Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1004062 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१२ |
Translated Chapter : |
शतक-१२ |
Section : | उद्देशक-१० आत्मा | Translated Section : | उद्देशक-१० आत्मा |
Sutra Number : | 562 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] आया भंते! रयणप्पभा पुढवी? अन्ना रयणप्पभा पुढवी? गोयमा! रयणप्पभा पुढवी सिय आया, सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–रयणप्पभा पुढवी सिय आया, सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य? गोयमा! अप्पणो आदिट्ठे आया, परस्स आदिट्ठे नोआया, तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं–रयणप्पभा पुढवी आयाति य नोआयाति य। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–रयणप्पभा पुढवी सिय आया, सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। आया भंते! सक्करप्पभा पुढवी? जहा रयणप्पभा पुढवी तहा सक्करप्पभावि। एवं जाव अहेसत्तमा। आया भंते! सोहम्मे कप्पे–पुच्छा। गोयमा! सोहम्मे कप्पे सिय आया सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से केणट्ठेणं भंते! जाव आयाति य नोआयाति य? गोयमा! अप्पणो आइट्ठं आया, परस्स आइट्ठे नोआया, तदुभयस्स आइट्ठे अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से तेणट्ठेणं तं चेव जाव आयाति य नोआयाति य। एवं जाव अच्चुए कप्पे। आया भंते! गेवेज्जविमाने? अन्ने गेवेज्जविमाने? एवं जहा रयणप्पभा तहेव। एवं अनुत्तरविमाना वि। एवं ईसिपब्भारा वि। आया भंते! परमाणुपोग्गले? अन्ने परमाणुपोग्गले? एवं जहा सोहम्मे तहा परमाणुपोग्गले वि भाणियव्वे। आया भंते! दुपएसिए खंधे? अन्ने दुपएसिए खंधे? गोयमा! दुपएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोआया ३. सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ४. सिय आया य नोआया य ५. सिय आया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ६. सिय नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से केणट्ठेणं भंते! एवं तं चेव जाव नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य? गोयमा! १. अप्पणो आदिट्ठे आया २. परस्स आदिट्ठे नोआया ३. तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं दुपएसिए खंधे– आयाति य नोआयाति य ४. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असब्भाव-पज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया य नोआया य ५. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभय-पज्जवे दुपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ६. देसे आदिट्ठे असब्भावप-ज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से तेणट्ठेणं तं चेव जाव नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। आया भंते! तिपएसिए खंधे? अन्ने तिपएसिए खंधे? गोयमा! तिपएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोआया ३. सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ४. सिय आया य नोआया य ५. सिय आया य नोआयाओ य ६. सिय आयाओ य नोआया य ७. सिय आया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ८. सिय आया य अवत्तव्वाइं–आयाओ य नोआयाओ य ९. सिय आयाओ य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य १. सिय नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ११. सिय नोआया य अवत्तव्वाइं–आयाओ य नोआयाओ य १२. सिय नोआयाओ य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य १३. सिय आया य नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–तिपएसिए खंधे सिय आया–एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव सिय आया य नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य? गोयमा! १. अप्पणो आदिट्ठे आया २. परस्स आदिट्ठे नोआया ३. तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ४. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नोआया य ५. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा तिपएसिए खंधे आया य नोआया य ६. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे तिपए-सिए खंधे आयाओ य नोआया य ७. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ८. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वाइं–आयाओ य नोआयाओ य ९. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आयाओ य अवत्तव्वं–आयाति य नो-आयाति य १०. देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ११. देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे नोआया य अवत्तव्वाइं–आयाओ य नोआयाओ य १२. देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोआयाओ य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य १३. