Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Sr No : | 1003720 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-५ |
Translated Chapter : |
शतक-५ |
Section : | उद्देशक-२ वायु | Translated Section : | उद्देशक-२ वायु |
Sutra Number : | 220 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी–अत्थि णं भंते! ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति? हंता अत्थि। अत्थि णं भंते! पुरत्थिमे णं ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति? हंता अत्थि। एवं पच्चत्थिमे णं, दाहिणे णं, उत्तरे णं, उत्तर-पुरत्थिमे णं, दाहिणपच्चत्थिमे णं, दाहिण-पुरत्थिमे णं उत्तर-पच्चत्थिमेणं। जया णं भंते! पुरत्थिमे णं ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पच्चत्थिमे ण वि ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति; जया णं पच्चत्थिमे णं ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पुरत्थिमे ण वि? हंता गोयमा! जया णं पुरत्थिमे णं ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पच्चत्थिमे ण वि ईसिं पुरे वाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति; जया णं पच्चत्थिमे णं ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पुरत्थिमे ण वि ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति। एवं दिसासु, विदिसासु। अत्थि णं भंते! दीविच्चया ईसिं पुरेवाया? हंता अत्थि। अत्थि णं भंते! सामुद्दया ईसिं पुरेवाया? हंता अत्थि। जया णं भंते! दीविच्चया ईसिं पुरेवाया, तया णं सामुद्दया वि ईसिं पुरेवाया, जया णं सामुद्दया ईसिं पुरेवाया, तया णं दीविच्चया वि ईसिं पुरेवाया? नो इणट्ठे समट्ठे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–जया णं दीविच्चया ईसिं पुरेवाया, नो णं तया सामुद्दया ईसिं पुरेवाया, जया णं सामुद्दया ईसिं पुरेवाया, नो णं तया दीविच्चया ईसिं पुरेवाया? गोयमा! तेसि णं वायाणं अन्नमन्नविवच्चासेनं लवणसमुद्दे वेलं नाइक्कमइ। से तेणट्ठेणं जाव नो णं तया दीविच्चया ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति। अत्थि णं भंते! ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति? हंता अत्थि। कया णं भंते! ईसिं पुरेवाया जाव वायंति? गोयमा! जया णं वाउयाए अहारियं रियति, तया णं ईसिं पुरेवाया जाव वायंति। अत्थि णं भंते! ईसिं पुरेवाया? हंता अत्थि। कया णं भंते! ईसिं पुरेवाया? गोयमा! जया णं वाउयाए उत्तरकिरियं रियइ, तया णं ईसिं पुरेवाया जाव वायंति। अत्थि णं भंते! ईसिं पुरेवाया? हंता अत्थि। कया णं भंते! ईसिं पुरेवाया पत्था वाया? गोयमा! जया णं वाउकुमारा, वाउकुमारीओ वा अप्पणो परस्स वा तदुभयस्स वा अट्ठाए वाउकायं उदीरेंति तया णं ईसिं पुरेवाया जाव वायंति। वाउयाए णं भंते! वाउयायं चेव आणमंति वा? पाणमंति वा? ऊससंति वा? नीससंति वा? हंता गोयमा! वाउयाए णं वाउयाए चेव आणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा। वाउयाए णं भंते! वाउयाए चेव अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति? हंता गोयमा! वाउयाए णं वाउयाए चेव अनेगसयसहस्सखुत्तो उदाइत्ता-उदाइता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति। से भंते! किं पुट्ठे उद्दाति? अपुट्ठे उद्दाति? गोयमा! पुट्ठे उद्दाति, नो अपुट्ठे उद्दाति। से भंते! किं ससरीरी निक्खमइ? असरीरी निक्खमइ? गोयमा! सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–सिय ससरीरी निक्खमइ? सिय असरीरी निक्खमइ? गोयमा! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए। ओरालिय-वेउव्वियाइं विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ। | ||
