Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004138
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१५ गोशालक

Translated Chapter :

शतक-१५ गोशालक

Section : Translated Section :
Sutra Number : 638 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजनो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ, एवं भासइ, एवं पन्नवेइ, एवं परूवेइ–एवं खलु देवानुप्पिया! गोसाले मंखलिपुत्ते जिने जिनप्पलावी, अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिने जिनसद्दं पगासेमाणे विहरइ। से कहमेयं मन्ने एवं? तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूती नामं अनगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसभनारायसंघयणे कनगपुलगनिधस-पम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे ओराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेल्से छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं भगवं गोयमे छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए ज्झाणं ज्झियाइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाइं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणाइं पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाइं उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे छट्ठक्खमणपारणगंसि सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं। तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ कोट्ठयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणे-सोहे-माणे जेणेव सावत्थी नगरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ। तए णं भगवं गोयमे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसद्दं निसामेइ, बहुजनो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ–एवं खलु देवानुप्पिया! गोसाले मंखलिपुत्ते जिने जिनप्पलावी जाव जिने जिनसद्दं पगासेमाणे विहरइ। से कहमेयं मन्ने एवं? तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमट्ठं सोच्चा निसम्म जायसड्ढे जाव समुप्पन्नकोउहल्ले अहापज्जत्तं समु-दाणं गेण्हइ, गेण्हित्ता सावत्थीओ नगरीओ पडिनिक्खमइ, अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरओ रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूर-सामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं आलोएइ, आलोएत्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ, पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलियडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी–एवं खलु अहं भंते! छट्ठक्खमणपारणगंसि तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खयरियाए अडमाणे बहुजणसद्दं निसामेमि, बहुजनो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ– एवं खलु देवानुप्पिया! गोसाले मंखलिपुत्ते जिने जिनप्पलावी जाव जिने जिनसद्दं पगासेमाणे विहरइ। से कहमेयं भंते! एवं? तं इच्छामि णं भंते! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स उट्ठाणपारियाणियं परिकहियं। गोयमादी! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी–जण्णं गोयमा! से बहुजनो अन्नमन्नस्स एवमाइ-क्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ–एवं खलु गोसाले मंखलिपुत्ते जिने जिनप्पलावी जाव जिने जिनसद्दं पगासेमाणे विहरइ। तण्णं मिच्छा। अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि– एवं खलु एयस्स गोसालस्स मंखलीपुत्तस्स मंखली नामं मंखे पिता होत्था। तस्स णं मंखलिस्स मंखस्स भद्दा नामं भारिया होत्था–सुकुमालपाणिपाया जाव पडिरूवा। तए णं सा भद्दा भारिया अन्नदा कदायि गुव्विणी यावि होत्था। तेणं कालेणं तेणं समएणं सरवणे नामं सन्निवेसे होत्था–रिद्धत्थिमियसमिद्धे जाव नंदनवनसन्निभप्पगासे, पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तत्थ णं सरवणे सन्निवेसे गोबहुले नामं माहणे परिवसइ–अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, रिउव्वेद जाव बंभण्णएसु परिव्वायएसु य नयेसु सुपरिनिट्ठिए यावि होत्था। तस्स णं गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला यावि होत्था। तए णं से मंखली मंखे अन्नया कदायि भद्दाए भारियाए गुव्विणीए सद्धिं चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वानुपुव्विं चरमाणे गामानुगामं दूइज्जमाणे जेणेव सरवणे सन्निवेसे जेणेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता सरवणे सन्निवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदानस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेइ, वसहीए सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेमाणे अन्नत्थ वसहिं अलभमाणे तस्सेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए। तए णं सा भद्दा भारिया नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाण य राइंदियाणं वीतिक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं जाव पडिरूवगं दारगं पयाया। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीतिक्कंते निव्वत्ते असुइजायकम्म-करणे संपत्ते बारसमे दिवसे अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्जं करेंति–जम्हा णं अम्हं इमे दारए गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए जाए तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं गोसाले-गोसाले त्ति। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापितरो नामधेज्जं करेंति गोसाले त्ति। तए णं से गोसाले दारए उम्मुक्कबालभावे विन्नय-परियणमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सयमेव पाडिएक्कं चित्तफलगं करेइ, करेत्ता चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ।
Sutra Meaning : इसके बाद श्रावस्ती नगरी में शृंगाटक पर, यावत्‌ राजमार्गों पर बहुत – से लोग एक दूसरे से इस प्रकार कहने लगे, यावत्‌ इस प्रकार प्ररूपणा करने लगे – हे देवानुप्रियो ! निश्चित है कि गोशालक मंखलिपुत्र ‘जिन’ होकर अपने आप को ‘जिन’ कहता हुआ, यावत्‌ ‘जिन’ शब्द में अपने आपको प्रकट करता हुआ विचरता है, तो इसे ऐसा कैसे माना जाए ? उस काल, उस समय में श्रमण भगवान महावीर वहाँ पधारे, यावत्‌ परीषद्‌ धर्मोपदेश सूनकर वापिस चली गई। श्रमण भगवान महावीर के ज्येष्ठ अन्तेवासी गौतमगोत्रीय इन्द्रभूति नामक अनगार यावत्‌ छठ – छठ पारणा करते थे; इत्यादि वर्णन दूसरे शतक के पाँचवे निर्ग्रन्थ – उद्देशक के अनुसार समझना। यावत्‌ गोचरी के लिए भ्रमण करते हुए गौतमस्वामी ने बहुत – से लोगों के शब्द सूने, बहुत – से लोक परस्पर इस प्रकार कह रहे थे, यावत्‌ प्ररूपणा कर रहे थे कि देवानुप्रियो ! मंखलिपुत्र गोशालक जिन होकर अपने आपको जिन कहता हुआ, यावत्‌ जिन शब्द से स्वयं को प्रकट करता हुआ विचरता है। उसकी यह बात कैसे मानी जाए ? भगवान गौतम को बहुत – से लोगों से यह बात सूनकर एवं मनमें अवधारण कर यावत्‌ प्रश्न पूछने की श्रद्धा उत्पन्न हुई, यावत्‌ भगवान को आहार – पानी दिखाया फिर यावत्‌ पर्युपासना करते हुए बोले – यावत्‌ गोशालक ‘जिन’ शब्द से स्वयं को प्रकट करता हुआ विचरता है, तो हे भगवन्‌ ! उसका यह कथन कैसा है? मैं मंखलिपुत्र गोशालक का जन्मसे लेकर अन्त तक का वृत्तान्त सूनना चाहता हूँ श्रमण भगवान महावीर ने भगवान गौतम से कहा – गौतम ! बहुत – से लोग, जो परस्पर एक दूसरे से इस प्रकार कहते हैं यावत्‌ प्ररूपित करते हैं कि मंखलिपुत्र गोशालक ‘जिन’ होकर तथा अपने आपको ‘जिन’ कहता हुआ यावत्‌ ‘जिन’ शब्द से स्वयं को प्रकट करता हुआ विचरता है, यह बात मिथ्या है। हे गौतम ! मैं कहता हूँ यावत्‌ प्ररूपणा करता हूँ कि मंखलिपुत्र गोशालक का, मंखजाति का मंखली नामक पिता था। उस मंखजातीय मंखली की भद्रा नाम की भार्या थी। वह सुकुमाल हाथ – पैर वाली यावत्‌ प्रतिरूप थी। किसी समय वह भद्रा नामक भार्या गर्भवती हुई ‘शरवण’ सन्निवेश था। वह ऋद्धि – सम्पन्न, उपद्रव – रहित यावत्‌ देवलोक के समान प्रकाशवाला और मन को प्रसन्न करनेवाला था, यावत्‌ प्रतिरूप था। उन सन्निवेशमें ‘गोबहुल’ नामक ब्राह्मण रहता था। वह आढ्य यावत्‌ अपराभूत था। वह ऋग्वेद आदि वैदिकशास्त्रों के विषय में भलीभाँति निपुण था। उस गोबहुल ब्राह्मण की एक गोशाला थी। एक दिन