Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005967 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
चतुर्विध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | द्वीप समुद्र | Translated Section : | द्वीप समुद्र |
Sutra Number : | 167 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजये नामं दारे पन्नत्ते? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं अबाधाए जंबुद्दीवे दीवे पुरच्छिमपेरंते लवणसमुद्द-पुरच्छिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीताए महानदीए उप्पिं, एत्थ णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजये नामं दारे पन्नत्ते–अट्ठ जोयणाइं उढ्ढं उच्चत्तेणं, चत्तारि जोयणाइं विक्खंभेणं, तावतियं चेव पवेसेणं, ... ...सेए वरकनगथूभियागे ईहामिय उसभ तुरग नर मगर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर वनलय पउमलयभत्तिचित्ते खंभुग्गतवइरवेदियापरिगताभिरामे विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्ते इव अच्चीसहस्समालिणीए रूवगसहस्सकलिए भिसमाणे भिब्भिसमाणे चक्खुल्लोयणलेसे सुह-फासे सस्सिरीयरूवे। वण्णो दारस्स तस्सिमो होइ तं जहा– वइरामया नेमा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया खंभा जायरूवोवचियपवरपंचवण्णम-निरयणकोट्टिमतले हंसगब्भमए एलुए गोमेज्जमए इंदखीले लोहितक्खमईओ दारचेडाओ जोतिरसामए उत्तरंगे वेरुलियामया कवाडा लोहित-क्खमईओ सूईओ वइरामया संधी नानामणिमया समुग्गगा वइरामया अग्गला अग्गलपासाया वइरामई आवत्तणपेढिया अंकुत्तरपासए निरंतरित-घनकवाडे भित्तीसु चेव भित्तिगुलिया छप्पन्ना तिन्नि होंति गोमानसिया तत्तिया नानामणि-रयणवालरूवगलीलट्ठियसालभंजिया वइरामए कूडे रययामए उस्सेहे सव्वतवणिज्जमए उल्लोए नानामणिरयणलाजपंजर मणिवंसग लोहितक्खपडिवंसगरयतभोमे अंकामया पक्खा पक्खबाहाओ जोतिरसामया वंसा वंसकवेल्लुयाओ य रययामईओ पट्टियाओ जायरूवमईओ ओहाऽडणीओ वइरामईओ उवरिपुंछणीओ सव्वसेतरययामए छादणे अंकमयकनगकूडतवणिज्ज-थूभियाए सेते संखतलविमलणिम्मलदधिघणगोखीरफेणरययणिगरप्पगासे तिलगरयणद्धचंदचित्ते नानामणिमय-दामालंकिए अंतो बहिं च सण्हे तवणिज्जवालुयापत्थडे सुहफासे सस्सिरीयरूवे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ निसीहियाए दोदो वंदनकलसपरिवाडीओ पन्नत्ताओ। ते णं वंदनकलसा वरकमलपइट्ठाणा सुरभिवरवारिपडिपुण्णा चंदनकयचच्चागा आविद्ध-कंठेगुणा पउमुप्पलपिहाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महतामहता महिंदकुंभसमाणा पन्नत्ता समणाउसो। विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ निसीहिआए दो दो नागदंतपरिवाडीओ। ते णं नागदंतगा मुत्ताजालंतरुसिय-हेमजालग-वक्खजाल-खिंखिणीघंटाजाल-परिक्खित्ता अब्भुग्गता अभिनिसिट्ठा तिरियं सुसंपग्गहिता अहेपण्णगद्धरूवा पण्णगद्धसंठाणसंठिता सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा महतामहता गयदंतसमाणा पन्नत्ता समणाउसो! तेसु णं नागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तबद्धा वग्घारितमल्लदामकलावा जाव सुक्किलसुत्तबद्धा वग्घारियमल्लदामकलावा। ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा सुवण्णपतरगमंडिता नानामणिरयणविविधहारद्धहार-उवसोभितसमुदया जाव सिरीए अतीवअतीव उवसोभेमाणाउवसोभेमाणा चिट्ठंति। तेसि णं नागदंतगाणं उवरिं अन्नाओ दो दो नागदंतपरिवाडीओ पन्नत्ताओ। ते णं नागदंतगा मुत्ताजालंतरुसियं हेमजालगवक्खजालखिंखिणीघंटाजालपरिक्खित्ता अब्भुग्गता अभिनिसिट्ठा तिरियं सुसंपग्गहित्ता अहेपण्णगद्धरूवा पन्नगद्धसंठाणसंठिता सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा महतामहता गयदंतसमाणा पन्नत्ता समणाउसो! तेसु णं नागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कया पन्नत्ता। तेसु णं रययामएसु सिक्कएसु बहवे वेरुलियामईओ धूवघडीओ पन्नत्ताओ। ताओ णं धूवघडीओ कालागरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधुव-मघमघेंतगंधुद्धुयाभिरामाओ सुगंधवरगंधगंधियाओ गंधवट्टिभूयाओ ओरालेणं मणुन्नेणं मनहरेणं घाणमननिव्वुइकरेणं गंधेणं ते पएसे सव्वतो समंता आपूरेमाणीओआपूरेमाणीओ सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणीओ-उवसोभेमाणीओ चिट्ठंति। विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ णिसीधियाए दो दो सालभंजियापरिवाडीओ पन्नत्ताओ। ताओ णं सालभंजियाओ लीलट्ठिताओ सुपइट्ठियाओ सुअलंकिताओ नानाविह-रागवसणाओ नानामल्लपिणद्धाओ मुट्ठीगेज्झसुमज्झाओ आमेलगजमलजुयलवट्टियअब्भुन्नय-पीणरचियसंठियपओहराओ रत्तावंगाओ असियकेसीओ मिदुविसयपसत्थलक्खण संवेल्लितग्ग-सिरयाओ ईसिं असोगवरपादवसमुट्ठिताओ वामहत्थगहितग्गसालाओ ईसिं अद्धच्छिकडक्ख-चेट्ठिएहिं लूसेमाणीओ विव, चक्खुल्लोयणलेसेहिं अन्नमन्नं खिज्जमाणीओ इव, पुढविपरिणामाओ सासयभावमुवगताओ चंदाननाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमनिडालाओ चंदाहियसोमदंसणाओ उक्का विव उज्जोएमाणीओ विज्जुघनमिरियसूरदिप्पंततेयअहिययरसंनिकासाओ सिंगारागार-चारुवेसाओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ तेयसा अतीव-अतीव उवसोभेमाणीओ-उवसोभेमाणीओ चिट्ठंति। विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहतो निसीहियाए दोदो जालकडगा पन्नत्ता। ते णं जालकडगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ निसीघियाए दोदो घंटाओ पन्नत्ताओ। तासि णं घंटाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा– जंबूणयामईओ घंटाओ वइरामईओ लालाओ नानामणिमया घंटापासा तवणिज्जमईओ संकलाओ रययामईओ रज्जूओ। ताओ णं घंटाओ ओहस्सराओ मेहस्सराओ हंसस्सराओ कोंचस्सराओ सीहस्सराओ दुंदुहिस्सराओ नंदिस्सराओ णंदिघोसाओ मंजुस्सराओ मंजुघोसाओ सुस्सुराओ सुस्सरघोसाओ ओरालेणं मणुन्नेणं मनहरेणं कण्णमननिव्वुइकरेण सद्देण ते पदेसे सव्वतो समंता आपूरेमाणीओआपूरेमाणीओ सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणीओ-उवसोभेमाणीओ चिट्ठंति। विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ निसीधियाए दोदो वणमालाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं वनमालाओ नानादुमलयकिसलयपल्लवसमाउलाओ छप्पयपरिभुज्जमाणसोभंतसस्सिरीयाओ पासाईयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। पासाइयाओ ते पदेसे ओराले जाव गंधेणं आपूरेमाणीओ जाव चिट्ठंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जम्बूद्वीप का विजयद्वार कहाँ है ? गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मेरुपर्वत के पूर्व में पैंतालीस हजार योजन आगे जाने पर तथा जंबूद्वीप के पूर्वान्त में तथा लवणसमुद्र के पूर्वार्ध के पश्चिम भाग में सीता महानदी के ऊपर जंबूद्वीप का विजयद्वार है। यह द्वार आठ योजन का ऊंचा, चार योजन का चौड़ा और इतना ही इसका प्रवेश है। यह द्वार श्वेतवर्ण का है, इसका शिखर श्रेष्ठ सोने का है। इस द्वार पर ईहामृग, वृषभ, घोड़ा, मनुष्य, मगर, पक्षी, सर्प, किन्नर, रुरु, सरभ, चमर, हाथी, वनलता और पद्मलता के विविध चित्र हैं। इसके खंभों पर वज्र – वेदिकाओं होने के कारण यह बहुत ही आकर्षक है। यह द्वार इतने अधिक प्रभासमुदाय से युक्त है कि यह स्वभाव से नहीं किन्तु विशिष्ट विद्याशक्ति के धारक समश्रेणी के विद्याधरों के युगलों के यंत्रप्रभाव से इतना प्रभासित हो रहा है। यह द्वार हजारों रूपकों से युक्त है। यह दीप्तिमान है, विशेष दीप्तिमान है, देखनेवालों के नेत्र इसी पर टिक जाते हैं। इस द्वार का स्पर्श बहुत ही शुभ है। इसका रूप बहुत ही शोभायुक्त लगता है। यह द्वार प्रासादीय, दर्शनीय, सुन्दर है और बहुत ही मनोहर है। इसकी नींव वज्रमय है। पाये रिष्टरत्न के बने हैं। स्तंभ वैडूर्यरत्न के हैं। बद्धभूमितल स्वर्ण