Sutra Navigation: Auppatik ( औपपातिक उपांग सूत्र )

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Sr No : 1005610
Scripture Name( English ): Auppatik Translated Scripture Name : औपपातिक उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

समवसरण वर्णन

Translated Chapter :

समवसरण वर्णन

Section : Translated Section :
Sutra Number : 10 Category : Upang-01
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसोत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए अप्पडिहयवरनाणदंसणधरे वियट्टछउमे जिणे जाणए तिण्णे तारए मुत्ते मोयए बुद्धे बोहए सव्वण्णू सव्वदरिसी सिवमयलमरुय-मणंतमक्खयमव्वाबाहमपुनरावत्तगं सिद्धिगइनामधेज्जं ठाणं संपाविउकामे– ... भुयमोयग भिंग नेल कज्जल पहट्ठभमरगण निद्ध निकुरुंब निचिय कुंचिय पयाहिणावत्त मुद्धसिरए दालिमपुप्फप्पगास तवणिज्जसरिस निम्मल सुनिद्ध केसंत केसभूमी घन निचिय सुबद्ध लक्खणुन्नय कूडागारनिभ पिंडियग्गसिरए छत्तागारुत्तिमंगदेसे निव्वण सम लट्ठमट्ठ चंदद्धसम निडाले उडुवइपडिपुण्ण सोमवयणे अल्लीणपमाणजुत्तसवणे सुस्सवणे पीण मंसल कवोलदेसभाए आणामियचावरुइलकिण्हब्भराइ तणु कसिण निद्धभमुहे अवदालिय पुंडरीयनयने कोयासिय धवल पत्तलच्छे गरुलायतउज्जु तुंग णासे ओयविय सिल प्पवाल बिंबफल सन्निभाहरोट्ठे पंडुरससिसयल विमलणिम्मलसंख गोक्खीर फेण कुंद दगरय मुणालिया धवलदंतसेढी अखंडदंते अप्फुडियदंते अविरलदंते सुनिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढी विव अनेगदंते हुयवहणिद्धंत धोय तत्त तवणिज्ज रत्ततलतालुजीहे अवट्ठिय सुविभत्त चित्तमंसू मंसलसंठिय पसत्थ सद्दूल विउलहणुए चउरंगुल सुप्पमाण कंबुवर सरिसगीवे वरमहिस वराह सीह सद्दूल उसभ नागवरपडिपुण्णविउलक्खंधे जुगसन्निभ पीण रइय पीवर पउट्ठसंठिय सुसिलिट्ठ विसिट्ठ घण थिर सुबद्ध संधि पुरवर फलिह वट्टियभुए भुयगीसर विउलभोग आयाण पलिहउच्छूढ दीहबाहु रत्ततलोवइय मउय मंसल सुजाय लक्खणपसत्थ अच्छिद्द-जालपाणी पीवरकोमलवरंगुली आयंब तंब तलिण सुइ रुइल निद्धनखे चंदपाणिलेहे सूरपाणिलेहे संखपाणिलेहे चक्कपाणिलेहे दिसासोत्थियपाणिलेहे चंद-सूर-संख चक्क दिसासोत्थियपाणिलेहे ..... .....कनग सिलायलुज्जल पसत्थ समतल उवचिय विच्छिण्णपिहुलवच्छे सिरिवच्छंकिय-वच्छे अकरंडुय कनग रुयय निम्मल सुजाय निरुवहयदेहधारी सण्णयपासे संगयपासे सुंदरपासे सुजायपासे मियमाइय पीण रइय पासे उज्जुय सम सहिय जच्च तणु कसिण निद्ध आइज्ज लडह रमणिज्जरोमराई झस विहग सुजाय पीण कुच्छी झसोयरे सुइकरणे गंगावत्तंग पयाहिणावत्त तरंगभंगुर रविकिरणतरुण बोहिय अकोसायंत पउम गंभीर वियडनाभे साहय-सोणंद मुसल दप्पण निकरियवरकनगच्छरुसरिस वरवइर वलियमज्झे पमुइयवर तुरग सीहवर वट्टियकडी वरतुरग सुजाय सुगुज्झ-देसे आइण्णहउव्व-निरुवलेवे वरवारण तुल्ल विक्कम विलसियगई गयससण सुजाय सन्निभोरू सामुग्ग निमग्ग गूढजाणू एणी- कुरु विंद वत्त वट्टाणुपुव्वजंघे संठिय सुसिलिट्ठ गूढगुप्फे सुप्पइट्ठिय कुम्मचारुचलणे अणुपुव्वसुसंहयंगुलीए उण्णय तणु तंब निद्धणक्खे रत्तुप्पलपत्त मउय सुकुमाल कोमलतले अट्ठसहस्सवरपुरिसलक्खणधरे..... .....