Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004060
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१२

Translated Chapter :

शतक-१२

Section : उद्देशक-१० आत्मा Translated Section : उद्देशक-१० आत्मा
Sutra Number : 560 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कतिविहा णं भंते! आया पन्नत्ता? गोयमा! अट्ठविहा आया पन्नत्ता, तं जहा–दवियाया, कसायाया, जोगाया, उवओगाया, नाणाया, दंसणाया, चरित्ताया, वीरियाया। जस्स णं भंते! दवियाया तस्स कसायाया? जस्स कसायाया तस्स दवियाया? गोयमा! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि। जस्स णं भंते! दवियाया तस्स जोगाया? जस्स जोगाया तस्स दवियाया? गोयमा! जस्स दवियाया तस्स जोगाया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि। जस्स णं भंते! दवियाया तस्स उवओगाया? जस्स उवओगाया तस्स दवियाया? –एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा। गोयमा! जस्स दवियाया तस्स उवओगाया नियमं अत्थि। जस्स वि उवओगाया तस्स वि दवियाया नियमं अत्थि। जस्स दवियाया तस्स नाणाया भयणाए। जस्स पुण नाणाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि। जस्स दवियाया तस्स दंसणाया नियमं अत्थि। जस्स वि दंसणाया तस्स वि दवियाया नियमं अत्थि। जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियमं अत्थि। जस्स दवियाया तस्स वीरियाया भयणाए, जस्स पुण वीरियाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि। जस्स णं भंते! कसायाया तस्स जोगाया–पुच्छा। गोयमा! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियमं अत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि। एवं उवओगायाए वि समं कसायाया नेयव्वा। कसायाया य नाणाया य परोप्परं दो वि भइयव्वाओ। जहा कसायाया य उवओगाया य तहा कसायाया य दंसणाया य, कसायाया य चरित्ताया य दो वि परोप्परं भइयव्वाओ। जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियव्वाओ। एवं जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहिं समं भाणियव्वाओ। जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उवओगायाए वि उवरिल्लाहिं समं भाणियव्वा। जस्स नाणाया तस्स दंसणाया नियमं अत्थि, जस्स पुण दंसणाया तस्स नाणाया भयणाए। जस्स नाणाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण चरित्ताया तस्स नाणाया नियमं अत्थि। नाणाया वीरियाया दो वि परोप्परं भयणाए। जस्स दंसणाया तस्स उवरिमाओ दो वि भयणाए, जस्स पुण ताओ तस्स दंसणाया नियमं अत्थि। जस्स पुण चरित्ताया तस्स वीरियाया नियमं अत्थि, जस्स पुण वीरियाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि। एयासि णं भंते! दवियायाणं, कसायायाणं जाव वीरियायाणं य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवाओ चरित्तायाओ, नाणायाओ अनंतगुणाओ, कसायायाओ अनंतगुणाओ, जोगायाओ विसेसाहियाओ, वीरियायाओ विसेसाहियाओ, उवओगदविय-दंसणायाओ तिन्नि वि तुल्लाओ विसेसाहियाओ।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! आत्मा कितने प्रकार की कही गई है ? गौतम ! आत्मा आठ प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार – द्रव्यात्मा, कषायात्मा, योग – आत्मा, उपयोग – आत्मा, ज्ञान – आत्मा, दर्शन – आत्मा, चारित्र – आत्मा और वीर्यात्मा। भगवन्‌ ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, क्या उसके कषायात्मा होती है और जिसके कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके कषायात्मा कदाचित्‌ होती है और कदाचित्‌ नहीं भी होती। किन्तु जिसके कषायात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है। भगवन्‌ ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, क्या उसके योग – आत्मा होती है और जिसके योग – आत्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा होती है ? गौतम ! द्रव्यात्मा और कषायात्मा के समान द्रव्यात्मा और योग – आत्मा का सम्बन्ध कहना। इसी प्रकार शेष सभी आत्माओं के द्रव्यात्मा के सम्बन्ध में प्रश्न। गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके उपयोगात्मा अवश्य होती है और जिसके उपयोगात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है उसके ज्ञानात्मा भजना और जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्यमेव होती है तथा जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा भी अवश्य होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा भजना से होती है, जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके वीर्य – आत्मा भजना से होती है, किन्तु जिसके वीर्य – आत्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है। भगवन्‌ ! जिसके कषायात्मा होती है, क्या उसके योगात्मा होती है ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! जिसके कषायात्मा होती है, उसके योग – आत्मा अवश्य होती है, किन्तु जिसके योग – आत्मा होती है, उसके कषायात्मा भजना से होती है। इसी प्रकार उपयोगात्मा के साथ भी कषायात्मा का सम्बन्ध समझ लेना। कषायात्मा और ज्ञानात्मा का परस्पर सम्बन्ध भजना से कहना। कषायात्मा और उपयोगात्मा के समान ही कषायात्मा और दर्शनात्मा को कहना। कषायात्मा और चारित्रात्मा का (सम्बन्ध) भजना से कहना। कषायात्मा और योगात्मा के समान ही कषायात्मा और वीर्यात्मा के सम्बन्ध कहना। कषायात्मा के साथ अन्य छह आत्माओं के पारस्परिक सम्बन्ध के समान योगात्मा के साथ भी आगे की पाँच आत्माओं के परस्पर सम्बन्ध समझना। द्रव्यात्मा की वक्तव्यता अनुसार उपयोगात्मा की वक्तव्यता भी आगे की चार आत्माओं के साथ कहनी चाहिए। जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है और जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा भजना से होती है। जिसके ज्ञानात्मा होती है, उसके चरित्रात्मा भजना से होती है और जिसके चरित्रात्मा होती है, उसके ज्ञानात्मा अवश्य होती है। ज्ञानात्मा और वीर्यात्मा इन दोनों का परस्पर – सम्बन्ध भजना से कहना। जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा, ये दोनों भजना से होती है; किन्तु जिसके चारित्रात्मा और वीर्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्य होती है। जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके वीर्यात्मा अवश्य होती है, किन्तु जिसके वीर्यात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा भजना से होत है। भगवन्‌ ! द्रव्यात्मा, कषायात्मा यावत्‌ वीर्यात्मा – इनमें से कौन – सी आत्मा, किससे अल्प, बहुत, यावत्‌ विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़ी चारित्रात्माएं हैं, उनसे ज्ञानात्माएं अनन्तगुणी हैं, उनसे कषायात्माएं अनन्त – गुणी हैं, उनसे योगात्माएं विशेषाधिक हैं, उनसे वीर्यात्माएं विशेषाधिक हैं, उनसे उपयोगात्मा, द्रव्यात्मा और दर्शनात्मा, ये तीनों विशेषाधिक हैं और तीनों तुल्य हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kativiha nam bhamte! Aya pannatta? Goyama! Atthaviha aya pannatta, tam jaha–daviyaya, kasayaya, jogaya, uvaogaya, nanaya, damsanaya, charittaya, viriyaya. Jassa nam bhamte! Daviyaya tassa kasayaya? Jassa kasayaya tassa daviyaya? Goyama! Jassa daviyaya tassa kasayaya siya atthi siya natthi, jassa puna kasayaya tassa daviyaya niyamam atthi. Jassa nam bhamte! Daviyaya tassa jogaya? Jassa jogaya tassa daviyaya? Goyama! Jassa daviyaya tassa jogaya siya atthi siya natthi, jassa puna jogaya tassa daviyaya niyamam atthi. Jassa nam bhamte! Daviyaya tassa uvaogaya? Jassa uvaogaya tassa daviyaya? –evam savvattha puchchha bhaniyavva. Goyama! Jassa daviyaya tassa uvaogaya niyamam atthi. Jassa vi uvaogaya tassa vi daviyaya niyamam atthi. Jassa daviyaya tassa nanaya bhayanae. Jassa puna nanaya tassa daviyaya niyamam atthi. Jassa daviyaya tassa damsanaya niyamam atthi. Jassa vi damsanaya tassa vi daviyaya niyamam atthi. Jassa daviyaya tassa charittaya bhayanae, jassa puna charittaya tassa daviyaya niyamam atthi. Jassa daviyaya tassa viriyaya bhayanae, jassa puna viriyaya tassa daviyaya niyamam atthi. Jassa nam bhamte! Kasayaya tassa jogaya–puchchha. Goyama! Jassa kasayaya tassa jogaya niyamam atthi, jassa puna jogaya tassa kasayaya siya atthi siya natthi. Evam uvaogayae vi samam kasayaya neyavva. Kasayaya ya nanaya ya paropparam do vi bhaiyavvao. Jaha kasayaya ya uvaogaya ya taha kasayaya ya damsanaya ya, kasayaya ya charittaya ya do vi paropparam bhaiyavvao. Jaha kasayaya ya jogaya ya taha kasayaya ya viriyaya ya bhaniyavvao. Evam jaha kasayayae vattavvaya bhaniya taha jogayae vi uvarimahim samam bhaniyavvao. Jaha daviyayae vattavvaya bhaniya taha uvaogayae vi uvarillahim samam bhaniyavva. Jassa nanaya tassa damsanaya niyamam atthi, jassa puna damsanaya tassa nanaya bhayanae. Jassa nanaya tassa charittaya siya atthi siya natthi, jassa puna charittaya tassa nanaya niyamam atthi. Nanaya viriyaya do vi paropparam bhayanae. Jassa damsanaya tassa uvarimao do vi bhayanae, jassa puna tao tassa damsanaya niyamam atthi. Jassa puna charittaya tassa viriyaya niyamam atthi, jassa puna viriyaya tassa charittaya siya atthi siya natthi. Eyasi nam bhamte! Daviyayanam, kasayayanam java viriyayanam ya kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! Savvatthovao charittayao, nanayao anamtagunao, kasayayao anamtagunao, jogayao visesahiyao, viriyayao visesahiyao, uvaogadaviya-damsanayao tinni vi tullao visesahiyao.