Sutra Navigation: Vipakasutra ( विपाकश्रुतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005512 | ||
Scripture Name( English ): | Vipakasutra | Translated Scripture Name : | विपाकश्रुतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक अध्ययन-२ उज्झितक |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक अध्ययन-२ उज्झितक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 12 | Category : | Ang-11 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तत्थ णं वाणियगामे विजयमित्ते नामं सत्थवाहे परिवसइ–अड्ढे। तस्स णं विजयमित्तस्स सुभद्दा नामं भारिया होत्था। तस्स णं विजयमित्तस्स पुत्ते सुभद्दाए भारियाए अत्तए उज्झियए नामं दारए होत्था–अहीन पडिपुण्ण पंचिंदिय सरीरे लक्खण वंजण गुणोववेए माणुम्माणप्पमाण पडिपुण्ण सुजाय सव्वंग-सुंदरंगे ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे सुरूवे। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा निग्गया। राया निग्गओ, जहा कूणिओ निग्गओ। धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया राया य गओ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूई नामं अनगारे गोयमगोत्तेणं जाव संखित्तविउलतेयलेसे छट्ठंछट्ठेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं भगवं गोयमे छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए ज्झाणं ज्झियाइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ, पडि-लेहेत्ता भायणवत्थाइं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणाइं पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाइं उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी– इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे छट्ठक्खमण-पारणगंसि वाणियगामे नयरे उच्च नीय मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदानस्स भिक्खायरियाए अडित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं। तएण भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ दूइपलासाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवल-मसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वाणियगामे नयरे उच्च नीय मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदानस्स भिक्खा-यरियाए अडमाणे जेणेव रायमग्गे तेणेव ओगाढे। तत्थ णं बहवे हत्थो पासइ–सण्णद्ध बद्धवम्मिय गुडिए उप्पोलियकच्छे उद्दामियघंटे नाना-मणिरयण विविह गेवेज्जउत्तरकचुइज्जे पडिकप्पिए ज्झयपडागवर पंचामेल आरूढहत्थारोहे गहियाउहप्पहरणे। अन्ने य तत्थ बहवे आसे पासइ– सन्नद्ध बद्धवम्मिय गुडिए आविद्धगुडे ओसारियपक्खरे उत्तरकंचुइय ओचूलामुहचंडाधर-चामर थासग परिमंडिय कडीए आरूढअस्सारोहे गहियाउह-प्पहरणे। अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसे पासइ सन्नद्ध बद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टोए पिणद्धगेवेज्जे, विमलवरबद्ध चिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे। तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगयं एगं पुरिसं पासइ अवओडयबंधणं उक्खित्त कण्णनासं नेहतुप्पियगत्तं वज्झ करकडि जुयनियच्छं कंठेगुणरत्त मल्लदामं चुण्णगुंडियगातं चुण्णयं वज्झपाणपीयं तिलं-तिलं चेव छिज्जमाणं कागणिमंसाइं खावियंतं पावं रक्खरसएहिं हम्ममाणं अनेगनर नारी संपरिवुडं चच्चरे-चच्चरे खंडपडहएणं उग्घोसिज्जमाणं इमं च णं एयारूवं उग्घोसणं सुणेइ– नो खलु देवानुप्पिया! उज्झियगस्स दारगस्स केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्झइ, अप्पणो से सयाइं कम्माइं अवरज्झंति। | ||
