Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004099 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१४ |
Translated Chapter : |
शतक-१४ |
Section : | उद्देशक-१ चरम | Translated Section : | उद्देशक-१ चरम |
Sutra Number : | 599 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नेरइया णं भंते! किं अनंतरोववन्नगा? परंपरोववन्नगा? अनंतर-परंपरअणुववन्नगा? गोयमा! नेरइया अनंतरोववन्नगा वि, परंपरोववन्नगा वि, अनंतर-परंपरअणुववन्नगा वि। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–नेरइया अनंतरोववन्नगा वि, परंपरोववन्नगा वि, अनंतर-परंपर-अणुववन्नगा वि? गोयमा! जे णं नेरइया पढमसमयोववन्नगा ते णं नेरइया अनंतरोववन्नगा, जे णं नेरइया अपढम-समयोववन्नगा ते णं नेरइया परंपरोववन्नगा, जे णं नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते णं नेरइया अनंतर-परंपर-अणुववन्नगा। से तेणट्ठेणं जाव अनंतर-परंपर-अणुववन्नगा वि। एवं निरंतरं जाव वेमाणिया। अनंतरोववन्नगा णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति? तिरिक्ख-मनुस्स-देवाउयं पकरेंति? गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति। परंपरोववन्नगा णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति? गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मनुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति। अनंतर-परंपर-अणुववन्नगा णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति–पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति। एवं जाव वेमाणिया, नवरं–पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मनुस्सा य परंपरोववन्नगा चत्तारि वि आउयाइं पकरेंति। सेसं तं चेव। नेरइया णं भंते! किं अनंतरनिग्गया? परंपरनिग्गया? अनंतर-परंपर-अनिग्गया? गोयमा! नेरइया अनंतरनिग्गया वि, परंपरनिग्गया वि, अनंतर-परंपर-अनिग्गया वि। से केणट्ठेणं जाव अनंतर-परंपर-अनिग्गया वि? गोयमा! जे णं नेरइया पढमसमयनिग्गया ते णं नेरइया अनंतरनिग्गया, जे णं नेरइया अपढम-समयनिग्गया ते णं नेरइया परंपरनिग्गया, जे णं नेरइया विग्गहगतिसमावन्नगा ते णं नेरइया अनंतर-परंपर-अनिग्गया। से तेणट्ठेणं गोयमा! जाव अनंतर-परंपर-अनिग्गया वि। एवं जाव वेमाणिया। अनंतरनिग्गया णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति? गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति। परंपरनिग्गया णं भंते! नेरइया किं नेरइयाउयं पकरेंति–पुच्छा। गोयमा! नेरइयाउयं पि पकरेंति जाव देवाउयं पि पकरेंति। अनंतरं-परंपर-अनिग्गया णं भंते! नेरइया–पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति। निरवसेसं जाव वेमाणिया। नेरइया णं भंते! किं अनंतरखेदोववन्नगा? परंपरखेदोववन्नगा? अनंतर-परंपर-खेदाणुववन्नगा? गोयमा! नेरइया अनंतरखेदोववन्नगा वि, परंपरखेदोववन्नगा वि, अनंतर-परंपर-खेदाणुव-वन्नगा वि। एवं एएणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या नैरयिक अनन्तरोपपन्नक हैं, परम्परोपपन्नक हैं, अथवा अनन्तरपरम्परानुपपन्नक हैं ? गौतम! नैरयिक अनन्तरोपपन्नक भी हैं, परम्परोपपन्नक भी हैं और अनन्तरपरम्परानुपपन्नक भी हैं। भगवन् ! किस हेतु से ऐसा कहा है कि नैरयिक यावत् अनन्तरपरम्परानुपपन्नक भी हैं ? गौतम ! जिन नैरयिकों को उत्पन्न हुए अभी प्रथम समय ही हुआ है, वे अनन्तरोपपन्नक हैं। जिन नैरयिकों को उत्पन्न हुए