Sutra Navigation: Vipakasutra ( विपाकश्रुतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005529 | ||
Scripture Name( English ): | Vipakasutra | Translated Scripture Name : | विपाकश्रुतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक अध्ययन-६ नंदिसेन्न |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक अध्ययन-६ नंदिसेन्न |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 29 | Category : | Ang-11 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं पंचमस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, छट्ठस्स णं भंते! अज्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं के अट्ठे पन्नत्ते? तए णं से सुहम्मे अनगारे जंबू अनगारं एवं वयासी–एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं महुरा नामं नयरी। भंडीरे उज्जाने। सुदरिसणे जक्खे। सिरिदामे राया। बंधुसिरी भारिया। पुत्ते नंदिवद्धने कुमारे–अहीन पडिपुण्ण पंचिंदियसरीरे जुवराया। तस्स सिरिदामस्स सुबंधू नामं अमच्चे होत्था–साम दंड भेय उवप्पयाणनीति सुप्पउत्त नयविहण्णू। तस्स णं सुबंधुस्स अमच्चस्स बहुमित्तपुत्ते नामं दारए होत्था–अहीन पडिपुण्ण पंचिंदियसरीरे। तस्स णं सिरिदामस्स रन्नो चित्ते नामं अलंकारिए होत्था–सिरिदामस्स रन्नो चित्तं बहुविहं अलंकारियकम्मं करेमाणे सव्वट्ठाणेसु य सव्वभूमियासु य अंतेउरे य दिन्नवियारे यावि होत्था। तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे। परिसा निग्गया, राया निग्गओ जाव परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी जाव रायमग्गमोगाढे। तहेव हत्थी, आसे, पुरिसे पासइ। तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगयं एगं पुरिसं पासइ जाव नर नारीसंपरिवुडं। तए णं तं पुरिसं रायपुरिसा चच्चरंसि तत्तंसि अयोमयंसि समजोइभूयंसि सीहासनंसि निवेसावेंति। तयानंतरं च णं पुरिसाणं मज्झगयं बहूहिं अयकलसेहिं तत्तेहिं समजोइभूएहिं, अप्पेगइया तंबभरिएहिं, अप्पेगइया तउयभरिएहिं, अप्पेगइया सीसगभरिएहिं, अप्पेगइया कलकलभरिएहिं, अप्पेगइया खारतेल्लभरिएहिं महया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचंति। तयानंतरं च तत्तं अयोमयं समजोइभूयं अयोमयं संडासगं गहाय हारं पिणद्धंति। तयानंतरं च णं अद्धहारं पिणद्धंति तिसरियं पिणद्धंति पालंबं पिणद्धंति कडिसुत्तयं पिणद्धंति पट्टं पिणद्धंति मउडं पिणद्धंति। चिंता तहेव जाव वागरेइ– एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सीहपुरे नामं नयरे होत्था–रिद्धत्थिमियसमिद्धे। तत्थ णं सीहपुरे नयरे सीहरहे नामं राया होत्था। तस्स णं सीहरहस्स रन्नो दुज्जोहणे नामं चारगपाले होत्था–अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स इमेयारूवे चारगभंडे होत्था– तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे अयकुंडीओ–अप्पेगइयाओ तंबभरियाओ, अप्पेगइयाओ तउयभरियाओ, अप्पेगइयाओ सीसगभरियाओ, अप्पेगइयाओ कलकलभरियाओ, अप्पेगइयाओ खारतेल्लभरियाओ–अगणिकायंसि अद्दहियाओ चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे उट्टियाओ–अप्पेगइयाओ आसमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ हत्थिमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ उट्टमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ गोमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ महिसमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ अयमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयाओ एलमुत्त-भरियाओ–बहुपडिपुण्णाओ चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे हत्थंडुयाण य