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Atma kitane prakara ki kahi gai hai\? Gautama ! Atma atha prakara ki kahi gai hai, vaha isa prakara – dravyatma, kashayatma, yoga – atma, upayoga – atma, jnyana – atma, darshana – atma, charitra – atma aura viryatma. Bhagavan ! Jisake dravyatma hoti hai, kya usake kashayatma hoti hai aura jisake kashayatma hoti hai, usake dravyatma hoti hai\? Gautama ! Jisake dravyatma hoti hai, usake kashayatma kadachit hoti hai aura kadachit nahim bhi hoti. Kintu jisake kashayatma hoti hai, usake dravyatma avashya hoti hai. Bhagavan ! Jisake dravyatma hoti hai, kya usake yoga – atma hoti hai aura jisake yoga – atma hoti hai, usake dravyatma hoti hai\? Gautama ! Dravyatma aura kashayatma ke samana dravyatma aura yoga – atma ka sambandha kahana. Isi prakara shesha sabhi atmaom ke dravyatma ke sambandha mem prashna. Gautama ! Jisake dravyatma hoti hai, usake upayogatma avashya hoti hai aura jisake upayogatma hoti hai usake dravyatma avashyameva hoti hai. Jisake dravyatma hoti hai usake jnyanatma bhajana aura jisake jnyanatma hoti hai, usake dravyatma avashya hoti hai. Jisake dravyatma hoti hai, usake darshanatma avashyameva hoti hai tatha jisake darshanatma hoti hai, usake dravyatma bhi avashya hoti hai. Jisake dravyatma hoti hai, usake charitratma bhajana se hoti hai, jisake charitratma hoti hai, usake dravyatma avashya hoti hai. Jisake dravyatma hoti hai, usake virya – atma bhajana se hoti hai, kintu jisake virya – atma hoti hai, usake dravyatma avashyameva hoti hai. Bhagavan ! Jisake kashayatma hoti hai, kya usake yogatma hoti hai\? Ityadi prashna. Gautama ! Jisake kashayatma hoti hai, usake yoga – atma avashya hoti hai, kintu jisake yoga – atma hoti hai, usake kashayatma bhajana se hoti hai. Isi prakara upayogatma ke satha bhi kashayatma ka sambandha samajha lena. Kashayatma aura jnyanatma ka paraspara sambandha bhajana se kahana. Kashayatma aura upayogatma ke samana hi kashayatma aura darshanatma ko kahana. Kashayatma aura charitratma ka (sambandha) bhajana se kahana. Kashayatma aura yogatma ke samana hi kashayatma aura viryatma ke sambandha kahana. Kashayatma ke satha anya chhaha atmaom ke parasparika sambandha ke samana yogatma ke satha bhi age ki pamcha atmaom ke paraspara sambandha samajhana. Dravyatma ki vaktavyata anusara upayogatma ki vaktavyata bhi age ki chara atmaom ke satha kahani chahie. Jisake jnyanatma hoti hai, usake darshanatma avashya hoti hai aura jisake darshanatma hoti hai, usake jnyanatma bhajana se hoti hai. Jisake jnyanatma hoti hai, usake charitratma bhajana se hoti hai aura jisake charitratma hoti hai, usake jnyanatma avashya hoti hai. Jnyanatma aura viryatma ina donom ka paraspara – sambandha bhajana se kahana. Jisake darshanatma hoti hai, usake charitratma aura viryatma, ye donom bhajana se hoti hai; kintu jisake charitratma aura viryatma hoti hai, usake darshanatma avashya hoti hai. Jisake charitratma hoti hai, usake viryatma avashya hoti hai, kintu jisake viryatma hoti hai, usake charitratma bhajana se hota hai. Bhagavan ! Dravyatma, kashayatma yavat viryatma – inamem se kauna – si atma, kisase alpa, bahuta, yavat visheshadhika hai\? Gautama ! Sabase thori charitratmaem haim, unase jnyanatmaem anantaguni haim, unase kashayatmaem ananta – guni haim, unase yogatmaem visheshadhika haim, unase viryatmaem visheshadhika haim, unase upayogatma, dravyatma aura darshanatma, ye tinom visheshadhika haim aura tinom tulya haim.