से उपचित और प्रधान पाँच वर्णों की मणियों और रत्नों से जटित है। देहली हंसगर्भ रत्न की है। गोमेयक रत्न का इन्द्रकील है और लोहिताक्ष रत्नों की द्वारशाखाएं हैं। इसका उत्तरंग ज्योतिरस रत्न का है। किवाड वैडूर्यमणि के हैं, कीलें लोहिताक्षरत्न की हैं, वज्रमय संधियाँ हैं, इनके समुद्गक नाना मणियों के हैं, अर्गला वज्ररत्नों की है। आवर्तन – पीठिका वज्ररत्न की है। किवाड़ों का भीतरी भाग अंकरत्न का है। दोनों किवाड़ अन्तररहित और सघन हैं। उस द्वार के दोनों तरफ की भित्तियों में १६८ भित्तिगुलिका हैं और उतनी ही गोमानसी हैं। इस द्वार पर नाना मणिरत्नों के व्याल – सर्पों के चित्र बने हैं तथा लीला करती हुई पुत्तलियाँ भी नाना मणिरत्नों की बनी हुई हैं। इस द्वार का माडभाग वज्ररत्नमय है और उस माडभाग का शिखर चाँदी का है। द्वार की छत के नीचे का भाग तपनीय स्वर्ण का है। झरोखे मणिमय बांसवाले और लोहिताक्षमय प्रतिबांस वाले तथा रजतमय भूमिवाले हैं। पक्ष और पक्षबाह अंकरत्न के हैं। ज्योतिसरत्न के बांस और बांसकवेलु हैं, रजतमयी पट्टिकाएं हैं, जातरूप स्वर्ण की ओहाडणी हैं, वज्ररत्नमय ऊपर की पुंछणी हैं और सर्वश्वेत रजतमय आच्छादन हैं। बाहुल्य से अंकरत्नमय, कनकमय कूट तथा स्वर्णमय स्तूपिकावाला वह विजयद्वार है। उस द्वार की सफेदी शंखतल, विमल जमे हुए दहीं, गाय के दूध, फेन और चाँदी के समुदाय के समान है, तिलकरत्नों और अर्धचन्द्रों से वह नानारूप वाला है, नाना प्रकार की मणियों की माला से वह अलंकृत है, अन्दर और बाहर से कोमल – मृदु पुद्गलस्कंधों से बना हुआ है, तपनीय (स्वर्ण) की रेत का जिसमें प्रस्तर – प्रस्तार है ऐसा वह विजयद्वार सुखद और शुभस्पर्श वाला, सश्रीक रूप वाला, प्रासादीय, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप है। उस विजयद्वार के दोनों तरफ दो नैषेधिकाएं हैं, उन दो नैषेधिकाओं में दो – दो चन्दन के कलशों की पंक्तियाँ हैं। वे कलश श्रेष्ठ कमलों पर प्रतिष्ठित हैं, सुगन्धित और श्रेष्ठ जल से भरे हुए हैं, उन पर चन्दन का लेप किया हुआ है, उनके कंठों में मौली बंधी हुई है, पद्मकमलों का ढक्कन है, वे सर्वरत्नों के बने हुए हैं, स्वच्छ हैं, श्लक्ष्ण हैं यावत् बहुत सुन्दर हैं। वे कलश बड़े – बड़े महेन्द्रकुम्भ समान हैं। उस विजयद्वार के दोनों तरफ दो नैषेधिकाओं में दो – दो नागदन्तों की पंक्तियाँ हैं। वे मुक्ताजालों के अन्दर लटकती हुई स्वर्ण की मालाओं और गवाक्ष की आकृति की रत्नमालाओं और छोटी – छोटी घण्टिकाओं से युक्त हैं, आगे के भाग में ये कुछ ऊंची, ऊपर के भाग में आगे नीकली हुई और अच्छी तरह ठुकी हुई है, सर्प के नीचले आधे भाग की तरह उनका रूप है सर्वथा वज्ररत्नमय हैं, स्वच्छ हैं, मृदु हैं, यावत् प्रतिरूप हैं। वे नागदन्तक बड़े बड़े गजदन्त के समान हैं। उन नागदन्तकों में बहुत सी काले डोरे में, बहुत सी नीले डोरे में, यावत् शुक्ल वर्ण के डोरे में पिरोयी हुई पुष्पमालाएं लटक रही हैं। उन मालाओं में सुवर्ण का लंबूसक है, आजूबाजू ये स्वर्ण के प्रतरक से मण्डित हैं, नाना प्रकार के मणि रत्नों के विविध हार और अर्धहारों से वे मालाओं के समुदाय सुशोभित हैं यावत् वे श्री से अतीव अतीव सुशोभित हो रही हैं। उन नागदंतकों के ऊपर अन्य दो और नागदंतकों की पंक्तियाँ हैं। वे मुक्ताजालों के अन्दर लटकती हुई स्वर्ण की मालाओं और गवाक्ष की आकृति की रत्नमालाओं और छोटी छोटी घण्टिकाओं से युक्त हैं यावत् वे बड़े बड़े गजदन्त के समान हैं। उन नागदन्तकों में बहुत से रजतमय छींके कहे गये हैं। उन में वैडूर्यरत्न की धूपघटिकाएं हैं। वे काले अगर, श्रेष्ठ चीड और लोभान के धूप की मघमघाती सुगन्ध के फैलाव से मनोरम हैं, शोभन गंध वाली है, वे सुगन्ध की गुटिका जैसी प्रतीत होती हैं। वे अपनी उदार, मनोज्ञ और नाक एवं मन को तृप्ति देने वाली सुगंध से आसपास