Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1006195 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Section : | ४ थी ९ पंचविध यावत् दशविध सर्वजीव | Translated Section : | ४ थी ९ पंचविध यावत् दशविध सर्वजीव |
Sutra Number : | 395 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तत्थ णं जेते एवमाहंसु नवविधा सव्वजीवा पन्नत्ता ते एवमाहंसु, तं जहा–एगिंदिया बेंदिया तेंदिया चउरिंदिया नेरइया पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा देवा सिद्धा। एगिंदिए णं भंते! एगिंदियत्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो बेंदिए णं भंते! बेंदिएत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं। एवं तेइंदिएवि, चउरिंदिएवि। नेरइए णं भंते! नेरइएत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। पंचेंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणिएत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहत्तमब्भहियाइं। एवं मणूसेवि। देवा जहा नेरइया। सिद्धे णं भंते! सिद्धेत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! सादीए अपज्जवसिए। एगिंदियस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साइं संखेज्जवासमब्भहियाइं। बेंदियस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। एवं तेंदियस्सवि चउरिंदियस्सवि नेरइयस्सवि पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्सवि मनूसस्सवि देवस्सवि सव्वेसिमेवं अंतरं भाणियव्वं। सिद्धस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होति? गोयमा! सादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं। अप्पाबहुयं–सव्वत्थोवा मनुस्सा, नेरइया असंखेज्जगुणा, देवा असंखेज्जगुणा, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, चउरिंदिया विसेसाहिया, तेइंदिया विसेसाहिया, बेंदिया विसेसाहिया, सिद्धा अनंतगुणा, एगिंदिया अनंतगुणा। | ||
Sutra Meaning : | जो ऐसा कहते हैं कि सर्व जीव नौ प्रकार के हैं, वे इस तरह बताते हैं – एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरि – न्द्रिय, नैरयिक, पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक, मनुष्य, देव, सिद्ध। एकेन्द्रिय, एकेन्द्रिय रूप में जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल तक रहता है। द्वीन्द्रिय जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त, उत्कृष्ट संख्येयकाल तक रहता है। त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय भी इसी प्रकार कहना। नैरयिक, नैरयिक के रूपमें जघन्य १०००० वर्ष, उत्कर्ष से तेंतीस सागरोपम तक रहता है। पंचेन्द्रियतिर्यंच जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम तक रहता है। इसी प्रकार मनुष्य के लिए भी कहना। देवों का कथन नैरयिक के समान है। सिद्ध सादि – अपर्यवसित हैं। एकेन्द्रिय का अन्तर जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से संख्येय वर्ष अधिक दो हजार सागरोपम है। द्वीन्द्रिय का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, नैरयिक, पंचेन्द्रियतिर्यंच, मनुष्य और देव – सबका इतना ही अन्तर है। सिद्ध सादि – अपर्यवसित है। अल्पबहुत्व – गौतम ! सबसे थोड़े मनुष्य हैं, उनसे नैरयिक असंख्येयगुण हैं, उनसे देव असंख्येयगुण है, उनसे पंचेन्द्रिय तिर्यंच असंख्येय गुण हैं उनसे चतुरिन्द्रिय विशेषाधिक हैं, उनसे त्रीन्द्रिय विशेषाधिक हैं, उनसे द्वीन्द्रिय विशेषाधिक हैं और उनसे सिद्ध अनन्तगुण हैं और उनसे एकेन्द्रिय अनन्तगुण हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tattha nam jete evamahamsu navavidha savvajiva pannatta te evamahamsu, tam jaha–egimdiya bemdiya temdiya chaurimdiya neraiya pamchemdiyatirikkhajoniya manusa deva siddha. Egimdie nam bhamte! Egimdiyatti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo Bemdie nam bhamte! Bemdietti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjam kalam. Evam teimdievi, chaurimdievi. Neraie nam bhamte! Neraietti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam dasa vasasahassaim, ukkosenam tettisam sagarovamaim. Pamchemdiyatirikkhajonie nam bhamte! Pamchemdiyatirikkhajonietti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim puvvakodipuhattamabbhahiyaim. Evam manusevi. Deva jaha neraiya. Siddhe nam bhamte! Siddhetti kalao kevachiram hoti? Goyama! Sadie apajjavasie. Egimdiyassa nam bhamte! Amtaram kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam do sagarovamasahassaim samkhejjavasamabbhahiyaim. Bemdiyassa nam bhamte! Amtaram kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Evam temdiyassavi chaurimdiyassavi neraiyassavi pamchemdiyatirikkhajoniyassavi manusassavi devassavi savvesimevam amtaram bhaniyavvam. Siddhassa nam bhamte! Amtaram kalao kevachiram hoti? Goyama! Sadiyassa apajjavasiyassa natthi amtaram. Appabahuyam–savvatthova manussa, neraiya asamkhejjaguna, deva asamkhejjaguna, pamchemdiyatirikkhajoniya asamkhejjaguna, chaurimdiya visesahiya, teimdiya visesahiya, bemdiya visesahiya, siddha anamtaguna, egimdiya anamtaguna. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo aisa kahate haim ki sarva jiva nau prakara ke haim, ve isa taraha batate haim – ekendriya, dvindriya, trindriya, chaturi – ndriya, nairayika, pamchendriyatiryagyonika, manushya, deva, siddha. Ekendriya, ekendriya rupa mem jaghanya se antarmuhurtta aura utkrishta vanaspatikala taka rahata hai. Dvindriya jaghanya antarmuhurtta, utkrishta samkhyeyakala taka rahata hai. Trindriya aura chaturindriya bhi isi prakara kahana. Nairayika, nairayika ke rupamem jaghanya 10000 varsha, utkarsha se temtisa sagaropama taka rahata hai. Pamchendriyatiryamcha jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta purvakotiprithaktva adhika tina palyopama taka rahata hai. Isi prakara manushya ke lie bhi kahana. Devom ka kathana nairayika ke samana hai. Siddha sadi – aparyavasita haim. Ekendriya ka antara jaghanya se antarmuhurtta aura utkarsha se samkhyeya varsha adhika do hajara sagaropama hai. Dvindriya ka antara jaghanya antarmuhurtta aura utkarsha se vanaspatikala hai. Isi prakara trindriya, chaturindriya, nairayika, pamchendriyatiryamcha, manushya aura deva – sabaka itana hi antara hai. Siddha sadi – aparyavasita hai. Alpabahutva – gautama ! Sabase thore manushya haim, unase nairayika asamkhyeyaguna haim, unase deva asamkhyeyaguna hai, unase pamchendriya tiryamcha asamkhyeya guna haim unase chaturindriya visheshadhika haim, unase trindriya visheshadhika haim, unase dvindriya visheshadhika haim aura unase siddha anantaguna haim aura unase ekendriya anantaguna haim. |