Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005723 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Translated Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 23 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं समणे भगवं महावीरे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे सूरियाभस्स देवस्स एयमट्ठं नो आढाइ नो परियाणइ तुसिणीए संचिट्ठति। तए णं से सूरियाभे देवे समणं भगवं महावीरं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी– तुब्भे णं भंते! सव्वं जाणह सव्वं पासह, सव्वओ जाणह सव्वओ पासह, सव्वं कालं जाणह सव्वं कालं पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह। जाणंति णं देवानुप्पिया! मम पुव्विं वा पच्छा वा ममेयरूवं दिव्वं देविड्ढिं दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवानुभावं लद्धं पत्तं अभिसमण्णागयं ति, तं इच्छामि णं देवानुप्पियाणं भत्तिपुव्वगं गोयमातियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविड्ढिं दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवानुभावं दिव्वं बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्तए... ...त्ति कट्टु समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं निसिरति, तं जहा–रयणाणं वइराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पुलगाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजनाणं अंजनंपुलगाणं रयणाणं जायरूवाणं अंकाणं फलिहाणं रिट्ठाणं अहावायरे पोग्गले परिसाडेति, परिसाडेत्ता अहासुमुहे पोग्गले परियाएइ परियाइत्ता दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, समोहणित्ता बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति, से जहानामए– आलिंगपुक्खरेइ वा जाव मणीणं फासो। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे पिच्छाघरमंडवं विउव्वति–अनेगखंभसयसन्निविट्ठं वण्णओ अंतो बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं उल्लोयं अक्खाडगं च मणिपेढियं च विउव्वति। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं सीहासनं सपरिवारं जाव दामा चिट्ठंति। तए णं से सूरियाभे देवे समणस्स भगवतो महावीरस्स आलोए पणामं करेति, करेत्ता अणुजाणउ मे भगवं ति कट्टु सीहासनवरगए तित्थयराभिमुहे सन्निसण्णे। तए णं से सूरियाभे देवे तप्पढमयाए नानामणिकनगरयणविमल महरिह निउण ओविय मिसिमिसेंतविरचियमहाभरण कडग तुडियवरभूसणुज्जलं पीवरं पलंबं दाहिणं भुयं पसारेंति। तओ णं सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिव्वयाणं सरिसलावण्ण रूव जोव्वण गुणोववेयाणं एगाभरण वसणगहियणिज्जोयाणं दुहओ संवेल्लियग्गणियत्थाणं आविद्धतिलयामेलाणं पिणद्ध-गेवेज्जकंचुयाणं उप्पीलिय चित्तपट्ट परियर सफेणकावत्तरइय संगल पलंब वत्थंत चित्त चिल्ललग नियंसनाणं एगावलि कंठरइय सोभंत वच्छ परिहत्थ भूसनाणं अट्ठसयं नट्टसज्जाणं देवकुमाराणं निग्गच्छइ। तयनंतरं च णं नानामणि कनगरयणविमल महरिह निउण ओविय मिसिमिसेंतविरचिय-महाभरण कडग तुडियवर-भूसणुज्जलं पीवरं पलंबं वामं भुयं पसारेति। तओ णं सरिसियाणं सरित्तयाणं सरिव्वतीणं सरिसलावण्ण रूव जोव्वण गुणोववेयाणं एगाभरण वसणगहियणिज्जोईणं दुहओ संवेल्लियग्गणियत्थीणं आविद्धतिलयामेलीणं पिणद्ध-गेवेज्जकंचुईणं नानामणि कनग रयण भूसण विराइयंगमंगीणं चंदाननाणं चंदद्धसमनिलाडाणं चंदाहियसोमदंसनाणं उक्का इव उज्जोवेमाणीणं