के प्रदेशों को व्याप्त करती हुई अतीव सुशोभित हो रही हैं। उस विजयद्वार के दोनों ओर नैषेधिकाओं में दो दो सालभंजिका की पंक्तियाँ हैं। वे पुतलियाँ लीला करती हुई चित्रित हैं, सुप्रतिष्ठित हैं, ये सुन्दर वेशभूषा से अलंकृत हैं, ये रंगबिरंगे कपड़ों से सज्जित हैं, अनेक मालाएं उन्हें पहनायी गई हैं, उनकी कमर इतनी पतली है कि मुट्ठी में आ सकती है। पयोधर समश्रेणिक चुचुकयुगल से युक्त हैं, कठिन, गोलाकार हैं, ये सामने की ओर उठे हुए हैं, पुष्ट हैं अतएव रति – उत्पादक हैं। इन पुतलियों के नेत्रों के कोने लाल हैं, उनके बाल काले हैं तथा कोमल हैं, विशद – स्वच्छ हैं, प्रशस्त लक्षणवाले हैं और उनका अग्रभाग मुकुट से आवृत है। अशोकवृक्ष का कुछ सहारा लिये हुए खड़ी हैं। वामहस्त से इन्होंने अशोक वृक्ष की शाखा के अग्रभाग को पकड़ रखा है। ये अपने तीरछे कटाक्षों से दर्शकों के मन को मानो चुरा रही हैं। परस्पर के तीरछे अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि मानो ये एक दूसरी को खिन्न कर रही हों। पृथ्वीकाय का परिणामरूप हैं और शाश्वत भाव को प्राप्त हैं। मुख चन्द्रमा जैसा है। आधे चन्द्र की तरह उनका ललाट है, उनका दर्शन चन्द्रमा से भी अधिक सौम्य है, उल्का के समान ये चमकीली हैं, इनका प्रकाश बीजली की प्रगाढ़ किरणों और अनावृत सूर्य के तेज से भी अधिक है। उनकी आकृति शृंगार – प्रधान है और उनकी वेशभूषा बहुत ही सुहावनी है। ये प्रासादीया, दर्शनीया, अभिरूपा और प्रतिरूपा हैं। ये अपने तेज से अतीव अतीव सुशोभित हो रही हैं। उस विजयद्वार के दोनों तरफ दो नैषेधिकाओं में दो दो जालकटक हैं, ये सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ हैं यावत् प्रतिरूप हैं। उस विजयद्वार के दोनों तरफ दो नैषेधिकाओं में दो घंटाओं की पंक्तियाँ हैं। वे सोने की बनी हुई हैं, वज्ररत्न की उनकी लालाएं हैं, अनेक मणियों से बने हुए घंटाओं के पार्श्वभाग हैं, तपे हुए सोने की उनकी सांकलें हैं, घंटा बजाने के लिए खींची जाने वाली रज्जु चाँदी की है। इन घंटाओं का स्वर ओघस्वर है। मेघ के समान गंभीर है, हंस स्वर है, क्रोंच स्वर है, नन्दिस्वर है, नन्दिघोष है, सिंहस्वर है। मंजुस्वर है, मंजुघोष। उन घंटाओं का स्वर अत्यन्त श्रेष्ठ है, स्वर और निर्घोष अत्यन्त सुहावना है। वे घंटाएं अपने उदार, मनोज्ञ एवं कान और मन को तृप्त करने वाले शब्द से आसपास के प्रदेशों को व्याप्त करती हुई अति विशिष्ट शोभा से सम्पन्न हैं। उस विजयद्वार की दोनों ओर नैषेधिकाओं में दो दो वनमालाओं की कतार है। ये वनमालाएं अनेक वृक्षों और लताओं के किसलयरूप पल्लवों से युक्त हैं और भ्रमरों द्वारा भुज्यमान कमलों से सुशोभित और सश्रीक हैं। ये वनमालाएं प्रासादीय, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप हैं तथा अपनी उदार, मनोज्ञ और नाक तथा मन को तृप्ति देनेवाली गंध से आसपास के प्रदेश को व्याप्त करती हुई अतीव अतीव शोभित होती हुई स्थित है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Jambuddivassa divassa vijaye namam dare pannatte? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa puratthimenam panayalisam joyanasahassaim abadhae jambuddive dive purachchhimaperamte lavanasamudda-purachchhimaddhassa pachchatthimenam sitae mahanadie uppim, ettha nam jambuddivassa divassa vijaye namam dare pannatte–attha joyanaim udhdham uchchattenam, chattari joyanaim vikkhambhenam, tavatiyam cheva pavesenam,.. ..See varakanagathubhiyage ihamiya usabha turaga nara magara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara vanalaya paumalayabhattichitte khambhuggatavairavediyaparigatabhirame vijjaharajamalajuyalajamtajutte iva achchisahassamalinie ruvagasahassakalie