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–तिपएसिए खंधे सिय आया तं चेव जाव नोआयाति य। आया भंते! चउप्पएसिए खंधे? अन्ने चउप्पएसिए खंधे? गोयमा! चउप्पएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोआया ३. सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ४-७. सिय आया य नोआया य ८-११. सिय आया य अवत्तव्वं १२-१५. सिय नोआया य अवत्तव्वं १६. सिय आया य नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य १७. सिय आया य नोआया य अवत्तव्वाइं–आयाओ य नोआयाओ य १८. सिय आया य नोआयाओ य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य १९. सिय आयाओ य नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–चउप्पएसिए खंधे सिय आया य नोआया य अवत्तव्वं–तं चेव अट्ठे पडिउच्चारेयव्वं? गोयमा! १. अप्पणो आदिट्ठे आया २. परस्स आदिट्ठे नोआया ३. तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ४-७. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे चउभंगो ८-११. सब्भावेणं तदुभयेण य चउभंगो १२-१५. असब्भावेणं तदुभयेण य चउभंगो १६. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य १७. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा चउप्पएसिए खंधे आया य नोआया य अवत्तव्वाइं–आयाओ य नोआयाओ य १८. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नोआयाओ य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य १९. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आयाओ य नोआया य अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–चउप्पएसिए खंधे सिय आया सिय नोआया सिय अवत्तव्वं–निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयव्वा जाव आयाति य नोआयाति य। आया भंते! पंचपएसिए खंधे? अन्ने पंचपएसिए खंधे? गोयमा! पंचपएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोआया ३. सिय अवत्तव्वं–आयाति य नोआयाति य ४-७. सिय आया य नोआया य ८-११. सिय आया य अवत्तव्वं १२-१५. नोआया य अवत्तव्वेण य १६. सिय आया य नोआया य अवत्तव्वं १७. सिय आया य नोआया य अवत्तव्वाइं १८. सिय आया य नोआयाओ य अवत्तव्वं १९. सिय आया य नोआयाओ य अवत्तव्वाइं २. सिय आयाओ य नोआया य अवत्तव्वं २१. सिय आयाओ य नोआया य अवत्तव्वाइं २२. सिय आयाओ य नोआयाओ य अवत्तव्वं। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–पंचपएसिए खंधे सिय आया जाव सिय आयाओ य नोआयाओ य अवत्तव्वं? गोयमा! १. अप्पणो आदिट्ठे आया २. परस्स आदिट्ठे नोआया ३. तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं ४. देसे आदिट्ठे सब्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असब्भावपज्जवे–एवं दुयगसंजोगे सव्वे पडंति, तियसंजोगे एक्को न पडइ। छप्पएसियस्स सव्वे पडंति। जहा छप्पएसिए एवं जाव अनंतपएसिए। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! रत्नप्रभापृथ्वी आत्मरूप है या वह अन्यरूप है ? गौतम ! रत्नप्रभापृथ्वी कथंचित् आत्मरूप है और कथंचित् नोआत्मरूप है तथा कथंचित् अवक्तव्य है। भगवन् ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं ? गौतम ! रत्नप्रभापृथ्वी अपने स्वरूप से व्यपदिष्ट होने पर आत्मरूप हैं, पररूप से आदिष्ट होने पर नो – आत्मरूप है और उभयरूप की विवक्षा से कथन करने पर सद् – असद्रूप होने से अवक्तव्य है। इसी कारण से हे गौतम ! यावत् उसे अवक्तव्य कहा गया है। भगवन् ! शर्कराप्रभापृथ्वी आत्मरूप है ? इत्यादि प्रश्न। रत्नप्रभापृथ्वी के समान ही शर्कराप्रभा के विषय में भी कहना। इसी प्रकार यावत् अधःसप्तमपृथ्वी तक कहना। भगवन् ! सौधर्मकल्प आत्मरूप है ? इत्यादि प्रश्न है। गौतम ! सौधर्मकल्प कथंचित् आत्मरूप है, कथंचित् नो – आत्मरूप है तथा कथंचित् आत्मरूप – नो – आत्मरूप होने से अवक्तव्य हैं। भगवन् ! इस कथन का क्या कारण है ? गौतम ! स्व – स्वरूप की दृष्टि से कथन किये जाने पर आत्मरूप है, पर – रूप की दृष्टि से कहे जान पर नो – आत्मरूप है और उभयरूप की अपेक्षा से अवक्तव्य है। इसी कारण उपर्युक्त रूप से कहा गया है। इसी प्रकार अच्युतकल्प तक जानना चाहिए। भगवन् ! ग्रैवेयकविमान आत्मरूप है ? अथवा वह उससे भिन्न (नो – आत्मरूप) है ? गौतम ! इसका कथन रत्नप्रभापृथ्वी के समान करना चाहिए। इसी प्रकार अनुत्तरविमान तक कहना चाहिए। इसी प्रकार ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी तक कहना चाहिए। भगवन् ! परमाणु – पुद्गल आत्मरूप अथवा वह अन्य है ? (गौतम !) सौधर्मकल्प के अनुसार परमाणु – पुद्गल के विषय में कहना चाहिए। भगवन् ! द्विप्रदेशिक स्कन्ध आत्मरूप है, (अथवा) वह अन्य है ? गौतम ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कथंचित् सद्रूप है, कथंचित् असद्रूप है, और