Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004196 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१७ |
Translated Chapter : |
शतक-१७ |
Section : | उद्देशक-१ कुंजर | Translated Section : | उद्देशक-१ कुंजर |
Sutra Number : | 696 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पुरिसे णं भंते! तलमारुहइ, आरुहित्ता तलाओ तलफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे तलमारुहइ, आरुहित्ता तलाओ तलफलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठे। जेसिं पि णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए, तलफले निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। अहे णं भंते! से तलफले अप्पणो गरुयत्ताए भारियत्ताए गरुयसंभारियत्ताए अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाइं तत्थ पाणाइं जाव जीवियाओ ववरोवेति, तए णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से तलफले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठे। जेसिं पि णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठा। जेसिं पि णं जीवाणं सरीरेहिंतो तलफले निव्वत्तिए ते णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टंति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। पुरिसे णं भंते! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठे। जेसिं पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए, ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। अहे णं भंते! से मूले अप्पणो गरुययाए जाव जीवियाओ ववरोवेति, तए णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से मूले अप्पणो गरुययाए जाव जीवियाओ ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठे। जेसिं पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठा। जेसिं पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए ते णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टंति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। पुरिसे णं भंते! रुक्खस्स कंदे पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स कंदं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठे। जेसिं पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। अहे णं भंते! से कंदे अप्पणो गरुययाए जाव जीवियाओ ववरोवेति, तए णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से कंदे अप्पणो गरुययाए जाव जीवियाओ ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठे। जेसिं पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए, खंधे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहिं किरियाहिं पुट्ठा। जेसिं पि य णं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे निव्वत्तिए ते णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टंति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा। जहा कंदे, एवं जाव बीयं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! कोई पुरुष, ताड़ के वृक्ष पर चढ़े और फिर उस ताड़ से ताड़ के फल को हिलाए अथवा गिराए तो उस पुरुष को कितनी क्रियाएं लगती हैं ? गौतम ! उस पुरुष को कायिकी आदि पाँचों क्रियाएं लगती हैं। जिन जीवों के शरीर से ताड़ का वृक्ष और ताड़ का फल उत्पन्न हुआ है, उन जीवों को भी कायिकी आदि पाँचों क्रियाएं लगती हैं। भगवन् ! यदि वह ताड़फल अपने भार के कारण यावत् नीचे गिरता है और उस ताड़फल के द्वारा जो जीव, यावत् जीवन से रहित हो जाते हैं, तो उससे उस पुरुष को कितनी क्रियाएं लगती हैं ? गौतम ! वह पुरुष कायिकी आदि चार क्रियाओं से स्पृष्ट होता है। जिन जीवों के शरीर से ताड़वृक्ष निष्पन्न हुआ है, और जिन जीवों के शरीर से ताड़ – फल निष्पन्न हुआ है, वे जीव कायिकी आदि पाँचों क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैं। जो जीव नीचे पड़ते हुए ताड़फल के लिए स्वाभाविक रूप से उपकारक होते हैं, उन जीवों को पाँचों क्रियाएं लगती हैं। भगवन् ! कोई पुरुष वृक्ष के मूल को हिलाए या नीचे गिराए तो उसको कितनी क्रियाएं लगती