bhisamane bhibbhisamane chakkhulloyanalese suha-phase sassiriyaruve. Vanno darassa tassimo hoi tam jaha– Vairamaya nema ritthamaya patitthana veruliyamaya khambha jayaruvovachiyapavarapamchavannama-nirayanakottimatale hamsagabbhamae elue gomejjamae imdakhile lohitakkhamaio darachedao jotirasamae uttaramge veruliyamaya kavada lohita-kkhamaio suio vairamaya samdhi nanamanimaya samuggaga vairamaya aggala aggalapasaya vairamai avattanapedhiya amkuttarapasae niramtarita-ghanakavade bhittisu cheva bhittiguliya chhappanna tinni homti gomanasiya tattiya nanamani-rayanavalaruvagalilatthiyasalabhamjiya vairamae kude rayayamae ussehe savvatavanijjamae ulloe nanamanirayanalajapamjara manivamsaga lohitakkhapadivamsagarayatabhome amkamaya pakkha pakkhabahao jotirasamaya vamsa vamsakavelluyao ya rayayamaio pattiyao jayaruvamaio ohadanio vairamaio uvaripumchhanio savvasetarayayamae chhadane amkamayakanagakudatavanijja-thubhiyae sete samkhatalavimalanimmaladadhighanagokhiraphenarayayanigarappagase tilagarayanaddhachamdachitte nanamanimaya-damalamkie amto bahim cha sanhe tavanijjavaluyapatthade suhaphase sassiriyaruve pasadie darisanijje abhiruve padiruve. Vijayassa nam darassa ubhao pasim duhao nisihiyae dodo vamdanakalasaparivadio pannattao. Te nam vamdanakalasa varakamalapaitthana surabhivaravaripadipunna chamdanakayachachchaga aviddha-kamtheguna paumuppalapihana savvarayanamaya achchha java padiruva mahatamahata mahimdakumbhasamana pannatta samanauso. Vijayassa nam darassa ubhao pasim duhao nisihiae do do nagadamtaparivadio. Te nam nagadamtaga muttajalamtarusiya-hemajalaga-vakkhajala-khimkhinighamtajala-parikkhitta abbhuggata abhinisittha tiriyam susampaggahita ahepannagaddharuva pannagaddhasamthanasamthita savvavairamaya achchha java padiruva mahatamahata gayadamtasamana pannatta samanauso! Tesu nam nagadamtaesu bahave kinhasuttabaddha vaggharitamalladamakalava java sukkilasuttabaddha vagghariyamalladamakalava. Te nam dama tavanijjalambusaga suvannapataragamamdita nanamanirayanavividhaharaddhahara-uvasobhitasamudaya java sirie ativaativa uvasobhemanauvasobhemana chitthamti. Tesi nam nagadamtaganam uvarim annao do do nagadamtaparivadio pannattao. Te nam nagadamtaga muttajalamtarusiyam hemajalagavakkhajalakhimkhinighamtajalaparikkhitta abbhuggata abhinisittha tiriyam susampaggahitta ahepannagaddharuva pannagaddhasamthanasamthita savvavairamaya achchha java padiruva mahatamahata gayadamtasamana pannatta samanauso! Tesu nam nagadamtaesu bahave rayayamaya sikkaya pannatta. Tesu nam rayayamaesu sikkaesu bahave veruliyamaio dhuvaghadio pannattao. Tao nam dhuvaghadio kalagarupavarakumdurukkaturukkadhuva-maghamaghemtagamdhuddhuyabhiramao sugamdhavaragamdhagamdhiyao gamdhavattibhuyao oralenam manunnenam manaharenam ghanamananivvuikarenam gamdhenam te paese savvato samamta apuremanioapuremanio sirie ativa-ativa uvasobhemanio-uvasobhemanio chitthamti. Vijayassa nam darassa ubhao pasim duhao nisidhiyae do do salabhamjiyaparivadio pannattao. Tao nam salabhamjiyao lilatthitao supaitthiyao sualamkitao nanaviha-ragavasanao nanamallapinaddhao mutthigejjhasumajjhao amelagajamalajuyalavattiyaabbhunnaya-pinarachiyasamthiyapaoharao rattavamgao asiyakesio miduvisayapasatthalakkhana