अभी दो, तीन आदि समय हो चूके हैं, वे परम्परोपपन्नक हैं और जो नैरयिक जीव नरक में उत्पन्न होने के लिए (अभी) विग्रहगति में चल रहे हैं, वे अनन्तर – परम्परानुपपन्नक हैं। इस कारण से हे गौतम ! नैरयिक जीव यावत् अनन्तर – परम्परानुपपन्नक भी हैं। इसी प्रकार निरन्तर यावत् वैमानिक तक कहना। भगवन् ! अनन्तरोपपन्नक नैरयिक, नैरयिक का आयुष्य बाँधते हैं, अथवा तिर्यञ्च मनुष्य या देव का आयुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! वे नैरयिक का आयुष्य नहीं बाँधते, यावत् देव का आयुष्य भी नहीं बाँधते। भगवन् ! परम्परोपपन्नक नैरयिक, क्या नैरयिक का आयुष्य यावत् देवायुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! वे नैरयिक का आयुष्य नहीं बाँधते, वे तिर्यञ्च का आयुष्य बाँधते हैं, मनुष्य का आयुष्य भी बाँधते हैं, (किन्तु) देवायुष्य नहीं बाँधते। भगवन् ! अनन्तर – परम्परानुपपन्नक नैरयिक, क्या नैरयिक का आयुष्य बाँधते हैं ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! वे नैरयिक का आयुष्य नहीं बाँधते, यावत् देव का आयुष्य नहीं बाँधते। इसी प्रकार वैमानिकों तक समझना। विशेषता यह है कि परम्परो – पपन्नक पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक और मनुष्य नारकादि, चारों प्रकार का आयुष्य बाँधते हैं। शेष पूर्ववत् समझना। भगवन् ! क्या नारक जीव अनन्तर – निर्गत हैं, परम्पर – निर्गत हैं या अनन्तर – परम्पर – अनिर्गत हैं ? गौतम ! नैरयिक अनन्तर – निर्गत भी होते हैं, परम्पर – निर्गत भी होते हैं और अनन्तर – परम्पर – अनिर्गत भी होते हैं। भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहा जाता है ? गौतम ! जिन नैरयिकों को नरक से नीकले प्रथम समय ही है, वे अनन्तर – निर्गत हैं, जो नैरयिक अप्रथम निर्गत हुए हैं, वे ‘परम्पर – निर्गत’ हैं और जो नैरयिक विग्रहगति – समापन्नक हैं, वे ‘अनन्तर – परम्पर – अनिर्गत’ हैं। इसी कारण, हे गौतम ! ऐसा कहा गया है कि नैरयिक जीव, यावत् अनन्तर – परम्पर – अनिर्गत भी हैं। इसी प्रकार वैमानिकों तक कहना। भगवन् ! अनन्तरनिर्गत नैरयिक जीव, क्या नारकायुष्य बाँधते हैं यावत् देवायुष्य बाँधते हैं ? गौतम ! वे न तो नरकायुष्य यावत् न ही देवायुष्य बाँधते हैं। भगवन् ! परम्पर – निर्गत नैरयिक, क्या नरकायु बाँधते हैं ? इत्यादि पृच्छा। गौतम ! वे नरकायुष्य भी बाँधते हैं, यावत् देवायुष्य भी बाँधते हैं। भगवन् ! अनन्तर – परम्पर – अनिर्गत नैरयिक, क्या नारकायुष्य बाँधते हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। गौतम ! वे न तो नारकायुष्य बाँधते, यावत् न देवायुष्य बाँधते हैं। इसी प्रकार वैमानिकों तक कहना। भगवन् ! नैरयिक जीव क्या अनन्तर – खेदोपपन्नक हैं, परम्पर – खेदो – पपन्नक है अथवा अनन्तरपरम्परा – खेदानुपपन्नक हैं ? गौतम ! नैरयिक जीव, अनन्तर – खेदोपपन्नक भी हैं, परम्पर – खेदोपपन्नक भी हैं और अनन्तर – परम्पर – खेदानुपपन्नक भी हैं। पूर्वोक्त चार दण्डक कहना। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] neraiya nam bhamte! Kim anamtarovavannaga? Paramparovavannaga? Anamtara-paramparaanuvavannaga? Goyama! Neraiya anamtarovavannaga vi, paramparovavannaga vi, anamtara-paramparaanuvavannaga vi. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–neraiya anamtarovavannaga vi, paramparovavannaga vi, anamtara-parampara-anuvavannaga vi? Goyama! Je nam neraiya padhamasamayovavannaga te nam neraiya anamtarovavannaga, je nam neraiya apadhama-samayovavannaga te nam neraiya paramparovavannaga, je nam neraiya viggahagaisamavannaga te nam neraiya anamtara-parampara-anuvavannaga. Se tenatthenam java anamtara-parampara-anuvavannaga vi. Evam niramtaram java vemaniya. Anamtarovavannaga nam bhamte! Neraiya kim neraiyauyam pakaremti? Tirikkha-manussa-devauyam pakaremti? Goyama! No neraiyauyam pakaremti java no devauyam pakaremti. Paramparovavannaga nam bhamte! Neraiya kim neraiyauyam pakaremti java devauyam pakaremti? Goyama! No neraiyauyam pakaremti, tirikkhajoniyauyam pakaremti, manussauyam pi pakaremti, no devauyam pakaremti. Anamtara-parampara-anuvavannaga nam bhamte! Neraiya kim neraiyauyam pakaremti–puchchha. Goyama! No neraiyauyam pakaremti java no devauyam pakaremti. Evam java vemaniya, navaram–pamchimdiyatirikkhajoniya manussa ya paramparovavannaga chattari vi auyaim pakaremti. Sesam tam cheva. Neraiya nam bhamte! Kim anamtaraniggaya? Paramparaniggaya? Anamtara-parampara-aniggaya? Goyama! Neraiya anamtaraniggaya vi, paramparaniggaya vi, anamtara-parampara-aniggaya vi. Se kenatthenam java anamtara-parampara-aniggaya vi? Goyama! Je nam neraiya padhamasamayaniggaya te nam neraiya anamtaraniggaya, je nam neraiya apadhama-samayaniggaya te nam neraiya paramparaniggaya, je nam neraiya viggahagatisamavannaga te nam neraiya anamtara-parampara-aniggaya. Se tenatthenam goyama! Java anamtara-parampara-aniggaya vi. Evam java vemaniya. Anamtaraniggaya nam bhamte! Neraiya kim neraiyauyam pakaremti java devauyam pakaremti? Goyama! No neraiyauyam pakaremti java no devauyam pakaremti. Paramparaniggaya nam bhamte! Neraiya kim neraiyauyam pakaremti–puchchha. Goyama! Neraiyauyam pi pakaremti java devauyam pi pakaremti. Anamtaram-parampara-aniggaya nam bhamte! Neraiya–puchchha. Goyama! No neraiyauyam pakaremti java no devauyam pakaremti. Niravasesam java vemaniya. Neraiya nam bhamte! Kim anamtarakhedovavannaga? Paramparakhedovavannaga? Anamtara-parampara-khedanuvavannaga? Goyama! Neraiya anamtarakhedovavannaga vi, paramparakhedovavannaga vi, anamtara-parampara-khedanuva-vannaga vi. Evam eenam abhilavenam te cheva chattari damdaga bhaniyavva. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti java viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya nairayika anantaropapannaka haim, paramparopapannaka haim, athava anantaraparamparanupapannaka haim\? Gautama! Nairayika anantaropapannaka bhi haim, paramparopapannaka bhi haim aura anantaraparamparanupapannaka bhi haim. Bhagavan ! Kisa hetu se aisa kaha hai ki nairayika yavat anantaraparamparanupapannaka bhi haim\? Gautama ! Jina nairayikom ko utpanna hue abhi prathama samaya hi hua hai, ve anantaropapannaka haim. Jina nairayikom ko utpanna hue abhi do, tina adi samaya ho chuke haim, ve