Sutra Navigation: Anuttaropapatikdashang ( अनुत्तरोपपातिक दशांगसूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005310 | ||
Scripture Name( English ): | Anuttaropapatikdashang | Translated Scripture Name : | अनुत्तरोपपातिक दशांगसूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वर्ग-३ धन्य, सुनक्षत्र, ऋषिदास, पेल्लक, रामपुत्र... अध्ययन-१ |
Translated Chapter : |
वर्ग-३ धन्य, सुनक्षत्र, ऋषिदास, पेल्लक, रामपुत्र... अध्ययन-१ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 10 | Category : | Ang-09 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं अनुत्तरोववाइयदसाणं तच्चस्स वग्गस्स दस अज्झयणा पन्नत्ता, पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं काकंदी नामं नयरी होत्था–रिद्धत्थिमियसमिद्धा। सहसंबवणे उज्जाणे–सव्वोउय-पुप्फ-फल-समिद्धे। जियसत्तू राया। तत्थ णं काकंदीए नयरीए भद्दा नामं सत्थवाही परिवसइ–अड्ढा जाव अपरिभूया। तीसे णं भद्दाए सत्थवाहीए पुत्ते धन्ने नामं दारए होत्था–अहीणपडिपुण्ण-पंचेंदियसरीरे जाव सुरूवे। पंचधाईपरिग्गहिए जहा महब्बलो जाव बावत्तरिं कलाओ अहीए जाव अलंभोगसमत्थे जाए यावि होत्था। तए णं सा भद्दा सत्थवाही धन्न दारयं उम्मुक्कबालभावं जाव अलंभोगसमत्थं वा वि जाणित्ता बत्तीसं पासायवडेंसए कारेइ–अब्भुग्गयमूसिए जाव पडिरूवे। तेसिं मज्झे एगं च णं महं भवणं कारेइ–अनेगखंभसयसन्निविट्ठं जाव पडिरूवं। तए णं सा भद्दा सत्थवाही तं धन्न दारयं बत्तीसाए इब्भवरकन्नगाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेइ। बत्तीसओ दाओ तए णं से धन्ने दारए उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं जाव विउले मानुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे। परिसा निग्गया। राया जहा कोणिओतहा निग्गओ। तए णं तस्स धन्नस्स दारगस्स तं महया जनसद्दं वा जाव जनसन्निवायं वा सुनमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था–किण्णं अज्ज काकंदीए नयरीए इंदमहे इ वा जण्णं एते बहवे उग्गा भोगा जाव निग्गच्छंति– एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कंचुइपुरिसं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–किण्णं देवानुप्पिया! अज्ज काकंदीए नयरीए इंदमहे इ वा जाव निग्गच्छंति? तए णं से कंचुइपुरिसे समणस्स भगवओ महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए धन्नं दारयं एवं वयासी– एवं खलु देवानुप्पिया! अज्ज समणे भगवं महावीरे काकंदीए नयरीए बहिया सहसंबवणे उज्जाने अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं एते बहवे उग्गा भोगा जाव निग्गच्छंति। तए णं से धन्ने दारए कंचुइपुरिसस्स अंतियं एयमट्ठं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठे जाव पायचारेणं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरे तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे धन्नस्स दारयस्स तीसे य महइमहालियाए इसिपरिसाए जाव धम्मं परिकहेइ। तए णं से धन्ने दारए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं जाव अम्मयं भद्दं सत्थवाहिं आपुच्छामि, तए णं अहं देवानुप्पियाणं अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि। अहासुहं देवानुप्पिया। जहा जमाली तहा आपुच्छइ। तए णं सा भद्दा सत्थवाही तं अणिट्ठं अकंतं अप्पियं अमणुण्णं अमणामं असुयपुव्वं फरुसं गिरं सोच्चा निसम्म धसत्ति सव्वंगेहिं संनिवडिया। वुत्तपडिवुत्तया जहा महब्बले। तए णं तं धन्न दारयं भद्दा सत्थवाही जाहे नो संचाएइ जाव जियसत्तुं आपुच्छइ–इच्छामि णं देवानुप्पिया! धन्नस्स दारयस्स निक्खममाणस्स छत्त-मउड-चामराओ य विदिन्नाओ। तए णं जियसत्तू राया भद्दं सत्थवाहिं एवं वयासी–अच्छाहि णं तुमं देवानुप्पिए! सुनिव्वुत-वीसत्था, अहण्णं सयमेव धन्नस्स दारयस्स निक्खमणसक्कारं करिस्सामि। सयमेव जियसत्तू निक्खमणं करेइ, जहा थावच्चापुत्तस्स कण्हो। तए णं से धन्ने दारए सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ जाव पव्वइए। तए णं से धन्ने दारए अनगारे जाए–इरियासमिए भासासमिए एसणासमिए आयाण-भंड-मत्त-निक्खेवणासमिए उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमिए मनसमिए वइसमिए कायसमिए मनगुत्ते वइगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिंदिए गुत्तबंभयारी। तए णं से धन्ने अनगारे जं चेव दिवसं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, तं चेव दिवसं समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे जावज्जीवाए छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरित्तए छट्ठस्स वि य णं पारणयंसि कप्पइ मे आयंबिलं पडिगाहेत्तए, नो चेव णं अनायंबिलं। तं पि य संसट्ठं, नो चेव णं असंसट्ठं। तं पि य णं उज्झियधम्मियं, नो चेव णं अनुज्झिय-धम्मियं तं पि य जं अन्ने बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वणीमगा नावकंखंति। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से धन्ने अनगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठतुट्ठे जावज्जीवाए छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं से धन्ने अनगारे पढम-छट्ठखमणपारणयंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, जहा गोयमसामी तहेव आपुच्छइ, जाव जेणेव काकंदी नयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता काकंदीए नयरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाण-स्स भिक्खायरियाए अडमाणे आयंबिलं पडि-गाहेति, नो चेव णं अनायंबिलं। तं पि य संसट्ठं, नो चेव णं असंसट्ठं। तं पि य उज्झिय-धम्मियं, नो चेव णं अनुज्झिय-धम्मियं तं पि य जं अन्ने बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण-वनीमगा नावकंखंति। तए णं से धन्ने अनगारे ताए अब्भुज्जयाए पययाए पयत्ताए पग्गहियाए एसणाए एसमाणे जइ भत्तं लभइ तो पाणं न लभइ, अह पाणं लभइ तो भत्तं न लभइ। तए णं से धन्ने अनगारे अदीने अविमने अकलुसे अविसादी अपरितंत-जोगी जयण-घडण-जोगचरित्ते अहापज्जत्तं समुदाणं पडिगाहेइ, पडिगाहेत्ता काकंदीओ नयरीओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जहा गोयमे जाव पडिदंसेइ। तए णं से धन्ने अनगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेइ, आहारेत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ कायंदीओ नयरीओ सहसंबवनाओ उज्जाणाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ। तए णं से धन्ने अनगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइय-माइयाइं एक्कारस अंगाइं अहिज्जइ, अहिज्जित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं से धन्ने अनगारे तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरोएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महानुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमनिसंतए जाए यावि होत्था। जीवंजीवेणं गच्छइ, जीवंजीवेणं चिट्ठइ, भासं भासित्ता वि गिलाइ, भासं भासमाणे गिलाइ, भासं भासिस्सामीति गिलाइ। से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा पत्त-तिल-भंडग-सगडिया इ वा एरंडकट्ठ-सगडिया इ वा, इंगालसगडिया इ वा उण्हे दिन्ना सुक्का समाणी ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, एवामेव धन्ने अनगारे ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, उवचिए तवेणं, अवचिए मंससोणिएणं, हुयासणे विव भासरासिपडिच्छण्णे तवेणं, तेएणं, तवतेयसिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ। धन्नस्स णं अनगारस्स पायाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए सुक्कछल्ली इ वा कट्ठपाउया इ वा जरग्गओवाहणा इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स पाया सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठिचम्मछिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स पायंगुलियाणं अयमेयारूवे तव रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए कलसंगलिया इ वा मुग्गसंगलिया इ वा माससंगलिया इ वा तरुणिया छिण्णा उण्हे दिन्ना सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठंति, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स पायंगुलियाओ सुक्काओ लुक्खाओ निम्मंसाओ अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स जंघाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए काकजंघा इ वा ढेणियालि-याजंघा इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स जंघाओ सुक्काओ लुक्खाओ निम्मंसाओ अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स अनगारस्स जाणूणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए कालिपोरे इ वा मऊरपोरे इ वा ढेणियालियापोरे इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स जाणू सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स ऊरूणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए सामकरिल्ले इ वा बोरीकरिल्ले इ वा सल्लइकरिल्ले इ वासामलिकरिल्ले इ वा तरुणए छिण्णे उण्हे दिण्णे सुक्के समाणे मिलायमाणे चिट्ठइ, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स ऊरू सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंसं-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स कडिपत्तस्स अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए उट्टपदे इ वा जरग्गपए इ वा महिसपए इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स कडिपत्ते सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंसं-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स उदर-भायणस्स अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए सुक्क-दिए इ वा भज्जणयक भल्ले इ वा कट्ठ-कोलंबए इ वा, एवामेव धनस्स अनगारस्स उदरं सुक्कं लुक्खं निम्मसं चम्म-छिर-त्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स पासुलिय-कडयाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए थासयावली इ वा पाणावली इ वा मुंडावली इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स पासुलिय-कडया सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स पिट्ठि-करंडयाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए कण्णावली इ वा गोलावली इ वा वट्टावली इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स पिट्ठि-करंडया सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्सउर-कडयस्स अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए चित्तकट्टरे इ वा वीयणपत्ते इ वा तालियंटपत्ते इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स उर-कडए सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स बाहाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए समिसं-गलिया इ वा बाहाया-संगलिया इ वाअगत्थिय-संगलिया इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स बाहाओ सुक्काओ लुक्खाओ निम्मंसाओ अट्ठि-चम्म-छिर-त्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स हत्थाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए सुक्कछगणिया इ वा वडपत्ते इ वा पलासपत्ते इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स हत्था सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स हत्थंगुलियाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए कलसंगलिया इ वा मुग्गसंगलिया इ वा माससंगलिया इ वा तरुणिया छिन्ना आयवे दिन्ना सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठंति, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स हत्थंगुलियाओ सुक्काओ लुक्खाओ निम्मंसाओ अट्ठिचम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स गीवाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए करग-गीवा इ वा कुंडिया-गीवा इ वा उच्चत्थवणए इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स गीवा सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठिचम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स हणुयाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए लाउफले इ वा हकुवफले इ वा अंबगट्ठिया इ वा आयवे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठइ, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स हणुया सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स उट्ठाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए सुक्क-जलोया इ वा सिलेसगुलिया इ वा अलत्तगुलिया इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स उट्ठा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स जिब्भाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए वडपत्ते इ वा पलासपत्ते इ वा सागपत्ते इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स जिब्भा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म-छिरत्ताए पन्नायति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स नासाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए अंबग-पेसिया इ वा अंबाडगपेसिया इ वा माउलुंगपेसिया इ वा तरुणिया छिण्णा आयवे दिन्ना सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठइ, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स नासा सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पन्नायति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स अच्छीणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए वीणाछिद्दे इ वा बद्धीसगछिद्दे इ वा पाभाइयतारिगा इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स अच्छीओ सुक्काओ लुक्खाओ निम्मंसाओ अट्ठिचम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स कण्णाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए मूलाछल्लिया इ वा वालुंकछल्लिया इ वा कारेल्लयछल्लिया इ वा, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स कण्णा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म-छिरत्ताए पन्नायंति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्नस्स णं अनगारस्स सीसस्स अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था–से जहानामए तरुण-गलाउए इ वा तरुणग-एलालुए इ वा सिण्हालए इ वा तरुणए छिन्ने आयवे दिन्ने सुक्के समाणे मिलायमाणे चिट्ठइ, एवामेव धन्नस्स अनगारस्स सीसं सुक्कं लुक्खं निम्मंसं अट्ठिचम्म-छिरत्ताए पन्नायइ, नो चेव णं मंससोणियत्ताए। धन्ने णं अनगारे सुक्केणं भुक्खेणं पायजंघोरुणा, विगय-तडि-करालेणं कडि-कडाहेणं, पिट्ठिमस्सिएणं उदरभायणेणं, जोइज्जमाणेहिं पासुलि-कडएहिं,अक्खसुत्तमाला तिव गणेज्ज-माणेहिं पिट्ठिकरंडगसंधीहिं, गंगातरंगभूएणं उरकडगदेसभाएणं, सुक्कसप्पसमाणाहिं बाहाहिं, सिढिलकडाली विवलंबतेहि य अग्गहत्थेहिं, कंपणवाइओ विव वेवमाणीए सीसघडीए पम्माण-वयणकमले उब्भडघडमुहे उच्छुद्धणयणकोसे जीवंजीवेणं गच्छइ, जीवंजीवेणं चिट्ठइ, भासं भासित्ता गिलाइ, भासं भासमाणे गिलाइ, भासं भासिस्सामि त्ति गिलाइ। से जहानामए इंगाल-सगडिया इ वा कट्ठसगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा तिलंडासगडिया इ वा एरंडसगडिया इ वा उण्हे दिन्ना सुक्का समाणी ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, एवामेव धन्ने अनगारे ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ, उवचिए तवेणं, अवचिए मंससोणिएणं, हुयासणे इव भासरासिपलिच्छण्णे तवेणं तेएणं तवतेयसिरीए अईव-अईव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! यदि श्रमण भगवान महावीर ने, अनुत्तरोपपातिक – दशा के तृतीय वर्ग के दश अध्ययन प्रतिपादन किए हैं तो फिर हे भगवन् ! प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है ? हे जम्बू ! उस काल और उस समय में काकन्दी नगरी थी। वह सब तरह के ऐश्वर्य और धन – धान्य से परिपूर्ण थी। सहस्राम्रवन नाम का उद्यान था, जो सब ऋतुओं में फल और फूलों से भरा रहता था। जितशत्रु राजा था। भद्रा सार्थवाहिनी थी। वह अत्यन्त समृद्धिशालिनी और धन – धान्य में अपनी जाति और बराबरी के लोगों में किसी से किसी प्रकार भी परिभृत नहीं थी। उस भद्रा सार्थवाहिनी का धन्य नाम का एक सर्वाङ्ग – पूर्ण और रूपवान् पुत्र था। उसके पालन – पोषण करने के लिए पाँच धाईयाँ नियत थीं। शेष वर्णन महाबल कुमार समान जानना। इस प्रकार धन्य कुमार सब भोगों को भोगने में समर्थ हो गया। इसके अनन्तर भद्रा सार्थवाहिनी ने धन्य कुमार को बालकपन से मुक्त और सब तरह के भोगों को भोगने में समर्थ जानकर बत्तीस बड़े – बड़े अत्यन्त ऊंचे और श्रेष्ठ भवन बनवाए। उनके मध्य में एक सैकड़ों स्तम्भों से युक्त भवन बनवाया। फिर बत्तीस श्रेष्ठ कुलों की कन्याओं से एक ही दिन उसका पाणि – ग्रहण कराया। उनके साथ बत्तीस (दास, दासी और धन – धान्य से युक्त) प्रीतिदान मिला। तदनन्तर धन्य कुमार अनेक प्रकार के मृदङ्ग आदि वाद्यों की ध्वनि से गुञ्जित प्रासादों के ऊपर पञ्चविध सांसारिक सुखों का अनुभव करते हुए विचरण करने लगा। उस काल और उस समय में श्रमण भगवान महावीर स्वामी वहाँ विराजमान हुए। नगरी की परिषद् वन्दना के लिए गई। कोणिक राजा के समान जितशत्रु राजा भी गया। धन्य कुमार भी जमालि कुमार की तरह गया। विशेषता यही कि धन्य कुमार पैदल ही गया। उसने कहा कि हे भगवन् ! मैं अपनी माता भद्रा सार्थवाहिनी को पूछ कर आता हूँ। इसके अनन्तर मैं आपकी सेवा में उपस्थित होकर दीक्षित हो जाऊंगा। उसने अपनी माता से जमालि की तरह ही पूछा। माता यह सूनकर मूर्च्छित हो गई। माता – पुत्र में इस विषय में प्रश्नोत्तर हुए। जब वह भद्रा महाबल के समान पुत्र को रोकने के लिए समर्थ न हो सकी तो उसने थावच्चा पुत्र के समान जितशत्रु राजा से पूछा और दीक्षा के लिए छत्र और चामर की याचना की। जितशत्रु राजा ने स्वयं उपस्थित होकर कृष्ण वासुदेव के समान धन्य कुमार का दीक्षा – महोत्सव किया। धन्य कुमार दीक्षित हो गया और ईर्या – समिति, ब्रह्मचर्य आदि सम्पूर्ण गुणों से युक्त होकर विचरने लगा। तत्पश्चात् वह धन्य अनगार जिस दिन मुण्डित हुआ, उसी दिन श्रमण भगवान महावीर की वन्दना और नमस्कार कर कहने लगा कि हे भगवन् ! आपकी आज्ञा से मैं जीवन – पर्यन्त षष्ठ – षष्ठ तप और आचाम्लग्रहण – रूप तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरना चाहता हूँ। और षष्ठ के पारण के दिन भी शुद्धौदनादि ग्रहण करना ही मुझ को योग्य है। वह भी पूर्ण – रूप से संसृष्ट अर्थात् भोजन में लिप्त हाथों से दिया हुआ ही न कि असंसृष्ट हाथों से, वह भी परित्याग – रूप धर्म वाला हो। उसमें भी वह अन्न हो जिसको अनेक श्रमण, ब्राह्मण, कृपण, अतिथि और वनीपक नहीं चाहते हों। यह सूनकर श्रमण भगवान महावीर ने कहा कि जिस प्रकार तुम्हें सुख हो, करो। किन्तु धर्मकार्य में विलम्ब करना ठीक नहीं। इसके अनन्तर वह धन्य कुमार श्रमण भगवान महावीर की आज्ञा से आनन्दित और सन्तुष्ट होकर निरन्तर षष्ठ – षष्ठ तपकर्म से जीवनभर अपनी आत्मा की भावना करते हुए विचरण करने लगा। इसके अनन्तर वह धन्य अनगार प्रथम – षष्ठ – क्षमण के पारण के दिन पहली पौरुषी में स्वाध्याय करता है। फिर गौतम स्वामी की तरह वह भी भगवान् की आज्ञा प्राप्त कर काकन्दी नगरी में जाकर ऊंच, मध्य और नीच सब तरह के कुलों में आचाम्ल के लिए फिरता हुआ जहाँ उज्झित मिलता था वहीं ग्रहण करता था। उसको बड़े उद्यम से प्राप्त होने वाली, गुरुओंसे आज्ञप्त उत्साह के साथ स्वीकार की हुई एषणा – समिति से युक्त भिक्षा में जहाँ भात मिला, वहाँ पानी नहीं मिला, तथा जहाँ पानी मिला, वहाँ भात नहीं मिला। इस पर भी वह धन्य अनगार कभी दीनता, खेद, क्रोध आदि कलुषता और विषाद प्रकट नहीं करता था, प्रत्युत निरन्तर समाधि – युक्त होकर, प्राप्त योगों में अभ्यास करता हुआ और अप्राप्त योगों की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करते हुए चरित्र से जो कुछ भी भिक्षा – वृत्ति से प्राप्त होता था उसको ग्रहण कर काकन्दी नगरी से बाहर आ जाता था और गौतम स्वामी समान आहार दिखाकर भगवान की आज्ञा से बिना आसक्ति के जिस प्रकार एक सर्प केवल पार्श्व भागों