पायंडुयाण य हडीण य नियलाण य संकलाण य पुंजा य निगरा य सनिक्खित्ता चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिंचालयाण य छियाण य कसाण य बायरासीणं य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मोग्गराण य कणंगराण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे तंतीण य वरत्ताण य वागरज्जूण य बालयसुत्तरज्जूण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे असिपत्ताण य करपत्ताण य खुरपत्ताण य कलंबचीरपत्ताण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे लोहखीलाण य कडसक्कराण य चम्मपट्टाण य अलीपट्टाण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सूईण य डंभणाण य कोट्टिल्लाण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठंति। तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सत्थाण य पिप्पलाण य कुहाडाण य नहच्छेयणाण य दब्भाण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठंति। तए णं से दुज्जोहणे चारगपाले सीहरहस्स रन्नो बहवे चोरे य पारदारिए य गंठिभेए य रायावकारी य अणहारए य बालघायए य विस्संभघायए य जूइगरे य संडपट्टे य पुरिसेहिं गिण्हावेइ, गिण्हावेत्ता उत्ताणए पाडेइ, लोहदंडेणं मुहं विहाडेइ, विहाडेत्ता अप्पेगइए तत्ततंबं पज्जेइ, अप्पेगइए तउयं पज्जेइ, अप्पेगइए सीसगं पज्जेइ, अप्पेगइए कलकलं पज्जेइ, अप्पेगइए खारतेल्लं पज्जेइ, अप्पेगइयाणं तेणं चेव अभिसेगं करेइ। अप्पेगइए उत्ताणए पाडेइ, पाडेत्ता आसमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए हत्थिमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए उट्टमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए गोमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए महिसमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए अयमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए एलमुत्तं पज्जेइ। अप्पेगइए हेट्ठामुहए पाडेइ छडछडस्स वम्मावेइ, वम्मावेत्ता अप्पेगइए तेणं चेव ओवीलं दलयइ। अप्पेगइए हत्थंडुयाइं बंधावेइ, अप्पेगइए पायंडुए बंधावेइ, अप्पेगइए हडिबंधणं करेइ, अप्पेगइए नियलबंधणं करेइ, अप्पेगइए संकोडिय मोडियए करेइ, अप्पेगइए संकलबंधणं करेइ, अप्पेगइए हत्थच्छिण्णए करेइ, अप्पेगइए पायच्छिण्णए करेइ, अप्पेगइए नक्कछिण्णए करेइ, अप्पे-गइए उट्ठछिण्णए करेइ, अप्पेगइए जिब्भछिण्णए करेइ, अप्पेगइए सीसछिण्णए करेइ, अप्पेगइए सत्थोवाडियए करेइ। अप्पेगइए वेणुलयाहि य, अप्पेगइए वेत्तलयाहि य, अप्पेगइए चिंचालयाहि य, अप्पेगइए छियाहि य, अप्पेगइए कसाहि य, अप्पेगइए बायरासीहि य हणावेइ। अप्पेगइए उत्ताणए कारवेइ, कारवेत्ता उरे सिलं दलावेइ, दलावेत्ता तओ लउडं छुहावेइ, छुहावेत्ता पुरिसेहिं उक्कंपावेइ। अप्पेगइए तंतीहि य, अप्पेगइए वरत्ताहि य, अप्पेगइए वागरज्जूहि य, अप्पेगइए वालय सुत्तरज्जूहि य हत्थेसु य पाएसु य बंधावेइ, अगडंसि ओचूलं बोलगं पज्जवेइ। अप्पेगइए असिपत्तेहि य, अप्पेगइए करपत्तेहि य, अप्पेगइए खुरपत्तेहि य अप्पेगइए कलंबचीरपत्तेहि य पच्छावेइ, पच्छा-वेत्ता खारतेल्लेणं अब्भंगावेइ। अप्पेगइयाणं निलाडेसु य अवदूसु य कोप्परेसु य जाणूसु य खलुएसु य लोहकीलए य कडसक्कराओ य दवावेइ अलिए भुंजावेइ। अप्पेगइए सूईओ य डंभणाणि य हत्थंगुलियासु य पायंगुलियासु य कोट्टिल्लएहिं आउडावेइ, आउडावेत्ता भूमिं कंडूयावेइ। अप्पेगइए सत्थेहि य अप्पेगइए पिप्पलेहि य अप्पेगइए कुहाडेहि य अप्पेगइए नहच्छेयणेहि य अंगं पच्छावेइ, दब्भेहि य कुसेहि य उल्लवद्धेहि य वेढावेइ, आयवंसि दलयइ, दलइत्ता सुक्के समाणे चडचडस्स उप्पाडेइ। तए णं से दुज्जोहणे चारगपाले एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहुं पावकम्मं समज्जिणित्ता एगतीसं वाससयाइं परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवमठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने। | ||