आगासगएणं चक्केणं, आगासगएणं छत्तेणं, आगासियाहिं चामराहिं, आगासफालिया-मएणं सपायवीढेणं सीहासनेणं, धम्मज्झएणं पुरओ पकड्ढिज्जमाणेणं, चउद्दसहिं समणसाहस्सीहिं, छत्तीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे चंपाए नयरीए बहिया उवणगरग्गामं उवागए चंपं नगरिं पुण्णभद्दं चेइयं समोसरिउकामे।
Sutra Meaning : उस समय श्रमण भगवान महावीर आदिकर, तीर्थंकर, स्वयं – संबुद्ध, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुरुषवर – पुंडरीक, पुरुषवर – गन्धहस्ती, अभयप्रदायक, चक्षु – प्रदायक, मार्ग – प्रदायक, शरणप्रद, जीवनप्रद, संसार – सागर में भटकते जनों के लिए द्वीप के समान आश्रयस्थान, गति एवं आधारभूत, चार अन्त युक्त पृथ्वी के अधिपति के समान चक्रवर्ती, प्रतिघात, व्यावृत्तछद्मा, जिन, ज्ञायक, तीर्ण, तारक, मुक्त, मोचक, बुद्ध, बोधक, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी, शिव, अचल, निरुपद्रव, अन्तरहित, क्षयरहित, बाधारहित, अपुनरावर्तन, अर्हत्‌, रागादिविजेता, जिन, केवली, सात हाथ की दैहिक ऊंचाई से युक्त, समचौरस संस्थान – संस्थित, वज्र – ऋषभ – नाराच – संहनन, देह के अन्तर्वर्ती पवन के उचित वेग – गतिशीलता से युक्त, कंक पक्षी की तरह निर्दोष गुदाशय युक्त, कबूतर की तरह पाचन शक्ति युक्त, उनका अपान – स्थान उसी तरह निर्लेप था, जैसे पक्षी का, पीठ और पेट के नीचे के दोनों पार्श्व तथा जंघाएं सुपरिणत – सुन्दर – सुगठित थीं, उनका मुख पद्म तथा उत्पल जैसे सुरभिमय निःश्वास से युक्त था, उत्तम त्वचा युक्त, नीरोग, उत्तम, प्रशस्त, अत्यन्त श्वेत मांस युक्त, जल्ल, मल्ल, मैल, धब्बे, स्वेद तथा रज – दोष वर्जित शरीर युक्त, अत एव निरुपलेप दीप्ति से उद्योतित प्रत्येक अंगयुक्त, अत्यधिक सघन, सुबद्ध स्नायुबंध सहित, उत्तम लक्षणमय पर्वत के शिखर के समान उन्नत उनका मस्तक था। बारीक रेशों से भरे सेमल के फल फटने से नीकलते हुए रेशों जैसे कोमल विशद, प्रशस्त, सूक्ष्म, श्लक्ष्ण, सुरभित, सुन्दर, भुजमोचक, नीलम, भींग, नील, कज्जल, प्रहृष्ट, भ्रमरवृन्द जैसे चमकीले काले, घने, घुँघराले, छल्लेदार केश उनके मस्तक पर थे, जिस त्वचा पर उनके बाल उगे हुए थे, वह अनार के फूल तथा सोने के समान दीप्तिमय, लाल, निर्मल और चिकनी थी, उनका उत्तमांग सघन, और छत्राकार था, उनका ललाट निर्व्रण – फोड़े – फुन्सी आदि के घाव से रहित, समतल तथा सुन्दर एवं शुद्ध अर्द्ध चन्द्र के सदृश भव्य था, मुख पूर्ण चन्द्र के समान सौम्य था, कान मुख के समान सुन्दर रूप में संयुक्त और प्रमाणोपेत थे, बड़े सुहावने लगते थे, उनके कपोल मांसलल और परिपुष्ट थे, उनकी भौंहें कुछ खींचे हुए धनुष के समान सुन्दर काले बादल की रेखा के समान कृश, काली एवं स्निग्ध थीं, उनके नयन खिले हुए पुंडरीक समान थे, उनकी आँखें पद्म की