के स्पर्श से बिल में घुस जाता है इसी प्रकार वह भी बिना किसी विशेष ईच्छा के आहार ग्रहण करता था और संयम और तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरण करता था। श्रमण भगवान महावीर अन्यदा काकन्दी नगरी के सहस्राम्रवन उद्यान से नीकलकर बाहर जनपद – विहार के लिए विचरने लगे। वह धन्य अनगार भगवान महावीर के तथारूप स्थविरों के पास सामायिकादि एकादश अङ्ग – शास्त्रों का अध्ययन करने लगा। वह संयम और तप से अपने आत्मा की भावना करते हुए विचरता था। तदनु वह धन्य अनगार स्कन्दक समान उस उदार तप के प्रभाव से हवन की अग्नि के समान प्रकाशमान मुख से विराजमान हुए। धन्य अनगार के पैरों का तप से ऐसा लावण्य हो गया जैसे सूखी वृक्ष की छाल, लकड़ी की खड़ाऊ या जीर्ण जुता हो। धन्य अनगार के पैर केवल हड्डी, चमड़ा और नसों से ही पहचाने जाते थे न कि मांस और रुधिर से। पैरों की अंगुलियाँ कलाय धान्य की फलियाँ, मूँग की अथवा माष की फलियाँ कोमल ही तोड़कर धूप में डाली हुई मुरझा जाती हैं ऐसी हो गई। उन में केवल हड्डी, नस और चमड़ा ही नजर आता था, मांस और रुधिर नहीं। धन्य अनगार की जङ्घाएं तप के कारण इस प्रकार निर्मास हो गई जैसे काक की, कङ्क पक्षी की और ढंक पक्षी की जङ्घाएं होती हैं। वे सूख कर इस तरह की हो गई की माँस और रुधिर देखने को भी नहीं रह गया। धन्य अनगार के जानु काली वनस्पति, मयूर और ढेणिक पक्षी के पर्व समान हो गई। वे भी माँस और रुधिर से नहीं पहचाने जाते थे। धन्य अनगार के ऊरुओं प्रियंगु, बदरी, शल्यकी और शाल्मली वृक्षों की कोमल कोंपल तोड़कर धूप में रखी हुई मुरझा जाती हैं ऐसे माँस और रक्त से रहित हो कर मुरझा गये थे। धन्य अनगार के कटि – पत्र ऊंट का पैर हो, बूढ़े बैल का पैर जैसा हो गया। उसमें माँस और रुधिर का सर्वथा अभाव था। उदर – भाजन सूखी मशक, चने आदि भूनने का भाण्ड हो अथवा लकड़ी का, बीच में मुड़ा हुआ पात्र की तरह सूख गया था। पार्श्व की अस्थियाँ दर्पणों की पाण नामक पात्रों की अथवा स्थाणुओं की पंक्ति समान हो गए। पृष्ठ – प्रदेश के उन्नत भाग कान के भूषणों की, गोलक – पाषाणों की, अथवा वर्तक खिलौनों की पंक्ति समान सूख कर निर्मांस हो गए थे। धन्य अनगार के वक्षःस्थल गौ के चरने के कुण्ड का अधोभाग, बाँस आदि का अथवा ताड़ के पत्तों का पङ्खा समान सूखकर माँस और रुधिर से रहित हो गया था। माँस और रुधिर के अभाव से अन्य अनगार की भुजाएं शमी, बाहाय और अगस्तिक वृक्ष की सूखी हुई फलियाँ समान हो गई। हाथ सूख कर सूखे गोबर समान हो गए अथवा वट और पलाश के सूखे पत्ते समान हो गए। अंगुलियाँ भी सूख कर कलाय, मूँग अथवा माष की मुरझाई हुई फलियाँ समान उनकी अंगुलियाँ भी माँस और रुधिर के अभाव से मुरझा कर सूख गई थीं। ग्रीवा माँस और रुधिर के अभाव से सूख कर सुराई, कण्डिका और किसी ऊंचे मुख वाले पात्र समान दिखाई देती थी। उनका चिबुक भी इसी प्रकार सूख गया था और तुम्बे या हकुब के फल अथवा आम की गुठली जैसा हो गया था। ओठों भी सूख कर सुखी हुई जोंक होती अथवा श्लेष्म या मेंहदी की गुटिका जैसे हो गए। जिह्वा में भी बिलकुल रक्त का अभाव हो गया था, वह वटवृक्ष अथवा पलाश के पत्ते या सूखे हुए शाक के समान हो गए थे। धन्य अनगार की नासिका तप के कारण सूख कर एक आम, आम्रातक या मातुलुंग फल की कोमल फांक काट कर धूप में सुखाई हो ऐसी हो गई। धन्य अनगार की आँखें वीणा के छिद्र अथवा प्रभातकाल का टिमटिमाता हुआ तारा समान भीतर धँस गईं थीं। कान मूली का छिल्का अथवा चिर्भटी की छाल या करेले का छिल्का समान सूखकर मुरझा गये थे। शिड़ सुखे हुए कोमल तुम्बक, कोमल आलू और सेफालक समान सूख गया था, रूखा हो गया था और उसमें केवल अस्थि, चर्म और नासा – जाल ही दिखाई देता था किन्तु माँस और रुधिर नामात्र के लिए भी नहीं रह गया था। इसी प्रकार सब अङ्गों के विषय में जानना चाहिए। विशेषता केवल इतनी है कि उदर – भाजन, कान, जिह्वा और ओंठ इनके विषय में ‘अस्थि’ नहीं कहना चाहिए। धन्य अनगार माँस आदि के अभाव से सूखे हुए और भूख के कारण रूखे पैर, जङ्घ और उरु से, भयङ्कर रूप से प्रान्त भागों में उन्नत हुए कटि – कटाह से, पीठ के साथ मिले हुए उदर – भाजन से, पृथक् पृथक् दिखाई देती हुई पसलियों से, रुद्राक्ष – माला के समान स्पष्ट गिनी जाने वाली पृष्ट – करण्डक की सन्धियों से, गङ्गा की तरंगों के समान उदर – कटक के प्रान्त भागों से, सूखे हुए साँप के समान भुजाओं से, घोड़े की ढीली लगाम के समान चलते हुए हाथों से, कम्पनवायु रोग वाले पुरुष के शरीर के समान काँपती हुई शीर्ष – घटी से, मुरझाए हुए मुखकमल से क्षीण – ओष्ठ होने के कारण घड़े के मुख के समान विकराल मुख से और आँखों के भीतर धँस जाने के कारण इतना कृश हो गया था कि उसमें शारीरिक बल बिलकुल भी बाकी नहीं रह गया था। वह केवल जीव के बल से ही चलता, फिरता और खड़ा होता था। थोड़ा सा कहने के लिए भी वह स्वयं खेद मानता था। जिस प्रकार एक कोयलों की गाड़ी जलते हुए शब्द करती है, इसी प्रकार उसकी अस्थियाँ भी चलते हुए शब्द करती थीं। वह स्कन्दक के समान हो गया था। भस्म से ढकी हुई आग के समान वह भीतर से दीप्त हो रहा था। वह तेज से, तप से और तप – तेज की शोभा से शोभायमान होता हुआ विचरता था। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jai nam bhamte! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam anuttarovavaiyadasanam tachchassa vaggassa dasa ajjhayana pannatta, padhamassa nam bhamte! Ajjhayanassa samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam ke atthe pannatte? Evam khalu jambu! Tenam kalenam tenam samaenam kakamdi namam nayari hottha–riddhatthimiyasamiddha. Sahasambavane ujjane–savvouya-puppha-phala-samiddhe. Jiyasattu raya. Tattha nam kakamdie nayarie bhadda namam satthavahi parivasai–addha java aparibhuya. Tise nam bhaddae satthavahie putte dhanne namam darae hottha–ahinapadipunna-pamchemdiyasarire java suruve. Pamchadhaipariggahie jaha mahabbalo java bavattarim kalao ahie java alambhogasamatthe jae yavi hottha. Tae nam sa bhadda satthavahi dhanna darayam ummukkabalabhavam java alambhogasamattham va vi janitta battisam pasayavademsae karei–abbhuggayamusie java padiruve. Tesim majjhe egam cha nam maham bhavanam karei–anegakhambhasayasannivittham java padiruvam. Tae nam sa bhadda satthavahi tam dhanna darayam battisae ibbhavarakannaganam egadivasenam panim genhavei. Battisao dao Tae nam se dhanne darae uppim pasayavaragae phuttamanehim muimgamatthaehim java viule manussae kamabhoge pachchanubhavamane