सिंगारागारचारुवेसाणं संगयागय हसिय भणिय चिट्ठिय विलासललिय संलावनिउणजुत्तोवयारकुसलाणं गहियाउज्जाणं अट्ठसयं नट्टसज्जाणं देवकुमारीणं निग्गच्छइ। तए णं से सूरियाभे देवे अट्ठसयं संखाणं विउव्वइ, अट्ठसयं संखवायाणं विउव्वइ, अट्ठसयं सिंगाणं विउव्वइ, अट्ठसयं सिंगवायाणं विउव्वइ, अट्ठसयं संखियाणं विउव्वइ, अट्ठसयं संखियवायाणं विउव्वइ, अट्ठसयं खरमुहीणं विउव्वइ, अट्ठसयं खरमुहिवायाणं विउव्वइ, अट्ठसयं पेयाणं विउव्वइ, अट्ठसयं पेयावायगाणं विउव्वइ, अट्ठसयं पिरिपिरियाणं विउव्वइ, अट्ठसयं पिरि-पिरियावायगाणं विउव्वइ, एवमाइयाइं एगूणपण्णं आउज्जविहाणाइं विउव्वइ, विउव्वित्ता तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयाओ य सद्दावेति। तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य सूरियाभेणं देवेणं सद्दाविया समाणा हट्ठतुट्ठ चित्तमानंदिया पीइमणा परमसोमनस्सिया हरिसवस विसप्पमाणहियया जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं बद्धावेंति, बद्धावेत्ता एवं वयासी– संदिसंतु णं देवानुप्पिया! जं अम्हेहिं कायव्वं। तए णं से सूरियाभे देवे ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य एवं वयासी–गच्छह णं तुब्भे देवानुप्पिया! समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेह, करेत्ता वंदह नमंसह, वंदित्ता नमंसित्ता गोयमाइयाणं समणाणं निग्गंथाणं तं दिव्वं देविड्ढिं दिव्वं देवजुत्तिं दिव्वं देवानुभावं दिव्वं बत्तीसइबद्धं नट्टविहिं उवदंसेह, उवदंसित्ता खिप्पामेव एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठ चित्तमानंदिया पीइमणा परमसोमनस्सिया हरिसवस विसप्पमाणहियया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं देवो! तहत्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव गोयमादिया समणा निग्गंथा तेणेव निग्गच्छंति तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य समामेव समोसरणं करेंति, करेत्ता समामेव पंतीओ बंधंति, बंधित्ता समामेव ओणमंति, ओणमित्ता समामेव उन्नमंति, उन्नमित्ता एवं सहियामेव ओणमंति, ओणमित्ता सहियामेव उन्नमंति, उन्नमित्ता संगयामेव ओणमंति, ओणमित्ता संगयामेव उन्नमंति, उन्नमित्ता थिमियामेव ओणमंति, ओणमित्ता थिमियामेव उन्नमंति, उन्नमित्ता समामेव पसरंति, समामेव आउज्जविहाणाइं गेण्हंति, गेण्हित्ता समामेव पवाएसु समामेव पगाइंसु समामेव पणच्चिंसु। किं ते? उरेण मंदं, सिरेण तारं, कंठेण वितारं, तिविहं तिसमय रेयग रइयं गुंजावंककुहरोवगूढं रत्तं तिट्ठाणकरणसुद्धं सकुहरगुंजंतं वंस तंती तल ताल लय गहसुसंपउत्तं महुरं समं सललियं मणोहरं मउरिभियपयसंचारं सुरइं सुणतिं वरचारुरूवं दिव्वं नट्टसज्जं गेयं पगीया वि होत्था। किं ते? उद्धुमंताणं–संखाणं सिंगाणं संखियाणं खरमुहीणं पेयाणं पिरिपिरियाणं, आहम्मं-ताणं–पणवाणं पडहाणं, अप्फालिज्जमानाणं–भंभाणं होरंभाणं, तालिज्जंतीणं–भेरीणं झल्लरीणं दुंदुहीणं, आलवंताणं–मुरयाणं मुइंगाणं नंदीमुइंगाणं, उत्तालिज्जंताणं–आलिंगाणं कुंतुबाणं गोमुहीणं मद्दलाणं, मुच्छिज्जंताणं–वीनाणं विपंचीणं वल्लकीणं, कुट्टिज्जंतीणं–महंतीणं कच्छभीणं चित्त-वीनाणं, सारिज्जंताणं–बद्धीसाणं सुघोसाणं नंदिघोसाणं, फुट्टिज्जंतीणं–भामरीणं छब्भामरीणं परिवायणीणं, छिप्पंताणं–तूनाणं तुंबवीनाणं, आमोडिज्जंताणं–आमोटाणं झंझाणं नउलाणं, अच्छिज्जंतीणं–मुगुंदाणं हुडुक्कीणं विचिक्कीणं, वाइज्जंताणं–करडाणं डिंडिमाण किणियाणं