हैं ? गौतम! उस पुरुष को कायिकी से लेकर यावत् प्राणातिपातिकी तक पाँचों क्रियाएं लगती हैं। जिन जीवों के शरीरों से मूल यावत् बीज निष्पन्न हुए हैं, उन जीवों को भी कायिकी आदि पाँचों क्रियाएं लगती हैं। भगवन् ! यदि वह मूल अपने भारीपन के कारण नीचे गिरे यावत् जीवोंका हनन करे तो उस मूल को हिलाने वाले और नीचे गिराने वाले पुरुष को कितनी क्रियाएं लगती हैं ? गौतम ! उस पुरुष को कायिकी आदि चार क्रियाएं लगती हैं। जिन जीवों के शरीर से वह कन्द निष्पन्न हुआ है यावत् बीज निष्पन्न हुआ है, उन जीवों को कायिकी आदि चार क्रियाएं लगती हैं। जिन जीवों के शरीर से मूल निष्पन्न हुआ है, उन जीवों को तथा जो जीव नीचे गिरते हुए मूल के स्वाभाविक रूप से उपकारक होते हैं, उन जीवों को भी कायिकी आदि पाँचों क्रियाएं लगती हैं। भगवन् ! जब तक वह पुरुष कन्द को हिलाता है या नीचे गिराता है, तब तक उसे कायिकी आदि पाँचों क्रियाएं लगती हैं। जिन जीवों के शरीर से कन्द निष्पन्न हुआ है, वे जीव भी कायिकी आदि पाँचों क्रियाओं से स्पृष्ट होते हैं। भगवन् ! यदि वह कन्द अपने भारीपन के कारण नीचे गिरे, यावत् जीवों का हनन करे तो उस पुरुष को कितनी क्रियाएं लगती हैं ? गौतम ! उस पुरुष को कायिकी आदि चार क्रियाएं लगती हैं। जिन जीवों के शरीर से मूल, स्कन्ध आदि निष्पन्न हुए हैं, तथा जिन जीवों के शरीर से कन्द निष्पन्न हुए हैं, एवं जो जीव नीचे गिरते हुए उस कन्द के स्वाभाविक रूप से उपकारक होते हैं, उन सभी जीवों को पाँच क्रियाएं लगती हैं। कन्द के अनुसार यावत् बीज के विषय में भी कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] purise nam bhamte! Talamaruhai, aruhitta talao talaphalam pachalemane va pavademane va katikirie? Goyama! Javam cha nam se purise talamaruhai, aruhitta talao talaphalam pachalei va pavadei va tavam cha nam se purise kaiyae java pamchahim kiriyahim putthe. Jesim pi nam jivanam sarirehimto tale nivvattie, talaphale nivvattie te vi nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Ahe nam bhamte! Se talaphale appano garuyattae bhariyattae garuyasambhariyattae ahe visasae pachchovayamane jaim tattha panaim java jiviyao vavaroveti, tae nam bhamte! Se purise katikirie? Goyama! Javam cha nam se talaphale appano garuyattae java jiviyao vavaroveti tavam cha nam se purise kaiyae java chauhim kiriyahim putthe. Jesim pi nam jivanam sarirehimto tale nivvattie te vi nam jiva kaiyae java chauhim kiriyahim puttha. Jesim pi nam jivanam sarirehimto talaphale nivvattie te nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Je vi ya se jiva ahe visasae pachchovayamanassa uvaggahe vattamti te vi ya nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Purise nam bhamte! Rukkhassa mulam pachalemane va pavademane va katikirie? Goyama! Javam cha nam se purise rukkhassa mulam pachalei va pavadei va tavam cha nam se purise kaiyae java pamchahim kiriyahim putthe. Jesim pi ya nam jivanam sarirehimto mule nivvattie java bie nivvattie, te vi ya nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Ahe nam bhamte! Se mule appano garuyayae java jiviyao vavaroveti, tae nam bhamte! Se purise katikirie? Goyama! Javam cha nam se mule appano garuyayae java jiviyao vavaroveti tavam cha nam se purise kaiyae java chauhim kiriyahim putthe. Jesim pi ya nam jivanam sarirehimto kamde nivvattie java bie nivvattie te vi nam jiva kaiyae java chauhim kiriyahim puttha. Jesim pi ya nam jivanam sarirehimto mule nivvattie te nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Je vi ya se jiva ahe visasae pachchovayamanassa uvaggahe vattamti te vi ya nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Purise nam bhamte! Rukkhassa kamde pachalemane va pavademane va katikirie? Goyama! Javam cha nam se purise