Sutra Meaning : | उत्क्षेप भगवन् ! यदि यावत् मुक्तिप्राप्त श्रमण भगवान महावीर ने पाँचवे अध्ययन का यह अर्थ कहा, तो षष्ठ अध्ययन का भगवान ने क्या अर्थ कहा है ? हे जम्बू ! उस काल तथा उस समय में मथुरा नगरी थी। वहाँ भण्डीर नाम का उद्यान था। सुदर्शनयक्ष का आयतन था। श्रीदाम राजा था, बन्धुश्री रानी थी। उनका सर्वाङ्ग – सम्पन्न युवराज पद से अलंकृत नन्दिवर्द्धन नामका सर्वाङ्गसुन्दर पुत्र था। श्रीदाम नरेश का सुबन्धु मन्त्री था, जो साम, दण्ड, भेद – उपप्रदान में कुशल था – उस मन्त्री के बहुमित्रापुत्र नामक सर्वाङ्गसम्पन्न व रूपवान् बालक था। श्रीदाम नरेश का, चित्र नामक अलंकारिक था। वह राजा का अनेकविध, क्षीरकर्म करता हुआ राजा की आज्ञा से सर्वस्थानों, सर्व – भूमिकाओं तथा अन्तःपुर में भी, बेरोक – टोक, आवागमन करता रहता था। उस काल उस समय में मथुरा नगरी में भगवान महावीर पधारे। परिषद् व राजा भगवान की धर्मदेशना श्रवण करने नगर से नीकले, यावत् वापिस चले गए। उस समय भगवान महावीर के प्रधान शिष्य गौतम स्वामी भिक्षा के लिए नगरी में पधारे। वहाँ उन्होंने हाथियों, घोड़ों और पुरुषों को देखा, तथा उन पुरुषों के मध्य में यावत् बहुत से नर – नारियों के वृन्द से घिरे हुए एक पुरुष को देखा। राजपुरुष उन पुरुष को चत्वर – स्थान में अग्नि के समान – सन्तप्त लोहमय सिंहासन पर बैठाते हैं। बैठाकर कोई – कोई राजपुरुष उसको अग्नि के समान उष्ण लोहे से परिपूर्ण, कोई ताम्रपूर्ण, कोई त्रपु – रांगा से पूर्ण, कोई सीसा से पूर्ण, कोई कलकल से पूर्ण, अथवा कलकल शब्द करते हुए अत्युष्ण पानी से परिपूर्ण, क्षारयुक्त तैल से पूर्ण, अग्नि के समान तपे कलशों के द्वारा महान् राज्याभिषेक से उसका अभिषेक करते हैं। तदनन्तर उसे, लोहमय संडासी से पकड़कर अग्नि के समान तपे हुए अयोमय, अर्द्धहार, यावत् पहनाते हैं। यावत् गौतमस्वामी उस पुरुष के पूर्वभव सम्बन्धी वृत्तान्त को भगवान से पूछते हैं। हे गौतम ! उस काल उस समय में इसी जम्बूद्वीप अन्तर्गत भारतवर्ष में सिंहपुर नामक एक ऋद्ध, स्तिमित व समृद्ध नगर था। वहाँ सिंहस्थ राजा था। दुर्योधन नाम का कारागाररक्षक था, जो अधर्मी यावत् कठिनाई से प्रसन्न होने वाला था। दुर्योधन नामक उस चारकपाल के निम्न चारकभाण्ड थे। अनेक प्रकार की लोहमय कुण्डियाँ थी, जिनमें से कई एक ताम्र से, कई एक त्रपुरांगा से, कई एक सीसे से, तो कितनीक चूर्णमिश्रित जल से भरी हुई थी और कितनीक क्षारयुक्त तैल से भरी थी, जो कि अग्नि पर रखी रहती थी। दुर्योधन चारकपाल के पास उष्ट्रिकाएं थे – उनमें से कईं एक अश्वमूत्र से, कितनेक हाथी के मूत्र से, कितनेक उष्ट्रमूत्र से, कितनेक गोमूत्र से, कितनेक महिषमूत्र से, कितनेक बकरे के मूत्र से तो कितनेक भेड़ों के मूत्र से भरे हुए थे। उस दुर्योधन चारकपाल के पास अनेक हस्तान्दुक, पादान्दुक, हडि और शृंखला तथा नीकर लगाए हुए रखे थे। तथा उस दुर्योधन चारकपाल के पास वेणुलताओं, बेंत के चाबुकों, चिंता – इमली के चाबुकों, कोमल चर्म के चाबुकों, सामान्य चर्मयुक्त चाबुकों, वल्कलरश्मियों के पुंज व नीकर रखे रहते थे। उस दुर्योधन चारकपाल के पास अनेक शिलाओं, लकड़ियों, मुद्गरों और कनंगरों के पुंज व नीकर रखे रहते थे। उस दुर्योधन चारकपाल के पास चमड़े की रस्सियों, सामान्य रस्सियों, वल्कल रज्जुओं, छाल से निर्मित रस्सियों, केशरज्जुओं और सूत्र रज्जुओं के पुञ्ज व नीकर रखे रहते थे। उस दुर्योधन चारकपाल के पास असिपत्र, करपत्र, क्षुरपत्र और कदम्बचीरपत्र के भी