Sutra Meaning : | उस वाणिजग्राम नगर में विजयमित्र नामक एक धनी सार्थवाह निवास करता था। उस विजयमित्र की अन्यून पञ्चेन्द्रिय शरीर से सम्पन्न सुभद्रा नाम की भार्या थी। उस विजयमित्र का पुत्र और सुभद्रा का आत्मज उज्झितक नामक सर्वाङ्गसम्पन्न और रूपवान् बालक था। उस काल तथा उस समय में श्रमण भगवान महावीर वाणिजग्राम नामक नगर में पधारे। प्रजा दर्शनार्थ नीकली। राजा भी कूणिक नरेश की तरह गया। भगवान ने धर्म का उपदेश दिया। जनता तथा राजा दोनों वापिस चले गए। उस काल तथा उस समय श्रमण भगवान महावीर स्वामी के ज्येष्ठ अन्तेवासी इन्द्रभूति नामक अनगार, जो कि तेजोलेश्या को संक्षिप्त करके अपने अन्दर धारण किये हुए हैं तथा बेले की तपस्या करते हुए थे। वे भिक्षार्थ वाणिज्यग्राम नगर में पधारे। वहाँ (राजमार्ग में) उन्होंने अनेक हाथियों को देखा। वे हाथी युद्ध के लिए उद्यत थे, जिन्हें कवच पहनाए हुए थे, जो शरीररक्षक उपकरण आदि धारण किये हुए थे, जिनके उदर दृढ़ बन्धन से बाँधे हुए थे। जिनके झूलों के दोनों तरफ बड़े बड़े घण्टे लटक रहे थे। जो नाना प्रकार के मणियों ओर रत्नों से जुड़े हुए विविध प्रकार के ग्रैवेयक पहने हुए थे तथा जो उत्तर कंचुक नामक तनुत्राणविशेष एवं अन्य कवच आदि सामग्री धारण किए हुए थे। जो ध्वजा पताका तथा पंचविध शिरोभूषण से विभूषित थे एवं जिन पर आयुध व प्रहरणादि लिए हुए महावत बैठे हुए थे अथवा उन हाथियों पर आयुध लदे हुए थे। इसी तरह वहाँ अनेक अश्वों को भी देखा, जो युद्ध के लिए उद्यत थे तथा जिन्हें कवच तथा शारीरिक रक्षा के उपकरण पहनाए हुए थे। जिनके शरीर पर सोने की बनी हुई झूल पड़ी हुई थी तथा जो लटकाए हुए तनुत्राण से युक्त थे। जो बखतर विशेष से युक्त तथा लगाम से अन्वित मुख वाले थे। जो क्रोध से अधरों को चबा रहे थे। चामर तथा स्थासक से जिनका कटिभाग परिमंडित हो रहा था तथा जिन पर सवारी कर रहे अश्वारोही आयुध और प्रहरण ग्रहण किये हुए थे अथवा जिन पर शस्त्रास्त्र लदे हुए थे। इसी तरह वहाँ बहुत से पुरुषों को भी देखा जो दृढ़ बन्धनों से बंधे हुए लोहमय कुसूलादि से युक्त कवच शरीर पर धारण किये हुए, जिन्होंने पट्टिका कसकर बाँध रखी थी। जो गले में ग्रैवेयक धारण किये हुए थे। जिनके शरीर पर उत्तम चिह्नपट्टिका लगी हुई थी तथा जो आयुधों और प्रहरणों को ग्रहण किये हुए थे। उन पुरुषों के मध्य में भगवान गौतम ने एक और पुरुष को देखा जिसके हाथों को मोड़कर पृष्ठभाग के साथ रस्सी से बाँधा हुआ था। जिसके नाक और कान कटे हुए थे। जिसका शरीर स्निग्ध किया गया था। जिसके कर और कटि – प्रदेश में वध्य पुरुषोचित्त वस्त्र – युग्म धारण किया हुआ था। हाथ जिसके हथकड़ियों पर रखे हुए थे जिसके कण्ठ में धागे के समान लाल पुष्पों की माला थी, जो गेरु के चूर्ण से पोता गया था, जो भय से संत्रस्त, तथा प्राणों को धारण किये रखने का आकांक्षी था, जिसको तिल – तिल करके काटा जा रहा था, जिसको शरीर के छोटे – छोटे माँस के टुकड़े खिलाए जा रहे थे। ऐसा वह पापात्मा सैकड़ों पत्थरों या चाबुकों से मारा जा रहा था। जो अनेक स्त्री – पुरुष – समुदाय से घिरा हुआ और प्रत्येक चौराहे आदि पर उद्घोषित किया जा रहा था। हे महानुभावो! इस उज्झितक बालक का किसी राजा अथवा राजपुत्र ने कोई अपराध नहीं किया, किन्तु यह इसके अपने ही कर्मों का अपराध है, जो इस दुःस्थिति को प्राप्त है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tattha nam vaniyagame vijayamitte namam satthavahe parivasai–addhe. Tassa nam vijayamittassa subhadda namam bhariya hottha. Tassa nam vijayamittassa putte subhaddae bhariyae attae ujjhiyae namam darae