वह मंखली नामक भिक्षाचर (मंख) अपनी गर्भवती भार्या भद्रा को साथ लेकर नीकला। वह चित्रफलक हाथ में लिए हुए चित्र बताकर आजीविका करने वाले भिक्षुकों की वृत्ति से (मंखत्व से) अपना जीवन यापन करता हुआ, क्रमशः ग्रामानुग्राम विचरण करता हुआ जहाँ शरवण नामक सन्निवेश था और जहाँ गोबहुल ब्राह्मण की गोशाला थी, वहाँ आया। फिर उसने गोबहुल ब्राह्मण की गोशाला के एक भाग में अपना भाण्डोपकरण रखा। वह शरवण सन्निवेश में उच्च – नीच – मध्यम कुलों के गृहसमूह में भिक्षाचर्या के लिए घूमता हुआ वसति में चारों ओर सर्वत्र अपने निवास के लिए स्थान की खोज करने लगा। सर्वत्र पूछताछ और गवेषणा करने पर भी जब कोई निवासयोग्य स्थान नहीं मिला तो उसने उसी गोबहुल ब्राह्मण की गोशाला के एक भाग में वर्षावास बिताने के लिए निवास किया। उस भद्रा भार्या ने पूरे नौ मास और साढ़े सात रात्रिदिन व्यतीत होने पर एक सुकुमाल हाथ – पैर वाले यावत्‌ सुरूप पुत्र को जन्म दिया। ग्यारहवाँ दिन बीत जाने पर यावत्‌ बारहवें दिन उस बालक के माता – पिता ने इस प्रकार का गौण, गुणनिष्पन्न नामकरण किया कि – हमारा यह बालक गोबहुल ब्राह्मण की गोशाला में जन्मा है, इसलिए हमारे इस बालक का नाम गोशालक हो। तदनन्तर वह बालक गोशालक बाल्यावस्था को पार करके एवं विज्ञान से परिपक्व बुद्धि वाला होकर यौवन अवस्था को प्राप्त हुआ। तब उसने स्वयं व्यक्तिगत रूप से चित्र – फलक तैयार किया। उस चित्रफलक को स्वयं हाथ में लेकर मंखवृत्ति से आत्मा को भावित करता हुआ विचरण करने लगा।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam savatthie nagarie simghadaga-tiga-chaukka-chachchara-chaummuha-mahapaha-pahesu bahujano annamannassa evamaikkhai, evam bhasai, evam pannavei, evam paruvei–evam khalu devanuppiya! Gosale mamkhaliputte jine jinappalavi, araha arahappalavi, kevali kevalippalavi, savvannu savvannuppalavi, jine jinasaddam pagasemane viharai. Se kahameyam manne evam? Tenam kalenam tenam samaenam sami samosadhe java parisa padigaya. Tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa jetthe amtevasi imdabhuti namam anagare goyame gottenam sattussehe samachauramsasamthanasamthie vajjarisabhanarayasamghayane kanagapulaganidhasa-pamhagore uggatave dittatave tattatave mahatave orale ghore ghoragune ghoratavassi ghorabambhacheravasi uchchhudhasarire samkhittaviulateyalelse chhatthamchhatthenam anikkhittenam tavokammenam samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tae nam bhagavam goyame chhatthakkhamanaparanagamsi padhamae porisie sajjhayam karei, biyae porisie jjhanam jjhiyai, taiyae porisie aturiyamachavalamasambhamte muhapottiyam padilehei, padilehetta bhayanavatthaim padilehei, padilehetta bhayanaim pamajjai, pamajjitta bhayanaim uggahei, uggahetta jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane chhatthakkhamanaparanagamsi savatthie nagarie uchcha-niya-majjhimaim kulaim gharasamudanassa bhikkhayariyae adittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham. Tae nam bhagavam goyame samanenam bhagavaya mahavirenam abbhanunnae samane samanassa bhagavao mahavirassa amtiyao kotthayao cheiyao padinikkhamai, padinikkhamitta aturiyamachavalamasambhamte jugamtarapaloyanae ditthie purao riyam sohemane-sohe-mane jeneva savatthi nagari teneva uvagachchhai, uvagachchhitta savatthie nagarie uchcha-niya-majjhimaim kulaim gharasamudanassa bhikkhayariyam adai. Tae nam bhagavam goyame savatthie nagarie uchcha-niya-majjhimaim kulaim gharasamudanassa bhikkhayariyae adamane bahujanasaddam nisamei, bahujano annamannassa evamaikkhai evam bhasai evam pannavei evam paruvei–evam khalu devanuppiya! Gosale mamkhaliputte jine jinappalavi java jine jinasaddam pagasemane viharai. Se kahameyam manne