कडंबाणं, ताडिज्जंताणं–दद्दरगाणं दद्दरिगाणं कुतुंबराणं कलसियाणं मड्डयाणं आताडि-ज्जंताणं– तलाणं तालाणं कंसतालाणं, घट्टिज्जंताणं– रिंगिसियाणं लत्तियाणं मगरियाणं सुंसुमारियाणं, फूमिज्जंताणं–वंसाणं वेलुणं बालीणं परिलीणं बद्धगाणं। तए णं से दिव्वे गीए दिव्वे नट्टे दिव्वे वाइए अब्भुए गीए अब्भुए नट्ठे अब्भुए वाइए, सिंगारे गीए सिंगारे नट्टे सिंगारे वाइए, उराले गीए उराले नट्टे उराले वाइए, मणुन्ने गीए मणुन्ने नट्टे, मणुन्ने वाइए, मनहरे गीए मनहरे नट्टे मनहरे वाइए, उप्पिंजलभूते कहकहभूते दिव्वे देवरमणे पवत्ते यावि होत्था। तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स सोत्थिय सिरिवच्छ नंदियावत्त वद्धमाणग भद्दासन कलस मच्छ दप्पण मंगलभत्तिचित्तं नामं दिव्वं नट्टविधिं उवदंसेंति। | ||
Sutra Meaning : | तब सूर्याभदेव के इस प्रकार निवेदन करने पर श्रमण भगवान महावीर ने सूर्याभदेव के इस कथन का आदर नहीं किया, उसकी अनुमोदना नहीं की, किन्तु मौन रहे। तत्पश्चात् सूर्याभदेव ने दूसरी और तीसरी बार भी पुनः इसी प्रकार से श्रमण भगवान महावीर से निवेदन किया – हे भगवन् ! आप सब जानते हैं आदि, यावत् नाट्य – विधि प्रदर्शित करना चाहता हूँ। इस प्रकार कहकर उसने दाहिनी ओर से प्रारम्भ कर श्रमण भगवान महावीर की तीन बार प्रदक्षिणा की। वन्दन – नमस्कार किया और उत्तर पूर्व दिशा में गया। वहाँ जाकर वैक्रियसमुद्घात करके संख्यात योजन लम्बा दण्ड नीकाला। यथाबादर पुद्गलों को दूर करके यथासूक्ष्म पुद्गलों का संचय किया। इसके बाद पुनः दुबारा वैक्रिय समुद्घात करके यावत् बहुसमरमणीय भूमिभाग की रचना की। जो पूर्ववर्णित आलिंग पुष्कर आदि के समान सर्वप्रकार से समतल यावत् रूप, रस, गंध और स्पर्श वाले मणियों से सुशोभित था। उस अत्यन्त सम और रमणीय भूमिभाग के मध्यातिमध्य भाग में प्रेक्षागृहमंडप की रचना की। वह अनेक सैकड़ों स्तम्भों पर संनिविष्ट था इत्यादि वर्णन पूर्ववत्। उस प्रेक्षागृह मंडप के अन्तर अतीव समतल, रमणीय भूमिभाग, चन्देवा, रंगमंच और मणिपीठिका की विकुर्वणा की और उस मणिपीठिका के ऊपर फिर उसने पादपीठ, छत्र आदि से युक्त सिंहासन की रचना यावत् उसका ऊपरी भाग मुक्तादामों से शोभित हो रहा था। तत्पश्चात् उस सूर्याभदेव ने श्रमण भगवान महावीर की ओर देखकर प्रणाम किया और ‘हे भगवन् ! मुझे आज्ञा दीजिए’ कहकर तीर्थंकर की ओर मुख करके उस श्रेष्ठ सिंहासन – पर सुखपूर्वक बैठ गया। इसके पश्चात् नाट्यविधि प्रारम्भ करने के लिए सबसे पहले उस सूर्याभदेव ने निपुण शिल्पियों द्वारा बनाये गये अनेक प्रकार की विमल मणियों, स्वर्ण और रत्नों से निर्मित भाग्यशालियों के योग्य, देदीप्यमान, कटक त्रुटित आदि श्रेष्ठ आभूषणों से विभूषित उज्ज्वल पुष्ट दीर्घ दाहिनी भुजा को फैलाया – उस दाहिनी भुजा से एक सौ आठ देवकुमार नीकले। वे समान शरीर – आकार, समान रंग – रूप, समान वय, समान लावण्य, युवोचित गुणों वाले, एक जैसे आभरणों, वस्त्रों और नाट्योपकरणों से सुसज्जित, कन्धों के दोनों और लटकते पल्लोंवाले उत्तरीय वस्त्र धारण किये हुए, शरीर पर रंग – बिरंगे कंचुक वस्त्रों को पहने हुए, हवा का झोंका लगने पर विनिर्गत फेन जैसी प्रतीत होने वाली झालर युक्त चित्र – विचित्र देदीप्यमान, लटकते अधोवस्त्रों को धारण किये हुए, एकावली आदि आभूषणों से शोभायमान कण्ठ एवं वक्षःस्थल वाले और नृत्य करने के लिए तत्पर थे। तदनन्तर सूर्याभदेव ने अनेक प्रकार की