Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003543
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१

Translated Chapter :

शतक-१

Section : उद्देशक-३ कांक्षा प्रदोष Translated Section : उद्देशक-३ कांक्षा प्रदोष
Sutra Number : 43 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से नूनं भंते! अप्पणा चेव उदीरेति? अप्पणा चेव गरहति? अप्पणा चेव संवरेति? हंता गोयमा! अप्पणा चेव उदीरेति। अप्पणा चेव गरहति। अप्पणा चेव संवरेति। जं णं भंते! अप्पणा चेव उदीरेति, अप्पणा चेव गरहति, अप्पणा चेव संवरेति, तं किं–१. उदिण्णं उदीरेति? २. अनुदिण्णं उदीरेति? ३. अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति? ४. उदयानंतर-पच्छाकडं कम्मं उदीरेति? गोयमा! १. नो उदिण्णं उदीरेति। २. नो अनुदिण्णं उदीरेति। ३. अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति। ४. नो उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं उदीरेति। जं णं भंते! अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति, तं किं उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कारपरक्कमेणं अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति? उदाहु तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति? गोयमा! तं उट्ठाणेणं वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति। नो तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कार-परक्कमेणं अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति। एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा। से नूनं भंते! अप्पणा चेव उवसामेइ? अप्पणा चेव गरहइ? अप्पणा चेव संवरेइ? हंता गोयमा! अप्पणा चेव उवसामेइ। अप्पणा चेव गरहइ। अप्पणा चेव संवरेइ। जं णं भंते! अप्पणा चेव उवसामेइ, अप्पणा चेव गरहति, अप्पणा चेव संवरेति, तं किं– १. उदिण्णं उवसामेइ? २. अनुदिण्णं उवसामेइ? ३. अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उवसामेइ? ४. उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं उवसामेइ? गोयमा! १. नो उदिण्णं उवसामेइ। २. अनुदिण्णं उवसामेइ। ३. नो अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उवसामेइ। ४. नो उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं उवसामेइ। जं णं भंते! अनुदिण्णं उवसामेइ, तं किं उट्ठाणेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कारपरक्कमेणं अनुदिण्णं उवसामेइ? उदाहु तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कार-परक्कमेणं अनुदिण्णं उवसामेइ? गोयमा! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि अनुदिण्णं उवसामेइ। नो तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अनुदिण्णं उवसामेइ। एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा। से नूनं भंते! अप्पणा चेव वेदेति? अप्पणा चेव गरहति? हंता गोयमा! अप्पणा चेव वेदेति। अप्पणा चेव गरहति। जं णं भंते! अप्पणा चेव वेदेति, अप्पणा चेव गरहति तं किं– १. उदिण्णं वेदेति? २. अनुदिण्णं वेदेति? ३. अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं वेदेति? ४. उदयानंतर-पच्छाकडं कम्मं वेदेति? गोयमा! १. उदिण्णं वेदेति। २. नो अनुदिण्णं वेदेति। ३. नो अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं वेदेति। ४. नो उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं वेदेति। जं णं भंते! उदिण्णं वेदेति तं किं उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कारपरक्कमेणं उदिण्णं वेदेति? उदाहु तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदिण्णं वेदेति? गोयमा! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि उदिण्णं वेदेति। नो तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदिण्णं वेदेति। एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा। से नूनं भंते! अप्पणा चेव निज्जरेति? अप्पणा चेव गरहति? हंता गोयमा! अप्पणा चेव निज्जरेति। अप्पणा चेव गरहति। जं णं भंते! अप्पणा चेव निज्जरेति, अप्पणा चेव गरहति, तं किं– १. उदिण्णं निज्जरेति? २. अनुदिण्णं निज्जरेति? ३. अनुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं निज्जरेति? ४. उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति? गोयमा! १. नो उदिण्णं निज्जरेति। २. नो अनुदिण्णं निज्जरेति। ३. नो अनुदिण्णं उदीरणा-भवियं कम्मं निज्जरेति। ४. उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति। जं णं भंते! उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति तं किं उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कारपरक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति? उदाहु तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति? गोयमा! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि उदयानंतर पच्छाकडं कम्मं निज्जरेति। नो तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कार-परक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति। एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! क्या जीव अपने आपसे ही उस (कांक्षामोहनीय कर्म) की उदीरणा करता है, अपने आप से ही उसकी गर्हा करता है और अपने आप से ही उसका संवर करता है ? हाँ, गौतम ! जीव अपने आप से ही उसकी उदीरणा, गर्हा और संवर करता है। भगवन्‌ ! वह जो अपने आप से ही उसकी उदीरणा करता है, गर्हा करता है और संवर करता है, तो क्या उदीर्ण की उदीरणा करता है ? अनुदीर्ण की उदीरणा करता है ? या अनुदीर्ण उदीरणाभविक कर्म की उदीरणा करता है ? अथवा उदयानन्तर पश्चात्‌कृत कर्म की उदीरणा करता है ? गौतम ! उदीर्ण की उदीरणा नहीं करता, अनुदीर्ण की भी उदीरणा नहीं करता, तथा उदयानन्तर पश्चात्कृत कर्म की भी उदीरणा नहीं करता, किन्तु अनुदीर्ण – उदीरणाभविक कर्म की उदीरणा करता है। भगवन्‌ ! यदि जीव अनुदीर्ण – उदीरणाभविक की उदीरणा करता है, तो क्या उत्थान से, कर्म से, बल से, वीर्य से और पुरुषकार – पराक्रम से उदीरणा करता है, अथवा अनुत्थान से, अकर्म से, अबल से, अवीर्य से और अपुरुषकार – पराक्रम से उदीरणा करता है ? गौतम ! वह अनुदीर्ण – उदीरणा – भविक कर्म की उदीरणा उत्थान से यावत्‌ पुरुषकार – पराक्रम से करता है, अनुत्थान से, अकर्म से, यावत्‌ अपुरुषकार – पराक्रम से उदीरणा नहीं करता। अत एव उत्थान है, कर्म है, बल है, वीर्य है और पुरुषकार पराक्रम है। भगवन्‌ ! क्या वह अपने आप से ही (कांक्षा – मोहनीय कर्म का) उपशम करता है, अपने आप से ही गर्हा करता है और अपने आप से ही संवर करता है ? हाँ, गौतम ! यहाँ भी उसी प्रकार ‘पूर्ववत्‌’ कहना चाहिए। विशेषता यह है कि अनुदीर्ण का उपशम करता है, शेष तीनों विकल्पों का निषेध करना चाहिए। भगवन्‌ ! जीव यदि अनुदीर्ण कर्म का उपशम करता है, तो क्या उत्थान से यावत्‌ पुरुषकार – पराक्रम से करता है या अनुत्थान से यावत्‌ अपुरुषकार – पराक्रम से करता है ? गौतम ! पूर्ववत्‌ जानना – यावत्‌ पुरुषकार – पराक्रम से उपशम करता है। भगवन्‌ ! क्या जीव अपने आप से ही वेदन करता है और गर्हा करता है ? गौतम ! यहाँ भी पूर्वोक्त समस्त परिपाटी पूर्ववत्‌ समझनी चाहिए। विशेषता यह है कि उदीर्ण को वेदता है, अनुदीर्ण को नहीं वेदता। इसी प्रकार यावत्‌ पुरुषकार पराक्रम से वेदता है, अनुत्थानादि से नहीं वेदता है। भगवन्‌ ! क्या जीव अपने आप से ही निर्जरा करता है और गर्हा करता है ? गौतम ! यहाँ भी समस्त परिपाटी ‘पूर्ववत्‌’ समझनी चाहिए, किन्तु इतनी विशेषता है कि उदयानन्तर पश्चात्कृत कर्म की निर्जरा करता है। इसी प्रकार यावत्‌ पुरुषकार – पराक्रम से निर्जरा और गर्हा करता है। इसलिए उत्थान यावत्‌ पुरुषकार – पराक्रम है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se nunam bhamte! Appana cheva udireti? Appana cheva garahati? Appana cheva samvareti? Hamta goyama! Appana cheva udireti. Appana cheva garahati. Appana cheva samvareti. Jam nam bhamte! Appana cheva udireti, appana cheva garahati, appana cheva samvareti, tam kim–1. Udinnam udireti? 