viharai. Tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire samosadhe. Parisa niggaya. Raya jaha koniotaha niggao. Tae nam tassa dhannassa daragassa tam mahaya janasaddam va java janasannivayam va sunamanassa va pasamanassa va ayameyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha–kinnam ajja kakamdie nayarie imdamahe i va jannam ete bahave ugga bhoga java niggachchhamti– evam sampehei, sampehetta kamchuipurisam saddavei, saddavetta evam vayasi–kinnam devanuppiya! Ajja kakamdie nayarie imdamahe i va java niggachchhamti? Tae nam se kamchuipurise samanassa bhagavao mahavirassa agamanagahiyavinichchhae dhannam darayam evam vayasi– evam khalu devanuppiya! Ajja samane bhagavam mahavire kakamdie nayarie bahiya sahasambavane ujjane ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai, tae nam ete bahave ugga bhoga java niggachchhamti. Tae nam se dhanne darae kamchuipurisassa amtiyam eyamattham sochcha nisamma hatthatutthe java payacharenam jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahavire tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta tivihae pajjuvasanae pajjuvasai. Tae nam samane bhagavam mahavire dhannassa darayassa tise ya mahaimahaliyae isiparisae java dhammam parikahei. Tae nam se dhanne darae samanassa bhagavao mahavirassa amtie dhammam sochcha nisamma hatthatutthe samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–saddahami nam bhamte! Niggamtham pavayanam java ammayam bhaddam satthavahim apuchchhami, tae nam aham devanuppiyanam amtiyam mumde bhavitta agarao anagariyam pavvayami. Ahasuham devanuppiya. Jaha jamali taha apuchchhai. Tae nam sa bhadda satthavahi tam anittham akamtam appiyam amanunnam amanamam asuyapuvvam pharusam giram sochcha nisamma dhasatti savvamgehim samnivadiya. Vuttapadivuttaya jaha mahabbale. Tae nam tam dhanna darayam bhadda satthavahi jahe no samchaei java jiyasattum apuchchhai–ichchhami nam devanuppiya! Dhannassa darayassa nikkhamamanassa chhatta-mauda-chamarao ya vidinnao. Tae nam jiyasattu raya bhaddam satthavahim evam vayasi–achchhahi nam tumam devanuppie! Sunivvuta-visattha, ahannam sayameva dhannassa darayassa nikkhamanasakkaram karissami. Sayameva jiyasattu nikkhamanam karei, jaha thavachchaputtassa kanho. Tae nam se dhanne darae sayameva pamchamutthiyam loyam karei java pavvaie. Tae nam se dhanne darae anagare jae–iriyasamie bhasasamie esanasamie ayana-bhamda-matta-nikkhevanasamie uchchara-pasavana-khela-simghana-jalla-paritthavaniyasamie manasamie vaisamie kayasamie managutte vaigutte kayagutte gutte guttimdie guttabambhayari. Tae nam se dhanne anagare jam cheva divasam mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaie, tam cheva divasam samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane javajjivae chhatthamchhatthenam anikkhittenam ayambilapariggahienam tavokammenam appanam bhavemane viharittae chhatthassa vi ya nam paranayamsi kappai me ayambilam padigahettae, no cheva nam anayambilam. Tam pi ya samsattham, no cheva nam asamsattham. Tam pi ya nam ujjhiyadhammiyam, no cheva nam anujjhiya-dhammiyam tam pi ya jam anne bahave samana-mahana-atihi-kivana-vanimaga navakamkhamti. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se dhanne anagare samanenam bhagavaya mahavirenam abbhanunnae samane hatthatutthe javajjivae chhatthamchhatthenam anikkhittenam ayambilapariggahienam tavokammenam appanam bhavemane viharai. Tae nam se dhanne anagare padhama-chhatthakhamanaparanayamsi padhamae porisie sajjhayam karei, jaha goyamasami taheva apuchchhai, java jeneva kakamdi nayari teneva uvagachchhai, uvagachchhitta kakamdie nayarie uchcha-niya-majjhimaim kulaim gharasamudana-ssa bhikkhayariyae adamane ayambilam padi-gaheti, no cheva nam anayambilam. Tam pi ya samsattham, no cheva nam asamsattham. Tam pi ya ujjhiya-dhammiyam, no cheva nam anujjhiya-dhammiyam tam pi ya jam anne bahave samana-mahana-atihi-kivana-vanimaga navakamkhamti. Tae nam se dhanne anagare tae abbhujjayae payayae payattae paggahiyae esanae esamane jai bhattam labhai to panam na labhai, aha panam labhai to bhattam na labhai. Tae nam se dhanne anagare adine avimane akaluse avisadi aparitamta-jogi jayana-ghadana-jogacharitte ahapajjattam samudanam padigahei, padigahetta kakamdio nayario padinikkhamai, padinikkhamitta jaha goyame java padidamsei. Tae nam se dhanne anagare samanenam bhagavaya mahavirenam abbhanunnae samane amuchchhie agiddhe agadhie anajjhovavanne bilamiva pannagabhuenam appanenam aharam aharei, aharetta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tae nam samane bhagavam mahavire annaya kayai kayamdio nayario sahasambavanao ujjanao padinikkhamai, padinikkhamitta bahiya janavayaviharam viharai. Tae nam se dhanne anagare samanassa bhagavao mahavirassa taharuvanam theranam amtie samaiya-maiyaim ekkarasa amgaim ahijjai, ahijjitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tae nam se dhanne anagare tenam oralenam viulenam payattenam paggahienam kallanenam sivenam dhannenam mamgallenam sassiroenam udaggenam udattenam uttamenam udarenam mahanubhagenam tavokammenam sukke lukkhe nimmamse atthichammavanaddhe kidikidiyabhue kise dhamanisamtae jae yavi hottha. Jivamjivenam gachchhai, jivamjivenam chitthai, bhasam bhasitta vi gilai, bhasam bhasamane gilai, bhasam bhasissamiti gilai. Se jahanamae katthasagadiya i va pattasagadiya i va patta-tila-bhamdaga-sagadiya i va eramdakattha-sagadiya i va, imgalasagadiya i va unhe dinna sukka samani sasaddam gachchhai, sasaddam chitthai, evameva dhanne anagare sasaddam gachchhai, sasaddam chitthai, uvachie tavenam, avachie mamsasonienam, huyasane viva bhasarasipadichchhanne tavenam, teenam, tavateyasirie