सद् – असद्रूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है। कथंचित् सद्रूप है और कथंचित् असद्रूप है, कथंचित् स्वरूप है और सद् – असद् – उभयरूप होने से अवक्तव्य है और कथंचित् असद्रूप है और सद् – असद् – उभयरूप होने से अवक्तव्य है। भगवन् ! किस कारण से यावत् कथंचित असद्रूप है और सद् – असद् उभयरूप होने से अवक्तव्य है ? गौतम ! (द्विप्रदेशी स्कन्ध) अपने स्वरूप की अपेक्षा से कथन किये जाने पर सद्रूप है, पररूप की अपेक्षा से कहे जाने पर असद्रूप है और उभयरूप की अपेक्षा से अवक्तव्य है तथा सद्भावपर्याय वाले अपने एक देश की अपेक्षा से व्यपदिष्ट होने पर सद्रूप है तथा असद्भाव पर्याय वाले द्वीतिय देश से आदिष्ट होने पर, असद्रुप है। (इस दृष्टि से) कथंचित् सद्रूप और कथंचित् असद्रूप है। सद्भाव पर्याय वाले एक देश की अपेक्षा से आदिष्ट होने पर सद्रूप और सद्भाव – असद्भाव वाले दूसरे देश की अपेक्षा से द्विप्रदेशी स्कन्ध सद्रूप – असद्रूप उभयरूप होने से अवक्तव्य हैं। एक देश की अपेक्षा से असद्भाव पर्याय की विवक्षा से तथा द्वितीय देश के सद्भाव – असद्भावरूप उभय – पर्याय की अपेक्षा से द्विप्रदेशी स्कन्ध असद्रूप और अवक्तव्यरूप है। भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा है अथवा उससे अन्य है ? गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध – कथंचित् सद्रूप है। कथंचित् असद्रूप है। सद् – असद् – उभयरूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है। कथंचित् सद्रूप और कथंचित् असद्रूप है। कथंचित् सद्रूप और अनेक असद्रूप हैं। कथंचित् अनेक असद्रूप तथा असद्रूप है। कथंचित् सद्रूप और सद् – असद् – उभयरूप होने से अवक्तव्य है। कथंचित् आत्मा तथा अनेक सद् – असद्रूप होने से अवक्तव्य है कथंचित् आत्माएं (अनेक असद्रूप) तथा आत्मा – नो आत्मा उभयरूप से – अवक्तव्य है। कथंचित् असद्रूप तथा आत्मा उभयरूप होने से – अवक्तव्य है। कथंचित् असद्रूप तथा उभयरूप होने से – अवक्तव्य है। कथंचित् नो अनेक असद्रूप तथा उभयरूप होने से – अवक्तव्य हैं और कथंचित् सद्रूप, असद्रूप और उभयरूप होने से – अवक्तव्य है भगवन् ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं ? गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध – अपने आदेश से सद्रूप है; पर के आदेश से असद्रूप है, उभय के आदेश से उभयरूप होने से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से सद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से वह त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और नो – आत्मारूप है। एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से, वह त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और नो – आत्माएं हैं। बहुत देशों के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्माएं और नो आत्मा है। एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभय – पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्मा और आत्मा तथा नो आत्मा – उभयरूप से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से, सद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से, उभयपर्याय की विवक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध, आत्मा और आत्माएं तथा न आत्माएं, इस प्रकार उभयरूप से अवक्तव्य है। बहुत देशों के आदेश से सद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभयपर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध आत्माएं और आत्मा – नो आत्मा – उभयरूप से अवक्तव्य है। ये तीन भंग जानने चाहिए। एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से उभयपर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध नो आत्मा और आत्मा – नो आत्मा – उभयरूप से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय को अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से और तदुभय – पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध नो – आत्मा और आत्माएं तथा नो आत्मा इस उभयरूप से अवक्तव्य है। बहुत देशों के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय पर्याय की अपेक्षा से, त्रिप्रदेशी स्कन्ध नो – आत्माएं और आत्मा तथा नो – आत्मा इस उभयरूप से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से, एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय पर्याय की अपेक्षा से, त्रिप्रदेशी स्कन्ध कथंचित् आत्मा, नो आत्मा और आत्मा – नो आत्मा – उभयरूप से अवक्तव्य है। इसलिए हे गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध को कथंचित् आत्मा, यावत् – आत्मा – नो आत्मा उभयरूप से अवक्तव्य कहा गया है। भगवन् ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध सद्रूप है, अथवा असद्रूप है ? गौतम ! चतुष्प्रदेशी स्कन्ध – कथंचित् आत्मा है, कथंचित् नो आत्मा है, आत्मा – नोआत्मा उभयरूप होने से – अवक्तव्य है। कथंचित् आत्मा और नो आत्मा है; कथंचित् आत्मा और अवक्तव्य है; कथंचित् नो आत्मा और अवक्तव्य; कथंचित् आत्मा और नो आत्मा तथा आत्मा – नो आत्मा उभयरूप से अवक्तव्य है। कथंचित् आत्मा और नो आत्मा तथा आत्माएं और नो – आत्माएं उभय होने से अवक्तव्य है कथंचित् आत्मा और नो आत्माएं तथा आत्मा – नो आत्मा उभयरूप होने से – कथंचित् अवक्तव्य है और कथंचित् आत्माएं, नो – आत्मा, तथा आत्मा – नो आत्मा उभयरूप होने से – (कथंचित्) अवक्तव्य हैं। भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहते हैं ? गौतम ! अपने आदेश से सद्रूप है, पर के आदेश से नो आत्मा है; तदुभय के आदेश से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से सद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से असद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से चार भंग होते हैं। सद्भावपर्याय और तदुभयपर्याय की अपेक्षा से चार भंग होत हैं। असद्भावपर्याय और तदुभयपर्याय की अपेक्षा से चार भंग होते हैं। एक देश के आदेश से सद्भावपर्याय की अपेक्षा से, एक देश के आदेश से असद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से तदुभय – पर्याय की अपेक्षा से चतुष्प्रदेशी स्कन्ध, आत्मा, नो – आत्मा और आत्मा – नो – आत्मा – उभयरूप होने से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा से, एक देश के आदेश से असद्भावपर्याय की अपेक्षा से और बहुत देशों के आदेश से तदुभय – पर्याय की अपेक्षा से चतुष्प्रदेशी स्कन्ध आत्मा नो आत्मा, और आत्माएं – नो – आत्माएं इस उभयरूप से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से सद्भावपर्याय की अपेक्षा से बहुत देशों के आदेश से असद्भाव – पर्यायों की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभयपर्याय की अपेक्षा से चतुष्प्रदेशी स्कन्ध आत्मा, नो – आत्माएं और आत्मा – नो आत्मा उभयरूप से अवक्तव्य है। बहुत देशों के आदेश से सद्भाव – पर्यायों की अपेक्षा से, एक देश के आदेश से असद्भावपर्याय की अपेक्षा से तथा एक देश के आदेश से तदुभयपर्याय की अपेक्षा से चतुष्प्रदेशी स्कन्ध आत्माएं नो आत्मा और आत्मा – नो आत्मा उभयरूप से अवक्तव्य है। इस कारण हे गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि चतुष्प्रदेशी स्कन्ध कथंचित् आत्मा है, कथंचित् नो – आत्मा है और कथंचित् अवक्तव्य है। भगवन् ! पंचप्रदेशी स्कन्ध आत्मा है, अथवा अन्य है ? गौतम ! पंचप्रदेशी स्कन्ध कथंचित् आत्मा है, कथंचित् नो आत्मा है, आत्मा – नो – आत्मा उभयरूप होने से कथंचित् अवक्तव्य है। कथंचित् आत्मा और नो आत्मा कथंचित् आत्मा और अवक्तव्य (कथंचित्) नो आत्मा और अवक्तव्य तथा त्रिकसंयोगी आठ भंगों में एक भंग घटित नहीं होता, अर्थात् सात भंग होते हैं। कुल मिलाकर बाईस भंग होते हैं। भगवन् ! ऐसा क्यों कहा गया है ? गौतम ! पंचप्रदेशी स्कन्ध, अपने आदेश से आत्मा है; पर के आदेश से नो – आत्मा है, तदुभय के आदेश से अवक्तव्य है। एक देश के आदेश से, सद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से तथा एक देश के आदेश से असद्भाव – पर्याय की अपेक्षा से कथंचित् आत्मा है, कथंचित् नो – आत्मा है। इसी प्रकार द्विकसंयोगी सभी (बारह) भंग बनते हैं। त्रिकसंयोगी (आठ भंग होते हैं, उनमें से एक आठवाँ भंग नहीं बनता)। षट्प्रदेशी स्कन्ध के विषय में ये सभी भंग बनते हैं। षट्प्रदेशी स्कन्ध के समान यावत् अनन्तप्रदेश स्कन्ध तक कहना। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] aya bhamte! Rayanappabha pudhavi? Anna rayanappabha pudhavi? Goyama! Rayanappabha pudhavi siya aya, siya noaya, siya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–rayanappabha pudhavi siya aya, siya noaya, siya avattavvam–ayati ya noayati ya? Goyama! Appano aditthe aya, parassa aditthe noaya, tadubhayassa aditthe avattavvam–rayanappabha pudhavi ayati ya noayati ya. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–rayanappabha pudhavi siya aya, siya noaya, siya avattavvam–ayati ya noayati ya. Aya bhamte! Sakkarappabha pudhavi? Jaha rayanappabha pudhavi taha sakkarappabhavi. Evam java ahesattama. Aya bhamte! Sohamme kappe–puchchha. Goyama! Sohamme kappe siya aya siya noaya, siya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se kenatthenam bhamte! Java ayati ya noayati ya? Goyama! Appano aittham aya, parassa aitthe noaya, tadubhayassa aitthe avattavvam–ayati ya noayati ya. Se tenatthenam tam cheva java ayati ya noayati ya. Evam java achchue kappe. Aya bhamte! Gevejjavimane? Anne gevejjavimane? Evam jaha rayanappabha taheva. Evam anuttaravimana vi. Evam isipabbhara vi. Aya bhamte! Paramanupoggale? Anne paramanupoggale? Evam jaha sohamme taha paramanupoggale vi bhaniyavve. Aya bhamte! Dupaesie khamdhe? Anne dupaesie khamdhe? Goyama! Dupaesie khamdhe 1. Siya aya 2. Siya noaya 3. Siya avattavvam–ayati ya noayati ya 4. Siya aya ya noaya ya 5. Siya aya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 6. Siya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se kenatthenam bhamte! Evam tam cheva java noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya? Goyama! 1. Appano aditthe aya 2. Parassa aditthe noaya 3. Tadubhayassa aditthe avattavvam dupaesie khamdhe– ayati ya noayati ya 4. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe asabbhava-pajjave duppaesie khamdhe aya ya noaya ya 5. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe tadubhaya-pajjave dupaesie khamdhe aya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 6. Dese aditthe asabbhavapa-jjave dese aditthe tadubhayapajjave dupaesie khamdhe noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se tenatthenam tam cheva java noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya. Aya bhamte! Tipaesie khamdhe? Anne tipaesie khamdhe? Goyama! Tipaesie khamdhe 1. Siya aya 2. Siya noaya 3. Siya avattavvam–ayati ya noayati ya 4. Siya aya ya noaya ya 5. Siya aya ya noayao ya 6. Siya ayao ya noaya ya 7. Siya aya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 8. Siya aya ya avattavvaim–ayao ya noayao ya 9. Siya ayao ya avattavvam–ayati ya noayati ya 1. Siya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 11. Siya noaya ya avattavvaim–ayao ya noayao ya 12. Siya noayao ya avattavvam–ayati ya noayati ya 13. Siya aya ya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–tipaesie khamdhe siya aya–evam cheva uchchareyavvam java siya aya ya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya? Goyama! 1. Appano aditthe aya 2. Parassa aditthe noaya 3. Tadubhayassa aditthe avattavvam–ayati ya noayati ya 4. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe asabbhavapajjave tipaesie khamdhe aya ya noaya ya 5. Dese aditthe sabbhavapajjave desa adittha asabbhavapajjava tipaesie khamdhe aya ya noaya ya 6. Desa adittha sabbhavapajjava dese aditthe asabbhavapajjave tipae-sie khamdhe ayao ya noaya ya 7. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe tadubhayapajjave tipaesie khamdhe aya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 8. Dese aditthe sabbhavapajjave desa adittha tadubhayapajjava tipaesie khamdhe aya ya avattavvaim–ayao ya noayao ya 9. Desa adittha sabbhavapajjava dese aditthe tadubhayapajjave tipaesie khamdhe ayao ya avattavvam–ayati ya no-ayati ya 10. Dese aditthe asabbhavapajjave dese aditthe tadubhayapajjave tipaesie khamdhe noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 11. Dese aditthe asabbhavapajjave desa adittha tadubhayapajjava tipaesie khamdhe noaya ya avattavvaim–ayao ya noayao ya 12. Desa adittha asabbhavapajjava dese aditthe tadubhayapajjave tipaesie khamdhe noayao ya avattavvam–ayati ya noayati ya 13. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe asabbhavapajjave dese aditthe tadubhayapajjave tipaesie khamdhe aya ya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–tipaesie khamdhe siya aya tam cheva java noayati ya. Aya bhamte! Chauppaesie khamdhe? Anne chauppaesie khamdhe? Goyama! Chauppaesie khamdhe 1. Siya aya 2. Siya noaya 3. Siya avattavvam–ayati ya noayati ya 4-7. Siya aya ya noaya ya 8-11. Siya aya ya avattavvam 12-15. Siya noaya ya avattavvam 16. Siya aya ya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 17. Siya aya ya noaya ya avattavvaim–ayao ya noayao ya 18. Siya aya ya noayao ya avattavvam–ayati ya noayati ya 19. Siya ayao ya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–chauppaesie khamdhe siya aya ya noaya ya avattavvam–tam cheva atthe padiuchchareyavvam? Goyama! 