2. Anudinnam udireti? 3. Anudinnam udiranabhaviyam kammam udireti? 4. Udayanamtara-pachchhakadam kammam udireti? Goyama! 1. No udinnam udireti. 2. No anudinnam udireti. 3. Anudinnam udiranabhaviyam kammam udireti. 4. No udayanamtarapachchhakadam kammam udireti. Jam nam bhamte! Anudinnam udiranabhaviyam kammam udireti, tam kim utthanenam, kammenam, balenam, virienam, purisakkaraparakkamenam anudinnam udiranabhaviyam kammam udireti? Udahu tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkaraparakkamenam anudinnam udiranabhaviyam kammam udireti? Goyama! Tam utthanenam vi, kammena vi, balena vi, viriena vi, purisakkaraparakkamena vi anudinnam udiranabhaviyam kammam udireti. No tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkara-parakkamenam anudinnam udiranabhaviyam kammam udireti. Evam sati atthi utthanei va, kammei va, balei va, viriei va, purisakkaraparakkamei va. Se nunam bhamte! Appana cheva uvasamei? Appana cheva garahai? Appana cheva samvarei? Hamta goyama! Appana cheva uvasamei. Appana cheva garahai. Appana cheva samvarei. Jam nam bhamte! Appana cheva uvasamei, appana cheva garahati, appana cheva samvareti, tam kim– 1. Udinnam uvasamei? 2. Anudinnam uvasamei? 3. Anudinnam udiranabhaviyam kammam uvasamei? 4. Udayanamtarapachchhakadam kammam uvasamei? Goyama! 1. No udinnam uvasamei. 2. Anudinnam uvasamei. 3. No anudinnam udiranabhaviyam kammam uvasamei. 4. No udayanamtarapachchhakadam kammam uvasamei. Jam nam bhamte! Anudinnam uvasamei, tam kim utthanenam, balenam, virienam, purisakkaraparakkamenam anudinnam uvasamei? Udahu tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkara-parakkamenam anudinnam uvasamei? Goyama! Tam utthanena vi, kammena vi, balena vi, viriena vi, purisakkaraparakkamena vi anudinnam uvasamei. No tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkaraparakkamenam anudinnam uvasamei. Evam sati atthi utthanei va, kammei va, balei va, voriei va, purisakkaraparakkamei va. Se nunam bhamte! Appana cheva vedeti? Appana cheva garahati? Hamta goyama! Appana cheva vedeti. Appana cheva garahati. Jam nam bhamte! Appana cheva vedeti, appana cheva garahati tam kim– 1. Udinnam vedeti? 2. Anudinnam vedeti? 3. Anudinnam udiranabhaviyam kammam vedeti? 4. Udayanamtara-pachchhakadam kammam vedeti? Goyama! 1. Udinnam vedeti. 2. No anudinnam vedeti. 3. No anudinnam udiranabhaviyam kammam vedeti. 4. No udayanamtarapachchhakadam kammam vedeti. Jam nam bhamte! Udinnam vedeti tam kim utthanenam, kammenam, balenam, virienam, purisakkaraparakkamenam udinnam vedeti? Udahu tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkaraparakkamenam udinnam vedeti? Goyama! Tam utthanena vi, kammena vi, balena vi, viriena vi, purisakkaraparakkamena vi udinnam vedeti. No tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkaraparakkamenam udinnam vedeti. Evam sati atthi utthanei va, kammei va, balei va, viriei va, purisakkaraparakkamei va. Se nunam bhamte! Appana cheva nijjareti? Appana cheva garahati? Hamta goyama! Appana cheva nijjareti. Appana cheva garahati. Jam nam bhamte! Appana cheva nijjareti, appana cheva garahati, tam kim– 1. Udinnam nijjareti? 2. Anudinnam nijjareti? 3. Anudinnam udiranabhaviyam kammam nijjareti? 4. Udayanamtarapachchhakadam kammam nijjareti? Goyama! 1. No udinnam nijjareti. 2. No anudinnam nijjareti. 