Sutra Meaning : | राजगृह नगर में यावत् (श्री गौतमस्वामी ने) इस प्रकार पूछा – भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात (ओस आदि से कुछ स्निग्ध, या गीली हवा), पथ्यवात (वनस्पति आदि के लिए हितकर वायु), मन्दवात (धीमे – धीमे चलने वाली हवा), तथा महावात, प्रचण्ड तूफानी वायु बहती है ? हाँ, गौतम ! पूर्वोक्त वायु (हवाएं) बहती हैं। भगवन् ! पूर्व दिशा से ईषत्पुरोवात, पथ्यवात, मन्दवात और महावात बहती हैं ? हाँ, गौतम ! बहती हैं। इसी तरह पश्चिम में, दक्षिण में, उत्तर में, ईशानकोण में, आग्नेयकोण में, नैऋत्यकोण में और वायव्यकोण में (पूर्वोक्त वायु बहती है ) भगवन् ! जब पूर्व में ईषत्पुरोवात, पथ्यवात, मन्दवात और महावात बहती है, तब क्या पश्चिम में भी ईषत्पुरोवात आदि हवाएं बहती हैं ? और जब पश्चिम में ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती है, तब क्या पूर्व में भी बहती हैं ? हाँ, गौतम ! जब पूर्व में ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं, तब वे सब पश्चिम में भी बहती हैं, और जब पश्चिम में ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं, तब वे सब हवाएं पूर्व में भी बहती हैं। इसी प्रकार सब दिशाओं में भी उपर्युक्त कथन करना। इसी प्रकार समस्त विदिशाओं में भी उपर्युक्त आलापक कहना चाहिए। भगवन् ! क्या द्वीप में भी ईषत्पुरोवात आदि वायु होती हैं ? हाँ, गौतम ! होती हैं। भगवन् ! क्या समुद्र में भी ईषत्पुरोवात आदि हवाएं होती हैं ? हाँ, गौतम ! होती हैं। भगवन् ! जब द्वीप में ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती है, तब क्या सामुद्रिक ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती है? और जब सामुद्रिक ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती है, तब क्या द्वीपीय ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं ? हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। हवाएं बहती हैं, तब सामुद्रिक ईषत्पुरोवात आदि हवाएं नहीं बहतीं, और जब सामुद्रिक ईषत्पुरोवात आदि हवाएं बहती हैं, तब द्वीपीय ईषत्पुरोवात आदि हवाएं नहीं बहती ? गौतम ! ये सब वायु परस्पर व्यत्यासरूप से एवं पृथक् – पृथक् बहती हैं। साथ ही, वे वायु लवणसमुद्र की वेला का उल्लंघन नहीं करती। इस कारण यावत् वे वायु पूर्वोक्त रूप से बहती हैं। भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात, पथ्यवात, मन्दवात और महावात बहती हैं ? हाँ, गौतम ! (ये सब) बहती हैं। भगवन् ! ईषत्पुरोवात आदि वायु कब बहती हैं ? गौतम ! जब वायुकाय अपने स्वभावपूर्वक गति करता है, तब ईषत्पुरोवात आदि वायु यावत् बहती हैं। भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात आदि वायु हैं ? हाँ, गौतम ! हैं। भगवन् ! ईषत्पुरोवात आदि वायु (और भी) कभी चलती (बहती) हैं ? हे गौतम ! जब वायुकाय उत्तरक्रियापूर्वक (वैक्रिय शरीर बनाकर) गति करता है, तब (भी) ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती (चलती) हैं। भगवन् ! ईषत्पुरोवात आदि वायु (ही) हैं ? हाँ, गौतम ! वे (सब वायु ही) हैं। भगवन् ! ईषत्पुरोवात, पथ्यवात आदि (और) कब (किस समय में) चलती हैं ? गौतम ! जब वायुकुमार देव और वायुकुमार देवियाँ, अपने लिए, दूसरों के लिए या दोनों के लिए वायुकाय की उदीरणा करते हैं, तब ईषत्पुरोवात आदि वायु यावत् चलती (बहती) हैं। भगवन् ! क्या वायुकाय, वायुकाय को ही श्वासरूप में ग्रहण करता है और निःश्वासरूप में छोड़ता है ? गौतम! इस सम्बन्धमें स्कन्दक परिव्राजक के उद्देशकमें कहे अनुसार चार आलापक जानना चाहिए – यावत् (१) अनेक लाख बार मरकर, (२) स्पृष्ट होकर, (३) मरता है और (४) शरीर – सहित नीकलता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] rayagihe nagare java evam vayasi–atthi nam bhamte! Isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti? Hamta atthi. Atthi nam bhamte! Puratthime nam isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti? Hamta