Sutra Navigation: Suryapragnapti ( सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007034 | ||
Scripture Name( English ): | Suryapragnapti | Translated Scripture Name : | सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-३ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-३ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 34 | Category : | Upang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता केवतियं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता एगं दीवं एगं समुद्दं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति १ एगे पुण एवमाहंसु–ता तिन्नि दीवे तिन्नि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु–ता अद्धुट्ठे दीवे अद्धुट्ठे समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु–ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु–ता दस दीवे दस समुद्दे चंदि-मसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु–ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ६ एगे पुण एवमाहंसु–ता बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ७ एगे पुण एवमाहंसु–ता बावत्तरिं दीवे बावत्तरिं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जो-वेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ८ एगे पुण एवमाहंसु–ता बायालीसं दीवसतं बायालं समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ९ एगे पुण एवमाहंसु–ता बावत्तरिं दीवसतं बावत्तरिं समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु १० एगे पुण एवमाहंसु–ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु ११ एगे पुण एवमाहंसु–ता बावत्तरिं दीवसहस्सं बावत्तरिं समुद्दसहस्सं चंदिम-सूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति–एगे एवमाहंसु १२ वयं पुण एवं वयामो–ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं पन्नत्ते, से णं एगाए जगतीए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगती तहेव जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जाव एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोद्दससलिलासयसहस्सा छप्पन्नं च सलिलासहस्सा भवंतीति मक्खाता। जंबुद्दीवे णं दीवे पंचचक्कभागसंठिते आहितेति वएज्जा, ता कहं जंबुद्दीवे दीवे पंचचक्कभागसंठिते आहितेति वएज्जा? ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स तिन्नि पंचचक्कभागे ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति, तं जहा–एगेवि एगं दिवड्ढं पंचचक्कभागं ओभासति उज्जोवेति तवेति पगासेति, एगेवि एगं दिवड्ढं पंचचक्कभागं ओभासति उज्जोवेति तवेति पगासेति, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स दोन्नि चक्कभागे ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति, तं जहा– एगेवि सूरिए एगं पंचचक्कवालभागं ओभासति उज्जोवेति तवेति पगासेति, एगेवि एगं पंचचक्कवालभागं ओभासति उज्जोवेति तवेति पगासेति, तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। | ||
Sutra Meaning : | चंद्र – सूर्य कितने क्षेत्र को अवभासित – उद्योतित – तापित एवं प्रकाशीत करता है ? इस विषय में बारह प्रति – पत्तियाँ हैं। वह इस प्रकार – (१) गमन करते हुए चंद्र – सूर्य एक द्वीप और एक समुद्र को अवभासित यावत् प्रकाशित करते हैं। (२) तीन द्वीप – तीन समुद्र को अवभासित यावत् प्रकाशीत करते हैं। (३) अर्द्ध चतुर्थद्वीप – अर्द्ध चतुर्थ समुद्र को अवभासित आदि करते हैं। (४) सात द्वीप – सात समुद्रों को अवभासित आदि करते हैं। (५) दश द्वीप और दश समुद्र को अवभासित आदि करते हैं। (६) बारह द्वीप – बारह समुद्र को अवभासित आदि करते हैं। (७) बयालीस द्वीप – बयालीस समुद्र को अवभासित आदि करते हैं। (८) बहत्तर द्वीप बहत्तर समुद्र को अवभासित आदि करते हैं। (९) १४२ – १४२ द्वीप – समुद्रों को अवभासित आदि करते हैं। (१०) १७२ – १७२ द्वीप – समुद्रों को अवभासित आदि करते हैं। (११) १०४२ – १०४२ द्वीप समुद्र को अवभासित आदि करते हैं। (१२) चंद्र – सूर्य १०७२ – १०७२ द्वीप – समुद्रों को अवभासित यावत् प्रकाशीत करते हैं। भगवंत फरमाते हैं कि यह जंबूद्वीप सर्वद्वीप – समुद्रों से घीरा हुआ है। एक जगति से चारों तरफ से परिक्षिप्त हैं। इत्यादिकथन ‘‘जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति’’ सूत्रानुसार यावत् १५६००० नदियों से युक्त है, यहाँ तक कहना। यह जंबूद्वीप पाँच चक्र भागों से संस्थित है। हे भगवन् ! जंबूद्वीप पाँच चक्र भागों से किस प्रकार संस्थित है ? जब दोनों सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल से उपसंक्रमण करके गति करते हैं, तब जंबूद्वीप के तीनपंचमांश चक्र भागों को अव – भासित यावत् प्रकाशित करते हैं, एक सूर्य द्वयर्द्ध पंच चक्रवाल भाग को और दूसरा अन्य द्वयर्द्ध चक्रवाल भाग को अवभासीत यावत् प्रकाशित करता है। उस समय परम उत्कर्ष प्राप्त अट्ठारह उत्कृष्ट मुहूर्त्त का दिन और जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जब दोनों सूर्य सर्वबाह्य मंडल में उपसंक्रमण करके गति करते हैं, तब जंबूद्वीप के दो चक्रवाल भाग को अवभासित यावत् प्रकाशित करते हैं, अर्थात् एक सूर्य एक पंचम भाग को और दूसरा सूर्य दूसरे एकपंचम चक्रवाल भाग को अवभासित यावत् प्रकाशित करता है, उस समय उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta kevatiyam khettam chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti ahitati vaejja? Tattha khalu imao barasa padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta egam divam egam samuddam chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti 1 