ativa-ativa uvasobhemane-uvasobhemane chitthai. Dhannassa nam anagarassa payanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae sukkachhalli i va katthapauya i va jaraggaovahana i va, evameva dhannassa anagarassa paya sukka lukkha nimmamsa atthichammachhirattae pannayamti, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassa payamguliyanam ayameyaruve tava ruva-lavanne hottha–se jahanamae kalasamgaliya i va muggasamgaliya i va masasamgaliya i va taruniya chhinna unhe dinna sukka samani milayamani chitthamti, evameva dhannassa anagarassa payamguliyao sukkao lukkhao nimmamsao atthi-chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa jamghanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae kakajamgha i va dheniyali-yajamgha i va, evameva dhannassa anagarassa jamghao sukkao lukkhao nimmamsao atthi-chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa anagarassa janunam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae kalipore i va maurapore i va dheniyaliyapore i va, evameva dhannassa anagarassa janu sukka lukkha nimmamsa atthi-chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa urunam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae samakarille i va borikarille i va sallaikarille i vasamalikarille i va tarunae chhinne unhe dinne sukke samane milayamane chitthai, evameva dhannassa anagarassa uru sukka lukkha nimmamsa atthi-chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsam-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa kadipattassa ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae uttapade i va jaraggapae i va mahisapae i va, evameva dhannassa anagarassa kadipatte sukke lukkhe nimmamse atthichamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsam-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa udara-bhayanassa ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae sukka-die i va bhajjanayaka bhalle i va kattha-kolambae i va, evameva dhanassa anagarassa udaram sukkam lukkham nimmasam chamma-chhira-ttae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa pasuliya-kadayanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae thasayavali i va panavali i va mumdavali i va, evameva dhannassa anagarassa pasuliya-kadaya sukka lukkha nimmamsa atthi-chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa pitthi-karamdayanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae kannavali i va golavali i va vattavali i va, evameva dhannassa anagarassa pitthi-karamdaya sukka lukkha nimmamsa atthi-chamma-chhirattae pannayamti no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassaura-kadayassa ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae chittakattare i va viyanapatte i va taliyamtapatte i va, evameva dhannassa anagarassa ura-kadae sukke lukkhe nimmamse atthi-chamma-chhirattae pannayati, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa bahanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae samisam-galiya i va bahaya-samgaliya i vaagatthiya-samgaliya i va, evameva dhannassa anagarassa bahao sukkao lukkhao nimmamsao atthi-chamma-chhira-ttae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa hatthanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae sukkachhaganiya i va vadapatte i va palasapatte i va, evameva dhannassa anagarassa hattha sukka lukkha nimmamsa atthi-chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa hatthamguliyanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae kalasamgaliya i va muggasamgaliya i va masasamgaliya i va taruniya chhinna ayave dinna sukka samani milayamani chitthamti, evameva dhannassa anagarassa hatthamguliyao sukkao lukkhao nimmamsao atthichamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassa givae ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae karaga-giva i va kumdiya-giva i va uchchatthavanae i va, evameva dhannassa anagarassa giva sukka lukkha nimmamsa atthichamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa hanuyae ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae lauphale i va hakuvaphale i va ambagatthiya i va ayave dinna sukka samani milayamani chitthai, evameva dhannassa anagarassa hanuya sukka lukkha nimmamsa atthi-chamma-chhirattae pannayati, no cheva nam mamsa-soniyattae. Dhannassa nam anagarassa utthanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae sukka-jaloya i va silesaguliya i va alattaguliya i va, evameva dhannassa anagarassa uttha sukka lukkha nimmamsa chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassa jibbhae ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae vadapatte i va palasapatte i va sagapatte i va, evameva dhannassa anagarassa jibbha sukka lukkha nimmamsa chamma-chhirattae pannayati, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassa nasae ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae ambaga-pesiya i va ambadagapesiya i va maulumgapesiya i va taruniya chhinna ayave dinna sukka samani milayamani chitthai, evameva dhannassa anagarassa nasa sukka lukkha nimmamsa atthi-chamma-chhirattae pannayati, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassa achchhinam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae vinachhidde i va baddhisagachhidde i va pabhaiyatariga i va, evameva dhannassa anagarassa achchhio sukkao lukkhao nimmamsao atthichamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassa kannanam ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae mulachhalliya i va valumkachhalliya i va karellayachhalliya i va, evameva dhannassa anagarassa kanna sukka lukkha nimmamsa chamma-chhirattae pannayamti, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhannassa nam anagarassa sisassa ayameyaruve tava-ruva-lavanne hottha–se jahanamae taruna-galaue i va tarunaga-elalue i va sinhalae i va tarunae chhinne ayave dinne sukke samane milayamane chitthai, evameva dhannassa anagarassa sisam sukkam lukkham nimmamsam atthichamma-chhirattae pannayai, no cheva nam mamsasoniyattae. Dhanne nam anagare sukkenam bhukkhenam payajamghoruna, vigaya-tadi-karalenam kadi-kadahenam, pitthimassienam udarabhayanenam, joijjamanehim pasuli-kadaehim,akkhasuttamala tiva ganejja-manehim pitthikaramdagasamdhihim, gamgataramgabhuenam urakadagadesabhaenam, sukkasappasamanahim bahahim, sidhilakadali vivalambatehi ya aggahatthehim, kampanavaio viva vevamanie sisaghadie pammana-vayanakamale ubbhadaghadamuhe uchchhuddhanayanakose jivamjivenam gachchhai, jivamjivenam chitthai, bhasam bhasitta gilai, bhasam bhasamane gilai, bhasam bhasissami tti gilai. Se jahanamae imgala-sagadiya i va katthasagadiya i va pattasagadiya i va tilamdasagadiya i va eramdasagadiya i va unhe dinna sukka samani sasaddam gachchhai, sasaddam chitthai, evameva dhanne anagare sasaddam gachchhai, sasaddam chitthai, uvachie tavenam, avachie mamsasonienam, huyasane iva bhasarasipalichchhanne tavenam teenam tavateyasirie aiva-aiva uvasobhemane-uvasobhemane chitthai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Yadi shramana bhagavana mahavira ne, anuttaropapatika – dasha ke tritiya varga ke dasha adhyayana pratipadana kie haim to phira he bhagavan ! Prathama adhyayana ka kya artha pratipadana kiya hai\? He jambu ! Usa kala aura usa samaya mem kakandi nagari thi. Vaha saba taraha ke aishvarya aura dhana – dhanya se paripurna thi. Sahasramravana nama ka udyana tha, jo saba rituom mem phala aura phulom se bhara rahata tha. Jitashatru raja tha. Bhadra sarthavahini thi. Vaha atyanta samriddhishalini aura dhana – dhanya mem apani jati aura barabari ke logom mem kisi se kisi prakara bhi paribhrita nahim thi. Usa bhadra sarthavahini ka dhanya nama ka eka sarvanga – purna aura rupavan putra tha. Usake palana – poshana karane ke lie pamcha dhaiyam niyata thim. Shesha varnana mahabala kumara samana janana. Isa prakara dhanya kumara saba bhogom ko bhogane mem samartha ho gaya. Isake anantara bhadra sarthavahini ne dhanya kumara ko balakapana se mukta aura saba taraha ke bhogom ko bhogane mem samartha janakara battisa bare – bare atyanta umche aura shreshtha bhavana banavae. Unake madhya mem eka saikarom stambhom se yukta bhavana banavaya. Phira battisa shreshtha kulom ki kanyaom se eka hi dina usaka pani – grahana karaya. Unake satha battisa (dasa, dasi aura dhana – dhanya se yukta) pritidana mila. Tadanantara dhanya kumara aneka prakara ke mridanga adi vadyom ki dhvani se gunjita prasadom ke upara panchavidha samsarika sukhom ka anubhava karate hue vicharana karane laga. Usa kala aura usa samaya mem shramana bhagavana mahavira svami vaham virajamana hue. Nagari ki parishad vandana ke lie gai. Konika raja ke samana jitashatru raja bhi gaya. Dhanya kumara bhi jamali kumara ki taraha gaya. Visheshata yahi ki dhanya kumara paidala hi gaya. Usane kaha ki he bhagavan ! Maim apani mata bhadra sarthavahini ko puchha kara ata hum. Isake anantara maim apaki seva mem upasthita hokara dikshita ho jaumga. Usane apani mata se jamali ki taraha hi puchha. Mata yaha sunakara murchchhita ho gai. Mata – putra mem isa vishaya mem prashnottara hue. Jaba vaha bhadra mahabala ke samana putra ko rokane ke lie samartha na ho saki to usane thavachcha putra ke samana jitashatru raja se puchha aura diksha ke lie chhatra aura chamara ki yachana ki. Jitashatru raja ne svayam upasthita hokara krishna vasudeva ke samana dhanya kumara ka diksha – mahotsava kiya. Dhanya kumara dikshita ho gaya aura irya – samiti, brahmacharya adi sampurna gunom se yukta hokara vicharane laga. Tatpashchat vaha dhanya anagara jisa dina mundita hua, usi dina shramana bhagavana mahavira ki vandana aura namaskara kara kahane laga ki he bhagavan ! Apaki ajnya se maim jivana – paryanta shashtha – shashtha tapa aura achamlagrahana – rupa tapa se apani atma ko bhavita karate hue vicharana chahata hum. Aura shashtha ke parana ke dina bhi shuddhaudanadi grahana karana hi mujha ko yogya hai. Vaha bhi purna – rupa se samsrishta arthat bhojana mem lipta hathom se diya hua hi na ki asamsrishta hathom se, vaha bhi parityaga – rupa dharma vala ho. Usamem bhi vaha anna ho jisako aneka shramana, brahmana, kripana, atithi aura vanipaka nahim chahate hom. Yaha sunakara shramana bhagavana mahavira ne kaha ki jisa prakara tumhem sukha ho, karo. Kintu dharmakarya mem vilamba karana thika nahim. Isake anantara vaha dhanya kumara shramana bhagavana mahavira ki ajnya se anandita aura santushta hokara nirantara shashtha – shashtha tapakarma se jivanabhara apani atma ki bhavana karate hue vicharana karane laga. Isake anantara vaha dhanya anagara prathama – shashtha – kshamana ke parana ke dina pahali paurushi mem svadhyaya karata hai. Phira gautama svami ki taraha vaha bhi bhagavan ki ajnya prapta kara kakandi nagari mem jakara umcha, madhya aura nicha saba taraha ke kulom mem achamla ke lie phirata hua jaham ujjhita milata tha vahim grahana karata tha. Usako bare udyama se prapta hone vali, guruomse ajnyapta utsaha ke satha svikara ki hui eshana – samiti se yukta bhiksha mem jaham bhata mila, vaham pani nahim mila, tatha jaham pani mila, vaham bhata nahim mila. Isa para bhi vaha dhanya anagara kabhi dinata, kheda, krodha adi kalushata aura vishada prakata nahim karata tha, pratyuta nirantara samadhi – yukta hokara, prapta yogom mem abhyasa karata hua aura aprapta