तरह विकसित, धवल तथा पत्रल थीं, नासिका गरुड़ की तरह सीधी और उन्नत थी, बिम्ब फल के सदृश उनके होठ थे, उनके दाँतों की श्रेणी निष्कलंक चन्द्रमा के टुकड़े, निर्मल से भी निर्मल शंख, गाय के दूध, फेन, कुंद के फूल, जलकण और कमल – नाल के समान सफेद थी, दाँत अखंड, परिपूर्ण, अस्फुटित, टूट फूट रहित, अविरल, सुस्निग्ध, आभामय, सुजात थे। अनेक दाँत एक दन्तश्रेणी की तरह प्रतीत होते थे, जिह्वा और तालु अग्नि में तपाये हुए और जल से धोये हुए स्वर्ण के समान लाल थे, उनकी दाढ़ी – मूँछ अवस्थित, सुविभक्त बहुत हलकी – सी तथा अद्‌भुत सुन्दरता लिए हुए थी, ठुड्डी मांसल, सुगठित, प्रशस्त तथा चिते की तरह विपुल थी, ग्रीवा चार अंगुल प्रमाण तथा उत्तम शंख के समान त्रिवलि – युक्त एवं उन्नत थी। उनके कन्धे प्रबल भैंसे, सूअर, सिंह, चिते, सांड के तथा उत्तम हाथी के कन्धों जैसे परिपूर्ण एवं विस्तीर्ण थे, उनकी भुजाएं युग – गाड़ी के यूप की तरह गोल और लम्बी, सुद्रढ़, देखने में आनन्दप्रद, सुपुष्ट कलाइयों से युक्त, सुश्लिष्ट, विशिष्ट, घन, स्थिर, स्नायुओं से यथावत्‌ रूप में सुबद्ध तथा नगर की अर्गला समान गोलाई लिए हुए थीं, ईच्छित वस्तु प्राप्त करने के लिए नागराज के फैले हुए विशाल शरीर की तरह उनके दीर्घ बाहु थे, उनके हाथ के भाग उन्नत, कोमल, मांसल तथा सुगठित थे, शुभ लक्षणों से युक्त थे, अंगुलियाँ मिलाने पर उनमें छिद्र दिखाई नहीं देते थे, उनके तल ललाई लिए हुए, पतली, उजली, रुचिर, रुचिकर, स्निग्ध सुकोमल थीं, उनकी हथेली में चन्द्र, सूर्य, शंख, चक्र, दक्षिणावर्त्त स्वस्तिक की शुभ रेखाएं थीं, उनका वक्षःस्थल, स्वर्ण – शिला के तल के समान उज्ज्वल, प्रशस्त समतल, उपचित, विस्तीर्ण, पृथुल था, उस पर श्रीवत्स – स्वस्तिक का चिह्न था, देह की मांसलता या परिपुष्टता के कारण रीढ़ की हड्डी नहीं दिखाई देती थी, उनका शरीर स्वर्ण के समान कान्तिमान, निर्मल, सुन्दर, निरुपहत था, उसमें उत्तम पुरुष के १००८ लक्षण पूर्णतया विद्यमान थे, उनकी देह के पार्श्व भाग नीचे की ओर क्रमशः संकड़े, देह के प्रमाण के अनुरूप, सुन्दर, सुनिष्पन्न, अत्यन्त समुचित परिमाण में मांसलता लिए हुए मनोहर थे, उनके वक्ष और उदर पर सीधे, समान, संहित, उत्कृष्ट कोटि के, सूक्ष्म, काले, चिकने उपादेय, लावण्यमय, रमणीय बालों की पंक्ति थी, उनके कुक्षिप्रदेश मत्स्य और पक्षी के समान सुजात – सुन्दर रूप में अवस्थित तथा पीन थे, उनका उदर मत्स्य जैसा था, उनके आन्त्र समूह निर्मल था, उनकी नाभि कमल की तरह विकट, गंगा के भंवर की तरह गोल, दाहिनी और चक्कर काटती हुई तरंगों की तरह घुमावदार, सुन्दर, चमकते हुए सूर्य की किरणों से विकसित होते कमल के समान खिली हुई थी तथा उनकी देह का मध्यभाग त्रिकाष्ठिका, मूसलव दर्पण के हत्थे के मध्य – भाग के समान, तलवार की मूठ के समान तथा उत्तम वज्र के समान गोल और पतला था, प्रमुदित, स्वस्थ, उत्तम घोड़े तथा उत्तम सिंह की कमर के समान उनकी कमर गोल घेराव