samvellitagga-sirayao isim asogavarapadavasamutthitao vamahatthagahitaggasalao isim addhachchhikadakkha-chetthiehim lusemanio viva, chakkhulloyanalesehim annamannam khijjamanio iva, pudhaviparinamao sasayabhavamuvagatao chamdananao chamdavilasinio chamdaddhasamanidalao chamdahiyasomadamsanao ukka viva ujjoemanio vijjughanamiriyasuradippamtateyaahiyayarasamnikasao simgaragara-charuvesao pasadiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao teyasa ativa-ativa uvasobhemanio-uvasobhemanio chitthamti. Vijayassa nam darassa ubhao pasim duhato nisihiyae dodo jalakadaga pannatta. Te nam jalakadaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Vijayassa nam darassa ubhao pasim duhao nisighiyae dodo ghamtao pannattao. Tasi nam ghamtanam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha– Jambunayamaio ghamtao vairamaio lalao nanamanimaya ghamtapasa tavanijjamaio samkalao rayayamaio rajjuo. Tao nam ghamtao ohassarao mehassarao hamsassarao komchassarao sihassarao dumduhissarao namdissarao namdighosao mamjussarao mamjughosao sussurao sussaraghosao oralenam manunnenam manaharenam kannamananivvuikarena saddena te padese savvato samamta apuremanioapuremanio sirie ativa-ativa uvasobhemanio-uvasobhemanio chitthamti. Vijayassa nam darassa ubhao pasim duhao nisidhiyae dodo vanamalao pannattao. Tao nam vanamalao nanadumalayakisalayapallavasamaulao chhappayaparibhujjamanasobhamtasassiriyao pasaiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao. Pasaiyao te padese orale java gamdhenam apuremanio java chitthamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jambudvipa ka vijayadvara kaham hai\? Gautama ! Jambudvipa namaka dvipa mem meruparvata ke purva mem paimtalisa hajara yojana age jane para tatha jambudvipa ke purvanta mem tatha lavanasamudra ke purvardha ke pashchima bhaga mem sita mahanadi ke upara jambudvipa ka vijayadvara hai. Yaha dvara atha yojana ka umcha, chara yojana ka chaura aura itana hi isaka pravesha hai. Yaha dvara shvetavarna ka hai, isaka shikhara shreshtha sone ka hai. Isa dvara para ihamriga, vrishabha, ghora, manushya, magara, pakshi, sarpa, kinnara, ruru, sarabha, chamara, hathi, vanalata aura padmalata ke vividha chitra haim. Isake khambhom para vajra – vedikaom hone ke karana yaha bahuta hi akarshaka hai. Yaha dvara itane adhika prabhasamudaya se yukta hai ki yaha svabhava se nahim kintu vishishta vidyashakti ke dharaka samashreni ke vidyadharom ke yugalom ke yamtraprabhava se itana prabhasita ho raha hai. Yaha dvara hajarom rupakom se yukta hai. Yaha diptimana hai, vishesha diptimana hai, dekhanevalom ke netra isi para tika jate haim. Isa dvara ka sparsha bahuta hi shubha hai. Isaka rupa bahuta hi shobhayukta lagata hai. Yaha dvara prasadiya, darshaniya, sundara hai aura bahuta hi manohara hai. Isaki nimva vajramaya hai. Paye rishtaratna ke bane haim. Stambha vaiduryaratna ke haim. Baddhabhumitala svarna se upachita aura pradhana pamcha varnom ki maniyom aura ratnom se jatita hai. Dehali hamsagarbha ratna ki hai. Gomeyaka ratna ka indrakila hai aura lohitaksha ratnom ki dvarashakhaem haim. Isaka uttaramga jyotirasa ratna ka hai. Kivada vaiduryamani ke haim, kilem lohitaksharatna ki haim, vajramaya