atthi. Evam pachchatthime nam, dahine nam, uttare nam, uttara-puratthime nam, dahinapachchatthime nam, dahina-puratthime nam uttara-pachchatthimenam. Jaya nam bhamte! Puratthime nam isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti, taya nam pachchatthime na vi isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti; jaya nam pachchatthime nam isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti, taya nam puratthime na vi? Hamta goyama! Jaya nam puratthime nam isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti, taya nam pachchatthime na vi isim pure vaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti; jaya nam pachchatthime nam isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti, taya nam puratthime na vi isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti. Evam disasu, vidisasu. Atthi nam bhamte! Divichchaya isim purevaya? Hamta atthi. Atthi nam bhamte! Samuddaya isim purevaya? Hamta atthi. Jaya nam bhamte! Divichchaya isim purevaya, taya nam samuddaya vi isim purevaya, jaya nam samuddaya isim purevaya, taya nam divichchaya vi isim purevaya? No inatthe samatthe. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–jaya nam divichchaya isim purevaya, no nam taya samuddaya isim purevaya, jaya nam samuddaya isim purevaya, no nam taya divichchaya isim purevaya? Goyama! Tesi nam vayanam annamannavivachchasenam lavanasamudde velam naikkamai. Se tenatthenam java no nam taya divichchaya isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti. Atthi nam bhamte! Isim purevaya pattha vaya mamda vaya mahavaya vayamti? Hamta atthi. Kaya nam bhamte! Isim purevaya java vayamti? Goyama! Jaya nam vauyae ahariyam riyati, taya nam isim purevaya java vayamti. Atthi nam bhamte! Isim purevaya? Hamta atthi. Kaya nam bhamte! Isim purevaya? Goyama! Jaya nam vauyae uttarakiriyam riyai, taya nam isim purevaya java vayamti. Atthi nam bhamte! Isim purevaya? Hamta atthi. Kaya nam bhamte! Isim purevaya pattha vaya? Goyama! Jaya nam vaukumara, vaukumario va appano parassa va tadubhayassa va atthae vaukayam udiremti taya nam isim purevaya java vayamti. Vauyae nam bhamte! Vauyayam cheva anamamti va? Panamamti va? Usasamti va? Nisasamti va? Hamta goyama! Vauyae nam vauyae cheva anamamti va, panamamti va, usasamti va, nisasamti va. Vauyae nam bhamte! Vauyae cheva anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva bhujjo-bhujjo pachchayati? Hamta goyama! Vauyae nam vauyae cheva anegasayasahassakhutto udaitta-udaita tattheva bhujjo-bhujjo pachchayati. Se bhamte! Kim putthe uddati? Aputthe uddati? Goyama! Putthe uddati, no aputthe uddati. Se bhamte! Kim sasariri nikkhamai? Asariri nikkhamai? Goyama! Siya sasariri nikkhamai, siya asariri nikkhamai. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–siya sasariri nikkhamai? Siya asariri nikkhamai? Goyama! Vauyayassa nam chattari sariraya pannatta, tam jaha–oralie veuvvie teyae kammae. Oraliya-veuvviyaim vippajahaya teyaya-kammaehim nikkhamai. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–siya sasariri nikkhamai, siya asariri nikkhamai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Rajagriha nagara mem yavat (shri gautamasvami ne) isa prakara puchha – bhagavan ! Kya ishatpurovata (osa adi se kuchha snigdha, ya gili hava), pathyavata (vanaspati adi ke lie hitakara vayu), mandavata (dhime – dhime chalane vali hava), tatha mahavata, prachanda tuphani vayu bahati hai\? Ham, gautama ! Purvokta vayu (havaem) bahati haim. Bhagavan ! Purva disha se ishatpurovata, pathyavata, mandavata aura mahavata bahati haim\? Ham, gautama ! Bahati haim. Isi taraha pashchima mem, dakshina mem, uttara mem, ishanakona mem, agneyakona mem, nairityakona mem aura vayavyakona mem (purvokta vayu bahati hai ) bhagavan ! Jaba purva mem ishatpurovata, pathyavata, mandavata aura mahavata bahati hai, taba kya pashchima mem bhi ishatpurovata adi havaem bahati haim\? Aura jaba pashchima mem ishatpurovata adi vayu bahati hai, taba kya purva mem bhi bahati haim\? Ham, gautama ! Jaba purva mem ishatpurovata adi vayu bahati haim, taba ve saba pashchima mem bhi bahati haim, aura jaba pashchima mem ishatpurovata adi vayu bahati haim, taba ve saba havaem purva mem bhi bahati haim. Isi prakara saba dishaom mem bhi uparyukta kathana karana. Isi prakara samasta vidishaom mem bhi uparyukta alapaka kahana chahie. Bhagavan ! Kya dvipa mem bhi ishatpurovata adi vayu hoti haim\? Ham, gautama ! Hoti haim. Bhagavan ! Kya samudra mem bhi ishatpurovata adi havaem hoti haim\? Ham, gautama ! Hoti haim. Bhagavan ! Jaba dvipa mem ishatpurovata adi vayu bahati hai, taba kya samudrika ishatpurovata adi vayu bahati hai? Aura jaba samudrika ishatpurovata adi vayu bahati hai, taba kya dvipiya ishatpurovata adi vayu bahati haim\? He gautama ! Yaha artha samartha nahim hai. Havaem bahati haim, taba samudrika ishatpurovata adi havaem nahim bahatim, aura jaba samudrika ishatpurovata adi havaem bahati haim, taba dvipiya ishatpurovata adi havaem nahim bahati\? Gautama ! Ye saba vayu paraspara vyatyasarupa se evam prithak – prithak bahati haim. Satha hi, ve vayu lavanasamudra ki vela ka ullamghana nahim karati. Isa karana yavat ve vayu purvokta rupa se bahati haim. Bhagavan ! Kya ishatpurovata, pathyavata, mandavata aura mahavata bahati haim\? Ham, gautama ! (ye saba) bahati haim. Bhagavan ! Ishatpurovata adi vayu kaba bahati haim\? Gautama ! Jaba vayukaya apane svabhavapurvaka gati karata hai, taba ishatpurovata adi vayu yavat bahati haim. Bhagavan ! Kya ishatpurovata adi vayu haim\? Ham, gautama ! Haim. Bhagavan ! Ishatpurovata adi vayu (aura bhi) kabhi chalati (bahati) haim\? He gautama ! Jaba vayukaya uttarakriyapurvaka (vaikriya sharira banakara) gati karata hai, taba (bhi) ishatpurovata adi vayu bahati (chalati) haim. Bhagavan ! Ishatpurovata adi vayu (hi) haim\? Ham, gautama ! Ve (saba vayu hi) haim. Bhagavan ! Ishatpurovata, pathyavata adi (aura) kaba (kisa samaya mem) chalati haim\? Gautama ! Jaba vayukumara deva aura vayukumara deviyam, apane lie, dusarom ke lie ya donom ke lie vayukaya ki udirana karate haim, taba ishatpurovata adi vayu yavat chalati (bahati) haim. Bhagavan ! Kya vayukaya, vayukaya ko hi shvasarupa mem grahana karata hai aura nihshvasarupa mem chhorata hai\? Gautama! Isa sambandhamem skandaka parivrajaka ke uddeshakamem kahe anusara chara alapaka janana chahie – yavat (1) aneka lakha bara marakara, (2) sprishta hokara, (3) marata hai aura (4) sharira – sahita nikalata hai. |