लिए थी। उत्तम घोड़े के सुनिष्पन्न गुप्तांग की तरह उनका गुह्य भाग था, उत्तम जाति के अश्व की तरह उनका शरीर ‘मलमूत्र’ विसर्जन की अपेक्षा से निर्लेप था, श्रेष्ठ हाथी के तुल्य पराक्रम और गम्भीरता लिए उनकी चाल थी, हाथी की सूँड की तरह उनकी जंघाएं सुगठित थी, उनके घुटने डिब्बे के ढक्कन की तरह निगूढ़ थे, उनकी पिण्डलियाँ हरिणी की पिण्डलियों, कुरुविन्द घास तथा कते हुए सूत की गेंढी की तरह क्रमशः उतार सहित गोल थीं, उनके टखने सुन्दर, सुगठित और निगूढ थे, उनके चरण, सुप्रतिष्ठित तथा कछुए की तरह उठे हुए होने से मनोज्ञ प्रतीत होते थे, उनके पैरों की अंगुलियाँ क्रमशः आनुपातिक रूप में छोटी – बड़ी एवं सुसंहत थीं, पैरों के नख उन्नत, पतले, तांबे की तरह लाल, स्निग्ध थे, उनकी पगथलियाँ लाल कमल के पत्ते के समान मृदुल, सुकुमार तथा कोमल थीं, उनके शरीर में उत्तम पुरुषों के १००८ लक्षण प्रकट थे, उनके चरण पर्वत, नगर, मगर, सागर तथा चक्र रूप उत्तम चिह्नों और स्वस्तिक आदि मंगल – चिह्नों से अंकित थे, उनका रूप विशिष्ट था, उनका तेज निर्धूम अग्नि की ज्वाला, विस्तीर्ण विद्युत तथा अभिनव सूर्य की किरणों के समान था, वे प्राणातिपात आदि आस्रव – रहित, ममता – रहित थे, अकिंचन थे, भव – प्रवाह को उच्छिन्न कर चूके थे, निरुपलेप थे, प्रेम, राग, द्वेष और मोह का नाश कर चूके थे, निर्ग्रन्थ – प्रवचन के उपदेष्टा, धर्मशासन के नायक, प्रतिष्ठापक तथा श्रमम – पति थे, श्रमण वृन्द से घिरे हुए थे, जिनेश्वरों के चौंतीस बुद्ध – अतिशयों से तथा पैंतीस सत्य – वचनातिशयों से युक्त थे, आकाशगत चक्र, छत्र, आकाश – गत चंवर, आकाश के समान स्वच्छ स्फटिक से बने पाद – पीठ सहित सिंहासन, धर्मव्यज – ये उनके आगे चल रहे थे, चौदह हजार साधु तथा छत्तीस हजार साध्वियों से संपरिवृत्त थे, आगे से आगे चलते हुए, एक गाँव से दूसरे गाँव होते हुए सुखपूर्वक विहार करते हुए चम्पा के बाहरी उपनगर में पहुँचे, जहाँ से उन्हें चम्पा में पूर्णभद्र चैत्य में पधारना था।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire aigare titthagare sahasambuddhe purisottame purisasihe purisavarapumdarie purisavaragamdhahatthi abhayadae chakkhudae appadihayavarananadamsanadhare viyattachhaume jine janae tinne tarae mutte moyae buddhe bohae savvannu savvadarisi sivamayalamaruya-manamtamakkhayamavvabahamapunaravattagam siddhigainamadhejjam thanam sampaviukame– .. Bhuyamoyaga bhimga nela kajjala pahatthabhamaragana niddha nikurumba nichiya kumchiya payahinavatta muddhasirae dalimapupphappagasa tavanijjasarisa nimmala suniddha kesamta kesabhumi ghana nichiya subaddha lakkhanunnaya kudagaranibha pimdiyaggasirae chhattagaruttimamgadese nivvana sama latthamattha chamdaddhasama nidale uduvaipadipunna somavayane allinapamanajuttasavane sussavane pina mamsala