rukkhassa kamdam pachalei va pavadei va tavam cha nam se purise kaiyae java pamchahim kiriyahim putthe. Jesim pi ya nam jivanam sarirehimto mule nivvattie java bie nivvattie te vi ya nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Ahe nam bhamte! Se kamde appano garuyayae java jiviyao vavaroveti, tae nam bhamte! Se purise katikirie? Goyama! Javam cha nam se kamde appano garuyayae java jiviyao vavaroveti tavam cha nam se purise kaiyae java chauhim kiriyahim putthe. Jesim pi ya nam jivanam sarirehimto mule nivvattie, khamdhe nivvattie java bie nivvattie te vi nam jiva kaiyae java chauhim kiriyahim puttha. Jesim pi ya nam jivanam sarirehimto kamde nivvattie te nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Je vi ya se jiva ahe visasae pachchovayamanassa uvaggahe vattamti te vi ya nam jiva kaiyae java pamchahim kiriyahim puttha. Jaha kamde, evam java biyam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Koi purusha, tara ke vriksha para charhe aura phira usa tara se tara ke phala ko hilae athava girae to usa purusha ko kitani kriyaem lagati haim\? Gautama ! Usa purusha ko kayiki adi pamchom kriyaem lagati haim. Jina jivom ke sharira se tara ka vriksha aura tara ka phala utpanna hua hai, una jivom ko bhi kayiki adi pamchom kriyaem lagati haim. Bhagavan ! Yadi vaha taraphala apane bhara ke karana yavat niche girata hai aura usa taraphala ke dvara jo jiva, yavat jivana se rahita ho jate haim, to usase usa purusha ko kitani kriyaem lagati haim\? Gautama ! Vaha purusha kayiki adi chara kriyaom se sprishta hota hai. Jina jivom ke sharira se taravriksha nishpanna hua hai, aura jina jivom ke sharira se tara – phala nishpanna hua hai, ve jiva kayiki adi pamchom kriyaom se sprishta hote haim. Jo jiva niche parate hue taraphala ke lie svabhavika rupa se upakaraka hote haim, una jivom ko pamchom kriyaem lagati haim. Bhagavan ! Koi purusha vriksha ke mula ko hilae ya niche girae to usako kitani kriyaem lagati haim\? Gautama! Usa purusha ko kayiki se lekara yavat pranatipatiki taka pamchom kriyaem lagati haim. Jina jivom ke sharirom se mula yavat bija nishpanna hue haim, una jivom ko bhi kayiki adi pamchom kriyaem lagati haim. Bhagavan ! Yadi vaha mula apane bharipana ke karana niche gire yavat jivomka hanana kare to usa mula ko hilane vale aura niche girane vale purusha ko kitani kriyaem lagati haim\? Gautama ! Usa purusha ko kayiki adi chara kriyaem lagati haim. Jina jivom ke sharira se vaha kanda nishpanna hua hai yavat bija nishpanna hua hai, una jivom ko kayiki adi chara kriyaem lagati haim. Jina jivom ke sharira se mula nishpanna hua hai, una jivom ko tatha jo jiva niche girate hue mula ke svabhavika rupa se upakaraka hote haim, una jivom ko bhi kayiki adi pamchom kriyaem lagati haim. Bhagavan ! Jaba taka vaha purusha kanda ko hilata hai ya niche girata hai, taba taka use kayiki adi pamchom kriyaem lagati haim. Jina jivom ke sharira se kanda nishpanna hua hai, ve jiva bhi kayiki adi pamchom kriyaom se sprishta hote haim. Bhagavan ! Yadi vaha kanda apane bharipana ke karana niche gire, yavat jivom ka hanana kare to usa purusha ko kitani kriyaem lagati haim\? Gautama ! Usa purusha ko kayiki adi chara kriyaem lagati haim. Jina jivom ke sharira se mula, skandha adi nishpanna hue haim, tatha jina jivom ke sharira se kanda nishpanna hue haim, evam jo jiva niche girate hue usa kanda ke svabhavika rupa se upakaraka hote haim, una sabhi jivom ko pamcha kriyaem lagati haim. Kanda ke anusara yavat bija ke vishaya mem bhi kahana. |