Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003640 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२ |
Translated Chapter : |
शतक-२ |
Section : | उद्देशक-८ चमरचंचा | Translated Section : | उद्देशक-८ चमरचंचा |
Sutra Number : | 140 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता? गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अरणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ अरुणोदयं समुद्दं बायालीसं जोयणसयसहस्साइं ओगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तिगिंछिकूडे नामं उप्पायपव्वए पन्नत्ते–सत्तरस-एक्कवीसे जोयणसए उड्ढं उच्चत्तेणं चत्तारितीसे जोयणसए कोसं च उव्वेहेणं मूले दसबावीसे जोयणसए विक्खंभेणं, मज्झे चत्तारि चउवीसे जोयणसए विक्खंभेणं, उवरिं सत्ततेवीसे जोयणसए विक्खंभेणं मूले तिन्नि जोयणसहस्साइं, दोन्निय बत्तीसुत्तरे जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, मज्झे एगं जोयणसहस्सं तिन्नि य इगयाले जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, उवरिं दोन्निय जोयणसहस्साइं, दोन्निय छलसीए जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं, मूले वित्थडे, मज्झे संखित्ते, उप्पिं विसाले, वरवइरविग्गहिए महामउंदसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे सण्हे लण्हे घट्ठे मट्ठे निरए निम्मले निप्पंके निक्कंकडच्छाए सप्पभे समिरिईए सउज्जोए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए, वनसंडेण य सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते। पउमवरवेइयाए वणसंडस्स य वण्णओ। तस्स णं तिगिंछिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स उप्पिं बहुसम-रमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते–वण्णओ। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पन्नत्ते– अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, पणुवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं। पासायवण्णओ। उल्लोयभूमिवण्णओ। अट्ठजोयणाइं मणिपेढिया। चमरस्स सीहासणं सपरिवारं भाणियव्वं। तस्स णं तिगिंछिकूडस्स दाहिणे णं छक्कोडिसए पणवन्नं च कोडीओ पणतीसं च सयसहस्साइं पण्णासं च सहस्साइं अरुणोदए समुद्दे तिरियं वीइवइत्ता अहे रयणप्पभाए पुढवीए चत्तालीसं जोयणसहस्साइं, ओगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असु-रिंदस्स असुरकुमाररन्नो चमरचंचा नामं रायहानी पन्नत्ता एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं जंबूदीवप्पमाणा। ओवारियलेणं सोलसजोयणसहस्साइं आयाम-विक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साइं पंच य सत्ताणउए जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, सव्वप्पमाणं वेमानियप्पमाणस्स अद्धं नेयव्वं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! असुरकुमारों के इन्द्र और अनेक राजा चमर की सुधर्मा – सभा कहाँ पर है ? गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मध्य में स्थित मन्दर (मेरु) पर्वत से दक्षिण दिशा में तीरछे असंख्य द्वीपों और समुद्रों को लाँघने के बाद अरुणवर द्वीप आता है। उस द्वीप की वेदिका के बाहिरी किनारे से आगे बढ़ने पर अरुणोदय नामक समुद्र आता है। इस अरुणोदय समुद्र में बयालीस लाख योजन जाने के बाद उस स्थान में असुरकुमारों के इन्द्र, असुर – कुमारों के राजा चमर का तिगिच्छकूट नामक उत्पात पर्वत है। उसकी ऊंचाई १७२१ योजन है। उसक उद्वेध ४३० योजन और एक कोस है। (अर्थात् – तिगिच्छकूट पर्वत का विष्कम्भ मूल में १०२२ योजन है, मध्य में ४२४ योजन है और ऊपर को विष्कम्भ ७२३ योजन है। उसका परिक्षेप मूल में ३२३२ योजन से कुछ विशेषोन है, मध्य में १३४१ योजन तथा कुछ विशेषोन है और ऊपर का परिक्षेप २२८६ योजन तथा कुछ विशेषाधिक है।) वह मूल में विस्तृत है, मध्य में संकीर्ण है और ऊपर फिर विस्तृत है। उसके बीच का भाग उत्तम वज्र जैसा है, बड़े