kavoladesabhae anamiyachavaruilakinhabbharai tanu kasina niddhabhamuhe avadaliya pumdariyanayane koyasiya dhavala pattalachchhe garulayataujju tumga nase oyaviya sila ppavala bimbaphala sannibhaharotthe pamdurasasisayala vimalanimmalasamkha gokkhira phena kumda dagaraya munaliya dhavaladamtasedhi akhamdadamte apphudiyadamte aviraladamte suniddhadamte sujayadamte egadamtasedhi viva anegadamte huyavahaniddhamta dhoya tatta tavanijja rattatalatalujihe avatthiya suvibhatta chittamamsu mamsalasamthiya pasattha saddula viulahanue chauramgula suppamana kambuvara sarisagive varamahisa varaha siha saddula usabha nagavarapadipunnaviulakkhamdhe jugasannibha pina raiya pivara pautthasamthiya susilittha visittha ghana thira subaddha samdhi puravara phaliha vattiyabhue bhuyagisara viulabhoga ayana palihauchchhudha dihabahu rattatalovaiya mauya mamsala sujaya lakkhanapasattha achchhidda-jalapani pivarakomalavaramguli ayamba tamba talina sui ruila niddhanakhe chamdapanilehe surapanilehe samkhapanilehe chakkapanilehe disasotthiyapanilehe chamda-sura-samkha chakka disasotthiyapanilehe... ...Kanaga silayalujjala pasattha samatala uvachiya vichchhinnapihulavachchhe sirivachchhamkiya-vachchhe akaramduya kanaga ruyaya nimmala sujaya niruvahayadehadhari sannayapase samgayapase sumdarapase sujayapase miyamaiya pina raiya pase ujjuya sama sahiya jachcha tanu kasina niddha aijja ladaha ramanijjaromarai jhasa vihaga sujaya pina kuchchhi jhasoyare suikarane gamgavattamga payahinavatta taramgabhamgura ravikiranataruna bohiya akosayamta pauma gambhira viyadanabhe sahaya-sonamda musala dappana nikariyavarakanagachchharusarisa varavaira valiyamajjhe pamuiyavara turaga sihavara vattiyakadi varaturaga sujaya sugujjha-dese ainnahauvva-niruvaleve varavarana tulla vikkama vilasiyagai gayasasana sujaya sannibhoru samugga nimagga gudhajanu eni- kuru vimda vatta vattanupuvvajamghe samthiya susilittha gudhagupphe suppaitthiya kummacharuchalane anupuvvasusamhayamgulie unnaya tanu tamba niddhanakkhe rattuppalapatta mauya sukumala komalatale atthasahassavarapurisalakkhanadhare... ...Agasagaenam chakkenam, agasagaenam chhattenam, agasiyahim chamarahim, agasaphaliya-maenam sapayavidhenam sihasanenam, dhammajjhaenam purao pakaddhijjamanenam, chauddasahim samanasahassihim, chhattisae ajjiyasahassihim saddhim samparivude puvvanupuvvim charamane gamanugamam duijjamane suhamsuhenam viharamane champae nayarie bahiya uvanagaraggamam uvagae champam nagarim punnabhaddam cheiyam samosariukame.