1. Appano aditthe aya 2. Parassa aditthe noaya 3. Tadubhayassa aditthe avattavvam–ayati ya noayati ya 4-7. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe asabbhavapajjave chaubhamgo 8-11. Sabbhavenam tadubhayena ya chaubhamgo 12-15. Asabbhavenam tadubhayena ya chaubhamgo 16. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe asabbhavapajjave dese aditthe tadubhayapajjave chauppaesie khamdhe aya ya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya 17. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe asabbhavapajjave desa adittha tadubhayapajjava chauppaesie khamdhe aya ya noaya ya avattavvaim–ayao ya noayao ya 18. Dese aditthe sabbhavapajjave desa adittha asabbhavapajjava dese aditthe tadubhayapajjave chauppaesie khamdhe aya ya noayao ya avattavvam–ayati ya noayati ya 19. Desa adittha sabbhavapajjava dese aditthe asabbhavapajjave dese aditthe tadubhayapajjave chauppaesie khamdhe ayao ya noaya ya avattavvam–ayati ya noayati ya. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–chauppaesie khamdhe siya aya siya noaya siya avattavvam–nikkheve te cheva bhamga uchchareyavva java ayati ya noayati ya. Aya bhamte! Pamchapaesie khamdhe? Anne pamchapaesie khamdhe? Goyama! Pamchapaesie khamdhe 1. Siya aya 2. Siya noaya 3. Siya avattavvam–ayati ya noayati ya 4-7. Siya aya ya noaya ya 8-11. Siya aya ya avattavvam 12-15. Noaya ya avattavvena ya 16. Siya aya ya noaya ya avattavvam 17. Siya aya ya noaya ya avattavvaim 18. Siya aya ya noayao ya avattavvam 19. Siya aya ya noayao ya avattavvaim 2. Siya ayao ya noaya ya avattavvam 21. Siya ayao ya noaya ya avattavvaim 22. Siya ayao ya noayao ya avattavvam. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–pamchapaesie khamdhe siya aya java siya ayao ya noayao ya avattavvam? Goyama! 1. Appano aditthe aya 2. Parassa aditthe noaya 3. Tadubhayassa aditthe avattavvam 4. Dese aditthe sabbhavapajjave dese aditthe asabbhavapajjave–evam duyagasamjoge savve padamti, tiyasamjoge ekko na padai. Chhappaesiyassa savve padamti. Jaha chhappaesie evam java anamtapaesie. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti java viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Ratnaprabhaprithvi atmarupa hai ya vaha anyarupa hai\? Gautama ! Ratnaprabhaprithvi kathamchit atmarupa hai aura kathamchit noatmarupa hai tatha kathamchit avaktavya hai. Bhagavan ! Kisa karana se apa aisa kahate haim\? Gautama ! Ratnaprabhaprithvi apane svarupa se vyapadishta hone para atmarupa haim, pararupa se adishta hone para no – atmarupa hai aura ubhayarupa ki vivaksha se kathana karane para sad – asadrupa hone se avaktavya hai. Isi karana se he gautama ! Yavat use avaktavya kaha gaya hai. Bhagavan ! Sharkaraprabhaprithvi atmarupa hai\? Ityadi prashna. Ratnaprabhaprithvi ke samana hi sharkaraprabha ke vishaya mem bhi kahana. Isi prakara yavat adhahsaptamaprithvi taka kahana. Bhagavan ! Saudharmakalpa atmarupa hai\? Ityadi prashna hai. Gautama ! Saudharmakalpa kathamchit atmarupa hai, kathamchit no – atmarupa hai tatha kathamchit atmarupa – no – atmarupa hone se avaktavya haim. Bhagavan ! Isa kathana ka kya karana hai\? Gautama ! Sva – svarupa ki drishti se kathana kiye jane para atmarupa hai, para – rupa ki drishti se kahe jana para no – atmarupa hai aura ubhayarupa ki apeksha se avaktavya hai. Isi karana uparyukta rupa se kaha gaya hai. Isi prakara achyutakalpa taka janana chahie. Bhagavan ! Graiveyakavimana atmarupa hai\? Athava vaha usase bhinna (no – atmarupa) hai\? Gautama ! Isaka kathana ratnaprabhaprithvi ke samana karana chahie. Isi prakara anuttaravimana taka kahana chahie. Isi prakara ishatpragbhara prithvi taka kahana chahie. Bhagavan ! Paramanu – pudgala atmarupa athava vaha anya hai\? (gautama !) saudharmakalpa ke anusara paramanu – pudgala ke vishaya mem kahana chahie. Bhagavan ! Dvipradeshika skandha atmarupa hai, (athava) vaha anya hai\? Gautama ! Dvipradeshi skandha kathamchit sadrupa hai, kathamchit asadrupa hai, aura sad – asadrupa hone se kathamchit