मुकुन्द के संस्थान का – सा आकार है। पर्वत पूरा रत्नमय है, सुन्दर है, यावत् प्रतिरूप है। वह पर्वत एक पद्मवरवेदिका से और एक वखनण्ड से चारों ओर से घिरा हुआ है। उस तिगिच्छकूट नामक उत्पातपर्वत का ऊपरी भू – भाग बहुत ही सम एवं रमणीय है। उस अत्यन्त सम एवं रमणीय ऊपरी भूमिभाग के ठीक बीचोबीच एक महान प्रासादावतंसक है। उसकी ऊंचाई २५० योजन है और उसका विष्कम्भ १२५ योजन है। आठ योजन की मणिपीठिका है। (यहाँ चमरेन्द्र के सिंहासन का वर्णन करना चाहिए।) उस तिगिच्छकूट के दक्षिण की ओर अरुणोदय समुद्र में छह सौ पचपन करोड़ पैंतीस लाख, पचास हजार योजन तीरछा जाने के बाद नीचे रत्नप्रभापृथ्वी का ४० हजार योजन भाग अवगाहन करने के पश्चात् यहाँ असुर – कुमारों के इन्द्र – राजा चमर की चमरचंचा नामकी राजधानी है। उस राजधानी का आयाम और विष्कम्भ एक लाख योजन है। वह राजधानी जम्बूद्वीप जितनी है। उसका प्राकार १५० योजन ऊंचा है। उसके मूल का विष्कम्भ ५० योजन है। उसके ऊपरी भाग का विष्कम्भ साढ़े तेरह योजन है। उसके कंगूरों की लम्बाई आधा योजन और विष्कम्भ एक कोस है। कपिशीर्षकों की ऊंचाई आधे योजन से कुछ कम है। उसकी एक – एक भूजा में पाँच – पाँच सौ दरवाजे हैं। उसकी ऊंचाई २५० योजन है। ऊपरी तल का आयाम और विष्कम्भ सोलह हजार योजन है। उसका परिक्षेप ५०५९७ योजन से कुछ विशेषोन है। यहाँ समग्र प्रमाण वैमानिक के प्रमाण से आधा समझना चाहिए। उत्तर पूर्व में सुधर्मासभा, जिनगृह, उसके पश्चात् उपपातसभा, हृद, अभिषेक सभा और अलंकारसभा; यह सारा वर्णन विजय की तरह कहना चाहिए। उपपात, संकल्प, अभिषेक, विभूषणा, व्यवसाय, अर्चनिका और सिद्धायतन – सम्बन्धी गम, तथा चमरेन्द्र का परिवार और उसकी ऋद्धिसम्पन्नता; आदि का वर्णन समझ लेना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Chamarassa asurimdassa asurakumararanno sabha suhamma pannatta? Goyama! Jambuddive dive mamdarassa pavvayassa dahine nam tiriyamasamkhejje divasamudde viivaitta aranavarassa divassa bahirillao veiyamtao arunodayam samuddam bayalisam joyanasayasahassaim ogahitta, ettha nam chamarassa asurimdassa asurakumararanno tigimchhikude namam uppayapavvae pannatte–sattarasa-ekkavise joyanasae uddham uchchattenam chattaritise joyanasae kosam cha uvvehenam mule dasabavise joyanasae vikkhambhenam, majjhe chattari chauvise joyanasae vikkhambhenam, uvarim sattatevise joyanasae vikkhambhenam mule tinni joyanasahassaim, donniya battisuttare joyanasae kimchi visesune parikkhevenam, majjhe egam joyanasahassam tinni ya igayale joyanasae kimchi visesune parikkhevenam, uvarim donniya joyanasahassaim, donniya chhalasie joyanasae kimchi visesahie parikkhevenam, mule vitthade, majjhe samkhitte, uppim visale, varavairaviggahie mahamaumdasamthanasamthie savvarayanamae achchhe sanhe lanhe ghatthe matthe nirae nimmale nippamke nikkamkadachchhae sappabhe samiriie saujjoe pasadie darisanijje abhiruve padiruve. Se nam egae paumavaraveiyae, vanasamdena ya savvao samamta samparikkhitte. Paumavaraveiyae vanasamdassa ya vannao. Tassa nam tigimchhikudassa uppayapavvayassa uppim bahusama-ramanijje bhumibhage pannatte–vannao. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhage, ettha nam maham ege pasayavademsae pannatte– addhaijjaim joyanasayaim uddham uchchattenam, panuvisam joyanasayam vikkhambhenam. Pasayavannao. Ulloyabhumivannao. Atthajoyanaim manipedhiya. Chamarassa sihasanam saparivaram bhaniyavvam. Tassa nam tigimchhikudassa dahine nam chhakkodisae panavannam cha kodio panatisam cha sayasahassaim pannasam cha sahassaim arunodae samudde tiriyam viivaitta ahe rayanappabhae pudhavie chattalisam