Ege puna evamahamsu–ta tinni dive tinni samudde chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 2 Ege puna evamahamsu–ta addhutthe dive addhutthe samudde chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 3 Ege puna evamahamsu–ta satta dive satta samudde chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 4 Ege puna evamahamsu–ta dasa dive dasa samudde chamdi-masuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 5 Ege puna evamahamsu–ta barasa dive barasa samudde chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 6 Ege puna evamahamsu–ta bayalisam dive bayalisam samudde chamdimasuriya ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 7 Ege puna evamahamsu–ta bavattarim dive bavattarim samudde chamdimasuriya obhasamti ujjo-vemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 8 Ege puna evamahamsu–ta bayalisam divasatam bayalam samuddasatam chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 9 Ege puna evamahamsu–ta bavattarim divasatam bavattarim samuddasatam chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 10 Ege puna evamahamsu–ta bayalisam divasahassam bayalam samuddasahassam chamdimasuriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 11 Ege puna evamahamsu–ta bavattarim divasahassam bavattarim samuddasahassam chamdima-suriya obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti–ege evamahamsu 12 Vayam puna evam vayamo–ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam pannatte, se nam egae jagatie savvao samamta samparikkhitte, sa nam jagati taheva jaha jambuddivapannattie java evameva sapuvvavarenam jambuddive dive choddasasalilasayasahassa chhappannam cha salilasahassa bhavamtiti makkhata. Jambuddive nam dive pamchachakkabhagasamthite ahiteti vaejja, ta kaham jambuddive dive pamchachakkabhagasamthite ahiteti vaejja? Ta jaya nam ete duve suriya savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charamti taya nam jambuddivassa divassa tinni pamchachakkabhage obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti, tam jaha–egevi egam divaddham pamchachakkabhagam obhasati ujjoveti taveti pagaseti, egevi egam divaddham pamchachakkabhagam obhasati ujjoveti taveti pagaseti, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Ta jaya nam ete duve suriya savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charamti taya nam jambuddivassa divassa donni chakkabhage obhasamti ujjovemti tavemti pagasemti, tam jaha– egevi surie egam pamchachakkavalabhagam obhasati ujjoveti taveti pagaseti, egevi egam pamchachakkavalabhagam obhasati ujjoveti taveti pagaseti, taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Chamdra – surya kitane kshetra ko avabhasita – udyotita – tapita evam prakashita karata hai\? Isa vishaya mem baraha prati – pattiyam haim. Vaha isa prakara – (1) gamana karate hue chamdra – surya eka dvipa aura eka samudra ko avabhasita yavat prakashita karate haim. (2) tina dvipa – tina samudra ko avabhasita yavat prakashita karate haim. (3) arddha chaturthadvipa – arddha chaturtha samudra ko avabhasita adi karate haim. (4) sata dvipa – sata samudrom ko avabhasita adi karate haim. (5) dasha dvipa aura dasha samudra ko avabhasita adi karate haim. (6) baraha dvipa – baraha samudra ko avabhasita adi karate haim. (7) bayalisa dvipa – bayalisa samudra ko avabhasita adi karate haim. (8) bahattara dvipa bahattara samudra ko avabhasita adi karate haim. (9) 142 – 142 dvipa – samudrom ko avabhasita adi karate haim. (10) 172 – 172 dvipa – samudrom ko avabhasita adi karate haim. (11) 1042 – 1042 dvipa samudra ko avabhasita adi karate haim. (12) chamdra – surya 1072 – 1072 dvipa – samudrom ko avabhasita yavat prakashita karate haim. Bhagavamta pharamate haim ki yaha jambudvipa sarvadvipa – samudrom se ghira hua hai. Eka jagati se charom tarapha se parikshipta haim. Ityadikathana ‘‘jambudvipa prajnyapti’’ sutranusara yavat 156000 nadiyom se yukta hai, yaham taka kahana. Yaha jambudvipa pamcha chakra bhagom se samsthita hai. He bhagavan ! Jambudvipa pamcha chakra bhagom se kisa prakara samsthita hai\? Jaba donom surya sarvabhyantara mamdala se upasamkramana karake gati karate haim, taba jambudvipa ke tinapamchamamsha chakra bhagom ko ava – bhasita yavat prakashita karate haim, eka surya dvayarddha pamcha chakravala bhaga ko aura dusara anya dvayarddha chakravala bhaga ko avabhasita yavat prakashita karata hai. Usa samaya parama utkarsha prapta attharaha utkrishta muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jaba donom surya sarvabahya mamdala mem upasamkramana karake gati karate haim, taba jambudvipa ke do chakravala bhaga ko avabhasita yavat prakashita karate haim, arthat eka surya eka pamchama bhaga ko aura dusara surya dusare ekapamchama chakravala bhaga ko avabhasita yavat prakashita karata hai, usa samaya utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai. |