Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005715 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Translated Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 15 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं से आभिओगिए देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ चित्तमानंदिए पीइमने परमसोमनस्सिए हरिसवस विसप्पमाणहियए करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं देवो! तहत्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं निसिरति, तं जहा–रयनाणं वइराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पुलगाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजनाणं अंजनंपुलगाणं रययाणं जायरूवाणं अंकाणं फलिहाणं रिट्ठाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ, परिसाडित्ता अहासुहुमे पोग्गले परियाएइ, ... ...परियाइत्ता दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, समोहणित्ता अनेगखंभसय-सन्निविट्ठं लीलट्ठिय-सालभंजियागं ईहामिय उसभ तुरग नर मगर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर - पउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गय-वइरवेइया परिगयाभिरामं विज्जाहर जमलजुयल जंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालनीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खल्लोयणलेसं सुह-फासं सस्सिरीयरूवं घंटावलि चलिय महुर मनहरसरं सुहं कंतं दरिसणिज्जं निउण ओविय मिसिमिसेंतमणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्तं जोयणसयसहस्सवित्थिण्णं दिव्वं गमनसज्जं सिग्घ-गमनं नाम दिव्वं जाणविमानं वेउव्विउं पवत्ते यावि होत्था। तए णं से आभिओगिए देवे तस्स दिव्वस्स जानविमानस्स तिदिसिं तिसोवानपडिरूवए विउव्वति, तं जहा–पुरत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं। तेसिं तिसोवानपडिरूवगाणं इमे एयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा– वइरामया निम्मा, रिट्ठामया पतिट्ठाणा, वेरुलियमया खंभा, सुवण्ण-रुप्पामया फलगा, लोहितक्खमइयाओ सूईओ, वइरामया संधी, नानामणिमया अवलंबणा अवलंबणबाहाओ य पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं तिसोवानपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तोरणा पन्नत्ता। तेसि णं तोरणाणं इमे एयारूवे वण्णावासे पणणत्ते, तं जहा–तेणं तोरणा नानामणिमया, नानामणिएसु थंभेसु उवनिविट्ठ-सन्निविट्ठा, विविहमुत्तंतरारूवोवचिया, विविहतारारूवोवचिया ईहामिय उसभ तुरय वर मयर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर वनलय पउमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गय वइरवेइया परिगयाभिराया विज्जाहर जमलजुयलजंतजुत्ता पिव अच्चीसहस्समालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयरूवा घंटावलि चलिय महुर मनहरसरा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा पन्नत्ता, तं जहा–सोत्थिय सिरिवच्छ नंदियावत्त वद्धमाणग भद्दासन कलस मच्छ दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा समरीइया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसिं णं तोरणाणं उप्पिं बहवे किण्हचामरज्झए नीलचामरज्झए लोहियचामरज्झए हालिद्दचामरज्झए सुक्किलचामरज्झए अच्छे सण्हे रुप्पपट्टे वइरदंडे जलयामलगंधिए सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे विउव्वइ। तेसि णं तोरणाणं उप्पिं बहवे छत्तातिछत्ते पडागाइपडागे घंटाजुगले चामरजुगले उप्पलहत्थए पउम णलिण सुभग सोगंधिय पोंडरीय महापोंडरीय सतपत्त सहस्सपत्तहत्थए सव्वरयणामए अच्छे सण्हे लण्हे घट्ठे मट्ठे नीरए निम्मले निप्पंके निक्कंकडच्छाए सप्पभे समरीइए सउज्जोए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे विउव्वइ। तए णं से आभिओगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमानस्स अंतो बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति, से जहानामए–आलिंगपुक्खरेइ वा मुइंगपुक्खरेइ वा परिपुण्णे सरतलेइ वा करतलेइ वा चंदमंडलेइ वा सूरमंडलेइ वा आयंसमंडलेइ वा उरब्भचम्मेइ वा वसहचम्मेइ वा वराहचम्मेइ वा सीहचम्मेइ वा वग्घचम्मेइ वा मिगचम्मेइ वा दीवियचम्मेइ वा अनेगसंकुकील-गसहस्सवितते, आवड-पच्चावड सेढि पसेढि सोत्थिय-सोवत्थिय पूसमाणव वद्धमाणग मच्छंडग-मगरंडग जार-मार फुल्लावलि पउमपत्त सागरतरंग वसंतलय पउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं सउज्जोएहिं नानाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं उवसोभिए, तं जहा–किण्हेहिं णीलेहिं लोहिएहिं हालिद्देहिं सुक्किलेहिं। तत्थ णं जेते किण्हा मणी, तेसिं णं मणीणं इमे एयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, से जहानामए–जीमूतएइ वा अंजणेइ वा खंजणेइ वा कज्जलेइ वा मसीइ वा मसीगुलियाइ वा गवलेइ वा गवलगुलियाइ वा भमरेइ वा भमरावलियाइ वा भमरपतंग-सारेइ वा जंबूफलेइ वा अद्दारिट्ठेइ वा परपुट्ठेइ वा गएइ वा गयकलभेइ वा किण्हसप्पेइ वा किण्हकेसरेइ वा आगासभिग्गलेइ वा किण्हासोएइ वा किण्हकणवीरेइ वा किण्हबंधुजीवेइ वा भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं किण्हा मणी इत्तो इट्ठत्तराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामतराए चेव वण्णेणं पन्नत्ता। तत्थ णं जेते नीला मणी, तेसि णं मणीणं इमे एयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, से जहानामए–भिंगेइ वा भिंगपत्तेइ वा सुएइ वा सुयपिच्छेइ वा चासेइ वा चासपिच्छेइ वा नीलीइ वा नीलीभेदेइ वा नीलीगुलियाइ वा सामाएइ वा उच्चंतगेइ वा वनरातीइ वा हलधरवसने इ वा मोरग्गीवाइ वा पारेवयग्गीवाइ वा अयसिकुसुमेइ वा वाणकुसुमेइ वा अंजनंकेसियाकुसुमेइ वा नीलुप्पलेइ वा नीलासोगेइ वा नीलकणवीरेइ वा नीलबंधुजीवेइ वा भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं नीला मणी एत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामतराए चेव वण्णेणं पन्नत्ता। तत्थ णं जेते लोहिया मणी, तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, से जहानामए–ससरुहिरेइ वा उरब्भरुहिरेइ वा वराहरुहिरेइ वा मनुस्सरुहिरेइ वा महिसरुहिरेइ वा बालिंदगोवेइ वा बालदिवाकरेइ वा संझब्भरागेइ वा गुंजद्धरागेइ वा जासुअणकुसुमेइ वा किंसुयकुसुमेइ वा पालियायकुसुमेइ वा जाइहिंगुलएइ वा सिलप्पवालेइ वा पवालअंकुरेइ वा लोहियक्खमणीइ वा तक्खारसगेइ वा किमिरागकंबलेइ वा चीणपिट्ठरासीइ वा रत्तुप्पलेइ वा रत्तासोगेइ वा रत्तकणवीरेइ वा रत्तबंधुजीवेइ वा भवे एयारुवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं लोहिया मणी इत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामत-राए चेव वण्णेणं पन्नत्ता। तत्थ णं जेते हालिद्दा मणी, तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, से जहानामए–चंपएइ वा चंपगछल्लीइ वा चंपगभेएइ वा हालिद्दाइ वा हालिद्दाभेदेइ वा हलिद्दागुलियाइ वा हरियालियाइ वा हरियालभेदेइ वा हरियालगुलियाइ वा चिउरेइ वा चिउरंगरातेइ वा वरकणगेइ वा वरकनगनिघसेइ वा वरपुरिसवसणेइ वा अल्लकीकुसुमेइ वा चंपाकुसुमेइ वा कुहंडियाकुसुमेइ वा कोरंटकदामेइ वा तडवडाकुसुमेइ वा घोसेडियाकुसुमेइ वा सुवण्णजूहियाकुसुमेइ वा सुहिरण्णकुसुमेइ वा बीययकुसुमेइ वा पीयासोगेइ वा पीयकणवीरेइ वा पीयबंधूजीवेइ वा भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं हालिद्दा मणी एत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामतराए चेव वण्णेणं पन्नत्ता। तत्थ णं