Sutra Meaning Transliteration : Usa samaya shramana bhagavana mahavira adikara, tirthamkara, svayam – sambuddha, purushottama, purushasimha, purushavara – pumdarika, purushavara – gandhahasti, abhayapradayaka, chakshu – pradayaka, marga – pradayaka, sharanaprada, jivanaprada, samsara – sagara mem bhatakate janom ke lie dvipa ke samana ashrayasthana, gati evam adharabhuta, chara anta yukta prithvi ke adhipati ke samana chakravarti, pratighata, vyavrittachhadma, jina, jnyayaka, tirna, taraka, mukta, mochaka, buddha, bodhaka, sarvajnya, sarvadarshi, shiva, achala, nirupadrava, antarahita, kshayarahita, badharahita, apunaravartana, arhat, ragadivijeta, jina, kevali, sata hatha ki daihika umchai se yukta, samachaurasa samsthana – samsthita, vajra – rishabha – naracha – samhanana, deha ke antarvarti pavana ke uchita vega – gatishilata se yukta, kamka pakshi ki taraha nirdosha gudashaya yukta, kabutara ki taraha pachana shakti yukta, unaka apana – sthana usi taraha nirlepa tha, jaise pakshi ka, pitha aura peta ke niche ke donom parshva tatha jamghaem suparinata – sundara – sugathita thim, unaka mukha padma tatha utpala jaise surabhimaya nihshvasa se yukta tha, uttama tvacha yukta, niroga, uttama, prashasta, atyanta shveta mamsa yukta, jalla, malla, maila, dhabbe, sveda tatha raja – dosha varjita sharira yukta, ata eva nirupalepa dipti se udyotita pratyeka amgayukta, atyadhika saghana, subaddha snayubamdha sahita, uttama lakshanamaya parvata ke shikhara ke samana unnata unaka mastaka tha. Barika reshom se bhare semala ke phala phatane se nikalate hue reshom jaise komala vishada, prashasta, sukshma, shlakshna, surabhita, sundara, bhujamochaka, nilama, bhimga, nila, kajjala, prahrishta, bhramaravrinda jaise chamakile kale, ghane, ghumgharale, chhalledara kesha unake mastaka para the, jisa tvacha para unake bala uge hue the, vaha anara ke phula tatha sone ke samana diptimaya, lala, nirmala aura chikani thi, unaka uttamamga saghana, aura chhatrakara tha, unaka lalata nirvrana – phore – phunsi adi ke ghava se rahita, samatala tatha sundara evam shuddha arddha chandra ke sadrisha bhavya tha, mukha purna chandra ke samana saumya tha, kana mukha ke samana sundara rupa mem samyukta aura pramanopeta the, bare suhavane lagate the, unake kapola mamsalala aura paripushta the, unaki bhaumhem kuchha khimche hue dhanusha ke samana sundara kale badala ki rekha ke samana krisha, kali evam snigdha thim, unake nayana khile hue pumdarika samana the, unaki amkhem padma ki taraha vikasita, dhavala tatha patrala thim, nasika garura ki taraha sidhi aura unnata thi, bimba phala ke sadrisha unake hotha the, unake damtom ki shreni nishkalamka chandrama ke tukare, nirmala se bhi nirmala shamkha, gaya ke dudha, phena, kumda ke phula, jalakana aura kamala – nala ke samana sapheda thi, damta akhamda, paripurna, asphutita, tuta phuta rahita, avirala, susnigdha, abhamaya, sujata the. Aneka damta eka dantashreni ki taraha pratita hote the, jihva aura talu agni mem tapaye hue aura jala se dhoye hue svarna ke samana lala the, unaki darhi – mumchha avasthita, suvibhakta bahuta halaki – si tatha adbhuta sundarata lie hue thi, thuddi mamsala, sugathita, prashasta tatha chite ki taraha vipula thi, griva chara amgula pramana tatha uttama shamkha ke samana trivali – yukta evam unnata thi. Unake kandhe prabala bhaimse, suara, simha, chite, samda ke tatha uttama hathi ke kandhom jaise paripurna evam vistirna the, unaki bhujaem yuga – gari ke yupa ki taraha gola aura lambi, sudrarha, dekhane mem anandaprada, supushta kalaiyom se yukta, sushlishta, vishishta, ghana, sthira, snayuom se yathavat rupa mem subaddha tatha nagara ki argala samana golai lie hue thim, ichchhita vastu prapta karane ke lie nagaraja ke phaile hue vishala sharira ki taraha unake dirgha bahu