पुञ्ज व नीकर रखे रहते थे। उस दुर्योधन चारकपाल के पास लोहे की कीलों, बाँस की सलाइयों, चमड़े के पट्टों व अल्लपट्ट के पुञ्ज व नीकर रखे हुए थे। उस दुर्योधन चारकपाल के पास अनेक सूइयों, दम्भनों ऐसी सलाइयों तथा लघु मुद्गरों के पुञ्ज व नीकर रखे हुए थे। उस दुर्योधन के पास अनेक प्रकार के शस्त्र, पिप्पल, कुल्हाड़ों, नखच्छेदक एवं डाभ के अग्रभाग से तीक्ष्ण हथियारों के पुञ्ज व नीकर रखे हुए थे। तदनन्तर वह दुर्योधन चारपालक सिंहरथ राजा के अनेक चोर, परस्त्रीलम्पट, ग्रन्थिभेदक, राजा के अपकारी – दुश्मनों, ऋणधारक, बालघातकों, विश्वासघातियों, जुआरियों और धूर्त पुरुषों को राजपुरुषों के द्वारा पकड़वाकर ऊर्ध्वमुख गिराता है और गिराकर लोहे के दण्डे से मुख को खोलता है और खोलकर कितनेक को तप्त तांबा पिलाता है, कितनेक को रांगा, सीसक, चूर्णादिमिश्रित जल अथवा कलकल करता हुआ अत्यन्त उष्ण जल और क्षारयुक्त तैल पिलाता है तथा कितनों का इन्हीं से अभिषेक कराता है। कितनों को ऊर्ध्वमुख गिराकर उन्हें अश्वमूत्र हस्तिमूत्र यावत् भेड़ों का मूत्र पिलाता है। कितनों को अधोमुख गिराकर छल छल शब्द पूर्वक वमन कराता है और कितनों को उसी के द्वारा पीड़ा देता है। कितनों को हथकड़ियों बेड़ियों से, हडिबन्धनों से व निगड बन्धनों से बद्ध करता है। कितनों के शरीर को सिकोड़ता व मरोड़ता है। कितनों को सांकलों से बाँधता है, तथा कितनों का हस्तछेदन यावत् शस्त्रों से चीरता – फाड़ता है। कितनों को वेणुलताओं यावत् वृक्षत्वचा के चाबुकों से पिटवाता है। कितनों को ऊर्ध्वमुख गिराकर उनकी छाती पर शिला व लक्कड़ रखवा कर उत्कम्पन कराता है, जिससे हड्डियाँ टूट जाएं। कितनों के चर्मरज्जुओं व सूत्ररज्जुओं से हाथों और पैरों को बँधवाता है, बंधवाकर कूए में उल्टा लटकवाता है, लटकाकर गोते खिलाता है। कितनों का असिपत्रों यावत् कलम्बचीरपत्रों से छेदन कराता है और उस पर क्षारमिश्रित तैल से मर्दन कराता है। कितनों के मस्तकों, कण्ठमणियों, घंटियों, कोहनियों, जानुओं तथा गुल्फों – गिट्टों में लोहे की कीलों को तथा बाँस की शलाकाओं को ठुकवाता है तथा वृश्चिककण्टकों – बिच्छु के काँटों को शरीर में प्रविष्ट कराता है। कितनों के हाथ की अंगुलियों तथा पैर की अंगुलियों में मुद्गरों के द्वारा सूईयों तथा दम्भनों – को प्रविष्ट कराता है तथा भूमि को खुदवाता है। कितनों का शस्त्रों व नेहरनों से अङ्ग छिलवाता है और दर्भों, कुशाओं तथा आर्द्र चर्मों द्वारा बंधवाता है। तदनन्तर धूप में गिराकर उनके सूखने पर चड़ चड़ शब्दपूर्वक उनका उत्पाटन कराता है। इस तरह वह दुर्योधन चारकपालक इस प्रकार की निर्दयतापूर्ण प्रवृत्तियों को अपना कर्म, विज्ञान व सर्वोत्तम आचरण बनाए हुए अत्यधिक पापकर्मों का उपार्जन करके ३१ सौ वर्ष की परम आयु भोगकर कालमास में काल करके छठे नरक में उत्कृष्ट २२ सागरोपम की स्थिति वाले नारकियों में नारक रूप में उत्पन्न हुआ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jai nam bhamte! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam duhavivaganam pamchamassa ajjhayanassa ayamatthe pannatte, chhatthassa nam bhamte! Ajjhayanassa samanenam bhagavaya mahavirenam ke atthe pannatte? Tae nam se suhamme anagare jambu anagaram evam vayasi–evam khalu jambu! Tenam kalenam tenam samaenam mahura namam nayari. Bhamdire ujjane. Sudarisane jakkhe. Siridame raya. Bamdhusiri bhariya. Putte namdivaddhane kumare–ahina padipunna pamchimdiyasarire juvaraya. Tassa siridamassa subamdhu namam amachche hottha–sama damda bheya uvappayananiti suppautta nayavihannu. Tassa