yogom ki prapti ke lie prayatna karate hue charitra se jo kuchha bhi bhiksha – vritti se prapta hota tha usako grahana kara kakandi nagari se bahara a jata tha aura gautama svami samana ahara dikhakara bhagavana ki ajnya se bina asakti ke jisa prakara eka sarpa kevala parshva bhagom ke sparsha se bila mem ghusa jata hai isi prakara vaha bhi bina kisi vishesha ichchha ke ahara grahana karata tha aura samyama aura tapa se apani atma ko bhavita karate hue vicharana karata tha. Shramana bhagavana mahavira anyada kakandi nagari ke sahasramravana udyana se nikalakara bahara janapada – vihara ke lie vicharane lage. Vaha dhanya anagara bhagavana mahavira ke tatharupa sthavirom ke pasa samayikadi ekadasha anga – shastrom ka adhyayana karane laga. Vaha samyama aura tapa se apane atma ki bhavana karate hue vicharata tha. Tadanu vaha dhanya anagara skandaka samana usa udara tapa ke prabhava se havana ki agni ke samana prakashamana mukha se virajamana hue. Dhanya anagara ke pairom ka tapa se aisa lavanya ho gaya jaise sukhi vriksha ki chhala, lakari ki kharau ya jirna juta ho. Dhanya anagara ke paira kevala haddi, chamara aura nasom se hi pahachane jate the na ki mamsa aura rudhira se. Pairom ki amguliyam kalaya dhanya ki phaliyam, mumga ki athava masha ki phaliyam komala hi torakara dhupa mem dali hui murajha jati haim aisi ho gai. Una mem kevala haddi, nasa aura chamara hi najara ata tha, mamsa aura rudhira nahim. Dhanya anagara ki janghaem tapa ke karana isa prakara nirmasa ho gai jaise kaka ki, kanka pakshi ki aura dhamka pakshi ki janghaem hoti haim. Ve sukha kara isa taraha ki ho gai ki mamsa aura rudhira dekhane ko bhi nahim raha gaya. Dhanya anagara ke janu kali vanaspati, mayura aura dhenika pakshi ke parva samana ho gai. Ve bhi mamsa aura rudhira se nahim pahachane jate the. Dhanya anagara ke uruom priyamgu, badari, shalyaki aura shalmali vrikshom ki komala kompala torakara dhupa mem rakhi hui murajha jati haim aise mamsa aura rakta se rahita ho kara murajha gaye the. Dhanya anagara ke kati – patra umta ka paira ho, burhe baila ka paira jaisa ho gaya. Usamem mamsa aura rudhira ka sarvatha abhava tha. Udara – bhajana sukhi mashaka, chane adi bhunane ka bhanda ho athava lakari ka, bicha mem mura hua patra ki taraha sukha gaya tha. Parshva ki asthiyam darpanom ki pana namaka patrom ki athava sthanuom ki pamkti samana ho gae. Prishtha – pradesha ke unnata bhaga kana ke bhushanom ki, golaka – pashanom ki, athava vartaka khilaunom ki pamkti samana sukha kara nirmamsa ho gae the. Dhanya anagara ke vakshahsthala gau ke charane ke kunda ka adhobhaga, bamsa adi ka athava tara ke pattom ka pankha samana sukhakara mamsa aura rudhira se rahita ho gaya tha. Mamsa aura rudhira ke abhava se anya anagara ki bhujaem shami, bahaya aura agastika vriksha ki sukhi hui phaliyam samana ho gai. Hatha sukha kara sukhe gobara samana ho gae athava vata aura palasha ke sukhe patte samana ho gae. Amguliyam bhi sukha kara kalaya, mumga athava masha ki murajhai hui phaliyam samana unaki amguliyam bhi mamsa aura rudhira ke abhava se murajha kara sukha gai thim. Griva mamsa aura rudhira ke abhava se sukha kara surai, kandika aura kisi umche mukha vale patra samana dikhai deti thi. Unaka chibuka bhi isi prakara sukha gaya tha aura tumbe ya hakuba ke phala athava ama ki guthali jaisa ho gaya tha. Othom bhi sukha kara sukhi hui jomka hoti athava shleshma ya memhadi ki gutika jaise ho gae. Jihva mem bhi bilakula rakta ka abhava ho gaya tha, vaha vatavriksha athava palasha ke patte ya sukhe hue shaka ke samana ho gae the. Dhanya anagara ki nasika tapa ke karana sukha kara eka ama, amrataka ya matulumga phala ki komala phamka kata kara dhupa mem sukhai ho aisi ho gai. Dhanya anagara ki amkhem vina ke chhidra athava prabhatakala ka timatimata hua tara samana bhitara dhamsa gaim thim. Kana muli ka chhilka athava chirbhati ki chhala ya karele ka chhilka samana sukhakara murajha gaye the. Shira sukhe hue komala tumbaka, komala alu aura sephalaka samana sukha gaya tha, rukha ho gaya tha aura usamem kevala asthi, charma aura nasa – jala hi dikhai deta tha kintu mamsa aura rudhira namatra ke lie bhi nahim raha gaya tha. Isi prakara saba angom ke vishaya mem janana chahie. Visheshata kevala itani hai ki udara – bhajana, kana, jihva aura omtha inake vishaya mem ‘asthi’ nahim kahana chahie. Dhanya anagara mamsa adi ke abhava se sukhe hue aura bhukha ke karana rukhe paira, jangha aura uru se, bhayankara rupa se pranta bhagom mem unnata hue kati – kataha se, pitha ke satha mile hue udara – bhajana se, prithak prithak dikhai deti hui pasaliyom se, rudraksha – mala ke samana spashta gini jane vali prishta – karandaka ki sandhiyom se, ganga ki taramgom ke samana udara – kataka ke pranta bhagom se, sukhe hue sampa ke samana bhujaom se, ghore ki dhili lagama ke samana chalate hue hathom se, kampanavayu roga vale purusha ke sharira ke samana kampati hui shirsha – ghati se, murajhae hue mukhakamala se kshina – oshtha hone ke karana ghare ke mukha ke samana vikarala mukha se aura amkhom ke bhitara dhamsa jane ke karana itana krisha ho gaya tha ki usamem sharirika bala bilakula bhi baki nahim raha gaya tha. Vaha kevala jiva ke bala se hi chalata, phirata aura khara hota tha. Thora sa kahane ke lie bhi vaha svayam kheda manata tha. Jisa prakara eka koyalom ki gari jalate hue shabda karati hai, isi prakara usaki asthiyam bhi chalate hue shabda karati thim. Vaha skandaka ke samana ho gaya tha. Bhasma se dhaki hui aga ke samana vaha bhitara se dipta ho raha tha. Vaha teja se, tapa se aura tapa – teja ki shobha se shobhayamana hota hua vicharata tha. |