paramparopapannaka haim aura jo nairayika jiva naraka mem utpanna hone ke lie (abhi) vigrahagati mem chala rahe haim, ve anantara – paramparanupapannaka haim. Isa karana se he gautama ! Nairayika jiva yavat anantara – paramparanupapannaka bhi haim. Isi prakara nirantara yavat vaimanika taka kahana. Bhagavan ! Anantaropapannaka nairayika, nairayika ka ayushya bamdhate haim, athava tiryancha manushya ya deva ka ayushya bamdhate haim\? Gautama ! Ve nairayika ka ayushya nahim bamdhate, yavat deva ka ayushya bhi nahim bamdhate. Bhagavan ! Paramparopapannaka nairayika, kya nairayika ka ayushya yavat devayushya bamdhate haim\? Gautama ! Ve nairayika ka ayushya nahim bamdhate, ve tiryancha ka ayushya bamdhate haim, manushya ka ayushya bhi bamdhate haim, (kintu) devayushya nahim bamdhate. Bhagavan ! Anantara – paramparanupapannaka nairayika, kya nairayika ka ayushya bamdhate haim\? Ityadi prashna. Gautama ! Ve nairayika ka ayushya nahim bamdhate, yavat deva ka ayushya nahim bamdhate. Isi prakara vaimanikom taka samajhana. Visheshata yaha hai ki paramparo – papannaka panchendriya tiryanchayonika aura manushya narakadi, charom prakara ka ayushya bamdhate haim. Shesha purvavat samajhana. Bhagavan ! Kya naraka jiva anantara – nirgata haim, parampara – nirgata haim ya anantara – parampara – anirgata haim\? Gautama ! Nairayika anantara – nirgata bhi hote haim, parampara – nirgata bhi hote haim aura anantara – parampara – anirgata bhi hote haim. Bhagavan ! Aisa kisa karana se kaha jata hai\? Gautama ! Jina nairayikom ko naraka se nikale prathama samaya hi hai, ve anantara – nirgata haim, jo nairayika aprathama nirgata hue haim, ve ‘parampara – nirgata’ haim aura jo nairayika vigrahagati – samapannaka haim, ve ‘anantara – parampara – anirgata’ haim. Isi karana, he gautama ! Aisa kaha gaya hai ki nairayika jiva, yavat anantara – parampara – anirgata bhi haim. Isi prakara vaimanikom taka kahana. Bhagavan ! Anantaranirgata nairayika jiva, kya narakayushya bamdhate haim yavat devayushya bamdhate haim\? Gautama ! Ve na to narakayushya yavat na hi devayushya bamdhate haim. Bhagavan ! Parampara – nirgata nairayika, kya narakayu bamdhate haim\? Ityadi prichchha. Gautama ! Ve narakayushya bhi bamdhate haim, yavat devayushya bhi bamdhate haim. Bhagavan ! Anantara – parampara – anirgata nairayika, kya narakayushya bamdhate haim\? Ityadi purvavat prashna. Gautama ! Ve na to narakayushya bamdhate, yavat na devayushya bamdhate haim. Isi prakara vaimanikom taka kahana. Bhagavan ! Nairayika jiva kya anantara – khedopapannaka haim, parampara – khedo – papannaka hai athava anantaraparampara – khedanupapannaka haim\? Gautama ! Nairayika jiva, anantara – khedopapannaka bhi haim, parampara – khedopapannaka bhi haim aura anantara – parampara – khedanupapannaka bhi haim. Purvokta chara dandaka kahana. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai. |