जेते सुक्किल्ला मणी, तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, से जहानामए–अंकेइ वा संखेइ वा चंदेइ वा कुमुद उदक दयरय दहिघण खीर खीरपूरेइ वा कोंचावलीइ वा हारावलीइ वा हंसावलीइ वा बलागावलीइ वा चंदावलीइ वा सारतियबलाहएइ वा धंतधोयरुप्पपट्टेइ वा सालिपिट्ठरासीइ वा कुंदपुप्फरासीइ वा कुमुदरासीइ वा सुक्कच्छिवाडीइ वा पिहुणमिं-जियाइ वा भिसेइ वा मुणालियाइ वा गयदंतेइ वा लवंगदलएइ वा पोंडरियदलएइ वा सेसासोगेइ वा सेयकणवीरेइ वा सेयबंधुजी-वेइ वा भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं सुक्किला मणी एत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामतराए चेव वण्णेणं पन्नत्ता। तेसि णं मणीणं इमेयारूवे गंधे पन्नत्ते, से जहानामए–कोट्ठपुडाण वा तगरपुडाण वा एलापुडाण वा चोयपुडाण वा चंपापुडाण वा दमणापुडाण वा कुंकुमपुडाण वा चंदनपुडाण वा उसीरपुडाण वा मरुआपुडाण वा जातिपुडाण वा जूहियापुडाण वा मल्लियापुडाण वा ण्हाणमल्लियापुडाण वा केत्तगिपुडाण वा पाडलिपुडाण वा नोमालियापुडाण वा अगुरुपुडाण वा लवंगपुडाण वा वासपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा अनुवायंसि वा ओभिज्जमाणाण वा कोट्टिज्ज-माणाण वा भंजिज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमाणाण वा विक्किरिज्जमाणाण वा परिभुज्जमाणाण वा भंडाओ भंडं साहरिज्जमाणाण वा ओराला मनुन्ना मनहरा घाणमणनिव्वुतिकरा सव्वओ समंता गंधा अभिनिस्सवंति भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं मणी एत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामतराए चेव गंधेणं पन्नत्ता। तेसिं णं मणीणं इमेयारूवे फासे पन्नत्ते, से जहानामए–आइणेइ वा रूएइ वा बूरेइ वा नवनीएइ वा हसगब्भतूलियाइ वा सिरीसकुसुमनिचयेइ वा बालकुमुदपत्तरासीइ वा भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं मणी एत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामतराए चेव फासेणं पन्नत्ता। तए णं से आभिओगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमानस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महं पिच्छाघरमंडवं विउव्वइ–अनेगखंभसयसन्निविट्ठं अब्भुग्गय सुकयवइरवेइया तोरणवररइय साल-भंजियागं सुसिलिट्ठ विसिट्ठ लट्ठ संठिय पसत्थ वेरुलियविमलखंभं नानामणिकनगरयणखचिय उज्जलबहुसमसुविभत्तभूमिभागं ईहामिय उसभ नुरग नर मगर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर वनलय पउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गय वइरवेइयापरिगयाभिरामं विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेसं सुह-फासं सस्सिरीयरूवं कंचणमणिरयणथूभियागं नानाविहपंचवण्णघंटापडागपरिमंडियग्गसिहरं चवलं मरीतिकवयं विनिम्मुयंतं लाउल्लोइयमहियं गोसीस सरस रत्तचंदन दद्दर दिन्नपंचंगुलितलं उवचिय-वंदनकलसं वंदनघड सुकय तोरणपडिदुवारदेसभागं आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावं पंचवण्णसरससुरभिमुक्क पुप्फपुंजोवयारकलियं कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धुव मघमघेंत-गंधुद्धुयाभिरामं सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूतं अच्छर गण संघ संविकिण्णं दिव्वतुडियसद्दसंपणाइयं अच्छं सण्हं लण्हं घट्ठं मट्ठं नीरयं निम्मलं निप्पंकं निक्कंकडच्छायं सप्पभं समरीइयं सउज्जोयं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं। तस्स णं पिच्छाघरमंडवस्स अंतो बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति जाव मणीणं फासो। तस्स णं पेच्छाघरमंडवस्स उल्लोयं विउव्वति–पउमलयभत्तिचित्तं अच्छं सण्हं लण्हं घट्ठं मट्ठं नीरयं निम्मलं निप्पंकं निक्कंकडच्छायं सप्पभं समरीइयं सउज्जोयं पासादीयं दरिसणिज्जे अभिरूवं पडिरूवं। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगं वइरामयं अक्खाडगं विउव्वति। तस्स णं अक्खाडयस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महेगं मणिपेढियं विउव्वति–अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमयं अच्छं सण्हं लण्हं घट्ठं मट्ठं नीरयं निम्मलं निप्पंकं निक्कंकडच्छायं सप्पभं समरीइयं सउज्जोयं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं, एत्थ णं महेगं सीहासनं विउव्वइ। तस्स णं सीहासनस्स इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते– तवणिज्जामया चक्कला, रययामया सीहा, सोवण्णिया पाया, नानामणिमयाइं पायसीसगाइं, जंबूणयमयाइं गत्ताइं, वइरामया संधी, नानामणिमए वेच्चे से णं सीहासणे ईहामिय उसभ तुरग नर मगर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर वनलय पउमलयभत्तिचित्ते ससारसारोवचियमणिरयणपायपीढे अत्थरग मिउमसूरग नवतयकुसंत लिंब केसर पच्चत्थुयाभिरामे आईणग-रूय बूर नवनीय तूलफासे सुविरइयरयत्ताणे ओयवियखोम-दुगुल्लपट्टपडिच्छायणे रत्तंसुअसंवुए सुरम्मे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तस्स णं सीहासनस्स उवरिं, एत्थ णं महेगं विजयदूसं विउव्वइ– संखंक कुंददगरय अमयमहियफेणपुंजसन्निगासं सव्वरयणामयं अच्छं सण्हं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं। तस्स णं सीहासनस्स उवरिं विजयदूसस्स य बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महं एगं वयरामयं अंकुसं विउव्वति। तस्सिं च णं वयरामयंसि अंकुसंसि कुंभिक्कं मुत्तादामं विउव्वति। से णं कुंभिक्के मुत्तादामे अन्नेहिं चउहिं कुंभिक्केहिं मुत्तादामेहिं तदद्धुच्चत्तपमाणमेत्तेहिं सव्वओ समंता संपरिखित्ते। ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा सुवण्णपयरमंडियागा णाणामजिरयणविविहहारद्धहारउवसोभियसमुदया ईसिं अन्नमन्नमसंपत्ता पुव्वावरदाहिणुत्तरागएहिं वाएहिं मंदायं-मंदायं एज्जमाणा-एज्जमाणा पलंबमाणा-पलंबमाणा पझंझमाणा-पझंझमाणा उरालेणं मणुन्नेणं मनहरेणं कण्णमननिव्वुतिकरेणं सद्देणं ते पएसे सव्वओ समंता आपूरेमाणा-आपूरेमाणा सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठंति। तए णं से आभिओगिए देवे तस्स सीहासनस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं, एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चउण्हं सामानियसाहस्सीणं चत्तारि भद्दासनसाहस्सीओ विउव्वइ। तस्स णं सीहासनस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं चत्तारि भद्दासनसाहस्सीओ विउव्वइ। तस्स णं सीहासनस्स दाहिणपुरत्थिमेणं, एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स अब्भिंतरपरिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ भद्दासनसाहस्सीओ विउव्वइ। एवं–दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसण्हं देवसाहस्सीणं दस भद्दासनसाहस्सीओ विउव्वति। दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरपरिसाए बारसण्हं देवसाहस्सीणं बारस भद्दासनसाहस्सीओ विउव्वति। पच्चत्थिमेणं सत्तण्हं अनियाहिवतीणं सत्त भद्दासणे विउव्वति। तस्स णं सीहासनस्स चउदिसिं, एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सोलसण्हं आयरक्खदेव-साहस्सीणं सोलस भद्दासनसाहस्सीओ विउव्वति, तं जहा–पुरत्थिमेणं चत्तारि साहस्सीओ, दाहिणेणं चत्तारि साहस्सीओ, पच्चत्थिमेणं चत्तारि साहस्सीओ, उत्तरेणं चत्तारि साहस्सीओ। तस्स दिव्वस्स जाणविमानस्स इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, से जहानामए–अइरुग्गयस्स वा हेमंतियबालियसूरियस्स, खयरिंगालाण वा रत्तिं पज्जलियाणं, जवाकुसुमवणस्स वा केसुयवणस्स वा पारियायवणस्स वा सव्वतो समंता संकुसुमियस्स भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे। तस्स णं दिव्वस्स जाणविमानस्स एत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पियतराए चेव मनुन्नतराए चेव मनामतराए चेव वण्णे पन्नत्ते। गंधो य फासो य जहा मणीणं। तए णं से आभियोगिए देवे दिव्वं जाणविमानं विउव्वइ, विउव्वित्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं बद्धावेति, बद्धावेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणति। | ||
