka ko tiryak karake pashchima lokanta mem apkaya mem adrishya ho jata hai. (7) purvadig lokanta se surya pratahkala mem samudra mem udita hota hai, vaha surya isa tiryakloka ko tiryak karake pashchima lokanta mem shama ko apkaya mem pravesha karata hai, vaham se adholoka mem jakara prithvi ke dusare bhaga mem purvadig lokanta mem prabhatakala mem apkaya mem udita hota hai. (8) purva disha ke lokanta se bahuta yojana – semkaro – hajarom yojana atyanta dura taka umche jakara prabhata ka surya akasha mem udita hota hai, vaha surya isa dakshinarddha ko prakashita karata hai, phira dakshinardha mem ratri hoti hai, purvadig lokanta se bahuta yojana – semkarom – hajarom yojana umche jakara pratahkala mem akasha mem udita hota hai. Bhagavamta kahate haim ki isa jambudvipa mem purva – pashchima aura uttaradakshina lambi jiva se 124 mamdala ke vibhaga karake dakshinapurva tatha uttarapashchima disha mem mamdala ke chaturtha bhaga mem ratnaprabha prithvi ke bahusamaramaniya bhubhaga se 800 yojana upara jakara isa avakasha pradesha mem do surya udita hote haim. Taba dakshinottara mem jambudvipa ke bhaga ko tiryak – prakashita karake purvapashchima jambudvipa ke do bhagom mem ratri karata hai, aura jaba purvapashchima ke bhagom ko tiryak karate haim taba dakshina – uttara mem ratri hoti hai. Isa taraha isa jambudvipa ke dakshina – uttara evam purva – pashchima donom bhagom ko prakashita karata hai, jambudvipa mem purva – pashchima tatha uttara – dakshina mem 124 vibhaga karake dakshina – purva aura uttara – pashchima ke chaturtha bhaga mamdala mem isa ratnaprabha prithvi ke bahusamaramaniya bhubhaga se 800 yojana upara jakara prabhatakala mem do surya udita hote haim.