Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006194 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Section : | ४ थी ९ पंचविध यावत् दशविध सर्वजीव | Translated Section : | ४ थी ९ पंचविध यावत् दशविध सर्वजीव |
Sutra Number : | 394 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अहवा अट्ठविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–नेरइया, तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ मनुस्सा मनुस्सीओ देवा देवीओ सिद्धा। नेरइए णं भंते! नेरइयत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। तिरिक्खजोणिए णं भंते! तिरिक्खजोणिएत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। तिरिक्खजोणिणी णं भंते! तिरिक्खजोणिणीत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहत्तमब्भहियाइं। एवं मणूसे मणूसी। देवे जहा नेरइए। देवी णं भंते! देवीत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओवमाइं। सिद्धे णं भंते! सिद्धेत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! सादीए अपज्जवसिए। नेरइयस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। तिरिक्खजोणियस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहत्तं सातिरेगं। तिरिक्खजोणिणी णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। एवं मनुस्सस्सवि मणुस्सीएवि, देवस्सवि देवीएवि। सिद्धस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होति? गोयमा! सादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं। अप्पाबहुयं–सव्वत्थोवा मनुस्सीओ, मनुस्सा असंखेज्जगुणा, नेरइया असंखेज्जगुणा, तिरिक्खजोणिओ असंखेज्जगुणाओ, देवा असंखेज्जगुणा, देवीओ संखेज्जगुणाओ, सिद्धा अनंतगुणा, तिरिक्खजोणिया अनंतगुणा। सेत्तं अट्ठविहा सव्वजीवा पन्नत्ता। | ||
Sutra Meaning : | अथवा सब जीव आठ प्रकार के कहे गये हैं, जैसे कि – नैरयिक, तिर्यग्योनिक, तिर्यग्योनिकी, मनुष्य, मनुष्यनी, देव, देवी और सिद्ध। नैरयिक, नैरयिक रूप में गौतम ! जघन्य से दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट तेंतीस सागरोपम तक रहता है। तिर्यग्योनिक जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से अनन्तकाल तक रहता है। तिर्यग्योनिकी जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से पूर्वकोटि पृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम तक रहती है। इसी तरह मनुष्य और मानुषी स्त्री में भी जानना। देवों का कथन नैरयिक समान है। देवी जघन्य से १०००० वर्ष, उत्कर्ष से ५५ पल्योपम तक रहती है। सिद्ध सादि – अपर्यवसित हैं। नैरयिक का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त, उत्कर्ष वनस्पतिकाल है। तिर्यग्योनिक का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से साधिक सागरोपम शतपृथक्त्व है। तिर्यग्योनिकी का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। इसी प्रकार मनुष्य, मानुषीस्त्री, देव और देवी का भी अन्तर कहना। सिद्ध सादि – अपर्यवसित है। अल्पबहुत्व – गौतम ! सबसे थोड़ी मनुष्यस्त्रियाँ, उनसे मनुष्य असंख्येयगुण, उनसे नैरयिक असंख्येयगुण, उनसे तिर्यग्योनिक स्त्रियाँ असंख्यातगुणी, उनसे देव संख्येयगुण, उनसे देवियाँ संख्येयगुण, उनसे सिद्ध अनन्तगुण, उनसे तिर्यग्योनिक अनन्तगुण हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ahava atthaviha savvajiva pannatta, tam jaha–neraiya, tirikkhajoniya tirikkhajoninio manussa manussio deva devio siddha. Neraie nam bhamte! Neraiyatti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam dasa vasasahassaim, ukkosenam tettisam sagarovamaim. Tirikkhajonie nam bhamte! Tirikkhajonietti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Tirikkhajonini nam bhamte! Tirikkhajoninitti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam tinni paliovamaim puvvakodipuhattamabbhahiyaim. Evam manuse manusi. Deve jaha neraie. Devi nam bhamte! Devitti kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam dasa vasasahassaim, ukkosenam panapannam paliovamaim. Siddhe nam bhamte! Siddhetti kalao kevachiram hoti? Goyama! Sadie apajjavasie. Neraiyassa nam bhamte! Amtaram kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Tirikkhajoniyassa nam bhamte! Amtaram kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam sagarovamasatapuhattam satiregam. Tirikkhajonini nam bhamte! Amtaram kalao kevachiram hoti? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Evam manussassavi manussievi, devassavi devievi. Siddhassa nam bhamte! Amtaram kalao kevachiram hoti? Goyama! Sadiyassa apajjavasiyassa natthi amtaram. Appabahuyam–savvatthova manussio, manussa asamkhejjaguna, neraiya asamkhejjaguna, tirikkhajonio asamkhejjagunao, deva asamkhejjaguna, devio samkhejjagunao, siddha anamtaguna, tirikkhajoniya anamtaguna. Settam atthaviha savvajiva pannatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Athava saba jiva atha prakara ke kahe gaye haim, jaise ki – nairayika, tiryagyonika, tiryagyoniki, manushya, manushyani, deva, devi aura siddha. Nairayika, nairayika rupa mem gautama ! Jaghanya se dasa hajara varsha aura utkrishta temtisa sagaropama taka rahata hai. Tiryagyonika jaghanya antarmuhurtta aura utkarsha se anantakala taka rahata hai. Tiryagyoniki jaghanya antarmuhurtta aura utkarsha se purvakoti prithaktva adhika tina palyopama taka rahati hai. Isi taraha manushya aura manushi stri mem bhi janana. Devom ka kathana nairayika samana hai. Devi jaghanya se 10000 varsha, utkarsha se 55 palyopama taka rahati hai. Siddha sadi – aparyavasita haim. Nairayika ka antara jaghanya antarmuhurtta, utkarsha vanaspatikala hai. Tiryagyonika ka antara jaghanya antarmuhurtta aura utkarsha se sadhika sagaropama shataprithaktva hai. Tiryagyoniki ka antara jaghanya antarmuhurtta aura utkarsha se vanaspatikala hai. Isi prakara manushya, manushistri, deva aura devi ka bhi antara kahana. Siddha sadi – aparyavasita hai. Alpabahutva – gautama ! Sabase thori manushyastriyam, unase manushya asamkhyeyaguna, unase nairayika asamkhyeyaguna, unase tiryagyonika striyam asamkhyataguni, unase deva samkhyeyaguna, unase deviyam samkhyeyaguna, unase siddha anantaguna, unase tiryagyonika anantaguna haim. |