Sutra Meaning : | तदनन्तर वह आभियोगिक देव सूर्याभदेव द्वारा इस प्रकार का आदेश दिये जाने पर हर्षित एवं सन्तुष्ट हुआ यावत् प्रफुल्ल हृदय हो दोनों हाथ जोड़ यावत् आज्ञा को सूना यावत् उसे स्वीकार करके वह ईशानकोण में आया। वहाँ आकर वैक्रिय समुद्घात किया और संख्यात योजन ऊपर – नीचे लंबे दण्ड बनाया यावत् यथाबादर पुद्गलों को अलग हटाकर सारभूत सूक्ष्म पुद्गलों को ग्रहण किया, ग्रहण करके दूसरी बार पुनः वैक्रिय समुद्घात करके अनेक सैकड़ों स्तम्भों पर सन्निविष्ट यावत् दिव्यमान – विमान की विकुर्वणा करने में प्रवृत्त हो गया। इसके अनन्तर सर्वप्रथम आभियोगिक देवों ने उस दिव्य यान की तीन दिशाओं में विशिष्ट रूप तीन सोपानों वाली तीन सोपान पंक्तियों की रचना की। इनकी नेम, वेदिका वज्ररत्नों से बनी हुई थी। रिष्ट रत्नमय इनके प्रतिष्ठान और वैडूर्य रत्नमय स्तम्भ थे। स्वर्ण – रजतमय फलक थे। लोहिताक्ष रत्नमयी इनमें सूचियाँ लगी थी। वज्ररत्नों से इनकी संधियाँ भरी हुई थीं, चढ़ने – उतरने में अवलंबन के लिए अनेक प्रकार के मणिरत्नों से बनी इनकी अवलंबनबाहा थीं तथा ये त्रिसोपान पंक्तियाँ मन को प्रसन्न करने वाली यावत् असाधारण सुन्दर थी। इन दर्शनीय मनमोहक प्रत्येक त्रिसोपान – पंक्तियों के आगे तोरण बंधे हुए थे। वे तोरण मणियों से बने हुए थे। गिर न सके, इस विचार से विविध प्रकार के मणिमय स्तम्भों के ऊपर भली – भाँति निश्चल रूप से बाँधे गए थे। बीच के अन्तराल विविध प्रकार के मोतियों से निर्मित रूपकों से उपशोभित थे और सलमा सितारों आदि से बने हुए तारा – रूपकों से व्याप्त यावत् अतीव मनोहर थे। उन तोरणों के ऊपरी भाग में स्वस्तिक, श्रीवत्स, नन्दिकावर्त, वर्द्धमानक, भद्रासन, कलश, मत्स्ययुगल और दर्पण, इन आठ – आठ मांगलिकों की रचना की। जो यावत् उन तोरणों के ऊपर स्वच्छ, निर्मल, सलौनी, रजत मय पट्ट से शोभित वज्रनिर्मित डंडियोंवाली, कमलों जैसी सुरभि गंध से सुगंधित, रमणीय, आह्लादकारी, दर्शनीय, मनोहर, अतीव मनोहर, बहुत सी कृष्ण चामर ध्वजाओं यावत् श्वेत चामर ध्वजाओं की रचना की। उन तोरणों के शिरोभागमें निर्मल यावत् अत्यन्त शोभनीय रत्नों से बने अनेक छत्रातिछत्रों पताकातिपताकाओं घंटायुगल, उत्पल, कुमुद, नलिन, सुभग, सौगन्धिक, पुंडरीक, महापुंडरीक, शतपत्र, सहस्रपत्र कमलों के झूमकों को लटकाया। सोपानों आदि की रचना करने के अनन्तर उस आभियोगिक देव ने उस दिव्यविमान के अन्दर एकदम समतल भूमिभाग की विक्रिया की। वह भूभाग आलिंगपुष्कर मृदंग पुष्कर, पूर्ण रूप से भरे हुए सरोवर के ऊपरी भाग, करतल, चन्द्रमंडल, सूर्यमंडल, दर्पण मंडल अथवा शंकु जैसे बड़े – बड़े खीलों को ठोक और खींचकर चारों ओर से सम किये गये भेड़, बैल, सुअर, सिंह, व्याघ्र, बकरी और भेड़िये के चमड़े के समान अत्यन्त रमणीय एवं सम था। वह सम भूमिभाग अनेक प्रकार के वर्त, प्रत्यावर्त, श्रेणि, प्रश्रेणि, स्वस्तिक, पुष्पमाणव, शरावसंपुट, मतस्यांड, मकराण्ड जार, मार आदि शुभलक्षणों और कृष्ण, नील, लाल, पीले और श्वेत इन पाँच वर्णों की मणियों से उपशोभित था और उनमें कितनी ही मणियों में पुष्पलताओं, कमलपत्रों, समुद्रतरंगों, वसंतलताओं, पद्मलताओं आदि के चित्राम बने हुए थे तथा वे सभी मणियाँ निर्मल, चमकदार किरणों वाली उद्योत – शीतल प्रकाश वाली थी। उन मणियों में कृष्णवर्ण वाली मणियाँ क्या सचमुच में सघन मेघ घटाओं, अंजनसुरमा, खंजन काजल, काली स्याही, काली स्याही की गोली, भैंसे के सींग की गोली, भ्रमर, भ्रमर पंक्ति, भ्रमर पंख, जामुन, कच्चे अरीठे के बीज अथवा कौए के बच्चे कोयल, हाथी, हाथी के बच्चे, कृष्ण सर्प, कृष्ण बकुल, शरद ऋतु के मेघरहित आकाश, कृष्ण अशोक वृक्ष, कृष्ण कनेर, कृष्ण बंधुजीवक जैसी काली थीं ? हे आयुष्मन् श्रमणों ! यह अर्थ समर्थ नहीं है – वे काली मणियाँ तो इन सभी उपमाओं से भी अधिक इष्टतर कांततर मनोज्ञतर और अतीव मनोहर कृष्ण वर्ण वाली थीं। उनमें की नील वर्ण की मणियाँ क्या भृंगकीट, भृंग के पंख, शुक, शुकपंख, चाष पक्षी, चाष पंख, नील, नील के अंदर का भाग, नील गुटिका, सांवा, उच्चन्तक, वनराजि, बलदेव के पहनने के वस्त्र, मोर की गर्दन, कबूतर की गर्दन, अलसी के फूल, बाणपुष्प, अंजनकेशी के फूल, नीलकमल, नीले अशोक, नीले कनेर और बंधुजीवक जैसी नीली थीं ? यह अर्थ समर्थ नहीं है। वे नीली मणियाँ तो इन उपमेय पदार्थों से भी अधिक इष्टतर यावत् अतीव मनोहर नील वर्ण वाली थीं। उन मणियों में लोहित रंग की मणियों का रंग सचमुच में क्या शशक के खून, भेड़ के रक्त, सुअर के रक्त, मनुष्य के रक्त, भैंस के रक्त, बाल इन्द्रगोप, प्रातः – कालीन सूर्य, संध्या राग, गुंजाफल के आधे भाग, जपापुष्प, किंशुक पुष्प, परिजातकुसुम, शुद्ध हिंगलुक, प्रवाल, प्रवाल के अंकुर, लोहिताक्ष मणि, लाख के रंग, कृमिराग से रंगे कंबल, चीणा के आटे, लाल कमल, लाल अशोक, लाल कनेर अथवा रक्त बंधुजीवक जैसा लाल था ? ये बोध समर्थ नहीं है। वे मणियाँ तो इनसे भी अधिक इष्ट यावत् अत्यन्त मनोहर रक्त वर्ण की थीं। उन मणियों में पीले रंग की मणियों का पीतरंग क्या सचमुच में स्वर्ण चंपा, स्वर्ण चंपा की छाल, स्वर्ण चंपा के अंदर का भाग, हल्दी – हल्दी के अंदर का भाग, हल्दी की गोली हरताल, हरताल के अंदर का भाग, हरताल की गोली, चिकुर, चिकुर के रंग से रंगे वस्त्र, शुद्ध स्वर्ण की कसौटी पर खींची गई रेखा, वासुदेव के वस्त्रों, अल्लकी के फूल, चंपाकुसुम, कूष्मांड के फूल, कोरंटक पुष्प की माला, तडवडा के फूल, घोषातिकि पुष्प, सुवर्णयूथिका, सुहिरण्य के फूल, बीजक फूल, पीले अशोक, पीले कनेर अथवा पीले बंधुजीवक जैसा पीला था ? आयुष्मन् श्रमणों ! ये अर्थ समर्थ नहीं है। वे पीली मणियाँ तो इन से भी इष्टतर यावत् पीले वर्ण वाली थीं। हे भगवन् ! उन मणियों में जो श्वेत वर्ण की मणियाँ थीं क्या वे अंक रत्न, शंख, चन्द्रमा, कुमुद, शुद्ध जल, ओस बिन्दु, दहीं, दूध, दूध के फेन, क्रोंच पक्षी की पंक्ति, मोतियों के हार, हंस पंक्ति, बलाका पंक्ति, चन्द्रमा की पंक्ति, शरद ऋतु के मेघ, अग्नि में तपाकर धोये गए चाँदी के पतरे, चावल के आटे, कुन्दपुष्प – समूह, कुमुद पुष्प के समूह, सूखी सिम्बा फली, मयूरपिच्छ का सफेद मध्य भाग, विस – मृणाल, मृणालिका, हाथी के दाँत, लोंग के फूल, पुंडरीक कमल, श्वेत अशोक, श्वेत कनेर अथवा श्वेत बंधुजीवक जैसी श्वेत वर्ण की थीं ? आयुष्मन् श्रमणों ! ऐसा नहीं है। वे श्वेत मणियाँ तो इनसे भी अधिक इष्टतर यावत् सरस, मनोहर आदि मनोज्ञ श्वेत वर्ण वाली थीं। उस दिव्य यान विमान के अन्तर्वर्ती सम भूभाग में खचित मणियाँ क्या वैसी ही सुरभिगंध वाली थीं जैसी कोष्ठ तगर, इलाइची, चोया, चंपा, दमनक, कुंकुम, चंदन, उशीर, मरुआ, जाई पुष्प, जूही, मल्लिका, स्नान – मल्लिका, केतकी, पाटल, नवमल्लिका, अगर, लवंग, वास, कपूर और कपूर के पुड़ों को अनुकूल वायु में खोलने पर, कूटने पर, तोड़ने पर, उत्कीर्ण करने पर, बिखेरने पर, उपभोग करने पर, दूसरों को देने पर, एक पात्र से दूसरे पात्र में रखने पर, उदार, आकर्षक, मनोज्ञ, मनहर