samdhiyam haim, inake samudgaka nana maniyom ke haim, argala vajraratnom ki hai. Avartana – pithika vajraratna ki hai. Kivarom ka bhitari bhaga amkaratna ka hai. Donom kivara antararahita aura saghana haim. Usa dvara ke donom tarapha ki bhittiyom mem 168 bhittigulika haim aura utani hi gomanasi haim. Isa dvara para nana maniratnom ke vyala – sarpom ke chitra bane haim tatha lila karati hui puttaliyam bhi nana maniratnom ki bani hui haim. Isa dvara ka madabhaga vajraratnamaya hai aura usa madabhaga ka shikhara chamdi ka hai. Dvara ki chhata ke niche ka bhaga tapaniya svarna ka hai. Jharokhe manimaya bamsavale aura lohitakshamaya pratibamsa vale tatha rajatamaya bhumivale haim. Paksha aura pakshabaha amkaratna ke haim. Jyotisaratna ke bamsa aura bamsakavelu haim, rajatamayi pattikaem haim, jatarupa svarna ki ohadani haim, vajraratnamaya upara ki pumchhani haim aura sarvashveta rajatamaya achchhadana haim. Bahulya se amkaratnamaya, kanakamaya kuta tatha svarnamaya stupikavala vaha vijayadvara hai. Usa dvara ki saphedi shamkhatala, vimala jame hue dahim, gaya ke dudha, phena aura chamdi ke samudaya ke samana hai, tilakaratnom aura ardhachandrom se vaha nanarupa vala hai, nana prakara ki maniyom ki mala se vaha alamkrita hai, andara aura bahara se komala – mridu pudgalaskamdhom se bana hua hai, tapaniya (svarna) ki reta ka jisamem prastara – prastara hai aisa vaha vijayadvara sukhada aura shubhasparsha vala, sashrika rupa vala, prasadiya, darshaniya, abhirupa aura pratirupa hai. Usa vijayadvara ke donom tarapha do naishedhikaem haim, una do naishedhikaom mem do – do chandana ke kalashom ki pamktiyam haim. Ve kalasha shreshtha kamalom para pratishthita haim, sugandhita aura shreshtha jala se bhare hue haim, una para chandana ka lepa kiya hua hai, unake kamthom mem mauli bamdhi hui hai, padmakamalom ka dhakkana hai, ve sarvaratnom ke bane hue haim, svachchha haim, shlakshna haim yavat bahuta sundara haim. Ve kalasha bare – bare mahendrakumbha samana haim. Usa vijayadvara ke donom tarapha do naishedhikaom mem do – do nagadantom ki pamktiyam haim. Ve muktajalom ke andara latakati hui svarna ki malaom aura gavaksha ki akriti ki ratnamalaom aura chhoti – chhoti ghantikaom se yukta haim, age ke bhaga mem ye kuchha umchi, upara ke bhaga mem age nikali hui aura achchhi taraha thuki hui hai, sarpa ke nichale adhe bhaga ki taraha unaka rupa hai sarvatha vajraratnamaya haim, svachchha haim, mridu haim, yavat pratirupa haim. Ve nagadantaka bare bare gajadanta ke samana haim. Una nagadantakom mem bahuta si kale dore mem, bahuta si nile dore mem, yavat shukla varna ke dore mem piroyi hui pushpamalaem lataka rahi haim. Una malaom mem suvarna ka lambusaka hai, ajubaju ye svarna ke prataraka se mandita haim, nana prakara ke mani ratnom ke vividha hara aura ardhaharom se ve malaom ke samudaya sushobhita haim yavat ve shri se ativa ativa sushobhita ho rahi haim. Una nagadamtakom ke upara anya do aura nagadamtakom ki pamktiyam haim. Ve muktajalom ke andara latakati hui svarna ki malaom aura gavaksha ki akriti ki ratnamalaom aura chhoti chhoti ghantikaom se yukta haim yavat ve bare bare gajadanta ke samana haim. Una nagadantakom mem bahuta se rajatamaya chhimke kahe