avaktavya hai. Kathamchit sadrupa hai aura kathamchit asadrupa hai, kathamchit svarupa hai aura sad – asad – ubhayarupa hone se avaktavya hai aura kathamchit asadrupa hai aura sad – asad – ubhayarupa hone se avaktavya hai. Bhagavan ! Kisa karana se yavat kathamchita asadrupa hai aura sad – asad ubhayarupa hone se avaktavya hai\? Gautama ! (dvipradeshi skandha) apane svarupa ki apeksha se kathana kiye jane para sadrupa hai, pararupa ki apeksha se kahe jane para asadrupa hai aura ubhayarupa ki apeksha se avaktavya hai tatha sadbhavaparyaya vale apane eka desha ki apeksha se vyapadishta hone para sadrupa hai tatha asadbhava paryaya vale dvitiya desha se adishta hone para, asadrupa hai. (isa drishti se) kathamchit sadrupa aura kathamchit asadrupa hai. Sadbhava paryaya vale eka desha ki apeksha se adishta hone para sadrupa aura sadbhava – asadbhava vale dusare desha ki apeksha se dvipradeshi skandha sadrupa – asadrupa ubhayarupa hone se avaktavya haim. Eka desha ki apeksha se asadbhava paryaya ki vivaksha se tatha dvitiya desha ke sadbhava – asadbhavarupa ubhaya – paryaya ki apeksha se dvipradeshi skandha asadrupa aura avaktavyarupa hai. Bhagavan ! Tripradeshi skandha atma hai athava usase anya hai\? Gautama ! Tripradeshi skandha – kathamchit sadrupa hai. Kathamchit asadrupa hai. Sad – asad – ubhayarupa hone se kathamchit avaktavya hai. Kathamchit sadrupa aura kathamchit asadrupa hai. Kathamchit sadrupa aura aneka asadrupa haim. Kathamchit aneka asadrupa tatha asadrupa hai. Kathamchit sadrupa aura sad – asad – ubhayarupa hone se avaktavya hai. Kathamchit atma tatha aneka sad – asadrupa hone se avaktavya hai kathamchit atmaem (aneka asadrupa) tatha atma – no atma ubhayarupa se – avaktavya hai. Kathamchit asadrupa tatha atma ubhayarupa hone se – avaktavya hai. Kathamchit asadrupa tatha ubhayarupa hone se – avaktavya hai. Kathamchit no aneka asadrupa tatha ubhayarupa hone se – avaktavya haim aura kathamchit sadrupa, asadrupa aura ubhayarupa hone se – avaktavya hai Bhagavan ! Kisa karana se apa aisa kahate haim\? Gautama ! Tripradeshi skandha – apane adesha se sadrupa hai; para ke adesha se asadrupa hai, ubhaya ke adesha se ubhayarupa hone se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se sadbhava – paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se asadbhava – paryaya ki apeksha se vaha tripradeshi skandha atma aura no – atmarupa hai. Eka desha ke adesha se sadbhava paryaya ki apeksha se aura bahuta deshom ke adesha se asadbhava paryaya ki apeksha se, vaha tripradeshi skandha atma aura no – atmaem haim. Bahuta deshom ke adesha se sadbhava paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se asadbhava paryaya ki apeksha se tripradeshi skandha atmaem aura no atma hai. Eka desha ke adesha se sadbhava paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se ubhaya – paryaya ki apeksha se tripradeshi skandha atma aura atma tatha no atma – ubhayarupa se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se, sadbhava – paryaya ki apeksha se aura bahuta deshom ke adesha se, ubhayaparyaya ki vivaksha se tripradeshi skandha, atma aura atmaem tatha na atmaem, isa prakara ubhayarupa se avaktavya hai. Bahuta deshom ke adesha se sadbhava – paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se ubhayaparyaya ki apeksha se tripradeshi skandha atmaem aura atma – no atma – ubhayarupa se avaktavya hai. Ye tina bhamga janane chahie. Eka desha ke adesha se asadbhava paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se ubhayaparyaya ki apeksha se tripradeshi skandha no atma aura atma – no atma – ubhayarupa se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se asadbhava paryaya ko apeksha se aura bahuta deshom ke adesha se aura tadubhaya – paryaya ki apeksha se tripradeshi skandha no – atma aura atmaem tatha no atma isa ubhayarupa se avaktavya hai. Bahuta deshom ke adesha se asadbhava paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se tadubhaya paryaya ki apeksha se, tripradeshi skandha no – atmaem aura atma tatha