hottha–ahina padipunna pamchimdiya sarire lakkhana vamjana gunovavee manummanappamana padipunna sujaya savvamga-sumdaramge sasisomakare kamte piyadamsane suruve. Tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire samosadhe parisa niggaya. Raya niggao, jaha kunio niggao. Dhammo kahio. Parisa padigaya raya ya gao. Tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa jetthe amtevasi imdabhui namam anagare goyamagottenam java samkhittaviulateyalese chhatthamchhatthenam anikkhittenam tavokammenam samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tae nam bhagavam goyame chhatthakkhamanaparanagamsi padhamae porisie sajjhayam karei, biyae porisie jjhanam jjhiyai, taiyae porisie aturiyamachavalamasambhamte muhapottiyam padilehei, padi-lehetta bhayanavatthaim padilehei, padilehetta bhayanaim pamajjai, pamajjitta bhayanaim uggahei, uggahetta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi– ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane chhatthakkhamana-paranagamsi vaniyagame nayare uchcha niya majjhimaim kulaim gharasamudanassa bhikkhayariyae adittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham. Taena bhagavam goyame samanenam bhagavaya mahavirenam abbhanunnae samane samanassa bhagavao mahavirassa amtiyao duipalasao ujjanao padinikkhamai, padinikkhamitta aturiyamachavala-masambhamte jugamtarapaloyanae ditthie purao riyam sohemane-sohemane jeneva vaniyagame nayare teneva uvagachchhai, uvagachchhitta vaniyagame nayare uchcha niya majjhimaim kulaim gharasamudanassa bhikkha-yariyae adamane jeneva rayamagge teneva ogadhe. Tattha nam bahave hattho pasai–sannaddha baddhavammiya gudie uppoliyakachchhe uddamiyaghamte nana-manirayana viviha gevejjauttarakachuijje padikappie jjhayapadagavara pamchamela arudhahattharohe gahiyauhappaharane. Anne ya tattha bahave ase pasai– sannaddha baddhavammiya gudie aviddhagude osariyapakkhare uttarakamchuiya ochulamuhachamdadhara-chamara thasaga parimamdiya kadie arudhaassarohe gahiyauha-ppaharane. Anne ya tattha bahave purise pasai sannaddha baddhavammiyakavae uppiliyasarasanapattoe pinaddhagevejje, vimalavarabaddha chimdhapatte gahiyauhappaharane. Tesim cha nam purisanam majjhagayam egam purisam pasai avaodayabamdhanam ukkhitta kannanasam nehatuppiyagattam vajjha karakadi juyaniyachchham kamthegunaratta malladamam chunnagumdiyagatam chunnayam vajjhapanapiyam tilam-tilam cheva chhijjamanam kaganimamsaim khaviyamtam pavam rakkharasaehim hammamanam aneganara nari samparivudam chachchare-chachchare khamdapadahaenam ugghosijjamanam imam cha nam eyaruvam ugghosanam sunei– no khalu devanuppiya! Ujjhiyagassa daragassa kei raya va rayaputto va avarajjhai, appano se sayaim kammaim avarajjhamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa vanijagrama nagara mem vijayamitra namaka eka dhani sarthavaha nivasa karata tha. Usa vijayamitra ki anyuna panchendriya sharira se sampanna subhadra nama ki bharya thi. Usa vijayamitra ka putra aura subhadra ka atmaja ujjhitaka namaka sarvangasampanna aura rupavan balaka tha. Usa kala tatha usa samaya mem