the, unake hatha ke bhaga unnata, komala, mamsala tatha sugathita the, shubha lakshanom se yukta the, amguliyam milane para unamem chhidra dikhai nahim dete the, unake tala lalai lie hue, patali, ujali, ruchira, ruchikara, snigdha sukomala thim, unaki hatheli mem chandra, surya, shamkha, chakra, dakshinavartta svastika ki shubha rekhaem thim, unaka vakshahsthala, svarna – shila ke tala ke samana ujjvala, prashasta samatala, upachita, vistirna, prithula tha, usa para shrivatsa – svastika ka chihna tha, deha ki mamsalata ya paripushtata ke karana rirha ki haddi nahim dikhai deti thi, unaka sharira svarna ke samana kantimana, nirmala, sundara, nirupahata tha, usamem uttama purusha ke 1008 lakshana purnataya vidyamana the, unaki deha ke parshva bhaga niche ki ora kramashah samkare, deha ke pramana ke anurupa, sundara, sunishpanna, atyanta samuchita parimana mem mamsalata lie hue manohara the, unake vaksha aura udara para sidhe, samana, samhita, utkrishta koti ke, sukshma, kale, chikane upadeya, lavanyamaya, ramaniya balom ki pamkti thi, unake kukshipradesha matsya aura pakshi ke samana sujata – sundara rupa mem avasthita tatha pina the, unaka udara matsya jaisa tha, unake antra samuha nirmala tha, unaki nabhi kamala ki taraha vikata, gamga ke bhamvara ki taraha gola, dahini aura chakkara katati hui taramgom ki taraha ghumavadara, sundara, chamakate hue surya ki kiranom se vikasita hote kamala ke samana khili hui thi tatha unaki deha ka madhyabhaga trikashthika, musalava darpana ke hatthe ke madhya – bhaga ke samana, talavara ki mutha ke samana tatha uttama vajra ke samana gola aura patala tha, pramudita, svastha, uttama ghore tatha uttama simha ki kamara ke samana unaki kamara gola gherava lie thi. Uttama ghore ke sunishpanna guptamga ki taraha unaka guhya bhaga tha, uttama jati ke ashva ki taraha unaka sharira ‘malamutra’ visarjana ki apeksha se nirlepa tha, shreshtha hathi ke tulya parakrama aura gambhirata lie unaki chala thi, hathi ki sumda ki taraha unaki jamghaem sugathita thi, unake ghutane dibbe ke dhakkana ki taraha nigurha the, unaki pindaliyam harini ki pindaliyom, kuruvinda ghasa tatha kate hue suta ki gemdhi ki taraha kramashah utara sahita gola thim, unake takhane sundara, sugathita aura nigudha the, unake charana, supratishthita tatha kachhue ki taraha uthe hue hone se manojnya pratita hote the, unake pairom ki amguliyam kramashah anupatika rupa mem chhoti – bari evam susamhata thim, pairom ke nakha unnata, patale, tambe ki taraha lala, snigdha the, unaki pagathaliyam lala kamala ke patte ke samana mridula, sukumara tatha komala thim, unake sharira mem uttama purushom ke 1008 lakshana prakata the, unake charana parvata, nagara, magara, sagara tatha chakra rupa uttama chihnom aura svastika adi mamgala – chihnom se amkita the, unaka rupa vishishta tha, unaka teja nirdhuma agni ki jvala, vistirna vidyuta tatha abhinava surya ki kiranom ke samana tha, ve pranatipata adi asrava – rahita, mamata – rahita the, akimchana the, bhava – pravaha ko uchchhinna kara chuke the, nirupalepa the, prema, raga, dvesha aura moha ka nasha kara chuke the, nirgrantha – pravachana ke upadeshta, dharmashasana ke nayaka, pratishthapaka tatha shramama – pati the, shramana vrinda se ghire hue the, jineshvarom ke chaumtisa buddha – atishayom se tatha paimtisa satya – vachanatishayom se yukta the, akashagata chakra, chhatra, akasha – gata chamvara, akasha ke samana svachchha sphatika se bane pada – pitha sahita simhasana, dharmavyaja – ye unake age chala rahe the, chaudaha hajara sadhu tatha chhattisa hajara sadhviyom se samparivritta the, age se age chalate hue, eka gamva se dusare gamva hote hue sukhapurvaka vihara karate hue champa ke bahari upanagara mem pahumche, jaham se unhem champa mem purnabhadra chaitya mem padharana tha.