nam subamdhussa amachchassa bahumittaputte namam darae hottha–ahina padipunna pamchimdiyasarire. Tassa nam siridamassa ranno chitte namam alamkarie hottha–siridamassa ranno chittam bahuviham alamkariyakammam karemane savvatthanesu ya savvabhumiyasu ya amteure ya dinnaviyare yavi hottha. Tenam kalenam tenam samaenam sami samosadhe. Parisa niggaya, raya niggao java parisa padigaya. Tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa jetthe amtevasi java rayamaggamogadhe. Taheva hatthi, ase, purise pasai. Tesim cha nam purisanam majjhagayam egam purisam pasai java nara narisamparivudam. Tae nam tam purisam rayapurisa chachcharamsi tattamsi ayomayamsi samajoibhuyamsi sihasanamsi nivesavemti. Tayanamtaram cha nam purisanam majjhagayam bahuhim ayakalasehim tattehim samajoibhuehim, appegaiya tambabhariehim, appegaiya tauyabhariehim, appegaiya sisagabhariehim, appegaiya kalakalabhariehim, appegaiya kharatellabhariehim mahaya-mahaya rayabhiseenam abhisimchamti. Tayanamtaram cha tattam ayomayam samajoibhuyam ayomayam samdasagam gahaya haram pinaddhamti. Tayanamtaram cha nam addhaharam pinaddhamti tisariyam pinaddhamti palambam pinaddhamti kadisuttayam pinaddhamti pattam pinaddhamti maudam pinaddhamti. Chimta taheva java vagarei– Evam khalu goyama! Tenam kalenam tenam samaenam iheva jambuddive dive bharahe vase sihapure namam nayare hottha–riddhatthimiyasamiddhe. Tattha nam sihapure nayare siharahe namam raya hottha. Tassa nam siharahassa ranno dujjohane namam charagapale hottha–ahammie java duppadiyanamde. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa imeyaruve charagabhamde hottha– Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave ayakumdio–appegaiyao tambabhariyao, appegaiyao tauyabhariyao, appegaiyao sisagabhariyao, appegaiyao kalakalabhariyao, appegaiyao kharatellabhariyao–aganikayamsi addahiyao chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave uttiyao–appegaiyao asamuttabhariyao, appegaiyao hatthimuttabhariyao, appegaiyao uttamuttabhariyao, appegaiyao gomuttabhariyao, appegaiyao mahisamuttabhariyao, appegaiyao ayamuttabhariyao, appegaiyao elamutta-bhariyao–bahupadipunnao chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave hatthamduyana ya payamduyana ya hadina ya niyalana ya samkalana ya pumja ya nigara ya sanikkhitta chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave venulayana ya vettalayana ya chimchalayana ya chhiyana ya kasana ya bayarasinam ya pumja ya nigara ya samnikkhitta chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave silana ya laudana ya moggarana ya kanamgarana ya pumja ya nigara ya samnikkhitta chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave tamtina ya varattana ya vagarajjuna ya balayasuttarajjuna ya pumja ya nigara ya samnikkhitta chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave asipattana ya karapattana ya khurapattana ya kalambachirapattana ya pumja ya nigara ya samnikkhitta chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave lohakhilana ya kadasakkarana ya chammapattana ya alipattana ya pumja ya nigara ya samnikkhitta chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave suina ya dambhanana ya kottillana ya pumja ya nigara ya samnikkhitta chitthamti. Tassa nam dujjohanassa charagapalassa bahave satthana ya pippalana ya kuhadana ya nahachchheyanana ya dabbhana ya pumja ya nigara ya samnikkhitta chitthamti. Tae nam se dujjohane charagapale siharahassa ranno bahave chore ya paradarie ya gamthibhee ya rayavakari ya anaharae ya balaghayae ya vissambhaghayae ya juigare ya samdapatte ya purisehim ginhavei, ginhavetta uttanae padei, lohadamdenam muham vihadei, vihadetta appegaie tattatambam pajjei, appegaie tauyam pajjei, appegaie sisagam pajjei, appegaie kalakalam pajjei, appegaie kharatellam pajjei, appegaiyanam tenam cheva abhisegam karei. Appegaie uttanae padei, padetta asamuttam pajjei, appegaie hatthimuttam pajjei, appegaie uttamuttam pajjei, appegaie gomuttam pajjei, appegaie mahisamuttam pajjei, appegaie ayamuttam pajjei, appegaie elamuttam pajjei. Appegaie hetthamuhae padei chhadachhadassa vammavei, vammavetta appegaie tenam cheva ovilam dalayai. Appegaie hatthamduyaim bamdhavei, appegaie payamdue bamdhavei, appegaie hadibamdhanam karei, appegaie niyalabamdhanam karei, appegaie samkodiya modiyae karei, appegaie samkalabamdhanam karei, appegaie hatthachchhinnae karei, appegaie payachchhinnae karei, appegaie nakkachhinnae karei, appe-gaie utthachhinnae karei, appegaie jibbhachhinnae karei, appegaie sisachhinnae karei, appegaie satthovadiyae karei. Appegaie venulayahi ya, appegaie vettalayahi ya, appegaie chimchalayahi ya, appegaie chhiyahi ya, appegaie kasahi ya, appegaie bayarasihi ya hanavei. Appegaie uttanae karavei, karavetta ure silam dalavei, dalavetta tao laudam chhuhavei, chhuhavetta purisehim ukkampavei. Appegaie tamtihi ya, appegaie varattahi ya, appegaie vagarajjuhi ya, appegaie valaya suttarajjuhi ya hatthesu ya paesu ya bamdhavei, agadamsi ochulam bolagam pajjavei. Appegaie asipattehi ya, appegaie karapattehi ya, appegaie khurapattehi ya appegaie kalambachirapattehi ya pachchhavei, pachchha-vetta kharatellenam abbhamgavei. Appegaiyanam niladesu ya avadusu ya kopparesu ya janusu ya khaluesu ya lohakilae ya kadasakkarao ya davavei alie bhumjavei. Appegaie suio ya dambhanani ya hatthamguliyasu ya payamguliyasu ya kottillaehim audavei, audavetta bhumim kamduyavei. Appegaie satthehi ya appegaie pippalehi ya appegaie kuhadehi ya appegaie nahachchheyanehi ya amgam pachchhavei, dabbhehi ya kusehi ya ullavaddhehi ya vedhavei, ayavamsi dalayai, dalaitta sukke samane chadachadassa uppadei. Tae nam se dujjohane charagapale eyakamme eyappahane eyavijje eyasamayare subahum pavakammam samajjinitta egatisam vasasayaim paramaum palaitta kalamase kalam kichcha chhatthie pudhavie ukkosenam bavisasagarovamathiiesu neraiesu neraiyattae uvavanne. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Utkshepa bhagavan ! Yadi yavat muktiprapta shramana bhagavana mahavira ne pamchave adhyayana ka yaha artha kaha, to shashtha adhyayana ka bhagavana ne kya artha kaha hai\? He jambu ! Usa kala tatha usa samaya mem mathura nagari thi. Vaham bhandira nama ka udyana tha. Sudarshanayaksha ka ayatana tha. Shridama raja tha, bandhushri rani thi. Unaka sarvanga – sampanna yuvaraja pada se alamkrita nandivarddhana namaka sarvangasundara putra tha. Shridama naresha ka subandhu mantri tha, jo sama, danda, bheda – upapradana mem kushala tha – usa mantri ke bahumitraputra namaka sarvangasampanna va rupavan balaka tha. Shridama naresha ka, chitra namaka alamkarika tha. Vaha raja ka anekavidha, kshirakarma karata hua raja ki ajnya se sarvasthanom, sarva – bhumikaom tatha antahpura mem bhi, beroka – toka, avagamana karata rahata tha. Usa kala usa samaya mem mathura nagari mem bhagavana mahavira padhare. Parishad va raja bhagavana ki dharmadeshana shravana karane nagara se nikale, yavat vapisa chale gae. Usa samaya bhagavana mahavira ke pradhana shishya gautama svami bhiksha ke lie nagari mem padhare. Vaham unhomne hathiyom, ghorom aura purushom ko dekha, tatha una purushom ke madhya mem yavat bahuta se nara – nariyom ke vrinda se ghire hue eka purusha ko dekha. Rajapurusha una purusha ko chatvara – sthana mem agni ke samana – santapta lohamaya simhasana para baithate haim. Baithakara koi – koi rajapurusha usako agni ke samana ushna lohe se paripurna, koi tamrapurna, koi trapu – ramga se purna, koi sisa se purna, koi kalakala se purna, athava kalakala shabda karate hue atyushna pani se paripurna, ksharayukta taila se purna, agni ke samana tape kalashom ke dvara mahan rajyabhisheka se usaka abhisheka karate haim. Tadanantara use, lohamaya samdasi se pakarakara agni ke samana tape hue ayomaya, arddhahara, yavat pahanate haim. Yavat gautamasvami usa purusha ke purvabhava sambandhi vrittanta ko bhagavana se puchhate haim. He gautama ! Usa kala usa samaya mem isi jambudvipa antargata bharatavarsha mem simhapura namaka eka riddha, stimita va samriddha nagara tha. Vaham simhastha raja tha. Duryodhana nama ka karagararakshaka tha, jo adharmi yavat kathinai se prasanna hone vala tha. Duryodhana namaka usa charakapala ke nimna charakabhanda the. Aneka prakara ki lohamaya kundiyam thi, jinamem se kai eka tamra se, kai eka trapuramga se, kai eka sise se, to kitanika churnamishrita jala se bhari hui thi aura kitanika ksharayukta taila se bhari thi, jo ki agni para rakhi rahati thi. Duryodhana charakapala ke pasa ushtrikaem the – unamem se kaim eka ashvamutra se, kitaneka hathi ke mutra se, kitaneka ushtramutra se, kitaneka gomutra se, kitaneka mahishamutra se, kitaneka bakare ke mutra se to kitaneka bherom ke mutra se bhare hue the. Usa duryodhana charakapala ke pasa aneka hastanduka, padanduka, hadi aura shrimkhala tatha nikara lagae hue rakhe the. Tatha usa duryodhana charakapala ke pasa venulataom, bemta ke chabukom, chimta – imali ke chabukom, komala charma ke chabukom, samanya charmayukta chabukom, valkalarashmiyom ke pumja va nikara rakhe rahate the. Usa duryodhana charakapala ke pasa aneka shilaom, lakariyom, mudgarom aura kanamgarom ke pumja va nikara rakhe rahate the. Usa duryodhana charakapala ke pasa chamare ki rassiyom, samanya rassiyom, valkala rajjuom, chhala se nirmita rassiyom, kesharajjuom