मणियों आदि से निर्मित आभूषणों से विभूषित यावत् पीवर – पुष्ट एवं लम्बी बांयीं भुजा को फैलाया। उस भुजा से समान शरीराकृति, समान रंग, समान वय, समान लावण्य – रूप – यौवन गुणों वाली, एक जैसे आभूषणों, दोनों ओर लटकते पल्ले वाले उत्तरीय वस्त्रों और नाट्योपकरणों से सुसज्जित, ललाट पर तिलक, मस्तक पर आमेल, गले में ग्रैवेयक और कंचुकी धारण किये हुए अनेक प्रकार के मणि – रत्नों के आभूषणों से विराजित अंग – प्रत्यंगों – वाला चन्द्रमुखी, चन्द्रार्ध समान ललाट वाली चन्द्रमा से भी अधिक सौम्य दिखाई देने वाली, उल्का के समान चमकती, शृंगार गृह के तुल्य चारु – सुन्दर वेष से शोभित, हँसने – बोलने आदि में पटु, नृत्य करने के लिए तत्पर एक सौ आठ देवकुमारियाँ नीकलीं। तत्पश्चात् १०८ देवकुमारों और देवकुमारियों की विकुर्वणा करने के पश्चात् सूर्याभदेवने १०८ शंखों की और १०८ शंखवादकों की विकुर्वणा की। इसी प्रकार से एक सौ आठ शृंगों और उनके वादकों की, शंखिकाओं और उनके वादकों की, खरमुखियों और उनके वादकों की, पेयों और उनके वादकों की, पिरिपिरिकाओं और उनके वादकों की विकुर्वणा की। इस तरह कुल मिलाकर उनचास प्रकार के वाद्यों और उनके बजाने वालों की विकुर्वणा की। तत्पश्चात् सूर्याभदेव नेउन देवकुमारों तथा देवकुमारियों को बुलाया। सूर्याभदेव द्वारा बुलाये जाने पर वे देवकुमार और देवकुमारियाँ हर्षित होकर यावत् सूर्याभदेव के पास आए और दोनों हाथ जोड़कर यावत् अभिनन्दन कर सूर्याभदेव से विनयपूर्वक बोले – हे देवानुप्रिय ! हमें जो करना है, उनकी आज्ञा दीजिए। तब सूर्याभदेव ने उन देवकुमारों और देवकुमारियों से कहा – हे देवानुप्रियो ! तुम सभी श्रमण भगवान महावीर के पास जाओ, तीन बार श्रमण भगवान महावीर की प्रदक्षिणा करो। वन्दन – नमस्कार करो। गौतमादि श्रमण निर्ग्रन्थों के समक्ष दिव्य देवऋद्धि, दिव्य देवद्युति, दिव्य देवानुभाव वाली, बत्तीस प्रकार की दिव्य नाट्यविधि करके दिखलाओ। शीघ्र ही मेरी इस आज्ञा वापस मुझे लौटाओ। तदनन्तर वे सभी देवकुमार और देव – कुमारियाँ सूर्याभदेव की इस आज्ञा सूनकर हर्षित हुए यावत् दोनों हाथ जोड़कर यावत् आज्ञा को स्वीकार किया। श्रमण भगवान के पास आकर यावत् नमस्कार करके जहाँ गौतम आदि श्रमण निर्ग्रन्थ बिराजमान थे, वहाँ आए। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam samane bhagavam mahavire suriyabhenam devenam evam vutte samane suriyabhassa devassa eyamattham no adhai no pariyanai tusinie samchitthati. Tae nam se suriyabhe deve samanam bhagavam mahaviram dochcham pi tachcham pi evam vayasi– tubbhe nam bhamte! Savvam janaha savvam pasaha, savvao janaha savvao pasaha, savvam kalam janaha savvam kalam pasaha, savve bhave janaha savve bhave pasaha. Janamti nam devanuppiya! Mama puvvim va pachchha va mameyaruvam divvam deviddhim divvam devajuim divvam devanubhavam laddham pattam abhisamannagayam ti, tam ichchhami nam devanuppiyanam bhattipuvvagam goyamatiyanam samananam niggamthanam divvam deviddhim divvam devajuim divvam devanubhavam divvam battisatibaddham nattavihim uvadamsittae.. ..Tti kattu samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahinam payahinam karei, karetta vamdati namamsati, vamditta namamsitta uttarapuratthimam disibhagam