no – atma isa ubhayarupa se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se sadbhava paryaya ki apeksha se, eka desha ke adesha se asadbhava paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se tadubhaya paryaya ki apeksha se, tripradeshi skandha kathamchit atma, no atma aura atma – no atma – ubhayarupa se avaktavya hai. Isalie he gautama ! Tripradeshi skandha ko kathamchit atma, yavat – atma – no atma ubhayarupa se avaktavya kaha gaya hai. Bhagavan ! Chatushpradeshi skandha sadrupa hai, athava asadrupa hai\? Gautama ! Chatushpradeshi skandha – kathamchit atma hai, kathamchit no atma hai, atma – noatma ubhayarupa hone se – avaktavya hai. Kathamchit atma aura no atma hai; kathamchit atma aura avaktavya hai; kathamchit no atma aura avaktavya; kathamchit atma aura no atma tatha atma – no atma ubhayarupa se avaktavya hai. Kathamchit atma aura no atma tatha atmaem aura no – atmaem ubhaya hone se avaktavya hai kathamchit atma aura no atmaem tatha atma – no atma ubhayarupa hone se – kathamchit avaktavya hai aura kathamchit atmaem, no – atma, tatha atma – no atma ubhayarupa hone se – (kathamchit) avaktavya haim. Bhagavan ! Kisa karana se aisa kahate haim\? Gautama ! Apane adesha se sadrupa hai, para ke adesha se no atma hai; tadubhaya ke adesha se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se sadbhava – paryaya ki apeksha se aura eka desha ke adesha se asadbhava – paryaya ki apeksha se chara bhamga hote haim. Sadbhavaparyaya aura tadubhayaparyaya ki apeksha se chara bhamga hota haim. Asadbhavaparyaya aura tadubhayaparyaya ki apeksha se chara bhamga hote haim. Eka desha ke adesha se sadbhavaparyaya ki apeksha se, eka desha ke adesha se asadbhava – paryaya ki apeksha se aura bahuta deshom ke adesha se tadubhaya – paryaya ki apeksha se chatushpradeshi skandha, atma, no – atma aura atma – no – atma – ubhayarupa hone se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se sadbhava paryaya ki apeksha se, eka desha ke adesha se asadbhavaparyaya ki apeksha se aura bahuta deshom ke adesha se tadubhaya – paryaya ki apeksha se chatushpradeshi skandha atma no atma, aura atmaem – no – atmaem isa ubhayarupa se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se sadbhavaparyaya ki apeksha se bahuta deshom ke adesha se asadbhava – paryayom ki apeksha se aura eka desha ke adesha se tadubhayaparyaya ki apeksha se chatushpradeshi skandha atma, no – atmaem aura atma – no atma ubhayarupa se avaktavya hai. Bahuta deshom ke adesha se sadbhava – paryayom ki apeksha se, eka desha ke adesha se asadbhavaparyaya ki apeksha se tatha eka desha ke adesha se tadubhayaparyaya ki apeksha se chatushpradeshi skandha atmaem no atma aura atma – no atma ubhayarupa se avaktavya hai. Isa karana he gautama ! Aisa kaha jata hai ki chatushpradeshi skandha kathamchit atma hai, kathamchit no – atma hai aura kathamchit avaktavya hai. Bhagavan ! Pamchapradeshi skandha atma hai, athava anya hai\? Gautama ! Pamchapradeshi skandha kathamchit atma hai, kathamchit no atma hai, atma – no – atma ubhayarupa hone se kathamchit avaktavya hai. Kathamchit atma aura no atma kathamchit atma aura avaktavya (kathamchit) no atma aura avaktavya tatha trikasamyogi atha bhamgom mem eka bhamga ghatita nahim hota, arthat sata bhamga hote haim. Kula milakara baisa bhamga hote haim. Bhagavan ! Aisa kyom kaha gaya hai\? Gautama ! Pamchapradeshi skandha, apane adesha se atma hai; para ke adesha se no – atma hai, tadubhaya ke adesha se avaktavya hai. Eka desha ke adesha se, sadbhava – paryaya ki apeksha se tatha eka desha ke adesha se asadbhava – paryaya ki apeksha se kathamchit atma hai, kathamchit no – atma hai. Isi prakara dvikasamyogi sabhi (baraha) bhamga banate haim. Trikasamyogi (atha bhamga hote haim, unamem se eka athavam bhamga nahim banata). Shatpradeshi skandha ke vishaya mem ye sabhi bhamga banate haim. Shatpradeshi skandha ke samana yavat anantapradesha skandha taka kahana. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai, bhagavan ! Yaha isi prakara hai. |