aura sutra rajjuom ke punja va nikara rakhe rahate the. Usa duryodhana charakapala ke pasa asipatra, karapatra, kshurapatra aura kadambachirapatra ke bhi punja va nikara rakhe rahate the. Usa duryodhana charakapala ke pasa lohe ki kilom, bamsa ki salaiyom, chamare ke pattom va allapatta ke punja va nikara rakhe hue the. Usa duryodhana charakapala ke pasa aneka suiyom, dambhanom aisi salaiyom tatha laghu mudgarom ke punja va nikara rakhe hue the. Usa duryodhana ke pasa aneka prakara ke shastra, pippala, kulharom, nakhachchhedaka evam dabha ke agrabhaga se tikshna hathiyarom ke punja va nikara rakhe hue the. Tadanantara vaha duryodhana charapalaka simharatha raja ke aneka chora, parastrilampata, granthibhedaka, raja ke apakari – dushmanom, rinadharaka, balaghatakom, vishvasaghatiyom, juariyom aura dhurta purushom ko rajapurushom ke dvara pakaravakara urdhvamukha girata hai aura girakara lohe ke dande se mukha ko kholata hai aura kholakara kitaneka ko tapta tamba pilata hai, kitaneka ko ramga, sisaka, churnadimishrita jala athava kalakala karata hua atyanta ushna jala aura ksharayukta taila pilata hai tatha kitanom ka inhim se abhisheka karata hai. Kitanom ko urdhvamukha girakara unhem ashvamutra hastimutra yavat bherom ka mutra pilata hai. Kitanom ko adhomukha girakara chhala chhala shabda purvaka vamana karata hai aura kitanom ko usi ke dvara pira deta hai. Kitanom ko hathakariyom beriyom se, hadibandhanom se va nigada bandhanom se baddha karata hai. Kitanom ke sharira ko sikorata va marorata hai. Kitanom ko samkalom se bamdhata hai, tatha kitanom ka hastachhedana yavat shastrom se chirata – pharata hai. Kitanom ko venulataom yavat vrikshatvacha ke chabukom se pitavata hai. Kitanom ko urdhvamukha girakara unaki chhati para shila va lakkara rakhava kara utkampana karata hai, jisase haddiyam tuta jaem. Kitanom ke charmarajjuom va sutrarajjuom se hathom aura pairom ko bamdhavata hai, bamdhavakara kue mem ulta latakavata hai, latakakara gote khilata hai. Kitanom ka asipatrom yavat kalambachirapatrom se chhedana karata hai aura usa para ksharamishrita taila se mardana karata hai. Kitanom ke mastakom, kanthamaniyom, ghamtiyom, kohaniyom, januom tatha gulphom – gittom mem lohe ki kilom ko tatha bamsa ki shalakaom ko thukavata hai tatha vrishchikakantakom – bichchhu ke kamtom ko sharira mem pravishta karata hai. Kitanom ke hatha ki amguliyom tatha paira ki amguliyom mem mudgarom ke dvara suiyom tatha dambhanom – ko pravishta karata hai tatha bhumi ko khudavata hai. Kitanom ka shastrom va neharanom se anga chhilavata hai aura darbhom, kushaom tatha ardra charmom dvara bamdhavata hai. Tadanantara dhupa mem girakara unake sukhane para chara chara shabdapurvaka unaka utpatana karata hai. Isa taraha vaha duryodhana charakapalaka isa prakara ki nirdayatapurna pravrittiyom ko apana karma, vijnyana va sarvottama acharana banae hue atyadhika papakarmom ka uparjana karake 31 sau varsha ki parama ayu bhogakara kalamasa mem kala karake chhathe naraka mem utkrishta 22 sagaropama ki sthiti vale narakiyom mem naraka rupa mem utpanna hua. |