घ्राण और मन को शांतिदायक गंध सभी दिशाओं में मघमघाती हुई फैलती है, महकती है ? आयुष्मन् श्रमणों ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। ये तो मात्र उपमाएं हैं। वे मणियाँ तो इनसे भी इष्टतर यावत् मनोज्ञ – सुरभि गंध वाली थीं। उन मणियों का स्पर्श क्या अजिनक रूई, बूर, मक्खन, हंसगर्भ, शिरीष पुष्पों के समूह अथवा नवजात कमलपत्रों की राशि जैसा कोमल था ? आयुष्मन् श्रमणों ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। वे मणियाँ तो इनसे भी अधिक इष्टतर यावत् स्पर्शवाली थीं। तदनन्तर आभियोगिक देवों ने उस दिव्य यान विमान के अंदर बीचों – बीच एक विशाल प्रेक्षागृह मण्डप की रचना की। वह प्रेक्षागृह मण्डप अनेक सैकड़ों स्तम्भों पर संनिविष्ट था। अभ्युन्नत एवं सुरचित वेदिकाओं, तोरणों तथा सुन्दर पुतलियों से सजाया गया था। सुन्दर विशिष्ट रमणीय संस्थान प्रशस्त और विमल वैडूर्य मणियों से निर्मित स्तम्भों से उपशोभित था। उसका भूमिभाग विविध प्रकार की उज्ज्वल मणियों से खचित, सुविभक्त एवं अत्यन्त सम था। उसमें ईहामृग वृषभ, तुरंग, नर, मगर, विहग, सर्प, किन्नर, रुरु, सरभ, चमरी गाय, कुंजर, वनलता, पद्मलता आदि के चित्राम चित्रित थे। स्तम्भों के शिरोभाग में वज्र रत्नों से बनी हुई वेदिकाओं से मनोहर दिखता था। यंत्रचालित – जैसे विद्याधर युगलों से शोभित था। सूर्य के सदृश हजारों किरणों से सुशोभित एवं हजारों सुन्दर घंटाओ से युक्त था। देदीप्यमान और अतीव देदीप्यमान होने से दर्शकों के नेत्रों को आकृष्ट करने वाला, सुखप्रद स्पर्श और रूप – शोभा से सम्पन्न था। उस पर स्वर्ण, मणि एवं रत्नमय स्तूप बने हुए थे। उसके शिखर का अग्र भाग नाना प्रकार की घंटियों और पंचरंगी पताकाओं से परिमंडित था। और अपनी चमचमाहट एवं सभी ओर फैल रही किरणों के कारण चंचल – सा दिखता था। उसका प्रांगण गोबर से लिपा था और दीवारें सफेद मिट्टी से पुती थीं। स्थान – स्थान पर सरस गोशीर्ष रक्त – चंदन के हाथे लगे हुए थे और चंदनचर्चित कलश रखे थे। प्रत्येक द्वार तोरणों और चन्दन – कलशों से शोभित थे। दीवारों पर ऊपर से लेकर नीचे तक सुगंधित गोल मालाएं लटक रही थीं। सरस सुगन्धित पंचरंगे पुष्पों के मांडने बने हुए थे। उत्तम कृष्ण अगर, कुन्दरूष्क, तरुष्क और धूप की मोहक सुगंध से महक रहा था और उस उत्तम सुरभि गंध से गंध की वर्तिका प्रतीत होता था। अप्सराओं के समुदायों के गमनागमन से व्याप्त था। दिव्य वाद्यों के निनाद से गूँज रहा था। वह स्वच्छ यावत् प्रतिरूप था। उस प्रेक्षागृह मंडप के अंदर अतीव सम रमणीय भू – भाग की रचना की। उस भूमि – भाग में खचित मणियों के रूप – रंग, गंध आदि की समस्त वक्तव्यता पूर्ववत्। उस सम और रमणीय प्रेक्षागृह मंडप की छत में पद्मलता आदि के चित्रामों से युक्त यावत् अतीव मनोहर चंदेवा बांधा। उस सम रमणीय भूमिभाग के भी मध्यभाग में वज्ररत्नों से निर्मित एक विशाल अक्षपाट की रचना की। उस क्रीड़ामंच के बीचोंबीच आठ योजन लम्बी – चौड़ी और चार योजन मोटी पूर्णतया वज्ररत्नों से बनी हुई निर्मल, चिकनी यावत् प्रतिरूपा एक विशाल मणिपीठिका की विकुर्वणा की। उस मणिपीठिका के ऊपर एक महान सिंहासन बनाया। उस सिंहासन के चक्कला सोने के, सिंहाकृति वाले हत्थे रत्नों के, पाये सोने के, पादशीर्षक अनेक प्रकार की मणियों के और बीच के गाते जाम्बूनद के थे। उसकी संधियाँ वज्ररत्नों से भरी हुई थीं और मध्य भाग की बुनाई का वेंत बाण मणिमय था। उस सिंहासन पर ईहामृग, वृषभ तुरग, नर, मगर, विहग, सर्प, किन्नर, रुरु सरभ, चमर, हाथी, वनलता, पद्मलता आदि के चित्र बने हुए थे। सिंहासन के सामने स्थापित पाद – पीठ सर्वश्रेष्ठ मूल्यवान मणियों और रत्नों का बना हुआ था। उस पादपीठ पर पैर रखने के लिए बिछा हुआ मसूरक नवतृण कुशाग्र और केसर तंतुओं जैसे अत्यन्त सुकोमल सुन्दर आस्तारक से ढका हुआ था। उसका स्पर्श आजिनक रूई, बूर, मक्खन और आक की रूई जैसा मृदु – कोमल था। वह सुन्दर सुरचित रजस्राण से आच्छादित था। उस पर कसीदा काढ़े क्षौम दुकूल का चद्दर बिछा हुआ था और अत्यन्त रमणीय लाल वस्त्र से आच्छादित था। जिससे वह सिंहासन अत्यन्त रमणीय, मन को प्रसन्न करने वाला, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप – अतीव मनोहर दिखता था। उस सिंहासन के ऊपरी भाग में शंख, कुंदपुष्प, जलकण, मथे हुए क्षीरोदधि के फेनपुंज के सदृश प्रभा वाले रत्नों से बने हुए, स्वच्छ, निर्मल, स्निग्ध प्रासादिक, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप एक विजयदूष्य को बांधा। उस सिंहासन के ऊपरी भाग में बंधे हुए विजयदूष्य के बीचों – बीच वज्ररत्नमय एक अंकुश लगाया। उस वज्ररत्नमयी अंकुश में कुंभ परिणाम जैसे एक बड़े मुक्तादाम को लटकाया और वह कुंभपरिमाण वाला मुक्तादाम भी चारों दिशाओं में उसके परिमाण से आधे और दूसरे चार मुक्तादामों से परिवेष्टित था। वे सभी दाम सोने के लंबूसकों, विविध प्रकार की मणियों, रत्नों अथवा विविध प्रकार के मणिरत्नों से बने हुए हारों, अर्ध हारों के समुदायों से शोभित हो रहे थे और पास – पास टंगे होने से लटकने से जब पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर की मन्द – मन्द हवा के झोकों से हिलते – डुलते तो एक दूसरे से टकराने पर विशिष्ट, मनोज्ञ, मनोहर, कर्ण एवं मन को शांति प्रदान करने वाली रुनझुन रुनजुन शब्द – ध्वनि से समीपवर्ती समस्त प्रदेश को व्याप्त करते हुए अपनी श्री – शोभा से अतीव – अतीव शोभित होते थे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam se abhiogie deve suriyabhenam devenam evam vutte samane hatthatuttha chittamanamdie piimane paramasomanassie harisavasa visappamanahiyae karayalapariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu evam devo! Tahatti anae vinaenam vayanam padisunei, padisunitta uttarapuratthimam disibhagam avakkamamti, avakkamitta veuvviyasamugghaenam samohannai, samohanitta samkhejjaim joyanaim damdam nisirati, tam jaha–rayananam vairanam veruliyanam lohiyakkhanam masaragallanam hamsagabbhanam pulaganam sogamdhiyanam joirasanam amjananam amjanampulaganam rayayanam jayaruvanam amkanam phalihanam ritthanam ahabayare poggale parisadei, parisaditta ahasuhume poggale pariyaei,.. ..Pariyaitta dochcham pi veuvviyasamugghaenam samohannati, samohanitta anegakhambhasaya-sannivittham lilatthiya-salabhamjiyagam ihamiya usabha turaga nara magara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara - paumalayabhattichittam khambhuggaya-vairaveiya parigayabhiramam vijjahara jamalajuyala jamtajuttam piva achchisahassamalaniyam ruvagasahassakaliyam bhisamanam bhibbhisamanam chakkhalloyanalesam suha-phasam sassiriyaruvam ghamtavali chaliya mahura manaharasaram suham kamtam darisanijjam niuna oviya misimisemtamanirayanaghamtiyajalaparikkhittam joyanasayasahassavitthinnam divvam gamanasajjam siggha-gamanam nama divvam janavimanam veuvvium pavatte yavi hottha. Tae nam se abhiogie deve tassa divvassa janavimanassa tidisim tisovanapadiruvae viuvvati, tam jaha–puratthimenam dahinenam uttarenam. Tesim tisovanapadiruvaganam ime eyaruve vannavase pannatte, tam jaha– vairamaya nimma, ritthamaya patitthana, veruliyamaya