Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003526 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१ |
Translated Chapter : |
शतक-१ |
Section : | उद्देशक-२ दुःख | Translated Section : | उद्देशक-२ दुःख |
Sutra Number : | 26 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] रायगिहे नगरे समोसरणं। परिसा निग्गया जाव एवं वयासी– जीवे णं भंते! सयंकडं दुक्खं वेदेइ? गोयमा! अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अत्थेगइयं वेदेइ? अत्थेगइयं नो वेदेइ? गोयमा! उदिण्णं वेदेइ, नो अनुदिण्णं वेदेइ। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ। एवं–जाव वेमाणिए। जीवा णं भंते! सयंकडं दुक्खं वेदेंति? गोयमा! अत्थेगइयं वेदेंति, अत्थेगइयं नो वेदेंति। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अत्थेगइयं वेदेंति? अत्थेगइयं नो वेदेंति? गोयमा! उदिण्णं वेदेंति, नो अनुदिण्णं वेदेंति। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– अत्थेगइयं वेदेंति, अत्थेगइयं नो वेदेंति। एवं – जाव वेमाणिया। जीवे णं भंते! सयंकडं आउयं वेदेइ? गोयमा! अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ। जहा दुक्खेणं दो दंडगा तहा आउएण वि दो दंडगा–एगत्तपोहत्तिया। | ||
Sutra Meaning : | राजगृह नगरमें (भगवान का) समवसरण हुआ। परीषद् नीकली। यावत् (श्री गौतमस्वामी) इस प्रकार बोले – भगवन् ! क्या जीव स्वयंकृत दुःख (कर्म) को भोगता है ? गौतम ! किसी को भोगता है, किसी को नहीं भोगता। भगवन् ! किस कारण से आप ऐसा कहते हैं ? गौतम ! उदीर्ण दुःख को भोगता है, अनुदीर्ण दुःख – कर्म को नहीं भोगता; इसीलिए कहा गया है कि किसी कर्म को भोगता है और किसी कर्म को नहीं भोगता। भगवन् ! क्या (बहुत – से) जीव स्वयंकृत दुःख भोगते हैं ? गौतम ! किसी कर्म (दुःख) को भोगते हैं, किसी को नहीं भोगते। भगवन् ! इसका क्या कारण है ? गौतम ! उदीर्ण (कर्म) को भोगते हैं, अनुदीर्ण को नहीं भोगते। इस कारण ऐसा कहा गया है कि किसी कर्म को भोगते हैं, किसी को नहीं भोगते। इसी प्रकार यावत् नैरयिक से लेकर वैमानिक तक चौबीस दण्डकों के सम्बन्ध में प्रश्नोत्तर समझ लेना चाहिए। भगवन् ! क्या जीव स्वयंकृत आयु को भोगता है ? हे गौतम ! किसी को भोगता है, किसी को नहीं भोगता। जैसे दुःख – कर्म के विषय में दो दण्डक कहे गए हैं, उसी प्रकार आयुष्य(कर्म) के सम्बन्ध में भी एकवचन और बहुवचन वाले दो दण्डक कहने चाहिए। एकवचन से यावत् वैमानिकों तक कहना, बहुवचन से भी (वैमानिकों तक) कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] rayagihe nagare samosaranam. Parisa niggaya java evam vayasi– Jive nam bhamte! Sayamkadam dukkham vedei? Goyama! Atthegaiyam vedei, atthegaiyam no vedei. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–atthegaiyam vedei? Atthegaiyam no vedei? Goyama! Udinnam vedei, no anudinnam vedei. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai– atthegaiyam vedei, atthegaiyam no vedei. Evam–java vemanie. Jiva nam bhamte! Sayamkadam dukkham vedemti? Goyama! Atthegaiyam vedemti, atthegaiyam no vedemti. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–atthegaiyam vedemti? Atthegaiyam no vedemti? Goyama! Udinnam vedemti, no anudinnam vedemti. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchai– atthegaiyam vedemti, atthegaiyam no vedemti. Evam – java vemaniya. Jive nam bhamte! Sayamkadam auyam vedei? Goyama! Atthegaiyam vedei, atthegaiyam no vedei. Jaha dukkhenam do damdaga taha auena vi do damdaga–egattapohattiya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Rajagriha nagaramem (bhagavana ka) samavasarana hua. Parishad nikali. Yavat (shri gautamasvami) isa prakara bole – Bhagavan ! Kya jiva svayamkrita duhkha (karma) ko bhogata hai\? Gautama ! Kisi ko bhogata hai, kisi ko nahim bhogata. Bhagavan ! Kisa karana se apa aisa kahate haim\? Gautama ! Udirna duhkha ko bhogata hai, anudirna duhkha – karma ko nahim bhogata; isilie kaha gaya hai ki kisi karma ko bhogata hai aura kisi karma ko nahim bhogata. Bhagavan ! Kya (bahuta – se) jiva svayamkrita duhkha bhogate haim\? Gautama ! Kisi karma (duhkha) ko bhogate haim, kisi ko nahim bhogate. Bhagavan ! Isaka kya karana hai\? Gautama ! Udirna (karma) ko bhogate haim, anudirna ko nahim bhogate. Isa karana aisa kaha gaya hai ki kisi karma ko bhogate haim, kisi ko nahim bhogate. Isi prakara yavat nairayika se lekara vaimanika taka chaubisa dandakom ke sambandha mem prashnottara samajha lena chahie. Bhagavan ! Kya jiva svayamkrita ayu ko bhogata hai\? He gautama ! Kisi ko bhogata hai, kisi ko nahim bhogata. Jaise duhkha – karma ke vishaya mem do dandaka kahe gae haim, usi prakara ayushya(karma) ke sambandha mem bhi ekavachana aura bahuvachana vale do dandaka kahane chahie. Ekavachana se yavat vaimanikom taka kahana, bahuvachana se bhi (vaimanikom taka) kahana. |