evam? Tae nam bhagavam goyame bahujanassa amtiyam eyamattham sochcha nisamma jayasaddhe java samuppannakouhalle ahapajjattam samu-danam genhai, genhitta savatthio nagario padinikkhamai, aturiyamachavalamasambhamte jugamtarapaloyanae ditthie purao riyam sohemane-sohemane jeneva kotthae cheie, jeneva samane bhagavam mahavire teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanassa bhagavao mahavirassa adura-samamte gamanagamanae padikkamai, padikkamitta esanamanesanam aloei, aloetta bhattapanam padidamsei, padidamsetta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta nachchasanne natidure sussusamane namamsamane abhimuhe vinaenam pamjaliyade pajjuvasamane evam vayasi–evam khalu aham bhamte! Chhatthakkhamanaparanagamsi tubbhehim abbhanunnae samane savatthie nagarie uchcha-niya-majjhimani kulani gharasamudanassa bhikkhayariyae adamane bahujanasaddam nisamemi, bahujano annamannassa evamaikkhai evam bhasai evam pannavei evam paruvei– evam khalu devanuppiya! Gosale mamkhaliputte jine jinappalavi java jine jinasaddam pagasemane viharai. Se kahameyam bhamte! Evam? Tam ichchhami nam bhamte! Gosalassa mamkhaliputtassa utthanapariyaniyam parikahiyam. Goyamadi! Samane bhagavam mahavire bhagavam goyamam evam vayasi–jannam goyama! Se bahujano annamannassa evamai-kkhai evam bhasai evam pannavei evam paruvei–evam khalu gosale mamkhaliputte jine jinappalavi java jine jinasaddam pagasemane viharai. Tannam michchha. Aham puna goyama! Evamaikkhami java paruvemi– evam khalu eyassa gosalassa mamkhaliputtassa mamkhali namam mamkhe pita hottha. Tassa nam mamkhalissa mamkhassa bhadda namam bhariya hottha–sukumalapanipaya java padiruva. Tae nam sa bhadda bhariya annada kadayi guvvini yavi hottha. Tenam kalenam tenam samaenam saravane namam sannivese hottha–riddhatthimiyasamiddhe java namdanavanasannibhappagase, pasadie darisanijje abhiruve padiruve. Tattha nam saravane sannivese gobahule namam mahane parivasai–addhe java bahujanassa aparibhue, riuvveda java bambhannaesu parivvayaesu ya nayesu suparinitthie yavi hottha. Tassa nam gobahulassa mahanassa gosala yavi hottha. Tae nam se mamkhali mamkhe annaya kadayi bhaddae bhariyae guvvinie saddhim chittaphalagahatthagae mamkhattanenam appanam bhavemane puvvanupuvvim charamane gamanugamam duijjamane jeneva saravane sannivese jeneva gobahulassa mahanassa gosala teneva uvagachchhai, uvagachchhitta gobahulassa mahanassa gosalae egadesamsi bhamdanikkhevam karei, karetta saravane sannivese uchcha-niya-majjhimaim kulaim gharasamudanassa bhikkhayariyae adamane vasahie savvao samamta maggana-gavesanam karei, vasahie savvao samamta maggana-gavesanam karemane annattha vasahim alabhamane tasseva gobahulassa mahanassa gosalae egadesamsi vasavasam uvagae. Tae nam sa bhadda bhariya navanham masanam bahupadipunnanam addhatthamana ya raimdiyanam vitikkamtanam sukumalapanipayam java padiruvagam daragam payaya. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro ekkarasame divase vitikkamte nivvatte asuijayakamma-karane sampatte barasame divase ayameyaruvam gonnam gunanipphannam namadhejjam karemti–jamha nam amham ime darae gobahulassa mahanassa gosalae jae tam hou nam amham imassa daragassa namadhejjam gosale-gosale tti. Tae nam tassa daragassa ammapitaro namadhejjam karemti gosale tti. Tae nam se gosale darae ummukkabalabhave vinnaya-pariyanamette jovvanagamanuppatte sayameva padiekkam chittaphalagam karei, karetta chittaphalagahatthagae mamkhattanenam appanam bhavemane viharai.
