Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003455 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Translated Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 355 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] महापउमे सूरदेवे, सुपासे य सयंपभे । सव्वानुभूई अरहा, देवउत्ते य होक्खति ॥ | ||
Sutra Meaning : | १. महापद्म, २. सूरदेव, ३. सुपार्श्व, ४. स्वयंप्रभ, ५. सर्वानुभूति, ६. देवश्रुत, ७. उदय, ८. पेढ़ालपुत्र, ९. प्रोष्ठिल, १०. शतकीर्ति, ११. मुनिसुव्रत, १२. सर्वभाववित् , १३. अमम, १४. निष्कषाय, १५. निष्पुलाक, १६. निर्मम, १७. चित्रगुप्त, १८. समाधिगुप्त,१९. संवर, २०. अनिवृत्ति, २१. विजय, २२. विमल, २३. देवोपपात और २४. अनन्तविजय ये चौबीस तीर्थंकर भारतवर्ष में आगामी उत्सर्पिणी काल में धर्मतीर्थ की देशना करने वाले होंगे। सूत्र – ३५५–३५९ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] mahapaume suradeve, supase ya sayampabhe. Savvanubhui araha, devautte ya hokkhati. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | 1. Mahapadma, 2. Suradeva, 3. Suparshva, 4. Svayamprabha, 5. Sarvanubhuti, 6. Devashruta, 7. Udaya, 8. Perhalaputra, 9. Proshthila, 10. Shatakirti, 11. Munisuvrata, 12. Sarvabhavavit, 13. Amama, 14. Nishkashaya, 15. Nishpulaka, 16. Nirmama, 17. Chitragupta, 18. Samadhigupta,19. Samvara, 20. Anivritti, 21. Vijaya, 22. Vimala, 23. Devopapata aura 24. Anantavijaya ye chaubisa tirthamkara bharatavarsha mem agami utsarpini kala mem dharmatirtha ki deshana karane vale homge. Sutra – 355–359 |