Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003593 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-१ |
Section : | उद्देशक-८ बाल | Translated Section : | उद्देशक-८ बाल |
Sutra Number : | 93 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जीवा णं भंते! किं सवीरिया? अवीरिया? गोयमा! सवीरिया वि, अवीरिया वि। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–जीवा सवीरिया वि? अवीरिया वि? गोयमा! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–संसारसमावन्नगा य, असंसारसमावन्नगा य। तत्थ णं जे ते असंसारसमावन्नगा ते णं सिद्धा। सिद्धा णं अवीरिया। तत्थ णं जे ते संसार-समावन्नगा ते दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सेलेसिपडिवन्नगा य, असेलेसिपडिवन्नगा य। तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवन्नगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवन्नगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि, अवीरिया वि। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–जीवा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सवीरिया वि, अवीरिया वि। नेरइया णं भंते! किं सवीरिया? अवीरिया? गोयमा! नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया य, अवीरिया य। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ– नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया? करणवीरिएणं सवीरिया य? अवीरिया य? गोयमा! जेसि णं नेरइयाणं अत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे, ते णं नेरइया लद्धिवीरिएण वि सवीरिया, कर-णवीरिएण वि सवीरिया। जेसि णं नेरइयाणं नत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे, ते णं नेरइया लद्धि-वीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया। करणवीरिएणं सवीरिया य, अवीरिया य। जहा नेरइया एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया। मनुस्सा णं भंते! किं सवीरिया? अवीरिया? गोयमा! सवीरिया वि, अवीरिया वि। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–मनुस्सा सवीरिया वि? अवीरिया वि? गोयमा! मनुस्सा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सेलेसिपडिवन्नगा य, असेलेसिपडिवन्नगा य। तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवन्नगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवन्नगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि, अवीरिया वि। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–मनुस्सा सवीरिया वि, अवीरिया वि। वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा नेरइया। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या जीव सवीर्य है अथवा अवीर्य है ? गौतम ! जीव सवीर्य भी है अवीर्य भी है। भगवन् ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं ? गौतम ! जीव दो प्रकार के हैं – संसारसमापन्नक और असंसारसमापन्नक। जो जीव असंसारसमापन्नक हैं, वे सिद्ध जीव हैं, वे अवीर्य हैं। जो जीव संसार – समापन्नक हैं, वे दो प्रकार के हैं, शैलेशी – प्रतिपन्न और अशैलेशीप्रतिपन्न। इनमें जो शैलेशीप्रतिपन्न हैं, वे लब्धिवीर्य की अपेक्षा सवीर्य हैं और करणवीर्य की अपेक्षा अवीर्य हैं। जो अशैलेशीप्रतिपन्न हैं वे लब्धिवीर्य की अपेक्षा सवीर्य हैं, किन्तु करणवीर्य की अपेक्षा सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं। इसलिए हे गौतम ! जीव सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी। भगवन् ! क्या नारक जीव सवीर्य हैं या अवीर्य ? गौतम ! नारक जीव लब्धिवीर्य की अपेक्षा सवीर्य हैं और करणवीर्य की अपेक्षा सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं। भगवन् ! इसका क्या कारण है ? गौतम ! जिन नैरयिकों में उत्थान, कर्म, बल, वीर्य और पुरुषकार पराक्रम हैं, वे नारक लब्धिवीर्य और करणवीर्य, दोनों से सवीर्य हैं, और जो नारक उत्थान, कर्म, बल, वीर्य, पुरुषकार – पराक्रम से रहित हैं, वे लब्धिवीर्य से सवीर्य हैं, किन्तु करणवीर्य से अवीर्य हैं। इसलिए हे गौतम ! इस कारण से पूर्वोक्त कथन किया गया है। जिस प्रकार नैरयिकों के विषय में कथन किया गया है, उसी प्रकार पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक तक के जीवों के लिए समझना चाहिए। मनुष्यों के विषय में सामान्य जीवों के समान समझना चाहिए, विशेषता यह है कि सिद्धों को छोड़ देना चाहिए। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के विषय में नैरयिकों के समान कथन समझना चाहिए। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jiva nam bhamte! Kim saviriya? Aviriya? Goyama! Saviriya vi, aviriya vi. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–jiva saviriya vi? Aviriya vi? Goyama! Jiva duviha pannatta, tam jaha–samsarasamavannaga ya, asamsarasamavannaga ya. Tattha nam je te asamsarasamavannaga te nam siddha. Siddha nam aviriya. Tattha nam je te samsara-samavannaga te duviha pannatta, tam jaha–selesipadivannaga ya, aselesipadivannaga ya. Tattha nam je te selesipadivannaga te nam laddhivirienam saviriya, karanavirienam aviriya. Tattha nam je te aselesipadivannaga te nam laddhivirienam saviriya, karanavirienam saviriya vi, aviriya vi. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–jiva duviha pannatta, tam jaha–saviriya vi, aviriya vi. Neraiya nam bhamte! Kim saviriya? Aviriya? Goyama! Neraiya laddhivirienam saviriya, karanavirienam saviriya ya, aviriya ya. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai– neraiya laddhivirienam saviriya? Karanavirienam saviriya ya? Aviriya ya? Goyama! Jesi nam neraiyanam atthi utthane kamme bale virie purisakkaraparakkame, te nam neraiya laddhiviriena vi saviriya, kara-naviriena vi saviriya. Jesi nam neraiyanam natthi utthane kamme bale virie purisakkaraparakkame, te nam neraiya laddhi-virienam saviriya, karanavirienam aviriya. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–neraiya laddhivirienam saviriya. Karanavirienam saviriya ya, aviriya ya. Jaha neraiya evam java pamchimdiyatirikkhajoniya. Manussa nam bhamte! Kim saviriya? Aviriya? Goyama! Saviriya vi, aviriya vi. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–manussa saviriya vi? Aviriya vi? Goyama! Manussa duviha pannatta, tam jaha–selesipadivannaga ya, aselesipadivannaga ya. Tattha nam je te selesipadivannaga te nam laddhivirienam saviriya, karanavirienam aviriya. Tattha nam je te aselesipadivannaga te nam laddhivirienam saviriya, karanavirienam saviriya vi, aviriya vi. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai–manussa saviriya vi, aviriya vi. Vanamamtara-jotisa-vemaniya jaha neraiya. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti java viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya jiva savirya hai athava avirya hai\? Gautama ! Jiva savirya bhi hai avirya bhi hai. Bhagavan ! Kisa karana se apa aisa kahate haim\? Gautama ! Jiva do prakara ke haim – samsarasamapannaka aura asamsarasamapannaka. Jo jiva asamsarasamapannaka haim, ve siddha jiva haim, ve avirya haim. Jo jiva samsara – samapannaka haim, ve do prakara ke haim, shaileshi – pratipanna aura ashaileshipratipanna. Inamem jo shaileshipratipanna haim, ve labdhivirya ki apeksha savirya haim aura karanavirya ki apeksha avirya haim. Jo ashaileshipratipanna haim ve labdhivirya ki apeksha savirya haim, kintu karanavirya ki apeksha savirya bhi haim aura avirya bhi haim. Isalie he gautama ! Jiva savirya bhi haim aura avirya bhi. Bhagavan ! Kya naraka jiva savirya haim ya avirya\? Gautama ! Naraka jiva labdhivirya ki apeksha savirya haim aura karanavirya ki apeksha savirya bhi haim aura avirya bhi haim. Bhagavan ! Isaka kya karana hai\? Gautama ! Jina nairayikom mem utthana, karma, bala, virya aura purushakara parakrama haim, ve naraka labdhivirya aura karanavirya, donom se savirya haim, aura jo naraka utthana, karma, bala, virya, purushakara – parakrama se rahita haim, ve labdhivirya se savirya haim, kintu karanavirya se avirya haim. Isalie he gautama ! Isa karana se purvokta kathana kiya gaya hai. Jisa prakara nairayikom ke vishaya mem kathana kiya gaya hai, usi prakara pamchendriya tiryamchayonika taka ke jivom ke lie samajhana chahie. Manushyom ke vishaya mem samanya jivom ke samana samajhana chahie, visheshata yaha hai ki siddhom ko chhora dena chahie. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanika devom ke vishaya mem nairayikom ke samana kathana samajhana chahie. He bhagavan ! Yaha isi prakara hai. |