3. No anudinnam udirana-bhaviyam kammam nijjareti. 4. Udayanamtarapachchhakadam kammam nijjareti. Jam nam bhamte! Udayanamtarapachchhakadam kammam nijjareti tam kim utthanenam, kammenam, balenam, virienam, purisakkaraparakkamenam udayanamtarapachchhakadam kammam nijjareti? Udahu tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkaraparakkamenam udayanamtarapachchhakadam kammam nijjareti? Goyama! Tam utthanena vi, kammena vi, balena vi, viriena vi, purisakkaraparakkamena vi udayanamtara pachchhakadam kammam nijjareti. No tam anutthanenam, akammenam, abalenam, avirienam, apurisakkara-parakkamenam udayanamtarapachchhakadam kammam nijjareti. Evam sati atthi utthanei va, kammei va, balei va, viriei va, purisakkaraparakkamei va.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Kya jiva apane apase hi usa (kamkshamohaniya karma) ki udirana karata hai, apane apa se hi usaki garha karata hai aura apane apa se hi usaka samvara karata hai\? Ham, gautama ! Jiva apane apa se hi usaki udirana, garha aura samvara karata hai. Bhagavan ! Vaha jo apane apa se hi usaki udirana karata hai, garha karata hai aura samvara karata hai, to kya udirna ki udirana karata hai\? Anudirna ki udirana karata hai\? Ya anudirna udiranabhavika karma ki udirana karata hai\? Athava udayanantara pashchatkrita karma ki udirana karata hai\? Gautama ! Udirna ki udirana nahim karata, anudirna ki bhi udirana nahim karata, tatha udayanantara pashchatkrita karma ki bhi udirana nahim karata, kintu anudirna – udiranabhavika karma ki udirana karata hai. Bhagavan ! Yadi jiva anudirna – udiranabhavika ki udirana karata hai, to kya utthana se, karma se, bala se, virya se aura purushakara – parakrama se udirana karata hai, athava anutthana se, akarma se, abala se, avirya se aura apurushakara – parakrama se udirana karata hai\? Gautama ! Vaha anudirna – udirana – bhavika karma ki udirana utthana se yavat purushakara – parakrama se karata hai, anutthana se, akarma se, yavat apurushakara – parakrama se udirana nahim karata. Ata eva utthana hai, karma hai, bala hai, virya hai aura purushakara parakrama hai. Bhagavan ! Kya vaha apane apa se hi (kamksha – mohaniya karma ka) upashama karata hai, apane apa se hi garha karata hai aura apane apa se hi samvara karata hai\? Ham, gautama ! Yaham bhi usi prakara ‘purvavat’ kahana chahie. Visheshata yaha hai ki anudirna ka upashama karata hai, shesha tinom vikalpom ka nishedha karana chahie. Bhagavan ! Jiva yadi anudirna karma ka upashama karata hai, to kya utthana se yavat purushakara – parakrama se karata hai ya anutthana se yavat apurushakara – parakrama se karata hai\? Gautama ! Purvavat janana – yavat purushakara – parakrama se upashama karata hai. Bhagavan ! Kya jiva apane apa se hi vedana karata hai aura garha karata hai\? Gautama ! Yaham bhi purvokta samasta paripati purvavat samajhani chahie. Visheshata yaha hai ki udirna ko vedata hai, anudirna ko nahim vedata. Isi prakara yavat purushakara parakrama se vedata hai, anutthanadi se nahim vedata hai. Bhagavan ! Kya jiva apane apa se hi nirjara karata hai aura garha karata hai\? Gautama ! Yaham bhi samasta paripati ‘purvavat’ samajhani chahie, kintu itani visheshata hai ki udayanantara pashchatkrita karma ki nirjara karata hai. Isi prakara yavat purushakara – parakrama se nirjara aura garha karata hai. Isalie utthana yavat purushakara – parakrama hai.