Sutra Meaning Transliteration : Isake bada shravasti nagari mem shrimgataka para, yavat rajamargom para bahuta – se loga eka dusare se isa prakara kahane lage, yavat isa prakara prarupana karane lage – he devanupriyo ! Nishchita hai ki goshalaka mamkhaliputra ‘jina’ hokara apane apa ko ‘jina’ kahata hua, yavat ‘jina’ shabda mem apane apako prakata karata hua vicharata hai, to ise aisa kaise mana jae\? Usa kala, usa samaya mem shramana bhagavana mahavira vaham padhare, yavat parishad dharmopadesha sunakara vapisa chali gai. Shramana bhagavana mahavira ke jyeshtha antevasi gautamagotriya indrabhuti namaka anagara yavat chhatha – chhatha parana karate the; ityadi varnana dusare shataka ke pamchave nirgrantha – uddeshaka ke anusara samajhana. Yavat gochari ke lie bhramana karate hue gautamasvami ne bahuta – se logom ke shabda sune, bahuta – se loka paraspara isa prakara kaha rahe the, yavat prarupana kara rahe the ki devanupriyo ! Mamkhaliputra goshalaka jina hokara apane apako jina kahata hua, yavat jina shabda se svayam ko prakata karata hua vicharata hai. Usaki yaha bata kaise mani jae\? Bhagavana gautama ko bahuta – se logom se yaha bata sunakara evam manamem avadharana kara yavat prashna puchhane ki shraddha utpanna hui, yavat bhagavana ko ahara – pani dikhaya phira yavat paryupasana karate hue bole – yavat goshalaka ‘jina’ shabda se svayam ko prakata karata hua vicharata hai, to he bhagavan ! Usaka yaha kathana kaisa hai? Maim mamkhaliputra goshalaka ka janmase lekara anta taka ka vrittanta sunana chahata hum Shramana bhagavana mahavira ne bhagavana gautama se kaha – gautama ! Bahuta – se loga, jo paraspara eka dusare se isa prakara kahate haim yavat prarupita karate haim ki mamkhaliputra goshalaka ‘jina’ hokara tatha apane apako ‘jina’ kahata hua yavat ‘jina’ shabda se svayam ko prakata karata hua vicharata hai, yaha bata mithya hai. He gautama ! Maim kahata hum yavat prarupana karata hum ki mamkhaliputra goshalaka ka, mamkhajati ka mamkhali namaka pita tha. Usa mamkhajatiya mamkhali ki bhadra nama ki bharya thi. Vaha sukumala hatha – paira vali yavat pratirupa thi. Kisi samaya vaha bhadra namaka bharya garbhavati hui ‘sharavana’ sannivesha tha. Vaha riddhi – sampanna, upadrava – rahita yavat devaloka ke samana prakashavala aura mana ko prasanna karanevala tha, yavat pratirupa tha. Una sanniveshamem ‘gobahula’ namaka brahmana rahata tha. Vaha adhya yavat aparabhuta tha. Vaha rigveda adi vaidikashastrom ke vishaya mem bhalibhamti nipuna tha. Usa gobahula brahmana ki eka goshala thi. Eka dina vaha mamkhali namaka bhikshachara (mamkha) apani garbhavati bharya bhadra ko satha lekara nikala. Vaha chitraphalaka hatha mem lie hue chitra batakara ajivika karane vale bhikshukom ki vritti se (mamkhatva se) apana jivana yapana karata hua, kramashah gramanugrama vicharana karata hua jaham sharavana namaka sannivesha tha aura jaham gobahula brahmana ki goshala thi, vaham aya. Phira usane gobahula brahmana ki goshala ke eka bhaga mem apana bhandopakarana rakha. Vaha sharavana sannivesha mem uchcha – nicha – madhyama kulom ke grihasamuha mem bhikshacharya ke lie ghumata hua vasati mem charom ora sarvatra apane nivasa ke lie sthana ki khoja karane laga. Sarvatra puchhatachha aura gaveshana karane para bhi jaba koi nivasayogya sthana nahim mila to usane usi gobahula brahmana ki goshala ke eka bhaga mem varshavasa bitane ke lie nivasa kiya. Usa bhadra bharya ne pure nau masa aura sarhe sata ratridina vyatita hone para eka sukumala hatha – paira vale yavat surupa putra ko janma diya. Gyarahavam dina bita jane para yavat barahavem dina usa balaka ke mata – pita ne isa prakara ka gauna, gunanishpanna namakarana kiya ki – hamara yaha balaka gobahula brahmana ki goshala mem janma hai, isalie hamare isa balaka ka nama goshalaka ho. Tadanantara vaha balaka goshalaka balyavastha ko para karake evam vijnyana se paripakva buddhi vala hokara yauvana avastha ko prapta hua. Taba usane svayam vyaktigata rupa se chitra – phalaka taiyara kiya. Usa chitraphalaka ko svayam hatha mem lekara mamkhavritti se atma ko bhavita karata hua vicharana karane laga.