Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003408 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Translated Chapter : |
समवाय प्रकीर्णक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 308 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एतेसि णं चउवीसाए तित्थगराणं चउवीसं पढमसिस्सिणीओ होत्था, तं जहा– | ||
Sutra Meaning : | इन चौबीस तीर्थंकरों की चौबीस प्रथम शिष्याएं थीं। जैसे – १. ब्राह्मी, २. फल्गु, ३. श्यामा, ४. अजिता, ५. काश्यपी, ६. रति, ७. सोमा, ८. सुमना, ९. वारुणी, १०. सुलसा, ११. धारिणी, १२. धरणी, १३. धरणिधरा, १४. पद्मा, १५. शिवा, १६. शुचि, १७. अंजुका, १८. भावितात्मा, १९. बन्धुमती, २०. पुष्पवती, २१. आर्या अमिला, २२. यशस्विनी, २३. पुष्पचूला और २४. आर्या चन्दना। ये सब उत्तम उन्नत कुल वाली, विशुद्ध वाली, गुणों से संयुक्त थीं और तीर्थ – प्रवर्तक जिनवरों की प्रथम शिष्याएं हुईं। सूत्र – ३०८–३११ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] etesi nam chauvisae titthagaranam chauvisam padhamasissinio hottha, tam jaha– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ina chaubisa tirthamkarom ki chaubisa prathama shishyaem thim. Jaise – 1. Brahmi, 2. Phalgu, 3. Shyama, 4. Ajita, 5. Kashyapi, 6. Rati, 7. Soma, 8. Sumana, 9. Varuni, 10. Sulasa, 11. Dharini, 12. Dharani, 13. Dharanidhara, 14. Padma, 15. Shiva, 16. Shuchi, 17. Amjuka, 18. Bhavitatma, 19. Bandhumati, 20. Pushpavati, 21. Arya amila, 22. Yashasvini, 23. Pushpachula aura 24. Arya chandana. Ye saba uttama unnata kula vali, vishuddha vali, gunom se samyukta thim aura tirtha – pravartaka jinavarom ki prathama shishyaem huim. Sutra – 308–311 |