shramana bhagavana mahavira vanijagrama namaka nagara mem padhare. Praja darshanartha nikali. Raja bhi kunika naresha ki taraha gaya. Bhagavana ne dharma ka upadesha diya. Janata tatha raja donom vapisa chale gae. Usa kala tatha usa samaya shramana bhagavana mahavira svami ke jyeshtha antevasi indrabhuti namaka anagara, jo ki tejoleshya ko samkshipta karake apane andara dharana kiye hue haim tatha bele ki tapasya karate hue the. Ve bhikshartha vanijyagrama nagara mem padhare. Vaham (rajamarga mem) unhomne aneka hathiyom ko dekha. Ve hathi yuddha ke lie udyata the, jinhem kavacha pahanae hue the, jo sharirarakshaka upakarana adi dharana kiye hue the, jinake udara drirha bandhana se bamdhe hue the. Jinake jhulom ke donom tarapha bare bare ghante lataka rahe the. Jo nana prakara ke maniyom ora ratnom se jure hue vividha prakara ke graiveyaka pahane hue the tatha jo uttara kamchuka namaka tanutranavishesha evam anya kavacha adi samagri dharana kie hue the. Jo dhvaja pataka tatha pamchavidha shirobhushana se vibhushita the evam jina para ayudha va praharanadi lie hue mahavata baithe hue the athava una hathiyom para ayudha lade hue the. Isi taraha vaham aneka ashvom ko bhi dekha, jo yuddha ke lie udyata the tatha jinhem kavacha tatha sharirika raksha ke upakarana pahanae hue the. Jinake sharira para sone ki bani hui jhula pari hui thi tatha jo latakae hue tanutrana se yukta the. Jo bakhatara vishesha se yukta tatha lagama se anvita mukha vale the. Jo krodha se adharom ko chaba rahe the. Chamara tatha sthasaka se jinaka katibhaga parimamdita ho raha tha tatha jina para savari kara rahe ashvarohi ayudha aura praharana grahana kiye hue the athava jina para shastrastra lade hue the. Isi taraha vaham bahuta se purushom ko bhi dekha jo drirha bandhanom se bamdhe hue lohamaya kusuladi se yukta kavacha sharira para dharana kiye hue, jinhomne pattika kasakara bamdha rakhi thi. Jo gale mem graiveyaka dharana kiye hue the. Jinake sharira para uttama chihnapattika lagi hui thi tatha jo ayudhom aura praharanom ko grahana kiye hue the. Una purushom ke madhya mem bhagavana gautama ne eka aura purusha ko dekha jisake hathom ko morakara prishthabhaga ke satha rassi se bamdha hua tha. Jisake naka aura kana kate hue the. Jisaka sharira snigdha kiya gaya tha. Jisake kara aura kati – pradesha mem vadhya purushochitta vastra – yugma dharana kiya hua tha. Hatha jisake hathakariyom para rakhe hue the jisake kantha mem dhage ke samana lala pushpom ki mala thi, jo geru ke churna se pota gaya tha, jo bhaya se samtrasta, tatha pranom ko dharana kiye rakhane ka akamkshi tha, jisako tila – tila karake kata ja raha tha, jisako sharira ke chhote – chhote mamsa ke tukare khilae ja rahe the. Aisa vaha papatma saikarom pattharom ya chabukom se mara ja raha tha. Jo aneka stri – purusha – samudaya se ghira hua aura pratyeka chaurahe adi para udghoshita kiya ja raha tha. He mahanubhavo! Isa ujjhitaka balaka ka kisi raja athava rajaputra ne koi aparadha nahim kiya, kintu yaha isake apane hi karmom ka aparadha hai, jo isa duhsthiti ko prapta hai. |