avakkamati, avakkamitta veuvviyasamugghaenam samohannai, samohanitta samkhejjaim joyanaim damdam nisirati, tam jaha–rayananam vairanam veruliyanam lohiyakkhanam masaragallanam hamsagabbhanam pulaganam sogamdhiyanam joirasanam amjananam amjanampulaganam rayananam jayaruvanam amkanam phalihanam ritthanam ahavayare poggale parisadeti, parisadetta ahasumuhe poggale pariyaei pariyaitta dochcham pi veuvviyasamugghaenam samohannati, samohanitta bahusamaramanijjam bhumibhagam viuvvati, se jahanamae– alimgapukkharei va java maninam phaso. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhage pichchhagharamamdavam viuvvati–anegakhambhasayasannivittham vannao amto bahusamaramanijjam bhumibhagam ulloyam akkhadagam cha manipedhiyam cha viuvvati. Tise nam manipedhiyae uvarim sihasanam saparivaram java dama chitthamti. Tae nam se suriyabhe deve samanassa bhagavato mahavirassa aloe panamam kareti, karetta anujanau me bhagavam ti kattu sihasanavaragae titthayarabhimuhe sannisanne. Tae nam se suriyabhe deve tappadhamayae nanamanikanagarayanavimala mahariha niuna oviya misimisemtavirachiyamahabharana kadaga tudiyavarabhusanujjalam pivaram palambam dahinam bhuyam pasaremti. Tao nam sarisayanam sarittayanam sarivvayanam sarisalavanna ruva jovvana gunovaveyanam egabharana vasanagahiyanijjoyanam duhao samvelliyagganiyatthanam aviddhatilayamelanam pinaddha-gevejjakamchuyanam uppiliya chittapatta pariyara saphenakavattaraiya samgala palamba vatthamta chitta chillalaga niyamsananam egavali kamtharaiya sobhamta vachchha parihattha bhusananam atthasayam nattasajjanam devakumaranam niggachchhai. Tayanamtaram cha nam nanamani kanagarayanavimala mahariha niuna oviya misimisemtavirachiya-mahabharana kadaga tudiyavara-bhusanujjalam pivaram palambam vamam bhuyam pasareti. Tao nam sarisiyanam sarittayanam sarivvatinam sarisalavanna ruva jovvana gunovaveyanam egabharana vasanagahiyanijjoinam duhao samvelliyagganiyatthinam aviddhatilayamelinam pinaddha-gevejjakamchuinam nanamani kanaga rayana bhusana viraiyamgamamginam chamdanananam chamdaddhasamaniladanam chamdahiyasomadamsananam ukka iva ujjovemaninam simgaragaracharuvesanam samgayagaya hasiya bhaniya chitthiya vilasalaliya samlavaniunajuttovayarakusalanam gahiyaujjanam atthasayam nattasajjanam devakumarinam niggachchhai. Tae nam se suriyabhe deve atthasayam samkhanam viuvvai, atthasayam samkhavayanam viuvvai, atthasayam simganam viuvvai, atthasayam simgavayanam viuvvai, atthasayam samkhiyanam viuvvai, atthasayam samkhiyavayanam viuvvai, atthasayam kharamuhinam viuvvai, atthasayam kharamuhivayanam viuvvai, atthasayam peyanam viuvvai, atthasayam peyavayaganam viuvvai, atthasayam piripiriyanam viuvvai, atthasayam piri-piriyavayaganam viuvvai, evamaiyaim egunapannam aujjavihanaim viuvvai, viuvvitta tae nam te bahave devakumara ya devakumariyao ya saddaveti. Tae nam te bahave devakumara ya devakumario