gaye haim. Una mem vaiduryaratna ki dhupaghatikaem haim. Ve kale agara, shreshtha chida aura lobhana ke dhupa ki maghamaghati sugandha ke phailava se manorama haim, shobhana gamdha vali hai, ve sugandha ki gutika jaisi pratita hoti haim. Ve apani udara, manojnya aura naka evam mana ko tripti dene vali sugamdha se asapasa ke pradeshom ko vyapta karati hui ativa sushobhita ho rahi haim. Usa vijayadvara ke donom ora naishedhikaom mem do do salabhamjika ki pamktiyam haim. Ve putaliyam lila karati hui chitrita haim, supratishthita haim, ye sundara veshabhusha se alamkrita haim, ye ramgabiramge kaparom se sajjita haim, aneka malaem unhem pahanayi gai haim, unaki kamara itani patali hai ki mutthi mem a sakati hai. Payodhara samashrenika chuchukayugala se yukta haim, kathina, golakara haim, ye samane ki ora uthe hue haim, pushta haim ataeva rati – utpadaka haim. Ina putaliyom ke netrom ke kone lala haim, unake bala kale haim tatha komala haim, vishada – svachchha haim, prashasta lakshanavale haim aura unaka agrabhaga mukuta se avrita hai. Ashokavriksha ka kuchha sahara liye hue khari haim. Vamahasta se inhomne ashoka vriksha ki shakha ke agrabhaga ko pakara rakha hai. Ye apane tirachhe katakshom se darshakom ke mana ko mano chura rahi haim. Paraspara ke tirachhe avalokana se aisa pratita hota hai ki mano ye eka dusari ko khinna kara rahi hom. Prithvikaya ka parinamarupa haim aura shashvata bhava ko prapta haim. Mukha chandrama jaisa hai. Adhe chandra ki taraha unaka lalata hai, unaka darshana chandrama se bhi adhika saumya hai, ulka ke samana ye chamakili haim, inaka prakasha bijali ki pragarha kiranom aura anavrita surya ke teja se bhi adhika hai. Unaki akriti shrimgara – pradhana hai aura unaki veshabhusha bahuta hi suhavani hai. Ye prasadiya, darshaniya, abhirupa aura pratirupa haim. Ye apane teja se ativa ativa sushobhita ho rahi haim. Usa vijayadvara ke donom tarapha do naishedhikaom mem do do jalakataka haim, ye sarvaratnamaya haim, svachchha haim yavat pratirupa haim. Usa vijayadvara ke donom tarapha do naishedhikaom mem do ghamtaom ki pamktiyam haim. Ve sone ki bani hui haim, vajraratna ki unaki lalaem haim, aneka maniyom se bane hue ghamtaom ke parshvabhaga haim, tape hue sone ki unaki samkalem haim, ghamta bajane ke lie khimchi jane vali rajju chamdi ki hai. Ina ghamtaom ka svara oghasvara hai. Megha ke samana gambhira hai, hamsa svara hai, kromcha svara hai, nandisvara hai, nandighosha hai, simhasvara hai. Mamjusvara hai, mamjughosha. Una ghamtaom ka svara atyanta shreshtha hai, svara aura nirghosha atyanta suhavana hai. Ve ghamtaem apane udara, manojnya evam kana aura mana ko tripta karane vale shabda se asapasa ke pradeshom ko vyapta karati hui ati vishishta shobha se sampanna haim. Usa vijayadvara ki donom ora naishedhikaom mem do do vanamalaom ki katara hai. Ye vanamalaem aneka vrikshom aura lataom ke kisalayarupa pallavom se yukta haim aura bhramarom dvara bhujyamana kamalom se sushobhita aura sashrika haim. Ye vanamalaem prasadiya, darshaniya, abhirupa aura pratirupa haim tatha apani udara, manojnya aura naka tatha mana ko tripti denevali gamdha se asapasa ke pradesha ko vyapta karati hui ativa ativa shobhita hoti hui sthita hai. |