khambha, suvanna-ruppamaya phalaga, lohitakkhamaiyao suio, vairamaya samdhi, nanamanimaya avalambana avalambanabahao ya pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam tisovanapadiruvaganam purao patteyam-patteyam torana pannatta. Tesi nam torananam ime eyaruve vannavase pananatte, tam jaha–tenam torana nanamanimaya, nanamaniesu thambhesu uvanivittha-sannivittha, vivihamuttamtararuvovachiya, vivihatararuvovachiya ihamiya usabha turaya vara mayara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara vanalaya paumalayabhattichitta khambhuggaya vairaveiya parigayabhiraya vijjahara jamalajuyalajamtajutta piva achchisahassamalaniya ruvagasahassakaliya bhisamana bhibbhisamana chakkhulloyanalesa suhaphasa sassiriyaruva ghamtavali chaliya mahura manaharasara pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam torananam uppim atthatthamamgalaga pannatta, tam jaha–sotthiya sirivachchha namdiyavatta vaddhamanaga bhaddasana kalasa machchha dappana savvarayanamaya achchha sanha lanha ghattha mattha niraya nimmala nippamka nikkamkadachchhaya sappabha samariiya saujjoya pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesim nam torananam uppim bahave kinhachamarajjhae nilachamarajjhae lohiyachamarajjhae haliddachamarajjhae sukkilachamarajjhae achchhe sanhe ruppapatte vairadamde jalayamalagamdhie suramme pasadie darisanijje abhiruve padiruve viuvvai. Tesi nam torananam uppim bahave chhattatichhatte padagaipadage ghamtajugale chamarajugale uppalahatthae pauma nalina subhaga sogamdhiya pomdariya mahapomdariya satapatta sahassapattahatthae savvarayanamae achchhe sanhe lanhe ghatthe matthe nirae nimmale nippamke nikkamkadachchhae sappabhe samariie saujjoe pasadie darisanijje abhiruve padiruve viuvvai. Tae nam se abhiogie deve tassa divvassa janavimanassa amto bahusamaramanijjam bhumibhagam viuvvati, se jahanamae–alimgapukkharei va muimgapukkharei va paripunne saratalei va karatalei va chamdamamdalei va suramamdalei va ayamsamamdalei va urabbhachammei va vasahachammei va varahachammei va sihachammei va vagghachammei va migachammei va diviyachammei va anegasamkukila-gasahassavitate, avada-pachchavada sedhi pasedhi sotthiya-sovatthiya pusamanava vaddhamanaga machchhamdaga-magaramdaga jara-mara phullavali paumapatta sagarataramga vasamtalaya paumalayabhattichittehim sachchhaehim sappabhehim samariiehim saujjoehim nanavihapamchavannehim manihim uvasobhie, tam jaha–kinhehim nilehim lohiehim haliddehim sukkilehim. Tattha nam jete kinha mani, tesim nam maninam ime eyaruve vannavase pannatte, se jahanamae–jimutaei va amjanei va khamjanei va kajjalei va masii va masiguliyai va gavalei va gavalaguliyai va bhamarei va bhamaravaliyai va bhamarapatamga-sarei va jambuphalei va addaritthei va paraputthei va gaei va gayakalabhei va kinhasappei va kinhakesarei va agasabhiggalei va kinhasoei va kinhakanavirei va kinhabamdhujivei va bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe, te nam kinha mani itto itthattarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamatarae cheva vannenam pannatta. Tattha nam jete nila mani, tesi nam maninam ime eyaruve vannavase pannatte, se jahanamae–bhimgei va bhimgapattei va suei va suyapichchhei va chasei va chasapichchhei va nilii va nilibhedei va niliguliyai va samaei va uchchamtagei va vanaratii va haladharavasane i va moraggivai va parevayaggivai va ayasikusumei va vanakusumei va amjanamkesiyakusumei va niluppalei va nilasogei va nilakanavirei va nilabamdhujivei va bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe, te nam nila mani etto itthatarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamatarae cheva vannenam pannatta. Tattha nam jete lohiya mani, tesi nam maninam imeyaruve vannavase pannatte, se jahanamae–sasaruhirei va urabbharuhirei va varaharuhirei va manussaruhirei va mahisaruhirei va balimdagovei va baladivakarei va samjhabbharagei va gumjaddharagei va jasuanakusumei va kimsuyakusumei va paliyayakusumei va jaihimgulaei va silappavalei va pavalaamkurei va lohiyakkhamanii va takkharasagei va kimiragakambalei va chinapittharasii va rattuppalei va rattasogei va rattakanavirei va rattabamdhujivei va bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe, te nam lohiya mani itto itthatarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamata-rae cheva vannenam pannatta. Tattha nam jete halidda mani, tesi nam maninam imeyaruve vannavase pannatte, se jahanamae–champaei va champagachhallii va champagabheei va haliddai va haliddabhedei va haliddaguliyai va hariyaliyai va hariyalabhedei va hariyalaguliyai va chiurei va chiuramgaratei va varakanagei va varakanaganighasei va varapurisavasanei va allakikusumei va champakusumei va kuhamdiyakusumei va koramtakadamei va tadavadakusumei va ghosediyakusumei va suvannajuhiyakusumei va suhirannakusumei va biyayakusumei va piyasogei va piyakanavirei va piyabamdhujivei va bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe, te nam halidda mani etto itthatarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamatarae cheva vannenam pannatta. Tattha nam jete sukkilla mani, tesi nam maninam imeyaruve vannavase pannatte, se jahanamae–amkei va samkhei va chamdei va kumuda udaka dayaraya dahighana khira khirapurei va komchavalii va haravalii va hamsavalii va balagavalii va chamdavalii va saratiyabalahaei va dhamtadhoyaruppapattei va salipittharasii va kumdapuppharasii va kumudarasii va sukkachchhivadii va pihunamim-jiyai va bhisei va munaliyai va gayadamtei va lavamgadalaei va pomdariyadalaei va sesasogei va seyakanavirei va seyabamdhuji-vei va bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe, te nam sukkila mani etto itthatarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamatarae cheva vannenam pannatta. Tesi nam maninam imeyaruve gamdhe pannatte, se jahanamae–kotthapudana va tagarapudana va elapudana va choyapudana va champapudana va damanapudana va kumkumapudana va chamdanapudana va usirapudana va maruapudana va jatipudana va juhiyapudana va malliyapudana va nhanamalliyapudana va kettagipudana va padalipudana va nomaliyapudana va agurupudana va lavamgapudana va vasapudana va kappurapudana va anuvayamsi va obhijjamanana va kottijja-manana va bhamjijjamanana va ukkirijjamanana va vikkirijjamanana va paribhujjamanana