ya suriyabhenam devenam saddaviya samana hatthatuttha chittamanamdiya piimana paramasomanassiya harisavasa visappamanahiyaya jeneva suriyabhe deve teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta suriyabham devam karayalapariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu jaenam vijaenam baddhavemti, baddhavetta evam vayasi– samdisamtu nam devanuppiya! Jam amhehim kayavvam. Tae nam se suriyabhe deve te bahave devakumara ya devakumario ya evam vayasi–gachchhaha nam tubbhe devanuppiya! Samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahinam payahinam kareha, karetta vamdaha namamsaha, vamditta namamsitta goyamaiyanam samananam niggamthanam tam divvam deviddhim divvam devajuttim divvam devanubhavam divvam battisaibaddham nattavihim uvadamseha, uvadamsitta khippameva eyamanattiyam pachchappinaha Tae nam te bahave devakumara ya devakumario ya suriyabhenam devenam evam vutta samana hatthatuttha chittamanamdiya piimana paramasomanassiya harisavasa visappamanahiyaya karayalapariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu evam devo! Tahatti anae vinaenam vayanam padisunamti, padisunitta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahinam payahinam karemti, karetta vamdamti namamsamti, vamditta namamsitta jeneva goyamadiya samana niggamtha teneva niggachchhamti Tae nam te bahave devakumara ya devakumario ya samameva samosaranam karemti, karetta samameva pamtio bamdhamti, bamdhitta samameva onamamti, onamitta samameva unnamamti, unnamitta evam sahiyameva onamamti, onamitta sahiyameva unnamamti, unnamitta samgayameva onamamti, onamitta samgayameva unnamamti, unnamitta thimiyameva onamamti, onamitta thimiyameva unnamamti, unnamitta samameva pasaramti, samameva aujjavihanaim genhamti, genhitta samameva pavaesu samameva pagaimsu samameva panachchimsu. Kim te? Urena mamdam, sirena taram, kamthena vitaram, tiviham tisamaya reyaga raiyam gumjavamkakuharovagudham rattam titthanakaranasuddham sakuharagumjamtam vamsa tamti tala tala laya gahasusampauttam mahuram samam salaliyam manoharam mauribhiyapayasamcharam suraim sunatim varacharuruvam divvam nattasajjam geyam pagiya vi hottha. Kim te? Uddhumamtanam–samkhanam simganam samkhiyanam kharamuhinam peyanam piripiriyanam, ahammam-tanam–panavanam padahanam, apphalijjamananam–bhambhanam horambhanam, talijjamtinam–bherinam jhallarinam dumduhinam, alavamtanam–murayanam muimganam namdimuimganam, uttalijjamtanam–alimganam kumtubanam gomuhinam maddalanam, muchchhijjamtanam–vinanam vipamchinam vallakinam, kuttijjamtinam–mahamtinam kachchhabhinam chitta-vinanam, sarijjamtanam–baddhisanam sughosanam namdighosanam, phuttijjamtinam–bhamarinam chhabbhamarinam parivayaninam, chhippamtanam–tunanam tumbavinanam, amodijjamtanam–amotanam jhamjhanam naulanam, achchhijjamtinam–mugumdanam hudukkinam vichikkinam, vaijjamtanam–karadanam dimdimana kiniyanam