joyanasahassaim, ogahitta, ettha nam chamarassa asu-rimdassa asurakumararanno chamarachamcha namam rayahani pannatta egam joyanasayasahassam ayama-vikkhambhenam jambudivappamana. Ovariyalenam solasajoyanasahassaim ayama-vikkhambhenam, pannasam joyanasahassaim pamcha ya sattanaue joyanasae kimchi visesune parikkhevenam, savvappamanam vemaniyappamanassa addham neyavvam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Asurakumarom ke indra aura aneka raja chamara ki sudharma – sabha kaham para hai\? Gautama ! Jambudvipa namaka dvipa ke madhya mem sthita mandara (meru) parvata se dakshina disha mem tirachhe asamkhya dvipom aura samudrom ko lamghane ke bada arunavara dvipa ata hai. Usa dvipa ki vedika ke bahiri kinare se age barhane para arunodaya namaka samudra ata hai. Isa arunodaya samudra mem bayalisa lakha yojana jane ke bada usa sthana mem asurakumarom ke indra, asura – kumarom ke raja chamara ka tigichchhakuta namaka utpata parvata hai. Usaki umchai 1721 yojana hai. Usaka udvedha 430 yojana aura eka kosa hai. (arthat – tigichchhakuta parvata ka vishkambha mula mem 1022 yojana hai, madhya mem 424 yojana hai aura upara ko vishkambha 723 yojana hai. Usaka parikshepa mula mem 3232 yojana se kuchha visheshona hai, madhya mem 1341 yojana tatha kuchha visheshona hai aura upara ka parikshepa 2286 yojana tatha kuchha visheshadhika hai.) vaha mula mem vistrita hai, madhya mem samkirna hai aura upara phira vistrita hai. Usake bicha ka bhaga uttama vajra jaisa hai, bare mukunda ke samsthana ka – sa akara hai. Parvata pura ratnamaya hai, sundara hai, yavat pratirupa hai. Vaha parvata eka padmavaravedika se aura eka vakhananda se charom ora se ghira hua hai. Usa tigichchhakuta namaka utpataparvata ka upari bhu – bhaga bahuta hi sama evam ramaniya hai. Usa atyanta sama evam ramaniya upari bhumibhaga ke thika bichobicha eka mahana prasadavatamsaka hai. Usaki umchai 250 yojana hai aura usaka vishkambha 125 yojana hai. Atha yojana ki manipithika hai. (yaham chamarendra ke simhasana ka varnana karana chahie.) Usa tigichchhakuta ke dakshina ki ora arunodaya samudra mem chhaha sau pachapana karora paimtisa lakha, pachasa hajara yojana tirachha jane ke bada niche ratnaprabhaprithvi ka 40 hajara yojana bhaga avagahana karane ke pashchat yaham asura – kumarom ke indra – raja chamara ki chamarachamcha namaki rajadhani hai. Usa rajadhani ka ayama aura vishkambha eka lakha yojana hai. Vaha rajadhani jambudvipa jitani hai. Usaka prakara 150 yojana umcha hai. Usake mula ka vishkambha 50 yojana hai. Usake upari bhaga ka vishkambha sarhe teraha yojana hai. Usake kamgurom ki lambai adha yojana aura vishkambha eka kosa hai. Kapishirshakom ki umchai adhe yojana se kuchha kama hai. Usaki eka – eka bhuja mem pamcha – pamcha sau daravaje haim. Usaki umchai 250 yojana hai. Upari tala ka ayama aura vishkambha solaha hajara yojana hai. Usaka parikshepa 50597 yojana se kuchha visheshona hai. Yaham samagra pramana vaimanika ke pramana se adha samajhana chahie. Uttara purva mem sudharmasabha, jinagriha, usake pashchat upapatasabha, hrida, abhisheka sabha aura alamkarasabha; yaha sara varnana vijaya ki taraha kahana chahie. Upapata, samkalpa, abhisheka, vibhushana, vyavasaya, archanika aura siddhayatana – sambandhi gama, tatha chamarendra ka parivara aura usaki riddhisampannata; adi ka varnana samajha lena. |