va bhamdao bhamdam saharijjamanana va orala manunna manahara ghanamananivvutikara savvao samamta gamdha abhinissavamti bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe, te nam mani etto itthatarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamatarae cheva gamdhenam pannatta. Tesim nam maninam imeyaruve phase pannatte, se jahanamae–ainei va ruei va burei va navaniei va hasagabbhatuliyai va sirisakusumanichayei va balakumudapattarasii va bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe, te nam mani etto itthatarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamatarae cheva phasenam pannatta. Tae nam se abhiogie deve tassa divvassa janavimanassa bahumajjhadesabhage, ettha nam maham pichchhagharamamdavam viuvvai–anegakhambhasayasannivittham abbhuggaya sukayavairaveiya toranavararaiya sala-bhamjiyagam susilittha visittha lattha samthiya pasattha veruliyavimalakhambham nanamanikanagarayanakhachiya ujjalabahusamasuvibhattabhumibhagam ihamiya usabha nuraga nara magara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara vanalaya paumalayabhattichittam khambhuggaya vairaveiyaparigayabhiramam vijjaharajamalajuyalajamtajuttam piva achchisahassamalaniyam ruvagasahassakaliyam bhisamanam bhibbhisamanam chakkhulloyanalesam suha-phasam sassiriyaruvam kamchanamanirayanathubhiyagam nanavihapamchavannaghamtapadagaparimamdiyaggasiharam chavalam maritikavayam vinimmuyamtam laulloiyamahiyam gosisa sarasa rattachamdana daddara dinnapamchamgulitalam uvachiya-vamdanakalasam vamdanaghada sukaya toranapadiduvaradesabhagam asattosattaviulavattavagghariyamalladamakalavam pamchavannasarasasurabhimukka pupphapumjovayarakaliyam kalagaru pavarakumdurukka turukka dhuva maghamaghemta-gamdhuddhuyabhiramam sugamdhavaragamdhagamdhiyam gamdhavattibhutam achchhara gana samgha samvikinnam divvatudiyasaddasampanaiyam achchham sanham lanham ghattham mattham nirayam nimmalam nippamkam nikkamkadachchhayam sappabham samariiyam saujjoyam pasadiyam darisanijjam abhiruvam padiruvam. Tassa nam pichchhagharamamdavassa amto bahusamaramanijjam bhumibhagam viuvvati java maninam phaso. Tassa nam pechchhagharamamdavassa ulloyam viuvvati–paumalayabhattichittam achchham sanham lanham ghattham mattham nirayam nimmalam nippamkam nikkamkadachchhayam sappabham samariiyam saujjoyam pasadiyam darisanijje abhiruvam padiruvam. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham egam vairamayam akkhadagam viuvvati. Tassa nam akkhadayassa bahumajjhadesabhage, ettha nam mahegam manipedhiyam viuvvati–attha joyanaim ayamavikkhambhenam, chattari joyanaim bahallenam, savvamanimayam achchham sanham lanham ghattham mattham nirayam nimmalam nippamkam nikkamkadachchhayam sappabham samariiyam saujjoyam pasadiyam darisanijjam abhiruvam padiruvam. Tise nam manipedhiyae uvarim, ettha nam mahegam sihasanam viuvvai. Tassa nam sihasanassa imeyaruve vannavase pannatte– tavanijjamaya chakkala, rayayamaya siha, sovanniya paya, nanamanimayaim payasisagaim, jambunayamayaim gattaim, vairamaya samdhi, nanamanimae vechche se nam sihasane ihamiya usabha turaga nara magara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara vanalaya paumalayabhattichitte sasarasarovachiyamanirayanapayapidhe attharaga miumasuraga navatayakusamta limba kesara pachchatthuyabhirame ainaga-ruya bura navaniya tulaphase suviraiyarayattane oyaviyakhoma-dugullapattapadichchhayane rattamsuasamvue suramme pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Tassa nam sihasanassa uvarim, ettha nam mahegam vijayadusam viuvvai– samkhamka kumdadagaraya amayamahiyaphenapumjasannigasam savvarayanamayam achchham sanham pasadiyam darisanijjam abhiruvam padiruvam. Tassa nam sihasanassa uvarim vijayadusassa ya bahumajjhadesabhage, ettha nam maham egam vayaramayam amkusam viuvvati. Tassim cha nam vayaramayamsi amkusamsi kumbhikkam muttadamam viuvvati. Se nam kumbhikke muttadame annehim chauhim kumbhikkehim muttadamehim tadaddhuchchattapamanamettehim savvao samamta samparikhitte. Te nam dama tavanijjalambusaga suvannapayaramamdiyaga nanamajirayanavivihaharaddhaharauvasobhiyasamudaya isim annamannamasampatta puvvavaradahinuttaragaehim vaehim mamdayam-mamdayam ejjamana-ejjamana palambamana-palambamana pajhamjhamana-pajhamjhamana uralenam manunnenam manaharenam kannamananivvutikarenam saddenam te paese savvao samamta apuremana-apuremana sirie ativa-ativa uvasobhemana-uvasobhemana chitthamti. Tae nam se abhiogie deve tassa sihasanassa avaruttarenam uttarenam uttarapuratthimenam, ettha nam suriyabhassa devassa chaunham samaniyasahassinam chattari bhaddasanasahassio viuvvai. Tassa nam sihasanassa puratthimenam, ettha nam suriyabhassa devassa chaunham aggamahisinam saparivaranam chattari bhaddasanasahassio viuvvai. Tassa nam sihasanassa dahinapuratthimenam, ettha nam suriyabhassa devassa abbhimtaraparisae atthanham devasahassinam attha bhaddasanasahassio viuvvai. Evam–dahinenam majjhimaparisae dasanham devasahassinam dasa bhaddasanasahassio viuvvati. Dahinapachchatthimenam bahiraparisae barasanham devasahassinam barasa bhaddasanasahassio viuvvati. Pachchatthimenam sattanham aniyahivatinam satta bhaddasane viuvvati. Tassa nam sihasanassa chaudisim, ettha nam suriyabhassa devassa solasanham ayarakkhadeva-sahassinam solasa bhaddasanasahassio viuvvati, tam jaha–puratthimenam chattari sahassio, dahinenam chattari sahassio, pachchatthimenam chattari sahassio, uttarenam chattari sahassio. Tassa divvassa janavimanassa imeyaruve vannavase pannatte, se jahanamae–airuggayassa va hemamtiyabaliyasuriyassa, khayarimgalana va rattim pajjaliyanam, javakusumavanassa va kesuyavanassa va pariyayavanassa va savvato samamta samkusumiyassa bhave eyaruve siya? No inatthe samatthe. Tassa nam divvassa janavimanassa etto itthatarae cheva kamtatarae cheva piyatarae cheva manunnatarae cheva manamatarae cheva vanne pannatte. Gamdho ya phaso ya jaha maninam. Tae nam se abhiyogie deve divvam janavimanam viuvvai, viuvvitta jeneva suriyabhe deve teneva uvagachchhai, uvagachchhitta suriyabham devam karayalapariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu jaenam vijaenam baddhaveti, baddhavetta tamanattiyam pachchappinati. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tadanantara vaha abhiyogika deva suryabhadeva dvara isa prakara ka adesha diye jane para harshita evam santushta hua yavat praphulla hridaya ho donom hatha jora yavat ajnya ko suna yavat use svikara karake vaha ishanakona mem aya. Vaham akara vaikriya samudghata kiya aura samkhyata yojana upara – niche lambe danda banaya yavat yathabadara pudgalom ko alaga hatakara sarabhuta sukshma pudgalom ko grahana kiya, grahana karake dusari bara punah vaikriya samudghata karake aneka saikarom stambhom para sannivishta yavat divyamana – vimana ki vikurvana karane mem pravritta ho gaya. Isake anantara sarvaprathama abhiyogika devom ne usa divya yana ki tina dishaom mem vishishta rupa tina sopanom vali tina sopana pamktiyom ki rachana ki. Inaki nema, vedika vajraratnom se bani hui thi. Rishta ratnamaya inake pratishthana aura vaidurya ratnamaya stambha the. Svarna – rajatamaya phalaka the. Lohitaksha ratnamayi inamem suchiyam lagi thi. Vajraratnom se inaki samdhiyam bhari hui thim, charhane – utarane mem avalambana ke lie aneka prakara ke maniratnom se bani inaki avalambanabaha thim tatha ye trisopana pamktiyam mana ko prasanna karane vali yavat asadharana sundara thi. Ina darshaniya manamohaka pratyeka trisopana – pamktiyom ke age torana bamdhe hue the. Ve torana maniyom se bane hue the. Gira na sake, isa vichara se vividha prakara ke manimaya stambhom ke upara bhali – bhamti nishchala rupa se bamdhe gae the. Bicha ke antarala vividha prakara ke motiyom se nirmita rupakom se upashobhita the aura salama sitarom adi se bane hue tara – rupakom se vyapta yavat ativa manohara the. Una toranom ke upari bhaga mem svastika, shrivatsa, nandikavarta, varddhamanaka, bhadrasana, kalasha, matsyayugala aura darpana, ina atha – atha mamgalikom ki rachana ki. Jo yavat una toranom ke upara svachchha, nirmala, salauni, rajata maya patta se shobhita vajranirmita damdiyomvali, kamalom jaisi surabhi gamdha se sugamdhita, ramaniya, ahladakari, darshaniya, manohara, ativa manohara, bahuta si krishna chamara dhvajaom yavat shveta chamara dhvajaom ki rachana ki. Una toranom ke shirobhagamem nirmala yavat atyanta shobhaniya ratnom se bane aneka chhatratichhatrom patakatipatakaom ghamtayugala, utpala, kumuda, nalina, subhaga, saugandhika, pumdarika, mahapumdarika, shatapatra, sahasrapatra kamalom ke jhumakom ko latakaya. Sopanom adi ki rachana karane ke anantara usa abhiyogika deva ne usa divyavimana ke andara ekadama samatala bhumibhaga ki vikriya ki. Vaha bhubhaga alimgapushkara mridamga pushkara, purna rupa se bhare hue sarovara ke upari bhaga, karatala, chandramamdala, suryamamdala, darpana mamdala athava shamku jaise bare – bare khilom ko thoka aura khimchakara charom ora se sama kiye gaye bhera, baila, suara, simha, vyaghra, bakari aura bheriye ke chamare ke samana atyanta ramaniya evam sama tha. Vaha sama bhumibhaga aneka prakara ke varta, pratyavarta, shreni, prashreni, svastika, pushpamanava, sharavasamputa, matasyamda, makaranda jara, mara adi shubhalakshanom aura krishna, nila, lala, pile aura shveta ina pamcha varnom ki maniyom se upashobhita tha aura unamem kitani hi maniyom mem pushpalataom, kamalapatrom, samudrataramgom, vasamtalataom, padmalataom adi ke chitrama bane hue the tatha ve sabhi maniyam nirmala, chamakadara kiranom vali udyota – shitala prakasha vali thi. Una maniyom mem krishnavarna vali maniyam kya sachamucha mem saghana megha ghataom, amjanasurama, khamjana kajala, kali syahi, kali syahi ki goli, bhaimse ke simga ki goli, bhramara, bhramara pamkti, bhramara pamkha, jamuna, kachche arithe ke bija athava kaue ke bachche koyala, hathi, hathi ke bachche, krishna sarpa, krishna bakula, sharada ritu ke megharahita akasha, krishna ashoka vriksha, krishna kanera, krishna bamdhujivaka jaisi kali thim\? He ayushman shramanom ! Yaha artha samartha nahim hai – ve kali maniyam to ina sabhi upamaom se bhi adhika ishtatara kamtatara manojnyatara aura ativa manohara krishna varna vali thim. Unamem ki nila varna ki maniyam kya bhrimgakita, bhrimga ke pamkha, shuka, shukapamkha, chasha pakshi, chasha pamkha, nila, nila ke amdara ka bhaga, nila gutika, samva, uchchantaka, vanaraji, baladeva ke pahanane ke vastra, mora ki gardana, kabutara ki gardana, alasi ke phula, banapushpa, amjanakeshi ke phula, nilakamala, nile ashoka, nile kanera aura bamdhujivaka jaisi nili thim\? Yaha artha samartha nahim hai. Ve nili maniyam to ina upameya padarthom se bhi adhika ishtatara yavat ativa manohara nila varna vali thim. Una maniyom mem lohita ramga ki maniyom ka ramga sachamucha mem kya shashaka ke khuna, bhera ke rakta, suara ke rakta, manushya ke rakta, bhaimsa ke rakta, bala indragopa, pratah – kalina surya, samdhya raga, gumjaphala ke adhe bhaga, japapushpa, kimshuka pushpa, parijatakusuma, shuddha himgaluka, pravala, pravala ke amkura, lohitaksha mani, lakha ke ramga, krimiraga se ramge kambala, china ke ate, lala kamala, lala ashoka, lala kanera athava rakta bamdhujivaka jaisa lala tha\? Ye bodha samartha nahim hai. Ve maniyam to inase bhi adhika ishta yavat atyanta manohara rakta varna ki thim. Una maniyom mem pile ramga ki maniyom ka pitaramga kya sachamucha mem svarna champa, svarna champa ki chhala, svarna champa ke amdara ka bhaga, haldi – haldi ke amdara ka bhaga, haldi ki goli haratala, haratala ke amdara ka bhaga, haratala ki goli, chikura, chikura ke ramga se ramge vastra, shuddha svarna ki kasauti para khimchi gai rekha, vasudeva ke vastrom, allaki ke phula, champakusuma, kushmamda ke phula, koramtaka pushpa ki mala, tadavada ke phula, ghoshatiki pushpa, suvarnayuthika, suhiranya ke phula, bijaka phula, pile ashoka, pile kanera athava pile bamdhujivaka jaisa pila tha\? Ayushman shramanom ! Ye artha samartha nahim hai. Ve pili maniyam to ina se bhi ishtatara yavat pile varna vali thim. He bhagavan ! Una maniyom mem jo shveta varna ki maniyam thim kya ve amka ratna, shamkha, chandrama, kumuda, shuddha jala, osa bindu, dahim, dudha, dudha ke phena, kromcha pakshi ki pamkti, motiyom ke hara, hamsa pamkti, balaka pamkti, chandrama ki pamkti, sharada ritu ke megha, agni mem tapakara dhoye gae chamdi ke patare, chavala ke ate, kundapushpa – samuha, kumuda pushpa ke samuha, sukhi simba phali, mayurapichchha ka sapheda madhya bhaga, visa – mrinala, mrinalika, hathi ke damta, lomga