kadambanam, tadijjamtanam–daddaraganam daddariganam kutumbaranam kalasiyanam maddayanam atadi-jjamtanam– talanam talanam kamsatalanam, ghattijjamtanam– rimgisiyanam lattiyanam magariyanam sumsumariyanam, phumijjamtanam–vamsanam velunam balinam parilinam baddhaganam. Tae nam se divve gie divve natte divve vaie abbhue gie abbhue natthe abbhue vaie, simgare gie simgare natte simgare vaie, urale gie urale natte urale vaie, manunne gie manunne natte, manunne vaie, manahare gie manahare natte manahare vaie, uppimjalabhute kahakahabhute divve devaramane pavatte yavi hottha. Tae nam te bahave devakumara ya devakumario ya samanassa bhagavao mahavirassa sotthiya sirivachchha namdiyavatta vaddhamanaga bhaddasana kalasa machchha dappana mamgalabhattichittam namam divvam nattavidhim uvadamsemti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Taba suryabhadeva ke isa prakara nivedana karane para shramana bhagavana mahavira ne suryabhadeva ke isa kathana ka adara nahim kiya, usaki anumodana nahim ki, kintu mauna rahe. Tatpashchat suryabhadeva ne dusari aura tisari bara bhi punah isi prakara se shramana bhagavana mahavira se nivedana kiya – he bhagavan ! Apa saba janate haim adi, yavat natya – vidhi pradarshita karana chahata hum. Isa prakara kahakara usane dahini ora se prarambha kara shramana bhagavana mahavira ki tina bara pradakshina ki. Vandana – namaskara kiya aura uttara purva disha mem gaya. Vaham jakara vaikriyasamudghata karake samkhyata yojana lamba danda nikala. Yathabadara pudgalom ko dura karake yathasukshma pudgalom ka samchaya kiya. Isake bada punah dubara vaikriya samudghata karake yavat bahusamaramaniya bhumibhaga ki rachana ki. Jo purvavarnita alimga pushkara adi ke samana sarvaprakara se samatala yavat rupa, rasa, gamdha aura sparsha vale maniyom se sushobhita tha. Usa atyanta sama aura ramaniya bhumibhaga ke madhyatimadhya bhaga mem prekshagrihamamdapa ki rachana ki. Vaha aneka saikarom stambhom para samnivishta tha ityadi varnana purvavat. Usa prekshagriha mamdapa ke antara ativa samatala, ramaniya bhumibhaga, chandeva, ramgamamcha aura manipithika ki vikurvana ki aura usa manipithika ke upara phira usane padapitha, chhatra adi se yukta simhasana ki rachana yavat usaka upari bhaga muktadamom se shobhita ho raha tha. Tatpashchat usa suryabhadeva ne shramana bhagavana mahavira ki ora dekhakara pranama kiya aura ‘he bhagavan ! Mujhe ajnya dijie’ kahakara tirthamkara ki ora mukha karake usa shreshtha simhasana – para sukhapurvaka baitha gaya. Isake pashchat natyavidhi prarambha karane ke lie sabase pahale usa suryabhadeva ne nipuna shilpiyom dvara banaye gaye aneka prakara ki vimala maniyom, svarna aura ratnom se nirmita bhagyashaliyom ke yogya, dedipyamana, kataka trutita adi shreshtha abhushanom se vibhushita ujjvala pushta dirgha dahini bhuja ko phailaya – usa dahini bhuja se eka sau atha devakumara nikale. Ve