ke phula, pumdarika kamala, shveta ashoka, shveta kanera athava shveta bamdhujivaka jaisi shveta varna ki thim\? Ayushman shramanom ! Aisa nahim hai. Ve shveta maniyam to inase bhi adhika ishtatara yavat sarasa, manohara adi manojnya shveta varna vali thim. Usa divya yana vimana ke antarvarti sama bhubhaga mem khachita maniyam kya vaisi hi surabhigamdha vali thim jaisi koshtha tagara, ilaichi, choya, champa, damanaka, kumkuma, chamdana, ushira, marua, jai pushpa, juhi, mallika, snana – mallika, ketaki, patala, navamallika, agara, lavamga, vasa, kapura aura kapura ke purom ko anukula vayu mem kholane para, kutane para, torane para, utkirna karane para, bikherane para, upabhoga karane para, dusarom ko dene para, eka patra se dusare patra mem rakhane para, udara, akarshaka, manojnya, manahara ghrana aura mana ko shamtidayaka gamdha sabhi dishaom mem maghamaghati hui phailati hai, mahakati hai\? Ayushman shramanom ! Yaha artha samartha nahim hai. Ye to matra upamaem haim. Ve maniyam to inase bhi ishtatara yavat manojnya – surabhi gamdha vali thim. Una maniyom ka sparsha kya ajinaka rui, bura, makkhana, hamsagarbha, shirisha pushpom ke samuha athava navajata kamalapatrom ki rashi jaisa komala tha\? Ayushman shramanom ! Yaha artha samartha nahim hai. Ve maniyam to inase bhi adhika ishtatara yavat sparshavali thim. Tadanantara abhiyogika devom ne usa divya yana vimana ke amdara bichom – bicha eka vishala prekshagriha mandapa ki rachana ki. Vaha prekshagriha mandapa aneka saikarom stambhom para samnivishta tha. Abhyunnata evam surachita vedikaom, toranom tatha sundara putaliyom se sajaya gaya tha. Sundara vishishta ramaniya samsthana prashasta aura vimala vaidurya maniyom se nirmita stambhom se upashobhita tha. Usaka bhumibhaga vividha prakara ki ujjvala maniyom se khachita, suvibhakta evam atyanta sama tha. Usamem ihamriga vrishabha, turamga, nara, magara, vihaga, sarpa, kinnara, ruru, sarabha, chamari gaya, kumjara, vanalata, padmalata adi ke chitrama chitrita the. Stambhom ke shirobhaga mem vajra ratnom se bani hui vedikaom se manohara dikhata tha. Yamtrachalita – jaise vidyadhara yugalom se shobhita tha. Surya ke sadrisha hajarom kiranom se sushobhita evam hajarom sundara ghamtao se yukta tha. Dedipyamana aura ativa dedipyamana hone se darshakom ke netrom ko akrishta karane vala, sukhaprada sparsha aura rupa – shobha se sampanna tha. Usa para svarna, mani evam ratnamaya stupa bane hue the. Usake shikhara ka agra bhaga nana prakara ki ghamtiyom aura pamcharamgi patakaom se parimamdita tha. Aura apani chamachamahata evam sabhi ora phaila rahi kiranom ke karana chamchala – sa dikhata tha. Usaka pramgana gobara se lipa tha aura divarem sapheda mitti se puti thim. Sthana – sthana para sarasa goshirsha rakta – chamdana ke hathe lage hue the aura chamdanacharchita kalasha rakhe the. Pratyeka dvara toranom aura chandana – kalashom se shobhita the. Divarom para upara se lekara niche taka sugamdhita gola malaem lataka rahi thim. Sarasa sugandhita pamcharamge pushpom ke mamdane bane hue the. Uttama krishna agara, kundarushka, tarushka aura dhupa ki mohaka sugamdha se mahaka raha tha aura usa uttama surabhi gamdha se gamdha ki vartika pratita hota tha. Apsaraom ke samudayom ke gamanagamana se vyapta tha. Divya vadyom ke ninada se gumja raha tha. Vaha svachchha yavat pratirupa tha. Usa prekshagriha mamdapa ke amdara ativa sama ramaniya bhu – bhaga ki rachana ki. Usa bhumi – bhaga mem khachita maniyom ke rupa – ramga, gamdha adi ki samasta vaktavyata purvavat. Usa sama aura ramaniya prekshagriha mamdapa ki chhata mem padmalata adi ke chitramom se yukta yavat ativa manohara chamdeva bamdha. Usa sama ramaniya bhumibhaga ke bhi madhyabhaga mem vajraratnom se nirmita eka vishala akshapata ki rachana ki. Usa kriramamcha ke bichombicha atha yojana lambi – chauri aura chara yojana moti purnataya vajraratnom se bani hui nirmala, chikani yavat pratirupa eka vishala manipithika ki vikurvana ki. Usa manipithika ke upara eka mahana simhasana banaya. Usa simhasana ke chakkala sone ke, simhakriti vale hatthe ratnom ke, paye sone ke, padashirshaka aneka prakara ki maniyom ke aura bicha ke gate jambunada ke the. Usaki samdhiyam vajraratnom se bhari hui thim aura madhya bhaga ki bunai ka vemta bana manimaya tha. Usa simhasana para ihamriga, vrishabha turaga, nara, magara, vihaga, sarpa, kinnara, ruru sarabha, chamara, hathi, vanalata, padmalata adi ke chitra bane hue the. Simhasana ke samane sthapita pada – pitha sarvashreshtha mulyavana maniyom aura ratnom ka bana hua tha. Usa padapitha para paira rakhane ke lie bichha hua masuraka navatrina kushagra aura kesara tamtuom jaise atyanta sukomala sundara astaraka se dhaka hua tha. Usaka sparsha ajinaka rui, bura, makkhana aura aka ki rui jaisa mridu – komala tha. Vaha sundara surachita rajasrana se achchhadita tha. Usa para kasida karhe kshauma dukula ka chaddara bichha hua tha aura atyanta ramaniya lala vastra se achchhadita tha. Jisase vaha simhasana atyanta ramaniya, mana ko prasanna karane vala, darshaniya, abhirupa aura pratirupa – ativa manohara dikhata tha. Usa simhasana ke upari bhaga mem shamkha, kumdapushpa, jalakana, mathe hue kshirodadhi ke phenapumja ke sadrisha prabha vale ratnom se bane hue, svachchha, nirmala, snigdha prasadika, darshaniya, abhirupa aura pratirupa eka vijayadushya ko bamdha. Usa simhasana ke upari bhaga mem bamdhe hue vijayadushya ke bichom – bicha vajraratnamaya eka amkusha lagaya. Usa vajraratnamayi amkusha mem kumbha parinama jaise eka bare muktadama ko latakaya aura vaha kumbhaparimana vala muktadama bhi charom dishaom mem usake parimana se adhe aura dusare chara muktadamom se pariveshtita tha. Ve sabhi dama sone ke lambusakom, vividha prakara ki maniyom, ratnom athava vividha prakara ke maniratnom se bane hue harom, ardha harom ke samudayom se shobhita ho rahe the aura pasa – pasa tamge hone se latakane se jaba purva, pashchima, dakshina aura uttara ki manda – manda hava ke jhokom se hilate – dulate to eka dusare se takarane para vishishta, manojnya, manohara, karna evam mana ko shamti pradana karane vali runajhuna runajuna shabda – dhvani se samipavarti samasta pradesha ko vyapta karate hue apani shri – shobha se ativa – ativa shobhita hote the. |