samana sharira – akara, samana ramga – rupa, samana vaya, samana lavanya, yuvochita gunom vale, eka jaise abharanom, vastrom aura natyopakaranom se susajjita, kandhom ke donom aura latakate pallomvale uttariya vastra dharana kiye hue, sharira para ramga – biramge kamchuka vastrom ko pahane hue, hava ka jhomka lagane para vinirgata phena jaisi pratita hone vali jhalara yukta chitra – vichitra dedipyamana, latakate adhovastrom ko dharana kiye hue, ekavali adi abhushanom se shobhayamana kantha evam vakshahsthala vale aura nritya karane ke lie tatpara the. Tadanantara suryabhadeva ne aneka prakara ki maniyom adi se nirmita abhushanom se vibhushita yavat pivara – pushta evam lambi bamyim bhuja ko phailaya. Usa bhuja se samana sharirakriti, samana ramga, samana vaya, samana lavanya – rupa – yauvana gunom vali, eka jaise abhushanom, donom ora latakate palle vale uttariya vastrom aura natyopakaranom se susajjita, lalata para tilaka, mastaka para amela, gale mem graiveyaka aura kamchuki dharana kiye hue aneka prakara ke mani – ratnom ke abhushanom se virajita amga – pratyamgom – vala chandramukhi, chandrardha samana lalata vali chandrama se bhi adhika saumya dikhai dene vali, ulka ke samana chamakati, shrimgara griha ke tulya charu – sundara vesha se shobhita, hamsane – bolane adi mem patu, nritya karane ke lie tatpara eka sau atha devakumariyam nikalim. Tatpashchat 108 devakumarom aura devakumariyom ki vikurvana karane ke pashchat suryabhadevane 108 shamkhom ki aura 108 shamkhavadakom ki vikurvana ki. Isi prakara se eka sau atha shrimgom aura unake vadakom ki, shamkhikaom aura unake vadakom ki, kharamukhiyom aura unake vadakom ki, peyom aura unake vadakom ki, piripirikaom aura unake vadakom ki vikurvana ki. Isa taraha kula milakara unachasa prakara ke vadyom aura unake bajane valom ki vikurvana ki. Tatpashchat suryabhadeva neuna devakumarom tatha devakumariyom ko bulaya. Suryabhadeva dvara bulaye jane para ve devakumara aura devakumariyam harshita hokara yavat suryabhadeva ke pasa ae aura donom hatha jorakara yavat abhinandana kara suryabhadeva se vinayapurvaka bole – he devanupriya ! Hamem jo karana hai, unaki ajnya dijie. Taba suryabhadeva ne una devakumarom aura devakumariyom se kaha – he devanupriyo ! Tuma sabhi shramana bhagavana mahavira ke pasa jao, tina bara shramana bhagavana mahavira ki pradakshina karo. Vandana – namaskara karo. Gautamadi shramana nirgranthom ke samaksha divya devariddhi, divya devadyuti, divya devanubhava vali, battisa prakara ki divya natyavidhi karake dikhalao. Shighra hi meri isa ajnya vapasa mujhe lautao. Tadanantara ve sabhi devakumara aura deva – kumariyam suryabhadeva ki isa ajnya sunakara harshita hue yavat donom hatha jorakara yavat ajnya ko svikara kiya. Shramana bhagavana ke pasa akara yavat namaskara karake jaham gautama adi shramana nirgrantha birajamana the, vaham ae. |